Cervical cancer in hindi

cervical cancer


Cervical cancer

दोस्तो हैम ने अपने पहले article मैं स्वीकाल के बारे जाना था और उस से छुटकारा बी पाया था इस मैं हैम बात करे गए cervical cancer के बारे मे । आज के इस दौर पर किसे कब कौन सी बीमारी हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता है। ऐसे में आजकल सरवाइकल कैंसर नाम की बीमारी भी चिंता का कारण बनी हुई है।

तो दोस्तो आज जाने गए (सर्वाइकल कैंसर ) के बारे मे ओर लक्षण, इलाज,अवुर्वेदिक ओर बी बहोत तो चलो दोस्तो जानते है cervical cancer के बारे मे।

Kuch points mai aap ko ye article batuga jis se ye article aap ko ache se smaj aa jay ga

1, जानें सर्वाइकल कैंसर कैसे होता है

2, सर्वाइकल कैंसर के लक्षण

3, जानें क्या है सर्वाइकल कैंसर, प्रमुख कारण, लक्षण और बचाव

4, महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर के बारे में ये चीज़ें जरुर पता होनी चाहिये

5,सर्वाइकल कैंसर के यह 5 लक्षण

6, सर्वाइकल कैंसर के इलाज ओर लक्षण, कारण,सर्वाइकल कैंसर के प्रकार

7, सर्वाइकल कैंसर में क्या खाये

8, सर्वाइकल कैंसर में क्या ना खाये

9, रात को सोते वक्त खाएं भुना हुआ लहसुन, दूर भागेगा कैंसर

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जानें सर्वाइकल कैंसर कैसे होता है

Cervical Cancer सर्वाइकल कैंसर एक ऐसा कैंसर है जो कार्विक्स को प्रभावित करता है। कार्विक्स महिलाओं के शरीर में उनके गर्भाशय और योनि के बीच का एक क्षेत्र होता है। जब कार्विक्स की कोशिकाएं बिल्कुल असामान्य हो जाती है और आसपास की कोशिकाओं को भी असामान्य बनाने लगती हैं तो सर्वाइकल कैंसर विकसित होने लगता है। अगर समय पर सर्वाइकल कैंसर का पता नहीं चल पाता है तो इस बीमारी से महिलाओं की जान भी चली जाती है।

 इस आर्टिकल में हम आपको सर्वाइकल कैंसर के लक्षण (cervical cancer symptoms),सर्वाइकल कैंसर के कारण (causes of cervical cancer ), 

सर्वाइकल कैंसर का पता कैसे लगाएं, सर्वाइकल कैंसर का इलाज (cervical cancer treatment ) और सर्वाइकल कैंसर से बचाव (cervical cancer Prevention) के बारे में बताएंगे।

एक विशेष प्रकार के वायरस से सर्वाइकल कैंसर फैलता है और इस वायरस का नाम ह्यूमन पैपिलोमा वायरस है। यह वायरस विशेषरूप से सर्वाइकल कैंसर के लिए जिम्मेदार होता है। डॉक्टर इन वायरस से प्रभावित कोशिकाओं की जांच करके सर्वाइकल कैंसर का पता लगाते हैं। सर्वाइकल कैंसर एक ऐसा कैंसर है जिसका वायरस तेजी से एक व्यक्ति से दूसरे में भी फैलता है। सर्वाइकल कैंसर से प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में महिलाएं प्रभावित होती हैं और इनमें के कई महिलाओं की इस बीमारी से मौत भी हो जाती है।


सर्वाइकल कैंसर के लक्षण

सर्वाइकल कैंसर जब अपने शुरूआती अवस्था में रहता है तो इसके व्यक्ति में इसके लक्षणों का सही तरीके से पता नहीं चल पाता है लेकिन समय बीतने के साथ जब कैंसर बढ़ने लगता है तो सर्वाइकल कैंसर के लक्षण आसानी से दिखने लगते हैं। कभी-कभी महिलायें सर्वाइकल कैंसर के लक्षणको अपने पीरिएड चक्र, यीस्ट इंफेक्शन और यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन से जोड़कर देखती हैं। सर्वाइकल कैंसर के लक्षण ये होते हैं-


असामान्य रूप से खून आना जैसे कि मेनोपॉज होने के बाद महिला को ब्लीडिंग होना, सेक्स के बाद ब्लीडिंग होना, या मासिक धर्म खत्म होने के बाद उस महीने में फिर से ब्लीडिंग होना शुरू हो जाना।योनि से लगातार बदबूदार गाढ़ा एवं चिपचिपा तरल पदार्थ का निकलना सर्वाइकल कैंसर के लक्षण हो सकता हैयदि आपको बार-बार पेशाब जाना जाना पड़ता है, पेशाब करने में दर्द और जलन महसूस होनापेडू में दर्द होना सर्वाइकल कैंसर के लक्षण हो सकता है

जब सर्वाइकल कैंसर पूरे शरीर में फैल जाता है तो मरीज को थकान होने के साथ ही उसका वजन भी कम होने लगता है। इसलिए यदि किसी भी महिला को इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव होता है तो उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास जाकर जांच करानी चाहिए।

सर्वाइकल कैंसर के कारण

ज्यादातर सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस के कारण होता है, इस वायरस को एचपीवी के नाम से भी जानते हैं। अगर किसी व्यक्ति के शरीर में यह वायरस पहले से ही उपस्थित हो तो उसके साथ शारीरिक संबंध रखने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में भी यह वायरस चला जाता है। इसके अलावा जब दो शरीर एक दूसरे के संपर्क में आते हैं तो भी यह वायरस फैल जाता है। सर्वाइकल कैंसर के कारण में मुख्य एचपीवी वायरस आमतौर पर कई प्रकार के होते हैं लेकिन सभी तरह के एचपीवी वायरस से सर्वाइकल कैंसर नहीं होता है। इनमें से कुछ वायरसों के कारण जननांगों में मस्सा हो जाता है जबकि कुछ वायरस किसी तरह का कोई लक्षण उत्पन्न नहीं करते हैं।

