eyes drop,Eyes care in hindi


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दोस्ती आज बात करे गए eyes ( अपनी आंखें) के बारे मैं जिस से हैम ये खुबसूरत दुनिया को देखते है। जैसे कि हमारी बॉडी मैं समय के साथ कुछ बीमारिया य प्रॉब्लम आ जाती है वासे ही हमारी आंखें बी के बार प्रोब्लम से जूझना पड़ता है । इस article मैं जाने गए कि कैसे काम कर करती है आंखें ओर को से eye drop सही है आपकी आँखों के लिए ओर बी बहोत तो चलो दोस्तो जानते है ।

Kuch points mai aap ko ye article batuga jis se ye article aap ko ache se smaj aa jay ga

1, जानिये कैसे काम करती हैं आपकी आंखें

2, इन 5 कारणों से आंखों में हो जाती है कलर ब्‍लाइंडनेस की समस्‍या, ऐसे करें उपचार

3,आंखों के बारे में 31 रोचक तथ्य ।

4, उतारना है आंखों का चश्मा, तो नियमित करें ये 3 एक्सरसाइज

5, रोजाना 10 मिनट करें ये काम, आंखों की बढ़ेगी नेचुरल रोशनी

6, काली या भूरी? जानें, आंखों का कौन का रंग है स्वस्थ शरीर का संकेत

7, डाइट में शामिल करें ये 3 चीजें, जड़ से खत्म होगा मोतियाबिंद

8, अचानक आंखों के सामने अंधेरा होना, इन 5 गंभीर बीमारियों के हैं संकेत

9, आँखों की देखभाल के तरीके

10, साल में 1 बार करें ये छोटा सा काम, आंखें कभी नहीं होंगी कमजोर

11, आई ड्रॉप्स इस्तेमाल करते समय क्या करें, क्या न करें

12, सीसीएस आई ड्रॉप (Ccs Eye Drop)

13, मोक्सफ़ोर्ड आई ड्रॉप (Moxiford Eye Drop)

14, ओलोप्लस आई ड्रॉप (Oloplus Eye Drop)

15, नेफ़ैकूल आई ड्रॉप (Nefacool Eye Drop)

16, पिरिमन आई ड्रॉप (Pyrimon Eye Drop)

17, आंखों की सभी परेशानियों को दूर करे यह हर्बल आई ड्रॉप

18, कंजंक्टिवाइटिस में आई ड्रॉप का ज्यादा इस्तेमाल हो सकता है नुकसानदेह

19, Top 10 eye care hospitals in India






जानिये कैसे काम करती हैं आपकी आंखें



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मानव आंख

कुदरत की अनमोल देन हैं आंखें। आंखें वह सुंदर चमत्‍कार हैं जिससे आप अपने आस-पास मौजूद खूबसूरत नजारों से रूबरू होते हैं। लेकिन मानव आंख एक जटिल संरचना है। यह ऐसा अंग है जो मनुष्य को सूक्ष्मतम निरीक्षण की भी सुविधा देता है। अगर आप आंख के कार्यों के बारे में सोच रहे हैं कि यह चमत्‍कार कैसे होता है? इस बारे में जानने के लिए यहां दी जानकारी आपके लिए मददगार हो सकती है।

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आईबॉल

मनाव आईबॉल पानी, जैली और प्रोटीन से बनी है। यह विस्तृत 3 डी छवियों का निर्माण करने में सक्षम होती है। आंखों की पलको के साथ आईबॉल खुद पर ध्‍यान केंद्रित कर सकती हैं, यह दृष्टि को छोटे कण से दूर पर्वत की चोटी तक बदल सकती हैं। आईबॉल यानी पुतली इन भागों से मिलकर बनती है

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श्वेतपटल

श्वेतपटल को अक्‍सर आंखों के सफेद हिस्‍से के रूप में जाना जाता है, यह कठिन सफेद टिश्‍यु आईबॉल का प्रमुख हिस्‍सा है। यह वह मांसपेशियां है जो श्वेतपटल से जुड़ी होती है और आंखों को मूवमेंट देती है।

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कॉर्निया या नेत्रपटल Cornea

आंख का पारदर्शी कवर जो प्रकाश लेता है उसे कॉर्निया कहते हैं। कॉर्निया कुछ ऐसे ही है, जैसे आप खिड़की से झांककर किसी चीज को देख रहे हों।

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आइरिस

आइरिस आंख का वह ‍हिस्‍सा है जिसमें रंग होता है। आईरिस कॉर्निया के नीचे होता है और आईबॉल में प्रवेश प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करने का काम करता है।

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पुपिल

आईरिस के केंद्र के अंदर रखा गोल और काले होल, पुपिल के रूप में जाना जाता है। लाइट पुपिल के माध्‍यम से आईबॉल में प्रवेश कर नजर को बढ़ाती है। इस मांसपेशियों के कारण, यह आसानी से अपने आकार को बदल सकती है।

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लेंस

कॉर्निया की तरह, लेंस भी आंख के अंदर एक पारदर्शी ऊतक है। यह पुपिल के पीछे स्थित होता है और इसका कार्य प्रकाश की मदद कर आईबॉल के पीछे ध्‍यान केंद्रित करना होता है।

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विट्रिअस जैल

आईबॉल के अंदर भरा जेली पदार्थ जो इसके आकार को बनाए रखने में मदद करता है, विट्रिअस जैल के रूप में जाना जाता है।

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रेटिना

रेटिना एक ऊतक है जो आईबॉल के पीछे की दीवार पर स्थित होता है। यह सहज कोशिकाओं का बना होता है और रॉड्स और कोन्‍स के रूप में जाना जाता है। रॉड्स काले, सफेद रंग और ग्रे के विभिन्‍न रंगो के को देखने के लिए जिम्‍मेदार होता है। और कोन्‍स विभिन्न रंगों के बीच अंतर करने में और विषयों का ठीक विवरण देखने में मदद करता है।

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ऑप्टिक नर्वस

ऑप्टिक नर्वस में एक लाख से अधिक नर्वस फाइबर होते हैं जो रॉड्स और कोन्‍स से संकेत लेकर उसे मस्तिष्‍क भेज देते हैं जहां वह छवियों से मिलकर एक फिल्म में परिवर्तित हो जाते हैं जिसे मोटे तौर पर मानव दृष्टि के रूप में जाना जाता है।

इन 5 कारणों से आंखों में हो जाती है कलर ब्‍लाइंडनेस की समस्‍या, ऐसे करें उपचार




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क्‍या है वर्णांधता

जब आंखें रंगों को आसानी से नहीं पहचान पाती हैं तब आखों की यह समस्‍या होती है। आंखें हमारे शरीर की सबसे जटिल ज्ञानेन्द्री है और जिन ऑक्यूलर कोशिकाओं द्वारा हम रंगों को पहचानते हैं उन्हें कोन्स कहा जाता है। प्रत्‍येक कोन से लगभग 100 रंगों को देखा जा सकता है। सामान्‍यतया लोगों में तीन तरह की कोन होती हैं जिन्हें ट्राइक्रोमैटिक कहते हैं। इसके विपरीत वर्णान्ध लोगों में दो ही तरह की कोन होती हैं जो उन्हें डाइक्रोमैटिक बनाती है। इनमें जब दिक्‍कत होती है तब रंगों को पहचानना मुश्किल हो जाता है।

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इस पर हुए शोध

हालांकि पुरुषों और महिलाओं दोनों की आखों बनावट एक जैसी होती है, लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलायें वर्णांधता की शिकार कम होती हैं। डेली मेल में छपे एक शोध के अनुसार एक पुरुष की तुलना में 255 में से सिर्फ एक महिला में वर्णान्धता की समस्या पायी गयी।

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क्‍या यह आंखों को नुकसान पहुंचाता है

अगर किसी को रंगों को पहचानने में समस्‍या हो रही है यानी वह वर्णान्‍धता से ग्रस्‍त है तो यह आंखों से संबंधित किसी अन्‍य बीमारी का कारण नहीं बनता है। क्‍योंकि देखने में कोन के साथ-साथ रेटीना भी जुड़ी होती है इसलिए आंखों की रोशनी कम नहीं होती है।

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वर्णान्‍धता के कारण

ज्‍यादातर मामलों इस समस्‍या के लिए आनुवांशिक कारण ही जिम्‍मेदार होते हैं, जो कि जन्‍म के साथ ही दिखने लगते हैं। रंगों को पहचानने के लिए तीन कोन के प्रकार होते हैं - लाल, हरा और नीला। अगर जन्‍म के समय इन तीनों में किसी एक प्रकार के कोन की कमी हो गई तो रंगों को पहचानने में दिक्‍कत होती है।

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वर्णान्‍धता के अन्‍य कारण

आनुवांशिक कारणों के अलावा भी कई अन्‍य कारणों से आंखों में रंगों को पहचानने की समस्‍या होती है। बढ़ती उम्र के कारण भी यह समस्‍या हो सकती है। आंखों की अन्‍य समस्‍या जैसे - ग्‍लूकोमा, डायबिटिक रेटीनोपैथी, जैसी बीमारियों के कारण भी वर्णान्‍धता की समस्‍या हो सकती है। आंखों में चोट और दवाओं के साइड इफेक्‍ट के कारण भी यह समस्‍या हो सकती है।

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वर्णान्‍धता के लक्षण

आंखों की यह समस्‍या होने के कारण आप कुछ रंगों को पहचान सकते हैं, लेकिन ज्‍यादातर रंगों को पहचानने में समस्‍या होती है। इस समस्‍या से ग्रस्‍त लोग नीला और पीला रंग आसानी से देख पाते हैं लेकिन लाल और हरे रंग में अंतर करने में दिक्‍कत होती है।

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रंगों की परछाई दिखती है

कई रंगों को आप आसानी से देख नहीं पाते हैं, इसलिए आप रंगों की परछाई देखते हैं। सामान्‍यतया लोग हजारों रंगों में आसानी से अंतर कर पाते हैं, लेकिन वर्णांधता से ग्रस्‍त लोग रंगों की परछाई देखते हैं।

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निदान और उपचार

अगर आपको रंगों को पहचानने में दिक्‍कत हो रही है तो चिकित्‍सक से संपर्क कीजिए। वह कुछ टेस्‍ट करके इसका निदान कर सकता है। इसके निदान के बाद चिकित्‍सक आपको रंगों को आसानी से पहचानने के लिए कांटैक्‍ट लेंस लगाने की सलाह दे सकता है। नियमित रूप से चिकित्‍सक के संपर्क में भी रहें।

आंखों के बारे में 31 रोचक तथ्य ।




आज हम आपको आंखों (eyes) के बारे में ऐसी ज़ानकारी देगे जो आज से पहले ना तो आपने पढ़ी होगी ना सुनी होगी. मुझे खुद रोचक तथ्य पढ़कर जो सूकून मिलता है ना वो दुनिया में कही नही है. आप भी इस सूकून के हिस्सेदार बनिए.

