बदहज़मी से छुटकारा पाए (Gastric Problem) in hindi


बदहज़मी से छुटकारा पाए (Gastric Problem)




दोस्तो आज हम बात करे गए बदहज़मी (Gastric Problem) के बारे मे जाने गे की ये problem क़ होती है क्या है कारण, इलाज,दावा ओर बी बहोत कुछ। हमारी देश में लोगो को खाने से बहुत प्यार है और वो खाते वक्त ये नहीं देखते या सोचते की इससे कौन कौन से रोग हो सकते है| खाना ना पचना, अपच हो जाना या पेट में लगातार गैस बनते रहने को बदहजमी के नाम से जाना जाता है| यह एक ऐसा रोग है जिस दौरान इन्सान को खट्टी डकारे आती है और पेट में जलन के साथ गैस बनती है| ना भूख लगती और ना ही खाना पचता| तो दोस्ती चलो जानते है इलाज इस बीमारी का।

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1, बदहजमी : कारण और इलाज के 13 घरेलू उपाय, क्या खाएँ,क्या नही खाएँ

2, इन 7 कारणों से हो सकती है आपको अपच और बदहजमी

3, टॉप 10 घरेलू नुस्खे

4, बदहजमी के लिए नानी माँ के नुस्खे

5, क्या करें जब हो जाए बदहजमी

6, बदहजमी और खट्टी डकार की छुट्टी करेंगे ये कमाल के नुस्खे

7, अपच या बदहजमी (डिस्पेप्सिया)

8, बदहजमी ठीक करने में कारगर है पुदीना

9, गैस और बदहजमी के 6 अचूक उपाय

10, पतंजलि की दवा : गैस, कब्ज, बदहजमी, एसिडिटी के लिए




बदहजमी : कारण और इलाज के 13 घरेलू उपाय, क्या खाएँ, क्या नही खाएँ




बदहजमी क्या है 

भोजन के रूप में सेवन किए गए आहार का अच्छी तरह न पचना या हजम न होना अपच , बदहजमी या अजीर्ण रोग के नाम से जाना जाता है।

बदहजमी के कारण

जिन कारणों से बदहजमी रोग होता है, उनमें भारी,गरिष्ठ भोजन अधिक मात्रा में खाना है |जल्दबाजी में बिना अच्छी तरह चबाए भोजन निगलना, अधिक मानसिक परिश्रम करना, शारीरिक परिश्रम से दूर रहकर आराम करना |चाय, कॉफी, शराब, तंबाकू का अधिक सेवन, बासी भोजन या अत्यधिक मिर्च-मसालेदार भोजन करना भी बदहजमी के कारणों में शामिल है |देर रात तक जागना, कम नींद लेना , भय, क्रोध, मानसिक तनाव ,अरुचिकर भोजन का जबरदस्ती सेवन भी बदहजमी का कारण बन सकता है |भोजन करने के बाद अधिक मात्रा में पानी पीने की आदत से भी बदहजमी हो सकती हैं।

बदहजमी के लक्षण 

बदहजमी के कारण अक्सर भूख नहीं लगती है, जी मिचलाना, खट्टी डकारें आना, छाती में जलन महसूस करना, पेट दर्द ,उलटी करने का मन होना, पेट फूलना, सिर में भारीपन, दिल की धड़कन बढ़ना, शरीर में आलस्य छाना, जीभ पर मैल की तह जमना जैसे लक्षण महसूस होते हैं।लम्बे समय तक बदहजमी होने पर पेट में गैस बनने की शिकायत होने लगती है।

बदहज़मी का इलाज और घरेलू उपाय

भोजन से पहले और बाद में अदरक और नीबू का रस आधा-आधा चम्मच लेकर चुटकी भर नमक मिलाकर सेवन करें।एक नीबू को दो हिस्सों में काटकर उसकी एक फांक में दो चुटकी काला या सैंधा नमक और काली मिर्च पीसकर भरें। उसके बाद धीमे गर्म तवे पर रखकर थोड़ा गर्म करें। जब यह नींबू मामूली गुनगुना रहे तब इस नीबू को खाने से मुंह की कड़वाहट दूर होकर मुंह का बिगड़ा हुआ स्वाद ठीक होने के साथ ही बदहजमी और पेट की अन्य गड़बड़ी दूर होती है तथा साथ ही भूख भी अच्छी लगती है।अजवायन सप्त, कपूर और पिपरमेंट (पोदीने के फूल) (प्रत्येक 25-25 ग्राम) छोटी इलायची का तेल, दालचीनी का तेल और लौंग का तेल (प्रत्येक 10-10 ग्राम) यह सभी औषधियां एक साफ- शीशी में डालकर 10-15 मिनट तक हिलाएं अथवा धूप में रख दें। इसको लेने से बदहजमी, पेट दर्द, ,दस्त, आदि रोगों को ठीक कर देता है। {2-3 चम्मच साफ-स्वच्छ ठंडे पानी में अथवा उबालकर ठंडे किए गए पानी में इस औषधि की 2-3 बूंदें सुबह-शाम भोजनोपरांत सेवन करने से भी और अधिक लाभ मिलता है }

