Migraine symptoms and treatment in hindi


Migraine




दोस्तो हमे कभी बी अगर सिर मैं दर्द होता है तो लगता है पूरी लाइफ थम सी गई है । और कुछ बी अच्छ नही लगता पर आप जानते है कि Migraine की सिर की बीमारी है जिस मैं बहोत सिर मैं दर्द होता है और ये कुछ वक्त तक नही बल्कि हर समय तो चलो जानते है क्या है इस के लक्षण, उपचार, योग,ओर बी बहोत।

माइग्रेन होने पर सिर में असहनीय दर्द होता है।  इसमें नर्व में सेरोटोनिन का स्तर कम हो जाता है।हार्मोनल बदलाव भी इस समस्‍या का प्रमुख कारण है।उपचार न होने पर इसका दर्द 72 घंटे तक रहता है।
माइग्रेन के दौरान सिर में तेज दर्द उठता है। जो कई बार बेहद तकलीफदेह हो सकता है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनसे दूर रहकर माइग्रेन से बचा जा सकता है।
माइग्रेन एक प्रकार का दीर्घकालिक सिरदर्द है जिससे कई घंटों या दिनों तक तेज दर्द रह सकता है। रोगी अंधेरे और शांत जगह पर आराम करना चाहता है।

चलाओ दोस्तो आज जानते है क्या है Migraine ओर कैसे बचें और सब कुछ तो चलो दोस्तो।

Kuch points mai aap ko ye article batuga jis se ye article aap ko ache se smaj aa jay ga

1, माइग्रेन क्‍या है और इसके लक्षण

2, माइग्रेन का अर्थ और निवारण

3, ये होते हैं माईग्रेन के 10 लक्षण

4, सिरदर्द कब हो सकता है माइग्रेन, जानें इन लक्षणों से

5, एक विशेष तरह का सिरदर्द है माइग्रेन, बरतें ये सावधानियां

6, कैसे धीरे-धीरे हो जाते हैं आप माइग्रेन का शिकार और क्या पड़ता है प्रभाव

7, माइग्रेन का दर्द

8, लगातार हो रहे सिर दर्द को न समझे मामूली, हो सकती हैं यह गंभीर बीमारी

9, सामान्य लगने वाली ये 8 आदतें हो सकती हैं माइग्रेन

10, कई बार तो ऐसा लगता है जैसे बेवजह सिरदर्द के शिकार हो गए है।

11, माइग्रेन में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए

12, माइग्रेन के दर्द को बढ़ाने वाले आहार

13, इसलिए 50 की उम्र के बाद तेजी से बढ़ता है माइग्रेन का खतरा


14, माइग्रेन राहत पाने के लिए आप क्या कर सकते हैं

15, माइग्रेन से बचाने के 10 प्रभावशाली उपाय

16, Migraine: दवा बिना इन नुस्खों से करें दर्द का अंत

17, इन आयुर्वेदिक नुस्‍खों से घर बैठे करें माइग्रेन का इलाज

18, मिनटों में छूमंतर होगा माइग्रेन का जिद्दी दर्द

19, माइग्रेन का इलाज, अधकपारी

20, तनाव और चिड़चिड़ापन हैं माइग्रेन के लक्षण

21, खतरनाक है माइग्रेन का ऐसा दर्द, छीन सकता है आंखों के देखने की क्षमता

22, होम्योपैथी में है माइग्रेन का कारगर इलाज

23, माईग्रेन का उपचार – माइग्रेन की दवा

24, योग से माइग्रेन (सिर के अर्ध भाग में दर्द) का उपचार

25, माइग्रेन से राहत दिलाने वाले योग के 12 आसन


माइग्रेन क्‍या है और इसके लक्षण



  दोस्तो ऊपर जैसे हम ने जाना

माइग्रेन होने पर सिर में असहनीय दर्द होता है।  इसमें नर्व में सेरोटोनिन का स्तर कम हो जाता है।हार्मोनल बदलाव भी इस समस्‍या का प्रमुख कारण है।उपचार न होने पर इसका दर्द 72 घंटे तक रहता है।

माइग्रेन के दौरान सिर में तेज दर्द उठता है। जो कई बार बेहद तकलीफदेह हो सकता है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनसे दूर रहकर माइग्रेन से बचा जा सकता है।

माइग्रेन एक प्रकार का दीर्घकालिक सिरदर्द है जिससे कई घंटों या दिनों तक तेज दर्द रह सकता है। रोगी अंधेरे और शांत जगह पर आराम करना चाहता है। कुछ लोगों में माइग्रेन से पहले या उसके साथ अन्य लक्षण भी होते हैं, जिन्हें ऑरा कहा जाता है। सामान्य ऑरा हैं-चमक कौंधना, काले धब्बे दिखना या बांह अथवा पैर में झुनझुनी लगना। यद्यपि माइग्रेन का इलाज उपलब्ध नहीं है, कुछ दवाएं इसकी तीव्रता और आवृत्ति घटाता है।

कारण

माइग्रेन का सही कारण पता नहीं चला है, लेकिन जेनेटिक और पर्यावरणीय कारक की इसमें भूमिका हो सकती है। माइग्रेन ट्राईगेमिनल नर्व में न्यूरोकेमिकल के बदलाव और मस्तिष्क के रसायनों में असंतुलन, खासकर सेरोटोनिन के कारण आरंभ होता है।

माइग्रेन के समय सेरोटोनिन का स्तर संभवतः कम हो जाता है, जो ट्राइजेमिनल सिस्टम को न्यूरोपेप्टाइड का स्राव करने के लिए प्रेरित करता है। न्यूरोपेप्टाइड मस्तिष्क के बाह्य आवरण(मेनिंन्जेज) तक पहुंचकर सिरदर्द उत्पन्न करता है।

कुछ सामान्य कारण 

प्राकृतिक या हार्मोनल बदलाव, जो खासकर महिलाओं के मामले में होता है, जहां एस्ट्रोजेन हार्मोन का स्तर कम होने पर सिरदर्द होता है। महिलाओं को पीरियड के समय या उससे पहले सिरदर्द हो सकता है। कुछ दवाएं, जैसे-गर्भनिरोधक गोलियां या हार्मोन रिप्लेशमेंट थेरेपी से या तो सिरदर्द बढता है या घट जाता है।कुछ खाद्य या पेय पदार्थ, जैसे- बीयर, रेड वाइन, पुराने पनीर, चॉकलेट, अस्पार्टेम, कैफीन का अधिक उपयोग, मोनोसोडियम ग्लूटामेट आदि से माइग्रेन का सिरदर्द शुरू हो सकता है।    तनाव और बेचैनीसंवेदनात्मक उत्तेजना, जैसे-तेज प्रकाश, धूप से आँख चुंधियाना, तेज आवाज, परफ्यूम, बदबू (जैसे-पेंट थिनर और धुआं)।सोने-जगने के पैटर्न में अवरोध जैसे-सो नहीं पाना, अत्यधिक सोना आदि।

शारीरिक कारक जैसे-शारीरिक थकावट या अत्य़धिक परिश्रम।मौसम में बदलाव(अत्यधिक गर्मी या ठंडक)कुछ दवाएं माइग्रेन के दर्द को शुरू कर सकते हैं।

लक्षण

माइग्रेन की शुरूआत बचपन, किशोरावस्था या वयस्क होने पर कभी भी हो सकता है। माइग्रेन से पीड़ित लोगों में इनमें से कुछ या सभी लक्षण हो सकते हैं-

साधारण या तीव्र दर्द, जो सिर के एक या दोनों ओर हो सकता हैफड़कने जैसा दर्दशारीरिक श्रम करने से दर्द बढ जानादर्द दैनिक क्रियाओं में अवरोध पैदा कर सकता हैजी मिचलाना. जिससे उल्टी भी हो सकती हैआवाज और प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता

अगर माइग्रेन का उपचार नहीं किया जाए तो इसका दर्द 4 से 72 घंटों तक रह सकता है। माइग्रेन का सिरदर्द अलग-अलग लोगों को अलग-अलग सीमा तक हो सकता है; कुछ लोगों को महीने में कई बार सिरदर्द हो सकता है, जबकि अन्य लोगों को इससे कम होता है।

अधिकतर लोगों में माइग्रेन के साथ ऑरा नहीं होते, इन्हें सामान्य माइग्रेन कहा जाता है, जबकि कुछ लोगों में इसके साथ ऑरा की शिकायत रहती है, ऐसे माइग्रेन को क्लासिक माइग्रेन कहा जाता है। सामान्य ऑरा में आपकी दृष्टि में बदलाव, जैसे-प्रकाश की कौंध दिखना और बांह एवं पैरों में पिन चुभने जैसी अनुभूति आदि शामिल हैं।

माइग्रेन का अर्थ और निवारण

केवल उन लोगों को, जिन्होंने कभी भी माइग्रेन ( भयानक सरदर्द ) का दौरा किया है, वे अत्यधिक दर्द से संबंधित हो सकते हैं। अन्य सभी के लिए यह एक रहस्यमय सिरदर्द है जो अंत में कभी-कभी दिनों के लिए शिकार से बाहर निकलता है। तथ्य यह है कि माइग्रेन का सटीक कारण अभी तक निर्धारित नहीं किया गया है, यह कहा जाता है कि माइग्रेन के हमलों से निपटने के लिए सर्वश्रेष्ठ शर्त के रूप में ‘रोकथाम इलाज से बेहतर है’।

माइग्र्रेन का अर्थ हिंदी में

माइग्रेन को एक गंभीर दर्दनाक सिरदर्द के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो अक्सर अंधा धब्बे, मतली, उल्टी, प्रकाश की चमक, और हथियारों और पैरों में भी झुनझुनी होती है। दर्द जो इन गंभीर सिरदर्द के परिणाम के रूप में आता है कई दिनों तक चल सकता है।

माइग्रेन को एक तरफ या पूरे मस्तिष्क में एक स्पंदन या धड़कते हुए दर्द के लक्षण हैं। यह कुछ घंटों के लिए हो सकता है या दिन के लिए एक साथ जारी रख सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि लगभग 20% लोग आइसलाइन के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। यह उनके आनुवंशिक या आनुवंशिक श्रृंगार के कारण होता है जिसे एक अति सक्रिय मस्तिष्क की विशेषता होती है जो उन्हें जोखिम में डालती है।

माइग्रेन का कारण

माइग्रेन के कारण भिन्न हो सकते हैं – यह रक्त वाहिकाओं के बढ़ने या तंत्रिका तंतुओं (रक्त वाहिकाओं के चारों ओर लपेटा जाता है) के कारण हो सकता है, रसायन जारी करना या दो के संयोजन भी। इसके परिणामस्वरूप, रक्त वाहिकाओं के सूजन और आगे बढ़ना संभव हो सकता है

क्या वजह बनता है माइग्रेन का

माइग्रेन से पीड़ित बहुत से लोग समझने में सक्षम होते हैं और सिरदर्द होने के कारण ट्रिगर की पहचान करते हैं। आम तौर पर, अधिकांश लोग निम्नलिखित पर विचार करते हैं :

शराबतेज प्रकाशअत्याधिक शोरविशिष्ट इत्र या सुगंधतनाव (शारीरिक या भावनात्मक)अनियमित नींदनियमित धूम्रपान या दूसरा हाथ धूम्रपानलंघन भोजन / उपवासएलर्जी या एलर्जी प्रतिक्रियाएंगर्भनिरोधक गोलियाँमासिक चक्र चक्र उतार चढ़ावरजोनिवृत्ति की शुरुआतचॉकलेट, मूंगफली का मक्खन, एवोकैडो, नट, केले, प्याज और डेयरी उत्पादोंकिण्वित या मसालेदार भोजन आइटम

माइग्रेन को कैसे रोकें

जीवन शैली के कुछ पहलुओं को बदलने से माइग्रेन  को कम करने में मदद मिल सकती है। आमतौर पर, एक को निम्नलिखित करना चाहिए:

कम से कम 7 घंटे नींद लेंकिसी के जीवन में भावनात्मक और शारीरिक तनाव कम करेंरोजाना कम से कम 8 गिलास पानी पी लेंनियमित रूप से व्यायाम करें

ये होते हैं माईग्रेन के 10 लक्षण



अमेरिका के लोगों में माईग्रेन की समस्‍या आम है, वहां की 30 प्रतिशत आबादी इस बीमारी का शिकार है, लेकिन भारत में इससे कहीं ज्‍यादा संख्‍या में माईग्रेन के पीडि़त पाएं जाते है। इनमें से कई लोग तो ऐसे हैं जिन्‍हे ये भी नहीं मालूम होता है कि उन्‍हे माईग्रेन हुआ है।

माइग्रेन पड़ने के 7 चौंका देने वाले कारण

महिलाओं में माईग्रेन की समस्‍या, पुरूषों की अपेक्षा ज्‍यादा होती है। माईग्रेन क्‍या है, यह एक प्रकार का सिर में होने वाला दर्द है जो रूक-रूक कर होता है। इसमें व्‍यक्ति को बहुत तकलीफ होती है। माईग्रेन के लक्षण निम्‍न प्रकार होते हैं:


1, ऑरा

किसी भी वस्‍तु या व्‍यक्ति के आसपास उसी आकार में रोशनी का दिखना, माईग्रेन का सबसे पहला लक्षण होता है। ऐसा दर्द के दौरान 5 मिनट से 1 घंटे तक रहता है।


2, भावनाओं में परिवर्तन

माईग्रेन के दौरान आपकी भावनाएं बहुत तेजी से बदलती हैं। आप कभी ज्‍यादा उग्र और कभी ज्‍यादा शांत हो जाते है।


3, नींद की कमी

माईग्रेन का दर्द होने पर नींद सही से नहीं आती है। आपको थकान लगती है पर आप सो नहीं पाते है।

4, साइनस के लक्षण

आप देखेंगे कि जो लोग माइग्रेन से ग्रस्‍त हैं, उनमें साइनस के लक्षण भी नजर आएंगे। आप पाएंगे कि उनकी आंखों से पानी निकलेगा या नाक जाम होगी। इसके साथ ही उन्‍हें भयंकर सिरदर्द भी होगा।

5, चॉकलेट खाने का मन

माईग्रेन का दर्द जब होता है तो व्‍यक्ति को चॉकलेट खाने का मन बहुत जोर होता है। उसे लगता है कि चॉकलेट खाकर उसके सिर का दर्द ठीक हो जाएगी।

6, एक ओर दर्द

माईग्रेन में एक ओर दर्द होता है, इस प्रकार के दर्द में आपको चलने पर और ज्‍यादा तकलीफ होती है।

7, आंखों में दर्द

माईग्रेन में दर्द होने के दौरान आपकी आंखों में भी भयानक दर्द होता है। आप जब भी पलकें ऊपर या नीचे करें, तो भयानक जलन होती है।

8, गर्दन में दर्द

सिर में दर्द इतना ज्‍यादा बढ़ जाता है कि आपकी गर्दन भी दुखने लगती है। ऐसे में जल्‍द ही डॉक्‍टर से सम्‍पर्क करना चाहिए।

9, बार-बार पेशाब आना

अगर आपको सिर में दर्द होता है और बार-बार पेशाब आती है तो समझ लें कि आप माईग्रेन से पीडि़त हैं।

10, जम्‍हाई लेना

दिन भर बेवजह जम्‍हाई आना भी माईग्रेन का लक्षण है।

सिरदर्द कब हो सकता है माइग्रेन, जानें इन लक्षणों से



रोज का सिरदर्द जब हद से गुजरने लगे, तो इसे नजरअंदाज न करें, क्योंकि यह माइग्रेन भी हो सकता है। बेहतर होगा कि माइग्रेन के लक्षणों को समझें और सतर्क रहें।

माइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति को रह-रहकर सिरदर्द के बहुत तेज अटैक पड़ते हैं। लोग समझते हैं कि माइग्रेन सिर्फ सिर के आधे हिस्से में होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। 

माइग्रेन आधे, पूरे या सिर के किसी भी भाग में हो सकता है। लगभग चार में से एक महिलाएं और 12 में से एक पुरुष माइग्रेन की समस्या से जूझते हैं। अमेरिका में इस समस्या से लगभग 30 प्रतिशत लोग ग्रस्त हैं, जबकि भारत में इससे कहीं ज्यादा लोग माइग्रेन की समस्या से परेशान हैं।

माइग्रेन एक प्रकार का दीर्घकालिक सिरदर्द है, जिसमें कई घंटों या कई दिनों तक तेज दर्द रह सकता है। इस दौरान सिरदर्द, जी मिचलाने, उल्टी, कानों का बजना, सुनने में तकलीफ जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

ऐसे में घातक हो सकता है माइग्रेन

आमतौर पर दो तरह के माइग्रेन अटैक होते हैं। ऑरा रहित माइग्रेन अटैक (कॉमन माइग्रेन) और दूसरा ऑरा माइग्रेन अटैक (क्लासिक माइग्रेन)। कॉमन माइग्रेन में आमतौर पर सिर के एक हिस्से में हल्का या बहुत तेज दर्द शुरू होकर पूरे सिर में दर्द फैल जाता है। 

