Thyroid Problems in Hindi.



थायराइड समस्या, Thyroid in Hindi.




दोस्तो आज हम मिल के बात करे गए थायराइड जो आज कल आम बीमारी होती जा रही है और आपने कई लोगो से सुनते हो गए मुजे थायराइड है सुन ने मैं तो ये बी ह ये बहोत बुरी बीमारी है पर आज हम जाने गए क्या है और इस के क्या उपाय है आजकल की बिजी लाइफ स्टाइल और अस्वस्थ खान-पान के कारण थायराइड के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। थायरायड को कुछ लोग साइलेंट किलर मानते हैं क्योंकि इसके लक्षण बहुत देर में पता चलते हैं। आमतौर पर महिलाएं इस रोग का ज्यादा शिकार होती हैं। थायरायड ग्रंथि गर्दन में श्वास नली के ऊपर, वोकल कॉर्ड के दोनों ओर दो भागों में बनी होती है। ये तितली के आकार की होती है। थायराइड ग्रंथि थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है। इस हार्मोन से शरीर की एनर्जी, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन्स के प्रति होने वाली संवेदनशीलता कंट्रोल होती है। ये ग्रंथि शरीर में मेटाबॉलिज्म की ग्रंथियों को भी कंट्रोल करती है। तो दोस्तो चलो जानते है क्या है ये बीमारी के लक्षण, इलाज,उपाय,ओर कैसे बचें,ओर बी बहोत तो चलिए दोस्तो जानते है ।

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1,जानिये क्यों होता है थायराइड रोग और कितनी महत्वपूर्ण है थाइराइड ग्रंथि

2, थायराइड के लक्षण,कारण एवं थायराइड के इलाज

3, महिलाओं में थायराइड होने पर दिखते हैं ये 10 शुरुआती लक्षण

4, बच्चों में 3 तरह का होता है थायराइड, टेस्ट करा के तुरंत शुरू करें इलाज

5, थायराइड के शुरुआती लक्षणों को पहचान कर शुरू करें इलाज

6, कई कारणों से हो सकती है थायरॉइड नॉड्यूल्स की समस्या, जानिये इसके लक्षण और कारण

7, थयराइड के मरीज को कभी नहीं करना चाहिए इन 5 चीजों का सेवन

8, थायराइड के बारे में पांच बातें जानें

9, ये 2 तरह के थायराइड होते हैं सबसे ज्यादा भयानक, जानें लक्षण और बचाव

10, थायरॉइड ग्रंथि को खराब कर देता है हाशीमोटोज रोग, जानिए क्या हैं इसके लक्षण

11, आपके आसपास मौजूद इन 10 चीजों के इस्तेमाल से बढ़ता है थायरॉइड रोग का खतरा

12, इन 5 तरीकों से रखें थायरॉइड को स्‍वस्‍थ, नहीं होंगी ये 10 बीमारियां

13, आपके थायरॉइड को नुकसान पहुंचाती हैं अंजाने में की गई ये 6 गलतियां

14, पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां : थायराइड, मोटापा, जोड़ों के दर्द, सर्वाइकल

15, थायराइड के लिए लाभदायक है अश्वगंधा का सेवन

16, थायराइड की होम्योपैथिक दवा

17, थायराइड का घरेलु इलाज

18, थायराइड को जड़ से खत्म कर देंगे ये चमत्कारी घरेलू उपाय, जरूर आजमाएं.

19, थायराइड में परहेज: जानें, क्या खाएं और क्या ना खाएं

20, थायरॉइड को कंट्रोल करना है, तो रोज करें ये 4 एक्सरसाइज

तो चलो सुरु करते है ।

जानिये क्यों होता है थायराइड रोग और कितनी महत्वपूर्ण है थाइराइड ग्रंथि


* थायराइड के लक्षण

थायराइड की वजह से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है इसलिए इसकी वजह से शरीर में कई अन्य समस्याएं शुरू हो जाती हैं। थायराइड के सामान्य लक्षणों में जल्दी थकान, शरीर सुस्त रहना, थोड़ा काम करते ही एनर्जी खत्म हो जाना, डिप्रेशन में रहने लगना, किसी भी काम में मन न लगना, याद्दाश्त कमजोर होना और मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना शामिल हैं। इन सभी समस्याओं को आम समझकर ज्यादातर लोग इग्नोर करते रहते हैं जो बाद में खतरनाक साबित हो सकता है और कई बार तो जानलेवा साबित हो सकता है।

* थायराइड ग्रंथि क्या है

थायराइड कोई रोग नहीं बल्कि एक ग्रंथि का नाम है जिसकी वजह से ये रोग होता है। लेकिन आम भाषा में लोग इस समस्या को भी थायराइड ही कहते हैं। दरअसल थायराइड गर्दन के निचले हिस्से में पाई जाने वाली एक इंडोक्राइन ग्रंथि है। ये ग्रंथि एडमस एप्पल के ठीक नीचे होती है। थायराइड ग्रंथि का नियंत्रण पिट्यूटरी ग्लैंड से होता है जबकि पिट्यूटरी ग्लैंड को हाइपोथेलमस कंट्रोल करता है। थायराइड ग्रंथि का काम थायरॉक्सिन हार्मोन बनाकर खून तक पहुंचाना है जिससे शरीर का मेटाबॉलिज्म नियंत्रित रहे। ये ग्रंथि दो प्रकार के हार्मोन बनाती है। एक टी3 जिसे ट्राई-आयोडो-थायरोनिन कहते हैं और दूसरी टी4 जिसे थायरॉक्सिन कहते हैं। जब थायराइज से निकलने वाले ये दोनों हार्मोन असंतुलित होते हैं तो थायराइड की समस्या हो जाती है।

* कैसे होती है जांच

किसी शारीरिक समस्या के लिए जब आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो सबसे पहले वो इसके लक्षणों द्वारा रोग की पहचान करता है। अगर डॉक्टर को थायराइड की संभावना समझ आती है, तो वो खून में टी3, टी4 और टीएसएच हार्मोन की जांच करता है। इसके अलावा अल्ट्रासाउंड के द्वारा थायराइड और एंटी थायराइड टेस्ट होता है। असल में थायरायड ग्रंथि में कोई रोग या वायरस नहीं होता है। शरीर में जब पिट्युटरी ग्लैंड ठीक तरह से काम नहीं करता तो थायरायड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) यानि थायरायड ग्रंथि को उत्तेजित करने वाला हार्मोन ठीक तरह से नहीं बन पाता और इसकी वजह से थायराइड से बनने वाले टी3 और टी 4 हार्मोन्स में असंतुलन आ जाता है।

* बच्चे भी हो रहे हैं शिकार

आजकल थायराइड जैसी गंभीर बीमारी का शिकार कम उम्र के बच्चे भी हो रहे हैं जिसकी वजह से उनका शारीरिक और मानसिक विकास रुक जाता है। इससे बचाव के लिए बच्चों को बचपन से ही नियमित व्यायाम, योग और प्रणायाम की आदत डालें। सिर्फ पढ़ते रहने, टीवी देखने, गेम खेलने या लेटे रहने के बजाय बच्चों को बाहर निकलने और थोड़ा खेलने के लिए प्रेरित करें। अगर बच्चा बचपन से शारीरिक मेहनत नहीं करेगा तो आगे चलकर उसे थायराइड, डाइबिटीज, ओबेसिटी, बल्ड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार बनना पड़ सकता है।


थायराइड के लक्षण,कारण एवं थायराइड के इलाज

आजकल की ब्ज़ी लाइफ में थायराइड की समस्या आम सी हो गयी हैं, और अँग्रेजी दवाइयो में तो इसका इलाज बस यही है की ,बस जीवन भर दवाई लेते रहो।ये बीमारी तो आजकल सब के जरिये सुनने को मिल ही जाता है।चाहे वो महिला हो या आदमी सब में कुछ न कुछ thyroid के कुछ लक्षण देखने को मिल ही जाते है। ये सब बीमारियो का बस एक ही इलाज है हम सब अपने दिन की सुरुआत healthy टिप्स के साथ करनी चाहिए।

थायराइड मानव शरीर मे पाए जाने वाले एंडोक्राइन ग्लैंड में से एक है। थायरायड ग्रंथि गर्दन में श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों ओर दो भागों में बनी होती है। यह थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है जिससे  हार्मोन का शरीर के ऊर्जा क्षय, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन के प्रति होने वाली संवेदनशीलता नियंत्रित होती है। थॉयराइड ग्रंथि तितली के आकार की होती है जो गले में पाई जाती है।

यह ग्रंथि शरीर के मेटाबॉल्जिम को नियंत्रण करती है यानि जो भोजन हम खाते हैं यह उसे उर्जा में बदलने का काम करती है।

इसके अलावा यह हृदय, मांसपेशियों, हड्डियों व कोलेस्ट्रोल को भी प्रभावित करती है।आमतौर पर शुरुआती दौर में थायराइड के किसी भी लक्षण का पता आसानी से नहीं चल पाता, क्योंकि गर्दन में छोटी सी गांठ सामान्य ही मान ली जाती है। और जब तक इसे गंभीरता से लिया जाता है, तब तक यह भयानक रूप ले लेता है।जब भी इस हार्मोन का संतुलन बिगड़ने लगता है तब थायरोइड की समस्या होने लगती है। 

जब भी ये हार्मोन कम होने लगता है तब शरीर का metabolism काफी तेज होने लगता है। और शरीर की ऊर्जा जल्दी खत्म जाती है। जिससे सुस्ती,थकान बढ्ने लगती है।

थॉयराइड को माना जाता है, क्‍योंकि इसके लक्षण व्‍यक्ति को धीरे-धीरे पता चलते हैं और जब इस बीमारी का निदान होता है तब तक देर हो चुकी होती है। इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी से इसकी शुरुआत होती है लेकिन ज्यादातर चिकित्‍सक एंटी बॉडी टेस्ट नहीं करते हैं जिससे ऑटो-इम्युनिटी दिखाई देती है । पुरूषों में आजकल थायराइड की दिक्कत बढ़ती जा रही है। थायराइड में वजन अचानक से बढ़ जाता है या कभी अचानक से कम हो जाता है। इस रोग में काफी दिक्कत होती है। आयुर्वेद में थायराइड को बढ़ने से रोकने के बेहद सफल प्रयोग बताएं गए हैं।

थायरोइड दो प्रकार के होते है


1) हाइपर थायरोइड

हाइपर थायरोइड में  वजन कम होने लगता है। इसमे हार्ट बिट तेज होने लगता है साथ ही पसीना ज्यादा आता है,हाथ और पेड़ो में कप कपि होने लगता है।


2) हाइपो थायरोइड

ये समस्या भी हाइपर थायरोइड से बिन होता है इसमे वजन बढ़ने लगता है, कब्ज रहने लगता है, हमारी स्किन बहुत दरी होने लगती है। आवाज़ भी भारी होने लगती है और चेहरे पे सूजन जैसी समस्या होने लगती है।

आए जाने हमे थायरोइड से क्या क्या प्रोब्लेम हो सकती है।
*थायराइड के लक्षण इन हिन्दी

1.  वजन बढ़ना (Weight gain)

थायरोइड में वजन बढ़ने लगता है। बॉडी फूलने लगती है। मोटापा और पेट की चर्बी भी बढ़ने लगती है।

2. कब्ज (Constipation)

थाइराइड होने पर कब्ज की समस्या शुरू हो जाती है। खाना पचाने में दिक्कत होती है। साथ ही खाना आसानी से गले से नीचे नहीं उतरता।


3. ठंड ज्यादा लगना (Feeling cold)

थाइराइड होने पर आदमी के हाथ पैर हमेशा ठंडे रहते है। मानव शरीर का तापमान सामान्य यानी 98.4 डिग्री फॉरनहाइट (37 डिग्री सेल्सियस) होता है, लेकिन फिर भी उसका शरीर और हाथ-पैर ठंडे रहते हैं।

4.  प्रतिरोधक क्षमता (Immunity system)

प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना- थाइराइड होने पर शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम़जोर हो जाती है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने के चलते उसे कई बीमारियां लगी रहती हैं।

5. थकान होना (Tired)

थाइराइड की समस्या से ग्रस्त आदमी को जल्द थकान होने लगती है। उसका शरीर सुस्त रहता है। वह आलसी हो जाता है और शरीर की ऊर्जा समाप्त होने लगती है।

6. त्वचा का सूखना या ड्राई होना (Dry skin)

थाइराइड से ग्रस्त व्यक्ति की त्वचा सूखने लगती है। त्वचा में रूखापन आ जाता है। त्वचा के ऊपरी हिस्से के सेल्स की क्षति होने लगती है जिसकी वजह से त्वचा रूखी-रूखी हो जाती है।

7. जुकाम होना (Cold)

थाइराइड होने पर आदमी को जुकाम होने लगता है। यह नार्मल जुकाम से अलग होता है और ठीक नहीं होता है।

8. डिप्रेशन (Depression)

थाइराइड की समस्या होने पर आदमी हमेशा डिप्रेशन में रहने लगता है। उसका किसी भी काम में मन नहीं लगता है, दिमाग की सोचने और समझने की शक्ति कमजोर हो जाती है। याद्दाश्त भी कमजोर हो जाती है।

9. बाल झड़ना (Hair fall)

थाइराइड होने पर आदमी के बाल झड़ने लगते हैं तथा गंजापन होने लगता है। साथ ही साथ उसके भौहों के बाल भी झड़ने लगते है।

10. सिर ,गर्दन और जोड़ों में दर्द (Pain)

मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और साथ ही साथ कमजोरी का होना भी थायराइड की समस्या के लक्षण हो सकते है।

12.  शारीरिक व मानसिक विकास(Physical and mental development)

थाइराइड की समस्या होने पर शारीरिक व मानसिक विकास धीमा हो जाता है।

13.  भूक कम लगना

14. आवाज़ में भारीपन आने लगता है।

15. चेहरे और बॉडी पर सूजन आने लगती है।


** थायरोइड होने के कारण.

1) कई बार कुछ दवाओं के साइड इफैक्ट  प्रभाव भी थायराइड की वजह होते हैं।

2) अधिक टेंशन लेने से थायरोइड ग्रंथि में बुरा असर पड़ने लगती है।जब तनाव का स्तर बढ़ता है तो इसका सबसे ज्यादा असर हमारी थायरायड ग्रंथि पर पड़ता है। यह ग्रंथि हार्मोन के स्राव को बढ़ा देती है।

3) सोया प्रोटीन, कैप्सूल, और पाउडर के रूप में सोया उत्पादों का जरूरत से ज्यादा प्रयोग भी थायराइड होने के कारण हो सकते है।

4) भोजन में आयोडीन की कमी या ज्यादा इस्तेमाल भी थायराइड की समस्या पैदा करता है।

5) यदि आप के परिवार में किसी को थायराइड की समस्या है तो आपको थायराइड होने की संभावना ज्यादा रहती है। यह थायराइड का सबसे अहम कारण है।

6) थायराइड का अगला कारण है गर्भावस्था(प्रेग्नंसी ) जिसमें प्रसवोत्तर अवधि भी शामिल है। गर्भावस्था एक स्त्री के जीवन में ऐसा समय होता है जब उसके पूरे शरीर में बड़े पैमाने पर परिवर्तन होता है, और वह तनाव ग्रस्त रहती है।इस अवधि में थायरोइड होने की संभावना ज्यादा  होती है।

7) सिर, गर्दन और चेस्ट की विकिरण थैरेपी के कारण या टोंसिल्स, लिम्फ नोड्स, थाइमस ग्रंथि की समस्या या मुंहासे के लिए विकिरण उपचार के कारण।

8)प्रदूषण का बुरा असर भी थायरोइड होने के कारण हो सकते है। प्रदूसन से हवा में में मोजूद जहरीले कण थायरोइड ग्रंथि को भी नुकसान करते है।

9) थायरायडिस- यह सिर्फ एक बढ़ा हुआ थायराइड ग्रंथि (घेंघा) है, जिसमें थायराइड हार्मोन बनाने की क्षमता कम हो जाती है।

10) थायराइट की समस्या पिट्यूटरी ग्रंथि के कारण भी होती है क्यों कि यह थायरायड ग्रंथि हार्मोन को उत्पादन करने के संकेत नहीं दे पाती।

11) ग्रेव्स रोग थायराइड का सबसे बड़ा कारण है। इसमें थायरायड ग्रंथि से थायरायड हार्मोन का स्राव बहुत अधिक बढ़ जाता है। ग्रेव्स रोग ज्यादातर 20 और 40 की उम्र के बीच की महिलाओं को प्रभावित करता है, क्योंकि ग्रेव्स रोग आनुवंशिक कारकों से संबंधित वंशानुगत विकार है, इसलिए थाइराइड रोग एक ही परिवार में कई लोगों को प्रभावित कर सकता है।

12) रजोनिवृत्ति भी थायराइड का कारण है क्योंकि रजोनिवृत्ति के समय एक महिला में कई प्रकार के हार्मोनल परिवर्तन होते है। जो कई बार थायराइड की वजह बनती है।


** थायरोइड टेस्ट कैसे करते है

आपको अगर थायरोइड के लक्षण दिख रहे है तो पहले इसका टेस्ट करवाए। T3 ,T4,TSH टेस्ट करवाने से शरीर में थायरोइड लेवेल चेक किया जाता है। पुरुषो और महिलाओ में थायरोइड के लक्षण होते है तब व्यक्त का मन किसी काम में नहीं लगता है और डिप्रेशन में आ जाता है। सोचने समझने की ताकत और याददस्त कमजोर होने लगती है।सही समय पर अगर इस रोग को पहचान कर उपचार किया जाए तो इस बीमारी को बढ़ने से रोक सकते है।