अदरक (1 से 3 ग्राम तक) छीलकर तथा बारीक कतरकर उस पर थोड़ा सा सैंधा नमक या घरेलू रसोई में काम आने वाला साधारण नमक बुरककर भोजन से आधा घंटा पूर्व (दिन में 1 बार) लगातार आठ दिन तक खाने से हाजमा ठीक होता है तथा यह पेटदर्द, अफारा, बदहजमी, और कब्ज में भी लाभकर है।बारीक पिसी हुई अजवायन का चूर्ण 2 ग्राम (अकेला ही) अथवा इसमें आधा ग्राम सैंधा नमक भी मिला लें। इसको भोजनोपरांत दिन में 2 बार गर्म पानी के साथ सेवन करने से यह बदहजमी की दवा का काम करती है |5 लौंग और मिश्री 10 ग्राम लेकर खूब बारीक पीसकर मि.ली. साफ-स्वच्छ पानी मिलाकर सेवन करने से उबकाइयां आना तथा बदहजमी का रोग दूर होता है।पका हुआ पपीता खाली पेट नाश्ते के रूप में खाते रहने से बदहजमी नहीं होती है | पपीता आंतों की सफाई हेतु सर्वोत्तम प्रयोग है। यह पाचन संस्थान के रोगों को दूर करने वाला अमृत रूपी फल है।हींग, नौसादर और सैंधा नमक (प्रत्येक 10–10 ग्राम) लेकर 600 मि.ली. पानी में मिला लें फिर इसको किसी साफ बोतल में भरकर सुरक्षित रख लें। इसको 25-25 मि.ली. की मात्रा में सुबह-शाम (दिन में 2 बार) सेवन करने से बदहजमी, भूख न लगना आदि रोगों में लाभ होता है। खाना पचाने के घरेलू उपाय – देसी अजवायन 10 ग्राम, काला नमक ढाई ग्राम और हींग 4 ग्रेन (2 रत्ती) लें। इन तीनों औषधियों को बारीक पीसकर किसी साफ-स्वच्छ शीशी में सुरक्षित रख लें। इसे सुबह शाम थोड़े से गर्म पानी के साथ सेवन करें |एक छोटा चम्मच ‘लवण भास्कर चूर्ण’ मट्ठे (छाछ ) के साथ खाने से पेट के प्राय: सभी रोगों में आराम मिलता है।खाना पचाने की दवा – भुनी हींग, अनारदाना, सोंठ और काला नमक प्रत्येक 10–10 ग्राम लेकर चूर्ण बना लें। 4 माशा की मात्रा में इस चूर्ण को सेवन करने से प्राय: पेट के समस्त रोग मिट जाते हैं।तुलसी के सूखे हुए पत्ते और अजवायन 20-20 ग्राम तथा सैंधा नमक 10 ग्राम मिलाकर चूर्ण बना लें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में गुनगुने जल के साथ खाने से बदहजमी से मुक्ति मिलती है |खाने वाला सोडा, काली मिर्च, सौंठ, नौसादर और छोटी पीपल (प्रत्येक समान मात्रा में) लेकर चूर्ण बना कर लेने से भी बदहजमी और खट्टी डकार का इलाज हो जाता है |

बदहजमी से बचने के लिए क्या खाएँ

समय पर संतुलित, हलका भोजन करें।पुराने चावलों का भात खाएं।भोजन अच्छी तरह चबा-चबाकर रात में सोने के 3-4 घंटे पहले ही कर लें।अनन्नास, अमरूद, नीबू, अदरक का सेवन भोजन के साथ या बाद में नियमित करें।बथुआ, कच्चे पपीते का साग खाएं।यदि भोजन को ठीक से चबाकर (1 कौर को 32 बार) खाया जाए तथा भूख से कुछ कम भोजन किया जाए और निर्धारित समय पर भोजन किया जाए तो अपच व अफारा आदि पेट के रोगों से आसानी से बचा जा सकता है। इस प्रकार पाचन क्रिया सही रहने से खाना शरीर को पूरी उर्जा देता है।