दर्द चार से 72 घंटे तक रह सकता है। क्लासिक माइग्रेन में दर्द कॉमन माइग्रेन की तरह ही होता है। फर्क बस इतना होता है कि इसमें पीड़ित व्यक्ति को वॉर्निंग साइन (ऑरा के रूप में) सिरदर्द होने से पहले ही नजर आने लगते हैं। 

ऑरा यानी चमक कौंधना, काले धब्बे दिखना, चीजें घूमती या हिलती हुई नजर आना, हाथ-पैरों में झुनझुनाहट, फूड क्रेविंग, बोलने के समय कठिनाई महसूस करना जैसा प्रतीत होगा। ऐसी स्थिति में सिरदर्द शुरू होने से पहले ही दवाई के जरिए इसे रोका जा सकता है।


क्या है मुख्य वजह

माइग्रेन की मुख्य वजह क्या है, इसका पता अब तक नहीं चल सका है। आमतौर पर माना जाता है कि मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में मौजूद ब्लड वेसल के सिकुड़ने के कारण पहले ऑरा और बाद में माइग्रेन की स्थिति उत्पन्न होती है। लेकिन जीवनशैली भी इसके लिए जिम्मेदार होती है। 

महिलाओं में एस्ट्रोजेन हार्मोन का स्तर कम होने, पीरियड के समय या उससे पहले भी सिरदर्द हो सकता है। इसके अलावा कैफीन का अधिक उपयोग, अल्कोहल का सेवन, तनाव, बेचैनी, पर्याप्त नींद न लेना, अधिक यात्रा करना, मसालेदार भोजन करना, शारीरिक थकावट, संवेदनात्मक उत्तेजना, जैसे- तेज प्रकाश, फोटोफोबिया यानी प्रकाश से परेशान, तेज आवाज से समस्या, धूप से आंख चौंधियाना आदि माइग्रेन के कारण हैं।

हल्का-फुल्का दर्द हो तो डिस्प्रिन लें, लेकिन उपरोक्त लक्षण के साथ भयंकर सिरदर्द हो, तो डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें।

रहें अलर्ट

माइग्रेन होने पर योग और ध्यान करें। इससे तनाव कम होगा। लेकिन, जहां भी योग करें वह जगह प्रकाश से चकाचौंध वाली, तेज धूप, तेज गंध वाली नहीं होनी चाहिए। माइग्रेन रोगियों को अच्छी नींद लेनी चाहिए। 

इसके अलावा मसालेदार भोजन, जंक और डिब्बाबंद फूड, अल्कोहल, धूम्रपान का सेवन न करें। ताजे फल, प्रोटीनयुक्त डाइट

जैसे दूध, दही, पनीर, दाल, मांस और मछली आदि का सेवन करें। 

एक विशेष तरह का सिरदर्द है माइग्रेन, बरतें ये सावधानियां



एक विशेष प्रकार का सरदर्द होता है माइग्रेन।रक्त वाहिनियों मे गड़बडी होती है मुख्य कारण।जल्दी नहीं पता चलते है माइग्रेन के लक्षण।माइग्रेन की समस्या में आहार में रखें सावधानी।

अगर आपको किसी विशेष प्रकार का सरदर्द है तो इसके बहुत से कारण हो सकते हैं। फिज़िशियन से सम्पर्क करने पर ही आपको पता चल सकता है कि आपको माइग्रेन है या नहीं, ऐसी स्थिति में आपको माइग्रेन को समझना चाहिए कि माइग्रेन दूसरे तरीके के सरदर्द से अलग कैसे है। शरीर की वो प्रक्रीयाएं जो नार्मल सरदर्द में होती हैं वो माइग्रेन में नहीं होती हैं। माइग्रेन को लेकर आपको बहुत ज़्यादा परेशान होने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि आज डाक्टरों ने मिलकर ऐसी दवाएं निकाली हैं जिससे कि माइग्रेन के दर्द को कम करने की जगह माइग्रेन के कारण को खत्म किया जा सके। फिज़िशियन के दिये निर्देशों के अनुसार आपको दवाएं लेनी चाहिए।


माइग्रेन के कारण

माइग्रेन के कारण हर एक व्यक्ति में अलग अलग हो सकते हैं इसलिए आप खुद को जानें। क्या आपका माइग्रेन शापिंग के बाद शुरू होता है या मानसिक तनाव से या घर की सफाई करने से। अगर आपको माइग्रेन के कारणों का पता चल गया है तो डॉक्टर के परामर्श के अनुसार कुछ दवाएं लें और ऐसी स्थितियों से दूर रहें जिनसे आपको माइग्रेन हो जाता है। 

माइग्रेन को वास्कुलर हैड ऐक के नाम से भी जाना जाता है। पुराने समय के अनुसार माइग्रेन दिमाग या चेहरे की रक्त वाहिनिया में हुई गड़बड़ी से होता है। बहुत से हैड ऐक एक्सपर्टस का मानना है कि माइग्रेन एक अनुवांशिक बीमारी है जिसके कारण खान पान, वातावरण में बदलाव, स्ट़ैस लेवल में बदलाव या बहुत अधिक सोना हो सकता है। माइग्रेन के बहुत से प्रकार जाने जाते हैं लेकिन उनमें से 2 स्थितियां बहुत आम हैं।

क्लासिकल और नान क्लासिकल माइग्रेन

क्लासिकल माइग्रेन बहुत से चेतावनी भरे लक्षणों को दर्शाता है। शायद आपको सरदर्द से पहले धुंधला दिखे। अगर आपको क्लासिकल माइग्रेन है तो इस अवस्था में आपकी रक्त वाहिनियां सिकुड़ने लगेंगी। इस अवस्था में रक्त वाहिनियां बड़ी हो जाती हैं इसलिए क्लासिकल माइग्रेन के लिए दवाएं लेना ज़रूरी होता है।नान क्लासिकल माइग्रेन में समय समय पर बहुत तेज़ सरदर्द होता है, लेकिन इसमें किसी और तरह के लक्षण नज़र नहीं दिखते। ऐसी स्थिति में सरदर्द की शुरूवात के साथ ही दवा ले लेनी चाहिए।माइग्रेन से बचने के लिए कुछ रूल्स अपनायें।इन रूल्स को अपनाकर आप माइग्रेन के प्रभाव को कम कर सकते हैं।


बरतें
ये सावधानियां

ज़रूरत से ज़्यादा या कम ना सोयें। अच्छा होगा आप जल्दी सोने और जल्दी उठने की आदत बना लें। बहुत ज़्यादा थकान होने से भी माइग्रेन बढ़ सकता है। वीकेंड पर भी नार्मल नींद लें।खाना समय पर खायें और बहुत ज़्यादा या बहुत कम ना खायें। ऐसी चीजो़ को ना खायें जिनसे माइग्रेन हो सकता है। 
चाकलेट, सिरका, क्रीम युक्त पदार्थ से दूर रहें जैसे ताजा़ ब्रेड, चिकन, मीट और वो खादय पदार्थ जिनमें नाइट्रेट हो।आप रोज़ वाइन, ब्रैंडी, स्कौच, रम, जैसे पदार्थ ले सकते है। लेकिन सबसे बेहतर तरीका है आप खुद को जानें कि आपको खाने पीने में क्या नुकसान कर रहा है।जब आपका माइग्रेन ठीक होने लगे तो इन चीजों को फिरसे अपनी डायट में शामिल कर लें। हर दिन का डायट प्लान बनायें और तनाव से दूर रहें। काम के बीच में ब्रेक ज़रूर लें। माइग्रेन की स्थतियों को पहचानें।

अगर आप हैल्थ रूल्स को अपनायें और डॉक्टर के सम्पर्क में रहें तो माइग्रेन को आसानी से ठीक किया जा सकता है। दवाएं समय पर लें और ध्यान रखें दिये गये डोज़ से ज़्यादा दवाएं ना लें।

कैसे धीरे-धीरे हो जाते हैं आप माइग्रेन का शिकार और क्या पड़ता है प्रभाव



माइग्रेन को आम भाषा में अधकपाली भी कहते हैं।माइग्रेन के दौरान सिर में केमिकल का स्राव होता है।पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को अधिक परेशान करता है माइग्रेन।

सिरदर्द का एक ऐसा रूप जो बार-बार या लगातार होता है, उसे माइग्रेन कहते हैं। माइग्रेन को आम बोलचाल की भाषा में अधकपारी भी कहते हैं। माइग्रेन एक तेज सिरदर्द है, जो आमतौर पर संवेदी चेतावनी संकेतों के साथ आता है। लोगों को तेज रोशनी, ब्‍लाइंड स्‍पॉट, हाथ-पैर में झुनझुनी, मतली, उलटी और रोशनी तथा आवाज से संवेदनशीलता का बढ़ना जैसे संकेत नजर आते हैं। माइग्रेन की कष्‍टदायी पीड़ा कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक रह सकती है।

जीवनशैली हो सकती है वजह

माइग्रेन के मरीज दुनियाभर में बढ़ते जा रहे हैं। हमार देश भी अछूता नहीं है। इसका सबसे बड़ा कारण भागदौड़ की जिंदगी को माना जाता है। यह जिंदगी तनाव से भरपूर है, और लोग इसे बदलने का अधिक प्रयास भी नहीं करते। धीरे-धीरे यही सब माइग्रेन के रुप में बदलने लगती हैं। सामान्य स्थिति से तनाव भरे माहौल में पहुंचने पर सिरदर्द बढ़ जाता है और ब्लडप्रेशर हाई होने लगता है। लगातार ऐसी स्थितियां अगर आपके सामने पेश आएं, तो समझिए आप माइग्रेन के शिकार हो रहे हैं।

माइग्रेन क्‍या होता है

माइग्रेन सिरदर्द के पीछे रक्‍तवाहिनियों का बड़ा होना और नर्व फाइबर्स की ओर से केमिकल का स्राव करने के संयुक्‍त कारण उत्‍तरदायी होते हैा।  सिरदर्द के दौरान, खोपड़ी के बिलकुल नीचे स्थित धमनी बड़ी हो जाती है। इसकी वजह से एक केमिकल का स्राव होने लगता है, जो जलन, दर्द और रक्‍तवाहिनी को और चौड़ा करने का काम करता है।

माइग्रेन का लक्षण

माइग्रेन सिरदर्द के दौरान मतली, डायरिया और उल्‍टी जैसी शिकायतें हो सकती हैं। इसके चलते भोजन छोटी आंत में देर से पहुंचता है। यानी इससे पाचन क्रिया पर विपरीत असर होने लगता है। साथ ही माइग्रेन के दौरान रक्‍त प्रवाह भी धीमा हो जाता है, जिससे हाथ-पैर ठंडे पड़ने लगते हैं। और रोशनी तथा आवाज़ के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है। एक अनुमान के अनुसार भारत में करीब 12 फीसदी लोगों को माइग्रेन सिरदर्द की शिकायत है। महिलाओं को माइग्रेन होने का खतरा पुरुषों की अपेक्षा अधिक होता है।

25 से 55 साल के लोग हैं ज्यादा प्रभावित

अमेरिका के नेशनल हैडएक फाउंडेशन के मुताबिक, वहां करीब चार करोड़ लोगों को माइग्रेन की समस्‍या है। यह सिरदर्द 25 से 55 वर्ष की आयु के लोगों को अधिक परेशान करता है। ऐसे लोग जिनके परिवार में माइग्रेन का इतिहास है, उन्‍हें यह बीमारी होने का खतरा तीन चौथाई अधिक होता है। फाउंडेशन की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि आधे से कुछ अधिक माइग्रेन पीडि़तों का सही निदान उनके चिकित्‍सकों द्वारा किया गया। हालांकि, कुछ मामलों में माइग्रन को चिंता से होने वाले सिरदर्द और साइनस सिरदर्द का रूप समझकर इलाज किया गया।

माइग्रेन का दर्द



माइग्रेन आज की तनावभरी जीवनशैली का परिणाम है।माइग्रेन सामान्य लेकिन विशिष्ट प्रकार का सर दर्द है।माइग्रेनग्रस्त लोगों को नियमित सिरदर्द के दौरे पड़ते हैं।इसके लक्षण सर दर्द, उल्टियां और दृष्टि का धुंधला होना है।
आज की तनावभरी जीवनशैली में माइग्रेन एक बड़ी समस्या बनकर सामने आ रहा है। माइग्रेन बहुत ही सामान्य लेकिन विशिष्ट प्रकार का सर दर्द है। माइग्रेन से ग्रस्त ज्यादातर लोगों को कई वर्षों तक सिरदर्द के नियमित दौरे पड़ते रहते हैं। यह दर्द सामान्य‍ से तीव्र तक हो सकता है।  

माइग्रेन के लक्षण हैं:

तेज़ सर दर्द, उल्टियां आना और आंखों का धुंधला पड़ जाना। 
माइग्रेन के कारकों में शामिल हैं:

•    कैफीन का अत्यधिक उपभोग या नियमित उपभोग में कटौती। 

•    तनाव, अनिद्रा या नींद पूरी ना होना।  

•    हार्मोन स्तर में परिवर्तन। 

•    यात्रा या मौसम में परिवर्तन। 

•    दर्द-निवारक दवाओं का ज्यादा प्रयोग।

माइग्रेन के अन्य कारण हो सकते हैं: तनाव, अपच, उच्चे रक्तचाप, खानपान की गलत आदतें, अनिद्रा या अधि‍क श्रम। यह अनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है।  

माइग्रेन से बचाव के घरेलू नुस्खे:

•    दर्द होने पर सर की हल्की मालिश करें।


•    एक तौलिये को गर्म पानी में डुबोकर, उससे दर्द वाले हिस्से पर सें‍क दें। इसके अलावा ठंडा सेंक देने के लिए आप बर्फ के टुकड़ों का भी प्रयोग कर सकते हैं।

•    संतुलित आहार व संतुलित दिनचर्या का पालन करें। 

•    दिन में कम से कम 12 से 14 गिलास पानी ज़रूर पीयें।

•    आप ध्यान, योगासन, एक्यूपंक्चर या अरोमा थेरेपी जैसी वैकल्पिक चिकित्‍सा पद्धति का भी सहारा ले सकते हैं। 

हालांकि अब तक माइग्रेन के वैज्ञानिक कारणों का पता नहीं चल पाया है और सभी माइग्रेन सिरदर्द की रोकथाम भी नहीं की जा सकती। लेकिन सिरदर्द के दौरे से पूर्व कारकों की पहचान कर माइग्रेन दौरों की तीव्रता को कम किया जा सकता है। माइग्रेन से ग्रस्त व्यक्ति को कभी भी माइग्रेन का दर्द हो सकता है इसलिए अच्छा होगा आप दर्द से बचने के लिए अपनी स्थितियों को समझें और संतुलित दिनचर्या का पालन करें।

लगातार हो रहे सिर दर्द को न समझे मामूली, हो सकती हैं यह गंभीर बीमारी



बढ़ती गर्मी में अक्सर लोगों को सिर दर्द की परेशानी होने लगती है। अगर आपको लगातार सिरदर्द हो रहा है तो एक बार डॉक्टरी जांच जरूर करवाएं। यह माइग्रेन भी हो सकता है। माइग्रेन का दर्द साइलेंट किलर की तरह अचानक से अटैक करता है, जिससे सिर के आधे हिस्से में असहनीय दर्द होने लगता है। वहीं, गर्मियों में यह दर्द और भी बढ़ जाता है। पुरुषों से ज्यादा महिलाओं माइग्रेन से पीड़ित है। एेसे में इसके लक्षण को पहचानकर जल्द इलाज करवाना बहुत जरूरी है।

माइग्रेन के लक्षण

- नींद की कमी

- धुंधला दिखाई देना

- बार-बार यूरिन आना

- चॉकलेट खाने का मन

- शरीर का एक हिस्सा सुन्न महसूस होना

- भूख कम लगना
माइग्रेन के कारण

- हाई ब्लड प्रैशर

- तनाव 

- भरपूर मात्रा में पानी न पीना

- मौसम में बदलाव 

- गर्मी में घूमना

- एलर्जी
माइग्रेन में क्या न खाएं

डिब्बाबंद पदार्थों, रेड वाइन और जंक फूड का सेवन न करें

माइग्रेन में क्या खाएं

दूध, दही, पनीर, दालें, मांस और मछली को डाइट में शामिल करें 

माइग्रेन के घरेलू उपाय

- दिन में दो बार गाय के घी की कुछ बूंदे नाक में डालें।

- गुनगुने तेल से सिर की मालिश करें। इससे दर्द से राहत मिलेगी। 

- नींबू के छिलकों का पेस्ट तैयार कर लें। बाद में इसे माथे पर लगाएं।

- दर्द होने पर तुरंत बर्फ या ठंडे पानी की पट्टी सिर पर रखें। इससे दर्द से आराम मिलेगा। 

- तनाव मुक्त रहें। 



सामान्य लगने वाली ये 8 आदतें हो सकती हैं माइग्रेन



माइग्रेन के इन 8 कारणों को जानकर आपको हैरानी होगी।भरपेट भोजन न करना भी हो सकता है माइग्रेन का कारण।आधे सिर में महसूस होता है माइग्रेन का तेज दर्द।