** थायरोइड के इलाज के लिए घरेलू उपाय इन हिन्दी


1) लौकी का जूस (Gourd juice)

रोज सुबह खाली पेट लौकी का जूस पीने से थायरोइड खत्म करने में मदद मिलती है। जूस पीने के आधे घंटे तक कुछ खाये पिये नही ।

2) तुलसी और एलोवेरा (Tulsi and Aloevera)

दो चम्मच तुलसी के रस में आधा चम्मच एलोवेरा जूस मिला कर सेवन करने से भी थायरोइड की बीमारी से छुटकारा पाने का उतम उपाय है।

3)लाल प्याज़ (Onion)

प्याज़ को बीच से काट कर दो टुकड़े कर ले कर ले और रात को सोने से फेले थायरोइड ग्लैंड के आसपास मसाज करे। इसके बाद गर्दन से प्याज्ज का रस धोये नहीं।

4)हल्दी का दूध (Turmeric and milk)

थायरोइड कंट्रोल करने के लिए आप रोज़ दूध मेन हल्दी को पका कर पिये। अगर हल्दी वाला दूध न पिया जाए तो हल्दी को भून कर इसका सेवन करने से थ्यरोइड कंट्रोल में रेहता है।

5)कालीमिर्च (Black pepper)

कालीमिर्च भी थायरोइड के लीये बहुत ही फायदेमंद है किसी भी प्रकार से कालीमिर्च का सेवन करे थायरोइड में फायदा मिलेगा।

6)अश्वगंधा (Ashwagandha)

रात को रोज सोते समय एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण का सेवन गाय के दूध के साथ सेवन करने से भी थायरोइड में फायदा मिलता है।

7)हरा धनिया (Coriander leaves)

थायरोइड में हरा धनिया की चटनी भी बहुत फायदेमंद है। इस चटनी को एक ग्लास पनि में १ चम्मच घोल कर पिये।  इस उपाय को जबभी करे ताज़ी चटनी पीस कर ही करे।


8) बादाम और अखरोट (Badam and Walnut)

बादाम और अखरोट मेन सेलिनिउम तत्व मोजूद होता है जो थायरोइड के इलाज के लिए बहुत ह फायदेमंद है। इसके रोह सेवन से गले के सूजन में काफी आराम मिलता है।

9) एक्सर्साइज़ एवं प्राणायाम से थायरोइड का इलाज 

(Exercise)


रोज आधा घंटा एक्सर्साइज़ करने से थायरोइड कंट्रोल में रेहता है और बढ़ता भी नहीं है। नियमित रूप से योग और प्राणायाम करने से थायरोइड ठीक कर सकते है। योग के अलावा आप meditation भी कर सकते है जिससे आप रिलैक्स होगे और थायरोइड ट्रीटमंट मे भी फायदा मिलेगा। कुछ योगस्सान है जो आप रोक्ज करे उससे आपको काफी सहायता मिलेगी जैसे की
मतयासन बिपरित करणी उज्जई प्राणायाम


10) अदरक (Ginger)

अदरक में मौजूद गुण जैसे पोटेशियम, मैग्नीश्यिम आदि थायराइड की समस्या से निजात दिलवाते हैं। अदरक में एंटी-इंफलेमेटरी गुण थायराइड को बढ़ने से रोकता है और उसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाता है।

11) दही और दूध का सेवन (Milk and Curd)

थायराइड की समस्या वाले लोगों को दही और दूध का इस्तेमाल अधिक से अधिक करना चाहिए। दूध और दही में मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स थायराइड से ग्रसित पुरूषों को स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं।

12) मुलेठी का सेवन (Mulethi ka sewan)

थायराइड के मरीजों को थकान बड़ी जल्दी लगने लगती है और वे जल्दी ही थक जाते हैं। एैसे में मुलेठी का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। मुलेठी में मौजूद तत्व थायराइड ग्रंथी को संतुलित बनाते हैं। और थकान को उर्जा में बदल देते हैं। मुलेठी थायराइड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है।

13) गेहूं और ज्वार का इस्तेमाल(Use of Wheat and jowar)

थायराइड ग्रंथी को बढ़ने से रोकने के लिए आप गेहूं के ज्वार का सेवन कर सकते हो। गेहूं का ज्वार आयुर्वेद में थायराइड की समस्या को दूर करने का बेहतर और सरल प्राकृतिक उपाय है। इसके अलावा यह साइनस, उच्च रक्तचाप और खून की कमी जैसी समस्याओं को रोकने में भी प्रभावी रूप से काम करता है।

14) साबुत अनाज (Whole Grains)

जौ, पास्ता और ब्रेड़ आदि साबुत अनाज का सेवन करने से थायराइड की समस्या नहीं होती है क्योंकि साबुत अनाज में फाइबर, प्रोटीन और विटामिन्स आदि भरपूर मात्रा होता  है जो थायराइड को बढ़ने से रोकता है।

15) फलों और सब्जियों का सेवन (Consumption of fruits and vegetables)

थायराइड की परेशानी में जितना हो सके फलों  और सब्जियों का इस्तेमाल करना चाहिए। फल और सब्जियों में एंटीआक्सिडेंटस होता है। जो थायराइड को कभी बढ़ने नहीं देता है। सब्जियों में टमाटर, हरि मिर्च आदि का सेवन करें।

16) गले को दें ठंडी गर्म सेंक (Give a cold hot drink to the throat)

थायरइड की समस्या में गले को ठंडी-गर्म सेंक देने से फायदा मिलता है। इसके लिए आप गर्म पानी को एक बोतल में भर लें और अलग से ठंडे पानी को किसी बर्तन में भर लें। ठंडे पानी में एक तौलिया भी भिगों लें।और इसे इस तरह से गर्दन की सिकाई करें। तीन मिनट गर्म पानी से सिकाई और फिर एक मिनट तक ठंण्डे पानी से सिकाई। एैसा आप तीन बार करें। और चौथी बारी में तीन मिनट ठण्डी और तीन मिनट गर्म पानी की सेंक करें।इस उपाय को आप दिन में कम से कम दो बारी जरूर करें।

बाबा रामदेव की मैडिसिन से थायरोइड का इलाज (Baba Ramdev medicine for thyroid)

थायरोइड से छुटकारा पाने के लिए बाबा रामदेव की दवाई दिव्य कचनार गुग्गुल ले। ये दवाई भी थायरोइड के लिए बहुत ही फायदेमंद है और्व ये आसानी से कसी भी पतंजलि मैडिसिन स्टोर मेन आसानी से मिल जाता है।


** होमेओपथिक ट्रीटमंट से थायरोईड का इलाज

थायरोइड का इलाज आप होमेओपथिक ट्रीटमंट से भी कर सकते है। थायरोइड के लिए होमेओ डॉक्टर से मिले और अपनी सारी परेशनीय उन्हे सही से बताया और उनसे दवाई ले। होमेओपथिक में भी इसका अच्छा इलाज है।

** एक्यूप्रेशर से थायरोइड का इलाज

हमारे दोनों पैरो आर हाथो पर शरीर के सभी अंगो के कुछ पॉइंट्स होते है। एक्यूप्रेससर ट्रीटमंट में इन पॉइंट्स को दवाने से इलाज किया जा सकता है। लेकिन इसकी जानकारी होनी आवस्यक है की कौन सी पॉइंट किस चीज के लिए है। आर कैसे दवाब डालना है। अगर आप एक्यूप्रेसुर का इलाज करना चाहते है तो पहले कुछ दिन किसी एक्सपेर्ट से जन ले उसके बाद अपने से करे।

** थायरोइड में क्या खाना चाहिए

थायरोइड से प्रभावित व्यक्ति को प्रतिदिन तीन से चार लिटर पानी अवस्य पीना चाहिए जिससे उसकी बॉडी से विशेले प्रद्धार्थ निकालने में काफी मदद मिलता है।थायरोइड में दो ग्लास फलो का जूस भी पिये और साथ ही हफ्ते में एक बार नारियल पानी भी पीना चाहिए।Iodine थायरोइड कंट्रोल करने में काफी असरदार है पर जितना हो सके नैचुरल आयोडिन का सेवन करे जैसे की टमाटर।प्याज़,और लहसुन।अपने डाइट मे विटामिन ए अधिक मात्रा में लेना चाहिए। हरी सब्जिया और गाजर में वीटामिन ए ज्यादा होता है। जो थायरोइड को कंट्रोल करने में मदद करता है।

** थायरोइड में क्या खाना नहीं चाहिए

सिगरेट ,तंबाकू,और किस नशीले पढ़ार्थों के सेवन से बचे।बाज़ार में उपलब्ध सफ़ेद नमक का थायरोइड में परहेज करे। खाने में सिर्फ काला नमक या सेंधा नमक का प्रयोग करे।

** थायरोइड ट्रीटमंट टिप्स इन हिन्दी

महिलाओ में पुरुषो की तुलना में थायरोइड अधिक होता है इसलिए किसी भी प्रकार की लापरवाही न करते हुए तुरंत इलाज करना शुरू करे।थायरोइड के रोगी को हर तीन महीने मे इसकी जांच करवानी चाहिए। थ्यरोइड चेक करने से १२ घंटे पहले कुछ न खाये या पिये । तभी जाकर टेस्ट में सही जांच आयेगा।शादी सुदा महिला अगर थायरोइड की शिकार है और प्रेग्नंकी की प्लानिंग कर रही हो तो सब से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले और थायरोइड कंट्रोल होने के बाद ही प्रेग्नंकी का सोचे। तभी माँ और बच्चे की लिए अच्छा होगा। आगे जाकर किसी प्रकार का कोंपलीकटीओन न हो।थायरोइड एक दिन में तो ठीक होने वाली बीमारी नहीं है 

इसलिए आवश्यक है की हम थोड़ा परहेज और हेयलथी टीपस अपनाए जिससे हमे थायरोइड ही नहीं बल्कि दूसरी बीमारियो से लड़ने में मदद करेगी।


महिलाओं में थायराइड होने पर दिखते हैं ये 10 शुरुआती लक्षण

थायराइड एक ऐसी बीमारी है, जिससे अधिकतर लोग ग्रस्त रहते हैं। पुरूषों के मुकाबले यह बीमारी महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है। थायराइड मानव शरीर में पाए जाने वाले एंडोक्राइन ग्लैंड में से एक है। थायरायड ग्रंथि गर्दन मे श्वास नली के ऊपर होती है, जिसका आकार तितली जैसा होता है। यह ग्रंथि थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है, जो शरीर की एनर्जी, प्रोटीन उत्पादन व अन्य हार्मोन्स के प्रति होने वाली संवेदनशीलता को कंट्रोल में रखता है। थायराइड होने पर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, जिससे शरीर में कई तरह की प्रॉबल्म नजर आने लगती है। अधिकतर मामलों में थायराइड के शुरूआती लक्षण का पता आसानी से नही चल पाता, क्योंकि गर्दन में आने वाली छोटी सी गांठ को तो अक्सर सामान्य समस्या समझ लिया जाता है लेकिन इसके अलावा और भी कई लक्षण शरीर में दइकने लगते है, जिनको लेकर हम लोग अक्सर लापरवाही बर्त देते है, जो बाद में गंभीर समस्या बन जाती है। आज हम आपको महिलाओं में होने वाले थायराइड के कुछ लक्षणों के बारे में बताने जा रहे है, जिन्हें अनदेखा करना मतलब गंभीर समस्या को बुलावा देना होगा। आप इन लक्षणों के पहचानकर कर सही समय पर थायराइड का इलाज करवा सकती है। 

1. तेजी से बढ़ता वजन 

वैसे तो बढ़ता मोटापा आज हर किसी समस्या बना हुआ है लेकिन अगर आपका वजन तेजी से बढ़ रहा है, तो इसे नजरअंदाज करने की गलती न करें क्योंकि थायराइड के कारण मेटाबॉलिज्म भी प्रभावित होता है। हम जो भी खाते हैं वो पूरी तरह एनर्जी में नहीं बदल पाता और वसा के रूप में शरीर पर जमा होने लगता है। 


2. थकावट रहना 

अगर बिना कोई काम किए शरीर थकावट या कमजोरी महसूस करने लगे तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें क्योंकि मेटाबॉलिज्म पर थायरॉक्सिन के प्रभाव से खाया गया खाना एनर्जी में नहीं बदल पाता तो शरीर थकावट और कमजोरी महसूस करने लगता है। इसके अलावा थकान का कारण एनीमिया भी हो सकता है।


3. अनियमित पीरियड्स

वैसे तो बदलते लाइफस्टाइल में अनियमित पीरियड्स की समस्या बहुत सी महिलाओं में देखने को मिलती है। पीरियड्स में होने वाली गड़बड़ी को कभी भी अनदेखा न करें क्योंकि थायराइड की समस्या होने पर पीरिड्स का इंटरवल बढ़ जाता है और 28 दिन की बजाएं पीरिड्स ज्यादा बढ़ जाते है। 


4. डिप्रैशन में रहना

अगर थायराइड ग्रंथि कम मात्रा में थायरॉक्सिन उत्पन्न करती है तो इससे डिप्रैशन वाले हार्मोन एक्टिव हो जाते हैं। डिप्रैशन से रात अनिंद्रा की प्रॉबल्म होती है। अगर आपको भी डिप्रैशन रहता है तो तुरंत किसी डॉक्टर से जांच करवाएं। 


5. सीने में दर्द होना

अगर आपको थायराइड है तो इससे दिल की धड़कन भी प्रभावित हो सकती है। दिल की धड़कन में होने वाली इसी अनियमितता के कारण सीने में तेज दर्द हो सकता है। 

 6. खाने का मन न होना 

थायराइड होने पर भूख तेज लगने के बाद भी खाना नहीं खाया जाता, वहीं कई बार जरूरत से ज्यादा खाने पर वजन तेजी से कम होने लगते है। 

 7. सर्दी या गर्मी बर्दाश्त न होना

थायराइड होने पर मौसम का प्रभाव हमारे शरीर पर अधिक दिखाई देने लगता है। हाईपोथॉयरायडिज्म होने पर शरीर को न तो ज्यादा ठंड बर्दाश्त होती है और न ही ज्यादा गर्मी का मौसम। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो तुरंत जांच करवाएं। 

 8. याददाश्त कम होना 

थायराइड के कारण स्मरण शक्ति और सोचने-समझने की क्षमता  भी प्रभावित होती है। याददाश्त कमजोर हो सकती है और व्यक्ति का स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो सकता है। 

 9. पेट में गड़बड़ी

थायराइड होने पर कब्ज की समस्या शुरू हो जाती है। जिस वजह से खाना पचाने में दिक्कत होती है साथ ही खाना आसानी से गले से नीचे नहीं उतर पाता। 

10. मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द

मांसपेशियों और जोड़ों में होने वाले दर्द को भी कोई आम समस्या न समझें और तुंरत डॉक्टरी जांच करवाएं क्योंकि यह थायराइड की समस्या भी हो सकती है। 

बच्चों में 3 तरह का होता है थायराइड, टेस्ट करा के तुरंत शुरू करें इलाज


बड़ों की तुलना में बच्‍चों में थायराइड समस्‍या कम ही होती है। लेकिन अगर बच्‍चे को थायराइड की समस्‍या हो जाए तो इसका असर उसके विकास पर पड़ता है। थायराइड ग्रंथि हार्मोन का निर्माण करती है जो कि मेटाबॉलिज्‍म को नियंत्रित करता है। बच्‍चे पर इसका खतरनाक असर होता है। इसके कारण बच्‍चे को थकान, कमजोरी, वजन का बढ़ना, चिड़चिड़ापन और अवसाद जैसी समस्‍यायें हो सकती हैं। आइए जानते हैं बच्‍चों में थायराइड समस्‍या और उसका प्रभाव –

** जन्‍मजात हाइपोथायराइडिज्‍म

बच्‍चों में जन्‍मजात हाइपोथायराइडिज्‍म के लक्षण  जन्‍म से ही दिखाई देते हैं। इसके कारण नवजात को जन्‍म लेने के तुरंत बाद दिक्‍कत हो सकती है। थायराइड ग्‍लैंड का ठीक से विकास न हो पाना इसका प्रमुख कारण होता है। कुछ बच्‍चों में तो थायराइ‍ड ग्रंथि भी मौजूद नहीं होती है। इसके कारण शिशु मानसिक समस्‍या (क्रे‍टिनिज्‍म) होती है। इसलिए बच्‍चे के जन्‍म के एक सप्‍ताह के अंदर उसके थायराइड फंक्‍शन की जांच करानी चाहिए।

** क्षणिक जन्‍मजात हाइपोथायराइडिज्‍म

अगर मां को गर्भावस्‍था के दौरान थायराइड समस्‍या है तो शिशु को यह समस्‍या हो सकती है। हालांकि शिशु में क्षणिक हाइपोथायराइडिज्‍म और हाइपोथायराइडिज्‍म में अंतर निकालना मुश्किल होता है। अगर परीक्षण के दौरान शिशु में इस प्रकार की थायराइड समस्‍या दिखती है तो कुछ समय तक चिकित्‍सा के बाद यह ठीक हो जाता है।