आमतौर पर देखा जाता है कि ज्यादातर वयस्क कभी न कभी एचपीवी वायरस से संक्रमित जरूर होते हैं। यह एक ऐसा इंफेक्शन है जो कभी-कभी बिना किसी कारण के ही हो जाता है लेकिन सर्वाइकल कैंसर के कारण में ज्यादातर जननांगों में मस्सा होने के कारण भी सर्वाइकल कैंसर से इंसान ग्रसित हो जाता है। इसलिए महिलाओं को नियमित तौर पर पैप टेस्ट करवाना चाहिए। कैंसर का रूप धारण करने से पहले सर्वाइकल कोशिकाओं में परिवर्तन होता है, उसी का पता लगाने के लिए पैप टेस्ट किया जाता है। सर्वाइकल कैंसर के कारण को जानकर इसको रोका जा सकता है

सर्वाइकल कैंसर का पता कैसे लगाएं

जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि पेल्विक की जांच के अलावा सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए पैप टेस्ट भी किया जाता है। पैप टेस्ट करने के लिए आमतौर पर डॉक्टर कार्विक्स के आसपास की कोशिकाओं को खुरचकर एक छोटा सा सैंपल लेते हैं और इन कोशिकाओं में किस तरह का परिवर्तन हुआ है, उसका परीक्षण करते हैं। अगर पैप टेस्ट में यह पता चलता है कि कार्विक्स की असामान्य कोशिकाओं में कोई परिवर्तन हुआ है तो डॉक्टर कैंसर से प्रभावित हो रही कोशिकाओं को कार्विक्स से लेकर एक दूसरा परीक्षण करते हैं।

अगर किसी मरीज को सेक्स के बाद ब्लीडिंग होती है तो भी आमतौर पर डॉक्टर इसके कारणों का पता लगाने के लिए उतकों का एक सैंपल लेते हैं और पैप टेस्ट करके सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों का पता लगाते हैं।

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सर्वाइकल कैंसर का इलाज

सर्वाइकल कैंसर का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि आपका कैंसर किस चरण में पहुंच चुका है और जब सर्वाइकल कैंसर का पता चला था तब यह किस स्टेज में था। सर्जरी के अलावा रेडिएशन थेरेपी एवं कीमोथेरेपी और टारगेटेड थेरेपी आदि सामान्य रूप से सर्वाइकल कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है।

सर्जरी में पेल्विक लिम्फ नोड को शरीर से निकाल दिया जाता है जिसके की अंडाशय और फेलोपियन ट्यूब भी बाहर निकल जाता है। लेकिन कभी-कभी इन दोनों को हटाए बिना भी पेल्विक लिम्फ नोड को बाहर निकाल दिया जाता है।

लेकिन यदि सर्वाइकल कैंसर से किसी महिला को बचाने के लिए उसका गर्भाशय निकालना पड़े तो वह फिर कभी मां नहीं बन पाती है। हालांकि गर्भाशय को निकालने की जरूरत हमेशा नहीं पड़ती है, यदि सर्वाइकल कैंसर अपने शुरूआती अवस्था में हो तो फिर बिल्कुल भी नहीं।

सर्वाइकल कैंसर से बचाव

26 वर्ष के बाद महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए एचपीवी वैक्सीन लेना चाहिए जिससे आपके शरीर में एचपीवी नहीं फैलता है और आप सर्वाकल कैंसर से जीवनभर सुरक्षित रहेंगी।

जैसा कि आप जानते हैं कि सर्वाइकल कैंसर असुरक्षित यौन संबंध बनाने से फैलता है इसलिए सेक्स करते समय कंडोमका इस्तेमाल जरूर करना चाहिए और अलग-अलग व्यक्तियों के साथ सेक्स करने से बचना चाहिए।

सर्वाइकल कैंसर से बचने का एक आसान उपाय पैप टेस्ट भी है। अगर आप नियमित रूप से अपना पैप टेस्ट करवाती हैं तो आप पूरी तरह से इस बीमारी से बच सकती हैं।

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण

यह बीमारी कैंसर का रूप ले लेती है, तो इसे कार्कीनोमा कहते है। एक से अधिक पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाना भी है इसकी वजह।यौन संबंध बनाने के बाद अधिक रक्‍तस्राव और दर्द है इसका लक्षण।पेट के निचले हिस्‍से में दर्द, बदबूदार यूरीन भी हैं कैंसर के लक्षण।

गर्भाशय में सेल्‍स की अनियमित वृद्धि को सर्वाइकल कैंसर कहते हैं। वैसे तो सर्वाइकल कैंसर के ज्‍यादातर मामले फ्लैटंड और स्क्वैम्श सेल्‍स की बढ़ोतरी के कारण होते है पर कुछ मामले ग्लैंडुलर, म्युकस आदि के कारण भी होते हैं। 

सर्वाइकल कैंसर की कैंसर से पहले वाली स्थिति को डिस्प्लेसिया कहा जाता है। डिस्प्लेसिया में इसका सौ प्रतिशत इलाज संभव है।