माइग्रेन के कारण सिर के आधे हिस्से में तेज दर्द होता है। समय से इलाज न करने और लगातार नजरअंदाज करने से ये बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती रहती है। पुरुषों के मुकाबले महिलाएं माइग्रेन से ज्‍यादा ग्रस्‍त रहती हैं। आमतौर पर इसका दर्द सिर के एक या एक से अधिक हिस्सों के साथ गर्दन के पिछले भाग और (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के झिल्लीदार कवरिंग) में होता है। लेकिन कई बार यह दोनों तरफ भी हो जाता है। कई बार माइग्रेन जैसे तेज दर्द का कारण इतना सामान्य होता है कि आपको जानकर हैरानी होती है। चिकित्सकों के अनुसार युवाओं में तेजी से बढ़ रही माइग्रेन की समस्या का कारण ये सामान्य आदतें हैं।

1, तनाव

माइग्रेन का सबसे बड़ा कारण तनाव को बताया गया है। जो व्‍यक्ति या महिलाएं ज्‍यादा तनाव लेते हैं, उनमें माइग्रेन की समस्‍या ज्‍यादा पाई जाती है। तनाव, अवसाद या क्रोध की स्थिति में भी अत्यंत संवेदनशील स्वभाव वाले व्यक्ति माइग्रेन के शिकार हो सकते हैं। थोड़ी-थोड़ी देर में मूड बदलना भी माइग्रेन रोगी का लक्षण होता है। जानकारों के मुताबिक कई रोगियों में देखा जाता है कि वह अचानक तनाव में आ जाते हैं, और थोड़ी देर बाद ही बिना किसी कारण के नॉर्मल हो जाते हैं। इसके अलावा माइग्रेन रोगी में चिड़चिड़ेपन की भी समस्‍या पाई जाती है और ऐसे व्‍यक्ति उत्‍तेजित भी हो जाते हैं।

2, सही समय पर खाना न खाना

यदि आपने अपनी आवश्यकता के अनुसार भरपेट भोजन नहीं किया है और आप काफी देर तक भूखी रह गई हैं तो भी माइग्रेन का दौरा पड़ सकता है। इसके अलावा माइग्रेन के लिए अल्‍कोहल का सेवन, मौसम में बदलाव, आहार में परिवर्तन और कम नींद लेना भी जिम्‍मेदार है।

3, कम पानी पीना

क्या आपको पता है कि पर्याप्त पानी न पीने से भी माइग्रेन की समस्या हो सकती है। पानी हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है तत्व है मगर कई बार जब आप पर्याप्त पानी नहीं पीते हैं, तो इससे कई तरह के रोगों का खतरा रहता है। आमतौर पर अगर आपको सिर के एक हिस्से में दर्द, आंखों के आगे आड़ी-तिरछी धारियां बनना, मितली आना और सिर पर हथौड़े पड़ने जैसी पीड़ा बेहद दर्द से हलकान कर रही हो तो हो सकता है कि यह साधारण सिरदर्द नहीं बल्कि माइग्रेन हो।

4, गर्भनिरोधक दवाएं

गर्भनिरोधक गोलियां खाने का सिरदर्द पर अस्थायी असर होता है। गर्भनिरोधक गोलियां खाना शुरू करने से महिलाओं में सिरदर्द की शिकायत हो सकती है, पहले से मौजूद सिरदर्द का दर्द और बढ़ सकता है या इसकी आवृत्ति या इसके होने के लक्षण बदल सकते हैं। सिरदर्द से पीडित खासतौर पर उन महिलाओं में इस्कीमिक दौरों का खतरा अधिक हो सकता है, जो गर्भनिरोधक गोलियां खाती हैं, बहुत धूम्रपान करती हैं या जिन्हें सिरदर्द के दौरान चमकीली रोशनी दिखाई देती है।

5, विटामिन्स की कमी

कुछ विटामिन की कमी से भी बच्चों, किशोरों व वयस्कों में माइग्रेन रोग हो सकता है। इसलिए अगर आपमें माइग्रेन के लक्षण दिखे, तो विटामिन की जांच करा लें। माइग्रेन से पीड़ित अधिकांश किशोरों व वयस्कों में विटामिन डी, राइबोफ्लेबिन तथा कोइंजाम क्यू10 की कमी पाई गई।

6, टाइट कपड़े

बहुत चुस्त कपड़े व टाइट बेल्ट लगातार एब्डॉमेन पर दबाव डालते हैं, जिससे अकसर सिर दर्द होता है। अधिक देर तक पेट को भीतर दबा कर रखने से कभी-कभी लगता है कि सिर फट जाएगा। इससे बचने के लिए आरामदायक कपड़े पहनें और खाना खाते समय पेट को टाइट न रखें।

7, चाय-कॉफी का ज्यादा सेवन

अकसर कैफीन की अधिकता भी सिर दर्द का कारण बनती है। कुछ खाने वाली चीजों जैसे पुडिंग और केक में इतनी कैफीन होती है कि उन्हें खाने से सिर में दर्द हो जाता है। कुछ पेय पदार्थो जैसे कोला, कॉफी, लिकर और चाय के सेवन से भी ऐसा ही होता है। इनमें से कुछ खाना हो तो अधिक मात्रा में न खाएं। इस पर भी ध्यान रखें कि जिनमें मोनो सोडियम ग्ल्यूटामेट हो, जैसे प्रोसेस्ड मीट और फिश, खमीर से बेक्ड खाना, रेड वाइन, सिट्रस फ्रूट और आर्टिफिशियल स्वीटनर वाली चीजें, अपने भोजन से एकदम कम कर दें।

8, डिओ या परफ्यूम

कहीं आपका सिर उस समय तो दर्द नहीं करने लगता, जब आप सेंट छिड़क रहे हों। या जब आप भीड़ भरे खुशबूदार माहौल में हों। यह भी हो सकता है कि आप ज्यादा सेंसिटिव हों। तेज महक से या यूं कहना चाहिए कि खुशबू से आपको एलर्जी हो। बहुत आसान है कि जिन तेज फ्रेगरेंस से आपको परेशानी होती है, उनसे दूर रहें। उस समय वहां से दूर रहें, जहां डिओडरेंट या परफ्यूम स्प्रे हो रहा हो। याद रखें कि एक बार सिर दर्द हो गया तो दर्द की दवा के बिना आपको चैन नहीं मिलेगा।

कई बार तो ऐसा लगता है जैसे बेवजह सिरदर्द के शिकार हो गए है।



 माइग्रेन, एक ऐसी बीमारी जिसके मरीज दुनियाभर में लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हमारे देश में भी इसकी तादाद बढ़ती जा रही है। सबसे बड़ा कारण है भागदौड़ की जिंदगी। जो तनाव से तो भरपूर है पर उससे मुक्त होने के लिए हम कोई उपाय नहीं करते। बस यही सारी वजहें धीरे-धीरे माइग्रेन के रुप में बदलने लगती हैं। माना जाता है

जैसे ही आप सामान्य स्थिति से एकदम तनाव भरे माहौल में पहुंचते हैं तो सबसे पहले आपका सिर दर्द बढ़ता है। ब्लडप्रेशर हाई होने लगता है और लगातार ऐसी स्थितियां आपके सामने बनने लगे तो समझिए आप माइग्रेन के शिकार हो रहे हैं। 

सिरदर्द से हर किसी का वास्ता है। ये एक ऐसा रोग है जिसके कई कारण हो सकते हैं। कई बार तो ऐसा लगता है जैसे बेवजह सिरदर्द के शिकार हो गए हों। सिरदर्द का एक गंभीर रूप जो बार-बार या लगातार होता है, उसे माइग्रेन कहते हैं। माइग्रेन को आम बोलचाल की भाषा में अधकपारी भी कहते हैं।

माइग्रेन के लक्षण

आम तौर पर इसका शिकार होने पर सिर के आधे हिस्से में दर्द रहता है। जबकि आधा दर्द से मुक्त होता है। जिस हिस्से में दर्द होता है, उसकी भयावह चुभन भरी पीड़ा से आदमी ऐसा त्रस्त होता है कि सिर क्या बाकी शरीर का होना भी भूल जाता है। माइग्रेन मूल रूप से तो न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इसमें रह-रह कर सिर में एक तरफ बहुत ही चुभन भरा दर्द होता है। 
ये कुछ घंटों से लेकर तीन दिन तक बना रहता है। इसमें सिरदर्द के साथ-साथ गैस्टिक, जी मिचलाने, उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसके अलावा फोटोफोबिया यानी रोशनी से परेशानी और फोनोफोबिया यानी शोर से मुश्किल भी आम बात है। माइग्रेन से परेशान एक तिहाई लोगों को इसकी जद में आने का एहसास पहले से ही हो जाता है। पर्याप्त नींद न लेना, भूखे पेट रहना और पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना जैसे कुछ छोटे-छोटे कारणों से भी आपको माइग्रेन की शिकायत हो सकती है।

माइग्रेन के कारण 

माइग्रेन के कारण कई हो सकते हैं। एक तरफ तो कुछ स्थितियां हैं और दूसरी तरफ कुछ रोग भी होते हैं। ज्यादातर लोगों को भावनात्मक वजहों से माइग्रेन की दिक्कत होती है। इसीलिए जिन लोगों को हाई या लो ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और तनाव जैसी समस्याएं होती हैं उनके माइग्रेन से ग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है। कई बार तो केवल इन्हीं कारणों से माइग्रेन हो जाता है। इसके अलावा हैंगओवर, किसी तरह का संक्रमण और शरीर में विषैले तत्वों का जमाव भी इसकी वजह हो सकता है। एलर्जी के कारण भी माइग्रेन हो सकता है और अलग-अलग लोगों में एलर्जी के अलग-अलग कारण हो सकते हैं। कुछ लोगों के लिए खाने-पीने की चीजें भी एलर्जी का कारण बन जाती हैं। कुछ लोगों को दूध और उससे बनी चीजें खाने से एलर्जी होती है तो कुछ के लिए साग-सब्जी एलर्जी का कारण हो सकती है। किसी को धूल से एलर्जी होती है तो किसी को धुएं से। इसलिए अगर आपको पता हो कि आपको किन चीजों से एलर्जी है तो उनसे बच कर रहें।

कैसे बचें माइग्रेन से...

अब आपको बताते हैं कि आखिर आप कैसे बचें माइग्रेन से। वैसे तो ये बीमारी किसी को भी हो सकती है लेकिन कुछ लोगों में इसका खतरा ज्यादा होता है। फिर भी थोड़ी सी सावधानी रखकर आप इस बीमारी को खुद से दूर रख सकते हैं।ऐसा नहीं कि माइग्रेन लाइलाज बीमारी है। अगर आप माइग्रेन से परेशान हैं और आपको कुछ सूझ नहीं रहा है तो ध्यान रखें। थोड़ी सी सावधानी आपको माइग्रेन से मुक्ति दिला सकती है। इसके लिए सबसे जरूरी है खुद के लाइफ स्टाइल को बदलना। खानपान में बदलाव लाना। 

माइग्रेन में क्या न खाएं

अगर आपको माइग्रेन है तो आप डिब्बाबंद पदार्थों और जंक फूड का सेवन एकदम न करें। इससे आपका माइग्रेन और खतरनाक होता जाएगा। चूंकि जंक फूड में मैदे की मात्रा ज्यादा होती है इसलिए इसे कम से कम खाएं। चूंकि इनमें ऐसे रासायनिक तत्व पाए जाते हैं जो माइग्रेन को बढ़ा सकते हैं। 
ऐसे में सवाल ये है कि माइग्रेन में क्या खाएं। माइग्रेन में क्या खाएंअगर आपको माइग्रेन है तो नाश्ते में ताजा और सूखे फलों का खूब सेवन करें। लंच में उन चीजों का इस्तेमाल करें जिनमें प्रोटीन भरपूर हो। मसलन दूध, दही, पनीर, दालें, मांस और मछली आदि। डिनर में चोकरयुक्त रोटी, चावल या आलू जैसी स्टार्च वाली चीजों के साथ सलाद भी लें। ज्यादा मिर्च-मसाले वाली चीजों से परहेज करें। 

माइग्रेन से छुटकारा

माइग्रेन की अचूक दवा है योग और ध्यान। अगर योग नहीं कर सकते हैं तो व्यायाम करें। इससे आपका तनाव कम होगा। और तनाव कम होने से आपका डिप्रेशन दूर होगा। लेकिन ध्यान रहे आप जिस जगह पर योग कर रहे हैं वो प्रकाश से चकाचौंध वाली, तेज धूप, तेज गंध वाली नहीं होना चाहिए। साथ ही साथ माइग्रेन वाले रोगियों को अच्छी नींद लेना चाहिए।इसके अलावा आप जब भी ऐसा कोई दर्द महसूस करें तो अपने मन से कोई भी दर्दनिवारक गोली न लें। बल्कि किसी अच्छे न्यूरोलाजिस्ट को इस बारे में बताएँ और उनके बताए निर्देशों के अनुसार ही चलें।

माइग्रेन में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए



माइग्रेन यानि आधे सिर के दर्द से ज्यादातर स्त्रियाँ अधिक प्रभावित होती हैं | इस बीमारी में सिर के दाहिने या बाएं आधे भाग में बेचैन कर देने वाला दर्द होता है, इसीलिए इसे आधासीसी भी कहते हैं। सूर्य के बढ़ने के साथ-साथ दर्द बढ़ने के कारण इसे सूर्यावर्त भी कहते हैं। दर्द दोपहर में तेजी के साथ और सूर्य ढलने के साथ-साथ कम होता चला जाता है तथा यह दर्द 2 घंटे से लेकर 72 घंटे तक बना रहा सकता है। जैसा की हम हमेशा कहते हैं की किसी भो रोग में दवा के उपचार के साथ-साथ उचित खानपान की की भी बहुत अहम् भूमिका होती है उस रोग से जल्दी छुटकारा दिलाने में इसलिए इस पोस्ट में हम इस विषय पर जानेगे की माइग्रेन के मरीजो को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए |  इससे अगले लेख में हम इस बीमारी में आराम पाने तथा उपचार के लिए घरेलू तथा आयुर्वेदिक उपाय जानेगे | पर सबसे पहले इसके प्रमुख कारण तथा लक्षणों को संक्षेप में जाने लेते हैं |

माइग्रेन होने के प्रमुख कारण :

माइग्रेन सिरदर्द का ही एक प्रकार है, जो आधे सिर में होता है। बहुत सरल भाषा में कहें तो हमारी रक्त वाहिनियों में खून के कभी धीमे तो कभी तेज बहने के कारण यह दर्द होता है। खून के बहाव का धीमा या तेज होना रक्त वाहिनियों के सिकुड़ने के कारण होता है। इसके अतिरिक्त मस्तिष्क की रक्तवाहिनियों में खिंचाव, कसाव व उनका अधिक फूलना, एड्रीनल हार्मोन का स्राव कम होना, रक्त में सेरोटिनिन नामक रसायन के स्तर में असामान्यता, महिलाओं में मासिक धर्म के पूर्व व बाद में होने वाले हार्मोन के परिवर्तन, अत्यंत भावुक, संवेदनशील प्रवृत्ति होना, शारीरिक और मानसिक तनाव, थकावट, तेज धूप में अधिक देर रहना, चिंता करना, नींद कम लेना, मौसम में बदलाव, अपच की शिकायत एवं वंशानुगत आदि कई कारण होते हैं।

माइग्रेन के लक्षण :

माइग्रेन को ‘थ्रॉबिंग पेन इन हेडक’ भी कहा जाता है। इसमें ऐसा लगता है जैसे सिर पर हथौड़े पड़ रहे हैं।माइग्रेनमें सिर के आधे भाग दाहिने या बाएं भाग में सुबह से दर्द होना, चक्कर आना, आंखों के आगे अंधेरा छाना, कनपटी में चुभने वाला दर्द शुरू होकर धीरे-धीरे बढ़ते जाना |शोरगुल, प्रकाश, रोशनी, हिलने-डुलने में दर्द और भी अधिक बढ़ना, जी मिचलाहट, उलटी होने के बाद या नींद आने से दर्द में आराम मिलना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं।

माइग्रेन में क्या खाना चाहिए  

माइग्रेन की बीमारी में दही, चावल और मिश्री मिलाकर सुबह-शाम के भोजन में सेवन करें।सूरज निकलने से पहले गर्म दूध के साथ शुद्ध घी की जलेबी या रबड़ी खाएं।नीबू का रस, चीनी और शहद मिलाकर बनी शिकंजी भोजन के बाद पिएं।माइग्रेनमें भोजन के पहले सुबह-शाम एक कप की मात्रा में अंगूर का रस पिएं।

माइग्रेनहोने पर शरीर में पानी की कमी न होने दें, यदि शरीर में पानी की कमी रहती है तो यह माइग्रेन या सिरदर्द का एक कारण बन सकता है। अगर किसी व्यक्ति को माइग्रेन की समस्या रहती है तो कम-से-कम नौ कप और एक पुरुष को कम-से-कम 13 कप पानी एक दिन में जरूर पीना चाहिए। इसके साथ में हर्बल चाय, बिना मलाई का दूध जैसे पेय भी लें।