** हाशीमोटोज थायराइडिटिस

बच्‍चों और किशोरों में थायराइड की यह समस्‍या सबसे ज्‍यादा सामान्‍य है। इसे ऑटोइम्‍न्‍यून (इसमें इम्‍यून सिस्‍टम स्‍वस्‍थ्‍य और बीमार कोशिकाओं में अंतर नहीं कर पाता है) बीमारी भी कहते हैं। बच्‍चों में यह बीमारी 4 साल की उम्र के बाद ही होती है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली थायराइड ग्रंथि को प्रभावित करती है। बच्‍चों में इस समस्‍या का के लक्षण बहुत धीरे-धीरे दिखाई पड़ते हैं। बच्‍चों में ऐसी समस्‍या होने पर थायराइड ग्रंथि अंडरएक्टिव हो जाती है और यह दिमागी विकास को सबसे ज्‍यादा प्रभावित करता है।

** ग्रेव्‍स बीमारियां

य‍ह बीमारियां सामान्‍यत: बच्‍चों और किशोरों में होती हैं। इस बीमारी के होने के बाद थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है। इससे शरीर में ज्‍यादा मात्रा में हार्मोन का निर्माण होता है। जिसके कारण बच्‍चों को हाइपरथायराइडिज्‍म की समस्‍या होती है। इससे कारण बच्‍चों में थकान, चिड़चिड़ेपन की समस्‍या होती है। इसके कारण बच्‍चों का पढ़ाई में बिलकुल मन नहीं लगता।

** माता पिता करें ये काम

अक्‍सर बच्‍चों में थायराइड समस्‍या के लिए माता-पिता ही जिम्‍मेदार होते हैं। अगर गर्भावस्‍था के दौरान मां को थायराइड समस्‍या है तो बच्‍चे को भी थायराइड की समस्‍या हो सकती है। इसके अलावा मां के खान-पान से भी बच्‍चे का थायराइड फंक्‍शन प्रभावित होता है। अगर गर्भावस्‍था के दौरान मां के डाइट चार्ट में आयोडीनयुक्‍त खाद्य-पदार्थों का अभाव है तो इसका असर शिशु पर पड़ता है। वैसे तो बड़ों, किशारों और बच्‍चों में थायराइड समस्‍या के लक्षण सामान्‍य होते हैं। लेकिन अगर बच्‍चों में थायराइड की समस्‍या हो तो उनका शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है। बच्‍चों में अगर थायराइड समस्‍या है तो बच्‍चों के चिकित्‍सक से संपर्क कीजिए।

थायराइड के शुरुआती लक्षणों को पहचान कर शुरू करें इलाज


थाइराइड की समस्या आजकल आम सुनने को मिल रही है। थाइराइड गले में एंडोक्राइन ग्लैंड है जो तितली के आकार जैसी ग्रंथी होती है।यह थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है, इसके असंतुलन के कारण बॉडी की कार्यप्रणाली में बाधा आनी शुरू हो जाती है क्योंकि ग्रंथी शरीर में मेटाबॉलिज्म को संतुलित रखने का काम करती है। इस रोग में बहुत परेशानी होती है, वजन का एकदम से घटना या बढ़ाना,थकावट के अलावा और भी बहुत से लक्षणों से इसे पहचाना जा सकता है। इसके लक्षणो को अगर शुरुआत में ही पहचान लिया जाए तो बढ़ रही परेशानी को समय पर कंट्रोल किया जा सकता है। 

थाइराइड के लक्षण 


1. प्रतिरोधक क्षमता कमजोर

शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर बिना दवाइयों के छोटे-छोटे रोगों से निजात पाना मुश्किल हो जाता है। थाइराइड में प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होनी शुरू हो जाती है। 


2. थकावट महसूस होना

आराम करने के बाद भी थकावट महसूस होना थाइराइड का लक्षण हो सकता है। इसमें शरीर की एनर्जी कम होने लगती है और काम करने में आलस आता है। 


3. बालों का झड़ना

थाइराइड होने पर बाल झड़ने लगते हैं कई बार को भौहों के बाल भी बहुत हल्के हो जाते हैं।


4. कब्ज की परेशानी

इसमें खाना आसानी से पचाने में भी परेशानी होती है। जिससे पेट से संबंधित परेशानियां भी आनी शुरू हो जाती हैं, कब्ज इस रोग में होने वाली आम दिक्कतों में से एक है। लगातार कब्ज हो रही है तो थाइराइड का चेकअप जरूर करवाएं। 


5. त्वचा का रूखापन 

थाइराइड होने पर त्वचा में रूखापन आना शुरू हो जाता है। इस परेशानी में स्किन के ऊपरी हिस्से के सैल्स डैमेज होने लगते हैं। 


6. हाथ-पैर ठंडे रहना 

इस समस्या में हाथ पैर ठंड़े रहने लगते हैं। शरीर का तापमान सामान्य होने पर भी हाथ-पैरों में ठंड़क महसूस होती है। 


7. वजन बढ़ना या घटना

किसी भी बीमारी से पहले शरीर संकेत देने शुरू कर देता है। इसमें वजन एकदम से घटना या बढ़ाना शुरू हो जाता है। 

थायराइड का रामबाण इलाज

थाइराइड रोग में डॉक्टरी इलाज करवाना बहुत जरूरी है लेकिन इसके साथ-साथ आप घरेलू उपाय से इसमें कॉफी फायदा मिलता है। प्याज खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ सेहत के लिए भी बहुत लाभकारी है। इसमें एंटी बैक्टिरियल,एंटी फंगल के अलावा और भी बहुत से जरूरी तत्व होते हैं। 


थाइराइड में इस तरह करें लाल प्याज का इस्तेमाल 

रात को सोने से पहले मध्यम आकार के लाल प्याज को लेकर दो हिस्सों में काट लें। इन कटे हुए हिस्सों को गर्दन में थाइराइड ग्लैंड (Thyroid Gland) के आसपास रगड़ें। इसे रात भर ऐसे ही रहने दें। रोजाना लगातार इसका इस्तेमाल करने से आराम मिलेगा। 

कई कारणों से हो सकती है थायरॉइड नॉड्यूल्स की समस्या, जानिये इसके लक्षण और कारण

थायराइड नोड्यूल इसके किसी भी हिस्‍से में या पूरे ग्रंथि में हो सकता है।इसके कारण गले में सूजन, निगलने और बोलने में होती है समस्‍या।नोड्यूल से थायरॉक्सिन हार्मोन का स्राव ज्‍यादा होने से घटता है वजन।

विश्वभर में थायरॉइड के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसका कारण लोगों में अस्वस्थ खान-पान की आदत और लगातार बढ़ता मोटापा है। थायरॉइड का मु्ख्या कारण शरीर में आयोडिन की कमी और मोटापा है। थॉयराइड रोग कई तरह से लोगों को प्रभावित करता है। गले में होने वाले इस रोग की वजह से कई अन्य रोगों का खतरा बढ़ जाता है। थायरॉइड नॉड्यूल्स, थायरॉइड हार्मोन के कारण होने वाली खतरनाक समस्या है।

थायरॉइड नॉड्यूल्स थायराइड ग्रंथि में असामान्‍य वृद्धि को दर्शाता है। थायरॉइड नॉड्यूल्स इस ग्रंथि के किसी भी हिस्‍से में निकल सकता है। हालांकि कुछ नॉड्यूल को आसानी से पहचान में आ जाते हैं। लेकिन कुछ थायराइड नॉड्यूल ऐसे भी होते हैं जो थॉयराइड ऊतकों में मौजूद होते हैं लेकिन उनकी पहचान आसानी से नहीं की जा सकती है।

थायरॉयड ग्रंथि गले में पायी जाती है, यह ग्रंथि सांस नली और ट्रेकिया के चारों तरफ तितली के आकार में लिपटी होती है। थायराइड नॉड्यूल के कारण थायराइड कैंसर के होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। यदि समय पर इसका निदान न किया जाये तो इसका आकार बढ़ जाता है और यह बाहर से दिखाई देता है। इसके कारण निगलने में दिक्‍कत हो सकती है। आइए हम आपको थायराइड नॉड्यूल के नक्षण और कारण के बारे में बताते हैं।


** थायराइड नॉड्यूल के लक्षण

ज्‍यादातर मामलों में थायराइड नॉड्यूल आसानी से पहचान में नहीं आता और न ही इसके लक्षण दिखाई देते हैं, जब तक इसमें सूजन न आ जाये, सूजन के कारण यह फूलता है, इसके कुछ लक्षण हैं -

इनको सूजन के आधार पर आसानी से देखा जा सकता है।शुरूआत में निगलने में दिक्‍कत होती है जिससे इनको महसूस भी किया जा सकता है।कुछ मामलों में थायराइड नोड्यूल अतिरिक्‍त मात्रा में थायराक्सिन हार्मोन का उत्‍सर्जन करते हैं।थायराइड नॉड्यूल की वजह से अचानक वजन घट सकता है।दिल की धड़कन भी अनियमित हो जाती है, जो कभी कम या ज्‍यादा हो जाती है।इसके कारण बोलने में भी दिक्‍कत हो सकती है, क्‍योंकि यह वॉयस बॉक्‍स (लेरिंक्‍स) को संकुचित कर देता है।रात को सोने में दिक्‍कत होती है, ऐसा थायराइड नोड्यूल के बढ़ने से होता है।मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिसके कारण मरीज को थकान और कमजोरी का एहसास होता है।

** थायराइड नॉड्यूल के कारण

*आयोडीन की कमी

खाने में आयोडीन की कमी के कारण थायराइड नोड्यूल के बढ़ने की संभावना ज्‍यादा होती है। यदि आपके आहार में आयोडीन की मात्रा कम है तो थायराइड ग्रंथि में थायराइड नोडल का विकास हो जाता है। हालांकि इसका मतलब यह नहीं कि आप आयोडीन की कमी केवल नमक से करें, इसके लिए आप आयोडीनयुक्‍त आहार भी खा सकते हैं। सबसे ज्‍यादा आयोडीन समुद्री मछली में पाया जाता है।

* थायराइड ऊतक से

यदि थायराइड ऊतक असामान्‍य रूप से बढ़ जाता है, तब भी थायराइड नोड्यूल की समस्‍या हो सकती है, इस स्थिति को थायराइड एडेनोमा नाम से भी जाना जाता है - हांलाकि आमतौर पर यह नॉनकैंसरस होता है और इसके कारण ज्‍यादा गंभीर समस्‍या नहीं होती है। कुछ एडेनोमा ऐसे भी हैं जो अपने-आप थायराइड हार्मोन का उत्‍सर्जन पिट्यूटरी ग्रंथि के बाहर करते हैं, इसके कारण हाइपरथायराइडिज्‍म की समस्‍या हो सकती है।


* थायराइड सिस्‍ट

तरल पदार्थों से भरी गुहायें (इसे सिस्‍ट भी कहते हैं) थायराइड में समसे सामान्‍य रूप में पायी जाती हैं, इसके कारण ही थायराइड एडीनोमा की स्थिति आती है। कभी-कभी ठोस पदार्थ थायराइड सिस्‍ट में तरल पदार्थों के सा‍थ मिल जाते हैं। हालांकि आमतौर पर अल्‍सर यानी सिस्‍ट सौम्‍य होते हैं, लेकिन कभी-कभी उनके साथ घातक ठोस पदार्थ भी होते हैं।

* थायराइड की सूजन

थायराइड ग्रंथि में जब लंबी अवधि तक सूजन रहती है तब भी थायराइड नोड्यूल होने की संभावना बढ़ जाती है। इस स्थिति को थायराइडिटिस भी कहते हैं। सामान्‍यतया हसीमोटोज एक प्रकार का विकार है, जो थायराइड ग्रंथि में सूजन बढ़ने के कारण होता है और थायराइड ग्रंथि की कार्यक्षमता को कम कर देता है, इसे हाइपोथायराइडिज्‍म कहते हैं।

* थायराइड कैंसर

थायराइड कैंसर में नॉड्यूल के छोटे रहने की ज्‍यादा संभावना रहती है। यदि परिवार में किसी को यह बीमारी हुई तो घर के अन्‍य सदस्‍यों में भी इस बीमारी के होने की संभावना रहती है। यदि आपकी उम्र 30 से 60 के बीच की है तो आपको इसका जोखिम ज्‍यादा होता है।

थयराइड के मरीज को कभी नहीं करना चाहिए इन 5 चीजों का सेवन

थायरॉइड का बढ़ा होना देता है बड़ी दिक्कतमहिलाएं सबसे ज्यादा होती हैं इसकी शिकारवो चीजें न खाएं जिससे और बढ़ जाती है परेशानी

थायरॉइड एक किस्म का हारमोन है। हमारे थायरॉइड ग्लैंड्स शरीर से आयोडीन लेकर इन्हें बनाते हैं। ये हारमोन हमारे मेटाबॉलिज्म को बनाए रखने के लिए जरूरी होते हैं। जब ग्लैंड्स किसी वजह से ज्यादा हारमोन बनाने लगते हैं, तो उसे हम कहते हैं कि थायरॉइड बढ़ गया है। थायरॉइड का बढ़ा होना बड़ी दिक्कत देता है। महिलाएं इसकी सबसे ज्यादा शिकार होती हैं। इससे वजन बढ़ने के साथ ही बेचैनी, ठीक से नींद न आना, पीरियड का टाइम पर न आना, दिल की धड़कन बढ़ना जैसी परेशानियां होने लगती हैं।

इसके इलाज के लिए डॉक्टर से मिलें और वक्त पर दवा लें। यह इतनी बड़ी बीमारी भी नहीं है कि काबू न आ पाए। इसके अलावा आपको इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि ऐसी चीजें न खाएं, जिससे थायरॉइड से पैदा होने वाली परेशानियां और बढ़ जाएं। आइये आपको बताते हैं कि थायरॉइड में किन चीजों से परहेज जरूरी है।

1
कैफीन : कैफीन वैसे तो सीधे थायरॉइड नहीं बढ़ाता, लेकिन ये उन परेशानियों को बढ़ा देता है, जो थायरॉइड की वजह से पैदा होती हैं, जैसे बेचैनी और नींद में खलल। इसलिए आप कॉफी से थोड़ा दूर ही रहें तो ठीक है। 


2
आयोडीन वाला खाना : हमने शुरू में ही बता दिया था कि थायरॉइड ग्लैंड्स हमारे शरीर से आयोडीन लेकर थायरॉइड हारमोन को पैदा करते हैं। ऐसे में जो लोग इसके ज्यादा होने से परेशान हैं, उन्हें ऐसे खाने से परहेज करना चाहिए, जिनमें खूब आयोडीन हो। सी फूड और आयोडीन वाले नमक को अवॉइड करें। 


3
एल्कोहल : एल्कोहल यानी शराब, बीयर आदि शरीर में एनर्जी लेवल को प्रभावित करते हैं। इससे थायरॉइड से ग्रसित लोगों की नींद में दिक्कत की शिकायत और बढ़ जाती है। इसके अलावा इससे ओस्टियोपोरोसिस का खतरा भी बढ़ जाता है। शराब तो किसी के लिए अच्छी नहीं होती। इसकी वजह से मोटापा भी बढ़ता है। 


4
वनस्पति घी : भारत में आमतौर पर हम इसे डालडा घी बोलते हैं। इस घी को दरअसल वनस्पति तेल को हाइड्रोजन में से गुजारकर बनाया जाता है। इस घी का इस्तेमाल खाने-पीने की दुकानों में जमकर होता है। इससे अच्छे कॉलेस्ट्रॉल खत्म होते हैं और बुरे बढ़ते हैं। बढ़े थायरॉइड से जो परेशानियां पैदा होती हैं, ये उन्हेंे और बढ़ा देता है।  


5
रेड मीट : रेड मीट में कॉलेस्ट्रॉल और सेचुरेडेट फैट बहुत होता है। इससे वेट तेजी से बढ़ता है। थायरॉइड वालों का वेट तो वैसे ही आगे की ओर भागता है। इसके अलावा रेड मीट खाने से थायरॉइड के रोगियों को बदन में जलन की शिकायत होने लगती है। आप चिकन वगैरा ले सकते हैं, चिकन की चेस्ट में अच्छा प्रोटीन होता है और उससे फैट बढ़ने की दिक्कत नहीं होती।

बढ़े हुए थायराइड के बारे में पांच बातें जानें

थायराइड ग्रंथि करती है मेटाबॉलिज्‍म को नियंत्रित।इससे बच्‍चों के विकास पर भी पड़ता है बुरा असर।महिलाओं को आता है बहुत अधिक पसीना।थायराइड की अधिकता होने पर जोड़ों में पानी भर जाता है।


थायराइड ग्रंथि कार्टिलेज से ठीक नीचे होती है। इसका काम मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने के लिए हार्मोन बनाना है जो शरीर की सभी कोशिकाओं को नियंत्रित करता है। जब इस ग्रंथि में कोई गड़बड़ी होती है तो इसमें से बहुत अधिक मात्रा में या कुछ कम मात्रा में हार्मोन्स निकलने लगते हैं, जिसकी वजह से थायरॉइड की समस्या शुरू होती है।


थायरॉइड हार्मोन्स जब शरीर में कम काम करे तो उस स्थिति में हाइपोथायरॉइडिज्म की समस्या उत्पन्न होती है।  यह समस्या 20 से 40 आयुवर्ग के लोगों में अधिक होती है। थायराइड से संबंधित समस्याओं में आज न सिर्फ हाइपोथयराइड, हाइपरथायराइड, गॉइटर, थायराइडाइटिस के अलावा थायराइड कैंसर जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं।

** थायराइड के बारे में पांच बातें

1. बहुत से छोटे-छोटे बदलाव आपके शरीर में होते हैं जिनपर वैसे तो ध्यान नहीं जाता। लेकिन जब डॉक्टर इन लक्षणों के आधार पर थायराइड की बीमारी बताता है तो होश उड़ जाते हैं। थायराड के कारण शारीरिक व मानसिक विकास का धीमा पड़ सकता है। 12 से 14 साल के बच्चे की शारीरिक वृद्धि रुक जाती है। 