1. हम असल में केवल 3 ही रंग देख पाते है: नीला, लाल और हरा. बाकी सारे रंग इन्हीं तीनों को मिलाकर बनते है. इन तीनों की मदद से हम 1 करोड़ रंग पहचान लेते है.

2. हमारा आधे से ज्यादा दिमाग आंखो को ही संभालने में लगा रहता है. (approx. 65%)

3. आंखो को कंट्रोल करने वाली मसल्स शरीर में सबसे ज्यादा एक्टिव रहती है. फोकस करने वाली मसल्स दिन में 10 लाख बार हिलती है. आपकी टांगो की मसल्स को इतना ही काम करने के लिए एक दिन में करीब 80km पैदल चलना पड़ेगा.

4. हमारी आंखो में जबरदस्त मेडिकल पाॅवर होती है. इनमें धूल, मिट्टी को छानने की क्षमता होती है. और By chance, आँख के शीशे पर थोड़ी बहुत स्क्रेच लग भी जाती है तो आंख उसे 48 घंटे के अंदर ठीक कर लेती है.

5. हमारी आंखे केवल दो कोशिकाओं (cells) की वजह से देख पाती है. Rod cells और Cone cells. हमारी आंखो में 13 करोड़ rod और 70 लाख cone cells होती है. Rod cells की मदद से ही आप अंधेरे में देख पाते है.

6. आदमी की आंख 576 मेगापिक्सल की है. इसे एक जगह फोकस करने में केवल 2 मिलीसेकंड का समय लगता है. इस जितना तेज और साफ कैमरा बनाना वैज्ञानिकों की समझ से परे है.

7. हमारी आंखो का कलर ‘melalin’ पर निर्भर करता है. नीली आंखो वाले लोगो में ज्यादा मेलालिन पाया जाता है.

8. कुछ लोगो की दोनो आँखो का रंग अलग-अलग होता है. इसे Hererochromia कहा जाता है.

9. यदि आपको नजदीक का दिखाई नही देता तो आपकी आँखो के गोले (eyeball) बड़े होते है और यदि आपको दूर का नही दिखाई देता तो ये गोले छोटे होते है.

10. नीली आँखो वाले लोग सूर्य की चमक दूसरों के मुकाबलें कम सह पाते है. और आज से 10,000 साल पहले धरती पर एक भी नीली आंखो वाला इंसान नही था. मतलब, आज धरतीपर मौजूद सभी नीली आंखो वाले लोगो का पूर्वज एक ही था जो 10 हजार साल पहले पैदा हुआ था.

11. नवजात बच्चा 15 इंच की दूरी तक ही ठीक से देख पाता है. और जन्म से लेकर मौत तक आपकी आँखो का एक ही साइज रहता है. ये घटती बढ़ती नही.

12. आंखे, शरीर का दूसरा सबसे जटील (पेचीदा, complex) अंग है. (दिमाग के बाद). जिसमें 20 लाख पार्टस होते है और यह हर घंटे 4.5kb (0.034 MB) जानकारी का आदान-प्रदान करती रहती है.

13. रोने पर आपकी नाक इसलिए बहती है क्योंकि आंसू नाक के रास्ते रिसने लगते है.

14. पूरी आंख में केवल cornea (काॅर्निया) ही ऐसा टिशू है जिसमें खून नही होता. इस कारण से कार्निया को ऑक्सीज़न की जरूरत भी नही पड़ती. आंखो की कई सर्जरी में शार्क मछलीकी आंख का cornea यूज़ किया जाता है क्योंकि यह इंसान की cornea के बिल्कुल समान होता है.

15. जब आप किसी से बात करते है तो पलकें ज्यादा झपकती है पर जब आप कंप्यूटर स्क्रीन या कागज पर कुछ पढ़ रहे होते है तो कम झपकतीं है – इसलिए आपकी आंखे ज्यादा थकती है.

16. आंखे लगभग एक मिनट में 17 बार, एक दिन में 14,280 बार और एक साल में 52 लाख बार झपकती है. एक बार आंख झपकाने में 100 से 150 milliseconds लगते है लेकिन एक सेकंड में 5 से ज्यादा बार आँख झपकाना असंभव है. अगर पूरी जिंदगी का आंख झपकाने का समय जोड़ा जाए तो यह 1 साल से ज्यादा होगा. आँख झपकाने के दो कारण है: आँखो में नमी बनाए रखना और बाहरी कणों से आंखो को बचाना.

17. अंधेरे और रोशनी के हिसाब से हमारी आंखे खुद को एडजस्ट कर लेती है. इसे देखने के लिए एक प्रयोग करे: बल्ब बंद करके अपनी बाथरूम में जाएं, और थोड़ी देर बाद शीशे के सामने खड़े होकर बल्ब जला दे. आप शीशे में देखोगे की कैसे हमारी आंखो की पुतलियाँ सिकुड़ती है.

18. बच्चा जब तक 4 से 13 हफ्तों के नही हो जाता, तब तक वो केवल रोने की आवाज़ करता है लेकिन उनकी आँखो से आँसू नही निकलते.

19. हर 5 महीने बाद हमारी पलकें नई आती रहती है जबकि सिर के बाल 2 से 4 वर्ष बाद बदलते है.

20. करेलिया (गिरगिट) 2 अलग-अलग दिशाओं में देख सकता है, एक ही समय पर.

21. कुत्तों को हरे और लाल रंग में अंतर नही पता लगता.

22. जब हम किसी हैरान करने वाली चीज को देखते है तो हमारी आंखो की पुतलियों का साइज 45% तक बड़ा हो जाता है.

23. कई बार फोटो में हमारी आँखे लाल आ जाती है. क्योंकि फ्लैश को रेटिना की रक्त वाहिनाएँ रिफ्लेक्ट कर देती है. वही कुत्तों व अन्य जानवरों की आंखे हरी आती है. क्योंकि उनकी रेटिना के पीछे कोशिकाओं की एक्सट्रा परत्त होती है. फुटेज में आपकी आंखे लाल ना आए इससे बचने के लिए फोटो को ऐसे एंगल से शूट करवाएँ कि light का सोर्स कैमरे के बिल्कुल ऊपर ना हो.

24. सिक्योरिटी लाॅक के लिए eyes scan इसलिए ज्यादा यूज किया जाता है क्योंकि fingerprints में 40 unique character होते है जबकि iris (जो आंखो की पुतलियों के साइज और लाईट को कंट्रोल करता है) में 256.

25. बाज़ की नज़र हमसे 4 से 5 गुना तेज़ होती है. इंसान की आंखो के लिए दृष्टि की शुद्धता 20/20 तय की गई है बल्कि बाज़ के लिए यही 20/4 तय की गई है. मतलब, जिस चीज़ को इंसान की आंखे 20 फीट की दूरी से देख पाती है उसी चीज को बाज 100 फीट की दूरी से देख लेता है.

26. आपको पढ़कर शोक लगेगा, कि गाजर आपकी आंखो की रोशनी नही बढ़ाती. यह एक अफवाह है, जो अंग्रेजो द्वारा अपनी एक चीज छुपाने के लिए WWII (द्वितीय विश्व युद्ध) के दौरान फैलाई गई थी. युद्ध के दौरान अंग्रेज पायलट बहुत दूर से दुश्मन को ढूंढ लेते थे क्योंकि उनको रडार का लाभ मिल रहा था. इस रडार को अपने दुश्मनों से छिपाने के लिए उन्होनें अफवाह उड़ाई की हमारे पायलट भोजन में गाजर खाते है इसलिए इनकी आंखो की रोशनी तेज है. 

27. आइब्रो (सेली, भौंहें) का क्या काम होता है ?

दरअसल, इनका काम होता है पसीनें आदि को आंखो में गिरने से बचाने के लिए, वहां की परिस्थितियों की जानकारी रोम छिद्रों के माध्यम से नर्वस सिस्टम को देने के लिए, हमारी भावनाओं (emotions) को दिखाने के लिए और चेहरों की पहचान करने के लिए एक चिन्ह का काम करना.

28. क्या प्रार्थना के समय आंखें बंद करना ज़रूरी है ?

नही, यह सभी के लिए जरूरी नही है. आंखे बंद करने से तो केवल हमे भगवान पर ध्यान लगाने में (फोकस करने मे) मदद मिलती है. (personal answer).

29. इंसान की आंखे कितनी दूर तक देख सकती है ?

यदि सपाट धरती पर पूरा अंधेरा हो तो 48km दूर से भी मोमबती की लौ देखी जा सकती है. आंखो का देखना दूरी पर निर्भर नही करता बल्कि इस बात पर निर्भर करता है कि light और photon के कितने कण उस वस्तु से निकल रहे है. photon के 5 से 14 कण और आंखो की 5 से 14 rod cells की activation (सक्रियता) ही काफी है दिमाग को ये बताने के लिए कि हम कुछ देख रहे है.


30. नंगी आंखो से देखी जाने वाली सबसे दूर की वस्तु क्या है 

नंगी आंखो से देखी जाने वाली सबसे दूर की वस्तु ‘Andromeda galaxy’ है. यह 10 खरब तारों को इकट्ठा करके इतनी light पैदा कर लेती है कि कुछ हजार photon धरती के हर वर्ग सेंटीमीटर पर हमेशा टकराते रहते है. ये galaxy धरती से 25 लाख light years (प्रकाश वर्ष) दूर है. ज्ञात रखें, 1 light years = 94 खरब 60 अरब किलोमीटर. 


31, आंखे बंद करके किसी भी एक चीज पर फोकस करना आसान हो जाता है.