हां, शरीर को पानी देने के चक्कर में सोडा और भरपूर चीनी वाले डिंक, मीठे की चाय या कॉफी और रेडी मेड जूस आदि से दूर रहें, क्योंकि इनमें बहुत ज्यादा कैलोरी और शुगर होती है, जो कहीं न कहीं माइग्रेन को बढ़ावा देने का काम करती है। इसके अलावा फलों से भी पानी की कमी को दूर किया जा सकता है।कई फलों में पानी की कमी पूरी करने के अलावा वह चमत्कारी तत्व मैग्नीशियम भी पाया जाता है, जिसके माइग्रेन में लाभ का जिक्र आपको आगे पढ़ने को मिलेगा। सेब, अंगूर, कीवी, आडू जैसे फल इसके उदाहरण हैं। नारियल पानी भी अच्छा विकल्प है।अच्छा वाला फैट माइग्रेन या सिर के दर्द की संख्या, अवधि और दर्द की तेजी को कम करती है। यह फैट सूजन और दर्द की विरोधी होती है।

अच्छा फैट यानी ओमेगा-3 फैटी एसिड्स और मोनोअनसेचुरेटिड फैट।मांसाहारी के लिए : यदि आप मांसाहारी हैं तो अच्छा फैट को ताजा सामन मछली से लें । मैक्केरेल और ट्राउट मछली में भी यह भरपूर होता है। मछली के मामले में विशेषज्ञ माइग्रेन की स्थिति में हफ्ते में कम से कम दो बार मछली खाने की सलाह देते हैं।

शाकाहारी के लिए : आप शाकाहारी हैं तो जैतून के तेल, नट्स (बादाम, अखरोट, मूंगफली आदि), अलसी और इसके तेल, कद्दू के बीज, सरसों, सफेद सरसों के तेल से फैट हासिल करें।एक पदार्थ होता है

राइबोफ्लेविन। इसे विटामिन बी-2 भी कहा जाता है। कई अध्ययनों में यह पता चला है कि जो लोग माइग्रेन से पीड़ित होते हैं, उनके शरीर में कुछ ऐसी जेनेटिक गड़बड़ होती है, जिससे उनके शरीर की कोशिकाएं रिजर्व ऊर्जा को बरकरार नहीं रख पाती हैं। इस मूल ऊर्जा की कमी ही माइग्रेन का कारण बनती है।

राइबोफ्लेविन हमें इन पदार्थों से मिलता है – अनाज : जैसे ओट्स यानी जौ और अन्य अनाजों का दलिया या होल ग्रेन ब्रेड। सब्जियां : मशरूम, ब्रोकोली, पालक और मटर में होता है।यदि आप भोजन से विटामिन बी-2 प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं तो “Riboflavin supplement” ले सकते हैं। विशेषज्ञ एक दिन में इसकी 400 मिलीग्राम मात्रा की सिफारिश करते हैं।कई अध्ययनों में पाया गया है कि जिन लोगों में माइग्रेन या सिरदर्द की समस्या होती है, उनमें मैग्नीशियम का स्तर काफी कम पाया गया है। माइग्रेन का संबंध हार्मोन से भी पाया गया है। एस्ट्रोजन हार्मोन के कारण ही माइग्रेन की समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है। इस दौरान महिलाओं में इस हार्मोन की कमी हो जाती है। ऐसी स्थिति से उबरने में मैग्नीशियम बहुत मदद करता है।

मैग्नीशियम निम्नलिखित पदार्थों में अच्छी मात्रा में पाया जाता है- सब्जी : पालक, आलू और कद्दू में। बीज : रामदाना, चौलाई, कद्दू, सूरजमुखी के बीज में | अनाज : ब्राउन राइस, क्विनोआ और साबुत अनाजों में। साबुत अनाज में ओटमील और अनाजों का सामान्य आटा, चोकर आते हैं। साबुत अनाजों में मौजूद फाइबर भी ब्लड शुगर के स्तर को संतुलन में रखकर सिरदर्द से छुटकारा दिलाते है | 

फल : केला, सेब, संतरा, अंगूर, कीवी, आडू में। नट्स : बादाम में।विटामिन बी-6 के धनी पदार्थों के लेने से माइग्रेन और सभी प्रकार के सिरदर्द की समस्या में लाभ मिलता है।
इसके लिए आप इन चीजो के सेवन पर जोर दें – अनाज : चावल और गेहूं का चोकर (ब्राउन राइस और होल व्हीट ब्रेड में भी) में। 

मसाले : तुलसी, हल्दी, मार्जारम यानी कुठरा, अजवायन, तेजपत्ता, सूखा टैरोगॉन यानी नागदौना, कच्चे लहसुन में। 

नट्स : पिस्ता, मूंगफली और पहाड़ी बादाम (हेजलनट) में। मांस : जंतु के लिवर में, तूना-सामन-कॉड मछलियों के मांस में |

 बीज : सूरजमुखी और तिल के बीज में। तरल पदार्थ : गन्ने के शीरे और ज्वार के सिरप में। सब्जीछिलका समेत आलू, पालक, शिमला मिर्च, हरी मटर, ब्रोकोली, एस्परगस, शलगम, रतालु में। फल : केले में।

माइग्रेन में क्या नहीं खाना चाहिए : परहेज  



भारी, गरिष्ठ, मिर्च-मसालेदार चीजें न खाएं।तेल या घी में तली, अधिक तीखी, नमकीन, खटाई युक्त चीजें भी न खाएं।

कैफीन (कॉफी, चाय में) : जहां तक सिरदर्द का मामला है तो कैफीन की प्रकृति थोड़ी विरोधाभासी है। यह सिरदर्द को बढ़ा सकती है, मगर इसकी नियंत्रित मात्रा लेने से फायदा भी होते देखा गया है। पर अधिक कड़क चाय, कॉफी का अधिक सेवन बिलकुल न करें |अचार, चटनी : इसमें मौजूद पदार्थ माइग्रेन को बढ़ावा देते हैं।सूखे फल : सूखे फलों में सल्फाइट होता है, जो सिरदर्द के मामले में नुकसान करता है।

खट्टे फल : खट्टे फलों में टाइरामाइन और हिस्टेमाइन जैसे तत्व होते हैं, जिनका मेल माइग्रेन में नुकसान कर सकता है।पिज्जा के क्रस्ट में मौजूद यीस्ट माइग्रेनमें परेशान कर सकता है। यीस्ट में मौजूद कॉमेरिन नाम का तत्व सिर के लिए समस्या पैदा करता है।

कुरकुरे नमकीन बिस्कुट : इनमें यीस्ट की मौजूदगी गड़बड़ी करती है।प्रोसेस मीट, सुअर का मांस और हॉट
डॉग्स : इनमें टाइरामाइन और प्रिजर्वेटिव होते हैं, जो सिर की परेशानी बढ़ाते हैं।बर्गर, कुकीज, भटूरे गोल गप्पे आदि से भी परहेज रखें |

खट्टी क्रीम : इसमें चोलाइन नाम का तत्व होता है, जो माइग्रेनकी परेशानी बढ़ा सकता है।फुल क्रीम दूध, पनीर : फुल क्रीम दूध में मौजूद चोलाइन और केसिन जैसे तत्व माइग्रेनमें सिरदर्द को बढ़ा सकते हैं।इसी तरह पनीर भी सिरदर्द की स्थिति में ठीक नहीं है।

शराब, सिगरेट या अन्य सभी प्रकार की नशीली चीजो का सेवन भी माइग्रेन के मरीज को नहीं करना चाहिए |चॉकलेट : फिलाइलइथाइलेमाइन, टैनिन और कैफीन जैसे पदार्थ चॉकलेट को सिरदर्द की समस्या में हानिकारक बनाते हैं।

प्रोसेस फूड में मौजूद एमएसजी : ज्यादातर प्रोसेस फूड ( जैसे नमकीन, स्नैक्स, चिप्स, सॉस, सूप और कई डिब्बाबंद भोज्य पदार्थों में) में एमएसजी का इस्तेमाल होता है। एमएसजी का मतलब है मोनोसोडियम ग्लूटैमेट। एमएसजी में मौजूद ग्लूटैमेट माइग्रेन को बढ़ावा देने का काम करता है।

कौन-कौन से भोज्य पदार्थ माइग्रेन का दर्द पैदा करने में दोषी पाए गए हैं?

*भोज्य पदार्थों और माइग्रेन के बीच का यह संबंध बहुत कुछ व्यक्तिगत होता है। सबसे गहरा संबंध उन डिब्बाबंद उत्पादों के साथ देखा गया है जिनमें फूड प्रीजर्वेटिव के रूप में टार्टराजीन, नाइट्रेट या नाइट्राइट डले होते हैं। पूरे पके हुए केले, सिरके में बनी चीजें, सिट्रस फल, बेकरी का खमीर, चाइनीज फूड, रेड मीट, चॉकलेट, चीज, शैरी और रेड वाइन भी तकलीफ पहुंचाने वाले भोज्य पदार्थों की फेहरिस्त में सबसे ऊपर हैं।

**चाइनीज फूड खाने से कुछ लोगों को सिर में दर्द क्यों हो जाता है?

*चाइनीज फूड में अक्सर मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) सॉस मिली होती है। कई रोगियों में यही एमएसजी माइग्रेन के लिए उत्प्रेरक साबित होता है। शरीर में इस के पहुंचने पर मस्तिष्क की धमनियों में अचानक फैलाव पैदा हो जाता है। नतीजतन उनके साथ चल रही तंत्रिकाओं पर दबाव आ जाता है और सिर में माइग्रेन का तूफानी दर्द उठ खड़ा होता है।


**माइग्रेन से बचने के लिए क्या-क्या उपाय लाभकारी साबित हो सकते हैं?

* इस बात पर ध्यान दें कि माइग्रेन किन स्थितियों में पैदा होता है। उपवास, टिमटिमाती रोशनी, शोर, टेंशन, थकान, तेज धूप में देर तक रहने और कुछ भोजन जैसे चाईनीज फूड, सिरके में बनी चीजें, अधिक पका हुआ केला और संतरा माइग्रेन को बढ़ाने वाले हो सकते हैं। कोई कारण पकड़ में आए, तो उससे परहेज बरतें।


**क्या माइग्रेन में व्रत-उपवास करना स्वास्थ्यवर्धक है?

*नहीं, अगर मिर्गी, माइग्रेन, गाउट या डायबिटीज हो, तो व्रत-उपवास से बचना चाहिए। उपवास से शरीर में आए जैव रासायनिक परिवर्तनों से मिर्गी और माइग्रेन का दौरा उत्प्रेरित हो सकता है, यूरिक एसिड बढ़ने से गाउट बिगड़ सकता है और डायबिटीज में ब्लड शुगर का संतुलन खराब हो सकता है।


**माइग्रेन बार-बार परेशान करे तो क्या उपाय करने चाहिए?

* किसी न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह लेकर नियम से माइग्रेन-रोधी दवा लें। बहुत संभव है, दवा से माइग्रेन के दौरे थम जाएं। 6-8 महीनों तक नियमित दवा लेने पर इस बात की 60-65 प्रतिशत संभावना होती है कि माइग्रेन के दौरे होने बिल्कुल बंद हो जाएं। जिन 35-40 प्रतिशत रोगियों का रोग पूरी तरह नहीं मिटता, उनमें भी दर्द की तीव्रता, अटैक की कुल अवधि और बार-बार दर्द उठने की प्रवृति पहले के मुकाबले घट जाती है।


** माइग्रेन होने पर घर पर क्या उपचार किया जा सकता है?

*जैसे ही दर्द शुरू हो वैसे ही, पेरासिटामोल, निमूलिड या ब्रुफेन जैसी कोई दर्द-निवारक दवा ले लें। शांत भाव से बिस्तर पर लेट जाएं, सिर पर पट्टी बांध लें, कमरे में अंधेरा कर लें और आराम करें। महीने में चार बार से अधिक दर्द उठे तो डॉक्टरी सलाह से माइग्रेन-निरोधक दवा शुरू कर दें। आप चाहे तो ये (माइ-ग्रेन के घरेलू इलाज के उपाय) भी आजमा सकते हैं यह अधिक फायदेमंद हैं क्योंकि इनके कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होते है |


माइग्रेन के दर्द को बढ़ाने वाले आहार



माइग्रेन के कारण असहनीय सिरदर्द हो सकता है।बीन्‍स, पनीर, अचार और मिर्ची बढ़ाते हैं इस दर्द को।जैतून का तेल, सूखा मेवा, एवोकैडो आदि न खायें।केला, खट्टे फल, कॉफी और शराब का सेवन न करें।

माइग्रेन एक आम बीमारी हो गई है। इसका शिकार लोग एक हफ्ते में या एक या दो बार जरूर होते हैं। कुछ लोगों को तो यह बीमारी सौगात में मिलती है। माइग्रेन का दर्द बड़ा ही तेज होता है जिसमें सिर के एक ही ओर तेज दर्द होने लगता है। यह दर्द कई अन्‍य बीमारियों की भी न्‍यौता देता है, जैसे - चक्‍कर, उल्‍टी और थकान। 

सिर के अंदर की रक्त नलिकाओं के सिकुड़न से मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में रक्त संचार कम हो जाता है। इसके कारण दृष्टि दोष या सूनापन का आभास होने लगता है। उसके बाद सिर के बाहर वाली रक्त नलिकाएं फैलने लगती हैं जिससे तीव्र सिरदर्द महसूस होता है। सीरोटोनिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर का स्राव माइग्रेन के होने में मुख्य भूमिका निभाता है। मस्तिष्क में मैग्नीशियम की कमी हार्मोंन और मौसम परिवर्तन भी माइग्रेन को प्रभावित करते हैं। कुछ ऐसे खाद्य-पदार्थ हैं जो माइग्रेन के दर्द को बढ़ाते हैं।

1, बीन्स

बीन्‍स खाने से माइग्रेन का दर्द बढ़ जाता है। इसके अलावा इटेलियन बीन्‍स, मटर की फली, टोफू, सोया सॉस आदि माइग्रेन के दर्द को बढ़ा सकते हैं। इसलिए माइग्रेन होने पर इनका सेवन करने से बचना चाहिए।

2, पनीर

माइग्रेन के दर्द को बढ़ाने में पनीर की भी महत्‍वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए माइग्रेन होने पर पनीर खाने से बचना चाहिए। चीज केक, पनीर स्‍लाइस, आदि का सेवन न करें

3, अचार और मिर्ची

किसी भी प्रकार का अचार माइग्रेन के दर्द को बढ़ा सकता है। मिर्ची तो सिरदर्द को बढ़ाता है। कई बार अनुसंधानकर्ता भी मिर्ची का प्रयोग माइग्रेन के मरीजों में रिसर्च के लिए करते हैं।

4, जैतून का तेल

माइग्रेन के मरीजों को जैतून के तेल का सेवन नहीं करना चाहिए। ऑलिव ऑयल से माइग्रेन का दर्द बढ़ता है।

5, सूखा मेवा

सूखे मेवे में सल्‍फाइट्स नामक तत्‍व पाया जाता है, जो माइग्रेन के दर्द को बढ़ाता है। इसलिए अखरोट, मूंगफली, बादाम, काजू, किशमिश आदि खाने से बचना चाहिए।

6, एवोकेडो और आलूबुखारा

लाल आलूबुखारा और एवोकेडो भी माइग्रेन के दर्द को बढ़ाते हैं, इसलिए इनके सेवन से परहेज करना चाहिए।

8, केला और खट्टे फल

बनाना यानी केला और संतरा जैसे खट्टे फल माइग्रेन के दर्द को बढ़ाते हैं, इसलिए माइग्रेन के मरीजों को इनका सेवन भी नहीं करना चाहिए।

9, पिज्‍जा

पिज्‍जा जैसे फास्‍ट फूड भी माइग्रेन में हानिकारक हैं, इसलिए माइग्रेन की समस्‍या होने पर इसे न खायें।

10, शराब से बचें

शराब का सेवन करने से दिमाग में रक्‍त का संचार ठीक से नहीं होता है, जिसके कारण मरीज का दर्द बढ़ जाता है। इसलिए शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।

इनके अलावा चाकलेट, कॉफी, अंजीर, नींबू, प्याज, चायनीज फूड, हॉट डॉग, सूखी नमकन मछली आदि खाने से भी माइग्रेन का दर्द बढ़ता है।


इसलिए 50 की उम्र के बाद तेजी से बढ़ता है माइग्रेन का खतरा



बढ़ती उम्र के साथ नए शौक रखें। 50 के बाद पुरूषों की मनोवैज्ञानिक समस्याएं।

जिस तरह बच्चा बचपन में शैतानियां करता है उसी तरह बुढ़ापे में भी व्यक्ति कई ऐसे काम करता हैं जो उन्हें नहीं करने चाहिए। कहते हैं कि बचपन में बुढ़ापे में व्यक्ति की मनोदशा लगभग एक जैसी ही होती है। बढ़ती में व्यक्ति को कई तरह की मानसिक या मनोवैज्ञानिक समस्याएं घेर लेती हैं। उम्र के दूसरे पड़ाव में होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं एक बहस का विषय हो सकती है। इस उम्र में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और उसकी प्रकृति के अनुसार उससे लड़ने के लिए डॉक्टर बहुत सारी सलाह देते हैं। लेकिन कई बार डॉक्टर की सलाह भी काम नहीं आती है। यानि कि कहने का मतलब ये है कि बढ़ती उम्र के पड़ाव में व्यक्ति को खुद में भी कई बदलाव करने की जरूरत होती है। नहीं तो व्यक्ति बुरी तरह से मनोवैज्ञानिक बीमारियों की चपेट में आ जाता है। 