2. थायरॉइड हार्मोन्स ज्यादा बनने लगता है। धड़कन की गति धीमी पड़ जाती है। जोड़ों में पानी आ जाता है जिससे दर्द होता है और चलने में भी दिक्कत होती है। शरीर में सूजन भी आ जाती है। दूसरों की अपेक्षा अधिक ठंड लगती है।  


3. गर्दन में गांठ, गर्दन के निचले हिस्से में दर्द। बोलने में दिक्कत, सांस लेने व बोलने में दिक्कत जैसी कठिनाइयां। बालों का ज्यादा झड़ना और दर्द होना।


4. भूख पर कंट्रोल नहीं और नींद गायब। कार्यक्षमता कम हो जाती है। मेटाबॉलिक रेट कम हो जाता है। डिप्रेशन महसूस होना। वह बात-बात में भावुक हो उठना, कमजोरी, काम में अरुचि, थकान महसूस होना। बालों का झड़ना और पतला होना, चेहरा सूजा हुआ लगना, रूखी आवाज, बहुत धीरे-धीरे और वक्त लगाकर बात करना।


5. महिलाओं को ऐसे में पसीना अधिक आता है। उनके प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। मासिक धर्म के दौरान अधिक खून जाता है। खून के थक्के अधिक आते हैं। मासिक चक्र नियमित नहीं रहता है। भूख अच्छी लगती है, महिला खूब खाती है, लेकिन मोटापे की शिकार नहीं होती। थोड़े-थोड़े दिनों के अंतराल में दस्त भी आते हैं। ऐसे लक्षण सामने आते हैं जैसे मरीज डरा हुआ है आंखें फटी-फटी प्रतीत होती हैं।

ये 2 तरह के थायराइड होते हैं सबसे ज्यादा भयानक, जानें लक्षण और बचाव

थायरॉइड एक ऐसा रोग है जो लगभग पूरी तरह से हॉर्मोंस पर निर्भर करता है। हमारे थायरॉइड ग्लैंड्स शरीर से आयोडीन लेकर इन्हें बनाते हैं। ये हारमोन हमारे मेटाबॉलिज्म को बनाए रखने के लिए जरूरी होते हैं। अधिकतर महिलाओं की सेहत के प्रति लापरवाह हो जाती हैं और वे थायरॉयड के लक्षणों को मामूली थकान समझकर अनदेखा कर देती हैं, पर ऐसा करना उचित नहीं है क्योंकि भविष्य में इससे कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इस समस्या के बारे में बात करने से पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर थायरॉयड है क्या और यह हमारी सेहत को किस तरह प्रभावित करता है।


थायरॉयड ग्लैंड हमारे गले के निचले हिस्से में स्थित होता है। इससे खास तरह के हॉर्मोन टी-3, टी-4 और टीएसएच (थायरॉयड स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन) का स्राव होता है, जिसकी मात्रा के असंतुलन का हमारी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है। शरीर की सभी कोशिकाएं सही ढंग से काम कर सकें, इसके लिए इन हॉर्मोस की जरूरत होती है। इसके अलावा मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया को नियंत्रित करने में भी टी-3 और टी-4 हॉर्मोन का बहुत बडा योगदान होता है। इसीलिए इनके सिक्रीशन में कमी या अधिकता का सीधा असर व्यक्ति की भूख, वजन, नींद और मनोदशा पर दिखाई देता है।

** क्यों होता है थायराइड

आमतौर पर दो प्रकार की थायरॉयड संबंधी समस्याएं देखने को मिलती हैं। पहले प्रकार की समस्या को हाइपोथॉयरायडिज्म कहा जाता है। इस में थॉयरायड ग्लैंड धीमी गति से काम करने लगता है और यह शरीर के लिए आवश्यक हॉर्मोन टी-3, टी-4 का निर्माण नहीं कर पाता, लेकिन शरीर में टीएसएच का स्तर बढ जाता है। दूसरी ओर हाइपर थायरॉयडिज्म की स्थिति में थॉयरायड ग्लैंड बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाता है। इससे टी-3 और टी-4 हॉर्मोन अधिक मात्रा में निकल कर रक्त में घुलनशील हो जाता है और टीएसएच का स्तर कम हो जाता है। अब तक हुए रिसर्च में यह पाया गया है कि किसी भी देश की कुल आबादी में से 4 से 10 प्रतिशत लोगों को हाइपोथायरॉयडिज्म और मात्र 1 प्रतिशत लोगों को हाइपरथायरॉयडिज्म की समस्या होती है। ये दोनों ही स्थितियां सेहत के लिए नुकसानदेह हैं। पुरुषों की तुलना में स्त्रियों को यह समस्या ज्यादा परेशान करती है।


** ये हैं 4 बड़े कारण

इस समस्या के सही कारणों के बारे में डॉक्टर और वैज्ञानिक अभी तक किसी खास निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए हैं क्योंकि यह सर्दी-जुकाम की तरह संक्रामक बीमारी नहीं है, न ही इसका संबंध खानपान, प्रदूषण और जीवनशैली आदि से है। चिकित्सा विज्ञान की शब्दावली में इसे ऑटो इम्यून डिजीज कहा जाता है। अर्थात थायरॉयड ग्लैंड से निकलने वाले टी-3, टी-4 हॉर्मोंस और टीएसएच हॉर्मोस के असंतुलन की वजह से शरीर के भीतर अपने आप इसके लक्षण पनपने लगते हैं।

* हाइपो-थायरॉयडिज्म के लक्षण

एकाग्रता में कमी, व्यवहार में चिडचिडापन और उदासी, सर्दी में भी पसीना निकलना, अनावश्यक थकान एवं अनिद्रा, तेजी से वजन बढना, पीरियड में अनियमितता, कब्ज, रूखी त्वचा एवं बालों का तेजी से गिरना, मिसकैरेज या कंसीव न कर पाना, कोलेस्ट्रॉल बढाना, हृदय की कार्य क्षमता में कमी, शरीर और चेहरे पर सूजन आदि।

* रोग के बचाव एवं उपचार

अगर कोई समस्या न हो तो भी हर स्त्री को साल में एक बार थायरॉयड की जांच जरूर करवानी चाहिए।अगर कभी आपको अपने भीतर ऐसा कोई भी लक्षण दिखाई दे तो हर छह माह के अंतराल पर थायरॉयड टेस्ट करवाने के बाद डॉक्टर की सलाह पर नियमित रूप से दवा का सेवन करें। इससे शरीर में हार्मोस का स्तर संतुलित रहता है।कंसीव करने से पहले हर स्त्री को थायरॉयड की जांच करवा के उसके स्तर को नियंत्रित करने की कोशिश करनी चाहिए। गर्भावस्था में इसकी गडबडी से एनीमिया, मिसकैरेज, जन्म के बाद शिशु की मृत्यु और शिशु में जन्मजात मानसिक दुर्बलता की आशंका बनी रहती है।जन्म के बाद तीसरे से पांचवें दिन के भीतर शिशु का थायरॉयड टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।

* हाइपर-थायरॉयडिज्म के लक्षण

वजन घटना, तेजी से दिल धडकना, लूज मोशन, ज्यादा गर्मी लगना -हाथ-पैर कांपना, चिडचिडापन और अनावश्यक थकान, पीरियड में अनियमितता आदि

* क्या है उपचार

अगर किसी स्त्री को ऐसी समस्या हो तो डॉक्टर से सलाह के बाद नियमित रूप से दवाओं का सेवन करना चाहिए। अगर समस्या ज्यादा गंभीर हो तो उपचार के अंतिम विकल्प के रूप में आयोडीन थेरेपी का या सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है।चाहे हाइपो हो या हाइपरथायरॉयडिज्म दोनों ही स्थितियां सेहत के लिए बेहद नुकसानदेह साबित होती है। इसलिए नियमित जांच और दवाओं का सेवन बेहद जरूरी है।




थायरॉइड ग्रंथि को खराब कर देता है हाशीमोटोज रोग, जानिए क्या हैं इसके लक्षण

इस रोग के लक्षण पहचानना होता है मुश्किल।बच्चों को भी होता है हाशीमोटोज रोग का खतरा।बाहरी नहीं शरीर में ही मौजूद होता है इस रोग का कारण।

क्या आप दिनभर थकान महसूस करते हैं? क्या आपका वजन तेजी से बढ़ रहा है या आपके बाल तेजी से झड़ना शुरू हो गए हैं? अगर ऐसा है तो ये आपके थायरॉइड ग्लैंड में आई खराबी की वजह से हो सकता है। थायरॉइड एक तेजी से बढ़ती हुई बीमारी है, जिससे दुनियाभर में करोड़ों लोग प्रभावित हैं। ये रोग महिलाओं को ज्यादा होता है। थायरॉइड हमारे शरीर की एक महत्वपूर्ण ग्रंथि है जो हमारे शरीर में कुछ महत्पूर्ण हार्मोन्स का उत्सर्जन करती है।

थायरायड ग्रंथि गर्दन में श्वास नली के ऊपर, वोकल कॉर्ड के दोनों ओर दो भागों में बनी होती है। ये तितली के आकार की होती है। थायराइड ग्रंथि थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है। इस हार्मोन से शरीर की एनर्जी, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन्स के प्रति होने वाली संवेदनशीलता कंट्रोल होती है। ये ग्रंथि शरीर में मेटाबॉलिज्म की ग्रंथियों को भी कंट्रोल करती है। थायरॉइड होने पर आपको एक और गंभीर बीमारी का खतरा हो जाता है जिसे हाशीमोटोज रोग कहते हैं।

** क्या है हाशीमोटोज रोग

हाशीमोटोज रोग एक ऐसा रोग है जिसमें आपका इम्यून सिस्टम ही आपके थॉयराइड को नुकसान पहुंचाता है। हाशीमोटोज रोग के कारण थायरॉइड में होने वाली सूजन को मेडिकल की भाषा में क्रॉनिक लिम्फोसाइटिक थायरॉइडिटिस कहते हैं। ये रोग हाइपोथायरॉइडिज्म का मुख्य कारण है। आमतौर पर इस रोग का खतरा सबसे ज्यादा बड़ी उम्र की औरतों को होता है मगर ये पुरुषों के साथ-साथ छोटे बच्चों में भी पाया जाता है। इस रोग का इलाज आसान है और थायरॉइड के इलाज के साथ ही इसका इलाज भी किया जा सकता है।

* क्या हैं इस रोग के लक्षण

शुरुआत में इस रोग में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं इसलिए इसे पहचानना मुश्किल होता है। आमतौर पर हाशीमोटोज रोग होने पर गले में सूजन आ जाती है और लोग इसे घेंघा समझ लेते हैं। हाशीमोटोज रोग धीरे-धीरे बढ़ता है और थायरॉइड ग्रंथि को नुकसान पहुंचाता जाता है। जैसे जैसे आपकी थायरॉइड ग्रंथि प्रभावित होती है उसमें हार्मोन्स का उत्पादन कम होता जाता है और आपके ब्लड में थायरॉइड हार्मोन्स की कमी होने लगती है। आमतौर पर इस रोग के लक्षण इस प्रकार हैं।

दिनभर थकान महसूस होनासामान्य तापमान में भी ठंड महसूस करनाकब्ज की समस्यात्वचा का पीला और सूखा हो जानासोने से उठने के बाद चेहरे पर सूजन आनाबालों का तेजी से झड़ने लगनाअचानक से बिना प्रयास वजह बढ़ने लगनामांसपेशियों में दर्द की समस्याजोड़ों में दर्द और सूजन की समस्यापीरियड्स के दौरान ज्यादा मात्रा में खून निकलनाचीजों को जल्दी भूलनाडिप्रेशन की समस्या

* क्यों होता ये रोग

हाशीमोटोज रोग एक आटोइम्यून रोग है यानि इम्यून सिस्टम में खराबी की वजह से ये रोग शरीर में ही पनपता है और इसका कारण भी बाहरी न होकर आपका अपना शरीर होता है। दरअसल कई बार इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी की वजह से हमारे शरीर में जो एंटीबॉडीज बनते हैं, वो बाहर निकलने के बजाय थायरॉइड ग्लैंड को नुकसान पहुंचाने लगते हैं। कुछ बाहरी वायरस और बैक्टीरिया इस रोग की गंभीरता को बढ़ा सकते हैं। इस रोग का कारण कई बार अनुवांशिक भी होता है।

* बच्चे को भी होता है इस रोग का खतरा

आजकल थायराइड जैसी गंभीर बीमारी का शिकार कम उम्र के बच्चे भी हो रहे हैं जिसकी वजह से उनका शारीरिक और मानसिक विकास रुक जाता है। इससे बचाव के लिए बच्चों को बचपन से ही नियमित व्यायाम, योग और प्रणायाम की आदत डालें। सिर्फ पढ़ते रहने, टीवी देखने, गेम खेलने या लेटे रहने के बजाय बच्चों को बाहर निकलने और थोड़ा खेलने के लिए प्रेरित करें। अगर बच्चा बचपन से शारीरिक मेहनत नहीं करेगा तो आगे चलकर उसे थायराइड, डाइबिटीज, ओबेसिटी, बल्ड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार बनना पड़ सकता है।

आपके आसपास मौजूद इन 10 चीजों के इस्तेमाल से बढ़ता है थायरॉइड रोग का खतरा

खुद को स्वस्थ रखने के लिए टॉक्सिन से बचें।प्लास्टिक की बोतल में कोई भी पेय ना लें।पेस्टीसाइड थायराइड ग्रंथि पर असर डालता है।

थायरॉइड की समस्या इस समय बहुत तेजी से बढ़ रही है। पुरुषों से ज्यादा महिलाएं इस रोग का शिकार हो सकती हैं। वैसे तो थायरॉइड रोग अनुवांशिक होता है और माता-पिता द्वारा बच्चों में आता है या शरीर में आयोडिन की कमी से भी ऐसा हो जाता है। मगर कई बार आपके आस-पास मौजूद चीजें थायरॉइड के रोग को बढ़ाने में मदद करती हैं। जी हां! आपके आस-पास मौजूद बहुत सी चीजों में कुछ ऐसे हानिकारक टॉक्सिन्स होते हैं जो थायरॉइड की समस्या को बढ़ाते हैं। आइये आपको बताते हैं उन टॉक्सिन्स के बारे में और वो जहां मौजूद होते हैं उस जगह के बारे में।


1
परकोलोरेट्स
सीडीसी के अनुसार हम में से लगभग सभी लोगों के शरीर में परकोलोरेट्स पाया जाता है। परकलोरेट्स वह है जो रॉकेट, जेट फ्यूल और कार एयर बैग्स को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। यह टॉक्सिन हमारे पीने के पानी और खाने में भी पाया जाता है। सीडीसी के अध्ययन के मुताबिक यह टॉक्सिन थायराइड ग्रंथि को प्रभावित कर लो थायराइड के लक्षणों को पैदा करता है।


2
पीसीबी एस
पोलीक्लोरीनेटेड बाइफिनायल एक औद्योगिक रसायन है जो कि 1970 से बैन है लेकिन फिर भी आज उसके नमूने हमारे वातावरण मिलते हैं। ऐसा देखा गया है कि पीसीबी थायराइड उत्तेजक हार्मोन के स्तर को बढ़ाता है जिससे थायराइड ग्रंथि की क्रियाशीलता कम हो जाती है। इस टॉक्सिन के कारण हमारे लिवर के एंजाइम भी प्रभावित होते हैं।  


3
डॉयक्सिन
पीसीबीएस और डॉयक्सिन को हार्मोन ग्रंथि के लिए रुकावट पैदा करने वाला माना जाता है। इसके अलावा डॉयक्सिन, एजेंट ऑरेंज का प्राइमरी टॉक्सिन घटक है। एजेंट ऑरेंज की के कारण थायराइड संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं।


4
सोया  
सोया के सेवन से थायराइड ग्रंथि की सामान्य क्रियाओं पर खास असर पड़ता है। सोया उत्पादों का जरूरत से ज्यादा प्रयोग भी थायराइड का कारण हो सकता है। यह उस प्रक्रिया को रोक देता है जिससे आयोडीन थायराइड हार्मोन में बदलता है। शोधों में भी पाया गया है कि जिन नवजात शिशुओ को सोया से बना दूध दिया जाता है उनमें आगे चलकर थायराइड की समस्या हो सकती है।


5
पेस्टीसाइड्स
पेस्टीसाइड्स के कारण थायराइड की समस्या होने का खतरा बना रहता है। जो लोग अपने रोजमर्रा के कामों में पेस्टीसाइड्स का प्रयोग करते हैं वे अन्य लोगों के मुकाबले थायराइड की समस्या से जल्दी ग्रस्त होते हैं क्योंकि यह थायराइड ग्रंथियों से निकलने वाले हार्मोन के निर्माण पर असर डालता है।

6
फ्लेम रीटारडैंटस
फ्लेम रिटारडैंटस व पॉलीब्रोमानिटेड डाइ फिनायल ईथर (पीबीडीई एस) यह टॉक्सिन थायराइड ग्रंथि की क्रियाओं में बाधा पहुंचाता है। यह रसायन आपके फर्नीचर के गद्देदार हथ्थों , कंप्यूटर स्क्रीन और टीवी स्क्रीन पर पाए जाते हैं।