जब यह बीमारी कैंसर का रूप ले लेती है, तो इसे कार्कीनोमा कहते है। ऐसे वायरस के इंफेक्शन की वजह से जिससे एचपीवी (ह्यूमन पेपीलोमा) हो जाए, तो इससे डिस्प्लेसिया और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए होता है जब ऐसे पार्टनर के साथ सेक्स किया है जिसने कई लोगों के साथ सेक्स किया हो। जिन महिलाओं का तंत्रिका तंत्र कमजोर होता है, साथ ही जिन महिलाओं का अंग प्रत्यारोपण हुआ हो, उन्हें ये बीमारी होने की संभावना रहती है। शुरुआती अवस्था में सर्वाइकल कैंसर को लक्षणों द्वारा नहीं पहचाना जा सकता। लेकिन फिर भी कुछ लक्षण है जिनसे आपको पता लग सकता है। आइए उन लक्षणों के बारे में जानें।

असामान्य रक्तस्राव

संबंध बनाने के बाद अधिक मात्र में रक्तस्राव या फिर तेज दर्द होना इसका एक लक्षण हो सकता है। इसके अलावा रजोनिवृत्ति के बाद भी शारीरिक संबंध बनाने पर खून का रिसाव होना भी इसमें शामिल है।

वाइट डिसचार्ज

अक्सर वजाइना से सफेद बदबूदार पानी का रिसाव होना भी सर्वाइकल कैंसर का लक्षण है। इसे नजर अंदाज़ न करे और जब भी आप अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाये तो इसके बारे में जरुर बात करें और जरूरी टेस्ट करवाएं।



पेट के निचले हिस्से में दर्

आम तौर पर मासिक धर्म के दौरान पेट के निचले हिस्से के दौरान दर्द होता है। लेकिन अगर आपके मासिक धर्म की तारीख के अलावा तेज या हल्का दर्द हो तो इसे हल्के में ना लें। इसके बारे में तुरंत डॉक्टर से बात करें।

यूरीन की समस्या 

पेशाब की थैली में दर्द होना सर्वाइकल कैंसर का पहला लक्षण है। यह लक्षण तभी दिखता है जब कैंसर यूरीन की थैली तक पहुंच चुका हो। इसके साथ ही पीरियड्स के बीच में स्‍पाटिंग या संबन्‍ध बनाने के बाद ब्‍लीडिंग होना भी इसका एक लक्षण है। ऐसा गर्भाशय ग्रीवा की जलन कि वजह से होता है, जो कि सेक्‍स या पीरियड होने पर तेज हो जाता है।

इसके अलावा सर्वाइकल कैंसर के सामान्य लक्षण

भूख कम लगना,

वजन कम होना,

थकान महसूस करना,

अनीमिया और बोन फ्रैक्चर आदि होते हैं।



जानें क्या है सर्वाइकल कैंसर, प्रमुख कारण, लक्षण और बचाव

सर्वाइकल कैंसर का प्रमुख कारण ह्यूमैन पैपीलोमा वाइरस है। यौन संपर्क से यह वाइरस सर्विक्स में संक्रमण पैदा कर देता है। इस संक्रमण के बाद सर्विक्स की प्रीकैंसरस सेल्स तेजी से बढ़ने लगती हैं। अन्य कारणों में नियत समय से पहले माहवारी होना, किशोरावस्था में गर्भवती होना, कई लोगों के साथ शारीरिक संबंध होना या फिर ऐसा सेक्स पार्टनर जिसके अन्य लोगों के साथ शारीरिक संबध हों।

बीमारी कोर्इ भी हो उससे डरना नहीं लड़ना चाहिए। कर्इ एेसी बीमारियां हैं जिनका नाम सुनते ही इंसान कहता है कि इसका इलाज आसान नहीं है, लेकिन इस दुनिया में कोर्इ भी चीज असंभव नहीं है। कैंसर एक एेसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही इंसान के जेहन में एक डर सा बैठ जाता है, लेकिन एेसा नहीं है कि कैंसर का इलाज नहीं हो सकता है। अगर समय रहते इसके बारे में पता चल जाए आैर उसका इलाज कराया जाए तो इस पर काबू पाया जा सकता है। यहां आपको सर्वाइकल कैंसर के बारे में बताया जा रहा है। आजकल महिलाओं में होने वाले विभिन्न प्रकार के कैंसरों में गर्भाशय ग्रीवा या सर्वाइकल कैंसर के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। 

क्या है सर्वाइकल कैंसर

सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) गर्भाशय का ही भाग है, जिसकी जांच योनि मार्ग से की जा सकती है। सर्विक्स की चौड़ाई एक इंच से भी कम होती है और इसकी लंबाई लगभग डेढ़ इंच होती है। सर्विक्स एक विशेष प्रकार की मांसपेशियों से घिरा होता है और यह सतह की कोशिकाओं (सरफेश सेल्स) की एक पतली पर्त से ढका होता है। सरफेश सेल्स में ही गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर विकसित होता है। यह कैंसर सबसे पहले असामान्य तरीके से प्रीकैंसरस सेल्स के रूप में डेवलप होता है। लगभग 10 साल के बाद ये प्रीकैंसरस सेल्स वास्तविक कैंसर कोशिकाओं में तब्दील हो जाती हैं। ये कैंसर कोशिकाएं सर्विक्स की मांसपेशियों, निकटवर्ती टिश्यूज और शरीर के अन्य अंगों में फैल जाती हैं।


सर्वाइकल कैंसर के प्रमुख कारण

सर्वाइकल कैंसर का प्रमुख कारण ह्यूमैन पैपीलोमा वाइरस है। यौन संपर्क से यह वाइरस सर्विक्स में संक्रमण पैदा कर देता है। इस संक्रमण के बाद सर्विक्स की प्रीकैंसरस सेल्स तेजी से बढ़ने लगती हैं। अन्य कारणों में नियत समय से पहले माहवारी होना, किशोरावस्था में गर्भवती होना, कई लोगों के साथ शारीरिक संबंध होना या फिर ऐसा सेक्स पार्टनर जिसके अन्य लोगों के साथ शारीरिक संबध हों। इसके अलावा धूम्रपान करना और यौन संपर्क से होने वाली बीमारियां भी सर्वाइकल कैंसर का जोखिम बढ़ाती हैं। किशोरियों को पुरुषों की अपेक्षा ह्यूमैन पैपीलोमा वाइरस से ग्रस्त होने का जोखिम ज्यादा होता है।

