Heart problem in hindi
तो दोस्तो आज हम मिल के हृदय रोग के टॉपिक पर बात करे गे heart problem ये आज कई लोगो को है और कई लोग इस बीमारी से जूझ रहे है हृदय रोग के टॉपिक पर बात करे गे heart problem ये आज कई लोगो को है और कई लोग इस बीमारी से जूझ रहे है
हार्ट अटैक आज के समय में आम समस्या बन गई है. जब दिल तक खून पहुंचने में दिक्कत होती है तो दिल का दौरा यानी हार्ट अटैक की आशंका होती है. दिल की बीमारी का इलाज समय से कराना चाहिए नहीं तो यह जानलेवा साबित हो सकती है. इस लिए आज हम पूरी तरह से इस टॉपिक पे बात करे गए और जाने गए क़ होता है ये लोग क्या इलाज है क्या काना चाहिए या नही हर टॉपिक पर बात करे तो दोस्तो जुड़े रहे ।
Kuch points mai aap ko ye article batuga jis se ye article aap ko ache se smaj aa jay ga
1, हृदय रोग के कारण,लक्षण और बचाव की जानकारी
2, जानिए क्या हैं हृदय रोग के लक्षण
3, कहीं आपका दिल बीमार तो नहीं,
4, ये लक्षण बताएंगे आप हो सकते हैं हार्ट अटैक के शिकार, इस तरह से करें बचाव
5, हार्ट प्रॉब्लम के हिसाब से दिखते हैं ये अलग-अलग लक्षण
6, अगर यह 6 लक्षण दिखे, तो समझ लें आपको है दिल की बीमारी
7, इस वजह से आपका दिल हो सकता है कमजोर
8, अगर आपके साथ हो रहा है ऐसा तो ये हैं हार्ट अटैक के लक्षण
9, हार्ट अटैक आने पर तुरंत करें ये काम
10, ह्रदय को स्वस्थ रखने के कुछ उपाय
11,हार्ट के मरीज को रोज खाना चाहिए एक अंडा, जानिए क्यों!
12,दिल को रखना है हेल्दी तो कभी न भूलें ये 8 बातें
13, दिल के मरीज के लिए उत्तम भोजन कैसा होना चाहिए
14, स्वस्थ्य दिल के लिये खाइये ये फूड
15, कौन-कौन से फल और सब्जियां खाएं
16, दिल के रोगी क्या न खाएं, परहेज
17, दिल की सेहत के लिए घटाएं वजन
18, हार्ट वाल्व को कैसे मजबूत बनाएं
19, दिल की बीमारी और कमजोरी का इलाज
20, अगर आपको भी है दिल की बीमारी तो अपनाएं ये घरेलू नुस्खे
21, हार्ट अटैक का आयुर्वेदिक उपचार
22, हार्ट अटैक से बचने के 13 तरीके
23, हार्ट अटैक से बचे
24, हार्ट पेशेंट के लिए डाइट चार्ट
25, Yoga ( योगासन )
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तो दोस्तो चलो जानते है ये topics के बारे मे
हृदय रोग के कारण,लक्षण और बचाव की जानकारी
हृदय रोग – हृदय शूल (Angina pectoris) और दिल का दौरा (Heart Attack) जैसे दिल के रोगों का फैलाव बड़ी तेजी के साथ हो रहा है खास तौर से भारत जैसे विकासशील देशो में यह बीमारी हर साल लाखो लोगो की जान ले लेती है क्योंकि ज्यादतर विकासशील देशो में या तो उन्नत मेडिकल सुविधाए उपलब्ध ही नहीं है और अगर है भी तो महंगी होने के कारण आबादी के एक बड़े हिस्से ही पहुँच से बाहर है| दूसरा लोगो में जागरूकता का आभाव और दौड़ भाग भरी भागती जिन्दगी में सेहत का ख्याल न रख पाने की मुश्किलें इसको और तेजी से बढाती जा रही है | लगातार उच्च रक्तचाप बने रहने से हृदय में अतिरिक्त दबाव बना रहता है जिससे हृदय रोग होने की सम्भावना ज्यादा रहती है। इसके अलावा डायबिटीज भी ह्रदय रोगों को बढ़ाने वाला तथा उसको और भी ज्यादा विकराल बना देता है | क्योकि इसके कारण खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है और लम्बे समय तक बराबर बनी रहती है, तो धीरे – धीरे यह धमनियों को और भी ज्यादा जाम कर देता है |
हृदय रोग
हृदय रोग होने पर हृदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनिया संकरी और सख्त हो जाती है। जिससे रक्त शरीर के अंगो में सही मात्रा में पंप नहीं हो पता है | (Narrowing and hardening of the arteries orathero sclerosis).रक्त में जब वसा (Cholesterol) की मात्रा अधिक हो जाती है तो अतिरिक्त कोलेस्ट्रोल हृदय की धमनियों की भीतरी दीवारों पर एकत्रित होने लगता है और धमनियों के भीतर निरंतर ‘वसा’ की परत जमने से धीरे-धीरे धमनियों संकरी और कड़ी हो जाती है जिससे रक्त प्रवाह का मार्ग (Blood Circulation) अवरुद्ध हो जाता है। |दरअसल हृदय का मुख्य कार्य आक्सीजन मिला शुद्ध रक्त को बाकि अंगो तक पंहुचाना होता है | जिसकी आपूर्ति हृदय की धमनियों ‘कोरोनरी आर्टरीज” (coronary arteries) से मिलती है।अब यदि किन्हीं कारणवश इन धमनियों में रूकावट (विशेषकर रक्त की धमनियों के भीतर चिकनाई की परत-दर-परत जमते जाने और धमनी का भीतरी व्यास कम हो जाने के कारण) उत्पन्न हो जाता है, तो ऐसी अवस्था में हृदय को रक्त की आपूर्ति पूरी तरह से न होकर कम मात्रा में और बाधित ढंग से होती है।हृदय रोग की शुरुवात में आराम की अवस्था में रोगी का किसी प्रकार काम चलता रहता है और उसे ज्यादा कुछ अहसास नहीं होता है | पर भारी काम करने पर परेशानी होने लगती हैं |
हृदय रोग के लक्षण
शुरू-शुरू में हृदय के रोग के कोई विशेष लक्षण अनुभव नहीं होते हैं, पंरतु जब रोगी को कोई शारीरिक परिश्रम जैसे दूर तक पैदल चलना, सीढ़ियां, पहाड़ आदि चढ़ना, दौड़ना आदि) कार्य करने पड़ते हैं तो शारीरिक श्रम के दौरान रोग के प्रारंभिक लक्षण –जैसे- साँस चढना , छाती में दर्द उठना, कंधों और पीठ में दर्द होना, भारीपन प्रतीत होना, दम घुटना, छाती में सिकुड़न आदि अनुभव होते हैं|Chest Pain Reasons -क्योंकि हृदय को ज्यादा काम करने के लिए अतिरिक्त (सामान्य से अधिक) रक्त की आवश्यकता होती है, जो रक्त की पूर्ति में कमी आ जाने के कारण उसे मिल नहीं पाता और परिणामस्वरूप हृदय की मांसपेशियां जोरों से सिकुड़ती हैं और छाती में दर्द (Chest pain) का अनुभव होता है।इसी दर्द को ‘हृदय शूल’ अंग्रेजी में (Angina Pectoris) कहा जाता है।इसके अतिरिक्त अधिक मानसिक परिश्रम और तनाव भी हृदय शूल के कारणों में सम्मिलित हैं।पूरी तरह से हृदय रोग हो जाने पर जब रक्त की धमनी के भीतर वसा की परतें जम जाने से वह पूर्ण रूप से बंद हो जाती हैं अथवा खून का थक्का (ब्लड क्लोट) बन जाने से धमनी में रक्त प्रवाह का मार्ग एकाएक अवरुद्ध हो जाता है और हृदय को ऑक्सीजनयुक्त रक्त मिलना बिल्कुल बंद हो जाता है, तब छाती में अचानक असहनीय तेज दर्द उठता है, जिसे ‘दिल का दौरा’ (हार्ट अटैक) कहा जाता है।
दिल का दौरा या हार्ट अटैक के लक्षण
घबराहट होना, सांस लेने में कष्ट होना, हृदय का अनियमित धड़कना, हृदय में तेज पीड़ायुक्त झटके अनुभव होना, पसीना छूटना, चक्कर आना, जी मिचलाना, तीव्र कमजोरी का अनुभव होना अथवा बेहोश हो जाना आदि।याद रखें दिल के दौरे का दर्द आराम करते हुए भी बना रहता है।एंजाइना का दर्द थकान के कारण होता है और विश्राम करने से दूर हो जाता है तथा उससे रक्तचाप और हृदय की धड़कन पर कुछ विशेष प्रभाव न पड़े तो ऐसी स्थिति में घबराने की कोई बात नहीं है|यदि थकान से आरंभ हुआ दर्द विश्राम के बाद भी समाप्त नहीं होता और दर्द निवारक (एनालजैसिक्स) दवाइयों के सेवन से भी कोई लाभ न मिले तो समझना चाहिए कि ‘दिल का दौरा’ पड़ रहा है तो ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द किसी (हृदय रोग विशेषज्ञ) चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए और गंभीरतापूर्वक रोगी का उपचार कराना चाहिए।दिल के दौरे या हार्ट अटैक के लक्षण, कारणों और बचाव को अधिक विस्तार से जानने के लिए पढ़ें यह पोस्ट हार्ट अटैक के लक्षण, कारण, बचाव और फर्स्ट एड इसमें यह भी बताया गया है की अगर अचानक अटैक पड़े तो क्या-क्या सावधानियां बरते |
हृदय रोग मैं क्या खाना चाहिए
हृदय रोग में बिना दाने वाला अनार, आंवला का मुरब्बा, सेब, सेब का मुरब्बा, नींबू का रस, अंगूर, थोडा-सा गुनगुना गाय का दूध, जौ (जई) का पानी (Barley Water), कच्चे नारियल का पानी, गाजर, पालक, लहसुन, कच्चा प्याज, छोटी हरडु, सौंफ, मैथीदाना, किशमिश, मुनक्का |इसके अलवा गाय के दूध की दही से बिलोकर तैयार किया गया शुद्ध घी (सीमित प्रयोग), गेहूं का दलिया (पोषांकुर गेहूं का दलिया), चोकरयुक्त मोटे गेहूं के आटे की रोटी, चना और जौ मिश्रित आटे की मिस्सी रोटी, भिगोए हुए चने (अल्प मात्रा में), भुने चनों का नियमित सेवन, बिना पालिश का चावल (ओखली-मूसल से कूटा गया फाइबर युक्त धान का अथवा धनकुट्टी से निकाला गया चावल)हरी सब्जियां, ताजे फल, कम चिकनाई युक्त बिना मलाई वाला दूध से निर्मित खाद्य पदार्थ इत्यादि भी हृदय रोग में नियमित रूप से लेने चाहिए |भोजन करने बाद दोनों समय (दोपहर व रात को) वज्रासन तथा थकान अनुभव करने पर ‘शवासन’ करना चाहिए |ह्रदय रोगियों या अन्य लोगो को भी जो दिल की बीमारियों को दूर रखना चाहते है हमेशा शाकाहारी भोजन, योगाभ्यास करना चाहिए |अर्जुन की छाल, आंवला, हरड़ जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के उचित प्रयोग से हृदय रोग उत्पन्न ही नहीं होते हैं।हृदय रोग से बचने के लिए नियमित व्यायाम की दिनचर्या के साथ ही तनावरहित गहरी नींद, यथोचित विश्राम और संयमित जीवनयापन निरोग रहने की सफल कुंजी है।हृदय रोग में आंवला – आंवले के मौसम में नित्यप्रति 2 नगहरे पके हुए पुष्ट आवंलों का प्रात: भ्रमण (मार्निग वाक) या व्यायामोपरांत चबाकर खाएं। यदि आवले को कच्चा चबाकर न खा सकें तो आवले का रस और शहद 2-2 चम्मच मिलाकर सेवन करें तथा जब आंवलों का मौसम न रहे तो सूखे आंवलों को कूट-पीसकर विधिवत बनाया गया बारीक़ चूर्ण 1 चम्मच भर (3 ग्राम) रात्रि में सोते समय (अंतिम वस्तु के रूप में) पानी या शहद के अनुपान के साथ लें।आंवलों में रोग निरोधक गुण होने के कारण स्वत: ही रोगों से सुरक्षा प्राप्त होती है|“आंवला“ एक उच्चकोटि का रसायन है। यह रक्त में उपस्थित हानिकारक व विषैले पदार्थों को निकालने में सक्षम है।इसके नियमित प्रयोग से रक्तवाहिनियां कोमल और लचीली बनी रहती हैं तथा रक्तवाहिनियों की दीवारों की कठोरता दूर होकर रक्त का प्रवाह (ब्लड सकुलेशन) भली-भांति होने लगता है।
रक्तवाहिनियों में लचक बने रहने के कारण न तो हृदय फेल होता है, न उच्च रक्तचाप का रोग होता है और न ही रक्त का थक्का (क्लोट) बन सकने के कारण (रुकावट के कारण) मस्तिष्क की धमनियां फटने नहीं पाती हैं। ज्याद जानकारी के लिए देखें दिल के लिए आंवला के नुस्खे |सत्यता तो यही है कि हृदय रोग के बढ़ने का मूल कारण गलत खान-पान और गलत रहन-सहन यानि आधुनिक आरामदायक मशीनो से घिरा लाइफ स्टाइल ही है। और अधिक विस्तृत जानकारी के लिए यह लेख भी अवश्य पढ़ें – दिल की बीमारी से बचाव के उपाय |
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हृदय रोग मैं क्या नही खाए
हृदय रोग से बचने के लिए मांसाहार, मदिरापान, धूम्रपान, तम्बाकू, कॉफी, नशीले पदार्थी का सेवन, अधिक नमक, घी, तेल , तेज मसालेदार चटपटे तले-भुने गरिष्ठ भोज्य पदार्थ, आधुनिक फास्टफूड (नूडल्स ,पिज़्ज़ा , बर्गर आदि) तथा जंक फूड-चाकलेट, केक, पेस्ट्री, आइसक्रीम आदि का सेवन ना करें या कम से कम करें |हृदय रोग होने सबसे बड़ा कारण कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) होता हैं | कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने वाले वसायुक्त चर्बी वाले खाद्य पदार्थ जैसे- मक्खन, घी, मीट,अंडे की जर्दी , नारियल तेल, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ आदि फूड प्रीजवेंटिव, दूध से बने पदार्थ जैसे खोया या मावा की मिठाइयां, रबड़ी, मलाई, श्रीखंड आदि नहीं लेने चाहिए। इनके सेवन से बचना चाहिए।कोलेस्ट्रॉल को लिवर इसलिए पैदा करता है, ताकि कोशिकाओं की दीवारों, हार्मोन और नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) के सुरक्षा घेरे का निर्माण हो सके। कोलेस्ट्रॉल खुद फैट से बना होता है और प्रोटीन से मेल करके लिपोप्रोटीन बनाता है। प्रोटीन से दोस्ती के बाद ही यह अच्छा और बुरा बन जाता है। अच्छा कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल-हाई डेसिटी लिपोप्रोटीन) हल्का होता है और खून से मिलने वाली चर्बी को अपने साथ बहा ले जाता है। बुरा कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल-लो डेसिटी लिपोप्रोटीन) चिपचिपा और गाढ़ा होता है और रक्त वाहिनियों और धमनियों में चिपककर बैठ जाता है। इससे खून के बहने में बाधा आती है और हमारे दिल को वाहिनियों में खून पहुंचाने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है। नतीजा हाई ब्लड प्रेशर, ब्लोकेज और हार्ट अटेक के रूप में सामने आता है | इसलिए हृदय रोग को रोकने के लिए कोलेस्ट्रॉल से बचना बहुत जरुरी हैं | जानिए क्यों जरुरी है फुल बॉडी चेकअप तथा Full Body Checkup List
हृदय रोगियो के लिए सोने से सम्बंदित कुछ खास टिप्स
दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने से हृदय तथा मस्तिष्क के रोग उत्पन्न होते हैं। अत: दक्षिण दिशा की ओर पैर करके न सोएं। सिर को दक्षिण दिशा में रखना चाहिए|इससे नींद अच्छी, गहरी और तरोताजा करने वाली आती है तथा स्वप्न कम आते हैं। (याद रखें कि गहरी निद्रा में स्वप्न नहीं आया करते हैं)यदि दक्षिण दिशा की ओर सिर रखकर सोना संभव न हो तो पूर्व (East) दिशा की ओर सिर करके सोना चाहिए। सिर पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोने से सिरदर्द और आंख के रोगों से बचाव होता है। आंख की द्रष्टि अच्छी होती है और सुखमय तथा शांत निद्रा आती है।हृदय रोग और हार्ट अटैक से बचाव के लिए हम आगे भी आपको लगातार जानकारियां देते रहेंगे तो आज ही हमारा ब्लॉग ई-मेल द्वारा सब्सक्राइब करें और सेहत से जुडी महत्वपूर्ण जानकारियां नियमित रूप से पाते रहें |
थकान, सांस में तकलीफ हो सकते हैं हृदयरोग के लक्षण
अगर आपको अक्सर सांस लेने में तकलीफ हो, थकान, उल्टी और टखनों में सूजन हो तो इसे अवॉइड ना करें क्योंकि ये दिल की बीमारी के संकेत हो सकते हैं. लेकिन यह कोई लाइलाज बीमारी नहीं बल्कि इसका इलाज संभव है. बस जरुरत है इस बीमारी के लक्षणों को सही वक्त पर पहचानने की. एक स्टडी के मुताबिक भारत में दिल की बीमारी की पहचान होने के एक साल के भीतर करीब 23 फीसदी मरीजों की मौत हो जाती है.
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संदीप सेठ का कहना है कि दिल की बीमारी के खतरों को कम करने के लिए मरीजों को मधुमेह (डायबिटीज़), उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर), सांस व फेफड़े संबंधी अन्य तकलीफों को नियंत्रण में रखना जरूरी होता है.