क्यों होता है ऐसा।

जब व्यक्ति 50 और 60 साल के बीच में होता है तो उसे अपने दैनिक जीवन और दिनचर्या में काफी बदलाव करना पड़ता है। अचानक होने वाले इन बदलावों को व्यक्ति जल्दी से स्वीकार नहीं कर पाता है। जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण इसे इस बदलाव के अनुकूल उसे ढालने में मदद करता  है।जिन लोगों की पहचान उनकी नौकरी या व्यवसाय से जुड़ी रहती है वैसे लोगों को सेवानिवृति के बाद मानसिक तौर पर अस्वस्थ्य होने की संभावना अधिक रहती है। जिन लोगों में बढती उम्र का एहसास कुछ ज्यादा होता है और वह देखने में भी बुढ़े लगने लगते है उनमें स्वंय को लाचार और असहाय समझने जैसी हीन भावना आ जाती है। जो इस रोग का कारण बनते हैं।

इससे होने वाले नुकसान

मानसिक रोग होने के कई नुकसान हो सकते हैं। उम्र बढने के साथ अचानक मरने का विचार मन में आने लगना। अपने जीवन में होने वाले बदलावों के प्रति असंतुष्ठि का भाव और कुछ अधुरे सपने और दमित इच्छाओं को पानेे की अपेक्षाएं। 

अपने परिवार में पत्नी, बच्चे या किसी अन्य इष्ट की मौत हो जाने या किसी सहकर्मी की मौत से भी व्यक्ति व्यथित हो जाता है। व्यक्ति को लगता है कि वह दूसरों पर बोझ बन रहा है और अब उसकी किसी को जरूरत नहीं है। परिवार में बच्चों द्वारा अपने माता पिता को घर में अकेला छोड़ कर खुद अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहने की बढ़ती प्रवृति के कारण भी बूढे लोगों में एक तरह से असुरक्षा का भाव पनपने लगता है। वह भावनात्मक रूप से काफी संवेदनशील हो जाता है। जिसके चलते व्यक्ति हार्ट अटैक, डिप्रेशन और बीपी हाई व लो जैसे रोगों से घिरने लगता है।

माइग्रेन राहत पाने के लिए आप क्या कर सकते हैं



जॉइस वैसे तो ऑफिस का हर काम बहुत फुर्ती से करती है, लेकिन अभी उसके हाथ में जो फाइल है उसे पढ़ने के लिए उसे अपनी आँखों पर बहुत ज़ोर देना पड़ रहा है। अचानक ही उसे पन्‍ने के कुछ हिस्से धुँधले से दिखने लगते हैं। फिर तेज़ रौशनी के छोटे-छोटे घेरे उसकी आँखों के सामने बनने लगते हैं, जो कि बढ़ते-बढ़ते टेढ़ी-मेढ़ी लकीरों और अजीबो-गरीब आकार में बदल जाते हैं। कुछ ही मिनटों के अंदर जॉइस को कुछ भी दिखायी नहीं देता। उसे समझ में आ जाता है कि उसे क्या हो रहा है इसलिए वह तुरंत एक छोटी गोली निगल लेती है, जो खासकर ऐसे हालात में राहत देने के लिए है।

जॉइस को माइग्रेन (आधासीसी का दर्द) है। माइग्रेन आमतौर पर कभी-कभार होनेवाले सिरदर्द से कई तरीकों से अलग होता है। उदाहरण के लिए, इसका दर्द बार-बार उठता है और हर बार एक ही तरह के हालात में होता है। साथ ही, कई बार दर्द इतना भयंकर होता है कि पीड़ित व्यक्‍ति अपने रोज़मर्रा के काम नहीं कर पाता है।

माइग्रेन के लक्षण क्या हैं? अकसर सिर में तेज़ दर्द होता है और शायद यह दर्द सिर के सिर्फ एक ओर हो। इसके अलावा हो सकता है कि पीड़ित व्यक्‍ति का जी मिचलाए और वह तेज़ रौशनी को बरदाश्‍त न कर पाए। माइग्रेन का दर्द कई घंटों से लेकर कई दिनों तक बना रह सकता है।

हालाँकि ज़्यादातर लोगों को कभी-कभार तनाव के कारण सिरदर्द होता है, लेकिन 10 में से सिर्फ एक व्यक्‍ति को माइग्रेन की बीमारी होती है। पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों को यह बीमारी ज़्यादा होती है। कुछ लोगों को दूसरों के मुकाबले दर्द ज़्यादा होता है। इसके शिकार ज़्यादातर लोग कई दिन काम पर नहीं जा पाते इसलिए उनकी आमदनी कम हो जाती है। इस बीमारी से उनकी पारिवारिक और सामाजिक ज़िंदगी पर भी बुरा असर होता है। इसलिए विश्‍व स्वास्थ्य संगठन ने माइग्रेन को उन 20 बड़ी बीमारियों में रखा है, जो उम्र भर लोगों का पीछा नहीं छोड़ती।

माइग्रेन का दर्द उठने से पहले, कुछ लोगों के हाथ ठंडे पड़ जाते हैं, थकान महसूस होती है, भूख लगती है या चिड़चिड़े हो जाते हैं। फिर सिरदर्द शुरू होने से तुरंत पहले शायद चक्कर आए, कानों में झनझनाहट या शरीर में सुइयाँ चुभने जैसा एहसास हो, चीज़ें एक के बजाय दो-दो दिखायी दें, बात करने में दिक्कत या माँस-पेशियों में कमज़ोरी महसूस हो।

माइग्रेन के कारणों का पूरी तरह पता नहीं लग पाया है। पर इसे स्नायु-तंत्र की गड़बड़ी समझा जाता है, जो सिर में मौजूद खून की नलियों पर असर करता है। खून की नलियाँ जब संकुचित हो जाती हैं और उनमें से खून गुज़रता है तो रोगी को भयंकर पीड़ा होती है। एक पत्रिका एमरजेंसी मेडिसिन कहती है: “माइग्रेन से पीड़ित लोगों को अपने माता-पिता से बहुत ही नाज़ुक स्नायु-तंत्र मिला होता है, जिस पर कई बातों का बुरा असर होता है। जैसे नींद पूरी न होना, तेज़ गंध, सफर करना, समय पर खाना न खाना, तनाव और हारमोन में परिवर्तन।” जिन लोगों को माइग्रेन होता है, उन्हें तनाव, उदासी और पाचन-क्रिया या आमाशय में गड़बड़ी होने की ज़्यादा संभावना होती है।

माइग्रेन से राहत कैसे पाएँ

आपको अपने माता-पिता से जो स्नायु-तंत्र मिला है उसे आप नहीं बदल सकते। लेकिन आप शायद माइग्रेन का तेज़ दर्द उठने से रोक पाएँ। कुछ लोग अपनी दिनचर्या डायरी में लिखते हैं और इस तरह वे यह पहचान पाए हैं कि किस तरह का खाना खाने से या किन हालात में उन्हें माइग्रेन का दर्द उठता है।

हर व्यक्‍ति का मामला दूसरे से अलग होता है। लॉरेन ने पाया कि उसे माइग्रेन का दर्द मासिक धर्म-चक्र के हिसाब से उठता है। वह कहती है, “मासिक धर्म-चक्र के बीचों-बीच कोई भारी-भरकम काम करने, गर्मी या ठंडी से, शोरगुल, यहाँ तक कि मसालेदार खाना खाने से भी मुझे माइग्रेन का दर्द उठता है। इसलिए इस दौरान मैं शांत रहने और हर मामले में संयम बरतने की कोशिश करती हूँ।” जॉइस जो पिछले 60 से भी ज़्यादा सालों से माइग्रेन के दर्द से परेशान है कहती है, “मैंने पाया है कि संतरे, अनन्‍नास और अंगूरी शराब से मुझे फौरन माइग्रेन का दर्द उठ जाता है। इसलिए मैं इन चीज़ों से परहेज़ करती हूँ।”

माइग्रेन का दर्द उठने की क्या-क्या वजह हो सकती हैं, यह पता लगाना आसान नहीं। उदाहरण के लिए, हो सकता है कि एक बार चॉकलेट खाने से आपको कुछ न हो, लेकिन दूसरे मौके पर माइग्रेन का दर्द उठ जाए क्योंकि शायद इस बार आपने कुछ और भी खाया हो या कुछ और हुआ हो जिस वजह से यह दर्द उठा। देखा गया है कि अकसर कई कारणों के मिलने से माइग्रेन का दर्द होता है।

अगर आप यह जान नहीं पाते कि आपको माइग्रेन का दर्द किन वजहों से होता है या आप उन वजहों से दूर नहीं रह पाते, तो ऐसे दूसरे तरीके हैं जिनसे आप इसकी संभावना कम कर सकते हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि आप पूरे हफ्ते नियम से नींद लें। अगर आप शनिवार-रविवार को देर तक सोना चाहते हैं तो विशेषज्ञों का कहना है कि आप उन दोनों दिनों में भी नियत समय पर उठिए। उठने के बाद कुछ मिनट के लिए कोई छोटा-मोटा काम कीजिए और फिर सो जाइए। ज़्यादा मात्रा में चाय, कॉफी या कोल्ड ड्रिंक लेने से भी माइग्रेन का दर्द उठ सकता है। इसलिए दिन में दो कप कॉफी या दो कोल्ड ड्रिंक से ज़्यादा मत पीजिए। भूख से भी माइग्रेन का दर्द उठ सकता है इसलिए खाली पेट मत रहिए। तनाव से अकसर माइग्रेन हो जाता है, जिससे बचना आसान नहीं है। पर आप तनाव कम करने के लिए अपने रोज़मर्रा के कामों में थोड़ी फेरबदल कर सकते हैं, बाइबल पढ़ सकते हैं या धीमा संगीत सुन सकते हैं।

माइग्रेन का इलाज कैसे किया जा सकता है

माइग्रेन से राहत पाने के लिए कई तरीके आज़माए जा सकते हैं।*उदाहरण के लिए, माइग्रेन के दर्द की सबसे अच्छी दवा है नींद। इसके अलावा दवाई की दुकानों में जो दर्द-निवारक गोलियाँ मिलती हैं उनसे भी शायद पीड़ित व्यक्‍ति को इतनी राहत मिल जाए कि वह सो सके।

सन्‌ 1993 में खास तौर से माइग्रेन के इलाज के लिए दवाइयों के एक नए वर्ग की ईजाद हुई, जिन्हें ट्रिपटन्स का नाम दिया गया। द मेडिकल जर्नल ऑफ ऑस्ट्रेलिया पत्रिका ने दवाइयों के इस वर्ग को “इलाज में एक बड़ी तरक्की” कहा। उस पत्रिका में यह भी लिखा गया कि “माइग्रेन और क्लस्टर नाम के सिरदर्द के लिए ट्रिपटन्स . . . की खोज उतनी ही असरदार है जितनी कि जीवाणुओं से होनेवाले संक्रमण पर पेनिसिलिन की!”

माइग्रेन जानलेवा बीमारी नहीं है। इसलिए भले ही माइग्रेन की दवाई संक्रमण की दवाई की तरह लोगों की जान न बचाती हो, फिर भी ट्रिपटन्स ने उन लोगों को राहत पहुँचायी है जो बरसों से माइग्रेन का दर्द बरदाश्‍त कर रहे हैं और जिनके काम पर इसका बुरा असर पड़ रहा था। यह दवाई लेने के बाद भी लोगों को अपने कामों में फेरबदल करने की ज़रूरत है जैसा कि इस लेख में बताया गया है। लेकिन माइग्रेन से पीड़ित कुछ लोगों ने ट्रिपटन्स को चमत्कारिक दवा कहा है।

फिर भी हर दवाई के अपने फायदे और नुकसान होते हैं। ट्रिपटन्स के मामले में कुछ बातें अखरती हैं। कौन-सी बातें? पहली बात, ट्रिपटन्स की एक गोली ही इतनी महँगी होती है कि उतने पैसे में आप किसी अच्छे रेस्तराँ में खाना खा सकते हैं। इसलिए यह उन लोगों को नहीं दी जाती जिन्हें माइग्रेन का हल्का दर्द उठता है। साथ ही, ट्रिपटन्स सभी को राहत नहीं पहुँचाती और ऐसे लोगों को यह दवाई नहीं दी जा सकती जिन्हें कोई दूसरी बीमारी होती है। हालाँकि माइग्रेन के शिकार लोगों को अपने माता-पिता से जो बीमारी मिली है उसका कोई इलाज नहीं है लेकिन एमरजेंसी मेडिसिन पत्रिका कहती है: “माइग्रेन के लिए नयी और पहले से बेहतर दवाइयाँ आ गयी हैं जिस वजह से अब ज़्यादातर लोगों को इसके दर्द से तड़पने की ज़रूरत नहीं है।

माइग्रेन से बचाने के 10 प्रभावशाली उपाय



माइग्रेन रोगी के लिए जंक फूड का सेवन है नुकसानदेह।मछली के तेल की मालिश करने से मिलता है आराम।गहरी नींद लेने से मिलती है माइग्रेन रोगी को राहत।माइग्रेन में सिर पर ठंडे पानी की पट्टी रखना फायदेमंद।

जीवनशैली में बदलाव के कारण लोगों में माइग्रेन की समस्‍या बढ़ रही है। माइग्रेन एक मस्तिष्क विकार है, जिसमें रोगी के सिर में भयानक दर्द होता है। पुरुषों के मुकाबले महिलाएं माइग्रेन से ज्‍यादा ग्रस्‍त होती हैं। यह दर्द कई बार अचानक शुरू हो जाता है और फिर ठीक भी हो जाता है।

माइग्रेन का शिकार व्‍यक्ति उम्र के किसी भी पड़ाव में हो सकता है। इसमें होने वाले तेज दर्द का कोई समय निश्‍चित नहीं होता, सुबह और शाम के समय यह ज्‍यादा महसूस होता है। अमेरिका में होने वाली यह आम समस्‍या है। इसका असर आंखों की रोशनी पर भी पड़ता है।

महिलाओं में यह समस्‍या माहवारी के समय ज्‍यादा होती है। हालांकि इसके अलावा माइग्रेन अल्‍कोहल के सेवन, मौसम में बदलाव, तनाव, आहार में परिवर्तन और कम सोने के कारण भी हो सकता है। इस लेख के जरिए हम आपको बताते हैं माइग्रेन से बचाव के कुछ अचूक उपाय।

1, पानी पिएं

विशेषज्ञों के मुताबिक डिहाइड्रेशन भी माइग्रेन का कारण होता है। इसलिए माइग्रेन की समस्‍या में आपको ज्‍यादा से ज्‍यादा पानी पीना चाहिए। साथ ही ठंडे पानी की पट्टी सिर पर रखने से भी राहत मिलती है। ऐसा करने से धमनियां फैलकर अपनी पूर्व स्थिति में आ जाती हैं।

2, हैडबैंड लगाएं

हैडबैंड लगाने से भी माइग्रेन से होने वाले दर्द में आराम मिलता है। दर्द से राहत के लिए हैडबैंड का प्रयोग  लोग पहले ज्‍यादा करते थे, लेकिन अब इसका चलन कम हो गया है।

3, मछली का तेल

दर्द होने पर मछली के तेल की सिर में मालिश करने से काफी आराम मिलता है। मालिश करने से सिकुड़ी हुई धमनियां फैल जाती हैं। मछली का सेवन भी माइग्रेन की आशंका को कम करता है। इसमें पाया जाने वाला ओमेगा 3 फैटी एसिड दर्द से राहत देता है।

4, भूखे न रहें

भूखे रहने पर भी यह दर्द बढ़ सकता है। इसलिए ज्‍यादा देर तक भूखे न रहें, थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाते रहें। हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन फायदेमंद रहता है। गाजर और खीरा भी लाभदायक है। मैग्निशियम से भरपूर आहार माइग्रेन में फायदेमंद होता है।

5, तेज रोशनी से रहे दूर

ध्‍यान रखें कि आपके काम करने वाली जगह पर तेज रोशनी, तेज धूप या तेज गंध न हो। इन सभी चीजों से भी माइग्रेन के रोगी को परेशानी होती है। सोते समय अंधेरे कमरे में सोने की कोशिश करें। साथ ही कोशिश करें कि घर से बाहर निकलने पर छाता लें और सूरज की सीधी रोशनी से बचें।

6, जंक फूड है नुकसानदेह

माइग्रेन से ग्रस्‍त रोगी को जंक फूड और डिब्‍बा बंद आहार से परहेज करना चाहिए। पनीर, चॉकलेट, चीज, नूडल्स और केले में ऐसे रासायनिक तत्व पाए जाते हैं जो माइग्रेन को बढ़ा सकते हैं।

7, पिपरमेंट ऑयल

माइग्रेन की परेशानी होने पर सिर के दर्द वाले हिस्‍से में पिपरमेंट ऑयल की मालिश करने से राहत मिलती है। साहित्‍य में भी पिपरमेंट के तेल से होने वाले फायदों का जिक्र किया गया है।

8, अदरक का सेवन

आयुर्वेद के अनुसार अदरक सिर दर्द में राहत पहुंचाता है। यदि आपको अदरक खाने में परेशानी होती है, तो आप अदरक के कैप्‍सूल का भी सेवन कर सकते हैं। अदरक या इसके कैप्‍सूल के सेवन से मितली की समस्‍या से छुटकारा मिलता है।

9, ज्‍यादा नींद लें

माइग्रेन में आराम करना चाहिए और ज्‍यादा नींद लेने की कोशिश करें। नींद लेने से माइग्रेन रोगियों को राहत मिलती है। गहरी नींद लेने के लिए आप शोर युक्‍त वातावरण से दूर रहने के साथ ही अंधेरे कमरे में सोने की कोशिश करें।

10, व्‍यायाम करें

अधिकतर रोगों में व्‍यायाम फायदेमंद होता है। माइग्रेन की समस्‍या का एक कारण तनाव भी होता है। नियमित रूप से व्यायाम, योग और मेडिटेशन करने से दिमाग तनाव मुक्‍त रहता है और आप माइग्रेन का शिकार होने से भी बचे रहते हैं।
समय पर माइग्रेन का उपचार न करना परेशानी का कारण बन सकता है। ऐसी परेशानी होने पर आपको खानपान का ध्‍यान रखने के साथ ही दिनचर्या में भी सुधार करना होता है।


Migraine: दवा बिना इन नुस्खों से करें दर्द का अंत



हाल ही एक शोध में यह सामने आया है कि मोटे लोग क्रॉनिक माइग्रेन के शिकार पाए गए। अगर आपके साथ ये समस्या है, तो बिना दवा ऐसे पाएं माइग्रेन से राहत...