उतारना है आंखों का चश्मा, तो नियमित करें ये 3 एक्सरसाइज




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आंखों की देखभाल

किसी ने सही ही कहा है कि सुदरता देखने वाले की नजर में होती है। नजर यानी हम हमारी आंखों की बात कर रहे हैं। जो हमें इस रंग भरी दुनिया से परिचय कराती हैं। अगर यही न होती तो जिंदगी में कितना अंधेरा सा होता है। इसलिए हमें अपनी आंखों का भी उतना ख्याल रखना चाहिए, जितना कि हम अपने बाकी अंगों का रखते हैं। तो आइए हम आपको आंखों के लिए ऐसे 5 योग के बारे में बता रहें जिन्हें करने से आपकी आंखें स्वस्थ्य रहेंगी। आंखो की थकान और डार्क सर्कल जैसी समस्या नही होगी।

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आंखों को रगड़ें

सबसे पहले अपने दोनों हथेली से आंखों को ऊपर से तब तक रगड़ें जब तक आंखें गर्म न हो जाएं। गरम होने के बाद इस प्रक्रिया को रोकते हुए हथेलियों से आंखों को थोड़ी देर तक ढ़के रखें। इस पूरी प्रक्रिया को थोड़ी-थोड़ी देर में कम से कम 3 से 4 बार दोहराएं। ऐसा कुछ ही दिनों तक करने से आंखें स्वस्थ होती हैं। ऐसा भी हो सकता है कि इसे कुछ दिनों तक करने से आपकी आंखों से चश्मा हट जाए।

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क्षैतिज में देखें

हाथों अपनी आंखो के सामने फैलाते हुए अंगूठे को खड़ा करें। अपने सिर को स्थिर रखें और सीधा देखें। अब पुतलियों को दाहिने अंगूठें की ओर ले जाएं और फिर धीरे से बायें अंगूठे की ओर ले जाएं। ये प्रक्रिया 5 बार दोहराएं और फिर आंखों को थोड़ी देर के लिए बंद कर लें। पुनः से इसे दोहराएं।

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तिरछा देखें

सबसे पहले अंगूठे को खड़ा करते हुए हाथों को सामने लाएं। दांए हाथ को दांयी ओर नीचे की तरफ ले जाएं और बाएं हाथ को सिर की तरफ उपर की ओर ले जाएं। अब अपनी पुतलियों से एक बारदांयें अंगूठे को देंखे और फिर बाएं अंगूठे की ओर नजर ले जाएं। इसे पांच बार करना है। फिर यही प्रक्रिया विपरीत दशा में करनी होगी।

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सीध में देखें

सबसे पहले अपने एक हाथ के अंगूठे को नाक की सीध में आंखों के नजदीक रखें। अब अंगूठे को आगे की ओर बढ़ाएं। फिर वापस उसी स्थिति में आ जाएं। इस प्रक्रिया को 5 बार दोहराएं। अब आंखों को आराम देने के लिए 30 सेकेंड के लिए उन्हें बंद कर लें। ऐसा करने से आपको भी बहुत आराम मिलेगा।

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पुतलियों को घुमाएं

सिर को स्थिर रखें और सामने देखें। इसके बाद पुतलियों को घड़ी की दिशा में चारो ओर घुमाएं। इस प्रक्रिया एक समय में कम से कम 5 बार दोहराएं और फिर आंखों को 30 सेकेंड के लिए बंद करके आराम दें। आपको ये एक्सरसाइज नियमित करनी है। यकीन मानिए अगर आप इस एक्सरसाइज के बारे में डॉक्टर से भी बात करेंगे तो वो भी आपको इसे करने के लिए मना नहीं करेंगे। आंखों के लिए ये एक्सरसाइज वाकई बहुत फायदेमंद है।

रोजाना 10 मिनट करें ये काम, आंखों की बढ़ेगी नेचुरल रोशनी

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आंखों की रोशनी

बढ़ते फोन, टैबलेट, टीवी और कम्प्यूटर के इस्तेमाल के चलते आजकल लोगों की आंखों का कमजोर होना कोई हैरानी की बात नहीं है। डॉक्टर्स और एक्सरपर्ट्स कई बार इलेक्ट्रॉनिक्स चीजों के सीमित उपयोग पर जोर दे चुके हैं। लेकिन हर कोई इन गाइडलाइंस को नजरअंदाज करता हुआ दिखता है। जिसके चलते आंखें कमजोर होती हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे काम बता रहे हैं जिन्हें आप रोजाना सिर्फ 10 मिनट भी करेंगे तो आपकी आंखों की रोशनी को बढ़ने और उसे बरकरार रखने में मदद मिलेगी।

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खानपान होना चाहिए अच्छा

भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी के चलते आजकल लोगों का खानपान सिर्फ जिंदा रखने का साधन मात्र हो गया है। खाने से सभी तरह के पोषक तत्व और प्रोटीन मानों कहीं गायब हो गए हैं। जिसका सीधा असर स्वास्थ्य पर पड़ने के साथ ही हमारी आंखों पर भी पड़ता है। इसलिए अपने खाने में मछली, पालक, फल और हरी सब्जियों को शामिल करें इसके सेवन से आंखों में ड्राई-आई सिंड्रोम की समस्‍या दूर होती है।

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करवाते रहें जांच

जिन लोगों की आंखे कमजोर होती हैं उन्हें बीच बीच में अपनी आंखों की जांच करवाती रहनी चाहिए। अगर आपकी आंखों की रोशनी बिल्‍कुल ठीक है और आपको पढ़ने में भी किसी प्रकार की कोई समस्‍या नहीं होती है फिर भी साल में कम से कम एक बार आंखों की जांच अवश्‍य करवाएं।

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झपकाते रहें पलके

आंखों को स्वस्थ रखने के लिए आंखों को झपकाना भी फायदेमंद होता है। आंखें झपकाने से आंखें तरोताजा और तनाव मुक्त रहती हैं। कम्‍प्‍यूटर का इस्‍तेमाल करने वाले लोग अपनी आंखों की पलकों को कम झपकाते हैं, ऐसे लोगों को हर सेकेंड कम से कम तीन से चार बार अपनी आंखों को झपकाना चाहिए।

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आंखों का व्‍यायाम

आंखों के कुछ व्यायाम कर भी आंखों की रोशनी को वापस पाया जा सकता है। इसके लिए आप अपनी दोनों हथेलियों को आपस में रगड़ें और जब हथेलियां गर्म हो जाएं तो उन्‍हे हल्‍के से आंखों पर रख लें। ऐसा करने से आंखों का तनाव काफी हद तक दूर हो जाता है।

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पानी के छींटे मारे

पानी आपकी सभी समस्‍याओं का निदान करता है। समय-समय पर अपनी आंखों को धोते रहें। इससे आंखों में डिहाईड्रेशन नहीं होगा और वह स्‍वस्‍थ रहेगी। बाहार से आने के बाद आंखों पर पानी की छींटे जरूर मारे।



काली या भूरी? जानें, आंखों का कौन का रंग है स्वस्थ शरीर का संकेत




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आखों से सेहत का राज

सुबह उठकर आप फ्रेश फील नहीं करते, यही नहीं, आपको छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आ जाता है, तो यह लक्षण स्लीप सिंड्रोम के हैं। कई लोगों को नींद न आने से ऐसी दिक्कतें आने लगती हैं। रुटीन सही न रहना, चाय व कॉफी अधिक पीना, ज्यादा ऐल्कॉहॉल लेना, इंटरनेट, लेट नाइट पार्टी, सोने का समय फिक्स न रखना वगैरह से भी स्लीप डिसऑर्डर होता है। इन सबका पता आपकी आंखों से चल जाता है कि आप बीमार है या नहीं।

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रैपिड आई मूवमेंट

रैपिड आई मूवमेंट ज्यादातर उन लोगों का होता है जिनमें धैर्य नहीं होता है। वे बहुत जल्दी निर्णय लेने मे भरोसा रखते है। शोध बताती है कि रैपिड आई मूवमेंट और नर्वस सिस्टम के बीच एक पारस्परिक संबंध होता है। ये फैसला करते समय आखों के घूमाव-फिराव मे स्थिरता लाते है। 

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प्लाडिंग आई

प्लाडिंग आई मूवमेंट में आखों का संबंध दिमाग से कम होता है। अक्सर हम किताब पढ़ते समय उसे एक सिरे से दूसरे सिरे तक पढ़ते जाते है पर हमारा दिमाग उसको स्टोर नहीं करता है। ना हीं दिमाग उसका आकलन करने की कोशिश करता है। इसे प्लाडिंग आई मूवमेंट कहा जाता है। सामान्यत हम जब कुछ पढ़ते है तो दिमाग उसका आकलन कर उसे समझने मे आसान बनाता है। 

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स्लो आई मूवमेंट

स्लो आई मूवमेंट थकान का संकेत होता है। जो लोग रांउड द क्लॉक काम करते है अक्सर उनकी आखों का मूवमेंट धीरे होता है। दरअसल ये थकान का असर होता है। शरीर को ठीक से आराम ना मिल पाने के कारण उसका कार्य प्रभावित होने लगता है।   

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नॉन-पिड आई मूवमेंट

गहरी नींद यानी नॉन-पिड आई मूवमेंट स्लीप और कच्ची नींद, जिसे सपनों वाली नींद भी कहते हैं। अगर नॉन-पिड आई मूवमेंट स्लीप 6 घंटे की भी आ जाए, तो बॉडी रिलैक्स हो जाती है, लेकिन 9-10 घंटे की कच्ची नींद के बावजूद बॉडी थकी ही रहती है। 

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क्या है स्लीप डिस्ऑर्डर

नींद ना आने की कई वजहें हैं। रुटीन सही न रहना, चाय व कॉफी अधिक पीना, ज्यादा ऐल्कॉहॉल लेना, इंटरनेट, लेट नाइट पार्टी, सोने का समय फिक्स न रखना वगैरह से भी स्लीप डिस्ऑर्डर होता है। हालांकि खासतौर पर लोगों में चार तरह के स्लीप डिस्ऑर्डर देखने में आते हैं।

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क्यों होता है यह

स्लीप डिस्ऑर्डर बेसिकली तनाव, चिंता और डिप्रेशन की वजह से होता है। इसके अलावा, शरीर में होने वाला दर्द भी नींद न आने की वजह होता है।  दरअसल, अवेयरनेस ना होने की वजह से लोग खर्राटे लेना और अच्छी नींद ना आना जैसी प्रॉब्लम्स को मामूली चीज समझ लेते हैं और डॉक्टर को नहीं दिखाते।

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रुटीन करें फिक्स

सोने का समय फिक्स रखें। सही टाइमिंग्स ना होने की वजह से भी अच्छी नींद नहीं आती। कभी-कभी टाइमिंग्स का बिगड़ना तो चल जाता है, लेकिन ऐसी हैबिट होने पर नुकसान ही पहुंचता है। इसके अलावा, दिन में बहुत घंटे सोना भी रात को अच्छी नींद ना आने की एक वजह है।

डाइट में शामिल करें ये 3 चीजें, जड़ से खत्म होगा मोतियाबिंद

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अच्छा स्त्रोत है विटामिन ए

विटामिन ए ग्लूकोमा के रिस्क को कम करने में सहायक है। अतः ऐसे आहार लें जो विटामिन ए के अच्छे स्रोत होते हैं। रेटिनल रिच फूड मीठे आलू, गाजर, दूध, चीज़, बटर आदि के सेवन से ग्लूकोमा के रिस्क को कम किया जा सकता है। आश्चर्य की बात यह है कि दुग्ध उत्पाद किस हद तक ग्लूकोमा को प्रभावित करता है, यह नहीं जाना गया है। लेकिन यह तय है कि दुग्ध उत्पाद से कार्डियोवस्कुलर बीमारियां तथा मोटापा आवश्यक रूप से बढ़ता है।