आमतौर पर दिल की बीमारी 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में देखी जाती है लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है बच्चों को दिल की बीमारी नहीं होती है. कई बच्चों को जन्म से भी दिल की बीमारी होती है.।
जानिए क्या हैं हृदय रोग के लक्षण
हृदय हमारे शरीर का एक महत्त्वपूर्ण अंग है।आहार और ऑक्सीजन की जरूरत होती है।हाथों, कमर, गर्दन, जबड़े में दर्द महसूस होना।
दिल की धडकन की ताल में परिवर्तन
हृदय हमारे शरीर का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। यह छाती के मध्य में, थोड़ी सी बाईं ओर स्थित होता है। हमारा ह्रदय एक दिन में लगभग एक लाख बार एवं एक मिनट में 60-90 बार धड़कता है। हृदय की मांसपेशिया जीवंत होती है और उन्हें जिन्दा रहने के लिए आहार और ऑक्सीजन की जरूरत होती है। जब एक या ज्यादा आर्टरी रुक जाती है तो हृदय की कुछ मांसपेशियों को आहार और ऑक्सीजन नही मिल पाती। इस स्थिति को हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा कहा जाता है। (इस सिलसिले में कुछ लोगो को भ्रम हो सकता है कि दिल से संबंधित और भी समस्याएं होती हैं जैसे – हार्ट वॉल्व की समस्या, कंजीनाइटल हार्ट प्रॉब्लम आदि, और जब हम दिल की बीमारियों की बात करते हैं तो आमतौर पर इन्हें शामिल नही किया जाता परन्तु यह समस्याएँ भी हृदय रोग से सम्बंधित होती है
कोरोनरी आर्टरी डिजीज के मुख्य कारण
कोरोनरी आर्टरी डिजीज या कार्डियो वस्क्युलर बीमारी के ज्यादातर मामलों का मुख्य कारण अथीरोमा कही जाने वाली वसा धमनियों के अंदर जम जाती है। समत के साथ-साथ ये सतह बढ़ी होती जाती है और खून के बहाव में रूकावट होने लगती है और एंजाइना का दर्द होने बन जाता है। ऐसा अधिकतर तब होता है जब इस सतह पर खून का थक्का बन जाता है। ऐसा होने पर हृदय की मांसपेशी के एक हिस्से में अचानक खून की कमी हो जाती है और वह क्षतिग्रस्त हो जाता है। इस अवस्था को ही हार्ट अटैक कहते हैं। अगर ये क्षति सीमित हो तो हृदय अपनी पहली वाली अवस्था में लौट सकता है लेकिन यदि नुकसान अधिक हो तो मौत भी हो सकती है।
जन्मजात हृदय की समस्याओं वाले कई व्यक्तियों में बहुत ही कम या कोई लक्षण नहीं पाये जाते। लेकिन कुछ गंभीर मामलों में लक्षण दिखाई देते हैं, खासतौर पर नवजात शिशुओं में यह प्रत्यक्ष होते हैं। इन लक्षणों में सामान्यतः तेजी से सांस लेना, त्वचा, होंठ और उंगलियों के नाखूनों में नीलापन, थकान और खून का संचार कम होना शामिल हैं। दिल के दौरे के लक्षणों में व्यायाम के साथ थकान शामिल है। सांस रोकने में तकलीफ, रक्त जमना और फेफड़ों में द्रव जमा होना तथा पैरों, टखनों और टांगो में द्रव जमा होना। जब तक बच्चा गर्भाशय में रहता है या जन्म के तुरंत बाद तक गंभीर हृदय की खराबी के लक्षण साधारणतः पहचान में आ जाते हैं। लेकिन कुछ मामलों में यह तब तक पहचान में नहीं आते जब तक कि बच्चा बड़ा नहीं हो जाता।
ह्रदय रोगों के लक्षण
अचानक सीने में दर्द दिल का दौरा पड़ने का संकेत हो सकता है, लेकिन अन्य चेतावनी के संकेत भी काफी मामलों में प्रत्यक्ष होते हैं।आपको एक या फिर दोनो हाथों, कमर, गर्दन, जबड़े या फिर पेट में दर्द और बेचैनी महसूस हो सकती है।आपको सांस की तकलीफ, ठंडा पसीना आना, मतली या चक्कर जैसे लक्षण हो सकते हैं।आपको व्यायाम या अन्य शारीरिक श्रम के दौरान सीने में दर्द हो सकता है जिसे एनजाइना कहते हैं। जो कि जीर्ण कोरोनरी धमनी की बीमारी (सी ए डी) के आम लक्षण हैं।लगातार सांस टूटने की अत्यधिक तीव्र तकलीफ दिल के दौरे की चेतावनी है। लेकिन हो सकता है यह अन्य हृदय की समस्याओं का संकेत हों।
कहीं आपका दिल बीमार तो नहीं
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दिल में भी होती है कई तरह की बीमारियां।हर बीमारी के होते है अलग-अलग लक्षण। इसके लक्षणों से किया जा सकता है इलाज।
सभी अंगों की तरह दिल भी कई कारणों से बीमार होता है। दिल की बीमारियों को आम शब्द में हृदय रोग कहा जाता है जिसके अंतर्गत हृदय से संबंधित अनेक बीमारियां एवं परेशानी होती हैं जिसका हृदय पर गलत प्रभाव पड़ता है। इनमें कोरोनरी आर्टरी डिसीज, एंजाइना, दिल का दौरा आदि बीमारियां आती हैं।
कोरोनरी आर्टरी डिजीज
इसका सबसे आम लक्षण है एंजाइना या छाती में दर्द। एंजाइना को छाती में भारीपन, असामान्यता, दबाव, दर्द, जलन, ऐंठन या दर्द के अहसास के रूप में पहचाना जा सकता है। कई बार इसे अपच या हार्टबर्न समझने की गलती भी हो जाती है। एंजाइना कंधे, बाहों, गर्दन, गला, जबड़े या पीठ में भी महसूस की जा सकती है। बीमारी के दूसरे लक्षण छोटी-छोटी सांस आना। पल्पिटेशन। धड़कनों का तेज होना। कमजोरी या चक्कर आना।उल्टी आने का अहसास होना। पसीना आना हो सकते हैं।
हार्ट अटैक
हार्ट अटैक के दौरान आमतौर पर लक्षण आधे घंटे तक या इससे ज्यादा समय तक रहते हैं और आराम करने या दवा खाने से आराम नहीं मिलता। लक्षणों की शुरुआत मामूली दर्द से होकर गंभीर दर्द तक पहुंच सकती है। कुछ लोगों में हार्ट अटैक का कोई लक्षण सामने नहीं आता, जिसे हम साइलेंट मायोकार्डियल इन्फ्रै क्शन यानी एमआई कहते हैं। ऐसा आमतौर पर उन मरीजों में होता है जो डायबीटीज से पीडि़त होते हैं।जिन लोगों को हार्ट अटैक की आशंका है, वे बिल्कुल देर न करें। फौरन आपातकालीन मदद लें, क्योंकि हार्ट अटैक में फौरन इलाज बेहद जरूरी है। इलाज जितनी जल्दी होगा, मरीज के पूरी तरह ठीक होने की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी। सीने, बाहों, कुहनी या छाती की हड्डियों में असहजता, दबाव, भारीपन या दर्द का अहसास।असहजता का पीठ, जबड़े, गले और बाहों तक फैलना। पेट भरा होने, अपच या हार्टबर्न का अहसास होना। पसीना, उल्टी, मितली या कमजोरी महसूस होना। बहुत ज्यादा कमजोरी, घबराहट या सांस का रुक-रुककर आना। दिल की धड़कनों का तेज या अनियमित होना।
हार्ट वाल्व संबंधी बीमारी के लक्षण
हार्ट वाल्व संबंधी बीमारी के लक्षण हमेशा स्थिति की गंभीरता से संबंधित नहीं होते। कई बार ऐसा भी होता है कि कोई लक्षण सामने नहीं आता, जबकि व्यक्ति को हार्ट वाल्व की गंभीर बीमारी होती है, जिसमें फौरन इलाज की जरूरत होती है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि लक्षण काफी गंभीर होते हैं, समस्या भी गंभीर होती है, मगर जांच में वाल्व संबंधी मामूली बीमारी का पता लगता है। पूरी सांस न आना, खासतौर से तब, जब आप अपनी सामान्य नियमित दिनचर्या कर रहे हों या बिस्तर पर सीधे लेटे हों। कमजोरी या बेहोशी महसूस होना। सीने में असहजता महसूस होना। कुछ काम करते वक्त या ठंडी हवा में बाहर निकलने पर छाती पर दबाव या भारीपन महसूस होना। पल्पिटेशन (यह दिल की धड़कनों के तेजी से चलने, अनियमित धड़कन, धड़कनों के चूकने आदि के रूप में महसूस हो सकता है)।
दिल संबंधी जन्मजात दोष
ऐसे दोषों का जन्म से पहले, जन्म के फौरन बाद या बचपन में भी पता लगाया जा सकता है। कई बार बड़े होने तक इसका पता नहीं लग पाता। यह भी मुमकिन है कि समस्या का कोई लक्षण सामने आए ही नहीं। ऐसे मामलों में कई बार शारीरिक जांच में दिल की मंद ध्वनि से या ईकेजी या चेस्ट एक्सरे में इसका पता लग जाता है। जिन वयस्कों में जन्मजात दिल की बीमारी के लक्षण मौजूद होते हैं, उनमें ऐसा देखा जाता है:जल्दी-जल्दी सांस लेना। शारीरिक व्यायाम करने की सीमित क्षमता। हार्ट फेलियर या वाल्व संबंधी बीमारी के लक्षण दिखना। नवजात और बच्चों में जन्मजात हृदय संबंधी दोष। साइनोसिस (त्वचा, उंगलियों के नाखूनों और होठों पर हल्का नीला रंग दिखाई देना)।तेज सांस लेना और भूख में कमी।
वजन ठीक ढंग से न बढऩा। फेफड़ों में बार-बार इन्फेक्शन होना। एक्सरसाइज करने में दिक्कत।
हृदय रोगो से बचने का सबसे आसान उपाय है, उन लक्षणों को जानना जो आपके लिए घातक हो सकते हैं । ऐसे ही कुछ सामान्य लक्षण हैं, जो जटिल भी हो सकते हैं।
ये लक्षण बताएंगे आप हो सकते हैं हार्ट अटैक के शिकार, इस तरह से करें बचाव
हर साल WHO वर्ल्ड हार्ट डे के ज़रिये लोगों में ह्रदय रोग के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य करता है। क्योंकि हृदयाघात के लक्षणों को जानना हर किसी के लिए जरूरी है।
दिल हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है ये तो हम सभी जानते हैं। परंतु क्या हम अपने दिल की महत्वपूर्णता को जानते हुए भी इसका खयाल रखते हैं ? शायद नहीं। “आज के आधुनिक लाइफस्टाइल और अनियमित आहार के कारण 30 से 40 साल की उम्र में ही लोगों को दिल के रोग होने लगे हैं। यह समस्या इतनी आम हो चुकी है की हर परिवार में कोई न कोई सदस्य ह्रदय रोग से ग्रस्त है। यही नहीं बल्कि अब तो छोटी उम्र के बच्चे भी इस बीमारी का शिकार होते जा रहे हैं।
भारत में ख़राब लाइफस्टाइल, तनाव, एक्सरसाइज ना करने और अनियमित फूड हैबिट्स की वजह से लोगों को दिल से संबंधित गंभीर रोग होने लगे हैं। हृदय रोग, दुनिया में मृत्यु और विकलांगता का प्रमुख कारण है, और ह्रदय रोगों के कारण हर साल किसी और रोग की तुलना में अधिक मौतें होती हैं। इसीलिए यह बेहद ज़रूरी है की हम अपने हृदय की सेहत का ख़ास ख्याल रखे और स्वस्थ जीवन व्यतीत करें।
स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ दिल का होना बहुत जरूरी है, इसलिए दिल के प्रति लापरवाही बिलकुल भी नहीं बरतना चाहिए। एक बार हार्ट अटैक झेल चुके हृदय के मरीजों को अत्यन्त सावधानी के साथ अपनी जीवन शैली में बदलाव अपनाने चाहिये। कई बार लोग इतने लापरवाह होते हैं की उन्हें पता ही नहीं होता है की उनके दिल को स्वस्थ रखने के लिए क्या खाएं, कैसा लाइफस्टाइल अपनाएं।
यही कारण है की हर साल WHO वर्ल्ड हार्ट डे के ज़रिये लोगों में ह्रदय रोग के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य करता है। क्योंकि हृदयाघात के लक्षणों को जानना हर किसी के लिए जरूरी है। कई बार इसके लक्षण इतने सामान्य दिखते हैं कि इन्हें मामूली दर्द समझा जाता है। परंतु वो कितना घातक है इसका अंदाजा लोगों को नहीं होता है। इसीलिए यह बेहद ज़रूरी है की हम अपने हृदय की सेहत का ख़ास ख्याल रखे
हृदय रोगों के प्रकार
कोरोनरी धमनी रोग
जिसे कोरोनरी हृदय रोग या हृदय (Heart) रोग भी कहा जाता है, हृदय रोगों में बेहद आम बात है। यह बीमारी धमनियों में मैल जमा होने के कारण होती है, जो हृदय में रक्त के बहाव को रोक कर हृदय विफलता और स्ट्रोक के ख़तरे को बढ़ा देता है।
हाइपरटेंसिव ह्रदय रोग
यह उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हृदय रोग है। उच्च रक्तचाप दिल और रक्त वाहिकाओं को भारी कर देता है,जिसके परिणामस्वरूप दिल की बीमारियां होती है।
रूमेटिक ह्रदय रोग
यह बीमारी रुमैटिक फीवर से जुडी हुई है। यह एक ऐसी अवस्था है, जिसमें हृदय के वाल्व एक बीमारी की प्रक्रिया से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। यह प्रक्रिया स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया के कारण गले के संक्रमण से शुरू होती है। यदि इसका इलाज नहीं किया जाये, गले का यह संक्रमण रुमेटिक बुखार में बदल जाता है। बार-बार के रुमेटिक बुखार से ही रुमेटिक हृदय रोग विकसित होता है। रुमेटिक बुखार एक सूजनेवाली बीमारी है, जो शरीर के, खास कर हृदय, जोड़ों, मस्तिष्क या त्वचा को जोड़नेवाले ऊतकों को प्रभावित करती है।
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जन्मजात हृदय रोग
यह रोग जन्म के समय हृदय की संरचना की खराबी के कारण होती है। जन्मजात हृदय की खराबियां हृदय में जाने वाले रक्त के सामान्य प्रवाह को बदल देती हैं। जन्मजात हृदय की खराबियों के कई प्रकार होते हैं जिसमें मामूली से गंभीर प्रकार तक की बीमारियां शामिल हैं।
हृदय रोग के कारण
कोलेस्ट्रॉल बढ़ना
-ध्रूमपान
-शराब पीना
-तनाव
-आनुवांशिकता (हेरेडिटेरी)
-मोटापा
-उच्च रक्तचाप
दिल की बीमारी के शुरूआती लक्षण जिन्हें समय से पहले जान गंभीर दिल की बीमारियों से बचा जा सकता है। जैसे :-
छाती में बेचैनी महसूस होना
यदि आपकी आर्टरी ब्लॉक है या फिर हार्ट अटैक है तो आपको छाती में दबाव महसूस होगा और दर्द के साथ ही खिंचाव महसूस होगा।
मतली, हार्टबर्न और पेट में दर्द होना
दिल संबंधी कोई भी गंभीर समस्या होने से पहले कुछ लोगों को मितली आना, सीने में जलन, पेट में दर्द होना या फिर पाचन संबंधी दिक्कतें आने लगती हैं।
हाथ में दर्द होना
कई बार दिल के रोगी को छाती और बाएं कंधे में दर्द की शिकायत होने लगती है। ये दर्द धीरे-धीरे हाथों की तरफ नीचे की ओर जाने लगता हैं।
कई दिनों तक कफ होना
यदि आपको काफी दिनों से खांसी-जुकाम हो रहा है और थूक सफेद या गुलाबी रंग का हो रहा है तो ये हार्ट फेल का एक लक्षण है।
सांस लेने में दिक्कतें होना
सांस लेने में दिक्कतें होना या फिर कम सांस आना हार्ट फेल होने का बड़ा लक्षण है।
पसीना आना
सामान्य से अधिक पसीना आना खासतौर पर तब जब आप कोई शारीरिक क्रिया नहीं कर रहे तो ये आपके लिए एक चेतावनी हो सकती है।
पैरों में सूजन
पैरों में, टखनों में, तलवों में और एंकल्स में सूजन आने का मतलब ये भी हो सकता है कि आपके हार्ट में ब्लड का सरकुलेशन ठीक से नहीं हो रहा।
हाथ-कमर और जॉ में दर्द होना
हाथों में दर्द होना, कमर में दर्द होना, गर्दन में दर्द होना और यहां तक की जॉ में दर्द होना भी दिल की बीमारियों का एक लक्षण हो सकता है।
चक्कर आना या सिर धूमना
कई बार चक्कर आने, सिर धूमने, बेहोश होने, बहुत थकान होने जैसे लक्षण भी एक चेतावनी हैं।
बचाव
व्यक्ति को ये सुनिश्चित कर लेना चाहिए की जितनी मात्रा में वह खाना खा सकता है और जिस प्रकार का खाना वह पच सकता है बस वही खाना खाये।
मौसमी फल और ताजा सब्ज़ियां (उबली या पकी हुई), मौसमी फल और ताजा सब्जियों (उबले हुए या पकाया),होलमील रोटी या ब्रेड , सलाद, स्प्रोउट, सब्ज़ियों का सूप, छाछ, पनीर , कम मात्रा में ताजा दूध और घी आदि खाद्य वस्तुओं को चुनने के लिए एक आदर्श सूची बनाते हैं। कोई भी मीठा कम मात्रा में लिया जाना चाहिए। शहद और गुड़ चीनी से ज़्यादा स्वस्थ हैं।
आवला दिल के लिए बहुत फायदेमंद है। यह ताजा लिया जा सकता है या फिर संरक्षित या पाउडर के रूप में भी ले सकते हैं ।
एक सप्ताह में कई बार तेल की या तेल के सिर की मालिश बहुत फायदेमंद है। सप्ताह में एक बार तेल के साथ पूरे शरीर की मालिश करना भी अच्छा है।
हार्ट प्रॉब्लम के हिसाब से दिखते हैं ये अलग-अलग लक्षण
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लाइफस्टाइल बदलने के दौरान लोगों को हार्ट प्रॉब्लम भी बढ़ती जा रही है। शरीर को सही तरीके से चलाने के लिए हार्ट का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। अगर हार्ट में किसी तरह की प्रॉब्लम हो तो इसके लक्षण पहले ही दिखने लगते हैं। हार्ट में प्रॉब्लम होने पर लोगों को कोरोनरी आर्टरी डिसीज, एंजाइना, दिल का दौरा आदि बीमारियां हो सकती है। आज हम आपको हार्ट की अलग-अलग समस्या के लक्षण बताएंगे, जिसे जानकर आप इन गंभीर समस्याओं से बच समस्या से बच सकते हैं। आइए जानिए हार्ट में प्रॉब्लम के हिसाब से क्या-क्या लक्षण दिखाई देते हैं?
1. हार्ट अटैक के लक्षण
हार्ट अटैक आने से पहले सीने, बाहों, कुहनी या छाती की हड्डियों में असहजता, भारीपन या दर्द महसूस होती है।
कुछ लोगों की जबड़े, गले और बाहों में असहजता महसूस होती है।
कई बार बहुत ज्यादा कमजोरी, घबराहट या सांस लेने में मुश्किल, दिल की धड़कन में बदलाव होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं।
शरीर में इन लक्षणों के दिखने पर रोगी को तुरंत इलाज की जरूरत होती है ताकि हार्ट अटैक आने से बचाया जा सकें। लेकिन कई बार कुछ लोगों को हार्ट अटैक आने से पहले किसी तरह का लक्षण दिखाई नहीं देता, जिसे साइलेंट मायोकार्डियल इंफ्रैक्शन यानि एमआई कहा जाता है। ऐसा खास करके उन लोगों को होता है जिन्हें पहले से डायबिटीज होती है।
2. कोरोनरी आर्टरी
हार्ट की इस समस्या के होने पर सबसे आम लक्षण है एंजाइना या छाती में दर्द। एंजाइना की प्रॉब्लम को छाती में भारीपन, असामान्यता, दबाव, दर्द, जलन, ऐंठन या दर्द से पहचाना जा सकता है। इसके अलावा कोरोनरी आर्टरी के प्रॉब्लम होने सो पहले
छोटी-छोटी सांस आना, धड़कन तेज होना, उल्टी आने का महसूस होना, एक दम पसीना आना आदि लक्षण दिखते हैं।
3. हार्ट वाल्व में प्रॉब्लम होने पर
हार्ट वाल्व बहुत गंभीर बीमारी होती है। इस समस्या के लक्षण दिखने पर तुरंत इलाज की जरूरत होती है। कई बार इस समस्या के होने से पहले किसी तरह के लक्षण नहीं दिखाई देते और कई बार लक्षण इतने गंभीर होते हैं कि तुरंत इलाज की जरूरत होती है। इस समस्या के होने से पहले पूरी सांस न आना खास करके जब आप नियमित दिनचर्या कर रहे हों या बिस्तर पर सीधे लेटे हों, ठंडी हवा में बाहर निकलने पर छाती पर दबाव या भारीपन महसूस होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं।
अगर यह 6 लक्षण दिखे, तो समझ लें आपको है दिल की बीमारी
एक अध्ययन की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि दिल की बीमारी को शुरुआत में पकड़ पाना बहुत मुश्किल होता है. यही वजह है कि हर चार में एक व्यक्ति की मौत दिल की बीमारी से होती है. यह अध्ययन लैंसेस्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है. शोधकर्ता और यूनिवर्सिटी के क्लिनिकल एनाटॉमी लर्निंग सेंटर के निदेशक एडम टेलर ने बताया कि दिल की बीमारी की शुरुआत होते ही शरीर के दूसरे हिस्सों में भी कुछ बदलाव होते हैं. लेकिन ये बदलाव इतने छोटे होते हैं कि लोग आमतौर पर ध्यान नहीं देते. सही समय पर इन लक्षणों और बदलावों पर गौर किया जाए तो दिल की बीमारी से होने वाली मौत के खतरे को टाला जा सकता है.
1. कान की बाहरी मांसपेशी पर झुर्रियों का आना:
कान के निचले हिस्से में सबसे मोटी मांसपेशी होती है. इसे अंग्रेजी में earlobes कहते हैं. ईयरलोब्स पर यदि आपको झुर्रियां दिखने लगें तो समझ लें कि आपको दिल की बीमारी है. दरअसल इससे यह पता चलता है कि धमनियों में कहीं ना कहीं अवरोध आ गया है. कान पर आई झुर्रियां 40 फीसदी मामलों में दिल की बीमारी का लक्षण बनी हैं.
2. पलकों के ऊपर अतिरिक्त मांस का आना:
डॉक्टरी भाषा में इसे 'xanthomas' कहते हैं. पलकों पर ही नहीं, कोहनी, घुटनों और कुल्हों पर भी आपको पीले-पीले दानों की तरह 'xanthomas' दिख सकते हैं. ये दाने वैसे भी हानिकारक होते हैं, लेकिन इसका होना किसी बड़ी मुसीबत के आने का लक्षण भी हो सकता है. हालांकि यह ज्यादातर ऐसे लोगों को होता है, जिनके परिवार में पहले किसी को हाईपरकोलेस्ट्रॉलेमिया की बीमारी हुई हो. इससे यह पता चलता है कि व्यक्ति के शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर ज्यादा है. कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ते ही यह त्वचा में जमने लगता है. यही नहीं धमनियों में भी फैट जमा होने लगता है, जिसके कारण दिल की बीमारी होती है.
3. सूजे हुए नाखून:
संभवत: आपने ध्यान जरूर दिया होगा कि कुछ लोगों के नाखून अप्राकृतिक रूप से उठे-उठे लगते हैं. दिल की बीमारी का यह भी महत्वपूर्ण लक्षण होता है. अगर आपके नाखून का आकार अचानक बदल जाए, वह मोटा और चौड़ा हो गया हो तो डॉक्टर से जांच कराएं. दरअसल, ऐसा ज्यादा टिशू यानी कि उत्तक के बनने के कारण होता है. नाखून के आकार में बदलाव या उसमें सूजन से कोई दर्द नहीं होता. लेकिन समझने वाली बात यह है कि आपकी अंगूलियों को ऑक्सीजन युक्त खून ना मिलने के कारण ही उनमें सूजन आती है. यह आपके दिल की बीमारी की शुरुआत हो सकती है. यह सबसे पुराने लक्षणों में एक है.
4. आंखों की पुतली के किनारे ग्रे रंग का दिखना:
40 साल की उम्र के बाद 45 फीसदी लोगों की आखों में आप ग्रे रंग की रिंग देख सकते हैं. वहीं 60 साल से ज्यादा उम्र वाले 70 प्रतिशत वृद्धों में यह देखा जा सकता है. आंखों की पुतली के किनारे ग्रे रंग के घेरे का बनना भी दिल की बीमारी का एक लक्षण है.