7
प्लास्टिक
यूनिवर्सिटी ऑफ कोपहेगन में किए गए अध्ययन के मुताबिक प्लास्टिक हमारे शरीर के लिए बहुत नुकसानदेह है। प्लास्टिक की बोतल से किसी भी प्रकार का पेय पीने से हमारे शरीर में जहरीले रसायन का प्रवेश हो जाता है। नल के पानी को सुरक्षित बनाने के लिए एक ऐन्टमोनी लेवल सेट किया जाता है जिसके बाद ही पानी को पीने योग्य माना जाता है। शोध के मुताबिक प्लास्टिक की बोतल में जूस या फ्रूट ड्रिंक का ऐन्टमोनी लेवल नल के पानी के मुकाबले 2.5 गुना ज्यादा था जो कि थायराइड ग्रंथि के रोगों को बढ़ा सकता है।


8
पीएफओए
पीएफओए एक प्रकार का रसायन है जो कि खाना पकाने वाले बर्तनों पर लगाया जाता है, खाना पैक करने वाले कागजों और अन्य चीजों में पाया जाता है। यह थायराइड ग्रंथि की क्रियाओं को प्रभावित करता है जिसकी वजह से थायराइड के लक्षण दिखाई देते हैं।


9
हैलोजेन
फ्लूयोराइड और क्लोराइड के कारण शरीर में आयोडीन की मात्रा नहीं पहुंच पाती है और थायराइड हार्मोन को सक्रिय रखने वाले टी4 और टी3 से से संपंर्क खत्म हो जाता है। ये हैलोजेन आपके खाने, पानी,  दवाओं या वातावरण में मौजूद होते हैं क्योंकि यह दिखने में आयोडीन की तरह होते हैं तो यह आयोडीन के घटको की जगह लेकर शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।


10
भारी धातु
मरकरी, लेड और एल्मुनियिम शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए खतरनाक हो सकते हैं साथ ही यह थायराइड के स्थिति को पैदा करता है। यह पूरी तरह से जहरीला नहीं होता है लेकिन शरीर में इसकी मात्रा का पता ब्लड टेस्ट या यूरीन टेस्ट  के जरिए लगाया जा सकता है।


11
एंटीबैक्टेरियल उत्पाद
ट्राइक्लोजन एक एंटीबैक्टेरियल तत्व है जो साबुन, लोशन और टूथपेस्ट में पाया जाता है। शोधों के मुताबिक इनकी थोड़ी मात्रा शरीर के लिए सुरक्षित है लेकिन ज्यादा मात्रा थायराइड ग्रंथि की क्रियाओं को नुकसान पहुंचाती हैं। यह हार्मोन को डिस्टर्ब करने का काम करते हैं जो शरीर के लिए नुकसानदेह होता है

इन 5 तरीकों से रखें थायरॉइड को स्‍वस्‍थ, नहीं होंगी ये 10 बीमारियां


थायरॉइड एक धनुष के आकार की ग्रंथि है जो आपकी गर्दन में स्थित होता है।जो मेटाबॉलिज्‍म, शरीर के वजन, ऊर्जा को विनियमित करने के लिए हार्मोन जारी करता है।थायरॉइड समस्‍याओं का मुख्‍य कारक मोटापा हो सकता है।

दुनिया भर में हर साल 25 मई को विश्व थायरॉइड दिवस मनाया जाता है। थायरॉइड एक धनुष के आकार की ग्रंथि है जो आपकी गर्दन में स्थित होता है। जो मेटाबॉलिज्‍म, शरीर के वजन, ऊर्जा और भोजन के मेटॉबॉलिज्‍म को विनियमित करने के लिए आवश्यक हार्मोन जारी करता है। एक स्वस्थ थायरॉइड आपके शरीर के वजन और ऊर्जा के स्तर के साथ जांच में आपके मेटाबॉलिज्‍म को रखता है।

थायरॉइड विकार जैसे हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायरॉइड ग्रंथि) और हाइपरथायरायडिज्म (अति सक्रिय थायरॉइड ग्रंथि) स्‍वप्रतिरक्षी समस्याओं, हार्मोनल असंतुलन, तनाव, पारिवारिक इतिहास और बैक्‍टीरियल इनफ्लामेशन के कारण होता है। हालांकि, थायरॉइड विकारों को स्‍वस्‍थ रखा जा सकता है। हाइपोथायरायडिज्म की वजह से वजन बढ़ सकता है तो वहीं दूसरी ओर एक अति सक्रिय थायरॉइड ग्रंथि वजन घटाने का भी काम करती है।

हालांकि यह दोनों स्थितियां स्‍वास्‍थ्‍य के लिए सही नहीं है। विशेषज्ञों के मुताबिक थायरॉइड विकार काफी आम हैं जिसकी संभावना हमारे जीवन में 30% तक होती है। और इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका, स्वस्थ थायरॉइड को बनाए रखना है। आज हम आपको 5 ऐसे टिप्‍स बता रहे हैं जिसके माध्‍यम से आप अपने थायरॉइड को स्‍वस्‍थ बनाए रख सकते हैं।

1: संतुलित आहार

थायरॉइड को स्वस्थ बनाए रखने के लिए सबसे जरूरी है संतुलित आहार। क्‍योंकि आपकी स्‍वा-प्रतिरक्षी प्रणाली का 70% आपकी आंतों पर निर्भर होता है और इस तरह हम कह सकते हैं कि एक अस्वास्थ्यकर आहार आपके थायराइड की सामान्य कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है। आंतों में सूजन थायराइड की समस्याओं का कारण बन सकती है। इस तरह की किसी भी समस्‍या को रोकने के लिए संतुलित आहार का होना जरूरी है। रोजाना 4 से 5 प्रकार की सब्जियां और 3 से 4 तरह के फल का सेवन जरूर करना चाहिए। इसके अलावा लीन प्रोटीन के तौर पर चिकन या सॉल्‍मन का सेवन कर सकते हैं। इसके साथ हेल्‍दी ऑयल जैसे जैतून का तेल, नट बटर, एवोकाडो का सेवन करने से थायरॉइड स्‍वस्‍थ रहता है।


2: प्रोसेस्‍ड फूड से बनाएं दूरी

एक संतुलित आहार में प्रोसेस्‍ड फूड को शामिल नहीं किया जा सकता है। ऐसे खाद्य पदार्थ जिनमें चीनी, रंग, कृत्रिम स्वाद और स्वीटर्स शामिल हैं उन्‍हें आहार में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा, वसा मुक्त, चीनी मुक्त और कम वसा वाले खाद्य पदार्थों से बचा जाना चाहिए। इन खाद्य पदार्थों को ज्‍यादा खाने से पेट में इंफ्लामेशन या सूजन होने की समस्‍या बढ़ सकती है, जोकि आपके थायरॉइड के लिए ठीक नहीं है।

3: मोटापे से बचें

थायरॉइड समस्‍याओं का मुख्‍य कारक मोटापा हो सकता है। इसलिए एक स्‍वस्‍थ थायराइड के लिए मोटापे से दूर रहें। अध्ययनों से पता चलता है कि 40 बीएमआई वाले या उससे अधिक लोगों के पास थोड़ा कम थायरॉइड फ़ंक्शन होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि मोटापे के पास थायराइड की समस्याओं के साथ स्पष्ट संबंध नहीं है लेकिन यह थायराइड से संबंधित विकारों के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान कारक हो सकता है। इसलिए, आपको अपने आहार सही रखने चाहिए, जिससे वजन नियंत्रित रहे।


4: हार्मोन का संतुलन  

विशेषज्ञों को संदेह है कि गर्भवती और रजोनिवृत्ति महिलाएं हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण थायराइड की समस्याओं से अधिक प्रभावित होती है। यह मुख्य रूप से एस्ट्रोजन उतार-चढ़ाव के कारण होता है। गर्भवती महिलाओं में एस्ट्रोजेन वृद्धि होती है और रजोनिवृत्ति महिलाओं में गिरावट देखने को मिलता है। तो आप अपनी प्रसूतीरोग विशेषज्ञ से सलाह लें और देखें कि आपका हार्मोन संतुलित है या नहीं।

5: आयो‍डीन लेवल को करें मेनटेन

अक्‍सर आयो‍डीन की कमी से थायरॉइड की समस्‍या उत्‍पन्‍न होती है। उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं ये समस्‍या आम है। समुद्री भोजन, क्रूसिफेरस सब्जियों जैसे आयोडीन समृद्ध खाद्य पदार्थों का सेवन करें। समुद्री नमक के बजाय आयोडीनयुक्त नमक का चयन करें। हालांकि, आपको अपने डॉक्टर से यह जांचना होगा कि आपको कितना खाना चाहिए।


अंत में सबसे जरूरी जानकारी यह है कि, थायरॉइड को स्‍वस्‍थ रखने के लिए व्‍यायाम बहुत जरूरी है। उम्र बढ़ने के साथ आपका मेटाबॉलिज्‍म स्‍लो हो जाता है। इसे सही रखने का सबसे अच्‍छा तरीका है कि आप एक्‍सरसाइज करें। इससे आपका थायरॉइड हमेशा स्‍वस्‍थ रहेगा।


आपके थायरॉइड को नुकसान पहुंचाती हैं अंजाने में की गई ये 6 गलतियां



वजन घटाने के लिए कभी भी खाना या नाश्ता नहीं छोड़ना चाहिए।कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन पूरी तरह बंद करना हो सकता है खतरनाक।कुछ खास सब्जियां भी थायरॉइड को पहुंचाती हैं नुकसान।


आपकी थायरॉइड ग्रंथि आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यही ग्रंथि आपके शरीर के मेटाबॉलिज्म, हार्मोनल बदलावों और एनर्जी को कंट्रोल करती है। थायरायड ग्रंथि गर्दन में श्वास नली के ऊपर, वोकल कॉर्ड के दोनों ओर दो भागों में बनी होती है। ये तितली के आकार की होती है। थायराइड ग्रंथि थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है। 

थायरायड को कुछ लोग साइलेंट किलर मानते हैं क्योंकि इसके लक्षण बहुत देर में पता चलते हैं। आमतौर पर महिलाएं इस रोग का ज्यादा शिकार होती हैं।

हमारे खान-पान का असर हमारे शरीर पर पड़ता है। आपके खान-पान की ऐसी कई आदतें हैं, जो आपकी थायरॉइड ग्रंथि को नुकसान पहुंचाती हैं और इसकी वजह से आप थायरॉइड रोग का शिकार हो सकते हैं।


** थायरॉइड के लिए नुकसानदायक है नाश्ता या खाना छोड़ देना


थायरॉइड रोग के कारण कई बार शरीर का वजन बढ़ने लगता है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप खाना या नाश्ता छोड़ देंगे। जब आप एक तय समय तक खाना या नाश्ता नहीं करते हैं, तो आपका ब्रेन आपके थायरॉइड को ऊर्जा बचाकर रखने के संकेत भेजता है। इस कारण आप थके हुए लगते हैं और आपके चेहरे का तेज भी गायब हो जाता है। नाश्ता या खाना छोड़े देने से आपका वजन और ज्यादा बढ़ेगा क्योंकि अगली बार जब आप खाना खाएंगे, तो आपका शरीर सबसे पहले अनहेल्दी कोलेस्ट्रॉल को स्टोर कर लेगा ताकि वो इमरजेन्सी के समय आपके बॉडी फैट को तोड़कर ऊर्जा बना सके।


** कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन न करना


लोगों का ऐसा मानना है कि कार्बोहाइड्रेट के सेवन से वजन बढ़ता है इसलिए कुछ लोग वजन बढ़ने के डर से कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन बिल्कुल बंद कर देते हैं। मगर ये आपकी थायरॉइड ग्रंथि के लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि कार्बोहाइड्रेट्स आपके शरीर में ईंधन यानि फ्यूल का काम करते हैं। इसलिए कार्बोहाइड्रेट्स की खुराक कम की जा सकती है मगर बिल्कुल नहीं छोड़ना चाहिए।


** ग्लूटेन वाले आहारों का सेवन


अगर आप ग्लूटेन वाले आहारों का सेवन ज्यादा करते हैं, तो आपको हाशीमोटोज रोग हो सकता है, जो कि थायरॉइड से ही जुड़ा गंभीर रोग है। ग्लूटेन वाले आहारों में गेंहूं का आटा, पास्ता, ब्रेड्स, बिस्किट्स, सीजनिंग्स और कई तरह के मसाले, बाजरा, चिकन, नूडल्स, बर्गर, पिज्जा, सोया सॉस आदि शामिल हैं।


** कुछ खास सब्जियों का ज्यादा सेवन

सब्जियों का सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है क्योंकि इनमें ढेर सारे मिनरल्स, विटामिन्स और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं। मगर कुछ खास सब्जियों के ज्यादा सेवन से भी आपके थायरॉइड को नुकसान पहुंच सकता है जैसे- बंद गोभी, पत्ता गोभी, ब्रॉकली आदि। इनके ज्यादा सेवन से थायरॉइड ग्लैंड बढ़ सकता है और गर्दन में सूजन आ सकती है। हालांकि सप्ताह में एक-दो बार इनके सेवन से कोई नुकसान नहीं है।


** आयोडिन का सेवन कम करना

आयोडिन की कमी से भी थायरॉइड रोग हो सकता है। शरीर को आयोडिन की जरूरत बहुत कम मात्रा में होती है। आयोडिन की कमी पूरी करने के लिए आप इसका सप्लीमेंट ले सकते हैं मगर अगर आपको हाशीमोटोज रोग है, तो सप्लीमेंट्स का बहुत कम सेवन करना चाहिए। आयोडिन की कमी पूरी करने के लिए आप ऑर्गेनिक योगर्ट, समु्द्री भोजन, केनबेरी और स्ट्राबेरी खा सकते हैं।


** आर्टिफिशियल स्वीटनर

कई लोग वजन कम करने के लिए आर्टिफिशियल शुगर का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि उनमें व्हाइट शुगर की अपेक्षा कैलोरीज कम होती हैं। मगर आपको बता दें कि आर्टिफिशियल शुगर के सेवन से आपकी थायरॉइड ग्रंथि पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए इसकी जगह आप शहद, मेपल सिरप या ब्राउन शुगर का प्रयोग करें।


पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां : थायराइड, मोटापा, जोड़ों के दर्द, सर्वाइकल


पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां 

इस लेख में पतंजलि आयुर्वेद में विभिन्न रोगों की चिकित्सा के लिए उपलब्ध दवाओ की जानकारी दी गयी है | साथ ही यह भी बताया गया है की इन औषधियों का सेवन कैसे करें और क्या परहेज रखें | इस लेख में निम्नलिखित बीमारियों के लिए आयुर्वेदिक औषधियां बताई गई है |

थायराइडमोटापाअस्थिशूल, सन्धिशूल, जोड़ों के दर्दकटिशूल रोग (Cervical spondylosis, Sciatica)अस्थिसुषिरता रोग (Osteoporosis)अर्दित (Facial/Bell’s palsy Treatment)आमवात (Rheumatism)वातरक्त (Gout)

गलगण्ड (घेंघा ) तथा थायराइड की चिकित्सा के लिए उपलब्ध पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां :

Patanjali ayurvedic medicine
दिव्य सर्वकल्प क्वाथ – 200 ग्रामदिव्य मुलेठी क्वाथ – 100 ग्राम

दोनों औषधियों को मिलाकर 1 चम्मच की मात्रा में लेकर 400 मिली पानी में पकाएं और 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रात:, सायं खाली पेट पियें।

दिव्य त्रिकटु चूर्ण – 50 ग्रामदिव्य प्रवाल पिष्टी – 10 ग्रामदिव्य गोदन्ती भस्म 10 ग्रामदिव्य बहेड़ा चूर्ण – 20 ग्रामदिव्य शिलासिन्दूर – 2 ग्रामदिव्य ताम्र भस्म – 1 ग्रामदिव्य मुक्ता पिष्टी – 4 ग्राम
सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़ियां बनाएं। प्रात: नाश्ते एवं रात्रि को भोजन से आधा घण्टा पहले जल/शहद/ मलाई से सेवन करें।
दिव्य कांचनार गुग्गुलु –60 ग्रामदिव्य वृद्धिवाधिका वटी – 40 ग्रामदिव्य आरोग्यवर्धिनी वटी – 40 ग्राम
तीनों में से 1-1 गोली दिन में तीन बार प्रात: नाश्ते, दोपहर-भोजन एवं सायं भोजन के आधे घण्टे बाद सुखोष्ण (गुनगुने) जल से सेवन करें।
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थायराइड के लिए योग और उन्हें करने की विधिथायराइड में क्या खाएं और क्या न खाएं
मोटापे रोग की चिकित्सा के लिए उपलब्ध पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां :


Patanjali Yog peeth medicines for Obesity

दिव्य सर्वकल्प क्वाथ – 200 ग्रामदिव्य कायाकल्प क्वाथ – 200 ग्रामदिव्य त्रिफला चूर्ण  – 100 ग्राम
सभी औषधियों को मिलाकर 1 चम्मच की मात्रा में लेकर 400 मिली पानी में पकाए और 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रात:, सायं खाली पेट पिएं।
दिव्य मेदोहर वटी – 5O ग्राम
2–2 गोली प्रात: व सायं भोजन के 1 घण्टा पहले सुखोष्ण (गुनगुने) जल से सेवन करें।
दिव्य त्रिफला गुग्गुलु – 6O ग्रामदिव्य आरोग्यवर्धिनी वटी – 60 ग्राम
2–2 गोली प्रात: व सायं भोजन के बाद गुनगुने जल से सेवन करें।