2
हाई एंटीआक्सीडेंट

हाई एंटीआक्सीडेंट मसल ग्रीन टी, चाकलेट काफी आदि भी ग्लूकोमा से लड़ने में सहायक हैं। लेकिन आपको बताते चलें कि काफी आप बिना चीनी के ही खाएं। हालांकि ग्लूकोमा के मरीजों के लिए यह नुकसादायक हो सकती है। अतः काफी कम से कम लें। चाकलेट जो काली और कड़वी हो, वही आपकी आंखों के लिए बेहतर होती है। एक स्पैनिश अध्ययन इन तमाम बातों की पुष्टि करता है।यदि आप हाइपरटेंसिव ग्लूकोमा के मरीज है तो नमक से तौबा करें। वैसे भी नमक का अति सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसके इतर निचले स्तर का नमक कतई न लें। यह आपके शरीर को तो नुकसान पहुंचाता ही है आपको जीवन के लिए अंधेपन की ओर धकेल सकता है।

3
रंगीन आहार लें

रंगीन आहार का मतलब है कि अपने खानपान में हर रंग के आहार शामिल करें। चाहे लाल हो या फिर हरा। सभी रंग के आहार आंखों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। मतलब कहने का यह है कि किसी एक रंग के आहार पर आश्रित न रहें। हालांकि हरे पत्तेदार सब्ज्यिं आंखों के लिए अच्छी हैं। खासकर ग्लूकोमा के लिए बावजूद इसके बेहतर है अपने खानपान में गोभी, गाजर, मटर आदि सब शामिल करें।ग्लूकोमा के स्तर को कम करना है तो हरी सब्जियों का सेवन ज्याद से ज्यादा करें। असल में अध्ययन में हरी सब्जियां और मोतियाबिंद का गहरा सम्बंध पाया गया है। माना गया है कि हरी सब्जियां ग्लूकोमा की दुश्मन की तरह है। पालक, मटर आदि खाएं।

4
हाई कैलोरी न लें

ऐसे आहार से बचें जिसमें हाई कैलोरी होती है। दरअसल हाई कैलोरी का मतलब है शरीर में अतिरिक्त वसा। आंखों के स्वास्थ्य के लिए अतिरिक्त और खराब वसा काफी नुकसानदेय है। अतः नारियल का तेल, नट्स, सीड्स, चाकलेट आदि न लें। असल में आप जितना ज्यादा वसा से दूरी बनाए रखेंगे बीमारियां उतनी ही आपसे दूर रहेंगी। यदि आपने ऐसा न किया तो स्वास्थ्य के साथ साथ जीवन भर के लिए आंखों की रोशनी से भी हाथ धो बैठेंगे। विशेषज्ञों की मानें तो कम कम करके तरल पदार्थ का सेवन करना बेहतर होता है।

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मछली

आंखों के लिए मछली में पाया जाने वाला ओमेगा 3 पीएफए आवश्यक तत्व है। जो लोग नियमित रूप से मछली खाते हैं, अकसर उन्हें आंखों से सम्बंधित बीमारियां मछली न खाने वालों की तुलना में कम होती हैं। अकसर विशेषज्ञ आंखों से जुड़ी परेशानियों से पार पाने के लिए मछली खाने की सलाह देते हैं। अतः आपको यदि मोतियाबिंद या इसके होने के लक्षण का पता चल रहा हो तो मछली को अपनी डाइट चार्ट में अवश्य शामिल करें।

अचानक आंखों के सामने अंधेरा होना, इन 5 गंभीर बीमारियों के हैं संकेत




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क्यों नज़र हो जाती है धुंधली

दृष्टि का कभी-कभी धुंधला हो जाना एक बहुत ही आम समस्या है, लेकिन ऐसा कई कारणों से हो सकता है। तो इसका सही कारण जानने का सबसे सही तरीका है कि आप डॉक्टर के पास जाएं और जांच कराएं। आपकी समस्या के बारे में कुछ जरूरी सवाल करने तथा कुछ आवश्यक टेस्ट करने के बाद डॉक्टर आपकी समस्या का उचित निदार करता है और आपको समस्या मुक्त करता है। लेकिन आपको भी पता होना चाहिए कि इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं-

2
रिफलेक्टिव त्रुटियां

कोई रिफलेक्टिव त्रुटि सही ढंग से प्रकाश केंद्रित में आ रही समस्या के परिणाम स्वरूप होने वाला ऑप्टिकल दोष होता है। फारसाइटिडनेस, नीयरसाइटिडनेस और एस्टिग्मैटिस्म कुछ प्रमुख रिफलेक्टिव त्रुटियां हैं। इनके कारण भी नज़र धुंधली हो जाती है।

3
आंखों में सूखापन

यदि आंखों में आंसू नहीं बन रहे हैं, जैसे कि उन्हें बनना चाहिए तो इस कारण आंखों में हुए सूखेपन की वजह से आप दृष्टी में धुंधलापन महसूस कर सकते हैं। यह समस्या कभी-कभी, सरल ओटीसी आई ड्रॉप से समाप्त हो सकती है।

4
माइग्रेन

माइग्रेन कई प्रकार से दुबलापन पैदा कर सकता है। सिरदर्द से पीड़ित कई लोग को अक्सर उनकी दृष्टि को प्रभावित होने का अनुभव होता है। यदि आप गंभीर सिर दर्द का अनुभव करते हैं तो हो सकता है कि आपको भी दृष्टी में धुंधलापन महसूस हो, तो ऐसे में न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें।

5
दवाओं का सेवन

हम सभी जानते हैं कि सभी दवाओं के कुछ न कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। तो यदि आपकी आंखों में धुंधलेपन की समस्या हो रही है तो जानने की कोशिश करें कि यह किस दवा के सेवन के बाद अधिक होता है। और फिर इस बारे में अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

6
मोतियाबिंद

मोतियाबिंद के कारण आंखों के लेंस के आगे गर्द जैसी जम जाती है, जिसके कारण भी दृष्टी धुंधली हो जाती है। अधिकांशतः बड़े उम्र के लोगों को होने वाली इस समस्या को चश्मा लगाकर ठीक नहीं किया जा सकता और इसे ऑपरेट करना पड़ता है।

7
ग्लोकोमा

नजर का धुंधला होना ग्लोकोमा का लक्षण भी हो सकता है। इसमें आंखों में ऊपर को दबाव बनता है और ऑप्टिक नर्व को हानि पहुंचाता है। यदि आपके परिवार में ग्लोकोमा का इतिहास रहा है तो आपको नियमित अंतराल पर आंखों की जांच करते रहना चाहिए।

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डायबिटीज

डायबिटीज में शारीर का ब्लड शुगर लेवल प्रभावित हो जाता है। यह आंखों तथा शरीर के अन्य अंगों तक हो रहे रक्त प्रवाह को भी प्रभावित कर सकता है। यदि आप डायबिटिक हैं और आंखों में धुंधलापन महसूस कर रहे हैं तो यह स्थिति मधुमेह रेटिनोपैथी हो सकती है।

आँखों की देखभाल के तरीके




आपकी आंखें आपके चेहरे की सबसे आकर्षक विशेषताएं हैं। वे केवल एक दृश्य अंग, जो आपको दुनिया को देखने में मदद करता है, से अधिक है। वे मुस्कुराती हैं, हंसती हैं, रोती हैं, जब शब्द विफल होते हैं, तो हमारी आंखें हमारी भावनाओं और विचारों को खूबसूरती से व्यक्त करती हैं। इसलिए, अपनी दृष्टि की रक्षा करना आपकी ज़िंदगी की गुणवत्ता को बनाए रखने में सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है। 

लेकिन दुर्भाग्य से, ज्यादातर लोग अपनी आंखों के बारे में उतना नहीं सोचते, जितना वे अपने चेहरे पर ध्यान देते हैं। इसके अलावा, हमारी ज़ोरदार जीवनशैली, विषाक्त वातावरण और अनुचित आहार से चीजें बदतर होती हैं। इन सभी चीजों की वजह से, झुर्रियाँ, अंधेरे घेरे, चेहरे की सूजन आदि आजकल आम समस्याएं बन गई हैं। इसके अलावा, उम्र के साथ दृष्टि हानि का जोखिम भी बढ़ता है।

आपकी त्वचा और चेहरे की तरह आपकी आंखों की देखभाल करना, यह सुनिश्चित करेगा कि आप हमेशा सर्वश्रेष्ठ दिखें और महसूस करें। यह उम्र से संबंधित बीमारियों जैसे कि चकत्तेदार अध: पतन, मोतियाबिंद, मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी, मोतियाबिंद आदि से रक्षा में मदद करेगा। 

आपकी दृष्टि की रक्षा करने और अपनी आंखों को स्वस्थ रखने के लिए, आप इन सरल चरणों का पालन करें:


1. उपयुक्त आहार:

एक अच्छी नेत्र देखभाल सही आहार से शुरू होती है। विटामिन सी और ई, जस्ता, ल्यूटिन, ओमेगा -3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सिडेंट में समृद्ध आहार आपकी आंखों के लिए बहुत फायदेमंद है और आयु से संबंधित आंख की समस्याओं से बचने में मदद कर सकता है। अपने नियमित आहार में गाजर, चुकंदर, संतरे और हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे खाद्य पदार्थों को शामिल करें। ओमेगा -3 फैटी एसिड में समृद्ध भोजन जैसे कि सैल्मन और ट्यूना खतरनाक धब्बेदार अध: पतन को कम करने में बहुत प्रभावी हैं। एंटीऑक्सिडेंट मोतियाबिंद के जोखिम को कम कर सकते हैं।

2. यूवी प्रकाश से संरक्षण:

धूप का चश्मा रेटिना क्षति को रोकता है। वे झुर्रियों और त्वचा के कैंसर को रोकने के लिए पलक की नाजुक त्वचा की रक्षा भी करते हैं। वे आंख से संबंधित समस्याओं जैसे कि मोतियाबिंद, पिंग्यूक्लुला और चकत्तेदार अध: पतन के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं। अच्छी गुणवत्ता वाले धूप का चश्मा पहनें जो कि यूवी किरणों को 99-100% तक ब्लॉक करता है। 

3. धूम्रपान छोड़ें:

तंबाकू धूम्रपान सीधे नेत्र समस्याओं सहित कई प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों से जुड़ा हुआ है। धूम्रपान करने वालों मोतियाबिंद और धब्बेदार अध: पतन के विकास का उच्च जोखिम भी होता है। इससे ऑप्टिक तंत्रिका क्षति हो सकती है, जिससे अंधापन भी हो सकता है।

4. अपनी आंखों को उचित आराम दें:

आपकी आँखों को भी आपके जैसे आराम की ज़रूरत है। कंप्यूटर या फोन स्क्रीन पर बहुत लंबे समय तक घूरना जैसे ज़ोरदार गतिविधियों से बचें या कम करें। यह आपकी आंखों में तनाव पैदा कर सकता है और धुंधली दृष्टि, शुष्क आँखें, सिरदर्द आदि जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है।
इसके अलावा, आप घरेलू उपचार, जैसे आंखों पर ककड़ी के स्लाइस रखना, का उपयोग विश्राम करने की प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं।