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण

सर्विक्स में प्रीकैंसरस सेल्स होने पर कोई लक्षण प्रकट नहीं होते। सर्वाइकल कैंसर में उस समय तक लक्षण नहीं दिखते, जब तक कि यह कई सालों बाद बढ़ी हुई अवस्था में न पहुंच जाए। फिर भी कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं।

-शारीरिक संपर्क के बाद योनि से रक्त स्राव होना।
-दो माहवारी के बीच में रक्तस्राव होना।
-जब कैंसर अन्य टिश्यूज में फैलने लगता है, तो पेट के नीचे दर्द भी शुरू हो जाता है।
-योनि से गुलाबी रंग का स्राव निकलना।

रोकथाम

ह्यूयूमैन पैपीलोमा वाइरस से बचाव करना सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए आवश्यक है। बाजार में सर्विक्स कैंसर की रोकथाम के लिए दो वैक्सीन्स उपलब्ध हैं। इन वैक्सीन्स की तीन डोज दी जाती हैं, जो आजीवन सुरक्षा प्रदान करती हैं। ये वैक्सीन्स किशोरियों और उन महिलाओं को भी लगायी जा सकती हैं, जिनकी उम्र 30 साल से कम है और जो शारीरिक संपर्क स्थापित करती हैं। वैक्सीन से सर्विक्स कैंसर से 70 फीसदी तक बचाव किया जा सकता है।

डायग्नोसिस

सर्वाइकल कैंसर उन कैंसरों में से एक है, जिसका पता कैंसर विकसित होने से पहले ही चल सकता है। इसका कारण यह है कि सर्विक्स की सतह से सेल्स आसानी से प्राप्त की जा सकती हैं और जिनका माइक्रोस्कोप से निरीक्षण किया जा सकता है। पैप स्मीयर टेस्ट के जरिये प्रीकैंसरस सेल्स की भी जांच की जा सकती है। पैप स्मीयर टेस्ट एक ओपीडी प्रक्रिया है, जो ज्यादातर क्लीनिकों और हॉस्पिटल में उपलब्ध है। अगर पैप स्मीयर प्रक्रिया में कोई असामान्यता सामने आती है, तब फिर कॉल्पोस्कोप के जरिये बॉयोप्सी की जाती है।


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उपचार

नर्इ दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर इंस्टीटयूट के डाॅक्टर का कहना है कि अगर समय पर सर्वाइकल कैंसर के बारे में पता चल जाए तो इसका इलाज आसानी से हो सकता है, लेकिन इसका पता शुरुआत में नहीं चल पाता है। अगर नियमित चेकअप कराते रहें तो इस बीमारी का पकड़ में आना कोर्इ बड़ी बात नहीं है। डाक्टर रोहित गुप्ता कहते हैं कि सर्वाइकल कैंसर का इलाज उस स्टेज पर निर्भर करता है, जिस स्थिति में कैंसर का पता चलता है। आमतौर पर शुरुआती अवस्था में सर्वाइकल कैंसर के इलाज में सर्जरी का विकल्प खुला रहता है। ऑपरेशन के जरिए गर्भाशय को निकाल दिया जाता है, जिसे हिस्टेरेक्टॅमी कहा जाता है, जिन महिलाओं का कैंसर शुरुआती अवस्था से आगे बढ़ चुका होता है, उनके लिए इलाज में कीमोथेरेपी.रेडिएशन थेरेपी का प्रयोग किया जाता है। लैप्रोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जरी से भी सर्विक्स कैंसर का इलाज किया जाता है।

महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर के बारे में ये चीज़ें जरुर पता होनी चाहिये
   
सर्वाइकल कैंसर यानि गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर, यह कैंसर इस समय महिलाओं में तेज़ी से फ़ैल रहा है। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल करीब 122,844 महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित पायी जाती हैं, जिसमें से 67,477 महिलाओं की मृत्यु हो जाती है।

इतनी ज्यादा संख्या होने के बावजूद आज भी भारत में इस कैंसर की जानकारी कम ही लोगों को है। इसलिए चलिए सबसे पहले हम इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं ताकि समय आने पर इससे बचा जा सके।

सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) गर्भाशय का ही भाग है, यह कैंसर इसी ग्रीवा में जन्म लेता है। यह कैंसर सबसे पहले असामान्य तरीके से प्रीकैंसरस सेल्स के रूप में विकसित होता है और धीरे धीरे पूरे शरीर में फ़ैल जाता है। एचपीवी यानि ह्यूमैन पैपीलोमा वाइरस सर्वाइकल कैंसर का प्रमुख कारण है।

यही नहीं सर्वाइकल कैंसर होने के और भी कई कारण है जैसे धूम्रपान करना, कई लोगों के साथ शारीरिक संबंध होना या फिर ऐसा सेक्स पार्टनर जिसके अन्य लोगों के साथ शारीरिक संबध हों, किशोरावस्था में यौनसंबंध होना और गर्भनिरोधक गोलिया लेना।

आइये कुछ और सर्वाइकल कैंसर के लक्षण जानते हैं जैसे कई सारी महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर पचास की उम्र से पहले हो जाता है साथ ही बड़ी उम्र की महिलाओं को इससे ज्यादा खतरा होता है।