दिव्य गोधन अर्क – 20 मिलीदिव्य घृतकुमारी स्वरस- 20 मिली

प्रात: व सायं खाली पेट सेवन करें। नोट- मेदोहर दलिया का सेवन करें।

वजन कम करने के 20 घरेलू उपाय तथा नुस्खेमोटापा कम करने के उपाय-Get Rid of Obesity

(अस्थिवह-स्रोत की व्याधियां अस्थिवह-स्रोत का मूल- मेद व जघन है। अस्थिवह-स्रोत की व्याधियांसन्धिवात, अधिदन्त, अस्थिभेद, अस्थिशूल, केश, लोम, नख का गिरना इत्यादि।)
अस्थिशूल, सन्धिशूल, जोड़ों के दर्द की चिकित्सा के लिए उपलब्ध पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां

Patanjali Yog peeth medicines for Joint pain

दिव्य पीड़ान्तक क्वाथ – 200 ग्रामदिव्य दशमूल क्वाथ – 100 ग्राम
दोनों औषधियों को मिलाकर 1 चम्मच (लगभग 5-7 ग्राम) की मात्रा में लेकर 400 मिली पानी में पकाएं और 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रात:, सायं खाली पेट पिएं।
दिव्य महावातविध्वंसन रस – 5 ग्रामदिव्य स्वर्णमाक्षिक भस्म – 5 ग्रामदिव्य प्रवालपिष्टी – 10 ग्रामदिव्य गोदन्ती भस्म -10 ग्राम
सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़ियां बनाएं। प्रात: नाश्ते एवं रात्रि-भोजन से आधा घण्टा पहले जल/शहद/मलाई से सेवन करें। अत्यधिक पीड़ा होने पर 1-2 ग्राम बृहत् वातचिन्तामणि रस पुड़िया में मिला लेने से पीडा में तुरन्त लाभ होता है।

दिव्य योगराज गुग्गुलु – 60 ग्रामदिव्य पीड़ान्तक वटी – 40 ग्रामदिव्य चन्द्रप्रभावटी – 60 ग्राम
1-1 गोली दिन में 3 बार प्रात: नाश्ते, दोपहर-भोजन एवं रात्रि-भोजन के आधे घण्टे बाद गुनगुने जल से सेवन करें।
दिव्य वातारि चूर्ण – 100 ग्राम
आधा-आधा चम्मच, भोजन के बाद गुनगुने जल से सेवन करें।
दिव्य पीड़ान्तक तैल – 100 मिली
दिन में 2 से 3 बार दर्द के स्थान पर मालिश करें। पीडान्तक बाम या जैल भी लगा सकते हैं। नोट-रोगी तथा रोग की अवस्थानुसार 1-1 चम्मच अजमोदादि चूर्ण का प्रयोग भी किया जा सकता है।

कटिशूल रोग की चिकित्सा के उपचार के लिए उपलब्ध पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां 

Patanjali Yog peeth medicines for Cervical spondylosis, Sciatica Treatment
दिव्य दशमूल क्वाथ – 200 ग्रामदिव्य पीड़ान्तक क्वाथ – 100 ग्राम
दोनों औषधियों को मिलाकर 1 चम्मच (लगभग 5-7 ग्राम) की मात्रा में लेकर 400 मिली पानी में पकाएं और 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रात:, सायं खाली पेट पिएं। (निर्गुण्डी तथा हरसिंगार के 3-4 पत्तों को काढ़े के साथ मिलाकर देने से विशेष लाभ होता है।)

दिव्य एकांगवीर रस – 10 ग्रामदिव्य स्वर्णमाक्षिक भस्म -5 ग्रामदिव्य प्रवाल पिष्टी – 10 ग्रामदिव्य गोदन्ती भस्म – 10 ग्राम
सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़िया बनाएं, प्रात: नाश्ते एवं रात्रि-भोजन से आधा घण्टा पहले जल/शहद से सेवन करें। अत्यधिक पीड़ा होने पर बृहत् वातचिन्तामणि रस को 1 से 2 ग्राम पुडिया में मिला लेने से पीड़ा में तत्काल लाभ होता है।
दिव्य त्रयोदशांग गुग्गुलु — 60 ग्रामदिव्य पीड़ान्तक वटी – 40 ग्रामदिव्य शिलाजीत रसायन – 40 ग्राम
1-1 गोली दिन में 3 बार प्रात: नाश्ते, दोपहर-भोजन एवं सायं भोजन के आधे घण्टे बाद सुखोष्ण (गुनगुने) जल से सेवन करें। अधिक पीड़ा होने पर विषतिन्दुक वटी की (1–1 गोली) प्रात: एवं सायं सेवन करने से विशेष लाभ होता है।
दिव्य पीड़ान्तक तैल – 100 मिली
पीड़ायुक्त स्थान पर मालिश करें।

अस्थिसुषिरता रोग की चिकित्सा के उपचार के लिए उपलब्ध पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां 
Patanjali Yog peeth medicines for Osteoporosis
दिव्य गिलोय सत् – 10 ग्रामदिव्य स्वर्णमाक्षिक भस्म – 5 ग्रामदिव्य प्रवाल पिष्टी – 10 ग्रामदिव्य गोदन्ती भस्म – 10 ग्रामदिव्य मुक्ताशुक्ति – 10 ग्रामदिव्य बृहत् वातचिन्तामणि रस – 1 ग्राम
सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़िया बनाएं। प्रात: नाश्ते एवं रात्रि भोजन से आधा घण्टा पहले जल/शहद से सेवन करें।
दिव्य योगराज गुग्गुलु – 60 ग्रामदिव्य चन्द्रप्रभावटी – 60 ग्रामदिव्य शिलाजीत रसायन– 60 ग्राम
1 गोली दिन में 3 बार प्रात: नाश्ते, दोपहर-भोजन एवं सायं भोजन के आधे घण्टे बाद दूध से सेवन करें।
दिव्य वातारी चूर्ण – 100 ग्रामदिव्य अश्वगन्धा चूर्ण – 100 ग्राम
आधा या एक चम्मच चूर्ण को गुनगुने जल या दूध के साथ प्रात:, दोपहर व सायं । भोजन के बाद दो या तीन बार सेवन करें।
दिव्य अश्वगंधारिष्ट – 450 मिली 4 चम्मच औषध में 4 चम्मच पानी मिलाकर प्रात: एवं सायं भोजन के बाद सेवन करें।
अर्दित के उपचार के लिए उपलब्ध पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां 
Patanjali Yog peeth medicines for Facial/Bell’s palsy Treatment
दिव्य दशमूल क्वाथ – 200 ग्रामदिव्य मेधा क्वाथ – 100 ग्राम
दोनों औषधियों को मिलाकर 1 चम्मच (लगभग 5-7 ग्राम) की मात्रा में लेकर 40 मिली पानी में पकाएं और 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रात:, सायं खाली पेट पिएं।
दिव्य एकांगवीर रस – 10 ग्रामदिव्य गिलोय सत् – 10 ग्रामदिव्य महावातविंध्वसन रस – 5 ग्रामदिव्य रसराज रस – 1 ग्रामदिव्य प्रवाल पिष्टी – 10 ग्रामदिव्य मुक्ता पिष्टी – 4 ग्रामदिव्य स्वर्णमाक्षिक भस्म – 5 ग्रामदिव्य गोदन्ती भस्म – 10 ग्राम
सभी औषधियों को मिलाकर रख लें। 1 चम्मच की मात्रा में प्रात: नाश्ते एवं रात्रि भोजन से आधा घण्टा पहले शहद/गुनगुने जल से सेवन करें।

दिव्य चन्द्रप्रभावटी – 40 ग्रामदिव्य शिलाजीत रसायन – 40 ग्रामदिव्य त्र्योदशांग गुग्गुल – 60 ग्राम
1-1 गोली दिन में 3 बार प्रात: नाश्ते, दोपहर-भोजन एवं सायं भोजन के आधे घण्टे बाद सुखोष्ण (गुनगुने) जल से सेवन करें।
दिव्य अश्वशिला कैप्सूल – 20 कैप्सूल या दिव्य अश्वगन्धा चूर्ण -100 ग्राम
2-2 कैप्सूल या 1-1 चम्मच चूर्ण को दिन में 2 बार प्रात: नाश्ते एवं सायं भोजन के आधे घण्टे बाद गुनगुने जल से सेवन करें।
दिव्य पीड़ान्तक तैल – 100 मिली
दिन में 2-3 बार प्रभावित स्थान पर मालिश करें।
दिव्य अश्वगंधारिष्ट – 450 मिली
4 चम्मच औषध में 4 चम्मच पानी मिलाकर प्रात: एवं सायं भोजन के बाद सेवन करें।
आमवात के उपचार के लिए उपलब्ध पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां 

Patanjali Yogpeeth medicines for Rheumatism Treatment

जब आम व वात-दोष एक साथ प्रकुपित होकर शरीर में कोष्ठ, त्रिक प्रदेश और संधियों में प्रविष्ट होकर शोथ, शूल व स्तब्धता (जकड़न) उत्पन्न करते हैं, तब यह आमवात रोग कहलाता है।

दिव्य सर्वकल्प क्वाथ -100 ग्रामदिव्य पीड़ान्तक क्वाथ – 200 ग्राम
दोनों औषधियों को मिलाकर 1 चम्मच की मात्रा में लेकर 400 मिली पानी में पकाएं और 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रात:, सायं खाली पेट पिएं।
दिव्य अजमोदादि चूर्ण – 100 ग्रामदिव्य आमवातारि रस – 40 ग्राम
आधा–आधा चम्मच अजमोदादि चूर्ण एवं 2-2 गोली आमवातारि रस प्रातः व सायं उपरोक्त क्वाथ के साथ सेवन करें।

दिव्य महावातविध्वंसन रस – 5 ग्रामदिव्य आमवातारि रस – 20 ग्रामदिव्य प्रवालपिष्टी – 10 ग्रामदिव्य स्वर्णमाक्षिक भस्म – 5 ग्रामदिव्य गोदन्ती भस्म – 20 ग्रामदिव्य गिलोय सत् – 20 ग्रामदिव्य बृहत् वातचिन्तामणि रस – 1 से 2 ग्राम
सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़ियां बनाएं। प्रात: नाश्ते एवं रात्रि भोजन से आधा घण्टा पहले जल/शहद से सेवन करें।

दिव्य सिंहनाद गुग्गुलु – 60 ग्रामदिव्य चन्द्रप्रभावटी – 60 ग्रामदिव्य पुनर्नवादि मण्डूर – 40 ग्राम

1-1 गोली दिन में 2-3 तीन बार प्रात: नाश्ते, दोपहर-भोजन एवं सायं-भोजन के आधे घण्टे बाद गुनगुने जल से सेवन करें।
सप्ताह में एक दिन 1 गिलास गाय के दूध में 20 मिली एरण्ड तैल रात को सोने से पहले सेवन करने से आमवात रोगी को चामत्कारिक लाभ मिलता है। नोट- आमवात रोग में शोथ को कम करने के लिए रूक्ष स्वेद (बालू, एरण्ड बीज, सैंधव नमक, अजवायन मिलाकर पोटली बनाकर) करें। इसके अतिरिक्त पीडान्तक तैल को प्रभावित स्थान पर लगाकर एरण्ड या आक के पत्ते को सेक कर बांधने से विशेष लाभ होता है।
कष्टसाध्य पक्षाघात की चिकित्सा

दिव्य रसराज रस – 1-3 ग्रामदिव्य प्रवाल पंचामृत – 10 ग्रामदिव्य पुनर्नवादि मण्डूर – 10 ग्रामदिव्य मुक्ता पिष्टी – 4 ग्रामदिव्य एकांगवीर रस – 10 ग्राम
सभी औषधियों को मिलाकर 40 पुड़ियां बनाएं। प्रात: एवं सायं भोजन से आधा घण्टा पहले जल/शहद/मलाई से सेवन करें।

दिव्य त्रयोदशांग गुग्गुलु – 40 ग्रामदिव्य मेधावटी – 4O ग्रामदिव्य शिलाजीत रसायन वटी – 4O ग्राम
1-1 गोली दिन में 2 बार प्रात: नाश्ते, दोपहर-भोजन एवं सायं भोजन के आधे घण्टे बाद गुनगुने जल से सेवन करें।
दिव्य अश्वगन्धा चूर्ण – 100 ग्रामदिव्य वातारि चूर्ण – 50 ग्राम
आधा-आधा चम्मच प्रात: एवं सायं दूध के साथ सेवन करें।
वातरक्त के उपचार के लिए उपलब्ध पतंजलि आयुर्वेद की दवाइयां

 Patanjali Yogpeeth medicines for Gout Treatment

दिव्य पीड़ान्तक क्वाथ – 200 ग्रामदिव्य दशमूल क्वाथ – 100 ग्राम
दोनों औषधियों को 1 चम्मच मात्रा में लेकर 400 मिली पानी में पकाएं और 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रात: सायं खाली पेट पिएं।
दिव्य गिलोयघन वटी – 60 ग्राम
2-2 गोली प्रात: व साय उपरोक्त क्वाथ के साथ सेवन करें।
दिव्य कैशोर गुग्गुलु – 6O ग्रामदिव्य आरोग्यवर्धिनी वटी – 40 ग्रामदिव्य पीड़ान्तक वटी – 40 ग्राम
1-1 गोली दिन में 3 बार प्रात: नाश्ते दोपहर-भोजन एवं सायं भोजन के आधे घण्टे बाद सुखोष्ण (गुनगुने) जल से सेवन करें।
दिव्य वातारि चूर्ण – 100 ग्रामदिव्य अजमोदादि चूर्णं – 100 ग्राम
आधा-आधा चम्मच भोजन के बाद गुनगुने जल से सेवन करें।
दिव्य महावातविध्वंसन रस – 5 ग्रामदिव्य प्रवालपिष्टी – 10 ग्रामदिव्य स्वर्णमाक्षिक भस्म – 5 ग्रामदिव्य गोदन्ती भस्म – 10 ग्राम
सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़ियां बनाएं। प्रात: नाश्ते एवं रात्रि-भोजन से आधा घण्टा पहले जल/शहद से सेवन करें।
इस पोस्ट में पतंजलि आयुर्वेद दवाओ की सारी जानकारी बाबा रामदेव जी के दिव्य आश्रम प्रकाशन की पुस्तक (आचार्य बाल कृष्ण द्वारा लिखित “औषधि दर्शन” से ली गई है)
यह जानकारी केवल आपके ज्ञान वर्धन और जागरूकता के लिए है | बिना चिकित्सक के परामर्श के दवाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए |

थायराइड के लिए लाभदायक है अश्वगंधा का सेवन

थॉयराइड ग्रंथि थायरॉक्सिन हॉर्मोन का निर्माण करती है।ये दो प्रकार हाइपोथायरायडिज्म और हायपरथायरोडिज्म होते हैअश्वगंधा थॉयराइड का प्राकृतिक उपचार माना जाता है।इसके प्रयोग से पहले चिकित्सक से सलाह जरूर लें।

थायरॉयड, गर्दन में स्थित एक ग्रंथि होती हैं और वह थायरोक्सिन नाम के हार्मोन का उत्पादन करती हैं, जो शरीर की चयापचय प्रक्रिया को विनियमित करने में मदद करता है। थायरॉइड ग्रंथि के सही तरीके से काम करने से आशय है कि शरीर का मेटाबॉलिज्म यानी भोजन को ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया भी सही तरीके से काम कर रही है। पर जैसे ही थायरॉइड हार्मोन घटना या बढ़ना शुरू होता है तो मानव जीवन के लिए परेशानियां शुरू हो जाती हैं। इस लेख से जाने कैसे थायराइड की समस्या का इलाज किया जा सकता है।

*थायरॉयड के प्रकार*

थायरोक्सिन हार्मोन (हाइपोथायरायडिज्म) की कमी से बच्चों में बौनापन और वयस्कों में सबकटॅनेअस चरबी बढ़ जाती हैं।  और अतिरिक्त (हायपरथायरोडिज्म) हार्मोन गण्डमाला का कारण बनता हैं। थायरोक्सिन की निष्क्रियता के कारण हाइपोथायरायडिज्म हो सकता हैं, आयोडीन की कमी या थायराइड विफलता के कारण थकान, सुस्ती और हार्मोनल असंतुलन होता है। अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाये,  तो यह मायक्झोएडेमा का कारण बन सकती हैं, जिसमें त्वचा और ऊतकों में सूजन होती हैं। आयुर्वेदिक उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली अश्वगंधा, जड़ी बूटी इस रोग के दोनों रुपों, हायपर और हायपोथायरॉयड के लिए जवाब साबित हो सकती हैं।

* अश्वगंधा  के फायदे

अश्वगंधा एक प्राकृतिक औषधि है, जो अपने शक्तिवर्धक गुणों के लिए जानी जाती है। आप चाहे तो इसकी पत्तियों को पीस कर या जड़ों को उबाल कर उपयोग में ला सकते हैं। अश्वगंधा का सेवन करने से थाइरॉइड की अनियमितता पर नियंत्रण होता है। साथ ही कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए 200 से 1200 मिलीग्राम अश्वगंधा चूर्ण को चाय के साथ मिला कर लें। चाहें तो इसे स्वादिष्ट बनाने के लिए तुलसी का प्रयोग भी कर सकते हैं। हायपोथायरायडिज्म के लिए आयुर्वेदिक इलाज में महायोगराज गुग्गुलु और अश्वगंधा  के साथ  भी इलाज किया जाता हैं। अश्वगंधा के नियमित सेवन से शरीर में भरपूर ऊर्जा बनी रहती है साथ ही कार्यक्षमता में भी वृद्धि होती है। साथ ही यह शरीर के अंदर का हार्मोन इंबैलेंस भी संतुलित कर देता है। यह टेस्टोस्टेरोन और एण्ड्रोजन हार्मोन को भी बढाता है। 