5. नियमित आंखों की जांच कराएँ:

यह सुनिश्चित करने के अलावा कि चश्मा या कॉन्टैक्ट लेन्स के लिए आपका दवा का पचा॔ अद्यतन हैं, नेत्र स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए नियमित रूप से आंखों की जांच आवश्यक है। मोतियाबिंद और ए.एम.डी जैसे गंभीर नेत्र परिस्थितियों में से अधिकांश का इलाज आसानी से और सफलतापूर्वक किया जा सकता है, अगर निदान और इलाज जल्दी से किया जाता है। यदि बिना-इलाज छोड़ा जाता है, तो इन रोगों से गंभीर दृष्टि हानि और अंधापन हो सकता है। 

इसके अलावा, आंख की पुतली को फैलाने सहित एक व्यापक आंखों की परीक्षा, आंखों के रोग, जो अक्सर कोई चेतावनी नहीं देते हैं, जैसे ग्लोकोमा और उम्र से संबंधित धब्बेदार अध: पतन का पता लगाने में मदद कर सकती है।"

साल में 1 बार करें ये छोटा सा काम, आंखें कभी नहीं होंगी कमजोर

एक साल में एक बार अपनी आंखों की जांच जरूर करवाएं।आइज मूवमेंट करने से आंखों की बेहतर एक्सरसाइज हो जाती है।रोज़ रात को रात को सोने से पहले अपनी आंखों को साफ ताजे पानी से धोएं।

आंखों की देखभाल करना बहुत जरूरी है। यदि आंखों की ठीक प्रकार से देखभाल न की जाए तो आंखों में विकार पैदा हो सकते हैं। कंप्यूटर, मोबाइल, आईपौड, स्मारटफोन की बढ़ती मांग से आंखों को दिनादिन खतरा पहुंच रहा है। आंखों को बीमारियों से बचाने के लिए उनकी देखभाल जरूरी हो जाता है। आइए जानें कैसे करें आंखों की देखभाल।

आंखो के बचाव के तरीके

लगातार रोजाना दो से तीन घंटे कंप्यूटर पर कार्य करने से व्यक्ति में कंप्यूटर विजन सिन्ड्रोम के लक्षण देखने को मिल सकते है। कुछ सावधानियाँ बरतकर कंप्यूटर विजन सिन्ड्रोम से बचाव किया जा सकता है।आंखों को सुरक्षित रखने के लिए कंप्यूटर, आईपैड, स्मार्टफोन से दूरी के साथ ही लाइफस्टाइल में बदलाव जरूरी है। तभी अधिकतर सीवीएस के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।जिस कमरे में कंप्यूटर हो उसमें उचित प्रकाश होना जरूरी है ज्यादा तेज रोशनी भी नहीं होनी चाहिए, एवं प्रकाश व्यक्ति के पीछे से होना चाहिये, सामने से नहीं।जब भी कंप्यूटर के पास बैठें तो हर 20 मिनट के गैप में 20 सेकेंड के लिए स्क्रीन से नजरें हटा लें और 20 फुट दूर किसी फिक्स्ड प्वाइंट पर फोकस करें।आइज मूवमेंट आंखों को बेहतर करने में लाभकारी है। 

ऑफिस या घर पर मॉनिटर को कुछ इस तरह सेट करें कि आंखें मॉनिटर के टॉप लेवल पर हों।कंप्यूटर डिवाइस का कंट्रास्ट या ब्राइटनेस लेवल को सेट करें या एन्टीग्लेयर कवर और कंप्यूटर ग्लास फिट कराएं।बेहतर लेंस का प्रयोग करें या एन्टी ग्लेयर (चौंध रहित) चश्मा पहने एवं चौंध रहित स्क्रीन का प्रयोग करना चाहिये।जब कभी भी स्क्रीन के सामने घंटे भर से अधिक बैठे हों तो ड्राई आईज से बचने के लिए पलकें, धीरे-धीरे झपकाएं। साथ ही, सीवीएस से बचने के लिए स्मॉल ब्रेक्स और हेल्दी लाइफस्टाइल भी जरूरी है।आंखों के लिए कंप्यूटर विजुअल चैलेंज हो सकता है पर जब परहेज के साथ इस्तेमाल किया जाए तो पर्मानेंट डैमेज कभी नहीं होने देता। आंखों में जब भी अच्छा सा महसूस ना हो तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।साल में एक बार आंखों की जांच जरूर करवाएं।प्रतिदिन रात के समय में सोने से पहले अपनी आंखों को स्वच्छ ठण्डे पानी से धोएं।

आंखों में समस्या  होने पर लक्षण

आंख एवं सिर में भारीपन, धुंधला दिखना, आँख लाल होना, आँख से पानी जाना, आँख में जलन होना, आँख में खुजली होना, आँख का ड्राई आई, रगों का साफ न दिखना।अगर आप कंप्यूटर पर कार्य करते समय इन सावधानियों को ध्यान में रखकर कार्य करते हैं तब आप खुद को काफी हद तक कंप्यूटर विजन सिन्ड्रोम की समस्या से खुद को बचाये रख सकते हैं।

आई ड्रॉप्स इस्तेमाल करते समय क्या करें, क्या न करें



   
1
आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल

चाहे इसका इस्‍तेमाल आप सूखेपन, एलर्जी, संक्रमण या मोतियाबिंद के इलाज के लिए कर रहे हो या नहीं, लेकिन आई ड्रॉप हर दवा कैबिनेट में पाई जाने वाली सबसे आम दवाओं में शामिल होती हैं। लेकिन क्‍या आप इसे ठीक से उपयोग करने के बारे में जानते हैं? आई ड्रॉप के गलत या ज्‍यादा इस्‍तेमाल आपकी आंखों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। क्लीनिकल स्पोक्सपर्सन फोर अमेरिकन अकादमी ऑफ 
ऑफथेलमोलॉजी के एमडी स्टेफनी मेरिओनॉक्स के अनुसार, आईड्रॉप का इस्‍तेमाल अधिक जरूरी नहीं है, बेहतर तकनीक जरूरी होती है। यहां पर आईड्रॉप के इस्‍तेमाल के लिए डॉक्‍टर मेरिओनॉक्‍स के सुझावों में से कुछ दिये गये है।

2
सभी एक बार में नहीं

मेरिओनॉक्‍स के अनुसार, जल्‍दी से आंखों में ड्रॉप्‍स डालने की गलती आमतौर पर ज्‍यादातर सभी लोग करते हैं। लेकिन आंख में वास्तव में केवल एक ही ड्रॉप को पकड़ने की क्षमता होती है, और दूसरी सिर्फ आपके चेहरे से नीचे जाकर बर्बाद हो जाती है। इसलिए आंखों में ड्रॉप डालते समय ध्‍यान रखें कि एक ड्रॉप डालने के कुछ देर बाद दूसरी बूंद डालें।

3
मिक्स और मैच न करें

अगर आपने एक ही समय में एक से अधिक आई ड्रॉप डालनी हैं तो कुछ समय के अंतर में डालें। यानी एक बूंद डालने के बाद दूसरी ड्रॉप डालने पर थोड़ा सा इंतजार करें। मेरिओनॉक्‍स कहते हैं कि एक साथ दवा डालने से दवाएं आंखों में जलन और बहुत अधिक पानी का कारण बनता हैं, साथ ही दवाओं का प्रभाव कम हो जाता है। मेरिओनॉक्‍स कहते हैं कि अलग-अलग बूंदों के इस्‍तेमाल का सबसे अच्‍छा तरीका जानने के लिए अपने नेत्र चिकित्सक से बात करें।

4
खुराक का ध्‍यान रखें

किसी भी दवा की तरह, आई ड्रॉप को भी निर्देशन अनुसार लिया जाना बहुत जरूरी होता है। खुराक को बंद करना या अति प्रयोग उपचार को प्रभावित कर सकता है। मोतियाबिंद जैसी गंभीर अवस्‍था में रोगी को अपनी आंख में दवा का इस्‍तेमाल करना हमेशा याद रखना चाहिए।

5
डॉक्‍टर से मिलने के समय दवाओं को छोड़ें नहीं

दवा का उपयोग हमेशा निर्देश के अनुसार ही करें, अक्‍सर लोग डॉक्‍टर से मिलने जाते समय आई ड्रॉप को नहीं डालते। लेकिन मेरिओनॉक्‍स के अनुसार, नेत्र चिकित्‍सक से मिलने का उद्देश्‍य यह देखना हैं कि दवा ठीक से काम कर रही हैं या नहीं। और दवा के ना डालने से यह उद्देश्‍य पूरा नहीं होता।

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एक्सपायरी डेट का ध्‍यान रखें

आंखों में दवा को डालने से पहले उस पर दी एक्‍सपायरी डेट को जरूर चेक कर लेना चाहिए। और उपचार के बाद अगर उसमें कुछ बूंदें बच गई हैं, तो उसे किसी सुरक्षित जगह पर रख देना चाहिए। लेकिन कई दवाएं ऐसी होती है, जिनका इस्‍तेमाल एक महीने अंदर किया जाता हैं। इस बात का हमेशा ध्‍यान रखें। मेरिओनॉक्‍स कहते हैं कि यदि आपको किसी दवा के इस्‍तेमाल से कोई समस्‍या महसूस हो रही है तो इसके अंधाधुंध इस्‍तेमाल से बचें।

7
स्‍वयं निदान न करें

मेरिओनॉक्‍स के अनुसार, लाल आंखों की समस्‍या के लिए या आंखों में अन्‍य समस्‍या होने पर स्‍वयं इलाज न करें। मामूली समस्‍याओं में अगर 24 से 48 घंटे में सुधार नहीं होता है। तो समस्‍या को पहचाने के लिए आपको तुरंत डॉक्‍टर के पास जाना चाहिए। लेकिन अगर आपको दृष्टि हानि जैसी अधिक गंभीर लक्षण है, तो तुरंत डॉक्‍टर से परामर्श करना चाहिए।

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ड्रॉप्‍स की सही जानकारी

हमेशा अपनी आंखों में दवा डालने से पहले दवा की बोतल की दोहरी जांच कर लें। क्‍योंकि अक्‍सर लोग आंख की बजाय कान की ड्रॉप्‍स से भ्रमित होते हैं। मरिओनीक्स कहते हैं, कि कुछ लोग अनजाने में अपनी आंखों में ईयर ड्रॉप डाल देते हैं जो कभी-कभी बहुत नुकसानदेह होता है।

9
आई ड्रॉप्‍स डालने का तरीका

अक्‍सर लोग आंखों के बाहर दवाई डाल देते हैं। यह दवाई डालने का सही तरीका नहीं है। आंखों में ड्रॉप्‍स डालते समय अपना माथा पीछे की ओर करके छत की तरफ देखें। धीरे से पलक को ऊपर करें और ‘आई-ड्रॉप्स’ डालें। दवा डालते हुए ध्यान रखें कि ड्रॉपर आंख से दूर ही रखें।