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5. सड़ा हुआ मसूड़ा और कमजोर दांत:
आपके मुंह और दांत की सेहत भी दिल के रोग से जुड़ा है. कई अध्ययनों में दांत के कमजोर होने और मसूड़ों में सूजन व सड़न को दिल की बीमारी से जोड़कर देखा गया है. शोधकर्ताओं के अनुसार मुंह में मौजूद खराब बैक्टीरिया खून के जरिये हमारी धमनियों और नसों में पहुंच जाता है, जिसके कारण दिल की बीमारी का खतरा बढ़ता है.
6. नीले होठ :
होठ का नीला होना इस बात की ओर संकेत करता है कि आपको ठंड लग रही है. इसका एक मतलब यह भी है कि आपको पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है, जो दिल की बीमारी का कारण बनता है. अगर होठ नीला पड़ रहा है तो डॉक्टर से जरूर मिलें.
इस वजह से आपका दिल हो सकता है कमजोर
देश में तेजी से बढ़ते दमे के मामलों की वजह से मेडिकल पेशेवर भी चिंता में हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 11 फीसदी जनसंख्या दमा से पीड़ित है. वायु प्रदूषण और लोगों में बढ़ती धूम्रपान की आदत इसकी वजह है. दमा के मरीजों में हार्टअटैक का खतरा ज्यादा रहता है.
आम तौर पर लोग मानते हैं कि दमा और हार्टअटैक में कोई संबंध नहीं है . एक सांस प्रणाली को प्रभावित करता है तो दूसरा दिल के नाड़ीतंत्र को, लेकिन तथ्य यह है कि दोनों में आपसी संबंध है. कई शोधों में यह बात सामने आई है कि जो मरीज दमा से पीड़ित हैं, बिना दमा वालों के मुकाबले, उन्हें हार्टअटैक होने की 70 प्रतिशत संभावना ज्यादा होती है.
यहां के वसंत कुंज स्थित फोर्टिस एस्कोटर्स हार्ट इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक पद्मश्री डॉ. उपेंदर कौल कहते हैं, 'एक जैसे लक्षणों की वजह से बहुत से ऐसे मामले मेरे पास आते हैं, जिनमें कंजस्टिव हार्ट फेल्योर को दमा का अटैक समझ लिया जाता है. दोनों के इलाज की अलग-अलग पद्धति होने और जांच में देरी होने से गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं और जानलेवा भी साबित हो सकता है.
उन्होंने कहा कि एक आम उदाहरण है दमा के इलाज के लिए प्रयोग होने वाले इन्हेलर. अगर हार्ट फेल्योर होने पर इन्हेलर दे दिया जाए तो गंभीर एरहयेथमियस होने से जल्दी मौत हो सकती है. दमा और कंजस्टिव हार्ट फेल्योर, जिसे कार्डियक अस्थमा कहा जाता है, के लक्षण एक जैसे हैं. इनमें सांस टूटना, और खांसी मुख्य लक्षण हैं.
डॉ. ने कहा कि यह जागरूकता फैलाना जरूरी है कि अपने आप दवा न लें, डॉक्टर से सलाह जरूर लें. सही समय पर डॉक्टरी सलाह लेने से जानलेवा हालात को रोका जा सकता है.
वह बताते हैं कि कुछ संवदेनशील खून जांच की पद्धतियां हैं, जो कॉर्डियक ऑरिजिन और पल्मूनरी ऑरिजिन का फर्क बता देती हैं. इनमें से एक टेस्ट है एनटी पीआरओबीएनपी ऐस्टीमेशन, जिसे स्क्रीनिंग पॉइंट ऑफ केयर टेस्ट कहा जाता है. ऐसे टेस्ट से कई बार अस्पताल में भर्ती होने की परेशानी से बचा जा सकता है.
शोध से पता चलता है कि दमा के इलाज के लिए प्रयोग होने वाली कुछ दवाएं दमा के मरीजों में दिल की बीमारियां का खतरा बढ़ा देती हैं. उदाहरण के लिए बीटा-एगोनिस्टस, जो मांसपेशियों को आराम देने में मदद करती है, इसका प्रयोग दमा के मरीजों को तुरंत आराम देने के लिए किया जाता है.
उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि दमा को नियंत्रित रखा जाए, ताकि हालत बिगड़ कर दिल की समस्या बनने तक ना पहुंच सके. दमे का उचित इलाज करने के लिए नियमित तौर पर लक्षणों का ध्यान रखना और इस बात का ख्याल रखना कि फेफड़े कितने अच्छे ढंग से काम कर रहे हैं, जरूरी है.
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डॉक्टरों का कहना है कि कभी भी हार्ट अटैक अचानक नहीं आता है। करीब महीने भर पहले ही हमें हार्ट अटैक के संकेत मिल जाते हैं।
अगर आपको सांस लेने में कठिनाई आ रही है तो ये भी हार्ट अटैक की निशानी हो सकती है
दुनिया में करोड़ों लोगों की मौत हार्ट अटैक से होती है। हार्ट अटैक से मरने वालें लोगों को हार्ट अटैक की जानकारी नहीं होती, जिसके कारण उनकी मौत हो जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि कभी भी हार्ट अटैक अचानक नहीं आता है। करीब महीने भर पहले ही हमें हार्ट अटैक के संकेत मिल जाते हैं। अगर इन संकेतो को इजरअंदाज न किया जाए तो मरीज हार्ट अटैक से बच सकता है। आज हम आपके बताएंगे हार्ट अटैक से पहले के लक्षण, जिन्हें पहचानकर आप इस समस्या से बच सकते हैं।
अगर आपको सामान्य से अधिक पसीना आ रहा है तो आपको हार्ट अटैक की समस्या हो सकती है। शरीर में ज्यादा पसीना ब्लॉक्ड आर्टरीज की वजह से आती है। ब्लॉक्ड आर्टरीज शरीर के खून को दिल तक पहुंचाने का काम करता है। ज्यादा पसीना आने का मतलब है कि ब्लॉक्ड आर्टरीज को ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है, जिसकी वजह से सामान्य से ज्यादा पसीना आ रहा है।
अगर किसी को सांस लेने में कठिनाई आ रही है तो ये भी हार्ट अटैक की निशानी हो सकती है। क्योंकि जब फेफड़ों तक आवश्यक मात्रा में आक्सीजन नहीं पहुंचती है तो सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
अगर किसी व्यक्ति को पाचन पंत्र से जुड़ी शिकायत है तो उसे कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह हार्ट अटैक का लक्षण हो सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
अगर किसी व्यक्ति को लगातार चक्कर आ रहे हैं तो भी ये दिल की बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। क्योंकि जब दिमाग में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है तो चक्कर आते हैं। ऐसे में तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
अगर आप हर समय थका-थका महसूस कर रहे हैं तो आपको सावधान होने की जरुरत है। ये हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं। आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
अगर लगातार आपके सीने मे दर्द बना रहता है तो ये हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं। इस तरह के दर्द को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
अगर आपकी हार्टबीट सामान्य से तेज चल रही है तो आपको इस पर ध्यान रखने की जरुरत है। डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
हार्ट अटैक आने पर तुरंत करें ये काम
अगर किसी को हार्ट अटैक आ जाए तो हार्ट अटैक आने के 5 मिनट के अंदर आप यह काम करें और इन सावधानियों का ख्याल रखें जिससे मरीज की जान तुरंत बचाई जा सके.हार्ट अटैक एक ऐसी बीमारी है जो कभी भी अचानक किसी को भी इसका दौरा पड़ सकता है. अगर आपके सामने किसी को हार्ट अटैक आ जाए.
हार्ट अटैक आने पर क्या करें ? हार्ट अटैक से कैसे बचें
तो आप तुरंत यहां दिए गए उपायों को अपनाएं जिससे पेशेंट की जान बचाने में आसानी हो, हार्ट अटैक में जितनी जल्दी पेशंट को मेडिकल फैसिलिटी मिल जाए उतना अच्छा होता है क्योंकि हार्टअटैक एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है और इसमें बहुत कम समय मिलता है जिसमें आप रोगी की जान बचा सके.
हार्ट पेशेंट को लंबी सांस लेने को कहें और उसके आसपास से हवा आने की जगह छोड़ दें ताकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिल सके. कई बार ऐसा देखा गया है के घर में या कहीं किसी को अटैक आया और लोग उसको बुरी तरह से चारों तरफ घेर लेते हैं तो इस बात का विशेष ध्यान रखें के रोगी को ऑक्सीजन लेने के लिए पर्याप्त खुली जगह होना चाहिए.
अटैक आने पर पेशेंट को उल्टी आने जैसी फीलिंग होती है ऐसे में उसे एक तरफ मुड़ कर उल्टी करने को कहें ताकि उल्टी लंग्स में न भरने पाए और इन्हें कोई नुकसान ना हो.
पेशेंट की गर्दन के साइड में हाथ रखकर उसका पल्स रेट चेक करें यदि पल्स रेट 60 या 70 से भी कम हो तो समझ लें कि ब्लड प्रेशर बहुत तेजी से गिर रहा है और पेशेंट की हालत बहुत सीरियस है.
हार्ट अटैक का इलाज
पल्स रेट कम होने पर हार्ट पेशेंट को आप इस तरह से लिटा दें उसका सर नीचे रहे और पैर थोड़ा ऊपर की और उठे हुए हों. इससे पैरों के ब्लड की सप्लाई हार्ट की और होगी जिससे ब्लड प्रेशर में राहत मिलेगी.
इस दौरान पेशेंट को कुछ खिलाने पिलाने की गलती ना करें इससे उसकी स्थिति और भी बिगड़ सकती है.
एस्प्रिन ब्लड क्लॉट रोकती है इसलिए हार्ट अटैक के पेशेंट को तुरंत एस्प्रिन या डिस्प्रिन खिलानी चाहिए. लेकिन कई बार इनसे हालात और भी ज्यादा बिगड़ जाते हैं इसलिए एस्प्रिन या डिस्प्रिन देने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले लेना चाहिए.
पल्स रेट बहुत ज्यादा कम हो जाने पर पेशेंट के चेस्ट पर हथेली से दबाब देने से थोड़ी राहत जरूर मिलती है लेकिन गलत तरीके से हार्ट को प्रेस करने में प्रॉब्लम और भी बढ़ सकती है इसलिए इसके लिए विशेष अभ्यास की जरूरत होती है अगर चाहें तो आप इंटरनेट पर CTR का सही तरीका देख कर भी आप इसको कर सकते हैं.
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पेशेंट को गाड़ी में बिठाने की बजाए सीधा लिटा है इससे उसका ब्लड सर्कुलेशन सही रखने में मदद मिलेगी.
दोस्तों कृपया इस बेहद मत्वपूर्ण काम की जानकारी को अपने Facebook प्रोफाइल पर या अपने ट्विटर और Google अकाउंट पर जरूर शेयर करें हो सकता है आपका एक शेयर किसी की जिंदगी बचा पाए.
ह्रदय को स्वस्थ रखने के कुछ उपाय
सुबह नाश्ता अवश्य करें और समय पर लंच करें। नमक का उपयोग कम से कम करें। कम वसा वाले आहार लें।ताजी सब्जियां और फल लें।
जितने भी रंगीन फल होते हैं वे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। तंबाकू से दूर रहें।खाना बनाने के लिए जैतून तेल (Olive Oil) का प्रयोग करें। पर्याप्त नीद लें। पर्याप्त नीद नहीं लेने पर शरीर से Stress Hormones निकलते हैं, जो धमनियों को Block कर देते हैं और जलन पैदा करते हैं। आज हमारे जीवन का आधे से भी ज्यादा समय हमारे कार्यस्थल या ऑफिस में बीतता है। घंटों एक ही स्थिति में बैठना हृदय के लिए हानिकारक हो सकता है।
थोड़ा समय व्यायाम के लिए निकालें। प्रतिदिन कम से कम आधे घंटे तक व्यायाम करना हृदय के लिए अच्छा होता है। ऐसा करने से Heart-Attack होने का खतरा एक-तिहाई तक घट जाता है। तनाव हृदय के स्वास्थ के लिए हानिकारक होता है। तनाव के कारण मस्तिष्क से जो रसायन स्रावित होते हैं वे हृदय की पूरी प्रणाली खराब कर देते हैं। तनाव से उबरने के लिए योग का सहारा लिया जा सकता है।
हार्ट ब्लॉकेज के घरेलू उपचार
हार्ट ब्लॉकेज के घरेलू उपचार- (home remedies for heart blockage) एक कप दूध में लहसुन की तीन से चार कली डालकर उबालें। इस दूध को रोज पीएं। एक गिलास दूध में हल्दी डालकर उबालें और गुनगुना रहने पर शहद डालकर पीएं। एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस, काली मिर्च और शहद डालकर पीएं। दो से तीन कप अदरक की चाय रोजाना पीएं।
हार्ट अटैक से बचाव के कुछ घरेलू उपाय
पानी में नींबू का रस मिलाकर रोज पीएं। फलों में अमरूद, अन्नास, मौसमी, लीची और सेब का इस्तेमाल करें। सब्जियों में अरबी और चौलाई जरूर खाएं। खाने में दही जरूर खायें। दिल को मजबूत करने के लिए देसी घी में गुड़ मिलाकर खाएं।
हार्ट के मरीज को रोज खाना चाहिए एक अंडा, जानिए क्यों!
रोजाना अंडा खाना स्वास्थ्य के लिए बड़ा ही फायदेमंद माना जाता है। अंडा एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसमें विटामिन, कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। जिन लोगों को हार्ट अटैक की समस्या हैं उन्हें अपने आहार में रोजाना एक अंडा जरूर शामिल करना चाहिए। यह उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
एक नए शोध के मुताबिक यह बात सामने आई है कि नियमित रूप से अगर रोजाना एक अंडे का सेवन किया जाए तो हार्ट अटैक का खतरा 12 प्रतिशत तक कम हो सकता है। अंडे में एंटीऑक्सीडेंट शामिल होते है जो तनाव और शरीर की सूजन को कम करने में काफी मददगार साबित होते हैं। यह प्रोटीन का सबसे बेहतरीन स्रोत है।
इन सब के अलावा अंडे में कई बेहतरीन पोषक तत्व होते है जो हार्ट जैसी समस्या के साथ बालों में चमक और शरीर में शक्ति प्रदान करने में काफी सहायक होते हैं। अंडे में पाए जाने वाले प्रोटीन (विटामिन डी) हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।
अंडे के सेवन से आप अपने वजन को भी कंट्रोल में रख सकते हैं क्योंकि अंडा खाने के बाद पेट काफी देर तक भरा रहता है जिससे कि आपको ज्यादा देर तक भूख नहीं लगती। अंडे में ल्यूटिन (lutein) भी पाया जाता है जो त्वचा को ललीचा और मुलायम बनाने में मदद करता हैं।
दिल को रखना है हेल्दी तो कभी न भूलें ये 8 बातें
दिल के रोगों के बारे आप अपने अनुवांशिकी और पारिवारिक इतिहास को तो नहीं बदल सकते, लेकिन कई ऐसी चीजें हैं, जिनके पालन से आप हृदय रोगों के खतरों को कम कर सकते हैं। ब्रिटेन की पहली महिला 'वैट लॉस' सर्जन डॉ. सैली नोर्टन ने आठ ऐसे नुस्खे बताएं हैं, जिनसे भविष्य में हृदय रोगों के खतरे को कम किया जा सकता है।
1. धूम्रपान पर रोक : ब्रिटिश महिला के पिछले साल छपे एक शोध के मुताबिक धूम्रपान करने वाले लोगों की आयु सामान्य लोगों की तुलना में 10 साल कम होती है।
2. अपने वजन पर ध्यान दें : हृदय रोग और ज्यादातर वजन के बीच का संबंध काफी सशक्त होता है। इससे हृदयघात और उच्च रक्त चाप का खतरा ज्याया होता है।
3. वसा मुक्त होना सर्वश्रेष्ठ : लोगों को वसायुक्त की बजाए ऐसा भोजन खाना चाहिए, जिसमें इसकी मात्रा कम हो या न के बराबर हो।
4. प्रसंस्कृत मांस न खाएं, क्योंकि ऐसा करने से हृदयघात की संभावना बढ़ जाती है।
5. कम नमक खाएं : ब्रिटिश हॉर्ट फाउंडेशन का कहना है कि अधिक नमक के सेवन से रक्तचाप बढ़ सकता है।
6. कम चीनी खाएं : अधिक चीनी खाने से मधुमेह का खतरा भी बना रहता है।
7. सक्रिय रहें : व्यायाम शुरू करने के लिए कोई भी समय सही है। रोजाना के व्यायाम से कई फायदे होते हैं
8. तनाव मुक्त रहें : तनाव होने के कारण वजन बढ़ने का खतरा भी रहता है, जिसके कारण हृदय रोगों की संभावना भी अधिक होती है।
दिल के मरीज के लिए उत्तम भोजन कैसा होना चाहिए
Heart patient के लिए सबसे बड़ी मुश्किल ये होती है कि वो एक सामान्य diet नहीं ले सकते है क्योंकि उन्हें बहुत सारे medical factors को ध्यान में रखना पड़ता है और heart desease जिस व्यक्ति को होती है चूँकि उनके दिल की कार्यक्षमता एक स्वस्थ व्यक्ति के दिल की क्षमता से कम होती है इसलिए उन्हें अधिक श्रम और भागदौड़ से भी सावधान रहना होता है और कुछ speacil exercise की मदद लेनी होती है जो उन्हें heart को स्वस्थ भी रखे और दिल पर कोई अतिरिक बोझ भी नहीं पड़े और ऐसे ही diet की जब बात होती है कुछ खास तरह की चीज़े आपकी diet में शामिल हो इस बात का ध्यान रखें और इसी बारे में कुछ चीज़े हम आपको बता रहे है जो एक heart patient की diet में आवश्यक रूप से शामिल की जानी चाहिए –
हरी सब्जियां शामिल करें अपने खाने में
इस से तो आप वाकिफ है हि क्योंकि स्कूली दिनों से हम इसके लाभ पढ़ते आ रहे है इनमें सबसे अधिक मात्रा में एंटी ओक्सिडेंट होते है इसलिए normal life में भी healthy रहने के लिए diet में इन्हें शामिल करने की सलाह doctor के द्वारा दी जाती है और साथ ही इनमे fiber ,फोलेट और पोटेशियम भी प्रचुर मात्रा में होता है | पोटेशियम आपके blood में शामिल एमिनो अम्ल के स्तर को कम करता है साथ ही हरी सब्जियां खाने से हमारे शरीर के अंदर कोलेस्ट्रोल का स्तर भी कम हो जाता है | इसलिए ये आपके diet में शामिल होने चाहिए |
हल्दी है कमाल की
हल्दी में जो सबसे खास बात है जो इसे heart patient के लिए महत्वपूर्ण बनाती है वो है इसमें पाया जाने वाला तत्व करक्यूमिन जो दिल की कार्यक्षमता के इजाफा करता है और रक्त वाहिकाओं में से फेटी एसिड भी कम करता है |
सेब को भी शामिल करें अपने खाने में
यह एक पुरानी कहावत है कि “ रोजाना एक सेब खाने से आपकी सेहत बेहतर रहती है और आपको doctor के पास जाने की जरुरत नहीं रहती है |” यह भी भी है क्योंकि सेब में बहुत सारे पोषक तत्व होते है जो आपकी सेहत के लिए ही होते है साथ ही heart patient के लिए फायदे की बात करें तो सेब में पेक्टिन नाम का एक अवयव होता है जो कोलेस्ट्रोल घटाने में आपकी मदद करता है और धमनियों की कार्यक्षमता को बढाता है |
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फलियाँ है फाइबर का स्त्रोत
हर फलियाँ fiber का सबसे अधिक और अच्छा वाला स्त्रोत होती है इनमे पानी में घुल सकने वाली fiber होता है जो आपके कोलेस्ट्रोल के स्तर को नियमित करने में आपकी मदद करता है और इसलिए आप इसे heart patient की diet में शामिल कर सकते है |
टमाटर है कमाल का
लाल टमाटर में जो लाल रंग जिस वजह से होता है वो इसका एंटी ओक्सिडेंट होता है और यह सबसे अधिक लाभ आपकी धमनिओं को देता है क्योंकि यह धमनियो की दीवारों को सही से देखभाल करता है जिस से सुचारू रूप से खून प्रवाहित करने की उनकी क्षमता में इजाफा होता है |
लहसुन तीखा है पर काम करता है
लहसुन के स्वस्थ्य के लिए इतने सारे फायदे है कि पूछिए मत और न केवल यह खाने में चटपटा पन बढ़ा कर उसे स्वादिष्ट बना देता है बल्कि यह एंटीओक्सिडेंट व एंटीबायोटिक होने के कारण blood pressure और कोलेस्ट्रोल के स्तर को भी नियमित करने के लिए लाभदायक है और इसके तेल का उपयोग चर्म रोगों के इलाज में भी किया जाता है | लहसुन में एलीसिन होता है जो आपके कोलेस्ट्रोल के स्तर को नियमित करता है
अनार भी शामिल करें
अनार भी health के लिए बहुत rich फल है और इसका juice सबसे ज्यादा effective होता है यह धमनियों में जमने वाले थक्कों को रोकता है और हमारे blood में नाइट्रिक ऑक्साइड को उत्तेजित करता है जिसकी वजह से धमनियां सिकुड़ती नहीं है और blood pressure को भी नियमित कर देता है और धमनियों की सिकुडन की वजह से होने वाले heart की बीमारी जिसे मायोकार्दिल इन्फेक्शन कहते है होने से रोकता है |
स्वस्थ्य दिल के लिये खाइये ये फूड