किसी भी मामले में, अगर आप अश्वगंधा का उपयोग शुरू करना चाहते हैं, तो अपने परिवार के चिकित्सक के साथ पहले इसके बारे में चर्चा करना एक अच्छा विचार हैं।

थायराइड की होम्योपैथिक दवा

इस पोस्ट में हम hypothyroidism ( थायराइड ) की होम्योपैथिक दवा के बारे में जानेंगे। हमारे ब्रेन के नीचे एक Pituitary gland होती है, इसी gland से एक TSH ( थायरॉयड उत्तेजक हार्मोन ) निकलता है जोकि थायरॉयड gland में जाकर उसे निर्देश देता है की कितनी मात्रा में और कोन सा हार्मोन (T3, T4) को निकालना है। T3, T4 हार्मोन का काम होता है हमारे शरीर को ग्रोथ करना, हमारे शरीर को बनाए रखना, मोटापा कितनी होनी चाहिए ये बताना, खाना पचाना, metabolism को अच्छा रखना इत्यादि।

**Hypothyroidism होता क्या है ?

Hypothyroidism में हमारे थायरॉयड gland से T3, T4 हार्मोन सही अनुपात में नहीं निकलते। T3, T4 हार्मोन का सही से नहीं निकलने के कारण जो हमारे ब्रेन से TSH हार्मोन निकलता है वो ज्यादा मात्रा में निकलने लगता है क्यों कि उसे T3, T4 हार्मोन को balance करना होता है। अब अगर TSH हार्मोन का लेवल 5.5 से ज्यादा होता है तो शुरुआती Hypothyroidism हो जाया करता है। दो तरह का Hypothyroidism होता है।

(1) Primary Hypothyroidism

(2) Secondary hypothyroidism

Primary Hypothyroidism में TSH हार्मोन ज्यादा निकलता है क्योकि उसे T3, T4 हार्मोन को balance करना होता है परन्तु बाद में Secondary hypothyroidism लेवेल तक TSH हार्मोन निकलना बहुत कम हो जाता है। अगर Primary 
Hypothyroidism के समय आपने मेडिसिन नहीं लिया या अपने खाने-पीने और रहन-सहन में बदलाव नहीं किया तो वो Secondary hypothyroidism तक पहुंच जाता है।

** Hypothyroidism के कारण

Hypothyroidism का मुख्य कारण है आयोडीन की कमी। अगर हमारे शरीर में आयोडीन की कमी है या हमारे खाने-पीने में आयोडीन का स्रोत कम है तो Hypothyroidism हो जाया करता है। ठण्डे-प्रदेश में रहने के कारण भी Hypothyroidism होने के chances रहते हैं।

** Hypothyroidism के लक्षण

Hypothyroidism में हमें ठण्ड ज्यादा लगती है, Hypothyroidism के शुरुआत में सर्दी-खांसी ज्यादा हुआ करती है।हमें कमजोरी और सुस्ती ज्यादा महसूस होती है।कब्ज की शिकायत रहेगी, बार-बार जाना पड़ेगा फिर भी अच्छे से शौच नहीं हुआ करेगा।अचानक से वजन बढ़ने लगेगा और आप मोटापा के शिकार हो जायेंगे। शरीर थुलथुला हो जायेगा। पैर और हाथ में सूजन होने लगेगा।

** Hypothyroidism का होम्योपैथिक दवा

Thyroidinum 30 – ये थायरॉइड के लिए बहुत ही अच्छी मेडिसिन है, इसे दिन में 3 से 4 बार दो-दो बून्द लें। थायरॉइड जैसे ही नार्मल हो जाये तो उसकी दो बून्द दिन में सिर्फ एक बार लें।

Iodum 30 – इस दवा में Hypothyroidism के सारे लक्षण मिलते हैं, इसकी दो बून्द सुबह-शाम लेने से शरीर में आयोडीन की कमी दूर हो जाती है।

Rakwage R51 – R51 की 10 बून्द एक चम्मच पानी में डालकर खाना खाने से एक घंटे पहले दिन में दो बार लें। ये Hypothyroidism की बहुत ही अच्छी मेडिसिन है। R51 के components हैं :-

Belladonna 30 जो की थायरॉइड की बहुत अच्छी मेडिसिन है।

Iodum 30 इसके बारे में बताया जा चूका है।


Natrum carb 30 और lapis albus 30, ये सभी R51 में मिले हुए हैं। Rakwage R51 की कीमत 200 रूपए है और आप इसे किसी भी होम्योपैथिक स्टोर से खरीद सकते हैं।

अगर आपको Hypothyroidism है और आपकी thyroxine चल रही है तो चलने दें और साथ में बताये गए होम्योपैथिक दवा भी लेने से आपको बहुत ही अच्छे रिजल्ट मिलेंगे। हल्का व्यायाम जरूर करें।


ऐसे दूर करें होम्योपैथी से थायरॉइड की समस्या

आजकल की भागदौड़ भरी जिन्दगी में मनुष्य खुद की तरफ कम ध्यान दे पाता है, और जब तक अपनी ओर ध्यान देता है, तब तक वो कई प्रकार की बीमारियों का शिकार हो चुका होता है, और उसकी जिन्दगी दवाइयों पर निर्भर हो जाती है। कुछ रोग ऐसे हो जाते हैं जिनमे उसे सारी उम्र दवा खानी पड़ती है। इसी प्रकार एक समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, वो है थायरॉइड की बीमारी…आईए संक्षिप्त में थायरॉइड के बारे में जानने की कोशिश करते हैं…

** थायरॉइड ग्लैंड क्या है

प्रत्येक मनुष्य के गले के सामने के भाग में तितली के आकर की एक ग्रंथि होती है, जिसे थायरॉइड ग्लैंड कहते हैं। इससे हॉर्मोंस स्त्रवण होते हैं। T3 यानी त्रिआईडोथायरॉनिन (Triiodothyronine) और T4 यानी थायरॉक्सिन(Thyroxine) मुख्य हॉर्मोन होते हैं और इन हॉर्मोन्स को ब्रेन की पिट्यूटरी ग्लैंड से स्त्रावित थायरॉइड स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन (TSH or Thyroid Stimulating Harmon) नियंत्रित करता है। T3 और T4 शरीर में ऑक्सिजन के उपयोग की मात्रा को बढ़ाते हैं। इन हॉर्मोन्स के अलावा केल्सिटॉनिन (Cacitonin)नामक हार्मोन भी स्त्रावित होता है। यह शरीर में कैल्शियम और फास्फेट को नियंत्रित करता है। ये हार्मोन्स शरीर में बहुत सी क्रियायों को नियंत्रित करते हैं जैसे ग्रोथ, डेवलपमेंट, मेटाबॉलिजम, शरीर के तापमान को नियंत्रित करना आदि।

** थायरॉइड डिजीज के प्रकार

1) घेंघा (Goiter)- यह शरीर में आयोडीन की कमी से होने वाला रोग है, इसमें थायरॉइड ग्लैंड में सूजन आ जाती है।

2) हाइपरथायरॉडिज्म (Hyperthyrodism)- इसमें थायरॉइड हॉर्मोन का बहुत ज्यादा स्त्राव होता है।

3) हाइपोथायरॉडिज्म (Hypothyroidism)- इसमें थायरॉइड हॉर्मोन का स्त्राव कम होता है।

4) ग्रेव्स डिजीज (Graves disease)- इसमें थायरॉइड ग्लैंड हॉर्मोन बनाने के लिए बहुत ज्यादा उत्तेजित (over stimulated) हो जाते हैं।

5) थायरॉडाईटिस (Thyroditis)- इसमें थायरॉइड ग्लैंड में सूजन और जलन के कारण दर्द होता है।

6) थायरॉइड कैंसर (Thyroid Cancer)- इसमें थायरॉइड ग्लैंड का कैंसर हो जाता है।

7) थायरॉइड नोड्यूल(Thyroid Nodule)- इसमें थायरॉइड ग्लैंड में गांठ (lump)हो जाती हैं।

लक्षणः

· कब्ज होना
· डिप्रेशन होना
· शरीर का तापमान बढ़ना
· भूख ज्यादा लगना
· हाथों में कंपन होना
· पसीना ज्यादा आना
· बाल सफ़ेद होना व झड़ना
· थकान होना
· चिड़चिड़ाहट होना
· खुजली होना
· सांस लेने में तकलीफ होना
· नर्वस होना
· धड़कन बढ़ना या कम होना
· वजन बढ़ना
· ठंड व रोशनी सहन न हो
· उच्च रक्तचाप
· त्वचा रूखी होना
· धड़कन कम होना
· चेहरे पर सूजन रहना
· महिलाओं में पीरियड्स से संबंधित तकलीफ होना
· मसल्स में कमजोरी और अकड़न
· जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन
· नींद की समस्या होना

कारणः

थायरॉइड की समस्या दिन-प्रतिदिन लोगों में बढ़ती जा रही है। इसके कई कारण हैं जैसे-

1) हॉर्मोन्स की गड़बड़ी।

2) शरीर में आयोडीन की मात्रा सही होने के बाद भी नमक के माध्यम से शरीर में अतिरिक्त आयोडीन जाना।

3) किसी दवाई के साइड इफ़ेक्ट के कारण।

होम्योपैथिक मेडिसिन की जानकारी

क्या किसी भी रोग के लिए जिंदगीभर दवाई खाते रहना सही इलाज होता है? जबकि थायरॉइड की समस्या होम्योपैथिक मेडिसिन से कुछ समय में हमेशा के लिए ठीक हो जाती है। जानकारी हेतु कुछ होम्योपैथिक मेडिसिन के बारे में जानकारी दे रही हूं, जो थायरॉइड की समस्या को ठीक करती हैं। (यह एक जटिल रोग होता है, अत: स्वयं इलाज करने की कोशिश न करें। कुशल होम्योपैथ की देखरेख में ही इलाज कराएं।)

** फाईटोलक्का बेरी (Phyto-Berry)

गले में सूजन व दर्द रहता है, मोटापा बढ़ता जाता है, सांस लेने में तकलीफ होती है, महिलाओं में ब्रेस्ट में बहुत ज्यादा दर्द होता है, जीवन के प्रति उदासीन रहती हैं, त्वचा रूखी होती है जिससे खुजली होती हैं, ग्रन्थियों की सूजन रहती हैं तो इसे लें।

** केल्केरिया-कार्ब (Calcarea-Carb)

रोगी को पसीना (खासकर सिर में) बहुत आता है, रोगी दिखने में बहुत गोरा और थुलथुला होता है, अधिक मेहनत से तन और मन थक जाता है, हड्डियाँ (Bones)कमजोर और टेढ़ी हो जाती हैं, बच्चे मोटे होते चले जाते हैं और पेट बढ़ता हैं, अंडा खाना बहुत पसंद होता है, ग्लैंड्स बढ़ जाती हैं, पीरियड्स में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती हैं, मन में इतने विचार आते हैं कि रोगी को रात को नींद नहीं आ पाती हैं और शाम के समय नींद आती है, मन में अप्रिय विचार आते रहते हैं, कमरदर्द होती है तो ये दिया जा सकता है।

** नेट्रम-म्यूर(Nat-Mur)

बहुत कमजोरी और थकान महसूस होती हैं, हाइपरथायरॉडिज्म (Hyperthyrodism), घेंघा (Goiter),डायबीटीज होती है, सुबह-सुबह बहुत कमजोरी महसूस होती है, यहां तक कि बिस्तर से उठने का मन भी नहीं होता है, सिरदर्द सूरज उगने से लेकर सूरज डूबने तक होता है, शरीर में खून की कमी हो जाती है, मरीज नमक बहुत खाता है, छाती में सिकुड़न सी लगती है, धड़कन बढ़ जाती है तो इसे लेने से फायदा होता है।

** थायरॉइडीनम (Thyroidinum)

शरीर में रक्त की कमी रहती है, शरीर में कम्पन होता रहता है, बहुत ज्यादा मोटापा बढ़ता है, (मोटापे में बहुत सावधानीपूर्वक उपयोग करना चाहिए) हार्ट की कमजोरी, दिल की धड़कन बढ़ जाती है, मीठी चीज या मिठाई खाने की बहुत इच्छा होती है, अचानक थकान महसूस होने लगती है, त्वचा बहुत सूखी (dry)रहती है, चिड़चिड़ापन, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आता है, हाथ-पैर ठंडे रहते हैं, निम्न रक्तचाप (Low Blood Pressure), सुबह नींद बहुत आती है, उंगलियां सुन्न हो जाती है, पूरे शरीर में खुजली होती है तो इसे लें।

** आयोडम (Iodum)

बहुत अधिक भोजन करने के बाद भी रोगी दुबला होता जाता है, थोड़ी सी मेहनत करते ही पसीना आ जाता है, रोगी को ठंडी हवा में रहना अच्छा लगता है, सीढ़िया चढ़ते समय सांस फूल जाती है, रोगी को अकेले रहना पसंद है, सारे शरीर में तेज गर्मी लगती है, बार-बार यूरिन होती है तो इस दवा को लेना अच्छा रहेगा।

थायराइड का घरेलु इलाज

थायराइड की समस्या आजकल एक गंभीर समस्या बनी हुई है। थाइराइड गर्दन के सामने और स्वर तंत्र के दोनों तरफ होती है। ये तितली के आकार की होती है। थायराइड गले में पायी जाने वाली एक ग्रंथि है। गले में पायी जाने वाली इस थायराइड ग्रंथि से थायरोक्सिन हॉर्मोन निकलता है। जब इस ग्रंथि से निकलने वाले थायरोक्सिन हॉर्मोन का बैलेंस बिगड़ जाता है, जब शरीर में अनेक प्रकार की बीमारियां होने लगती है। जब ग्रंथि से निकलने वाले थायरोक्सिन हॉर्मोन की मात्रा कम हो जाती है, तब शरीर में मेटाबोलिज़्म तेज होने लगते है, जिससे हमारी बॉडी की एनर्जी जल्दी ख़त्म हो जाती है। इसके विपरीत इसकी मात्रा बढ़ने के कारण, मेटाबोलिज़्म कम हो जाते है, जिसके कारण शरीर सुस्त और थका हुआ हो जाता है। थायराइड ग्रंथि के कारण शरीर के अनेक हिस्से प्रभावित होते है। थायराइड किसी भी उम्र के लोगो में हो सकता है। बच्चो में थायराइड की समस्या होने पर उनकी लंबाई कम हो जाती है, और शरीर फैलने लगता है। महिलाओं पर इसका प्रभाव कभी कभी सामने से नजर आता है कुल मिलाकर यही कहना होगा कि आमतौर ओर थाइरोइड की बीमारी जान तो नहीं लेता पर हां ये परेशान बहुत ज्यादा कर देता है साथ हमारी लुक को भी भद्दा कर देता। तो अब थाइरोइड की समस्या से भागने या इसे झेलने की जरूरत नहीं बस आप हमारे बताए गए कुछ इलाज अपनाएं और जल्द से जल्द थाइरोइड नाम की बला से राहत पाएं।

 पुरूषों में आजकल थायराइड की दिक्कत बढ़ती जा रही है। थायराइड में वजन अचानक से बढ़ जाता है या कभी अचानक से कम हो जाता है। इस रोग में काफी दिक्कत होती है। आयुर्वेद में थायराइड को बढ़ने से रोकने के बेहद सफल प्रयोग बताएं गए हैं। जिनमे से ज्यादातर उपचार की वस्तुएं हमारे किचन में ही मिल जाती हैं तो आइए जानते हैं थाइरोइड से छुटकारा पाने के लिए बेस्ट घरेलू उपचार।


1. अदरक 

अदरक में मौजूद गुण जैसे पोटेशियम, मैग्नीश्यिम आदि थायराइड की समस्या से निजात दिलवाते हैं। अदरक में एंटी-इंफलेमेटरी गुण थायराइड को बढ़ने से रोकता है और उसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाता है।

2. दही और दूध का सेवन

दूध और दही में मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स थायराइड से ग्रसित पुरूषों को स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं। इसलिए थायराइड की समस्या वाले लोगों को दही और दूध का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए। 

3. मुलेठी लें

थायराइड के मरीजों को थकान बड़ी जल्दी लगने लगती है और वे जल्दी ही थक जाते हैं। एैसे में मुलेठी का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। मुलेठी में मौजूद तत्व थायराइड ग्रंथी को संतुलित बनाते हैं। और थकान को उर्जा में बदल देते हैं। मुलेठी थायराइड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है।

4. गेहूं और ज्वार खाएं

गेहूं का ज्वार आयुर्वेद में थायराइड की समस्या को दूर करने का बेहतर और सरल प्राकृतिक उपाय है। इसके अलावा यह साइनस, उच्च रक्तचाप और खून की कमी जैसी समस्याओं को रोकने में भी प्रभावी रूप से काम करता है। थायराइड ग्रंथी को बढ़ने से रोकने के लिए आप गेहूं और ज्वार का सेवन कर सकते हो।

5. साबुत अनाज

जौ, पास्ता और ब्रेड़ आदि साबुत अनाज का सेवन करने से थायराइड की समस्या नहीं होती है क्योंकि साबुत अनाज में फाइबर, प्रोटीन और विटामिन्स आदि भरपूर मात्रा होता  है जो थायराइड को बढ़ने से रोकता है।

6. लौकी

थायराइड की बीमारी से छुटकारा पाने के लिए रोजाना सुबह खाली पेट लौकी का जूस पिए। इसके बाद एक गिलास ताजे पानी में तुलसी की एक दो बून्द और कुछ मात्रा में एलोवेरा जूस डालकर पिए। अब आप आधे से एक घण्टे तक कुछ ना खाये पिए। रोजाना ऐसा करने से थायराइड की बीमारी  जल्दी ठीक हो जायेगी।