सीसीएस आई ड्रॉप (Ccs Eye Drop)

 सीसीएस आई ड्रॉप (Ccs Eye Drop) , के बारे में

सीसीएस आई ड्रॉप (Ccs Eye Drop) शुष्क, चिढ़ आंखों को दूर करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह आँख नम रखता है, इसे संक्रमण और चोट से बचाता है और सूखी आंखों के लक्षणों जैसे खुजली , जलन और महसूस करता है जैसे कि आंख में कुछ है।

जब उत्पाद पहली बार उपयोग किया जाता है, तो दृष्टि अस्थायी रूप से धुंधला हो सकती है। इसके अलावा, मामूली जलन, चुभने, जलन अस्थायी तौर पर हो सकती है। जब आपकी आंखें इस दवा में इस्तेमाल हो जाती हैं, तो यह दुष्प्रभाव गायब हो जाएंगे। कुछ गंभीर दुष्प्रभावों में आंखों के दर्द, दृष्टि में परिवर्तन शामिल हैं। इस दवा में कुछ सक्रिय तत्व शामिल हो सकते हैं, इसलिए यदि आपको इस दवा से एलर्जी हो तो अपने डॉक्टर को सूचित करें। अपने चिकित्सक को आप के बारे में चिकित्सा स्थिति और उत्पादों, दवाइयों और खाद्य पदार्थों के सभी एलर्जी संबंधी प्रतिक्रियाओं को सूचित करें। डॉक्टर द्वारा निर्धारित जब तक यह दवा न लें।

सीसीएस आई ड्रॉप (Ccs Eye Drop) आंखों के बूंदों, मलहम और जैल के रूप में उपलब्ध है। आमतौर पर, बूंदों को जितनी बार जरूरी होता है, उतना इस्तेमाल किया जा सकता है मल्हार आमतौर पर 1 से 2 बार एक दिन में, आवश्यकतानुसार उपयोग किया जाता है। अगर एक दिन में एक बार मरहम का इस्तेमाल किया जाता है, तो सोने का उपयोग करने के लिए यह सबसे अच्छा हो सकता है। सीसीएस आई ड्रॉप (Ccs Eye Drop) आवेदन करने के तरीके के बारे में अपने डॉक्टर के निर्देशों का ध्यानपूर्वक पालन करें।

मोक्सफ़ोर्ड आई ड्रॉप (Moxiford Eye Drop)

 मोक्सफ़ोर्ड आई ड्रॉप (Moxiford Eye Drop) , के बारे में

मोक्सफ़ोर्ड आई ड्रॉप (Moxiford Eye Drop) एक ऐसी दवा है जो क्विइनोलोन एंटीबायोटिक दवाओं के क्लस्टर से जुड़ी होती है जो कि बैक्टीरिया संक्रमण को दूर करने के लिए दी जाती है। हालांकि, यह दवा वायरल संक्रमण जैसे फ्लू और आम सर्दी के लिए काम नहीं करेगा विकास और आगे रोकने के द्वारा यह एंटीबायोटिक काम करता है। याद रखें कि एक मामूली मुद्दों के लिए एंटीबायोटिक पुनरावृत्तता से या बैक्टीरिया के कारण होने वाली समस्याओं के कारण जीवाणुओं को एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोधी बनने के लिए नेतृत्व करेंगे। इस प्रकार एंटीबायोटिक समय की अवधि में इसकी प्रभावशीलता खो देंगे, निश्चित रूप से अन्यथा सलाह देने तक आपको पर्याप्त तरल पदार्थ पीना चाहिए।

उपचार योजना और खुराक की लंबाई मोक्सफ़ोर्ड आई ड्रॉप (Moxiford Eye Drop) हालत की गंभीरता पर निर्भर करेगा यह सलाह दी जाती है कि इस दवा को अन्य खनिजों / विटामिन या एंटीसिड्स जैसे मैग्नीशियम या एल्यूमीनियम वाले उत्पादों के सेवन के 4 से 8 घंटे पहले ले लें। सर्वोत्तम परिणामों के लिए इस दवा को हर रोज नियमित अंतराल पर लें। एंटीबायोटिक का कोर्स समाप्त करें। भले ही आपकी स्थिति बेहतर हो इसका कारण यह है कि समय-समय पर एंटीबायोटिक का सेवन करने से संक्रमण के पतन और बैक्टीरिया समय-समय पर एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बना रहेगा।

कुछ दुष्प्रभावों में मितली , गले में खराश, चक्कर आना, झिलमिलाहट, दस्त, सिरदर्द और नींद में कठिनाई शामिल होती है। अन्य गंभीर लेकिन दुर्लभ प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं में आसान रक्तस्राव या रगड़ना, गुर्दे संबंधी समस्याओं के लक्षण जैसे कि बढ़ी हुई या घटती पेशाब और पेट संबंधी / पेट दर्द , निरंतर उल्टी, अनियमित हृदय की धड़कन, बेहोशी की सूजन, त्वचा / आंखों की पीली, आदि। दुर्लभ, गंभीर आंतों की स्थिति 'क्लॉस्ट्रिडियम स्फीसिइल डायरिया विकसित हो सकती हैं। अपने चिकित्सक को बिना किसी देरी के जानने दें, आपको लगातार दस्त का अनुभव करना चाहिए या मल में रक्त या श्लेष्म की उपस्थिति का ध्यान रखना चाहिए। ध्यान रखें कि निर्धारित समय सीमा से परे, इस दवा का लंबे समय तक सेवन करने से, मुंह में सफेद पैच ( मुँह के छाले) या एक नया खमीर संक्रमण हो सकता है जो योनि डिस्चार्ज के रूप में प्रकट हो सकता है। एलर्जी प्रतिक्रियाओं के लिए मोक्सफ़ोर्ड आई ड्रॉप (Moxiford Eye Drop) दूर्लभ हैं।

ओलोप्लस आई ड्रॉप (Oloplus Eye Drop)

 ओलोप्लस आई ड्रॉप (Oloplus Eye Drop) , के बारे में

एलर्जी आंखों के लिए बहुत असुविधा पैदा कर सकती है। ओलोप्लस आई ड्रॉप (Oloplus Eye Drop) असुविधा को जांच में रखने में मदद करता है। इस प्रकार, यह एलर्जी प्रतिक्रिया के कारण आंखों में निरंतर खुजली , पानी और जलने की उत्तेजना को रोकता है।

गर्भवती महिलाएं या गर्भ धारण करने की कोशिश कर रहे हैं, तो उन्हें ओलोप्लस आई ड्रॉप (Oloplus Eye Drop) अपने डॉक्टर को सूचित करना चाहिए। ओलोप्लस आई ड्रॉप (Oloplus Eye Drop) स्तनपान कराने वाली माताओं को इसका उपयोग करने से पहले भी चर्चा करनी चाहिए। यदि आपके पास आंखों की शक्ति है और संपर्क लेंस का उपयोग करें, तो अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता को सूचित करें।

ओलोप्लस आई ड्रॉप (Oloplus Eye Drop) केवल आंख में रखा जाना है। इसे अपनी नाक या यहां तक ​​कि मुंह के पास कहीं भी न लें। यदि ऐसा होता है, तो क्षेत्र को बहुत सारे पानी और पेट सूखे से धो लें। यदि आप कांटेक्ट लेंस का उपयोग करते हैं, तो ओलोप्लस आई ड्रॉप (Oloplus Eye Drop) उपयोग करने से पहले उन्हें हटा दें। अपनी आंखों में दवा लगाने पर, सुनिश्चित करें कि आपके हाथ साफ और सूखे हैं। दवा लगाने के बाद फिर से हाथ धोएं।

ओलोप्लस आई ड्रॉप (Oloplus Eye Drop) कुछ मामूली साइड इफेक्ट्स जैसे भरी नाक, सिरदर्द या गले में खराश कारण बन सकता है। ये लक्षण आमतौर पर लंबे समय तक नहीं टिकते हैं। यदि आपको आंखों के चारों ओर सूजन, आंखों और धुंधली दृष्टि में जलने या जलन जैसी साइड इफेक्ट्स का अनुभव होता है, तो तुरंत चिकित्सा ध्यान दें।

नेफ़ैकूल आई ड्रॉप (Nefacool Eye Drop)

 नेफ़ैकूल आई ड्रॉप (Nefacool Eye Drop) , के बारे में
नेफ़ैकूल आई ड्रॉप (Nefacool Eye Drop) एक गंभीर स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक का इस्तेमाल होता है। जिसे गंभीर जीवाणु संक्रमण के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह नेत्र श्लेष्मलाशोथ के उपचार के लिए एक आंखों में मरहम के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। यह मेनिन्जाइटिस, हैजा, महामारी और टाइफाइड बुखार का इलाज करता है। 

इसका उपयोग मुंह या इंजेक्शन द्वारा किया जाता है। जब कोई अन्य एंटीबायोटिक प्रभावी तरीके से काम नहीं करता है। यह संक्रमण के कारण बैक्टीरिया की वृधि के साथ हस्तक्षेप करके काम करता है।

आम तौर पर इस दवा की सिफारिश नहीं की जाती है, जब तक कि उसके कई दुष्प्रभावों के कारण आवश्यक नहीं हो। इसमें अस्थि मज्जा (bone marrow) दमन, दस्त और मतली शामिल है अस्थि मज्जा (bone marrow) दमन घातक साबित हो सकता है। यकृत या गुर्दा की समस्या वाले लोगों को कम मात्रा की आवश्यकता हो सकती है। छोटे बच्चों में एक ऐसी स्थिति है जिसे ग्रे बेबी सिंड्रोम कहा जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें सूजन पेट और कम रक्तचाप होता है । यदि आपके पास एनीमिया, अस्थि मज्जा (bone marrow) की समस्याएं, लीवर की बीमारी या एलर्जी है, तो नेफ़ैकूल आई ड्रॉप (Nefacool Eye Drop) लेने से पहले अपने चिकित्सक को सूचित करें। गर्भावस्था के अंत में और स्तनपान के दौरान इसका उपयोग आमतौर पर सही नहीं किया जाता है। साइड इफेक्ट्स का जोखिम कम करने के लिए उपचार की अवधि यथासंभव कम होनी चाहिए।

कुछ दवाइयां कार्रवाई के साथ परस्पर प्रभाव कर सकती हैं। नेफ़ैकूल आई ड्रॉप (Nefacool Eye Drop) अपने चिकित्सक को बताएं कि क्या आप किसी भी अन्य दवाइयां विशेष रूप से किसी भी एंटीकोआगुलंट्स, हाइडेंटिक्स, सल्फ़ोनीलेयरा या दवाइयां ले रहे हैं जो आपकी अस्थि मज्जा (bone marrow) को कम कर सकती हैं।