आजकल दिल की बीमारी का जैसे दौर चल पडा़ हो। युवा से लेकर महिलाएं, हर कोई इसकी चपेट में आ रही हैं। लेकिन अगर आप समय रहते ही इस बीमारी से लड़ने की ठान लें तो आपके लिये ही अच्छा होगा। एक्सरसाइज ना करना और पौष्टिक आहार ना खाने की वजह से हृदय रोग आम हो चला है।
लेकिन केवल एक्सरसाइज से भी उतना फरक नहीं पडे़गा जितना सही खान-पान और आहार से पडे़गा। आइये देखते हैं वह आहार जिससे हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है।
1. हरी पत्तेदार सब्जियां- पालक, मेथी पत्ता, मूली का पत्ता, पत्ता गोभी आदि हार्ट रिस्क तथा कैंसर का खतरा कम करते हैं। यह इसलिये क्योंकि इसमें ना तो चर्बी होती है ना ही कैलोरी, बल्कि यह फाइबर से भरे हुए होते हैं। इसमें फॉलिक एसिड , मैगनीशियम, कैल्शियम, पौटेशियम आदि भी होता है।
2. ओट- ब्रेकफास्ट में खाने के लिये ओट से बेहतर और कोई नाश्ता नहीं हो सकता। इससे ज्यादा देर तक के लिये पेट भरा रहता है तथा यह हार्ट के लिये भी अच्छा होता है। ओट में बीटा ग्लूकन होता है जो कि एक घुलनशील फाइबर है और इसकी मदद से कोलस्ट्रॉल लेवल कम होता है।
3. साबुत अनाज- चाहे यह गेहूं, मक्का, दाल, राजमा या फिर भूरा चावल ही क्यों ना हो, आपके दिल के लिये अच्छा होता है। ऐसा इसलिये क्योंकि इसमें फाइबर और विटामिन पाया जाता है। साथ ही एंटी ऑक्सीडेंट, आयरन, मैगनीशियम तथा विटामिन ई होता है। इसको रोजाना खाने से ब्लड प्रेशर कम हो जता है।
4. सोया प्रोटीन- सोया मिल्क से बनी दही खाना ज्यादा फायदेमंद होती है। अगर आप मीट खाने के शौकीन हैं तो उसे ना खा कर सोया से बने आहार लें। क्योंकि मीट में हाई मात्रा में फैट होता है, जो कि बैड कोलेस्ट्रॉल को बढा सकता है।
5. ऑलिव ऑयल- हार्ट के लिये ऑलिव ऑयल बहुत अच्छा होता है। इसको रोज खाने से बैड कोलेस्ट्रॉल कम होता है। इसमें मोनोसैचुरेटेड फैट पाया जाता है जो कि हार्ट के लिये अच्छा माना जाता है। इसलिये अपने भोजन में इस तेल का इस्तमाल जरुर करें।
6. टमाटर- टमाटर में विटामिन पाया जाता है जो कि ब्लड को प्यूरीफाइ करता है। रोजाना टमाटर खाने से हार्ट रिस्क कम होता है। इसको कच्चा खाएं या फिर पका कर, दोनो ही फायदेमंद हैं।
7. बादाम- इसको खाने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होता है। साथ ही यह ब्लड क्लॉट होने से भी बचाता है। बादाम में विटामिन बी 17, ई और मिनरल जैसे, मैगनीशियम, आयरन, जिंक और मोनोसैच्युरेटेट फैट से भरे हुए होते हैं।
8. रेड वाइन- अगर रेड वाइन को सही मात्रा में लिया जाए तो यह हाट अटैक की समस्या को दूर कर सकती है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट होता है जो कि फादेमंद है।
महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण
यह बात निश्चित है कि महिलाएं पुरुषों से अलग हैं। हार्ट अटैक के लक्षणों के बारे में भी यह बात गलत नहीं है। ऐसा माना जाता है कि हार्ट अटैक केवल पुरुषों की ही समस्या है परंतु अब हम यह जानते हैं कि हार्ट अटैक किसी को भी आ सकता है। दिल का दौरा पड़ने पर क्या करें
1. सांस लेने में परेशानी
एक अध्ययन से पता चला है कि लगभग 42% महिलाएं जिन्हें हार्ट अटैक आया उन्हें सांस लेने में परेशानी की समस्या का सामना करना पड़ा। हालाँकि पुरुषों में भी यह लक्षण होता है परंतु महिलाओं में सीने में दर्द हुए बिना सांस लेने में परेशानी जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
2. शरीर के ऊपरी भाग में दर्द
महिलाओं में गर्दन, पीठ, दांत, जबड़ा, भुजाएं तथा कंधे की हड्डी में दर्द होना हार्ट अटैक के लक्षण हैं। इसे 'रेडीएटिंग' दर्द कहा जाता है तथा यह इसलिए होता है क्योंकि दिल की कई धमनियां यहाँ समाप्त होती हैं जैसे उँगलियों के पोर जहाँ दर्द केंद्रित होता है।
3. जी मिचलाना, उलटी और पेट ख़राब होना
हार्ट अटैक के समय पुरुषों की तुलना में महिलाओं में जी मिचलाना, उलटी या अपचन जैसे लक्षण अधिक दिखाई देते हैं। यह अकसर इसलिए होता है क्योंकि दिल को रक्त पहुंचाने वाली दायीं धमनी जो दिल में गहराई तक जाती है, अवरुद्ध हो जाती है।
4. थकान और नींद की समस्या
कई महिलाएं लगभग आधी महिलाएं शिकायत करती हैं कि जब उन्हें हार्ट अटैक आया तब उन्हें अचानक थकान महसूस होने लगी जिसका कोई कारण भी नहीं था। आधी महिलाओं को नींद की समस्या का सामना भी करना पड़ा।
5. फ़्लू जैसे लक्षण
यह बात अभी स्पष्ट नहीं है परन्तु फ़्लू के लक्षण भी जीवन के लिए खतरा सिद्ध होने वाले हार्ट अटैक का लक्षण हो सकते हैं जिसमें थकान भी शामिल है।
6. पसीना आना
यदि आप रजोनिवृत्ति के दौर से नहीं गुज़र रहे हैं और फिर भी यदि आपको अचानक पसीना आने लगे तो संभल जाएँ। हो सकता है कि यह एक लक्षण हो जो आपको जल्द ही अस्पताल पहुंचा दे।
7.सीने में दर्द और दबाव
महिलाओं में हार्ट अटैक का लक्षण केवल सीने में दर्द नहीं हो सकता परन्तु निश्चित तौर पर ऐसा होता है। लक्षणों पर ध्यान देने के बजाय यदि आप को कुछ नए लक्षण महसूस हो रहे हैं और वे दूर नहीं हो रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएँ। डॉ. हायेस के अनुसार बाद में पछताने से अच्छा है कि सुरक्षित रहें।
8. चक्कर आना सिर घूमना
चक्कर आना या सिर घूमना हार्ट अटैक का एक अन्य लक्षण है। यह हृदय को जाने वाली एक शिरा में अवरोध होने के कारण होता है।
9.जबड़े में दर्द
यदि आपके जबड़े में दर्द है है तो इसका अर्थ है कि आपको हार्ट अटैक आया है क्योंकि इसके पास जो नसें होती हैं वे आपके हृदय से निकलती हैं। यदि दर्द बना रहे तो आपको दांतों की परेशानी है; यदि यह थोड़ी थोड़ी देर में होता है तथा जब आप थक जाते हैं और यह दर्द बढ़ जाता है तो यह दिल से संबंधित हो सकता है।
10. सीने या पीठ में असुविधा या जलन
महिलाएं अक्सर हार्टअटैक की व्याख्या कड़ेपन, भारीपन दबाव के द्वारा करती हैं। यह दर्द गंभीर या अचानक नहीं होता; यह कई सप्ताह तक आता जाता रहता है; अत: गलती से इसे अपचन या जलन समझ लिया जाता है। यदि यह दर्द खाने के तुरंत बाद नहीं होता, यदि आपको कभी अपचन की समस्या नहीं होती या यदि आप जी मिचलाने जैसी समस्या का सामना कर रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ।
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हृदय रोग में भोजन का सही चुनाव इस रोग को रोकने में काफी महत्त्वपूर्ण होता है | हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना और हृदय रोग एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, इसलिए यहां हम इन तीनों समस्याओं को कम करने वाले भोज्य पदार्थों की चर्चा करेंगे। मोटापा और डायबिटीज की समस्या भी इन्हीं रोगों से जुड़ी होती है, इसलिए इस अध्याय में दिए गए ज्यादातर पदार्थ मोटापे और डायबिटीज में भी फायदा पहुंचाते हैं, लेकिन फिर भी कुछ भोज्य पदार्थ ऐसे हैं, जिन्हें हम हृदय रोग में तो खा सकते हैं, मगर यदि डायबिटीज है तो नहीं खा सकते।
हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की समस्या से बचने के लिए और यदि ये समस्याएं हो जाएं तो इन्हें कम करने या इनसे छुटकारा पाने के लिए दुनिया भर के विशेषज्ञ हमें निम्नलिखित भोज्य पदार्थ विशेष रूप से खाने की सलाह देते हैं |
इस पोस्ट में हृदय रोग में कौन-कौन से फल,अनाज और सब्जियां खाने चाहिए और क्यों ? यह विस्तारपूर्वक कारणों और उदाहरणों के साथ बताया गया है | अगर आप संक्षेप में जानना चाहते है तो आपकी सुविधा के लिए नीचे इन सभी फलों और सब्जियों के नाम दे दिए गए हैं | इन फलो और सब्जियों को कब और कैसे खाना चाहिए ? और नुस्खो की जानकारी के लिए पूरा पढ़ें |
हृदय रोग मरीजो को अनाजो में – गेहूं की घास, ओट्स, ब्राउन राइस, गेहूं का अंकुर, और मक्का खाने चाहिए
हृदय रोग मरीजो को सब्जियों में – गाजर, फलीदार सब्जी, शकरकंद, टमाटर, कद्दू, पालक, हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्रोकोली, फूलगोभी, लौकी, शतावरी, मशरूम, शिमला मिर्च, चुकंदर, लहसुन, और प्याज खाने चाहिए
हृदय रोग मरीजो को फलों में : सेब, केला, स्ट्रॉबेरी, बेरी, संतरे, खरबूजा, तरबूज, अनार, अंगूर, नाशपाती, नींबू, पपीता, कीवी, आडू, खुबानी, चेरी, अनानास, मौसमी, लीची, अमरूद और आम खाने चाहिए |
हृदय रोग में भोजन: अनाज
गेहूं की घास (ज्वारे) है बहुत ही लाभकारी
प्राकृतिक चिकित्सा के विशेषज्ञों के अनुसार हृदय रोगों में गेहूं की घास का रस बहुत लाभकारी है। इसके लिए घर में आठ-दस गमलों का इंतजाम करें। इसके बाद एक मुट्टी गेहूं भिगो दें। फिर इन्हें गमलों में बो दें। गमलों को छाया में ही रखें। बोए हुए अनाज के दानों को आठ-दस इंच ऊंचाई तक उगने दें। इसके बाद इस घास को उखाड़ लें और कुचलकर रस तैयार करें। रोजाना खाली पेट करीब आधा गिलास पीएं। घास की निरंतर उपलब्धता के लिए जैसे ही घास उगे, नए दाने बोते जाएं।ओट्स के फाइबर देख भाग जाता है बुरा कोलेस्ट्रॉल : ओट्स में मुख्य रूप से जौ और अन्य अनाजों के दलिया आते हैं। हमें उपलब्ध सभी अनाजों के बीच ओट्स में सबसे ज्यादा घुलनशील फाइबर होते हैं, जिससे ये बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। बुरे कोलेस्ट्रॉल के कम होने का मतलब है दिल की बीमारी के खतरे का काम होना। इसलिए नाश्ते में ओटमील या दलिये का सेवन जरूर करें।दिल को साफ रखता है ब्राउन राइस का सेलेनियम :भूरे चावल सफेद चावल का अपरिष्कृत (अनरिफाइंड) रूप होते हैं। ब्राउन राइस में मौजूद सेलेनियम तत्व हाई कोलेस्ट्रॉल और दिल की समस्या कम करता है।हृदय रोग में
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भोजन : हृदय रोग का खतरा कम करता है गेहूं का अंकुर (व्हीट जर्म) : इसे पोषक तत्वों का गोदाम भी कहा जाता है। इसमें वसा नाममात्र की होती है और कोलेस्ट्रॉल होता ही नहीं है। यह फोलिक एसिड का सर्वश्रेष्ठ भंडार है। फोलिक एसिड दिल की बीमारी का खतरा टालने का काम करता है। फोलिक एसिड का निर्माण मनुष्य ने किया है। यह एक प्रकार का विटामिन है, जो कोशिकाओं के विकास और सुचारू मेटाबॉलिज्म के लिए जरूरी होता है। यह कार्डियो वेस्कुलर डिजीज यानी दिल की बीमारियों को रोकने का काम करता है।
पकाने पर भी कम नहीं होते मक्का के गुण
मक्का या भुट्टे में कैरोटिनॉयड होता है। कैरोटिनॉयड दिल की बीमारी के खतरे को कम करता है, इसलिए मक्का को भी भोजन में शामिल करना चाहिए। मक्का की खास बात यह है कि पकाने के बावजूद इसकी एंटी ऑक्सीडेंट वैल्यू कम नहीं होती।
हृदय रोग में भोजन : सब्जियां
दिल को मजबूत बनाता है गाजर का कैरोटिनॉयड :
गाजर खून को साफ करती है और इसमें मौजूद कैरोटिनॉयड दिल के रोग को शरीर के पास नहीं आने देते। गाजर में बीटा कैरोटीन के अलावा अल्फा कैरोटीन भी पाया जाता है। गाजर में मौजूद घुलनशील फाइबर बाइल एसिड के साथ मिलकर कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटाते हैं। गाजर के फायदे और 20 बेहतरीन औषधीय गुण |दिल को पसंद हैं सेम और अन्य फलीदार सब्जी :इनमें भरपूर घुलनशील फाइबर होते हैं। इनमें फोलेट, मैग्नीशियम, आयरन, पोटेशियम जैसे तत्व भी होते हैं। ये सभी बुरे कोलेस्ट्राल, ट्राइग्लाइसिराइड्स और ब्लड प्रेशर को घटाने का काम करते हैं, जिससे दिल की समस्याओं में कमी आती है। ये खास तौर से कोरोनरी हार्ट डिजीज का खतरा काफी कम कर देते हैं।
नुस्खा : काले चने उबालकर उनमें सेंधा नमक मिलाकर खाने से हृदय रोग में लाभ होता है।
दिल के लिए राहत का दूसरा नाम शकरकंद : डायटरी फाइबर होने के कारण तो शकरकंद दिल के लिए अच्छा है ही, इसके अलावा इसका विटामिन बी-6 रक्त वाहिनियों की कठोरता को कम करने में बहुत सहायक है। इसमें भरपूर पोटेशियम भी है, जिससे यह ब्लड प्रेशर को घटाता है। इसका पोटेशियम शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन भी कायम करता है, जिससे ब्लड प्रेशर तो नियंत्रण में रहता ही है, दिल की कार्यप्रणाली भी दुरुस्त रहती है। इसमें मौजूद विटामिन डी न केवल दिल को स्वस्थ रखता है, बल्कि हमारा मूड भी ठीक रखता है। खास बात : शकरकंद में मैग्नीशियम भी अच्छी मात्रा में होता है। मैग्नीशियम शरीर को तनाव, दबाव से राहत देता है। यह रक्त और धमनियों के लिए भी अच्छा है।
टमाटर के पास हैं दिल की रक्षा के सटीक हथियार :
विटामिन सी और ए होने से टमाटर हमारी कोशिकाओं के दुश्मन फ्री रेडिकल्स से लड़ता हैं। फ्री रेडिकल्स से लड़ने का मतलब है ऑक्सीडेशन का विरोध करना। ऑक्सीडेशन से शरीर को अन्य नुकसान के अलावा धमनियां भी सख्त होने लगती हैं। टमाटर धमनियों को सख्त होने से रोकता है, जिससे धमनियों से संबंधित रोग दूर रहते हैं। टमाटर को शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल भी नापसंद है। विशेषज्ञों ने पोटेशियम, नियासिन, फोलेट और विटामिन बी-6 को दिल के रोगों के मामले में बहुत ही अच्छा बताया है और कितनी अच्छी बात है कि ये चारों एक साथ ही टमाटर में मौजूद हैं।
दिल के काम की हर चीज है कद्दू में :
कद्दू में भरपूर फाइबर, विटामिन सी, बीटा कैरोटीन आदि की मौजूदगी होती है। इसमें मौजूद तत्व फ्री रेडिकल्स से लड़ते हैं। कद्दू में केले से भी ज्यादा मैग्नीशियम होता है। कद्दू कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। यह एसिडिटी और उससे उत्पन्न बहुत सारी परेशानियों का अंत करता है।पालक और अन्य हरी पत्तेदार सब्जियां हैं बहुत कारगर : पालक में मौजूद डायटरी फाइबर, विटामिन सी, ई, बीटा कैरोटीन, सेलेनियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, जिंक, मैगनीज आदि न सिर्फ ब्लड प्रेशर को घटाते हैं, बल्कि दिल के रोग का खतरा भी कम करते हैं। पालक में फोलेट भी मौजूद है, जो स्वयं में तो दिल के लिए अच्छा है ही, साथ ही यह विटामिन बी-6 और बीटेन के साथ मिलकर दिल के लिए खतरनाक अमीनो एसिड होमोसिस्टीन के सीरम स्तर को भी कम करता है।
फूलगोभी:
फूलगोभी में ब्रोकोली वाला विशेष तत्व सल्फोराफेन तो होता ही है, इसी के साथ यह विटामिन सी और मैग्नीशियम के लिए जानी जाती है। ये दोनों ही एंटी ऑक्सीडेंट के गुण रखते हैं।
दिल की राहत के लिए लौकी का सेवन करें :
लौकी प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और मिनरल से भरपूर होती है। यह दिल के लिए इसलिए अच्छी है, क्योंकि यह शरीर में तनाव को कम करती है। यह शरीर में एसिडिटी को दूर करती है। इसका सेवन अच्छी नींद के लिए भी बढ़िया माना जाता है। यह दिल से जुड़े एंजाइना के दर्द में बहुत राहत देती है। लौकी यह दिल के लिए टॉनिक की तरह है, इसलिए दिल के मरीजों को लौकी का जूस, लौकी का रायता, लौकी की सब्जी का सेवन करना चाहिए। ध्यान रहे कि लौकी का जूस निकालने के बाद यदि अस्वाभाविक रूप से कड़वा लगता है तो इसे न पीएं। कड़वा होने पर यह जहरीला हो सकता है। वास्तव में लौकी और उसके परिवार की अन्य सब्जियों (करेला, कद्दू आदि) में कुछ जहरीले तत्व भी होते हैं, इसलिए पहले घूंट भरकर देखें। ज्यादा कड़वा लगे तो न पीएं। नुकसान की आशंका को पूरी तरह से दूर करने के लिए लौकी की सब्जी, लौकी का रायता भी अच्छा विकल्प है। ह्रदय रोग में लौकी के बेहतरीन फायदेसख्त होती धमनियों पर ब्रोकोली लगाती है ब्रेक : लोहा, विटामिन ए और सी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, क्रोमियम, एंटी ऑक्सीडेंट, फाइटोकेमिल्स जैसी चीजें एक साथ होने से यह हर प्रकार से बड़े काम की चीज है।दिल को जो चाहिए, वह सब शतावरी (Asparagus) में है : इस सब्जी में दिल के रोग से शरीर को दूर रखने वाला तत्व फोलेट तो है ही, साथ ही सोडियम, कोलेस्ट्रॉल और फैट बिल्कुल भी नहीं है यानी बेहद कम कैलोरी।
रोग से लड़ने में मग्न रहने वाली चीज है मशरूम :
मशरूम में मौजूद कई प्रकार के विटामिन बी मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त रखते हैं, जिससे दिल दुरुस्त रहता है। इनमें एक खास तत्व सेलेनियम होता है, जो दिल के लिए अच्छा माना जाता है। मशरूम के दो तत्व मैटेक और शीटेक कोरोनरी हार्ट डिजीज का खतरा कम करते हैं। इसका पोटेशियम हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक की आशंका धूमिल करता है। मशरूम में विटामिन डी का भंडार होता है, जिससे हड्डियों को तो फायदा है ही, साथ ही मूड भी सही रहता है। ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले माने जाते हैं।शिमला मिर्च के संग अच्छा धड़कता है दिल :विटामिन ए, ई, बी और सी से भरपूर, मगर कैलोरी में बहुत कम यानी सख्त रोग प्रतिरोधी और दिल के लिए बढ़िया। शिमला मिर्च में एक खास तत्व होता है, जिसे कैप्सेइसिन कहा जाता है। इसकी विशेषता है कि यह खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और रक्त वाहिनियों को फैलाकर ब्लड सकुलेशन को नियंत्रित करता है। इसी के साथ यह मेटाबॉलिज्म को तेज करता है, जिससे दिल की सेहत ठीक रहती है।
चुकंदर के साथ बेकाबू नहीं हो सकता ब्लड प्रेशर :
इसमें आयरन, विटामिन और मिनरल्स भरपूर होते हैं। हाई ब्लड प्रेशर को काबू में करने के लिए चुकदर बहुत काम की चीज है। यह खून को साफ करता है और उसमें हीमोग्लोबिन बढ़ाता है। इसके रस में नाइट्रेट होता है, जो रक्त के दबाव को कम करता है यानी दिल की बीमारी में यह फायदेमंद है। चुकंदर के फायदे तथा 32 बेहतरीन औषधीय गुणहृदय रोग में
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भोजन : लहसुन से बहुत खुश रहती हैं रक्त वाहिनियां : लहसुन गजब का एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी बायोटिक पदार्थ है। यह दिल का दोस्त है। कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को कम करने में लहसुन बड़े काम की चीज है। एंटी क्लॉटिंग (रक्त को गाढ़ा होने और जमने से रोकना) प्रॉपर्टी होने के कारण लहसुन खून को पतला भी करता है। इससे शरीर में रक्त वाहिनियों में रक्त का थक्का नहीं बन पाता। उम्र बढ़ने के साथ-साथ हमारी धमनियां अपनी खिंचाव-क्षमता खोने लगती हैं। लहसुन इस नुकसान को भी कम करता है। इसके अलावा ऑक्सीडेशन की वजह से धमनियों के सख्त होने की प्रक्रिया को भी लहसुन में मौजूद सल्फर कपाउंड रोकता है। यदि यह आशंका हो कि हृदय में जल्द दर्द शुरू हो सकता है तो लहसुन की चार कलियां चबाकर खा जाएं।