विटामिन ए  थायराइड के मरीज को अपने भोजन में विटामिन ए  की मात्रा बढा देनी चाहिए। विटामिन ए थायराइड को धीरे धीरे कम करता है। गाजर और हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन ए अधिक मात्रा में पाया जाता है।

7. रस

जूस पीना शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। थायराइड के मरीज को रोजाना एक गिलास ताजा मौसमी फलो का जूस पीना चाहिए।

8. काली मिर्च 

थायराइड को ठीक करना चाहते है, तो तुरंत काली मिर्च का सेवन शुरू करे। काली मिर्च का सेवन करने से थायराइड की बीमारी ठीक हो जाती है। काली मिर्च का सेवन आप किसी भी प्रकार से कर सकते है।

 9. हरा धनिया 

हरे धनिये के इस्तेमाल से थायराइड को ठीक किया जा सकता है। ताजे हरे धनिये को बारीक़ पीसकर इसकी चटनी बना ले। अब इस चटनी को रोजाना एक गिलास पानी में घोलकर पिए। रोजाना पानी के साथ हरे धनिये की चटनी का सेवन करने से थायराइड धीरे धीरे कण्ट्रोल होने लगता है।

10. अंडा 

अंडा खाना भी थायराइड के मरीज के लिए फायदेमंद है। अंडा खाने से थायराइड कण्ट्रोल में रहता है।

11. आयोडीन युक्त पदार्थ लें

हाल ही में हुए नए शोध में यह बात सामने आई है कि आयोडिन में मौजूद पोषक तत्व थायराइड ग्रंथी की कार्यप्रणाली को ठीक रखता है। इसलिए आयोडीन युक्त पदार्थ ही खाएं।

12. गले को दें ठंडी गर्म सेंक 

थायरइड की समस्या में गले को ठंडी-गर्म सेंक देने से फायदा मिलता है। इसके लिए आप गर्म पानी को एक बोतल में भर लें और अलग से ठंडे पानी को किसी बर्तन में भर लें। ठंडे पानी में एक तौलिया भी भिगों लें।और इसे इस तरह से गर्दन की सिकाई करें।

तीन मिनट गर्म पानी से सिकाई और फिर एक मिनट तक ठंण्डे पानी से सिकाई। एैसा आप तीन बार करें। और चौथी बारी में तीन मिनट ठण्डी और तीन मिनट गर्म पानी की सेंक करें। इस उपाय को आप दिन में कम से कम दो बारी जरूर करें।

इन सभी नुस्खों से आपको जरूर लाभ मिलेगा पर ध्यान रहे समस्या अगर घरेलू आजमाइशों से काबू में न आये तो डॉक्टर से जरुए संपर्क करें।
    

थायराइड को जड़ से खत्म कर देंगे ये चमत्कारी घरेलू उपाय, जरूर आजमाएं.

आजकल लोगों में थायराइड की समस्या आम होती जा रही है.. जिसका मुख्य कारण तनाव भरी लाइफ स्टाइल और अनियमित खान-पान है।दरअसल एक तरह से थायरायड साइलेंट किलर है.. क्योंकि इसके लक्षण बहुत देर में पता चलते हैं और जब तक पता चलता है तब तक स्थिति खतरनाक हो जाती है.. यहां तक कि कई बार ये जानलेवा साबित होता है। ऐसे में जैसे ही इसकी पहचान हो इसकी उचित रोकथाम बेहद जरूरी है । खासकर खानपान पर ध्यान देना जरूरी है क्योंकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों की माने तो उचित आहार का सेवन कर थायरायड पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है। चलिए जानते थायरायड में कौन से खाद्य पदार्थों का सेवन फायदमंद साबित होता है।

वैसे आपको बता दें कि वास्तव में थायराइड एक ग्रंथि का नाम है जिसकी वजह से ये रोग होता है..

ऐसे में आम भाषा में लोग इस समस्या को थायराइड कहते हैं। थायरायड ग्रंथि तितली के आकार की होती है जो कि गर्दन में श्वास नली के ऊपर, वोकल कॉर्ड के दोनों ओर दो भागों में बनी होती है। ये थायराइड ग्रंथि थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है जिससे शरीर में एनर्जी, प्रोटीन उत्पादन और शरीर में मेटाबॉलिज्म की ग्रंथियों को भी कंट्रोल करती है।

ऐसे में थायराइड की वजह से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और शरीर में दूसरी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। थायराइड के सामान्य लक्षणों में जल्दी थकान होना, सुस्त रहना, डिप्रेशन में रहने लगना, काम में मन न लगना, याद्दाश्त कमजोर होना के साथ मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना शामिल हैं। ऐसे मे ऐसे किसी भी लक्षण के दिखते ही इसका उपचार बेहद जरूरी है। आज हम आपको कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके सेवन से थायराइड को जड़ से खत्म किया जा सकता है।


*अदरक

वैसे अदरक के औषधिय गुणों से तो हम सब वाकिफ है.. पर आपको बता दे कि अदरक खासतौर पर थायराइड के निवारण में बेहद उपयोगी है। दरअसल इसमें मौजूद पोटेशियम, मैग्नीश्यिम जैसे तत्व थायराइड की समस्या से निजात दिलवाते हैं.. अदरक में मौजूद एंटी-इंफलेमेटरी गुण थायराइड को बढ़ने से रोकता है और उसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाता है।

*दूध और दही का सेवन

वहीं थायराइड की समस्या में दही और दूध का सेवन भी फायदेमंद साबित होता है.. ऐसे में थायराइड से ग्रसित लोगों को दूध और दही का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए। दूध और दही में मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स थायराइड से ग्रसित लोगों को स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं।

*मुलेठी का सेवन

थायराइड से ग्रसित व्यक्ति को सबसे अधिक समस्या थकान की होती है .. वे बहुत जल्दी ही थक जाते हैं। ऐसे में थायराइड के रोगियों के लिए मुलेठी का सेवन फायदेमंद होता है। मुलेठी में मौजूद तत्व थायराइड ग्रंथी को संतुलित करते हैं जिससे थकान से निजात मिलती है और शरीर को उर्जा मिलती है।साथ ही मुलेठी थायराइड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है।

*गेहूं और ज्वार का इस्तेमाल

थायराइड से निजात में में गेहूं और ज्वार का सेवन भी मददगार होता है। आयुर्वेद में गेहूं और ज्वार को थायराइड दूर करने का सबसे बेहतर और सरल प्राकृतिक उपाय बताया गया है। साथ ही ये साइनस, उच्च रक्तचाप और खून की कमी जैसी समस्याओं को नियंत्रित करने में भी सहायक है।

थायराइड की समस्‍या! इन लक्षणों को न करें अनदेखा

महिलाएं थायराइड की सबसे ज्यादा शिकार होती हैं। स्थिति यह है कि हर दस थायराइड मरीजों में से आठ महिलाएं ही होती हैं। उनका वजन बढ़ने की एक बड़ी वजह यह भी है। इससे तनाव, अवसाद, नींद ठीक से न आना, कोलेस्ट्रॉल, आस्टियोपोरोसिस, बांझपन, पीरियड का टाइम पर न आना, दिल की धड़कन बढ़ना जैसी परेशानियां सामने आ सकती हैं। थायराइड शरीर का एक प्रमुख एंडोक्राइन ग्लैंड है, इसमें से थायराइड हार्मोन का स्राव होता है जो हमारे मेटाबालिज्म की दर को संतुलित करता है। थायराइड हार्मोन का स्राव जब असंतुलित हो जाता है तो शरीर की समस्त भीतरी कार्यप्रणालियां अव्यवस्थित हो जाती हैं। थायराइड की समस्‍या होने पर कई तरह के लक्षण सामने आते हैं। दर्द होना कॉमन है लेकिन इससे जुड़ी संकेतों को नजरअंदाज कर दिया जाता है

- हायपरथायराइड से पीडि़त लोगों में मांसपेशी और जोड़ों में दर्द हो सकता है, खासकर बांह और पैर में। इसके अलावा बांह के ऊपरी हिस्‍से में दर्द भी हो सकता है।

- गर्दन में सूजन का एहसास, गर्दन के आकार का बढ़ना, नेकटाई पहनने में असुविधा, निगलने में दिक्‍कत, आवाज में बदलाव आदि थायराइड के लक्षण हो सकते हैं।

- जब थायराइड का आकार बढ़ जाता है तो यह ग्‍वाइटर (घेघा) कहलाता है। यह थायराइड के दोनों प्रकार के लक्षण हो सकते हैं।

- बालों का झड़ना, स्किन में बदलाव आदि भी इसके लक्षण हो सकते हैं।  

- कब्‍ज, पेट संबंधी समस्‍या, डायरिया आदि भी थायराइड के लक्षण हो सकते हैं।  

- मासिक अनिय‍मितता और प्रजनन संबंधी बीमारी भी इसके लक्षण हो सकते हैं।

- परिवार में थायराइड और ऑटोइम्‍यून बीमारियों से जुड़ी बातों का इतिहास।

- उच्‍च कॉलेस्‍ट्रॉल और इससे संबंधित दवाइयों का असरकारक न होना।

- अवसाद, तनाव व बेचैनी का बढ़ जाना।

- खानपान में बिना किसी बदलाव के वजन में अप्रत्‍याशित तौर पर बढ़ना।

- थकान, थकावट भी इसके लक्षण हो सकते हैं।
    

थायराइड में परहेज: जानें, क्या खाएं और क्या ना खाएं


थायराइड में क्या खाएं और क्या ना खाएं, इसे जानने से पहले जरूरी है कि थायराइड के बारे में बेस‍िक जानकारी ली जाए
 थायराइड की समस्‍या अब आम होने लगी है और इसी के साथ ही ये सवाल भी उठने लगा है कि थायराइड में डाइट कैसी होनी चाहिए। वैसे थायराइड में क्या खाएं और क्या ना खाएं, इसे जानने से पहले जरूरी है कि थायराइड की जानकारी और इसकी वजह से होने वाली परेशानियां क्‍‍‍‍या हो सकती हैं। 

थायराइड दरअसल एक एंडोक्राइन ग्लैंड है जो बटरफ्लाई आकार का होता है और ये गले में स्थित है। इसमें से थायराइड हार्मोन निकलता है जो शरीर में मेटाबॉलिज्म को संतुलित करता है। थायराइड ग्लैंड शरीर से आयोडीन की मदद से हार्मोन बनाता है। थायराइड हार्मोन का स्राव जब असंतुलित हो जाता है तो इससे शरीर में कई तरह की मुश्किलें पैदा हो जाती है। ये बीमारी पुरुषों के मुकाबले ज्यादातर महिलाओं में होती है। मेट्रो हॉस्पिटल की सीनियर डायटीशियन रितु गिरि बता रही हैं थायराइड की बीमारी होने पर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए।
पहले जानें थायराइड के प्रकार - 

1. Hypothyroid

इसमें थायराइड ग्लैंड सक्रिय नहीं होता, जिससे शरीर में जरूरत के मुताबिक T3, T4 हार्मोन नहीं पहुंच पाता। इसकी वजह से शरीर का वजन अचानक बढ़ जाता है। सुस्ती महसूस होने लगती है। शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। अनियमित पीरियड, कब्ज की शिकायत, चेहरे और आंखों पर सूजन आ जाता है। यह बीमारी 30 से 60 साल की महिलाओं में अधिक होती है।

*क्या खाएं*

आयोडिन नमक, आयोडिन से भरपूर चीजें, सी फूड, फिश, चिकेन, अंडा, टोंड दूध और उससे बनी चीजें जैसे दही, पनीर, टमाटर, मशरुम, केला, संतरे आदि, फिजिशियन की सलाह पर विटामिन, मिनिरल्स, आयरन सप्लीमेंट्स।

*क्या नहीं खाएं*

सोयाबीन और सोया प्रोडक्ट रेड मीट, पैकेज्ड फूड, ज्यादा क्रीम वाले प्रोडक्ट जैसे केक, पेस्ट्री, स्वीट पोटैटो, नाशपाती,  स्ट्रॉबेरी, मूंगफली, बाजरा आदि, फूलगोभी, पत्ता गोभी, ब्रोकली, शलगम आदि।

2. Hyperthyroid

इसमें थायराइड ग्लैंड बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाता है। T3, T4 हार्मोन जरुरत से अधिक मात्रा में निकलकर ब्लड में घुलने लगता है। इस हालत में शरीर का वजह एकाएक कम हो जाता है। मांशपेशियां कमजोर हो जाती है। भूख ज्यादा लगती है, ठीक से नींद नहीं आती, स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। पीडियड्स में अनियमितता, अधिक ब्लीीडिंग की समस्या, गर्भपात का भी खतरा बना रहता है।

*क्या खाएं*

हरी सब्जियां, साबूत अनाज, ब्राउन ब्रेड, ओलिव ऑयल, लेमन, हर्बल और ग्रीन टी, अखरोट, जामुन, स्ट्रॉबेरी, गाजर, हरी मिर्च, शहद।

* क्या नहीं खाएं*

मैदा से बने प्रोडक्ट जैसे पास्ता, मैगी, व्हाइट ब्रेड, सॉफ्ट ड्रिंक, अल्कोहल, कैफीन, रेड मीट, ज्यादा मीठी चीजें जैसे मिठाई, चॉकलेट।

थायरॉइड को कंट्रोल करना है, तो रोज करें ये 4 एक्सरसाइज

थायरॉइड को एक्सरसाइज से आसानी से कंट्रोल कर सकते हैं।पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को होती है थायरॉइड की समस्या।थायराइड ग्रंथि थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है।
थायरॉइड ग्रंथि स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह ग्रंथि शरीर के मेटाबॉलिज्म, हार्मोनल बदलावों और एनर्जी को कंट्रोल करती है। थायराइड ग्रंथि थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है। थायरायड को कुछ लोग साइलेंट किलर मानते हैं क्योंकि इसके लक्षण बहुत देर में पता चलते हैं। महिलाएं इस रोग का ज्यादा शिकार होती हैं। हालांकि पुरुषों और आजकल युवाओं और बच्चों में भी ये रोग फैल रहा है। थायरॉइड की इस समस्या को कुछ एक्सरसाइज के द्वारा आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। आइये आपको बताते हैं क्या हैं ये एक्सरसाइज।

*कुर्सी आसन 

इस आसान के लिए पहले दोनों पैरों को मिलाकर सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएं। एड़ी व पंजों को मिलाकर दोनों हाथों को सामने की ओर फैलाएं। अब दोनों हाथों के बीच थोड़ी दूरी रखते हुए धीरे-धीरे घुटनों को मोड़ते हुए इस स्थिति में बैठें की शरीर का आकार कुर्सी की तरह बन जाए। इस स्थिति में कमर, गर्दन, पीठ एक सीध में होने चाहिए। कुछ देर तक इस स्थिति में रहें फिर धीरे-धीरे उठते हुए सीधे खड़े हो जाएं।

*नेक स्ट्रेच एक्सरसाइज

इसे करने के लिये एक सपाट बिस्तर या ज़मीन पर लगे मैट पर बिना तकिये के पीठ के बल लेट जाएं और फिर अपनी गर्दन को जितना मुम्किन हो, उतना धीरे धीरे ऊपर उठाएं। लेकिन ऐसा करने हुए आपकी पीठ का हिस्सा नहीं उठना चाहिए। गर्दन को ऊपर उठाते हुए सांस को भीतर खींचें और फिर धीरे धीरे नीचे ले जाते हुए सांस छोड़ें। यह एक्सरासइज 10 से 12 बार बार सुबह-शाम करें। इस एक्सरसाइझ को करने से गर्दन की मांसपेशियों को ताकत मिलती है और वो सुडौल व शक्तिशाली बनती है।

*एरोबिक्स

एरोबिक्स दिल के लिए बहुत अच्छी एक्सरसाइज है। नियमित तौर परएरोबिक्स मस्तिष्क की क्रियाशीलता बढ़ाती है। इससे आपकी स्‍मरण शक्ति अच्छी रहती है। संगीत की धुन पर एक्सरसाइज करना व्यायाम के साथ मनोरंजक भी होता है। थायराइड में मोटापा की समस्या काफी खतरनाक हो सकती है ऐसे में एरोबिक्स काफी फायदेमंद है। इससे शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी दूर होती है। एरोबिक्स कम से कम 20 से 30 मिनट तक करना चाहिए।

*कंधों को स्ट्रेच करें

सबसे पहले बिल्कुल सीधे खड़े हों जाएं, सांस भीतर खीचें और फिर छोड़े। सांस छोड़ने पर सीधे कान को सीधे कंधे की ओर झुकाएं लेकिन कंधे को उठाएं नहीं। 4 से 5 बार सांस को इसी प्रकार खीचें और छोड़ें और फिर उल्टे गाल में पड़ने वाले स्ट्रेच को महसूस करें। अब अपनी गर्दन और रीढ़ को हल्के से स्ट्रेच करें। इसके बाद धीरे से सिर को सही दिशा में लाएं और दूसरी ओर से भी इसे करें।

तो दोस्तो आज जाना कि कैसे हम ( Apni problem से छुटकारा पा सकते हौ ) ओर अपनी लाइफ को खुश रख सकते है दोस्तो आप इन सब advices को आपनी लाइफ मैं जरूर Try करे और ऐसे ही ओर अछे articles के लिए जुड़े रहे ( https://normaladvices.blogspot.com ) से।

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