दुबले-पतले शरीर वालों की तुलना में भारी शरीर वाले लोगों में माइग्रेन की शिकायत 81 प्रतिशत तक ज्यादा रहती है। इससे पहले चिकित्सा विज्ञानियों ने मोटे लोगों को क्रॉनिक-माइग्रेन का शिकार पाया था, लेकिन हाल ही हुए शोध में यह सामने आया है कि कभी-कभार होने वाले अटैक की संख्या भी मोटे लोगों में दुबले-पतलों से ज्यादा रहती है। इसका एक कारण बढ़ते वजन के बारे में लगातार सोचना भी है।

पानी से कंट्रोल होता है माइग्रेन 

पानी पीने से सिरदर्द-माइग्रेन दूर होता है। एक नए शोध में यह बात सामने आई है। सिरदर्द और माइग्रेन से परेशान रहने वाले रोगियों को पानी पीते रहने से काफी राहत मिलती है। साथ ही पानी पीते रहने से सिरदर्द और माइग्रेन की तेजी को कम भी किया जा सकता है। गौरतलब है कि नीदरलैंड की मास्टरिचट 

विश्‍वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पाया कि प्रतिदिन करीब सात गिलास पानी पीने से सिर दर्द और माइग्रेन में राहत मिलती है। 

माइग्रेन में न लें दवा 

माइग्रेन में दर्द 2 से 72 घंटे तक हो सकता है। ये बेहद तकलीफदेह होता है। इसके लिए ये वैकल्पिक उपचार कारगर हैं। 

* सिर दर्द होने पर बिस्तर पर लेट कर दर्द वाले हिस्से को बेड के नीचे लटकाएं। सिर के जिस हिस्से में दर्द हो, उस तरफ वाली नाक में सरसों के तेल की कुछ बूंदें डालें, फिर जोर से सांस ऊपर की ओर खीचें। इससे सिर दर्द में राहत मिलेगी। 

* दालचीनी पीसकर पानी मिलाकर पेस्ट बनाएं। माइग्रेन के दर्द से बचने के लिए इसे माथे पर लगाएं। काफी आराम मिलेगा। 

इन चीजों का नहीं सुना होगा नाम, इनका रस पीने से पास नहीं फटकेगी चिंता

* गाजर और खीरा खूब खाएं। इनमें मैग्रिशियम होता है, जिससे सिरदर्द में आराम मिलता है। अंगूर के रस का सेवन माइग्रेन के इलाज में सहायक होता है। इसके अलावा गाजर, चुकंदर, पालक, खीरे के रस का सेवन प्रभावी होता है। विटामिन बी से भरपूर चीजों का सेवन करें। विटामिन माइग्रेन रोगियों के लिए आवश्यक माना गया है। गाजर का रस और पालक का रस पीएं। इससे माइग्रेन में बहुत आराम मिलता है। 

* मछली खाने से भी माइग्रेन कम होता है। इसमें पाया जाने वाला ओमेगा 3 फैटी एसिड दर्द से राहत देता है। मछली के तेल से सिर की मालिश करने से भी आराम मिलता है। इसके अलावा कपूर को घी में मिला कर सिर पर हल्के हाथों से मालिश करें। इससे दर्द में आराम मिलेगा।

  

* नाक से भाप देकर माइग्रेन रोग को ठीक किया जा सकता है। इसके लिए एक बर्तन में पानी गर्म करके भाप लेनी होती है। ऐसा करने से कुछ दिनों में रोग ठीक हो जाता है। 

इन आयुर्वेदिक नुस्‍खों से घर बैठे करें माइग्रेन का इलाज



माइग्रेन यानी सिर में होने वाला असहनीय दर्द, माइग्रेन का समय रहते इलाज बहुत जरूरी है। आम बोलचाल में इसे आधे सिर का दर्द, सुदाअ निस्फी, शकीका आदि भी कहते हैं।

सुबह में सूरज उगने के साथ-साथ यह दर्द सिर में बढ़ता है। सूरज की किरणों के तेज होने के साथ माइग्रेन का दर्द भी तेज होता है। माइग्रेन की तकलीफ के समय जो दर्द होता है वह सिर के सिर्फ एक ही तरफ होता है जो कि बहुत ही धड़काने वाला होता है। माइग्रेन पीडि़त को लगता है कि जैसे कोई उनके सिर पर हथोड़ा मार रहा हैं। कभी कभी तो यह दर्द 2-3 दिन तक भी चलता है। माइग्रेन के सिरदर्द से छुटकारा पाने के लिये आजमाएं ये 20 घरेलू उपचार

कई बार दवाइयां भी इसके उपचार में कारगर साबित नहीं होती। लेकिन इसे घरेलू उपचार के जरिये इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है। हम आपको बता रहे हैं कि कैसे इन आयुवेर्दिक उपाय जिनसे आप माइग्रेन से राहत पा सकते हैं।

गर्म या ठंडे पानी से मसाज

इस दर्द में कुछ लोगों को गर्म तो कुछ को ठंडे पानी से मसाज करने से आराम मिलता है। एक तौलिए को गर्म पानी में डुबोए फिर दर्द वाले हिस्से पर हल्के-हल्के टकोर दें। इसी तरह जिन लोगों को ठंडे पानी से राहत मिलती है, वह बर्फ के टुकड़ों का इस्तेमाल करें। माईग्रेन अटैक से बचना चाहते हैं तो भूल कर भी न खाएं ये फूड

बर्फ के टुकडे

बर्फ के टुकड़े को एक पैक में रखकर भी आप सिर की मालिश कर सकते हैं इसमें एंटी इमलैंफटरी गुण होते हैं जिस दर्द को कम करते हैं। साथ ही आप किसी भी ठंडी चीज का पैक भी बना सकते हैं। इसके अलावा कंधे और गर्दन के आसपास लगाएं, बहुत राहत मिलेगी।

देसी घी

देसी घी के फायदों के बारे में तो सबने सुना ही होगा। लेकिन माइग्रेन के लिए ये एक लाजवाब औषधि हैं। माइग्रेन में रोजाना गाय के देसी घी के दो बूंदे नाक में डाले या फिर इससे दर्द वाली जगह पर लगाए। इससे कुछ ही देर में आपका माइग्रेन दूर हो जाएगां।

कपूर

कपूर में एंटी बैक्‍टीरियल, एंटी फंक्‍शनल जैसे मेडिकल गुण होते है जो कि स्किन से संबंधित कई समस्‍या को दूर करता है। कपूर को घी में मिलाकर सिर पर हल्के हाथों से मालिश करने से माइग्रेन के कारण होने वाले दर्द में राहत मिलती है।

नींबू का छिलका

सेहत और सौंदर्य में नींबू को काफी कारगर माना जाता है, नींबू के छिलके को पीसकर इसका लेप तैयार कर लें। इस लेप को माथे पर लगाएं। दर्द से तुरंत राहत मिलेगी। अगर इन सब टोटको से दर्द में राहत न मिलें तो डॉक्टर से संपर्क करें।

बंद गोभी

बंद गोभी में काफी फाइबर पाया जाता हैं, ये पेट के साथ ही माइग्रेन के लिए काफी असरदायक है। बंद गोभी के पत्तियों को पीसकर गर्दन और कंधे पर लगाने से माइग्रेन से छुटकारा पा सकते हैं।

गाजर और खीरे के रस

सलाद में गाजर और खीरा तो आप खाते ही होंगे, लेकिन आप चाहे इनसे इनसे माइग्रेन की समस्‍या से निजात पा सकते हैं। गाजर और खीरे का रस निकाले। इन्‍हें कंधे और गर्दन पर लगाएं इससे आपको आराम मिलेगा।


मिनटों में छूमंतर होगा माइग्रेन का जिद्दी दर्द



इस भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी में ज्यादातर लोगों को सिर में दर्द की शिकायत रहती है। यह परेशानी बार-बार होने पर माइग्रेन का रूप ले लेती है। माइग्रेन के कारण सिर के एक हिस्से में असहनीय तेज दर्द होने लगता है। कई बार तो यह दर्द मिनटों में ठीक हो जाता है तो कई बार यह दर्द घंटों तक बना रहता है। जैसे ही आप सामान्य स्थिति से एकदम तनाव भरे माहौल में पहुंचते हैं तो आपका सिरदर्द और ब्लडप्रैशर हाई हो जाता है। ऐसा होने पर आप समझ जाएं कि आप माइग्रेन का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में अपनी मर्जी से कोई भी पेन किलर लेने के बजाएं डॉक्टरी डांच करवाएं। नहीं तो आप कुछ घरेलू नुस्खे अपनाकर भी माइग्रेन के दर्द से छुटकारा पा सकते हैं।



माइग्रेन के घरेलू उपाय


1. देसी घी

माइग्रेन के दर्द से छुटकारा पाने के लिए रोजाना शुद्ध देसी घी की 2-2 बूंदे नाक में डालें। इससे आपको इसके दर्द से राहत मिलेगी।


2. सेब

रोज सुबह खाली पेट सेब का सेवन करें। माइग्रेन से छुटकारा पाने के लिए यह काफी असरदार तरीका है।


3. लौंग पाउडर 

अगर सिर में ज्यादा दर्द हो रहा है तो तुरंत लौंग पाउडर और नमक मिलाकर दूध के साथ मिलाकर पिएं। ऐसा करने से सिर का दर्द झट से गायब हो जाएगा।


4. नींबू का छिलका

नींबू के छिलके को धूप में सूखाकर पेस्ट बना लें। इस पेसट को माथे पर लगाने से आपको माइग्रेन के दर्द से छुटकारा मिल जाएगा।


5. पालक और गाजर का जूस

माइग्रेन के दर्द से छुटकारा पाने के लिए पालक और गाजर का जूस पीएं। इससे आपका दर्द मिनटों में गायब हो जाएगा।


6. खीरा

खीरे की स्लाइस को सिर पर रगड़े या फिर इसे सूंघे। इससे आपको माइग्रेन के दर्द से आराम मिलेगा।


7. अदरक

1 चम्मच अदरक का रस और शहद को मिक्स करके पीएं। इसके अलावा माइग्रेन के दर्द को दूर करने के लिए आप अदरक का टुकड़ा भी मुंह में रख सकते हैं। अदरक का किसी भी रूप में सेवन माइग्रेन में राहत दिलाता है।

माइग्रेन का इलाज, अधकपारी




दुनियाभर में कई लोगों को अधकपारी या माइग्रेन (Migraine) दौरे पड़ते हैं। ये सिर में रह रह के होने वाला दर्द है, जो सिर के एक तरफ ही होता है। इसके साथ ही रोशनी और आवाज़ के प्रति संवेदनशीलता, उल्टी और मतली होती है। इस बात का ध्यान रखें कि सिरदर्द लगातार ना होने लगे और आपको स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना ना करना पड़े।

सिर की मालिश

आरामदायक मालिश आपको माइग्रेन का इलाजकरने में सहायता कर सकता है।

 शोधों से पताचला है कि जिन लोगों ने मालिश का सहारालिया, उन्हें मालिश ना करवाने वालों की तुलनामें माइग्रेन की समस्या काफी कम पेश आई एवंनींद भी अच्छी आयी। मालिश करने से तनाव कीस्थिति से निपटने में भी सहायता मिलती है।

मालिश के सत्र के दौरान प्रतिभागियों ने बेचैनी, दिल की धड़कनों एवं तनाव के हॉर्मोन(hormone) कॉर्टिसोल (cortisol) का स्तर कमहोना महसूस किया।
 यह काफी आवश्यक हैक्योंकि तनाव माइग्रेन का कारक है।

सुखद यादों के बारे में सोचें

सर्दियों के मौसम के फल जो स्वास्थ्य की देखभाल के लिए उपयोगी हैं

अपने मस्तिष्क में सुकूनदायक स्थान, अनुभव यादृश्य सोचने से आपको शांति मिलती है एवंआपका मस्तिष्क एकाग्रचित्त होता है।
 ऐसे दृश्यके बारे में याद करना सुनिश्चित करें जिनकाआपके लिए निजी महत्त्व हो। इन पद्दतियों काप्रयोग शुरुआत से ही करना शुरू कर दें। जबमाइग्रेन का दर्द अपने चरम पर पहुँचता है तोयह काफी पीड़ादायक होता है और ये उपायआपको माइग्रेन के कठोर दर्द से छुटकारा दिलासकता है।


हल्का दबाव डालें

हालांकि आपको ऐसा लगेगा कि आपके सिर मेंकाफी दर्द हो रहा है, परन्तु शरीर के कुछ विशेषदबाव स्थानों को छूने से आपका दर्द कम होसकता है। जब आपको माइग्रेन का शुरूआती दर्दहो तो अपनी क्रानिओसेक्रल (craniosacral) प्रणाली पर हल्का दबाव डालें। अपनी उँगलियों सेमाइग्रेन सम्बन्धी कुछ विशेष स्थानों को दबाने सेआपका मस्तिष्क चिंतामुक्त होकर विश्राम करनेपर बाध्य होता है और दर्द दूर हो जाता है।हालांकि यह क्रानियम (cranium) पर दबावबढ़ाता है, यह आपके मस्तिष्क में उत्पन्न हो रहीचिंता को दूसरे स्थान पर भेजने का काम करता है।

अधिक मात्रा में पानी  माइग्रेन का घरेलू इलाज

अगर आपको माइग्रेन का दर्द बार बार सता रहा है तो इसके कारणों की जांच करते हुये अपने द्वारा पीने के पानी के इस्तेमाल पर भी ध्यान दें। कई बार कम पानी पीना भी माइग्रेन अटैक का कारण होता है। अधिक से अधिक मात्रा में पानी पीएं। इसके अलावा फलों का जूस आदि भी दर्द के दौरान लिया जाना बेहतर होता है।

लैवेंडर ऑइल

लैवेंडर ऑइल की खुशबू ना सिर्फ काफी अच्छी होती है, बल्कि इसके प्रयोग से माइग्रेन का दर्द भी काफी आसानी से दूर हो जाता है। आप या तो लैवेंडर के तेल का सेवन कर सकते हैं, या फिर इसे सूंघ सकते हैं। 2 से 4 बूँदें लैवेंडर के तेल को दो से चार कप उबलते पानी में मिश्रित करें और इसे सूंघें। इससे आपको सिर के माइग्रेन के दर्द से राहत प्राप्त होती है। आपको इसका प्रयोग करने के लिए इसे अन्य तेलों की तरह पानी के साथ भी मिश्रित करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। लेकिन लैवेंडर के तेल को मौखिक रूप से ना लें।

आधा सिर दर्द का उपाय है एक्यूपंक्चर

अन्य उपचारों के विपरीत एक्यूपंक्चर का प्रभाव दवाइयों के जैसा ही होता है। लेकिन जब आप एक्यूपंक्चर का प्रयोग माइग्रेन का दर्द दूर करने के लिए करते हैं तो इसके लम्बे समय तक चलने वाले साइड इफेक्ट्स (side effects) का सामना आपको नहीं करना पड़ता है। हालांकि लोगों का यह मानना है कि एक्यूपंक्चर सिर्फ प्लेसिबो इफ़ेक्ट (placebo effect) की वजह से काम करता है, पर यह फिर भी आपको काफी राहत प्रदान करता है।