प्याज में दिल के लिए प्यार-ही-प्यार है :
भारत में छठी शताब्दी में ही पता लग गया था कि प्याज दिल के लिए बहुत अच्छी चीज है। बाद में आधुनिक विशेषज्ञों ने न सिर्फ प्राचीन बातों की पुष्टि की, बल्कि यह भी बताया है कि प्याज में काफी मात्रा में विटामिन सी के अलावा एंटी ऑक्सीडेंट भी होते हैं, जो बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करते है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ाते हैं। प्याज हाई ब्लड प्रेशर को भी कम करती है और रक्त का थक्का बनने से भी रोकती है। ध्यान रहे कि कच्ची प्याज ही दिल के लिए ज्यादा अच्छी है। आग में पकने के बाद इसके अनेक अच्छे गुण नष्ट हो जाते हैं। दिल के रोगी क्या न खाएं, परहेज
हृदय रोग में भोजन : फल
सेब के सामने सख्त धमनी भी हो जाती है मुलायम: सेब को दिल की सबसे चहेती कोरोनरी आर्टरी (धमनी) का अच्छा मित्र माना जाता है। यह कोलेस्ट्रॉल को घटाता है। यह पेक्टिन नाम के फाइबर का घर है, जो हमें स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसलिए दिल के रोग से बचने के लिए हमें सेब को अपने आहार में जरूर शामिल करना चाहिए।
दिल के लिए बेजोड़ है केला
:खाने की जिस चीज में नमक (सोडियम) कम हो और पोटेशियम भरपूर हो, वह चीज हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक का खतरा कम कर देती है। केला ऐसी ही चीज है, जिसमें नमक कम है और पोटेशियम खूब है। केला फाइबर से भी भरपूर है और विशेषज्ञ कहते हैं कि जहां फाइबर है, वहां दिल की बीमारी का खतरा कम है। केले में विटामिंस भी होते हैं, जो होमोसिस्टीन नाम के अमीनो एसिड को तोड़ने और उसे कमजोर करने का काम करते हैं। इससे दिल का रोग शरीर से दूर रहता है।
खास बात : होमोसिस्टीन एक ऐसा अमीनो एसिड है, जिसका स्तर यदि शरीर में बढ़ जाए तो दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।बेरी भी चाहती हैं कि दिल अच्छी तरह धड़के : स्ट्रॉबेरी और अन्य सभी बेरी को शरीर में दिल का बीमार होना पसंद नहीं है। इसका कारण है इनमें मौजूद फाइबर और फोलेट। फाइबर कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को कम करते हैं, जबकि फोलेट कार्डियो वेस्कुलर बीमारियों का खतरा कम करता है। ये मीठी होती हैं, इसलिए विशेषज्ञ इनके जूस के बजाय फल को ही खाने की सलाह देते हैं, क्योंकि जूस में ज्यादा शुगर आ जाती है और शरीर को फाइबर नहीं मिल पाते।
खास बात : फाइबर (रेशे) पौधों में पाए जाने वाले वे पदार्थ हैं, जो पाचन-क्रिया के दौरान पचने का विरोध करते हैं। अघुलनशील फाइबर पाचन तंत्र में पचते नहीं हैं, हां उनके छोटे टुकड़े जरूर हो सकते हैं। फाइबर दिल के मामले में सबसे बड़ा काम यह करते हैं कि ये कोलेस्ट्रॉल को अपने साथ बहाकर ले जाते हैं, जिसके फलस्वरूप ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रहता है। साथ ही कोलेस्ट्रॉल को धमनियों में जमने का मौका भी नहीं मिलता ।दिल की रक्षा के लिए पूरी फौज है संतरे के पास :संतरे में विटामिन सी, ए, एंटी ऑक्सीडेंट, डायटरी फाइबर, फ्लेवोनॉयड, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम जैसे तत्व होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार संतरे में करीब 170 फोटोन्यूट्रिएंट्स होते हैं। फ्लेवोनॉयड की संख्या करीब 60 होती है। इस वजह से यह शरीर में सूजन, जलन, अल्सर, गांठ, कोशिकाओं के क्षय और दिल के दुश्मनों के खिलाफ शानदार ढंग से काम करता है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है। संतरा रक्त को शुद्ध भी करता है।
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खून के थक्के से बचने के लिए खरा है खरबूजा :
खरबूजे में विटामिन ए, बीटा कैरोटीन और विटामिन सी भरपूर होता है। विटामिन सी का भंडार होने से यह एंटी ऑक्सीडेंट का काम करता है। इसमें एडिनोसाइन नाम का पदार्थ होता है, जो खून को पतला करता है। साथ ही इसमें फोलेट भी होते हैं यानी दिल के लिए उत्तम पदार्थ। इसमें पोटेशियम होने की वजह से दिमाग में खूब ऑक्सीजन जाती है, जिससे तनाव दूर करने में मदद मिलती है। खरबूजे के बीज भी प्रोटीन, फाइबर और विटामिन से भरपूर हैं।
तरबूज में टमाटर से भी ज्यादा लाइकोपेन :
तरबूज का मिजाज क्षारीय होता है, जिससे यह हमें एसिडिटी से बचाता है। एंटी ऑक्सीडेंट लाइकोपेन के भंडार में यह टमाटर को भी पीछे छोड़ देता है। दिल के संबंध में लाइकोपेन की विशेषता हम टमाटर के प्रसंग में पढ़ ही चुके हैं। तरबूज में साइटूलाइन नामक तत्व होता है, जो रक्त वाहिनियों को फैलाने का काम करता है, जिससे रक्त का प्रवाह सुचारू होता है। इसमें पोटेशियम भी है, जिसके दिल संबंधी फायदे हम पहले ही पढ़ चुके हैं। यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है और इसमें कोलेस्ट्रॉल तो बिल्कुल नहीं होता है।
केवल अनार में ही है दिल का एक खास दोस्त : अनार
में भरपूर फाइटोकेमिकल्स, फ्लेवेनॉयड और पॉलीफिनोल (एंटी आक्सीडेंट) होते हैं, जो हमें हृदय रोगों के खतरे से बचाते हैं। एकमात्र अनार में प्यूनिकएलेजिस पदार्थ पाया जाता है। यह इसकी एंटी ऑक्सीडेंट वैल्यू को बाकी पदार्थों के मुकाबले बढ़ा देता है। प्यूनिकएलेजिंस कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को कम करके दिल और रक्त वाहिनियों के रास्ते की रुकावटों को हटा देता है। दिल के रोगियों के लिए इसकी खास तौर से सिफारिश की जाती है।
दिल के अच्छे मित्रों में से एक है अंगूर :
अंगूर में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन ए, बी-6 और सी होता है ही आयरन, कैल्शियम, सेलेनियम, फास्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम जैसे खनिज तत्व भी होते हैं। खास बात 1 : कहा जाता है कि फ्रांस के लोग तैलीय और मिर्च-मसालेयुक्त भोजन करने के बावजूद इसलिए हृदय रोग का कम शिकार बनते हैं, क्योंकि वे अंगूर खाना नहीं छोड़ते। खास बात यदि दिल में दर्द महसूस हो तो आधा कप अंगूर का रस पी जाएं। विशेषज्ञों के अनुसार इससे फौरी लाभ मिलेगा ।दिल के रोगों की नाशक नाशपाती : नाशपाती में फाइबर, विटामिन बी, सी, ई और कॉपर, पोटेशियम का भंडार होता है, जिससे यह पूरे शरीर के साथ ही दिल के लिए भी बहुत लाभकारी है। नाशपाती में नाम का फाइबर आम से भी ज्यादा होता है, जिससे यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। विटामिन सी और कॉपर होने से यह कोशिक दुश्मन फ्री रेडिकल्स से लड़ता है।
रक्त वाहिनियों की दीवार का रक्षक है नींबू :
यह एक एंटी ऑक्सीडेंट है, इसलिए फ्री रेडिकल्स से शरीर को दिल की बीमारी से बचाता है। यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है और ब्लड प्रेशर को कम करता है। नींबू में विटामिन पी (बायोफ्लेविनॉयड्स) पाया जाता है। यह विटामिन रक्त व को मजबूत बनाने का काम करता है। इससे शरीर के अंदर ब्लड हैमरेज (वाहिनी के फटने से रक्त निकलना) का खतरा कम हो जाता है। पृथ्वी पर मौजूद सभी भोज्य पदार्थों के बीच नींबू एकमात्र ऐसा भोज्य पदार्थ है, जो ए आयनिक है। इसका अर्थ है एक ऐसा आयन, जिसमें निगेटिव चार्ज है। इसे छोड़ बाकी सभी भोज्य पदार्थ कैट आयनिक (पॉजीटिव चार्ज वाले आयन) हैं। एन आयनिक होने से नींबू का महत्व बहुत बढ़ जात है। इसके शरीर में जाने से एन आयन और कैट आयन में रि-एक्शन होता है, जिससे सभी कोशिकाओं क ऊर्जा मिल जाती है ।
कोलेस्ट्रॉल का ऑक्सीडेशन रोकता है पपीता :
पपीते में विटामिन सी, बी और बीटा कैरोटीन तथा होते हैं। पपीता उन सभी चीजों को पचाने में मदद करता है, जो एक शरीर ग्रहण करता है, इस शरीर स्वस्थ और मजबूत रहता है। पपीता कोलेस्ट्रॉल को ऑक्सीडाइज्ड नहीं होने देता, धमनिय रहती हैं और व्यक्ति हृदय रोग से बचा रहता है।
नुस्खा : पपीते के पते को पानी में उबालकर और फिर पानी को छानकर नित्य पीने से बहुत लाभ होता है |कीवी कम करता है हृदय रोग का खतरा : अध्ययन बताते हैं कि कीवी रक्त का थक्का बनने से रोकता है। साथ ही इसमें विटामिन ई भी होता है, इसलिए यह हृदय रोग का खतरा कम करता है। इसका फोटोन्यूट्रिएंट डीएनए की मरम्मत करने के कारण शानदार एंटी ऑक्सीडेंट का काम करता है। इसका फोलिक एसिड खून में लाल रक्त कणिकाएं बनाता है और विटामिन सी शरीर को रोग प्रतिरोधक बनाता है। कीवी में मौजूद मैग्नीशियम, पोटेशियम जैसे तत्व भी दिल के लिए बढ़िया होते हैं।आडू की आदत है दिल को मजबूत करना : आडू में आयरन, जिंक, मैग्नीशियम, मैगनीज, कैल्शियम, सल्फर और विटामिन ए, बी, सी तथा ई जैसे तत्व होते हैं। आडू दिल की मांसपेशियों को मजबूत करके और खून का बहाव सही करके दिल को तमाम बीमारियों से दूर रखने में मदद करता है।
कोलेस्ट्रॉल को कम करता है खुबानी :
इस फल में भी एंटी ऑक्सीडेंट और डायटरी फाइबर भरपूर होते हैं। ताजा और सूखे, दोनों रूप में यह लाभकारी है। अगर बे-मौसम खा रहे हैं तो इनमें सल्फर डाई ऑक्साइड हो सकता है, जो नुकसान करते हैं, इसलिए यदि मौसम नहीं है तो सूखे खुबानी खाएं। इसका विटामिन सी खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। इसमें मौजूद पोटेशियम और सोडियम शरीर में कोशिकाओं को जरूरी तत्व सप्लाई करने वाले इलेक्ट्रोलाइट का स्तर सही रखते हैं।
नुस्खा : खुबानी के रस को चार चम्मच पानी में डालकर रोज पीने से रोगी को बहुत लाभ होता है।फैट, कोलेस्ट्रॉल को चांस नहीं देती चेरी : चेरी कुदरत के सबसे ताकतवर एंटी इन्फ्लेमेटरी (सूजन, शोथ के खिलाफ काम करने वाले ) सिपाही हैं। ये शरीर में मौजूद वसा और कोलेस्ट्रॉल के खिलाफ भी लड़ते हैं। ये दिल के लिए भी बढ़िया हैं। खास बात यह है कि चेरी में मेलाटोनिन हार्मोन भी पाया जाता है |
कोलेस्ट्रॉल का कद नहीं बढ़ने देता: आम
में करीब सात एंटी ऑक्सीडेंट और अन्य जरूरी एंजाइम होते हैं। विटामिन सी और भरपूर फाइबर होने से आम कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। यह एसिडिटी का दुश्मन है और शरीर में क्षारीयता को आम मजबूत करता है। विटामिन सी होने से आम रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है। खास बात : अनानास, मौसमी, लीची और अमरूद भी दिल के बहुत अच्छे दोस्त हैं। जो भी फल उपलब्ध हो, उसका आधा कप रस रोज पीएं।
दिल के रोगी क्या न खाएं, परहेज
दिल के रोगी, हाई ब्लड प्रेशर,मोटापे और बढ़े कोलेस्ट्रॉल से जूझ रहे लोगो के खानपान में ये चीजे बिलकुल शामिल नहीं होनी चाहिए : चीनी, आइस क्रीम, डीप फ्राई लिया हुआ खाना, ज्यादा नमक, चिप्स, घी तेल वाले स्नैक्स, पेस्ट्री, बेकिंग उत्पाद, सॉस, पनीर, मीट, हॉट डॉग्स, हैम्बर्गर, फैट और शुगर से बने कुकीज, सिगरेट, शराब, कोल्ड ड्रिक, चाय, कॉफी आदि। अब इस बात पर विस्तार से चर्चा कर लेते हैं कि ये चीजें या इनसे बन पदार्थ दिल के रोगी को क्यों नहीं खानी चाहिए और इसके पीछे क्या कारण है | जिससे आपके ज्ञान में इजाफा होगा और आपको इन चीजो दूर रहने का एक उपयुक्त कारण मिलेगा
दिल के रोगी को इन चीजो से परहेज रखना चाहिए
दिल के रोगी क्या न खाएं.
दिल के रोगी की मांसपेशियों को कमजोर कर देती है
ज्यादा चीनी : चीनी एक कार्बोहाइड्रेट है और इस समेत सभी प्रकार के कार्बोहाइड्रेट को पचाने के लिए शरीर को विटामिन बी (खास तौर से विटामिन बी-1) की जरूरत पड़ती है। विटामिन बी-1 को थिएमाइन भी कहा जाता है। जब हम प्राकृतिक रूप से कार्बोहाइड्रेट के धनी पदार्थ खाते हैं तो उनके साथ शरीर को कोई समस्या नहीं आती, क्योंकि इन पदार्थों में थिएमाइन मौजूद रहता है, मगर सफेद चीनी में यह बिल्कुल नहीं होता। इसलिए जब हम ज्यादा चीनी का सेवन करते हैं तो शरीर इसे आत्मसात करने के लिए हृदय समेत शरीर के सभी अंगों से थिएमाइन खींचता है। इससे शरीर में थिएमाइन की कमी हो जाती है, जिससे शरीर के बाकी अंग तो प्रभावित होते ही हैं, हृदय की मांसपेशियां भी कमजोर पड़ जाती हैं। नतीजा हृदय रोग के रूप में सामने आता है और अगर पहले से ही हृदय रोग हो तो स्थिति और खराब हो जाती है। जब शरीर में जरूरत से ज्यादा चीनी पहुंचती है तो इसकी अतिरिक्त मात्रा ग्लाइकोजन के रूप में शरीर में स्टोर नहीं हो पाती। यह अतिरिक्त मात्रा ट्राइग्लाइसिराइड्स के रूप में वसा (फैट) में बदल जाती है। इस प्रकार यह रक्त में ट्राइग्लाइसिराइड्स (फैट) का स्तर बढ़ा देती है, जिससे धमनियों में रक्त के बहने में रुकावट आने लगती है। नतीजा हृदय रोग के रूप में सामने आता है। इस प्रकार चीनी का ज्यादा सेवन हर प्रकार से हृदय के लिए नुकसानदायक होता है।दिल के रोगी के हाई ब्लड प्रेशर का कारण बनता है ज्यादा नमक : ज्यादा नमक शरीर में जाकर नर्वस सिस्टम और एड्रीनल ग्लैंड को उत्तेजित करता है, जिससे शरीर में तनाव पैदा होता है। ज्यादा नमक शरीर में पानी को रोकने का काम करता है, जिससे यह हाई ब्लड प्रेशर का कारण बनता है। यह वजन बढ़ाता है, जिससे दिल को भी समस्या पैदा होती है। ऊपर से खाया गया नमक पूरी तरह पानी में घुलता नहीं है, जिसकी ज्यादा मात्रा धमनियों को सख्त करने का काम करती है।दिल के रोगी खून में कोलेस्ट्रॉल बढ़ाती है कॉफी :उबली हुई कॉफी में एक लिपिड होता है, जो खून में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ा देता है। एक अध्ययन के अनुसार, चार कप कॉफी खून में पांच फीसदी कोलेस्ट्रॉल बढ़ा देती है। दस कप कॉफी कोलेस्ट्रॉल का स्तर 12 फीसदी तक बढ़ा देती है। कैफीन दिल की धड़कन को भी अनियमित कर देती है। इस स्थिति को अर्थमिया कहते हैं। साथ ही यह ब्लड प्रेशर भी बढ़ाती है। इससे दिल पर दबाव बढ़ता है और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।दिल को कमजोर करता है धूम्रपान : सिगरेट में मौजूद निकोटिन दो ऐसे हार्मोन (एपीनेफ्रीन और नॉनएपीनेफ्रीन) के निर्माण को उत्तेजित करता है, जो दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर को बढ़ा देता है। इससे हृदय की मांसपेशियां ज्यादा ऑक्सीजन की मांग करती हैं, जबकि सिगरेट में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) रक्त की ऑक्सीजन वहन करने की क्षमता को कम कर देती है। इससे हृदय को ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती है और वह कमजोर पड़ने लगता है। एक अध्ययन में यह सामने आया है कि केवल दो सिगरेट का सेवन ही ब्लड प्रेशर को आठ से दस एमएम तक बढ़ा देता है और यह बढ़ा हुआ स्तर 15 मिनट से भी ज्यादा समय तक बना रहता है। इससे दिल पर पड़ने वाले दबाव का अंदाजा लगाया जा सकता है। धूम्रपान से रक्त का थक्का बनने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है और Coronary artery के अलावा मस्तिष्क को जाने वाली धमनियां भी प्रभावित होती हैं। थक्का बनने से धूम्रपान करने वाले व्यक्ति में स्ट्रोक या लकवा मारने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा धूम्रपान से रक्त की प्लेटलेट्स भी नष्ट होती हैं। धूम्रपान खराब Cholesterol को बढ़ावा देता है, जिससे धमनियां सख्त हो जाती हैं। यह खून में पहुंची कार्बन मोनोऑक्साइड गैस के कारण होता है। धूम्रपान से vitamin C की कमी हो जाती है, जिससे धमनियों में Cholesterol जमा होने लगता है।दिल के रोगी के खून में फैट का स्तर बढ़ाती है शराब : शराब का सेवन खून में ट्राइग्लाइसिराइड्स (फैट) का स्तर बढ़ाता है, जिसके फलस्वरूप ब्लड प्रेशर बढ़ता है और दिल भी प्रभावित होता है। शराब शरीर में जाकर विटामिन बी और सी को नष्ट करती है, जिससे दिल को इन दोनों विटामिनों से होने वाले फायदे नहीं मिल पाते। हालांकि कुछ अध्ययनों में यह भी कहा गया है कि शराब का नियंत्रित मात्रा में सेवन एचडीएल यानी अच्छे Cholesterol को बढ़ाता है, लेकिन खून में फैट और ब्लड प्रेशर बढ़ने से यह फायदा अधूरा रह जाता है। वैसे भी अच्छा Cholesterol तो उन चीजों से भी बढ़ाया जा सकता है, जिनका जिक्र पिछले पोस्ट में किया गया है, इसलिए शराब से परहेज ही ठीक रहेगा।दिल के रोगी के लिए शराब-सिगरेट के मेल से और भी गड़बड़ : ज्यादातर देखने में आया है कि जो लोग शराब पीते हैं तो वे सिगरेट भी जरूर पीते हैं। अगर कोई व्यक्ति इन दोनों का सेवन करता है तो उसमें High blood pressure, stroke और heart attack का खतरा और भी बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हमारा लिवर शराब को बाहरी पदार्थ की तरह लेता है। इस वजह से लिवर एक घंटे में शराब की केवल 15 सीसी मात्रा को क्लीयर कर पाता है। शराब से जूझने के कारण लिवर के अन्य मेटाबॉलिक काम धीमे पड़ जाते हैं। जैसे कि खून से फैट को क्लीयर करना। जब यह काम अधूरा रह जाता है तो खून में थक्का बनने की प्रक्रिया शुरू होने लगती है। इसी के साथ यदि वह व्यक्ति सिगरेट भी पी रहा है तो सिगरेट में मौजूद खतरनाक पदार्थ खून के जमाव को और बढ़ाने का काम करते हैं। नतीजतन कोरोनरी रक्त वाहिनी में खून के रुकने की आशंका बढ़ जाती है। तंबाकू में 400 विभिन्न रसायन होते हैं, जो सिगरेट-शराब साथ लेने वाले व्यक्ति के खून में ज्यादा घंटों तक मौजूद रहते हैं और दिल को नुकसान पहुंचाते हैं।