अगर इस कैंसर के बारे में जल्दी पता चल जाये तो लगभग 91 प्रतिशत बचने की संभावना होती है लेकिन अगर इस कैंसर के बारे में एडवांस स्टेज में पता चलता है तो बचने की संभावना 16 प्रतिशत हो जाती है। हालांकि एचपीवी सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण है जो संभोग से होता है और कुछ मामलों में त्वचा के सम्पर्क में आने से होता है।

ऐसा कहा जाता है कि  सर्वाइकल कैंसर एचपीवी संक्रमण से ही होता है लेकिन ज्यादातर मामलों में एचपीवी संक्रमण से सर्वाइकल कैंसर नहीं होता है। नए आकड़ों के मुताबिक एचपीवी संक्रमण कुछ समय के लिए ही होता है जैसे सिर्फ 8-13 महीनों के लिए।
सर्वाइकल कैंसर का खतरा उम्र के साथ कम नहीं बल्कि बढ़ जाता है। इसलिए जरुरी है कि नियमित रूप से इसकी जांच कराई जाए।

1: एक उम्र तक इसकी जांच की कोई जरुरत नहीं होती 

सच्‍चाई: अगर आपके पहले किसी के साथ यौन-संबंध रहें हैं तो बढ़ती उम्र के साथ सर्वाइकल कैंसर हो सकता है, इसलिये इसकी जांच करवानी जरुरी है।

2: यह जनेटिक होता है 

सच्‍चाई: बहुत सारे लोगों का मानना है कि अगर उनके परिवार में यह कैंसर पहले किसी को नहीं हुआ है तो उन्हें भी नहीं होगा। लेकिन सच तो यह है कि परिवार में किसी को भी सर्वाइकल कैंसर ना होने के बावजूद इसके होने का खतरा होता है।


3: अगर आपके अंदर कोई लक्षण हैं तभी जांच करानी चाहिए 

सच्‍चाई: कोई लक्षण ना होने के बाद भी आपको एचपीवी संक्रमण हो सकता है। टीके लगने के बाद भी महिलाओं को नियमित रूप से पैप स्मीयर कराते रहना चाहिए।

जांच



उम्र के 21 साल की शुरुआत में ही हर महिला को सर्वाइकल कैंसर की जांच करा लेनी चाहिए। पैप स्मीयर जांच द्वारा गर्भाशय के कैंसर की शुरुआती अवस्था को पकड़ा जा सकता है। इसके साथ एचपीवी जांच डॉक्टर करा सकते हैं जिससे सर्वाइकल कैंसर की पुष्टि हो सके। जो महिलाएं 30 और 65 वर्ष की उम्र के बीच हैं उन्हें पैप स्मीयर और एचपीवी जांच जरूर करा लेनी चाहिए। इस कैंसर का अगर शुरुवाती स्टेज पर इलाज किया जाए तो बचने की संभावना काफी ज्यादा है। हर साल भारत में सर्वाइकल कैंसर के 1,23,000 नए मामले सामने आते हैं, इसीलिए यह जरुरी है कि इस बीमारी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलाई जाए जिससे बीमार व्यक्ति कैंसर का पता चलते ही समय रहते अपनी जांच करा सके।

सर्वाइकल कैंसर के यह 5 लक्षण

स्तन कैंसर के अलावा महिलाओं में सबसे अधि‍क होने वाला कैंसर है सर्वाइकल कैंसर या ग्रीवा का कैंसर। यह गर्भाशय के निचले हिस्से में ग्रीवा की कोशि‍काओं में पैदा होता है। प्रमुख रूप से यह कैंसर पेपीलोमा वायरस के कारण होता है जि‍से एचपीवी भी कहा जाता है। सर्वाइकल कैंसर किसी भी उम्र की महिला को हो सकता है। जानिए इसके 5 प्रमुख लक्षण - 


1 असामान्य रक्त स्त्राव - गुप्तांग से बगैर कारण के असामान्य रूप से रक्त का स्त्राव होना सर्वाइकल कैंसर का लक्षण हो सकता है। कैंसर होने की स्थि‍ति में कुछ केशिकाओं की वृद्धि‍ होती है जो आसानी से टूट सकती हैं और रक्त स्त्राव का कारण बनती हैं।

2 संबंध बनाने में दर्द - संबंध बनाने के दौरान गुप्तांग में दर्द महसूस होना भी सर्वाइकल कैंसर के कारणों में से एक है। इसके अलावा संबंध बनाने के बाद गाढ़ा बदबूदार पदार्थ का स्त्राव भी इसका एक लक्षण है।



3 असामान्य स्त्राव - गुप्तांग से साफ और गंध रहित पदार्थ का निकलना एक सामान्य घटना है, लेकिन यदि यह पदार्थ अशुद्ध और बदबूदार है, तो यह गर्भाशय की अंदरूनी परत पर कैंसर होने की ओर इशारा करता है। यह स्त्राव पारदर्शी, भूरा, हल्का पीला, भारी या रक्त के साथ मिश्र‍ित हो सकता है।

4 बार-बार यूरिन जाना - अगर आपको बगैर किसी कारण के लगातार थोड़ी-थोड़ी देर में बाथरूम जाना पड़ रहा है, तो आपको इस बारे में ध्यान देने की जरूरत है। यह सर्वाइकल कैंसर का प्रभाव हो सकता है।


5 अत्यधि‍क थकावट - अगर इन सभी लक्षणों के साथ आप आराम करने के बावजूद अत्यधि‍क थकान महसूस करते हैं, तो अपने डॉक्टर को जरूर दिखाएं। इस तरह के कैंसर में लाल रक्त कणि‍काओं का क्षय होता है और एनिमिया की संभावना बढ़ जाती है जिससे भूख में कमी आती है और ऊर्जा की कमी और कमजोरी हो सकती है।