सेब का सिरका

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ना सिर्फ सेब के सिरके के कई स्वास्थ्य से जुड़े गुण होते हैं जैसे शरीर से अशुद्धियों को दूर करना, उच्च रक्तचाप (blood pressure) को नियंत्रित करना, रक्त के शुगर (blood sugar) को नियंत्रित करना, वज़न घटाने में मदद करना हड्डियों के दर्द को कम करना और कब्ज़ से मुक्ति दिलाना, बल्कि यह माइग्रेन के दर्द को भी दूर करने में सहायता करता है। एक चम्मच सेब के सिरके को एक गिलास पानी में मिश्रित करें। इसमें एक चम्मच शहद के साथ मिलाएं। इसका सेवन रोज़ करने से आपको माइग्रेन के दर्द से मुक्ति मिलती है।

कायेन पेपर (Cayenne pepper)

कायेन पेपर एक बेहतरीन घरेलू नुस्खा है, जो माइग्रेन के दर्द को दूर कर सकता है। यह ना सिर्फ रक्त के संचार को बढ़ाता है, बल्कि रक्त के संचार को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है। इसके अलावा इसमें मौजूद कैप्सेकिन (capsaicin) प्राकृतिक पेनकिलर (painkiller) का काम करता है। एक चम्मच कायेन पेपर को एक चम्मच गुनगुने पानी में घोलें। अगर आप इसका स्वाद बढ़ाना चाहते हैं तो इसमें शहद और नींबू का रस मिश्रित करें। इसका सेवन अपनी ज़रुरत के हिसाब से करें।

तनाव और चिड़चिड़ापन हैं माइग्रेन के लक्षण

माइग्रेन सिर में एक या दो तरफ होने वाली समस्‍या है।उल्‍टी व मितली आने की समस्‍या भी होती है माइग्रेन में।माइग्रेन में होने वाला दर्द सुबह व शाम के समय होता है। गर्दन में दर्द होने के बाद सिर में भी दर्द होने लगता है।

माइग्रेन आमतौर पर सिर में एक तरफ होने वाला दर्द है। कई बार यह सिर में दोनों तरफ भी हो जाता है। माइग्रेन में सिर दर्द के साथ ही मितली आने और भूख कम लगने की समस्‍या भी होती है।

इसमें रोगी के सिर में भयानक दर्द होता है। रोगी को ऐसा महसूस होता है़ जैसे हथोड़े से सिर पर चोट मारी जा रही है। यह दर्द सुबह और शाम के समय ज्‍यादा होता है, दिन में व्‍यक्ति सामान्‍य महसूस करता है। दर्द का कोई निश्‍चित समय नहीं होता। यह हफ्ते में दो से तीन बार और साल में दो बार भी सकता है।

करीब तीन करोड़ अमेरिकी माइग्रेन की समस्‍या से ग्रस्‍त हैं। अमेरिका में यह 25 से 55 वर्ष की उम्र के लोगों में होने वाली आम समस्‍या है। यहां पर 20 फीसदी लोग जीवन में किसी न किसी समय माइग्रेन को महसूस करते हैं। पुरुषों के मुकाबले माइग्रेन की समस्‍या महिलाओं में ज्‍यादा होती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पांच में से एक महिला को माइग्रेन की समस्‍या होती है। वहीं 16 में से एक पुरुष माइग्रेन से ग्रस्‍त होता है।

माइग्रेन में होने वाला दर्द इतना भयानक होता है कि यह सिर को झकझोर देता है। दर्द से सिर पर पड़ने वाले असर से मितली की समस्‍या होती है और नजर पर भी असर पड़ता है। कई माइग्रेन गंभीर होते हैं, लेकिन सभी गंभीर सिर दर्द माइग्रेन नहीं होते और कुछ माइग्रेन हल्‍के भी हो सकते हैं। माइग्रेन की समस्‍या बचपन या किशोरावस्‍था में भी हो सकती है। इस लेख के जरिए हम आपको बताते हैं माइग्रेन के लक्षणों के बारे में।

माइग्रेन के लक्षण

माइग्रेन की शुरुआत बचपन, किशोरावस्था या वयस्क होने पर कभी भी हो सकती है। इससे ग्रस्‍त व्‍यक्ति की दृष्टि अचानक धुंधली हो जाती है और उसे अपने सामने मौजूद चीजें कांपती हुई नजर आती हैं। माइग्रेन पीड़ि‍त की नजर में 15 से 20 मिनट में परिवर्तन होते रहते हैं। माइग्रेन से पीड़ित व्‍यक्तियों में निम्‍नलिखित लक्षणों में से कुछ लक्षण हो सकते हैं।

मितली और उल्‍टी आना

माइग्रेन के दर्द में व्‍यक्ति को मितली और उल्‍टी आती है। मितली और उल्‍टी के कारण रोगी का स्‍वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है।

तनाव और चिड़चिड़ापन

थोड़ी-थोड़ी देर में मूड बदलना भी माइग्रेन रोगी का लक्षण होता है। जानकारों के मुताबिक कई रोगियों में देखा जाता है कि वह अचानक तनाव में आ जाते हैं, और थोड़ी देर बाद ही बिना किसी कारण के नॉर्मल हो जाते हैं। इसके अलावा माइग्रेन रोगी में चिड़चिड़ेपन की भी समस्‍या पाई जाती है और ऐसे व्‍यक्ति उत्‍तेजित भी हो जाते हैं।

नींद की कमी

माइग्रेन से ग्रस्‍त महिलाओं और पुरुषों को गहरी नींद नहीं आती। कई अध्‍ययनों से साफ हो चुका है कि माइग्रेन पीड़ि‍त व्‍यक्तियों को लगातार नींद नहीं आती। एक बार नींद खुल जाने पर ऐसे व्‍यक्ति को दोबारा नींद आने में बहुत परेशानी होती है।

आंखों से पानी आना

माइग्रेन के कुछ रोगियों में नाक और आंखों से लगातार पानी आने के लक्षण भी पाये जाते हैं। यदि आपको आंखों और नाक से पानी आने की समस्‍या है, तो आपको माइग्रेन की समस्‍या हो सकती है। साथ ही ऐसे व्‍यक्ति के आंखों में दर्द भी होता है।

एक या दोनों साइड में दर्द

धड़कन के साथ में होने वाला सिर दर्द भी माइग्रेन का ही लक्षण है। यह दर्द सिर के एक तरफ या दोनों तरफ भी हो सकता है। ऑनलाइन सर्वे में साफ हो चुका है कि 50 फीसदी माइग्रेन रोगियों के एक साइड में सिर दर्द होता है, जबकि 34 फीसदी के दोनों साइड में सिर दर्द होता है।

गर्दन में दर्द

बहुत से लोगों को गर्दन के दर्द के बाद सिर दर्द की शिकायत होती है। जानकारों के मुताबिक यह माइग्रेन का शुरुआती लक्षण होता है। सर्वे से पता चला है कि 31 फीसदी माइग्रेन रोगियों को पहले गर्दन में दर्द की शिकायत हुई उसके बाद उन्‍हें माइग्रेन की समस्‍या हुई।

दर्द का नियत समय

माइग्रेन की समस्‍या में होने वाला सिर दर्द सुबह को सूरज निकलने के साथ होता है, इसके बाद यह शाम के समय होता है। यह दर्द कम से कम चार घंटे और अधिकतर 72 घंटे यानी तीन दिन तक रह सकता है। शारीरिक श्रम करने से भी यह दर्द बढ़ता है।

माइग्रेन का कारण

कई वर्ष तक शोध के बाद भी अभी तक वैज्ञानिक माइग्रेन के सटीक कारणों का पता नहीं लगा सके हैं। ऐसा माना जाता है कि माइग्रेन का कारण रक्‍त नलिकाओं की सूजन और धमनियों का संकुचन होता है, जो मस्तिष्क को घेरे रहती हैं। इसके अलावा माइग्रेन के कुछ अन्‍य कारण निम्‍नलिखित हैं।

आनुवांशिक कारण

कुछ मामलों में पारिवारिक इतिहास के तौर पर माइग्रेन की समस्‍या देखी जाती है। ऐसा देखा गया है कि इन परिवारों में पैदा होने वाले बच्‍चों एक खास उम्र में जाकर माइग्रेन का दर्द शुरू हो जाता है। उपचार कराने पर इसमें आराम मिलता है।

अन्‍य रोगों के फलस्वरूप

माइग्रेन की समस्‍या अन्‍य रोगों के फलस्‍वरूप भी हो सकती है। माइग्रेन की समस्‍या के लिए जो रोग जिम्‍मेदार हैं, उनमें नजला, जुकाम, शरीर के अन्य अंग रोग ग्रस्त होना और पुरानी कब्ज आदि हैं। इसके आलावा महिलाओं में यह रोग मासिक धर्म में गड़बड़ी के कारण हो सकता है| आंखों में दृष्टिदोष के कारण भी आधे सिर में दर्द हो सकता है।

आजकल अव्‍यवस्थित दिनचर्या के कारण अधिकतर लोग माइग्रेन की समस्‍या से ग्रस्‍त हैं। इसलिए किसी तरह की परेशानी होने पर डॉक्‍टर से परामर्श करें। माइग्रेन का उपचार न कराने पर यह गंभीर रूप ले सकता है।

खतरनाक है माइग्रेन का ऐसा दर्द, छीन सकता है आंखों के देखने की क्षमता



ऑक्‍युलर माइग्रेन के कारण कुछ समय के लिए अंधापन हो सकता है।दर्द की अधिकता के कारण आंखों पर इसका असर पड़ता है।माइग्रेन ऐसा सिर दर्द है जो लंबे समय तक परेशान करता है।

माइग्रेन ऐसा सिर दर्द है जो लंबे समय तक परेशान करता है और जल्दी ठीक नहीं होता है। माइग्रेन एक तरह की मानसिक बीमारी है मगर क्या आपको पता है कि एक प्रकार का माइग्रेन ऐसा भी होता है जो आपके आंखों की रोशनी छीन सकता है और आपको कुछ पलों के लिए अंधा बना सकता है। 

ऑक्‍युलर माइग्रेन खतरनाक है क्योंकि इसके चलते थोड़े समय के लिए अंधापन व तेज दर्द जैसी परेशानियां हो सकती हैं। ऐसा माना जाता है कि तेज दर्द के कारण कुछ समय के लिए मरीज के देखने की क्षमता चली जाती है। आइये आपको बताते हैं कि क्या है ऑक्‍युलर माइग्रेन और क्या हैं इसके लक्षण।

ऑक्‍युलर माइग्रेन क्या है

ऑक्‍युलर माइग्रेन, माइग्रेन का ही एक प्रकार है जिसमें दर्द की अधिकता के कारण आंखों पर इसका असर पड़ता है और कुछ समय के लिए मरीज के आंखों की रोशनी चली जाती है और वो देख नहीं पाता है। हालांकि ये माइग्रेन कम लोगों में पाया जाता है फिर भी इस रोग से हजारों लोग प्रभावित हैं और लंबे समय तक रहने वाले माइग्रेन में अक्सर ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं।

क्या हैं इस माइग्रेन के कारण

माइग्रेन का सही कारण पता नहीं चला है, लेकिन जेनेटिक और पर्यावरणीय कारक की इसमें भूमिका हो सकती है। माइग्रेन ट्राईगेमिनल नर्व में न्यूरोकेमिकल के बदलाव और मस्तिष्क के रसायनों में असंतुलन, खासकर सेरोटोनिन के कारण आरंभ होता है। माइग्रेन के समय सेरोटोनिन का स्तर संभवतः कम हो जाता है, जो ट्राइजेमिनल सिस्टम को न्यूरोपेप्टाइड का स्राव करने के लिए प्रेरित करता है। न्यूरोपेप्टाइड मस्तिष्क के बाह्य आवरण(मेनिंन्जेज) तक पहुंचकर सिरदर्द उत्पन्न करता है।

आंखों में होने वाली समस्‍या

एक आंख में होने वाली दृष्टिगत समस्‍या जिसमें रोगी को आंखें चुंधियाने, ब्‍लाइंट स्‍पॉट, अस्‍थायी अंधेपन या आंखों की रोशनी जाना इस प्रकार के माइग्रेन में काफी सामान्‍य माना जाता है।

सिरदर्द व अन्‍य लक्षण

ऑक्‍युलर माइग्रेन की परेशानी होने पर सिरदर्द की समस्‍या चार घंटे से लेकर तीन दिन तक रह सकती है। इसके साथ ही सिर के एक हिस्‍से में तेज दर्द (अर्द्धकपाली) या सिर में हल्‍की या तीव्र पीड़ा भी इसका ही संकेत है। धड़कन में तेजी और शारीरिक गतिविधियां करते समय अधिक परेशानी महसूस करना भी इसका इशारा हो सकता है।

रोशनी या आवाज के प्रति असामान्‍य संवेदनशीलता

एक महत्‍वपूर्ण लक्षण यह है कि इस दौरान रोगी की एक आंख की रोशनी जाती है। कई लोग आंखों में रोशनी के चुभने और एक आंख की रोशनी जाने के बीच का अंतर ही नहीं समझ पाते। उन्‍हें दोनों आंखों में इसका असर महसूस होता है, लेकिन वास्‍तव में केवल एक ही आंख इससे प्रभावित होती है। एक सामान्‍य माइग्रेन जिसमें फ्लैशिंग लाइट और ब्‍लाइंट स्‍पॉट नजर आता है, वह अधिक सामान्‍य समस्‍या है। यह समस्‍या माइग्रेन से पीड़ित 20 फीसदी लोगों को प्रभावित करती है। लेकिन, इस मामले में ये लक्षण दोनों आंखों में होते हैं। दोनों आंखों को एक-एक कर ढंककर आप इस बात का पता लगा सकते हैं कि आपको दोनों आंखों में दृष्टिगत समस्‍या है अथवा एक आंख में।

ऑक्‍युलर माइग्रेन के कारण

इस बीमारी के कारणों को लेकर जानकार अभी तक पूरी तरह आश्‍वस्‍त नहीं हैं। हालांकि, फिर भी वे कुछ बातों को इस बीमारी के कारणों के तौर पर देखते हैं-
रेटिना की रक्‍तवाहिनियों में ऐंठन। यह आपकी आंखों के पीछे एक छोटी सी नस होती है।रेटिना की कोशिकाओं में होने वाले बदलावों के कारण
वे लोग जिन्‍हें नियमित रूप से इस प्रकार के माइग्रेन की‍ शिकायत रहती है, उनकी एक आंख की रोशनी स्‍थायी रूप से भी जा सकती है। विशेषज्ञ अभी इस बात को लेकर भी पूरी तरह आश्‍वस्‍त नहीं हैं कि आखिर माइग्रेन की दवाओं के प्रयोग से आंखों को पहुंचने वाली क्षति को रोका जा सकता है। हालांकि, इन लक्षणों के बारे में अपने डॉक्‍टर से बात करना हमेशा फायदेमंद रहेगा।

ऑक्‍युलर माइग्रेन का निदान

इस बीमारी का निदान करने के लिए डॉक्‍टर आपसे लक्षणों के बारे में पूछेगा और फिर आपकी आंखों की जांच करेगा। डॉक्‍टर इस बात की भी जांच करेगा कि आखिर यह समस्‍या किसी अन्‍य बीमारी के कारण तो नहीं है। क्षणिक अंधता आंखों को रक्‍त का प्रवाह रुकने के कारण पैदा होती है। यह लक्षण आंखों की रक्‍तवाहिनी में आने वाले किसी अस्‍थायी रुकावट के कारण भी ऐसा हो सकता है।

इलाज

ऑक्‍युलर माइग्रेन को रोकने अथवा इसके इलाज के लिए उपयुक्‍त इलाज को अभी तक खोजा जा रहा है। इसके लिए डॉक्‍टर आपको एस्प्रिन या अन्‍य दवायें दे सकता है। ऑक्‍युलर माइग्रेन के वास्तविक कारण और इलाज तलाशने में अभी तक बड़ी कामयाबी नहीं मिली है। लेकिन, फिर भी आप अपनी जीवनशैली को संयमित रख इसके कुछ संभावित खतरों को तो कम कर सकते हैं।


होम्योपैथी में है माइग्रेन का कारगर इलाज


   
होम्योपैथी में दर्द की स्थिति के हिसाब से दी जाती है माइग्रेन की दवा

माइग्रेन यानी जब दिमाग में रक्त का संचार बढ़ जाता है जिससे व्यक्ति को तेज सिरदर्द होने लगता है। होम्योपैथी में इस रोग के इलाज के लिए मरीज से उसकी दिनचर्या, खानपान और पेशे के बारे में पूछा जाता है।

अगर मरीज को दायीं तरफ दर्द हो तो सेंग्यूनेरिया केन 30 की पोटेंसी में या अन्य पोटेंसी में लक्षणों के आधार पर दी जाती है। यदि दर्द बायीं तरफ है तो लैक केन दी जाती है। जिन लोगों को गुस्सा करने, तेज धूप में जाने या ज्यादा नमक लेने से माइग्रेन होता है, उन्हें नैट्रम म्यूर दी जाती है। जो लोग जल्दी तनाव लेते हैं या घबराने लगते हैं और मीठा अधिक खाते हैं, उन्हें अरजेंट्म नाईट्रिकम दी जाती है। 

ध्यान रहें ये बातें

अगर आपको चश्मा लगा है तो नियमित रूप से लगाएं। काम का जरूरत से ज्यादा बोझ न लें, भूखे न रहें, ज्यादा गुस्सा न करें और पर्याप्त नींद लें। धूप में जाते समय स्कार्फ, चश्मे व छाते का प्रयोग करें। दवाएं नियमित लें। 