दिल के रोगी के लिए सेहतमंद नहीं मैदा और पॉलिश वाले चावल : मैदे से ब्रेड, नान, रुमाली रोटी, पिज्जा, बिस्कुट, केक, नूडल्स आदि पदार्थ तैयार होते हैं। पॉलिश वाले चावल से पुलाव, बिरयानी, सामान्य, फ्राई चावल, डोसा आदि तैयार किए जाते हैं। मैदा और पॉलिश वाले चावल में दिल के संदर्भ में सबसे ज्यादा गड़बड़ यह है कि गेहूं और चावल से बनने वाले इन दोनों रिफाइंड उत्पादों में विटामिन बी-1 (थियामाइन) बिल्कुल साफ हो जाता है। विटामिन बी-1 भोजन को पचाने के लिए जरूरी होता है। प्राकृतिक कार्बोहाइड्रेट पदार्थों में Vitamin B-1 पहले से ही मौजूद होता है, इसलिए उन्हें पचाने के लिए शरीर को पहले से मौजूद Vitamin B-1खर्च नहीं करनी पड़ता। लेकिन रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट (मैदा, पॉलिस्ड चावल से बने उत्पाद आदि) को पचाने के लिए शरीर को हृदय समेत सभी महत्वपूर्ण अंगों से यह विटामिन लेना पड़ता है। जब हम ऐसे पदार्थ ज्यादा खाते हैं तो शरीर में इस विटामिन की कमी हो जाती है। हृदय की कार्यप्रणाली Vitamin B-1की कमी से बहुत प्रभावित होती है, जिससे दिल कमजोर पड़ जाता है। लिहाजा मैदे से बने उत्पादों और पॉलिश किए हुए चावल का सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए। हृदय रोग में भोजन : कौन-कौन से फल और सब्जियां खाएं |दिल के रोगी के लिए समस्या का दूसरा नाम है फैट: मक्खन, घी, पनीर, फुल क्रीम दूध, अंडा, मांस आदि फैट की सेचुरेटिड श्रेणी में आते हैं। ये सारे पदार्थ दिल के मामले में इसलिए नुकसानदायक है, क्योंकि ये खून में Cholesterol को बढ़ाने का काम करते हैं। एक तो इनमें खुद के अंदर ही काफी मात्रा में Cholesterol होता है, दूसरे ये लिवर को भी ज्यादा Cholesterol बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। ये सभी फैट खून में ट्राईग्लाइसिराइड्स का स्तर भी बढ़ाते हैं, जिससे कोरोनरी हार्ड डिजीज का खतरा बढ़ जाता है यानी ये हमारे दिल के लिए समस्या-दर-समस्या पैदा करते जाते हैं। फैट का सबसे बुरा प्रकार हाइड्रोजेनेडिट फैट होता है। इसमें वनस्पति घी और मार्गेराइन आते हैं। ये रक्त में बुरे Cholesterol को बढ़ाते हैं और सामान्य रूप से रक्त का थक्का बनने की प्रक्रिया को बढ़ावा देते हैं।दिल के रोगी की परेशानी और बढ़ा देता है ज्यादा तला हुआ भोजन : इसके तहत सामान्यतः पकौड़ा, समोसा, पूरी, पदार्थ आते हैं। तेल में तले होने से इन सभी पदार्थों में फैट और ऊर्जा (कैलोरी) का स्तर बहुत बढ़ जाता है। शरीर में जाकर यह अतिरिक्त कैलोरी भी फैट में बदल जाती है। भोजन के तलने के दौरान तेल को जब एक तय तापमान से ज्यादा गर्म किया जाता है तो उसमें रासायनिक बदलाव होते हैं, जिसके फलस्वरूप हानिकारक रसायनों का निर्माण होता है। ऊंचे तापमान पर Fat Trans Fatty Acid में बदल जाता है। ये ऐसे फैटी एसिड हैं, जो ब्लड Cholesterol को बहुत तेजी से बढ़ाते हैं और रक्त का थक्का बनने की प्रवृत्ति पैदा करते हैं यानी Coronary heart disease (सीएचडी) की पूरी-पूरी आशंका। बहुत ज्यादा तापमान पर तेल में मौजूद थोड़े-बहुत फायदे भी गायब हो जाते हैं। भोजन को तलने के दौरान फ्री रेडिकल्स भी पैदा होते हैं। ये हृदय को किस प्रकार नुकसान पहुंचाते हैं, यह हम शुरू में पढ़ हो चुके हैं। ह्रदय रोग में लौकी के बेहतरीन फायदेमांसाहार यानी दिल के रोगी का ज्यादा ताकतवर दुश्मन : मांसाहारी भोजन (मछली को छोड़कर) में एक तो सेचुरेटिड फैट की भारी मात्रा होती है, दूसरे इसमें Cholesterol भी भरपूर होता है यानी दिल के दुश्मन ज्यादा ताकत के साथ शरीर में जाते हैं। मांस का Cholesterol धमनियों को कठोर और संकरा बनाता है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर और दिल की अन्य बीमारियां जन्म लेती हैं। मांसाहार एसिडिटी को भी बढ़ाता है, जो अंत में दिल को ही तकलीफ देती है। अंडे में हालांकि फैट कम है, पर Cholesterol बहुत होता है। कुल मिलाकर दिल के मरीजों के लिए मांस, अंडा बिल्कुल भी ठीक नहीं है।
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शाकाहारी भोजन के फायदे- Veg Vs. Non-Veg Dietसॉफ्ट ड्रिंक में मौजूद हैं ज्यादातर हानिकारक पदार्थ : कोल्ड ड्रिक में मौजूद पदार्थों के नाम से ही आप समझ जाएंगे कि यह दिल के लिए क्यों ठीक नहीं है। कोल्ड ड्रिक में कार्बन डाइऑक्साइड गैस, चीनी, यानी शरीर के लिए ज्यादातर हानिकारक पदार्थ। जहां तक कोक ड्रिंक (कोका कोला, पेप्सी, थम्स अप आदि) की बात है तो इनमें इन सब तत्वों के अलावा ‘कोकीन’ का अंश भी होता है, जो नारकोटिक ड्रग की श्रेणी में आता है। जानिए जूस पीने के फायदे और कोल्ड ड्रिंक पीने के नुकसानआइसक्रीम : आइसक्रीम में फैट (क्रीम और मिल्क प्रोडक्ट), चीनी, अंडा और भारी मात्रा में रसायन होते हैं। फैट, चीनी तो नुकसान पहुंचाती ही हैं, सभी रसायन भी काफी हानिकारक होते हैं। इसलिए दिल के रोगी को इनका सेवन नहीं करना चाहिए |केक, पेस्ट्री, क्रीम रोल : इनमें मैदा, चीनी, उच्च सेचुरेटिड फैट और Cholesterol होता है। जैम, जैली : इनमें बहुत ज्यादा चीनी और बनावटी रंग वाले रसायन होते हैं। जाने क्या है बाईपास सर्जरी-Open Heart & Bypass Surgeryबिस्कुट : इनमें मैदा, चीनी, फैट, कृत्रिम सुगंध होती है। आजकल कुछ बिस्कुट फाइबरयुक्त भी आ रहे हैं। वे अल्प संख्या में लिए जा सकते हैं। इसलिए दिल के रोगी को इनका सेवन नहीं करना चाहिए |मिठाइयां : इनमें चीनी, फैट और Cholesterol होता है। गुलाब जामुन तो तली जाती है, इसलिए और भी दिल के रोगी के लिए नुकसानदायक हो जाती है।पिज्जा, बंद, बर्गर : इनमें मैदा, नमक, फैट, Cholesterol होता है। बर्गर में तली हुई आलू की टिक्की भी शामिल हो जाती है। इसलिए दिल के रोगी को इनका सेवन नहीं करना चाहिए |अचार : इनके जरिए काफी नमक और चिकनाई शरीर में जाती है, जो दिल के रोगी के लिए ठीक नहीं है।टॉफी-कैंडी : इनमें चीनी, मिल्क पाउडर, ग्लूकोज, मैदा, कृत्रिम सुगंध और रंग होता है, जो दिल के लिए किसी भी प्रकार से सही नहीं है। इसलिए दिल के रोगी को इनका सेवन नहीं करना चाहिए |चॉकलेट : चॉकलेट में कोकोआ नाम के पदार्थ के अलावा कैफीन, चीनी, कृत्रिम सुगंध, मिल्क पाउडर होता है। ये सभी दिल के लिए फायदेमंद नहीं हैं।सॉस, कैचअप : इन सभी में बहुत ज्यादा चीनी, नमक, लाल मिर्च और रसायन होते हैं, जो सेहत के लिए ठीक नहीं हैं।दिल के संबंध में जितने भी प्रकार के भोज्य पदार्थों से परहेज रखने को कहा गया है, उन सभी के साथ यह बात कॉमन है कि उनमें फाइबर नाम मात्र को होते हैं, जिससे इन पदार्थों को खाने से दिल को कोई फायदा नहीं होता है | इसलिए दिल के रोगी को इनका सेवन नहीं करना चाहिए |
दिल के रोगी को यह भी ध्यान रखना चाहिए
दिल के रोगी को सीढ़ी या जीने पर एकदम से न चढ़ें। आठ घंटे की नींद लें। हाथ-पैरों में सरसों के तेल की मालिश से अच्छी नींद आती है। और तनाव से बचें ।
शोध के अनुसार मोटो लोगों को हार्ट अटैक का खतरा अधिक। यह न केवल बूढ़े बल्कि नौजवानों के लिए भी है खतरनाक।कम वसायुक्त खायें, कॉफी और चाय की मात्रा कीजिए सीमित।कम नमक खाइए और कम से कम 7 घंटे की नींद लीजिए।
दिल के मरीज वजन घटाकर दिल के दौरे के खतरे को कम कर सकते हैं। दिल के दौरे का खतरा अकसर मोटे लोगों में होता है। मोटे और टाइप-2 मधुमेह से पीडित लोग अब बडी आसानी से दिल के दौरे के खतरे को कम कर सकते हैं। मोटे और मधुमेह से ग्रस्त लोगों में दिल का दौरा ज्यादा पडता है। मधुमेह रोगियों और मोटे लोगों में दिल का दौरा पडने का खतरा 6 गुना ज्यादा होता है। जो लोग अपना वजन 6 किलो तक घटा लेते हैं उनमें दिल का दौरा पडने की गुंजाइश कम होती है। अनियमित दिनचर्या और खाद्य-पदार्थों में ज्यादा मात्रा में वसा का सेवन करने के कारण मोटापा बढता है और दिल की बीमारियां शुरू होती हैं।
क्या कहते हैं अध्ययन –
नए अध्ययन के अनुसार मोटे और मधुमेह टाइप-2 से पीडित लोग अगर अपना वजन 6 किग्रा तक घटाते हैं, तो उनकी धमनियों की कठोरता 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है। मधुमेह से पीडित लोगों को दिल का दौरा पडने का खतरा छह गुना ज्यादा होता है। मधुमेह रोगियों में दिल का दौरा पडने से ज्यादातर हुई मौतों का कारण धमनियों की कठोरता है। क्योंकि, धमनी की कठोरता का सीधा संबंध सूजन और संक्रमण से होता है। इस अध्ययन में यह पता चला कि वजन घटाने से धमनी की कठोरता में कमी आती है।
क्यों होती है दिल की बीमारी
केवल बूढे और मोटे लोगों को ही दिल का दौरा नहीं पडता , दिल का दौरा किसी को भी और किसी भी उम्र में पड सकता है। दरअसल, जीवनशैली और खान-पान दिल के दौरे का कारण बनता है। जंकफूड और तला हुआ खाद्य-पदार्थ खाने से दिल की बीमारी शुरू होती है। जो लोग अपने खाने में अत्यधिक वसा, नमक, अंडे और मांस खाते हैं, उनको दूसरों के मुकाबले दिल का दौरा बढने का खतरा 35 प्रतिशत ज्यादा होता है। ज्यादा वसायुक्त खाना खाने से मोटापा बढता है और मोटे लोगों को दिल का दौरा अधिक पड़ता है। धूम्रपान और तंबाकू का सेवन करने से भी दिल का दौरा पड़ता है।
दिल की बीमारी रोकने के कुछ उपाय
नियमित दिनचर्या और खान-पान में बदलाव करके दिल के दौरे की गुंजाइश कम की जा सकती है। साइकलिंग, वाकिंग, जिम, स्वीमिंग और योगा सुबह-शाम नियमित रूप से करने से रक्त संचार अच्छे से होता है जो कि दिल को मजबूत करता है।
खाने में कम वसायुक्त खाद्य-पदार्थों का सेवन कीजिए।
नमक की मात्रा कम लीजिए। रोजाना कम से कम 7 घंटे की नींद लीजिए।
काफी और चाय की मात्रा को सीमित कीजिए।
धूम्रपान और तंबाकू का सेवन मत कीजिए।
ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की आदत डालिए।
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बेहतर और तंदरुस्त शरीर के लिए मजबूत दिल का होना बहुत जरूरी होता है। दिल अगर कमजोर होगा तो कई समस्याएं शुरू हो जाती हैं। आप जब कोई उत्साहवर्धक काम करते हैं तब दिल की धडकन बढ जाती है। इसालिए दिल का मजबूत होना बहुत जरूरी है। अगर आपको दिल से संबंधित कोई समस्या है तो अपने चिकित्सक से संपर्क कीजिए।
दिल के मरीज वजन घटाकर दिल के दौरे के खतरे को कम कर सकते हैं। दिल के दौरे का खतरा अकसर मोटे लोगों में होता है। मोटे और टाइप-2 मधुमेह से पीडित लोग अब बडी आसानी से दिल के दौरे के खतरे को कम कर सकते हैं।
मोटे और मधुमेह से ग्रस्त लोगों में दिल का दौरा ज्यादा पडता है। मधुमेह रोगियों और मोटे लोगों में दिल का दौरा पडने का खतरा 6 गुना ज्यादा होता है। जो लोग अपना वजन 6 किलो तक घटा लेते हैं उनमें दिल का दौरा पडने की गुंजाइश कम होती है। अनियमित दिनचर्या और खाद्य-पदार्थों में ज्यादा मात्रा में वसा का सेवन करने के कारण मोटापा बढता है और दिल की बीमारियां शुरू होती हैं।
दिल की बीमारी रोकने के कुछ उपाय
नियमित दिनचर्या और खान-पान में बदलाव करके दिल के दौरे की गुंजाइश कम की जा सकती है। साइकलिंग, वाकिंग, जिम, स्वीमिंग और योगा सुबह-शाम नियमित रूप से करने से रक्त संचार अच्छे से होता है जो कि दिल को मजबूत करता है।
खाने में कम वसायुक्त खाद्य-पदार्थों का सेवन कीजिए।नमक की मात्रा कम लीजिए। रोजाना कम से कम 7 घंटे की नींद लीजिए।काफी और चाय की मात्रा को सीमित कीजिए।धूम्रपान और तंबाकू का सेवन मत कीजिए।ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की आदत डालिए।
बेहतर और तंदरुस्त शरीर के लिए मजबूत दिल का होना बहुत जरूरी होता है। दिल अगर कमजोर होगा तो कई समस्याएं शुरू हो जाती हैं। आप जब कोई उत्साहवर्धक काम करते हैं तब दिल की धडकन बढ जाती है। इसालिए दिल का मजबूत होना बहुत जरूरी है। अगर आपको दिल से संबंधित कोई समस्या है तो अपने चिकित्सक से संपर्क कीजिए।
क्या है कोलेट्रॉल स्क्रीनिंग टेस्ट
कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग टेस्ट में रक्त में एचडीएल और एलडीएल दोनों का स्तर जांचा जाता है। 20 साल की उम्र में पहली बार कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग टेस्ट करवाना अच्छा रहता है। इसके बाद हर पांच साल में एक बार यह टेस्ट करवाने से आप कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर नजर रख सकते हैं। हालांकि, इसके बाद आपको कितने समय बाद जांच करवानी यह जांच के स्तर पर निर्भर करता है। अगर रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य से अधिक है या आपके परिवार में दिल की बीमारियों का पारिवारिक इतिहास रहा है तो डॉक्टर हर 2 या 6 माह में जांच कराने की सलाह दे सकते हैं।
क्यों जरूरी है कोलेस्ट्रॉल की जांच
कोलेस्ट्रॉल लिवर द्वारा उत्पन्न की जाने वाली वसा होती है। हमारा शरीर सही प्रकार से काम करता रहे, इसके लिए कोलेस्ट्रॉल का होना जरूरी है। शरीर की हर कोशिका के जीवन के लिए कोलेस्ट्रॉल का होना आवश्यक है। क्त में कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा शरीर को तमाम प्रकार की बीमारियां दे सकती है। दिल की बीमारियों की बड़ी वजह कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य से अधिक होना है। इसलिए समय-समय पर कोलेस्ट्रॉल की जांच द्वारा आप जान सकते हैं कि कहीं आपको दिल की बीमारी का खतरा तो नहीं है। इसके अलावा इस टेस्ट के द्वारा आप ये भी जान सकते हैं कि कब आपको कोलेस्ट्रॉल को कम करने की जरूरत है।
कितना होना चाहिए आपका कोलेस्ट्रॉल
इंसान की सेहत कैसी होगी, यह बात काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि उसके रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कितनी है। रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 3.6 मिलिमोल्स प्रति लिटर से 7.8 मिलिमोल्स प्रति लिटर के बीच होता है। 6 मिलिमोल्स प्रति लिटर कोलेस्ट्रॉल को उच्च कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में रखा जाता है। इन हालात में धमनियों से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। 7.8 मिलिमोल्स प्रति लीटर से ज्यादा कोलेस्ट्रॉल को अत्यधिक उच्च कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। आप इस स्थिति में कभी नहीं पहुंचना चाहेंगे। इन हालात में आपको दिल का दौरा पड़ने और स्ट्रोक का खतरा भी काफी बढ़ जाता है।
कैसे कम करें बढ़ता कोलेस्ट्रॉल
मोटापे को जल्द करें कंट्रोलरोजाना 30 मिनट करें एक्सरसाइजसाइकिलिंग, स्विमिंग, रनिंग या डांसिंग जैसे शौक रखें।ट्रांस फैट वाले फूड्स से रहें दूर।कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का समय पर करें सेवन।
हार्ट वाल्व को कैसे मजबूत बनाएं
हार्ट वाल्व के बंद होने से गंभीर समस्या हो सकती हैं।स्वस्थ हृदय के लिए वाल्व का मजबूत होना जरुरी है।अपने दिल के लिए एक स्वस्थ जीवनशैली अपनायें।दिल के लिए सेहतमंद आहार का लेना जरूरी है।
स्वस्थ हृदय के लिए जरूरी है कि ऑक्सीजन की सप्लाई सही तरीके से हो इसके लिए हृदय के वाल्व का स्वस्थ और खुले हुए होना बहुत जरूरी है। वाल्व की मजबूती के लिए स्वस्थ आहार और जीवनशैली में सुधार लाना जरूरी है।
हमारे दिल में ऑक्सीजन और रक्त को पंप करने के लिए चार वाल्व होते हैं। सही प्रकार से काम कर रहे वाल्व सही समय पर बंद होते व खुलते हैं, जिससे दिल में पर्याप्त मात्रा में रक्त जाता है। हालांकि, कई बार वाल्व सही प्रकार से काम नहीं करते। उदाहरण के लिए, यदि चार में से एक वॉल्व भी सही प्रकार काम न करे, तो इससे रक्त का प्रवाह भी असंतुलित हो सकता है। उम्र, जन्मजात दोष, वात ज्वर और अन्य संक्रमण आपके दिल के वॉल्व को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे शरीर में रक्त-संचार पर विपरीत असर पड़ता है।
स्वस्थ जीवनशैली अपनायें
अपने दिल के लिए एक स्वस्थ जीवनशैली अपनायें। इसमे आपको स्वस्थ आहार खाना चाहिए, इसके साथ ही सप्ताह में कम से कम पांच दिन तीस मिनट तक व्यायाम जरूर करना चाहिए। इसके साथ ही आपको धूम्रपान से दूर रहना चाहिए और अल्कोहल की मात्रा भी सीमित रखनी चाहिए। अमेरिकन हॉर्ट एसोसिएशन के मुताबिक, दिल के लिए सेहतमंद आहार में चार से पाचं कप फल और सब्जियां रोजाना खानी चाहिए। इसके साथी ही मछली और फाइबर युक्त का सेवन करना चाहिए। आपको साबुत अनाज का सेवन अधिक और सोडियम और मीठे पेय पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए। ऐसा व्यायाम आपके दिल को मजबूत बना सकते हैं इसलिए आपको वॉकिंग, जॉगिंग, स्विमिंग या साइकिल चलाने जैसे व्यायाम करने चाहिए। लेकिन, आप अगर कमजोर वॉल्व की शिकायत से जूझ रहे हैं, तो जरूरी है कि आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
वात ज्वर के खतरे को कम करें
स्वयं को वात ज्वर से बचाने का प्रयास करें। इससे आपके दिल के वॉल्व मजबूत बने रहते हैं। वातज्वर स्ट्रेप थ्रोट जैसे बैक्टीरियल संक्रमण से हो सकता है। अगर आपको स्ट्रेप थ्रोट का कोई भी लक्षण, जैसे गले में सूजन, निगलने में परेशानी अथवा बुखार या कोई अन्य बैक्टीरियल संक्रमण, दिखायी दे, तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें। बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज जल्दी ही किया जाना चाहिए ताकि इससे दीर्घगामी प्रभावों से बचा जा सके।
डॉक्टर से बात करें
आप अपने डॉक्टर से हृदय वॉल्व को मजबूत बनाने वाली दवाओं के बारे में जानकारी ले सकते हैं। उदाहरण के लिए अपने आहार में नमक की मात्रा कम करें। इससे सूजन में कमी आती है जिससे दिल और वॉल्व पर पड़ने वाला दबाव कम होता है। बीटा-ब्लॉर्क्स आपके दिल की धड़कनों को काबू रखने में मदद करती हैं। इससे रक्तचाप और हृदयगति सामान्य बनी रहती है।
सर्जरी
अगर आपके लक्षण गंभीर हों, तो आपको सर्जरी से गुजरना पड़ सकता है। सर्जरी के दौरान वॉल्व को सुधारा अथवा बदला जाता है। वॉल्व की सुधार प्रक्रिया में कैल्शियम हटाया जाता है। वहीं बदलाव में पुराने वॉल्व की जगह नया कृत्रिम वॉल्व लगाया जाता है। सर्जरी इसका आखिरी विकल्प है और इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।
टिप्स और चेतावनी
अपने वॉल्व की नियमित जांच करवाते रहना चाहिए। इसमें एकोकार्डियोग्राम शामिल होता है, जिसमें वॉल्व की कार्यक्षमता को बढ़ाया जाता है।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक कमजोर वॉल्व की निशानी में सांस लेने में परेशानी, आलस, सीने में दर्द, बैचेनी और अनियमित धड़कनें हो सकती हैं। आपको कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, इसलिए आपको जितना जल्दी हो सके डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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दिल की बीमारी और कमजोरी का इलाज
हृदय रोग यानि दिल का कमजोर होने से से हार्ट अटैक, दिल की बीमारी आदि जैसे कई रोग पैदा होते हैं, और यही कमज़ोर दिल रोगी को मृत्यु के द्वार तक ले जाता हैं. कई लोग इसके उपचार के लिए दिल की दवा टेबलेट्स आदि का प्रयोग करते है लेकिन यह उतना लाभ नहीं करती है. और आपको इनका प्रयोग करने की जरुरत भी क्या है जब हमारे पास दिल की कमजोरी को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे हो जिनसे आप घर पर ही इस हार्ट की बीमारी को ठीक कर सकते हो तो आइये जाने इसी के बारे में.