सर्वाइकल कैंसर के इलाज ओर लक्षण, कारण,सर्वाइकल कैंसर के प्रकार

सर्वाइकल कैंसर उस अवस्था को कहते है, जब गर्भाशय में सेल्‍स की अनियमित वृद्धि होना शुरू हो जाती है| अधिकतर सर्वाइकल कैंसर फ्लैटंड और स्क्वैम्श सेल्स के बढ़ने के कारण होता है, लेकिन कई बार म्युकस और ग्लैंडुलर आदि के कारण भी सर्वाइकल कैंसर की प्रॉब्लम होने लगती है| डिस्प्लेसिया सर्वाइकल कैंसर की सबसे पहली अवस्था होती है और इस अवस्था में सर्वाइकल कैंसर 100 % इलाज संभव होता है|

जब यह बीमारी का रूप लेना शुरू कर देती है, तब इसे कार्कीनोमा कहते है| डिस्प्लेसिया और कैंसर का खतरा तब बढ़ जाता है, जब किसी खतरनाक वायरस के इंफेक्शन के कारण ह्यूमन पेपीलोमा हो जाता है| सर्वाइकल कैंसर का खतरा उन महिलाओं में अधिक होता है, जिनका अंग प्रत्यारोपण हुआ हो या जिनका तंत्रिका तंत्र कमजोर हो| सर्वाइकल कैंसर के लक्षण शुरुआती समय में नजर नहीं आते, लेकिन फिर भी कुछ सामान्य लक्षण के आधार पर इसकी पहचान की जा सकती है|

सर्वाइकल कैंसर क्या है

महिला की बच्चेदानी में तीन भाग होते है, युटेरस, सर्विक्स और वजाईना| वजाईना और सर्विक्स के बीच के रास्ते को सर्विक्स कहते है| सर्वाइकल कैंसर की शुरुआत सर्विक्स से होती है| सर्विक्स एक पतली गली है, जो योनि से गर्भाशय की ओर जाती है| सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे सामान्य कैंसर है| सर्वाइकल कैंसर का विकास समय के साथ धीरे धीरे होता है, इसीलिए इसका इलाज काफी हद तक संभव है|


सर्वाइकल कैंसर के प्रकार

स्क्वैमस कोशिकाओं का कैंसर

सामान्य एक्टोसर्विक्स पतली कोशिकाओं और स्क्वॉमस कोशिकाओं नाम की फ्लैट से अच्छी तरह ढका होता है| 70 से 80 % सर्वाइकल कैंसर स्क्वॉमस कोशिकाओं का ही होता है|

ग्रंथिकर्कटता 

ग्रंथिकर्कटता सर्वाइकल कैंसर की शुरुआत श्लेम पैदा करने वाली ग्रंथि कोशिकाओं से होती है| ग्रंथि कोशिकाएं सर्विक्स में होती है| सर्विक्स से होकर ही ये गर्भ तक जाती है|ऐसे ही ओर अछे articles के लिए जुड़े रहे ( https://normaladvices.blogspot.com ) से।

अडिनोस्क्वॉमस कार्सिनोमा

अडिनोस्क्वॉमस कार्सिनोमा में कैंसर ग्रंथिल और स्क्वॉमस दोनों कैंसर कोशिका होती है| सर्वाइकल कैंसर का यह प्रकार बहुत कम लोगो में देखने को मिलता है|

छोटी कोशिकाओं का कैंस

इस प्रकार का कैंसर बहुत कम देखने को मिलता है, लेकिन यह बहुत तेजी से बढ़ता है, जिसके कारण इससे पीड़ित लोगो का इलाज केवल 3 % तक ही हो पाता है|

सर्वाइकल कैंसर के चरण

स्टेज 0 (Stage 0) – स्टेज 0 में सर्विक्स में कैंसर से ग्रसित कोई भी कोशिका नहीं होती, लेकिन सर्विक्स में कुछ प्रकार के जैविक परिवर्तन होते है, जिसके कारण आगे जाकर कैंसर होने के चांस बढ़ जाते है| इस अवस्था को सर्वाइकल इंट्राएपिथेलियल नियोप्लाजिया भी कहते हैं।

स्टेज 1 (Stage 1) – स्टेज 1 में कैंसर का फोड़ा केवल सर्विक्स में ही होता है|

स्टेज 2 (Stage 2) – स्टेज 2 में कैंसर कोशिकाएं योनि के निचले हिस्से या श्रोणिक लाइनिंग तक नहीं पहुँचती, लेकिन सर्विक्स के आस पास के उत्तको तक फ़ैल जाती है|

स्टेज 3 (Stage 3) – स्टेज 2 में कैंसर कोशिकाएं श्रोणिक लाइनिंग या योनि के निचले हिस्से तक पहुंच जाती है|

स्टेज 4 (Stage 4) – स्टेज 4 में कैंसर कोशिकाएं फेफड़ो, आंतो और मूत्राशय जैसे शरीर के अन्य मुख्य अंगो तक भी फ़ैल जाता है| स्टेज 4 को लास्ट स्टेज भी कहते है| इस स्टेज में व्यक्ति का इलाज करना बहुत मुश्किल हो जाता है|

सर्वाइकल कैंसर के कारण

1. ह्यूमन पेपिलोमा वायरस एक यौन संचारित वायरस है| इस वायरस के अनेक प्रकार है, उनमे से 13 प्रकार के ह्यूमन पेपिलोमा वायरस सर्वाइकल कैंसर का कारण है|

2. तनाव में अधिक रहने के कारण शरीर की HPV से लड़ने की शक्ति कमजोर पड़ जाती है, इसीलिए अगर आप लम्बे समय से तनाव के शिकार है, तो आपको सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा अधिक होगा|

3. एक रिसर्च के अनुसार जो महिलाये धूम्रपान करती है, उनमे सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा अन्य महिलाओं की तुलना में अधिक होता है|