इलाज के दौरान हर दो दिनों में एक बार दवा और रक्त कोशिकाओं के स्तर के दोनों स्तरों पर नज़र रखने की सिफारिश की जाती है। यदि आप इस दवा की एक अनुसूचित खुराक याद करते हैं या यदि आपको अधिक मात्रा में संदेह है तो जितनी जल्दी हो सके चिकित्सा से सलाह करें। नेफ़ैकूल आई ड्रॉप (Nefacool Eye Drop) की अवधि जिसके लिए उपयोग करना और खुराक के आहार के अनुसार प्रभावी रहता है।

पिरिमन आई ड्रॉप (Pyrimon Eye Drop)

 पिरिमन आई ड्रॉप (Pyrimon Eye Drop) , के बारे में

पिरिमन आई ड्रॉप (Pyrimon Eye Drop) एक लूप मूत्रवर्धक के रूप में जाना जाता है, जिसे एक पानी की गोली के रूप में भी जाना जाता है जब लिया जाता है तब दवा शरीर को अवशोषित होने वाले नमक की मात्रा कम कर देता है। तब अतिरिक्त नमक शरीर द्वारा मूत्र के माध्यम से उत्सर्जित होता है। दवा मुख्य रूप से जिगर की बीमारी , किडनी की समस्याएं और हृदय रोग कीविफलता से पीड़ित रोगियों के शरीर में द्रव प्रतिधारण को नियंत्रित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। 

इस प्रकार, दवा अधिक मूत्र के निर्माण में मदद करती है जो शरीर में अतिरिक्त द्रव और नमक उत्पन्न होती है।
आप इस दवा को मौखिक रूप से भोजन या बिना बिना ले जा सकते हैं अपने सोते समय नशीली दवाओं को न लेने की कोशिश करें, ताकि रात भर पेशाब करने की इच्छा को रोक सकें। निर्धारित खुराक आमतौर पर आपकी उम्र, आपके स्वास्थ्य और दवा के प्रति आपके शरीर की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है। बच्चों के मामले में खुराक भी अपने वजन के अनुसार निर्धारित किया जाता है। आप चिकित्सक पहले आपको कम खुराक से शुरू कर देंगे कि यह देखने के लिए कि आपका शरीर दवा कैसे स्वीकार करता है। यदि आप किसी दुष्प्रभाव का विकास नहीं करते हैं, तो वह खुराक बढ़ा सकते हैं।

साइड इफेक्ट एक सामान्य घटना होती है जब आप कोई दवा लेते हैं जबकि कुछ साइड इफेक्ट काफी सामान्य होते हैं और गायब हो जाते हैं क्योंकि आपका शरीर दवा में समायोजित करता है, जबकि अन्य गंभीर होते हैं और जटिलताएं पैदा कर सकते हैं पिरिमन आई ड्रॉप (Pyrimon Eye Drop) चक्कर आना , दृष्टि, सिरदर्द और बेहोश महसूस के साथ समस्याओं जैसे कुछ मामूली दुष्प्रभाव पैदा कर सकते हैं यदि आप अनुभव करते हैं चक्कर आना, तो सुनिश्चित करें कि आप किसी भी दुर्घटनाओं से बचने के लिए धीरे-धीरे आगे बढ़ें।

पिरिमन आई ड्रॉप (Pyrimon Eye Drop) गंभीर निर्जलीकरणके परिणामस्वरूप यह अक्सर पेशाब करने की आवश्यकता पैदा कर सकता है इसलिए, यदि आप कमजोरी, भ्रम, उनींदापन , मांसपेशियों में क्रमा, मतली या अत्यधिक थकान महसूस करते हैं, तो अपने चिकित्सक से संपर्क करें और तुरंत चिकित्सा सहायता लें।

बहुत मुश्किल से ही रोगियों को एलर्जी की प्रतिक्रिया से पीड़ित होता है पिरिमन आई ड्रॉप (Pyrimon Eye Drop) । लेकिन अगर ऐसा होता है तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें और उपचार पूरा करें।

आंखों की सभी परेशानियों को दूर करे यह हर्बल आई ड्रॉप

यह आयुर्वेदिक ड्रॉप आंखों की दृष्टि में सुधार करती है और जिन लोगों की आंखे लाल पड़ जाती है उसे भी ठीक करती है। यह मोतियाबिंद के लक्षणों को भी दूर कर देती है। इस आई ड्रॉप को रोजाना आंखों में डालने से आंखों में होने वाली सभी प्रकार की समस्‍याएं दूर हो जाती हैं।

अगर आंखों में धूल के कण भी पड़ गए हैं, तो वह भी साफ हो जाता है। यह आंखों का कोई भी रोग नहीं होने देती। लेकिन इस आई ड्रॉप को डालते वक्‍त आपको रोजाना प्रणायाम भी करना चाहिये, जिससे आंखों को और भी ज्‍यादा फायदा हो सके।

अगर मोतियाबिंद और ग्लूकोमा का इलाज समय रहते नहीं किया गया तो यह खतरनाक बन सकता है। डॉक्‍टर की सलाह लेनी भी जरुरी है। आइये जानते हैं कि यह आयुर्वेदिक आई ड्रॉप घर पर किस तरह से बनाई जा सकती है।

सामग्री-
1 चम्‍मच अदरक का रस1 चम्‍मच सफेद प्‍याज का रस1 चम्‍मच नींबू का रस 3 चम्‍मच शहद

इन सभी चीजों को एक साफ कपड़े से छान लें और एक शीशी में बंद कर के फ्रिज में रखें।

खुराक
इस मिश्रण की एक बूंद दिन में दो बार, सुबह और शाम को आंखों में डालें।

कंजंक्टिवाइटिस में आई ड्रॉप का ज्यादा इस्तेमाल हो सकता है नुकसानदेह




बारिश का मौसम शुरू हो चुका है और इस दौरान सबसे ज्यादा जो बीमारी लोगों को परेशान करती है वह है आई इंफेक्शन कंजंक्टिवाइटिस। ऐसे में यह सवाल भी लोगों के जेहन में है कि क्या ऐंटीबायॉटिक आई ड्रॉप्स कंजंक्टिवाइटिस के इलाज में कारगर है? इस बारे में हुई रिसर्च की मानें तो आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल नुकसानदेह साबित हो सकता है। 

इंटरनैशनल जर्नल ऑप्थैलमॉलजी में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक करीब 60 प्रतिशत कंजंक्टिवाइटिस इंफेक्शन वायरस की वजह से होता है और इसके इलाज में ऐंटीबायॉटिक का कोई रोल नहीं होता। कंजंक्टिवाइटिस एक ऐसी परिस्थिति है जिसमें कंजंक्टिवा- जो आंखों के आगे की सतह में पाई जाने वाली बेहद महीन झिल्ली होती है उसमें जलन और लालीपन आ जाता है और इस वजह से आंखें खुद को सेल्फ लिमिट कर लेती हैं। मॉनसून के सीजन में कंजंक्टिवाइटिस होना सामान्य बात है क्योंकि इस दौरान नमी बहुत ज्यादा रहती है जो बैक्टीरिया और वायरस के ग्रोथ में सहायता करती है। 

एम्स के आर पी आई सेंटर के हेड और प्रफेसर डॉक्टर अतुल कुमार कहते हैं, 'ऐंटीबायॉटिक्स पहले इसलिए प्रिस्क्राइब की जाती थीं ताकि कॉर्निया को किसी तरह का सेकंडरी इंफेक्शन न हो। भारत में बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से अमेरिका की तुलना में ज्यादा कंजंक्टिवाइटिस के केस देखने को मिलते हैं। कई मौको पर ऐंटीबायॉटिक्स देना जरूरी होता है। लेकिन इनके बहुत अधिक इस्तेमाल से बचना चाहिए अन्यथा आंखों की सतह को नुकसान पहुंच सकता है।' 

सेंटर फॉर साइट के चेयरमैन और मेडिकल डायरेक्टर डॉ महिपाल सचदेव कहते हैं, 'कई बार कंजंक्टिवाइटिस से बचाव के लिए भी ऐंटीबायॉटिक्स प्रिस्क्राइब की जाती हैं। बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से कंजंक्टिवाइटिस होने का चांस बेहद कम होता है। ज्यादातर केस में इसके लिए वायरस ही जिम्मेदार होते हैं। लेकिन डॉक्टर्स किसी तरह का चांस नहीं लेना चाहते क्योंकि अगर किसी भी वजह से इंफेक्शन और बढ़ता है तो मरीज उन्हें लापरवाही बरतने के लिए जिम्मेदार ठहराएंगे।' 

अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर ऑप्थैलमॉलजी कंसल्टेंट डॉ रंजना मित्तल कहती हैं, 'प्रैक्टिकली यह जांच करवाना संभव नहीं है कि कंजंक्टिवाइटिस का इंफेक्शन वायरस की वजह से है या बैक्टीरिया की वजह से। इसलिए प्रिकॉशन के तौर पर डॉक्टर्स माइल्ड ऐंटीबायॉटिक्स प्रिस्क्राइब कर देते हैं।' वायरस की वजह से होने वाला कंजंक्टिवाइटिस अपने आप ही एक सप्ताह के अंदर ठीक हो जाता है लेकिन डॉक्टर्स कहते हैं कि बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से होने वाला कंजंक्टिवाइटिस कई केस में कॉर्निया तक फैल जाता है। कॉर्निया में इंफेक्शन और घाव आंखों को स्थायी तौर पर नुकसान पहुंचा सकता है। 

Top 10 eye care hospitals in India




Here is the list of top 10 eye care hospitals in India:

1. Dr. R.P.Centre for ophthalmic sciences A.I.I.M.S - New Delhi

डॉ राजेंद्र प्रसाद सेंटर फॉर ऑप्थाल्मिक साइंसेज, जिसका नाम भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के नाम पर रखा गया था, 10 मार्च, 1 9 67 को नेत्र विज्ञान के लिए राष्ट्रीय केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था, कला रोगी देखभाल की स्थिति प्रदान करने, मानव का विस्तार करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा की आंखों की स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान खोजने के लिए चिकित्सा शिक्षा के लिए संसाधन और अनुसंधान शुरू करें।

Hospital Services:


1. Clinical Units and Allied Departments
2. Out Patient Services
3. Emergency Services
4. Clinical Laboratories
5. National Eye Bank
6. Investigative Laboratories
7. Day Care Surgery
8. Community Ophthalmology
9. In Patient Services

Address:  Dr.Rajendra Prasad Centre for Ophthalmic Sciences, All India Institute of Medical Sciences, Ansari Nagar, New Delhi-110029, India