दिल की बीमारी के लक्षण
छाती में असहज दबाव महसूस होना छाती में tightness महसूस होना मितली होनाहृदय में जलनपाचन समबंधी समस्याहाथों में दर्द होना छाती में दर्द होना पसीना ज्यादा आना तलवों, टखनों आदि पैरों में सूजन होना कमर दर्द चक्कर आनासांस लेते वक्त दिक्क्त आनासर घूमनाअत्यधिक थकान महसूस होना
आदि यह सभी कमज़ोर दिल के लक्षण है, इसके अलावा हार्ट अटैक आदि के जो लक्षण होते हैं वह भी इन्हीं से सम्बंधित होते हैं. दिल की कमजोरी ज्यादातर अत्यधिक तनाव में रहने से, नकारात्मक सोच रखने से, पौष्टिक आहार न लेने से, बीड़ी सिगरेट का सेवन करना, नशीली चीजों का सेवन करना आदि अन्य कारणों से होती हैं, हार्ट की बीमारी से बचे रहने के लिए इन चीजों का सेवन आज ही छोड़ें
भोजन में सरसों के तेल का प्रयोग करेरोजाना सुबह खाली पेट एक लहसुन निगल जाए1-2 चम्मच शहद का रोजाना सेवन करेआंवले का मुरब्बा भी खायेलोकि की सब्जी व लोकि का रस पिएअनार का रस भी पिए यह भी परम लाभकारी होता हैफैटी एसिड का सेवन न करे
जरुरत के मुताबिक सूखे आंवलों को कूट पीसकर बारीक चूर्ण बना लें और उसमे बराबर वजन पीसी हुई मिश्री मिलाकर किसी कांच के बर्तन में रख दें. रोजाना सुबह खाली पेट 6 ग्राम दो चम्मच भर चूर्ण को पानी के साथ फांक लेने से कुछ ही दिनों में हृदय के समस्त रोग दूर हो जाते हैं. विशेषकर दिल की धड़कन, दिल की कमज़ोरी आदि इस दिल की बीमारी के घरेलु नुस्खे से हो जाता हैं.
दिल की बीमारी का इलाज के उपाय घरेलु नुस्खे
सेब का मुरब्बा रोजाना सेवन करने से हृदय की दिल की कमज़ोरी दूर हो जाती हैं. इसके लिए 15-20 दिन में ही कमजोरी व दिल का बैठना ठीक हो जाता हैं.कमज़ोर दिल के लिए 4 रत्ती जड़वार को शिकंजी के साथ रोजाना सेवन करने से हार्ट की कमज़ोर मिट जाती है.आधा पेट भोजन करने के बाद हरे आंवलों का रस 35 ग्राम पानी में मिलाकर पि लें, इसके बाद फिर भोजन करा शुरू करे. यह दिल की कमजोरी का उपचार करता हैं. इस प्रकार 21 दिन इस प्रयोग को करने से हृदय मस्तिष्क संबंधी सभी कमजोरी मिट जाती हैं.हारसिंगार पौधे के फूलों की डंडी हटाकर के फूलों से दुगुनी मात्रा में पीसी हुई शक्कर मिलाकर 1 शीशी में भरकर धुप में रख दें. 40 दिन बाद इस गुलकंद को 20 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह शाम खाने पर गर्मी से हृदय की बढ़ी हुई धड़कन मिटकर दिल मजबूत होता हैं, यह असरदार दिल को मजबूत करने का उपाय हैं.दिल की बीमारी व कमजोरी दूर करने के लिए नीबू में विशेष गुण होते है. इसके निरंतर प्रयोग से रक्त वाहनियों में लचक और कोमलता आती है तथा इनकी कठोरता दूर होती है. इसीलिए हाई ब्लड प्रेशर जैसे रोगों को दूर करने में नीबू उपयोगी है. नीबू के सेवन से वृद्धस्वस्था तक हृदय शक्तिशाली बना रहता है और हार्ट अटैक का भय नहीं रहता है. कैसा भी ब्लड प्रेशर हो पानी में नीबू निचोड़कर दिन में कई बार पिने से लाभ होता हैं. सुबह एक नीबू का रस गर्म पानी में मिलाकर पीना हृदय रोग में बहुत ही प्रभावकारी होता है.ऐसे करे दिल की बीमारी का इलाज आप 100 ग्राम अमरुद में विटामिन C 299 से 400 मि.ग्रा तक होता है. यह दिल को ताकत देता है. स्फूर्ति और शक्ति देता है. यह सबसे आसान सा दिल की कमजोरी का उपाय है जो की दिल की कमज़ोरी को मिटाता है. इसके साथ ही अगर लीची का सेवन भी हृदय का रोगी रोजाना करे तो यह भी उतने ही लाभ देती हैं.उड़द का यह उपाय भी हार्ट की बीमारी का इलाज करता है – रात को आधा छटांक उड़द की दाल भिगो दें तथा सुबह के समय इसे पीसकर दूध और मिश्री मिलाकर पिए. यह हृदय, मस्तिष्क और वीर्य के लिए बहुत ही लाभकारी प्रयोग है. इसे अच्छी पाचनशक्ति वाले लोग ही सेवन करे. छिलके सहित उड़द की दाल खाने से शारीरिक मांस में वृध्दि होती है.हींग भी कमज़ोर दिल को शक्ति देती है और खून को जमने से रोकती है. हींग के सेवन से रक्तसंचार सरलतापूर्वक होता है. कमज़ोर दिल वालों के लिए हींग अत्यंत लाभदायक होता हैं.सोंठ का गर्म काढ़ा (क्वाथ) नमक मिलाकर रोजाना एक प्याला सेवन करने से हृदय की दुर्बलता दिल अधिक धड़कना, दिल बैठने सा लगना जैसे कष्ट दूर हो जाते हैं.एक चम्मच शहद रोजाना सेवन करने से हृदय की कमज़ोरी मिट जाती हैं. एक चम्मच शहद में 100 कैलोरी शक्ति होती है. ऐसे ही ओर अछे articles के लिए जुड़े रहे ( https://normaladvices.blogspot.com ) से।
सर्दी के मौसम में तुलसी के सात पत्ते, चार नाग कालीमिर्च और चार नाग बादाम लेकर सभी को ठंडाई की भांति पीसकर आधा कप पानी में घोलकर रोजाना पिने से हार्ट की बीमारी व कमज़ोरी दूर होती है. इसके अलावा अन्य हृदय रोग का इलाज भी यह उपाय करता हैं.शहद दिल की कमज़ोरी मिटाने के लिए रामबाण सिद्ध होता है, यह हृदय को फैल होने से भी बचाता है. सर्दी या कमजोरी के कारण जब दिल की धड़कन तेज हो जाए, दम-सा घुटने लगे, तो 2 चम्मच शहद सेवन करने से तुरंत नई शक्ति मिलती हैं. कमज़ोरी, दिल बैठना आदि कष्ट होने पर एक चम्मच शहद गर्म पानी में डालकर पिलाये.जब किसी को हार्ट अटैक दिल का दौरा पड़ने लगे तो लहसुन की चार पांच कलियों को तुरंत चबा लेना चाहिए. ऐसा करने से हार्ट फ़ैल नहीं होगा. इसके बाद लहसुन दूध में उबालकर लेते रहना चाहिए. हृदय रोग में लहसुन देते रहने से पेट में वायु निकलकर हृदय का दबाव हल्का हो जाता है. इससे हृदय को बल मिलता हैं.गुड़ से दिल की कमजोरी का इलाज -: गुड़ और घी मिलाकर खाने से भी बहुत लाभ होता है.5 ग्राम दाना मेथी लेकर उसका काढ़ा बना लें. इसमें शहद मिलाकर खाने से पुराने से पुराना दिल का रोग भी ठीक हो जाता हैं.आंवले का चूर्ण रात को सोते समय दूध के साथ सेवन करने से यह उपाय दिल की बिमारियों में अचूक लाभ करता है.गाजर का मुरब्बा व 200 ग्राम गाजर और 100 ग्राम पालक का रस मिलाकर पिने से भी समस्या उपचार होता हैं.दिल की जलन के इलाज करने के लिए मिश्री के साथ पकी हुई इमली का रस पिलाये, तुरंत लाभ होगा.दिल की बीमारी में क्या खाये – अरबी की सब्जी 25 ग्राम रोजाना कहते रहने से हृदय रोगों में रामबाण लाभ होता है, इसलिए अरबी जरूर खाना चाहिए. इसके साथ ही काला चना भी दिल के रोगियों को खाने चाहिए
हृदय रोग दिल की कमजोरी के घरेलु नुस्खे
हृदय और रक्त संस्थान, रक्त वाहिनियों और कैपिलरीज को शक्तिशाली बनाने में मौसमी का प्रयोग बहुत फायदेमन्द होता हैं. मौसमी का रस रक्त शोधक भी है, अतः: यह चर्म रोगों में भी लाभकारी होता है.अर्जुन वृक्ष की छाल का रस 4 किलो, शुद्ध घी एक किलो लें तथा इन दोनों को मिलाकर पकाये. जब रस जलकर घी मात्रा शेष रह जाए, तब उतारकर छान लें. इस घी को 10 ग्राम की मात्रा में रोजाना दूध में मिलाकर पिने से दिल का दर्द व कमज़ोरी अन्य बीमारी दूर हो जाते हैं. 10 बीज निकाले हुए मुनक्के, 10 छुहारे, 10 छोटी इलाइची के दाने और हिरा हींग और दालचीनी 10-10 ग्राम लेकर पीसकर एक शीशी में सुरक्षित रख लें. इस दवा को एक चुटकी में जितना आए उतनी मात्रा में लेकर मुख में रखकर घुलने दें. प्रयोग दिन में 4-5 बार करें. यह दिल को शक्ति प्रदान करने का सबसे तेज और असरदार उपायहैं.
अगर आपको भी है दिल की बीमारी तो अपनाएं ये घरेलू नुस्खे
1. परिहार्दिक सूजन : इस बीमारी के कारण हमारे दिल की झिल्ली में सूजन आ जाती है जिसके कारण हमारे दिल में हल्का-हल्का दर्द होने लगता है। इसके साथ ही इसके कारण हमारी नर्व्स भी तेज़ चलने लगती है। सिर्फ इतना ही नहीं, इस बीमारी के कारण कई बार दिल की झिल्ली में पानी भी भर जाता है और बुखार भी आ जाता है।
2. दिल की मांसपेशी फैल जाना : कई बार दिल की मांसपेशियों के ज्यादा काम करने के कारण ये मांसपेशियां फैल जाती हैं और बीमारी का रूप ले लेती हैं। इस बीमारी के होने से अकसर मरीज़ को हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी बनी रहती है।
3. रक्तगांठ बनना : इस बीमारी में मरीज़ की रक्त धमनियों में कैल्शियम, कोलेस्ट्रोल और फैट की परत जमने लगती है जो कि एक बीमारी का रूप ले लेती है।
4. आमवातिक ह्रदय रोग : ये बीमारी हड्डी की जोड़ों में बुखार होने से होती है। इस बुखार से हड्डी के जोड़ और दिल के वॉल्व सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं और इनमें खराबी आ जाती है। ये बीमारी सबसे ज्यादा 5-15 साल के बच्चों में पाई जाती है।
5. वॉल्वूलर हार्ट डिजीज : कभी कभी किन्हीं वजहों से हार्ट के वॉल्व में होने वाला रक्त का रिसाव होने लगता है जिसकी वजह से वॉल्व का डैमेज हो सकता है। इसे वॉल्वूलर हार्ट डिजीज कहते हैं।
ये हैं दिल की बीमारी के लक्षण
अगर आपको नीचे दिये गए लक्षण में से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि ये लक्षण दिल की बीमारी का इशारा हो सकते हैं।
1. सीने में असहज महसूस करना- अगर आपको सीने में दबाव महसूस हो या फिर दर्द महसूस हो तो ये आर्टरी ब्लॉक का भी संकेत हो सकता है।
2. नॉशिया, हार्टबर्न और पेट में दर्द- कई बार मितली आना, सीने में जलन, पेट में दर्द और पाचन संबंधी दिक्कतें दिल की बीमारी का संकेत हो सकती हैं।
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3. हाथ में दर्द होना- कई बार दिल के मरीज़ों को सीने में और बाएं कंधे में दर्द की शिकायत होने लगती है।
4. ज्यादा समय के लिए कफ होना- अगर आपको सर्दी-जुकाम होने के साथ-साथ ज्यादा समय के लिए कफ की समस्या होती है तो ये दिल की बीमारी भी हो सकती है।
5. ज्यादा पसीना आना- अगर आपको सामान्य से ज्यादा पसीना आता है तो ये दिल के खतरे की तरफ इशारा हो सकता है।
ये घरेलू इलाज रखेंगे दिल की बीमारी से दूर
अगर आप किसी भी तरह की दिल की बीमारी का शिकार नहीं बनना चाहते हैं तो ये घरेलू नुस्खे अपनाए। इससे आप दिल की बीमारी से तो दूर रहेंगे ही, इसके साथ ही आप स्वस्थ्य भी रहेंगे।
1. रोज़ाना खाने में सरसों के तेल का इस्तमाल जरूर करें। इससे आप फैटी एसिड से दूर रहेंगे जो कि दिल की बीमारी के जोखिम को 70 प्रतिशत तक कम कर देता है।
2. रोज़ सुबह खाली पेट कच्चा लहसुन खाने से पूरे शरीर में खून का संचार सही तरीके से होता है। इसके साथ ही इससे हमारा दिल मज़बूत बनता है और इससे कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है।
3. रोज़ाना एक चम्मच शहद खाने से दूर की बीमारियां दूर रहती हैं।
4. आंवले का मुरब्बा भी दिल की बीमारी को दूर रखने में काफी मदद करता है।
5. सेब का जूस हमारे दिल को काफी हेल्दी बनाता है और साथ ही दिल की बीमारियों को दूर रखता है।
हार्ट अटैक का आयुर्वेदिक उपचार
जब दिल तक खून पहुंचने में कोई दिक्कत होती है, तब दिल का दौरा पड़ने की आशंका रहती है। हार्ट अटैक _ Heart Attack जैसी दिल की बीमारी का इलाज समय पर करवाना चाहिए नहीं तो यह जानलेवा साबित हो सकती है।
हार्ट अटैक का इलाज मँहगा होता है, जिस वजह से आम आदमी इसके खर्चे आसानी से नहीं उठा सकता है। इसलिए ऐसी परिस्थिति में इस दिल की बीमारी का जानलेवा होना लाज़मी है। आपको पता होना चाहिए कि दिल का दौरा पड़ने पर बचाव के लिए क्या उपाय होते हैं? हार्ट अटैक के लिए भी घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय मौजूद हैं, जिनसे इसका इलाज संभव है।
हार्ट अटैक के लक्षण
– सांस फूलना
– ज़्यादा पसीना बहना
– सीने में दर्द या जलन होना
– जी मिचलाना और उल्टी आना
– सिर चकराना और बेहोशी
– घबराहट महसूस होना
– पेट में दर्द होना
हार्ट अटैक के कारण
– हाई ब्लडप्रेशर
– हाई कोलेस्ट्रॉल
– मोटापा
– शरीर से काम न लेना
– डायबिटीज
– अनुवांशिक कारण
दिल के दौरे का एलोपैथिक इलाज
एलोपैथिक उपचार के लिए डॉक्टर एंजिओप्लास्टी करते हैं। जिसमें ऑपरेशन करके खराब ब्लड वेसल की मरम्मत की जाती है या बंद कोरोनरी आटरी को खोला जाता है। दिल सम्बंधित समस्याओं के लिए हार्ट बाइपास सर्जरी की जाती है। जिसका औसतन खर्चा 5 लाख के लगभग होता है।
हार्ट बाइपास सर्जरी में बंद ब्लड वेसल में स्टेंट डाल देते हैं, जो एक तरह की स्प्रिंग होती है। लेकिन इसके बाद भी हार्ट अटैक से बचने की कोई गारंटी नहीं रहती है। लेकिन हार्ट अटैक के लिए आयुर्वेदिक उपचार किया जाए तो लम्बे समय तक आराम मिलता है।
हार्ट अटैक का आयुर्वेदिक इलाज
योग, आयुर्वेद और घरेलू नुस्खे की सहायता से बिना एंजियोप्लास्टी के लगभग 80% हार्ट अटैक की संभावना को टाला जाता है। इन तरीकों से दिल की दूसरी बीमारियां भी कम हो जाती हैं। दिल का दौरा रोकने के लिए आयुर्वेद में प्रभावी उपायों का उल्लेख किया गया है।
हार्ट ब्लॉकेज खोलने के लिए चिकनाई से पैदा होने वाले एसिड को खत्म किया जाता है, जिससे दिल की बीमारियां जड़ से खत्म हो जाती हैं। दिल का बीमारियां एसिडिटी के कारण होती हैं। एसिडिटी जो पेट से जुड़ी समस्या है, जब यह अधिक बढ़ जाती है तो यह एसिड खून में मिल जाता है। जिससे ब्लड एसिडिटी हो जाती है।
जब यह एसिडिक ब्लड रक्त वाहिनियों में आगे नहीं बह पाता है, तब ब्लॉकेज की समस्या हो जाती है, जिससे हार्ट अटैक पड़ता है।
हार्ट अटैक का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए ब्लड एसिडिटी को क्षारीय वस्तुएं खाने की सलाह दी जाती है। क्षारीय खाद्य वस्तुएं खाने से खून की अम्लता घट जाती है और ब्लॉकेज खुल जाता है।
– लौकी एक क्षारीय सब्ज़ी है। लौकी सब्ज़ी, लौकी का रस या कच्ची लौकी खाने से रक्त की अम्लता कम होती है। कड़वी या कसैली लौकी का सेवन नहीं करना चाहिए।
– तुलसी की पत्ती में भी क्षारीय गुण होते हैं, जिसे लौकी के जूस में मिलाकर पिया जा सकता है।
– लौकी और तुलसी के साथ-साथ पुदीना भी क्षारीय गुणों से युक्त है। आप लौकी के जूस में तुलसी और पुदीना मिलाकर अधिक लाभ ले सकते हैं। स्वाद के लिए सेंधा नमक डालकर पीने से कोई हानि नहीं है।
दिल की बीमारियों के लिए योगासन
दिल की अनेक बीमारियों का इलाज नियमित योग और प्राणायाम द्वारा भी संभव है। आगे बताए गए 5 प्राणायाम हार्ट प्रॉब्लम के लिए लाभकारी हैं।
– भस्त्रिका प्राणायाम
– कपालभाती प्राणायाम
– अनुलोम-विलोम प्राणायाम
– भ्रमरी प्राणायाम
– उदगीथ प्राणायाम
हृदयाघात के लिए आयुर्वेदिक दवाएं
– दिव्य अर्जुन क्वाथ 4-4 चम्म्च खाने के बाद पिएं
– दिव्य हृदयामृत 2-2 गोली सुबह-शाम खाएं
– 5 ग्राम दिव्य संगेयासव पिश्ती, 5 ग्राम दिव्य अकीक पिश्ती, 4 ग्राम दिव्य मुक्ता पिस्ती और 2 ग्राम योगेंदर रस मिलाकर मिश्रण बना लें। 60 पुड़िया बनाकर रख लें और सुबह-शाम खाली पेट शहद के साथ 1-1 पुड़िया का सेवन करें। जब दिल की बीमारी घातक हो तो यह उपाय कारगर सिद्ध होता है।
एक्यूप्रेशर से हार्ट अटैक का इलाज
– हाथ सबसे छोटी उंगली के नीचे गहरी रेखा के ऊपर दबाने से सभी प्रकार के हृदय रोग जैसे छाती में संक्रमण, दिल का दर्द, हृदयाघात, धड़कन बढ़ जाना, हार्ट ब्लॉकेज और कार्डियोवस्कुलर डिसीज में फायदा मिलता है।
हार्ट अटैक से बचने के घरेलू उपाय
हृदयाघात और दिल की बिमारियां हर साल लाखों लोगों के लिए जानलेवा साबित होती हैं। रोज़मर्रा के जीवन में कुछ घरेलू उपाय करके दिल की बीमारियों से बचे रह सकते हैं और संभव इलाज भी कर सकते हैं।
– अर्जुन छाल दिल की सभी बिमारियों में लाभकारी है। अर्जुन छाल की चाय पीने से बहुत फायदा मिलता है।
– नियमित दलिया खाने से दिल की बिमारियों का खतरा कम हो जाता है।
– शहद दिल की सेहत का ख़याल रखने के लिए उत्तम औषधि है। रोज़ 1 चम्मच शहद ज़रूर खाएं।
– सूखा आंवाला और मिसरी को बराबर मात्रा में पीसकर हर रोज़ पानी से साथ 1 चम्मच सेवन करने से हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।
– खाना बनाने के लिए अलसी के तेल का प्रयोग करें। अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जिससे दिल को ताक़त मिलती है।
– दिल को स्वस्थ रखने के लिए गुड़ में घी मिलाकर खाना चाहिए।
– अलसी के पत्ते और सूखे धनिया का काढ़ा बनाकर पीने से भी दिल की कमज़ोरी दूर होती है।
आयुर्वेद से दिल का इलाज
आयुर्वेद की मदद से बिना एंजियोप्लास्टी के करीब 80 फीसदी हार्ट अटैक की संभावना को टाला जा सकता है. इससे दिल की दूसरी बीमारियां भी कम हो जाती है. दिल में खून सही मात्रा में नहीं पहुंचना हार्ट अटैक की संभावना को बढ़ा देता है ऐसे में हार्ट ब्लॉकेज को खोलने के लिए चिकनाई से पैदा होने वाले एसिड को खत्म किया जाता है. दिल की बीमारियां भी इससे खत्म हो जाती हैं. दिल की बीमारियां एसिडिटी के कारण होती है पेट में जब एसिडिटी अधिक हो जाती है तो एसिड खून में मिल जाता है और रक्त वाहिनियों में एसिड ब्लड आगे नहीं बह पाता और ब्लॉकेज की समस्या उत्पन्न होती है.