माईग्रेन का उपचार – माइग्रेन की दवा

आधासीसी रोग में सिर के आधे भाग ( दाँयें भाग या बाँयें भाग ) में दर्द होता है जो सूर्योदय से शुरू होकर सूर्यास्त तक बना रहता है। यह रोग नाक की श्लेष्मात्मक झिल्लिओं की सूजन ( Sinusitis ) से भी हो सकता है या शरीर के अंदर से खोखला हो जाने से भी आधासीसी का दर्द होता है। इसे अर्धकपारी भी कहते हैं ।

माइग्रेन का होम्योपैथिक इलाज

(A ) दाँयें भाग का दर्द –
माइग्रेन में सेंगुनेरिया नाइट्रिका 200 – इसे अमेरिका में पाये जाने वाले एक पौधे से तैयार किया जाता है। इसका दर्द सुबह सूर्योदय के साथ दाँयें भाग से होता है। यह दर्द सूर्य के चढ़ने के साथ बढ़ता है, दोपहर पर यह अपनी तीव्रावस्था में पहुँच जाता है, सूर्य ढलने के साथ साथ दर्द घटना  जाता है और संध्या तक बिलकुल ठीक हो जाता है।

माइग्रेन में साइलीशिया 30 , 200 – इसे नदियों अथवा रेत में से निकाले जाने वाले एक चमकीले पाषाण चूर्ण से तैयार किया जाता है । यह दवा भी दाँयें भाग के दर्द की एक बेजोड़ दवा है । इसका दर्द भी ठीक सूर्योदय से प्रारम्भ होकर सूर्यास्त तक बना रहता है । इसके रोगी में पेट सम्बन्धी बीमारी जैसे – कब्ज़ इत्यादि लक्षण  होते हैं। सम्पूर्ण शरीर में ठण्ड करना, ठण्डी वायु का सहन न होना, दिन के ग्यारह बजे सिर में अधिक तीव्र दर्द आदि लक्षण प्रकट होते हैं।


जानें साइलीशिया के होमियोपैथी उपयोग के बारे में

(B) बाँयें भाग का दर्द –
माइग्रेन में स्पाइजीलिआ 200 – इसे इंग्लैंड में पाये जाने वाली बूटी से तैयार किया जाता है। इसमें भी उपरोक्त प्रकार का दर्द होता है, परन्तु अंतर केवल इतना है कि इसका दर्द बाँयें भाग में होता है। यह दर्द सिर के बाँयें भाग में सूर्योदय से शुरू होकर सूर्यास्त तक बना रहता है। ठण्ड एवं बरसात के दिनों में रोग में वृद्धि होती है। दर्द कभी कभी बाँएँ आँख के तरफ भी बढ़ जाता है ।

माइग्रेन में सीपिया 200 – समुद्री मछली के रस से यह दवा तैयार की जाती है । या बाँयें भाग के आधासीसी के दर्द की एक उत्कृष्ट दवा है । डॉ लिपि का भी यही कहना है कि यह दवा सिर के बाँए ओर के दर्द में फायदेमंद है। यह औषधि स्त्रियों पर अपना विशेष प्रभाव दिखती है। जरायु के बीमारी के साथ होने वाले सिर दर्द में तथा दोनों तरफ के ललाट पर होने वाले दर्दों में भी यह अपना विशेष प्रभाव दिखती है ।


जानें सीपिया के होमियोपैथी उपयोग के बारे में

शांत स्वभाव की स्त्रियों में एवं जिन स्त्रियों को पानी में अधिक कार्य करना पड़ता है अर्थात जिनके हाथ पानी से भीगे रहते हैं, उनके लिए यह दवा का विशेष महत्व है । इसका रोग सुबह 11 बजे से सायं 4 बजे तक बढ़ता है। ठण्ड लगने से  जुकाम होना, ललाट में दर्द होना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं ।

किसी
भी रोग को ठीक करने के लिए आप पहले डॉक्टर की सलाह ले ।



योग से माइग्रेन (सिर के अर्ध भाग में दर्द) का उपचार

माइग्रेन (Migraine) नाड़ीतंत्र की विकृति से उत्पन्न एक रोग है जिसमे बार बार सिर के अर्ध भाग में मध्यम से तीव्र सिरदर्द होता है| यह सिर किसी एक अर्ध भाग में होता है और दो घंटे से लेकर दो दिन की अवधि तक रहता है| माइग्रेन के आक्रमण के समय अक्सर रोगी प्रकाश और शोर के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाता है| इसके अन्य लक्षणों में उलटी होना, जी मिचलाना तथा शारीरिक गतिविधियों के साथ दर्द का बढ़ जाना शामिल है|

यूनाइटेड किंगडम के एक न्यास के अनुसार केवल यूनाइटेड किंगडम में लगभग ८० लाख लोग इस रोग से ग्रस्त है| इनमे से लगभग 20 हजार लोगों को प्रति दिन माइग्रेन (Migraine) के दर्द का दौरा पड़ता है. यह भी माना जाता है कि माइग्रेन के रोगियों की संख्या अस्थमा, मिर्गी व मधुमेह के रोगियों की संयुक्त सख्या से अधिक है|

इस रोग का उपचार कैसे किया जाये?

अगर आप वर्षों से सिर के दो टुकड़े कर देने जैसे दर्द से ग्रस्त है या आपको हाल में ही माइग्रेन (Migraine) के रोग का पता चला है, तो इस दर्द से निजात पाने की दवाओं के अतिरिक्त और भी कई उपाय है| इसमें धमनियों व माँसपेशियों की शल्य चिकित्सा, ओसिपिटल नाड़ी का उद्दीपन, बोटोक्स, बीटा ब्लोकर्स तथा अवसादरोधी औषधियों के प्रयोग से माइग्रेन के दौरों को रोकने की चिकित्सा की जाती है| पर इन सभी उपचारों के कई घातक दुष्प्रभाव होते हैं| इन दुष्प्रभावों में हृदयाघात, निम्न रक्तचाप, नींद की कमी, जी मिचलाना इत्यादि प्रमुख है|

तो क्या ऐसा कोई प्राकृतिक तरीका है जिससे हम शरीर को बिना कोई क्षति पहुंचाए इस रोग से मुक्त हो सकें?

8 योगासन माइग्रेन को दूर करने के लिए।



योग एक प्राचीन स्वास्थ्य रक्षक विधा है जो विभिन्न शारीरिक मुद्राओं व श्वसन क्रियाओं के संगम से सम्पूर्ण स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करती है| योग से शरीर पर कोई अन्य दुष्प्रभाव नहीं पड़ता| यहाँ उल्लेखित योगों के दैनिक व नियमित अभ्यास से आप माइग्रेन (Migraine) के अगले आक्रमण से निपटने व बचने के प्रभावी उपाय कर सकते हैं|

हस्त-पादासन| Hastapadasana (Standing Forward bend)

सीधे खड़े होकर आगे की तरफ झुकने से हमारे नाड़ी तन्त्र में रक्त की आपूर्ति अधिक होती है जिससे वह प्रबल होता है| इससे मन भी अधिक शांत होता है|

सेतुबन्धासन| Setu Bandhasana (Bridge pose)

यह आसन मस्तिष्क को शांत करता है तथा इसके अभ्यास से व्यक्ति चिंता-मुक्त हो जाता है|

शिशु-आसन| Shishuasana (Child pose)

यह आसन नाड़ी तन्त्र को शिथिल व शान्त करता है तथा प्रभावी रूप से पीड़ा को कम करता है|

मर्जरासन| Marjariasana (Cat stretch)

इस आसन से रक्त संचार बढ़ता है और या मन को शांत करता है|

पश्चिमोतानासन| Paschimottanasana (Two-legged Forward bend)

बैठ कर दोनों पैरो को आगे की ओर फैला कर, हाथो को पैर की तरफ लेजाते हुए  आगे की ओर झुकने से मस्तिष्क शांत होता है और तनाव दूर होता है. इस आसन से सिरदर्द में भी आराम मिलता है|

अधोमुखश्वानासन| Adho Mukha Svanasana (Downward Facing Dog pose)

नीचे की ओर चेहरा रखते हुए श्वानासन करने से रक्त संचार में वृद्धि होती है जिससे सिर दर्द से मुक्ति मिलती है|

पद्मासन| Padmasana (Lotus pose)

पद्मासन में बैठने से मन शांत होता है और सिर दर्द मिट जाता है|

शवासन| Shavasana (Corpse pose)

शवासन शरीर को गहन ध्यान के विश्राम की स्थिति में ले जाकर शरीर में शक्ति व स्फूर्ति का संचार करता है| इसे सभी योग आसनों के अभ्यास के बाद अंत में करना चाहिए|

माइग्रेन (Migraine) का दौरे से असहनीय पीड़ा होती है और यह रोगी के व्यक्तिगत व व्यावसायिक जीवन को क्षति पहुँचाता है| अपने परिवार-जनों, मित्रों व सहकर्मियों को अपने रोग की स्थिति से अवगत कराएँ| इससे उन लोगों से आपको मानसिक व भावनात्मक सम्बल प्राप्त होगा| साथ ही वे आपकी स्थिति के बारे में एक सही आकलन कर पाएंगे| अपने डाक्टर की सलाह के बिना कभी भी औषधियों का सेवन बंद न करें. योग माइग्रेन के रोग में आपकी प्रतिरोधक शक्ति को बढाता है पर इसका उपयोग दवाओं के विकल्प के रूप में नहीं करना चाहिए|

इन साधारण योगासनों के अभ्यास से माइग्रेन के आघात का असर काफी कम हो जाता है और समय के साथ कई बार आप स्थायी रूप से रोग मुक्त हो सकते हैं| अत: अब देर किस बात की? अपनी योग की चटाई खोलिए, प्रतिदिन कुछ समय योग करिए और माइग्रेन (Migraine) को हमेशा के लिए अपने जीवन से विदा कीजिये|

माइग्रेन से राहत दिलाने वाले योग के 12 आसन



योग एक प्राचीन तकनीक है जो श्वसन तकनीकों और मुद्राओं के संयोजन के माध्यम से सम्पूर्ण रुप से जीवन को जीने के लिए प्रोत्साहित करता है। सबसे अच्छी बात यह है 

कि माइग्रेन से लड़ने के लिए यह पक्ष प्रभाव से मुक्त विधि है। रोजाना कुछ मिनटों के लिए इन सरल से योग आसनों का अभ्यास आपके शरीर को आगामी माइग्रेन अटैक से लड़ने के लिए तैयार होने में मदद करेंगे:

ध्यान रहे : जब तक आपका डॉक्टर दवाइयों को छोडने की सलाह ना दे आप अपनी चिकित्सा बंद ना करें। योग, माइग्रेन के खिलाफ आपकी प्रतिरोधकता को बेहतर बनाने का एक माध्यम है और इसे दवा के लिए एक विकल्प के रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। पुरुषों के लिये योगा करने का फायदा

1 हस्तपदासन

हस्तपदासन तंत्रिका तंत्र को स्फूर्ति से भर देता है। यह आसन रक्तसंचार को बढ़ाता है तथा मन को शांत करता है।

2 सेतु बांधासन (सेतु मुद्रा)

यह आसन भी आपके रक्तसंचार को नियंत्रित रखने में मदद करता है, सेतु बांधासन आपके मन को शांत, मस्तिष्क को आराम एवं व्यग्रता को कम करता है। इसके अलावा इस आसन को करते समय आपका रक्त मस्तिष्क की ओर बढ़ता है तथा आपको दर्द से राहत पाने में मदद करता है।

3 बालासन

बहुत उपयुक्त माना जाने वाला बाल मुद्रा आसन एक महान स्ट्रेस बस्टर है। इस आसन के दौरान आपके कूल्हों, जांघों, एड़ियों में हलका सा खींचाव महसूस होगा तथा यह आसन मन को शांत और आपको तनाव एवं थकान से मुक्त करता है। बाल मुद्रा आसन तंत्रिका तंत्र को भी शांत करता है व प्रभावी रूप से दर्द को कम करता है।

4 मर्जरियासन (बिल्ली की मुद्रा)

मर्जरियासन रक्तसंचार को सुधारता है, मन को शांत करता है, तनाव को दूर भगाता है तथा आपके श्वसन को बेहतर बनाता है। इस आसन की सबसे अच्छी बात यह है कि यह थकी हुई मांसपेशियों को आराम दिलाता है जोकि दर्द से छुटकारा पाने का एक प्रभावी तरीका है। यहां हम आपको बताएंगे कि मर्जरियासन कैसे करते हैं।

5 पश्चिमोत्तानासन

पश्चिमोत्तानासन मस्तिष्क को शांत करता है, तनाव से राहत दिलाता है तथा सिर दर्द से भी राहत दिलाता है। यहां हम आपको बताएंगे कि पश्चिमोत्तानासन कैसे करते हैं।

6 अधोमुख श्वानासन (पेट के बल लेट कर हाथों से ऊपर की ओर उठें)

अधोमुख श्वानासन मस्तिष्क में रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है अतः सिर दर्द से राहत दिलाता है। यहां हम आपको बताएंगे कि अधोमुख श्वानासन कैसे करते हैं।

7 पद्मासन (कमल मुद्रा)

यह कमल मुद्रा दिमाग को आराम पहुंचा कर व सिर दर्द से राहत दिलाती है। यहां हम आपको बताएंगे कि पद्मासन कैसे करते हैं।

8 शवासन

श्वानासन मन को गहरे ध्यान में ले जा कर शरीर को फिर से स्फूर्ति से भर देता है। अपने दैनिक योग अभ्यास को कुछ मिनटों के लिए इस मुद्रा में लेट कर समाप्त करना चाहिए। यहां हम आपको बताएंगे कि सही तरीके से श्वानासन कैसे करते हैं।

9, शषांकासन

इसे करने के लिए सबसे पहले बैठकर दोनों एड़ीं पंजे आपस में मिला लें। अब हथेलियों को दाईं ओर रखें और पंजो को तान लें। घुटनों को टांगों से मोड़ते हुए वज्रासन की स्थिति में आ जाएं। अब दोनों घुटनों को दोनों ओर फैला दें तथा दोनों हथेलियों को दोनों घुटनों के मध्य जमीन पर टिका दें। सांस बाहर करते हुए कमर के निचले हिस्से से धीरे-धीरे झुकते जाएं ऐसा करते हुए हथेलियों को आगे खिसकाते रहें। अपनी ठोड़ी को धरती से लगा लें। फिर उल्टी क्रिया करते हुए धीरे-धीरे पूर्वावस्था आ जाएं।

10, हलासन

इस आसन को करने के लिए सबसे पहले लेटकर दोनों एड़ी पंजो को आपस में मिला लें। अब दोनों टांगों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और सांस बाहर निकालते हुए सर की तरफ लेकर आएं। अब पंजों को जमीन से टिका दें। अंत में धीरे-धीरे पूर्व अवस्था में लौट आएं।

11, विपरीत करणी मुद्रा आसन

सबसे पहले लेटकर एड़ी और पंजों को आपस में मिला लें। दोनों हथेलियों को धरती की ओर रखें। पंजों को टाइट कर दोनों पांवों को धीरे धीरे ऊपर उठाना शुरू कर दें। दोनों हथेलियों को नितंबों पर लगाकर उन्हें भी ऊपर की ओर उठाएं। कंधों से जंघा तक 45 डिग्री का कोण बनाएं। पंजों को तान दें और सांस को सामान्य कर लें। फिर धीरे धीरे पूर्वावस्था में लौट आएं और पंजो को धीरे से जमीन पर टिका दें।

12, मत्स्यासन

मत्स्यासन के लिए सबसे पहले एड़ी और पंजों को आपस में जोड़कर लेट जाएं। अब दोनों पैरों को मोड़ते हुए पद्मासन लगाएं। अब दोनों हथेलिों को कंधे के नीचे रखें तथा वक्ष को ऊपर उठाएं। इसके बाद हाथों से पांवों के अंगूठे को पकड़ें। फिर हाथों को कंधों के नीचे लाते हुए उसकी सहायता से सर को जमीन पर टिका दें। अब हाथों को नितम्बों के नीचे ले जाएं और कोहनी का सपोर्ट लेते हुए सर को ऊपर उठाएं। दाईं ओर गर्दन को घुमाएं और ठोड़ी को दाएं कंधों तक लाएं। यही क्रिया बाईं ओर से भी करें। अब गर्दन को क्लॉकवाइज वृत्ताकार घुमाएं। यही क्रिया फिर एंटी क्लॉकवाइज भी घुमाएं। जब गर्दन पीछे जाए तो सांस भरें जब आगे आएं तो निकालें। फिर धीरे-धीरे शवासन में लौट आएं।


तो दोस्तो आज जाना कि कैसे हम ( Apni Migraine ki problems se छुटकारा पा सकते है ) ओर अपनी लाइफ को खुश रख सकते है दोस्तो आप इन सब advices को आपनी लाइफ मैं जरूर Try करे और ऐसे ही ओर अछे articles के लिए जुड़े रहे ( https://normaladvices.blogspot.com ) से।


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