4. जो महिलाएं 17 साल से कम उम्र में बच्चा पैदा करती है, उनमे सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा अन्य महिलाओं की तुलना में अधिक होता है|

5. सर्वाइकल कैंसर होने के चांस तब और बढ़ जाते है, जब महिला 3 से अधिक बच्चे को जन्म देती है, अर्थात बार बार गर्भधारण करती है|

6. अपने जीवन साथी के साथ वफादार ना होना और अन्य लोगो के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाने के कारण भी सर्वाइकल कैंसर हो सकता है|

7. कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली सर्वाइकल कैंसर कैंसर सहित अनेक प्रकार की बीमारियों का कारण है|

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण

खून निकलना – मासिक धर्म खत्म होने के बाद भी प्राइवेट पार्ट से खून बहना सर्वाइकल कैंसर का लक्षण है, इसीलिए ऐसा कोई भी लक्षण नजर आने पर तुरंत किसी अच्छी महिला डॉक्टर से संपर्क करे| जानकारी की कमी और शर्म के चलते अक्सर महिलाएं इस बात को छुपाती है, लेकिन ऐसा करना गलत है, क्योंकि यह सर्वाइकल कैंसर सहित किसी अन्य खतरनाक बीमारी का भी संकेत हो सकता है|

पेट फूलना – ज्यादा पानी पीने, खाना खाने या मासिक धर्म के समय पेट का फूलना सामान्य माना जाता है, लेकिन अगर आपको अपना पेट हमेशा फुला फुला रहता है, तो डॉक्टर से एक बार जाँच करा ले, क्योंकि पेट का हमेशा फुला रहना सर्वाइकल कैंसर का लक्षण है|

लिकोरिया की समस्या – लिकोरिया को वाइट डिस्चार्ज, सफ़ेद पानी आदि नामो से जाना जाता है| महिलाओं में होने वाली यह आम प्रकार की समस्या है| महिलाये लिकोरिया की समस्या पर अधिक ध्यान नहीं देती, लेकिन अगर समय से इस समस्या का इलाज ना कराया जाये, तो यह अनेक प्रकार के रोगो का कारण बन सकती है| लिकोरिया सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों में आता है, इसीलिए इसे नजरअंदाज करना सही नहीं होगा|

पेशाब के साथ दर्द – जब कैंसर कोशिकाएं पेशाब की थैली तक पहुंच जाता है, तो पेशाब करते समय व्यक्ति को तेज दर्द होता है| यह सर्वाइकल कैंसर का ही लक्षण है| अगर आपको ऐसा कोई लक्षण अपने अंदर महसूस होता है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर जाँच कराये

रजोनिवृति – जब मासिक धर्म होने बंद हो जाते है, तब उस अवस्था को रजोनिवृति कहते है| रजोनिवृति अधिकतर 50 साल के बाद होती है| रजोनिवृति के बाद भी प्राइवेट पार्ट से खून का आना सर्वाइकल कैंसर का लक्षण है| अगर आपके साथ यह प्रॉब्लम हो रही है, तो बिना देर किये किसी अच्छी महिला डॉक्टर से संपर्क करे|ऐसे ही ओर अछे articles के लिए जुड़े रहे ( https://normaladvices.blogspot.com ) से।

पेडू में दर्द – मासिक धर्म के साथ साथ महिलाओ के पेडू में दर्द होता है और यह एक सामान्य किर्या है, लेकिन अगर आपको इस दर्द का सामना हमेशा करना पड़ता है, तो किसी महिला डॉक्टर से तुरंत जाँच कराये| पेडू में दर्द का बार बार होना सर्वाइकल कैंसर का संकेत हो सकता है|


सर्वाइकल कैंसर से बचाव

1. अगर आप ऊपर दिए गए सर्वाइकल कैंसर के लक्षण में से कोई भी लक्षण नजर आ रहा है, तो समय समय पर सर्वाइकल स्क्रीनिंग कराते रहे| सर्वाइकल स्क्रीनिंग कराने से कैंसर को शुरूआती स्टेज में ही पकड़ लिया जाता है, जिससे सर्वाइकल कैंसर का सफल इलाज संभव हो पाता है|

2. धूम्रपान सर्वाइकल कैंसर सहित अनेक सभी प्रकार के कैंसर और बीमारियों का कारण है, इसीलिए सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए धूम्रपान करना बंद कर दे और ऐसे लोगो के संपर्क से भी बचे जो धूम्रपान करते है|

3. अगर आपको अपने अंदर सर्वाइकल कैंसर के लक्षण नजर आ रहे है, तो HPV वैक्सीन जरूर कराये| HPV वैक्सीन से सर्वाइकल कैंसर का खतरा बहुत कम हो जाता है|

4. सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए अपने जीवन साथी के साथ वफादार रहे और अन्य किसी के साथ रिश्ता ना बनाये|

सर्वाइकल कैंसर का परीक्षण

बायोप्सी – बायोप्सी में डॉक्टर एनेस्थीसिया के अंतर्गत ऊतक का एक छोटा हिस्सा लेते है|

सीटी स्कैन – सीटी स्कैन के माध्यम से डॉक्टर पेट और सर्विक्स का एक स्पष्ट चित्रण लेते है, जिससे कैंसर कितना फ़ैल चूका है, यह पता लगाया जा सके|

श्रोणि अल्ट्रासाउंड – श्रोणि अल्ट्रासाउंड में डॉक्टर धवनि तरंगों में माध्यम से लाइव मॉनिटर पर लक्षित भाग को देखते है|

कोन बायोप्सी – कोन बायोप्सी में कोन के आकर का एक छोटा हिस्सा सर्विक्स के असामान्य ऊतक से निकाला जाता है|