लौकी है फायदेमंद
हार्ट अटैक का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए ब्लड एसिडिटी को क्षारिय वस्तुएं खाने की सलाह दी जाती है. इसे खाने से ब्लड में अम्लता घट जाती है और ब्लॉकेज खुल जाता है. ऐसे में लौकी की सब्जी और लौकी का जूस फायदेमंद है, जो रक्त की अम्लता कम करती है.
लौकी के रस में तुलसी और पुदीना मिलाएं
लौकी की जूस में तुलसी की पत्ते को मिला कर पिया जा सकता है. तुलसी की पत्ती में क्षारीय गुण होते हैं इसके अलावा पुदीना भी मिला कर पीने पर लाभ मिलता है. इसके स्वाद को बदलने के लिए आप सेंधा नमक मिला सकते हैं इससे कोई हानी नहीं होगी.
हार्ट अटैक से बचने के 13 तरीके
जब कोई व्यक्ति भावनात्मक तनाव महसूस करता है व्यक्ति का दिल सबसे पहले प्रभावित होता है जो कि हार्ट अटैक का कारण बनता है।
नियमित व्यायाम करें
हार्ट अटैक से बचने का सबसे बेहतर तरीका है कि आप रोजाना व्यायाम करें। आप कम से कम 15 मिनट तक शारीरिक कसरत करें। दिल को तंदुरुस्त रखने के लिए वॉक करना भी एक अच्छा व्यायाम है।
ऑयली या ज्यादा चिकनाई वाले खाने से बचें
जंक फूड में ज्यादा ऑयल होता है इसलिए ये हार्ट के लिए सही नहीं हैं। दिल के दौरे से बचने के लिए इस तरह के खाने से तौबा करें।
क्या आप मोटे तो नहीं
यदि आप मोटे हैं तो आपको हार्ट अटैक का खतरा है। ज्यादा वजन होने से हार्ट को ज्यादा रक्त और ज्यादा ऊर्जा पंप करनी पड़ती है जिससे आपने नाजुक दिल पर ज्यादा दबाव पड़ता है।
सही आहार लें
सही डाइट लेना बेहद जरूरी है। हार्ट अटैक से बचने के लिए संतुलित आहार लेना जरूरी है।
पेशाब और शौच को ना दबाएँ
जब पेशाब और शौच का दबाव पड़ता है तो आपको जाना तो है ही पहले या बाद में। इसको दबाने से दिल पर प्रभाव पड़ता है और यह संक्रमण का कारण भी बनता है।
क्या आप तनाव में हैं?
हार्ट अटैक से बचने के लिए तनाव से दूर रहें। यदि आपने अपने किसी प्रियजन को खो भी दिया है तो अपने दिल को इसके लिए तैयार करें और प्यार और शांति की तलाश करें।
ब्लड प्रेशर की जांच कराते रहें
यदि आप दिल को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो समय-समय पर रक्त-चाप की जांच कराते रहें। हाई ब्लड प्रेशर से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
प्यार करना सीखें
हमेशा लोगों से प्यार करें ना कि नफरत। आपके दिल के लिए यह एक अच्छी नसीहत है।
एक कप चाय पिये
दिल में ज्यादा ब्लड पहुँचाने के लिए कॉफी के मुक़ाबले चाय ज्यादा बेहतर है। यह दिल को स्वस्थ रखती है। इसलिए रोज एक कप चाय जरूर पिये।
मछली का सेवन करें
मछली ना केवल आँखों के लिए अच्छी है बल्कि कई तरह की दिल की बीमारियों को भी दूर करती है। सप्ताह में एक बार मछ्ली अवश्य सेवन करें।
डाइबिटीज़ है तो ज्यादा सावधान रहें
शुगर से पीड़ित लोग जानते हैं कि उनके लिए क्या अच्छा है और क्या नहीं। यदि आपको डाइबिटीज़ है तो दिल पर प्रभाव डालता है। यदि आपको अटैक आते रहते हैं तो आप ज्यादा सावधानी की आवश्यकता है।
पूरी नींद लें
हार्ट अटैक से बचने का मंत्र है - रोजाना 8 घंटे की नींद। दिल के लिए कई तरीके से यह फायदेमंद है।
धूम्रपान हानिकारक है
धूम्रपान आपके लिए नुकसानकारी है। स्मोकिंग से दिल और फेफड़ों पर विपरीत असर पड़ता है।
हार्ट अटैक से बचे।
दस उपायों को अपनाकर हृदय की बीमारियों को रोका जा सकता है-
1. अपने कोलेस्ट्रोल स्तर को 130 एमजी/ डीएल तक रखिए- कोलेस्ट्रोल के मुख्य स्रोत जीव उत्पाद हैं, जिनसे जितना अधिक हो, बचने की कोशिश करनी चाहिए। अगर आपके यकृत यानी लीवर में अतिरिक्त कोलेस्ट्रोल का निर्माण हो रहा हो तब आपको कोलेस्ट्रोल घटाने वाली दवाओं का सेवन करना पड़ सकता है।
2. अपना सारा भोजन बगैर तेल के बनाएं लेकिन मसाले का प्रयोग बंद नहीं करें- मसाले हमें भोजन का स्वाद देते हैं न कि तेल का। हमारे 'जीरो ऑयल' भोजन निर्माण विधि का प्रयोग करें और हजारों हजार जीरो ऑयल भोजन स्वाद के साथ समझौता किए बगैर तैयार करें। तेल ट्रिगलिराइड्स होते हैं और रक्त स्तर 130 एमजी/ डीएल के नीचे रखा जाना चाहिए।
3. अपने तनावों को लगभग 50 प्रतिशत तक कम करें- इससे आपको हृदय रोग को रोकने में मदद मिलेगी, क्योंकि मनोवैज्ञानिक तनाव हृदय की बीमारियों की मुख्य वजह है। इससे आपको बेहतर जीवन स्तर बनाए रखने में भी मदद मिलेगी।
4. हमेशा ही रक्त दबाव को 120/80 एमएमएचजी के आसपास रखे ं- बढ़ा हुआ रक्त दबाव विशेष रूप से 130/ 90 से ऊपर आपके ब्लोकेज (अवरोध) को दुगनी रफ्तार से बढ़ाएगा। तनाव में कमी, ध्यान, नमक में कमी तथा यहाँ तक कि हल्की दवाएँ लेकर भी रक्त दबाव को कम करना चाहिए।
5. अपने वजन को सामान्य रखे ं- आपका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 से नीचे रहना चाहिए। इसकी गणना आप अपने किलोग्राम वजन को मीटर में अपने कद के स्क्वेयर के साथ घटाकर कर सकते हैं। तेल नहीं खाकर एवं निम्न रेशे वाले अनाजों तथा उच्च किस्म के सलादों के सेवन द्वारा आप अपने वजन को नियंत्रित कर सकते हैं।
6. नियमित रूप से आधे घंटे तक टहलना जरूरी-टहलने की रफ्तार इतनी होनी चाहिए, जिससे सीने में दर्द नहीं हो और हाँफें भी नहीं। यह आपके अच्छे कोलेस्ट्रोल यानी एचडीएल कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने में आपकी मदद कर सकता है।
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7. 15 मिनट तक ध्यान और हल्के योग व्यायाम रोज करें- यह आपके तनाव तथा रक्त दबाव को कम करेगा। आपको सक्रिय रखेगा और आपके हृदय रोग को नियंत्रित करने में मददगार साबित होगा।
8. भोजन में रेशे और एंटी ऑक्सीडेंट्स- भोजन में अधिक सलाद, सब्जियों तथा फलों का प्रयोग करें। ये आपके भोजन में रेशे और एंटी ऑक्सीडेंट्स के स्रोत हैं और एचडीएल या गुड कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने में सहायक होते हैं।
9. अगर आप मधुमेह से पीड़ित हैं तो शकर को नियंत्रित रखें- आपका फास्टिंग ब्लड शुगर 100 एमजी/ डीएल से नीचे होना चाहिए और खाने के दो घंटे बाद उसे 140 एमजी/ डीएल से नीचे होना चाहिए। व्यायाम, वजन में कमी, भोजन में अधिक रेशा लेकर तथा मीठे भोज्य पदार्थों से बचते हुए मधुमेह को खतरनाक न बनने दें। अगर आवश्यक हो तो हल्की दवाओं के सेवन से फायदा पहुँच सकता है।
10. हार्ट अटैक से पूरी तरह बचाव- हार्ट अटैक से बचने का सबसे आसान संदेश है और हार्ट में अधिक रुकावटें न होने दें। यदि आप इन्हें घटा सकते हैं, तो हार्ट अटैक कभी नहीं होगा।
हार्ट पेशेंट के लिए डाइट चार्ट
सुबह सात बजे - मलाई रहित दूध एक गिलास दो चम्मच शक्कर के साथ, साथ में 3-4 बादाम भी लीजिए। सुबह नौ बजे- अंकुरित अनाज एक प्लेट मिक्स या वेजीटेबल उपमा।दोपहर 12 बजे- दो चपाती चोकर सहित, छिलके वाली दाल एक कटोरी, आधा कटोरी चावल, एक कटोरी हरी सब्जी, दही एक कटोरी, सलाद।तीन या चार बजे- चाय एक कप, भेल एक प्लेट या दो बिस्किट, फल एक (सेव, संतरा, कच्चा जाम, अनार, नाशपती आदि)।सात या आठ बजे- दिन में लंच के समय जैसा खाना खाया है ठीक वैसा ही रात के खाने में भी लीजिए।नौ बजे- फल एक या दूध आधा गिलास।
इसके अलावा हार्ट के मरीज यह भी ध्यान में रखें -
दिनभर में दो-तीन चम्मच घी व चार-पांच चम्मच तेल का उपयोग भोजन में करना चाहिए।हृदय रोगी को नमक, मिर्च तथा तले-भुने भोजन का प्रयोग कम से कम करना चाहिए या हो सके तो नहीं करना चाहिए।हरी पत्तेदार सब्जियों एवं फल का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए।धूम्रपान, शराब या अन्य किसी नशीली वस्तु का सेवन बंद कर देना चाहिए।घी, मक्खन इत्यादि का सेवन कम से कम करना चाहिए।आंवला या लहसुन का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए।सेब के मुरब्बे का सेवन हृदय रोगियों को विशेषकर करना चाहिए।हल्के-फुल्के व्यायाम तथा सुबह की सैर को अपनी दिनचर्या में अवश्य शामिल करना चाहिए।दिल के मरीजों के लिए दूध, जौ, बादाम, टमाटर, चैरी, मछली, बीटा ग्लूकोज बहुत फायदेमंद है।
ऐसी डाइट कोलेस्ट्रॉल को घटाने में मदद करती है। इस तरह का खानपान 40 से ज्यादा उम्र वाले दिल के रोगियों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। इसके अलावा नियमित व्यायाम भी जरूरी है।
Yoga ( योगासन )
अधिकतर लोग केवल इतना जानते हैं कि योगासन करने से दिल स्वस्थ रहता है। दुर्भाग्य से योग सभी चीज का इलाज नहीं है, इसकी भी कुछ सीमाएं होती हैं। दरअसल योग से जुड़े ऐसे कई सवाल हैं, जो आजकल कार्डियोलॉजिस्ट से बड़े स्तर पर पूछे जा रहे हैं।
अगर आप दिल के मरीज हैं और योग करते हैं, तो आपको इन सवालों के जवाब जानना बहुत जरूरी है।
# मैं हार्ट डिजीज से पीड़ित हूं। मुझे कौन-से योगासन नहीं करने चाहिए?
आपको ऐसे किसी भी योगासन से बचना चाहिए, जिससे आपके दिल पर ज्यादा दबाव पड़ता है।
चक्रासन
इस पोजीशन में आपको पीछे की तरफ झुकना होता है और इसमें बहुत अधिक ताकत और उचित सांस की जरूरत होती है। इससे आपके दिल पर दबाव बनता है ताकि वो रक्त को तेजी से पंप कर सके। यही कारण है आपको इस आसन से बचना चाहिए।
हलासन
इस आसन को करते समय आपको अपनी पीठ के बल लेटना पड़ता है, पैर उठाने होते हैं और सिर को पीछे रखना पड़ता है। इस पोजीशन में आपके दिल को दबाव के साथ शरीर के निचले हिस्से में रक्त को प्रसारित करने की आवश्यकता होती है।
कर्नापीड़ासन
यह पोजीशन भी हलासन की तरह ही है लेकिन इसमें ज्यादा एफर्ट की जरूरत होती है। इसमें आपको अपने पैरों को कान के बगल में घुटनों के साथ जमीन के करीब ले जाना होता है। इस आसन से भी दिल पर दबाव बनता है।
सर्वांगासन
आपको इस आसन को करने से बचना चाहिए। इसमें आपको कंधों के बल खड़ा होना पड़ता है। जिससे शरीर के ऊपरी हिस्से पर दबाव बनता है। दिल को ब्लड सर्कुलेशन के लिए गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ काम करना पड़ता है।
शीर्षासन
इसमें भी आपको उल्टा होना पड़ता है। आपका सिर नीचे होता है और आपके शरीर का वजन भुजाओं पर होता है। इसलिए शरीर के निचले हिस्से में रक्त पंप करने के लिए दिल पर अधिक दबाव बनता है।
विपरीत करनी
इस मुद्रा में आपको पीठ के बल लेटकर पैर उठाने होते हैं और हाथों के समर्थन के साथ हिप्स उठाने पड़ते हैं। इस मुद्रा से भी शरीर के निचले हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन के लिए दिल पर अधिक दबाव पड़ता है।
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ताड़ासन
पैरों को एक साथ मिलाकर खड़े हो जाएं। अब पंजों पर जोर देते हुए धीरे-धीरे ऊपर उठें एवं दोनों हाथों को मिलाकर ऊपर की ओर तान दें। इस अवस्था में पूरे शरीर का भार पैरों के पंजों पर होगा और पूरे शरीर को सीधा ऊपर की ओर तानेंगे। इसे करते समय पेट को अन्दर की ओर खींचना चाहिए तथा सीना बाहर की ओर तना हुआ रहना चाहिए। कमर-गर्दन बिल्कुल सीधी रखें। इस आसन का अभ्यास कम से कम 5 बार अवश्य करें।
स्वस्तिकासन
दरी या कंबल बिछाकर बैठ जाएं। इसके बाद दाएं पैर को घुटनों से मोड़कर सामान्य स्थिति में बाएं पैर के घुटने के बीच दबाकर रखें और बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाएं पैर की पिण्डली पर रखें। फिर दोनों हाथ को दोनों घुटनों पर रखकर ज्ञान मुद्रा बनाएं। ज्ञान मुद्रा के लिए तीन अंगुलियों को खोलकर तथा अंगूठे व कनिष्का को मिलाकर रखें। अब अपनी दृष्टि को नाक के अगले भाग पर स्थिर कर मन को एकाग्र करें। अब 10 मिनट तक इस अवस्था में बैठें। इस योग से एकाग्रता बढती है साथ ही हृदय का तनाव कम होता है।
सर्वांगासन
इस आसन में पहले पीठ के बल सीधा लेट जाएं फिर दोनों पैरों को मिलाएं, हाथों की हथेलियों को दोनों ओर जमीन से सटाकर रखें। अब सांस अन्दर भरते हुए आवश्यकतानुसार हाथों की सहायता से पैरों को धीरे-धीरे 30 डिग्री, फिर 60 डिग्री और अन्त में 90 डिग्री तक उठाएं। इससे आपकी पाचन शक्ति ठीक रहती है और रक्त का शुद्धिकरण होता है।
शीर्षासन
दोनों घुटने जमीन पर टिकाते हुए फिर हाथों की कोहनियां जमीन पर टिकाएं। फिर हाथों की अंगुलियों को आपस में मिलाकर ग्रिप बनाएं, तब सिर को ग्रिप बनी हथेलियों को भूमि पर टिका दें। इससे सिर को सहारा मिलेगा। फिर घुटने को जमीन से ऊपर उठाकर पैरों को लंबा कर दें। फिर धीरे-धीरे पंजे टिकायें और दोनों पैरों को पंजों के बल चलते हुए शरीर के करीब अर्थात सिर के नजदीक ले आते हैं और फिर पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए उन्हें धीरे से ऊपर उठाते हुए सीधा कर देते हैं तथा पूर्ण रूप से सिर के बल शरीर को टिका लेते हैं। इससे ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है साथ ही हृदय गति सामान्य रहती है।
% प्राणायाम करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
-अगर आप किसी पुराने रोग से पीड़ित हैं, तो प्राणायाम करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
-इसे करते समय हमेशा नाक से सांस लें।
-प्राणायाम करते समय कोई तनाव नहीं होना चाहिए। फेफड़े नाजुक अंग होते हैं इसलिए ध्यान रहे कि जबरदस्ती सांस ना लें।
-सांस लेते समय आवाज ना करें। लयबद्ध और स्थिर रखें।
-भोजन के तुरंत बाद प्राणायाम का अभ्यास नहीं किया जाना चाहिए। भोजन के बाद कम से कम तीन घंटे के बाद आप प्राणायाम कर सकते हैं। उदहारण के लिए अगर आप शाम को प्राणायाम करते हैं, तो लंच में कुछ हेल्दी और लाइट चीज ही खाएं ताकि वो शाम तक आसानी से पच सके।
-शुरुआती लोगों को सांस नहीं लेनी चाहिए। प्राणायाम की बुनियादी बातों को समझने के बाद ही और किसी विशेषज्ञ शिक्षक के मार्गदर्शन में सांस लेना सीखें।
-अगर आप थके हुए हैं, तो आपको प्राणायाम से बचना चाहिए। प्राणायाम करने से पहले 10-15 मिनट के लिए आराम करें।
-अगर आप योगासन और प्राणायम करते हैं, तो आपको पहले योगासन करना चाहिए। आसन करने के बाद शवासन में आराम करें और फिर प्राणायाम करें।
-फेफड़ों के परेशानी होने पर प्राणायाम ना करें। हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज और हर्निया से पीड़ित लोगों के लिए कपालभाटी और भस्त्रिका प्राणायाम बेहतर है।
-लो ब्लड प्रेशर वाले लोगों के लिए शितकारी प्राणायाम बेहतर है। सर्दियों में इस प्राणायाम का अभ्यास न करें।
-हाई ब्लड प्रेशर और हर्निया से पीड़ित लोगों को अग्निसार प्राणायाम करने से बचना चाहिए। इसके अलावा पेट के सर्जरी के बाद भी इसे ना करें।
तो दोस्तो आज जाना कि कैसे हम ( Apni Heart problem ko Control or rok sakte hai ) ओर अपनी लाइफ को खुश रख सकते है दोस्तो आप इन सब advices को आपनी लाइफ मैं जरूर Try करे और ऐसे ही ओर अछे articles के लिए जुड़े रहे ( https://normaladvices.blogspot.com ) से।
Nice Pathri Ka ilaj
जवाब देंहटाएंHeart problem is a growing disease these days. Herbal supplement is proven to be effective and beneficial. It is being used since ancient times.
जवाब देंहटाएंTake care of your heart with the use of natural heart disease treatment. It provides long term relief.
जवाब देंहटाएंheart problems ko itni gehrayi me samjhane ke lie mai apka abhaar vyakt karta hun.
जवाब देंहटाएंBest Heart Specialist In Delhi/NCR