Fax no: 011: 26588919

Email:
2. Eye 7 - New delhi

आई 7 सुपर स्पेशलिटी नेत्र विज्ञान अस्पताल की एक श्रृंखला है। अपने सक्षम नेतृत्व के तहत आई 7 समूह की दृष्टि, करुणा और नवीनतम तकनीक का उपयोग करके किफायती और गुणवत्ता वाली आंखों की स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करना है।

Hospital Services:


1. Lasik/Specs removal
2. ICL
3. Cataract
4. Glaucoma
5. Cornea
6. Oculoplasty
7. Neurophthalmology
8. Retina

Address: 34, Lajpat Nagar IV, Ring Road New Delhi, 110024, India

Email: info@eye7.in


3. L.V.Prasad eye hospital - Hyderabad

एल वी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट एक व्यापक आंख स्वास्थ्य सुविधा और ओकुलर टिशू इंजीनियरिंग रिसर्च सेंटर है, जिसे संयुक्त रूप से डॉ। गुलपल्ली एन राव और एल.वी. के पुत्र रमेश प्रसाद द्वारा स्थापित किया गया है। 1 9 87 में प्रसाद
हैदराबाद, भारत में स्थित इसके मुख्य परिसर के साथ।
एलवीपीईआई नेटवर्क में हैदराबाद में उत्कृष्टता केंद्र, भुवनेश्वर में 3 तृतीयक केंद्र, विशाखापत्तनम और विजयवाड़ा, 11 माध्यमिक और 95 प्राथमिक देखभाल केंद्र शामिल हैं जो आंध्र प्रदेश, भारत के साथ-साथ कई शहर केंद्रों में दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों को कवर करते हैं।

Hospital Services:

1. Cornea and Anterior Segment
2. LASIK and Refractive Laser Surgery
3. Cataract surgeries
4. Uveitis treatment
5. Glaucoma procedures
6. Retina services
7. Ophthalmic Plastic Surgery, Orbit and Ocular Oncology
8. Strabismus (Squint) and Neuro-Ophthalmology
9. Contact Lens
10. Aesthetic Facial Plastic Surgery, Cosmetic Dermatology

Address: Kallam Anji Reddy Campus, L V Prasad Marg, Banjara Hills, Hyderabad 500 034, Andhra Pradesh

Phone no: 040 3061 2345 (30 Channels)

Fax no: 040 2354 8271

4. Sankar Netralaya - Chennai

शंकर नेत्रलय (एसएन) चेन्नई, भारत में नेत्र देखभाल (यानी एक आंख अस्पताल) के लिए एक लाभकारी मिशनरी संस्थान है। "शंकर नेत्रलय" में शंकर शिव का संदर्भ है और नेत्रलय का अर्थ है "आंख का मंदिर"।

शंकर नेत्रलय को भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मरीजों को मिला।

संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व भारतीय राजदूत नानी ए पालकीवाला ने शंकर नेत्रलय को "भारत में सर्वश्रेष्ठ प्रबंधित धर्मार्थ संगठन" के रूप में वर्णित किया। शंकर नेत्रलय में 1000 कर्मचारी हैं और प्रतिदिन 1200 रोगी कार्य करते हैं, प्रति दिन 100 सर्जरी करते हैं
करों के अनुसार वार्षिक राजस्व 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर के करीब है।

शंकर नेत्रलय ने मुंबई में आदित्य ज्योति आई अस्पताल के संस्थापक डॉ एस एस नटराजन जैसे कई प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञों का निर्माण किया है।

5. Aravind Eye HospitaL - Madurai


 अरविंद आई केयर अस्पताल भारत में कई स्थानों के साथ एक नेत्र विज्ञान अस्पताल है।
इसकी स्थापना 1 9 76 में डॉ गोविंदप्पा वेंकटस्वामी ने की थी।

तब से यह आंख अस्पतालों के नेटवर्क में उभरा है जिन्होंने 36 वर्षों में कुल 32 मिलियन मरीजों को देखा है और लगभग 4 मिलियन आंखों की सर्जरी की है, उनमें से अधिकतर बहुत सस्ते या मुफ़्त हैं।
अरविंद आई केयर अस्पतालों के मॉडल की पूरी दुनिया में सराहना की गई है और कई केस स्टडीज के लिए एक विषय बन गया है।

Hospital Services:
1. Retina & Vitreous
2.Cataract
3. Neuro Ophthalmology
4. Children's Eye Care
5. Orbit, Oculoplasty & Ocular Oncology
6. Glaucoma
7. Uvea
8. Cornea
9. Low Vision & Visual Rehabilitation

Address: Anna Nagar,  Madurai 625 020,  Tamilnadu, India.

Phone no: 0452 - 435 6100

Fax no: 0452-253 0984

6. H.V.Desai eye hospital, Hadapsar - Pune.

पीबीएमए के एच वी देसाई आई अस्पताल, जो साल 2000 में स्थापित 200 बेड आंख अस्पताल है, अब अंधेरे की गतिविधियों की सभी रोकथाम के साथ-साथ एक छत के नीचे आंखों की देखभाल में महत्वपूर्ण अनुसंधान के लिए आधार बन गया है।
विशेष आंख देखभाल सेवा सर्वोत्तम से मेल खाती है और करुणा और दयालुता प्रदान की जाती है।
इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्रशंसा मिली है।


Hospital Services:

1. Community Services
2. Patient Services
3. Tele-Ophthalmology

Address: PBMA's H. V. Desai Eye Hospital, 93, Tarwadevasti, Mohammadwadi, Hadapsar, Pune MH 411060

Phone no: 020-26970144

7. Centre for sight - New delhi

डॉ। महिपाल सचदेव, 1 99 6 में स्थापित, प्रतिष्ठित नेत्र रोग विशेषज्ञ और पद्मश्री पुरस्कार विजेता, सेंटर फॉर साइट देश में आंखों की देखभाल के चेहरे और सेवा मानकों को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इसकी स्थापना के बाद से, सेंटर फॉर साइट को दक्षता, सटीकता, करुणा और अखंडता के रोगी केंद्रित मूल्यों द्वारा निर्देशित किया गया है। 2010 में, सेंटर फॉर साइट को वर्ष के आई केयर प्रदाता कंपनी के रूप में प्रतिष्ठित फ्रॉस्ट एंड सुलिवान पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जो इसके मूल्यों की पुष्टि थी।

2012 में, सेंटर फॉर साइट ने ऑपरेशनल उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठित फिक्की हेल्थकेयर उत्कृष्टता पुरस्कार जीता। यह पुरस्कार भारत में आंखों की देखभाल को सुपर स्पेशलिटी बनाने के हमारे प्रयासों की मान्यता है।

Hospital Services:
1. ReLEx Smile
2. LASIK
3. Cataract Services
4. Retina & Uvea Services
5. Glaucoma Services
6. Cornea Services
7. Keratoconus Clinic
8. Neuro- Ophthalmology
9. Pediatric Ophthalmology
10. Oculoplasty & Facial Aesthetics
11. Ocular Oncology
12. Eye Bank
13. Contact Lens & Low Vision Aids
14. Pharmacy


Address: Centre For Sight Corporate Office.  A-23, 1st Floor, Green Park, Aurobindo Marg, New Delhi.

8. Smt. Lilavati Mohanlal Shah (Billimorawala) Eye Hospital, Dudhia Talao,  Navsari- Gujarat

नौसेसरी के रोटरी क्लब ने श्रीमती की स्थापना की। लिलावती मोहनलाल शाह (बिलिमोरवाला) आई अस्पताल, (आरईआई) 1 9 77 में, एक गैर-लाभकारी आंख अस्पताल - आंखों से संबंधित समस्याओं से ग्रस्त लोगों को विश्व स्तरीय आंखों की देखभाल प्रदान करने के लिए जिन्हें आसानी से ठीक किया जा सकता है।

Hospital Services:

1. Cataract
2. Retina & Vitreous
3. Glaucoma
4. Cornea
5. Oculoplasty
6. Lasik Surgery

Address: Smt. Lilavati Mohanlal Shah (Billimorawala) Eye Hospital, Dudhia Talao,  Navsari 396445 Gujarat

Phone no:  02637 - 251458

Fax no:  02637 - 242328

9. Dr Agarwal's Eye Hospital

 डॉ। अग्रवाल की आई अस्पताल लिमिटेड को डॉ जे। अग्रवाल और उनके परिवार के सदस्यों ने पदोन्नत किया है।
उपर्युक्त कंपनी को 1 99 4 में शामिल किया गया था, हालांकि पूरे परिवार परिवार के सदस्यों के स्वामित्व वाली विभिन्न निजी सीमित कंपनी और साझेदारी फर्मों के माध्यम से इससे लगभग पांच दशकों तक कुल आंखों के देखभाल समाधान प्रदान करने के पेशे में हैं।

अस्पताल हमेशा दुनिया में ओप्थाल्मिक देखभाल के क्षेत्र में हर चिकित्सा प्रगति के अग्रभाग में रहा है और इसके क्रेडिट के लिए कई पहले हैं। अस्पताल निरंतर प्रशिक्षण और अनुसंधान और विकास कार्यक्रम आयोजित करने में लगा हुआ है और इसकी अवधि में वृद्धि के लिए अत्यधिक कुशल ओप्थाल्मिक विशेषज्ञों और सर्जनों की एक उत्कृष्ट टीम विकसित की गई है।
    

Address : 19, Cathedral Road, Chennai - 600 086


10. Eye Health Clinic - Noida

आई हेल्थ क्लिनिक, एक ऐसी सुविधा जो अनुभवी पेशेवर आंख सर्जनों द्वारा कुशल पर्यावरण के भीतर व्यापक आई केयर प्रदान करती है, कुशल कर्मचारियों, आधुनिक उपकरणों और नवीनतम अत्याधुनिक आंख मूल्यांकन और प्रबंधन सुविधाओं द्वारा सहायता, कुल आंखों के देखभाल समाधानों पर जोर देने के साथ एक छत के नीचे सभी जरूरतों के लिए।
इसके अलावा डायबेटिक ईवाई फाउंडेशन (आई हेल्थ क्लिनिक की एक पहल) होने के साथ, केंद्र एक छत के नीचे मधुमेह से जुड़े व्यापक आंखों की देखभाल प्रदान करने में सक्षम है। उपलब्ध सुविधाओं को नीचे उल्लिखित किया गया है।


Address: Main Centre: LIFE CARE HOSPITAL (Basement) E-1, Sector 61, (Near Sai Mandir) Noida 201 307

Appointment Hotline: 9811993061, 9958501984, 9211725282

दोस्तो आज जाना कि कैसे हम ( Apni eye ki care kare or usey acha rakhe or eyes hospital,eye drop k bare bi jana ) दोस्तो आप इन सब advices को आपनी लाइफ मैं जरूर Try करे और ऐसे ही ओर अछे articles के लिए जुड़े रहे ( https://normaladvices.blogspot.com ) से।


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