कॉल्पोस्कोपी – इसमें कॉल्पोस्कोपी के माध्यम से सर्विक्स को देखा जाता है, ऐसा करते समय महिला के प्राइवेट पार्ट को खुला रखने के लिए स्पेक्युलुम का इस्तेमाल करते है|

एमआरआई – एमआरआई में पेट और सर्विक्स का बहुत स्पष्ट चित्रण मिलता है, जिससे डॉक्टर को यह जानने में आसानी रहती है, कि कैंसर शरीर में कितना और किस स्टेज तक पहुंच चूका है|


खून की जाँच – इसमें डॉक्टर गुर्दे की जाँच और ब्लड सेल्स की गिनती करने के लिए खून की जाँच कराते है|

सर्वाइकल कैंसर का इलाज

सर्जरी (Surgery) – सर्वाइकल कैंसर का इलाज डॉक्टर सर्जरी के माध्यम से करते है| सर्जरी अनेक प्रकार की होती है| आपके इलाज के लिए किस प्रकार की सर्जरी का इस्तेमाल किया जाये, यह बात इसपर निर्भर करती है, कि आप सर्जरी के बाद बच्चा पैदा करना चाहती है या नहीं, कैंसर शरीर के किस हिस्से में है और कैंसर शरीर में कितना फ़ैल चूका है|

विकिरण चिकित्सा (Radiation Therapy) – विकिरण चिकित्सा में हाई-डोज़ एक्स-रे या इम्प्लांट्स के माध्यम से योनिक गुहा में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने की कोशिश की जाती है| विकिरण चिकित्सा का इस्तेमाल केवल कुछ स्टेज पर ही किया जाता है|

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कीमोथेरेपी (Chemotherapy) – कीमोथेरेपी में कुछ विशेष प्रकार की दवा का इस्तेमाल किया जाता है और इन दवा के माध्यम से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने की सफल कोशिश की जाती है|

कीमोरडिएशन (Chemoradiation) – कीमोरडिएशन में विकिरण और कीमोथेरेपी का संयोजन करके सर्वाइकल कैंसर का इलाज इलाज किया जाता है|

सर्वाइकल कैंसर में क्या खाये

ब्रोकली

फूल और पत्ता गोभी

जैसी पत्तेदार ताज़ी सब्जीजामुन और पपीता

जैसे एंटीऑक्सीडेंट युक्त फलग्रीन टी रोजाना दो कपमैकेरल

कॉड और सैल्मन मछलीओमेगा-3

युक्त खाद्य पदार्थ

सर्वाइकल कैंसर में क्या ना खाये

रेड मीट और डेरी उत्पादहाइली-प्रोसेस्ड कार्बोहाइड्रेट्स और रिफाइंड शर्करा युक्त आहार

ध्यान रखने योग्य बाते –

1. दवा का सेवन सुबह शाम डॉक्टर की सलाह अनुसार करे

2. धूम्रपान ना करे और धूम्रपान करने वाले लोगो से बचे|

3. डॉक्टर की सलाह अनुसार समय समय पर चेकउप कराते रहे|

4. डॉक्टर द्वारा बताई गयी सभी बातो पर ध्यान दे|

रात को सोते वक्त खाएं भुना हुआ लहसुन, दूर भागेगा कैंसर

औषधीय गुणों से भरपूर लहसुन सिर्फ खाने में स्‍वाद ही नही बढ़ाता बल्कि आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी बहुत अच्‍छा है। इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण और फॉस्फोरस, आयरन व विटामिन ए, बी व सी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। 

लहसुन के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है। साथ ही लहसुन में अलिसिन नामक एंटीबॉयटिक भी पाया जाता है जो बहुत से रोगों को होने से बचता हैं।

लहसुन हमें कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से भी बचाता है। यानि कि लहसुन का नियमित सेवन करने से कैंसर होने का खतरा काफी कम रहता है। लहसुन का एक गुण यह भी है कि यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करता है। आज हम आपको सोते वक्त भुना हुआ लहसुन खाने के फायदे बता रहे हैं। आइए जानते हैं क्या होते हैं

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भुना हुआ लहसुन हमारे बढ़े हुए कॉलेस्ट्राल को नियमित रखता है। जिससे कि दिल की बीमारियों से छुटकारा मिलता है और ह्रदय स्वस्थ रहता है।रात को सोते वक्त भुना हुआ लहसुन खाने से शरीर में मौजूद सभी विषैले पदार्थों को यूरिन के जरिए बाहर निकलने में मदद मिलती है।सोते वक्त लहसुन खाने से हड्डियां मजबूत होती है। बढ़ती उम्र के लोगों के लिए यह काफी कारगर साबित होता है। यानि कि एंटी एजिंग पर भी यह रोकथाम करता है।शरीर में एनर्जी आने के साथ ही शरीर की कमजोरी और थकान भी दूर होती है।  रोजाना भुने हुए लहसुन का सेवन करने से हमारे शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और मोटापा कम होता है। लहसुन खाने से शरीर में किसी भी प्रकार का संक्रमण नहीं होता है। अगर हो भी जाए तो लहसुन के गुण उन्हें जड़ से खत्म कर देते हैं। लहसुन सांस से जुड़ी सभी समस्याओं का भी सफाया करता है। जिन लगों को सांस लेने में दिक्कत आती है। उनके लिए भुना हुआ लहसुन काफी फायदेमंद है।



तो दोस्तो आज जाना कि क्या है ( cervical cancer ) दोस्तो कोई बी बीमारी हो उससे डरो मत उसका सामना करो। ओर दोस्तो आप इन सब advices को आपनी लाइफ मैं जरूर Try करे और ऐसे ही ओर अछे articles के लिए जुड़े रहे ( https://normaladvices.blogspot.com ) 
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