खाना खाने के बाद – सीधा यानि पीठ के बल लेटकर 8 सांसें , फिर दाहिनी करवट लेकर 16 सांसें और फिर अंत में बाई करवट लेकर 32 सांसें ठीक से ले तो, इस व्यायाम को करने से पेट की गैस निकल जाती है।

बदहजमी से बचने के लिए क्या नही खाएँ

अधिक वसा युक्त, गरिष्ठ, बासी, अधपका भोजन न खाएं।एक बार में स्वाद वश आवश्यकता से अधिक भोजन न करें। हरी पत्तेदार सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन करें। टमाटर और खीरे का सलाद जरुर लें  |रात्रि में दही का सेवन न करें। और भोजन करने के बाद अधिक मात्रा में पानी न पिएं।सूर्योदय से पूर्व उठकर घूमने जाएं। शारीरिक व्यायाम करें।

प्रात: खाली पेट रोजाना कम-से-कम एक गिलास पानी पिएं।

इन 7 कारणों से हो सकती है आपको अपच और बदहजमी




अगर आप हर वक्‍त अपने पेट से परेशान रहते हैं, यानी कि खाना ठीक से हजम ना होना, पेट में अक्‍सर गैस या एसिडिटी बनी रहना और आए दिन बदहजमी की शिकायत रहती है, तो आपको अपने खाना खाने के तरीके में जल्‍द से जल्‍द बदलाव कर लेने चाहिये।

पेट दर्द, गैस, या लूज मोशन, सबका इलाज है यहां


पेट ठीक ना रहने की वजह से कई बीमारियां हो सकती हैं इसलिये कोशिश करें कि एक सही दिनचर्या का पालन करें। रात को देर से खाना या फिर ठीक प्रकार से चबा कर ना खाने आदि से आपके पेट को एक बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है।

आइये जानते हैं कि पेट की गैस, एसिडिटी, अपच और बदहजमी किन किन कारणों से हो सकती है।

रात में देर से भोजन करना

भले ही रात में आपको लेट लाइन काम पूरा करना हो या फिर रात में जगने का कोई और कारण हो, इतना ध्‍यान रखें कि खाना समय पर जरुर खा लें। रात को देर से खाना खाने पर पेट में खाना ठीक से हजम नहीं होता और फिर सुबह परेशानी होती है।

ज्‍यादा तेल मसाले वाला खाना ना खाएं

ज्‍यादा तेल, मसाले और उच्‍च वसा वाला भोजन खाने से बदहजमी हो सकती है। इससे एसिडिटी और पेट दर्द हो सकता है।

भूंख से अधिक खाना

कई लोग टीवी देखने के चक्‍कर में जरूरत से ज्‍यादा खा लेते हैं जिससे उनके पेट पर प्रेशर पड़ता है और बाद में वे अपच का शिकार हो जाते हैं। ये फूड ज्‍यादातर पैकेट वाले या जंक फूड होते हैं, जो सेहत के लिये बहुत ही खराब होते हैं।

भोजन के बीच में लंबा गैप होना

वे लोग जो वजन को लेकर सतर्क होते हैं, वे अपना ब्रेकफास्‍ट भारी करते हैं और लंच को पूरी तरह से छोड़ कर भारी डिनर करते हैं। यह कोई अच्‍छा आइडिया नहीं है क्‍योंकि भोजन के बीच में लंबा अंतराल रखने से एसिडिटी और बदहजमी हो सकती है।

खाने के बीच में पानी पीना

अगर आप खाना खाने के बीच में पानी पीते हैं, तो अपच हो सकता है। क्‍योंकि पानी आपके पेट में मौजूद गैस्‍ट्रिक जूस को घोल देता है, जिससे उसका असर खतम हो जाता है और वह खाने को अच्‍छी तरह से हजम नहीं कर पाता।


कई प्रकार के आहार एक साथ खाना

कहने का मतलब है कि अगर फल को कार्बोहाइड्रेट से भरे ब्रेकफास्‍ट या डेयरी उत्‍पाद या फिर प्रोटीन को कार्बोहाड्रेट के साथ खाया गया तो, जाहिर सी बात है कि बदहजमी हो सकती है।

खाने को ठीक से ना चबाना

क्‍या ऑफिस के लिये लेट हो रही है? और आप तेजी के साथ ब्रेकफास्‍ट खाते हुए एक गिलास पानी गटागट पी लेते हैं। अगर आप हर सुबह ऐसा ही करते हैं और खाने को बिना चबाए लील जाते हैं, तो आपको गैस, एसिडिटी, अपच और बदहजमी हो सकती है।

टॉप 10 घरेलू नुस्खे

बदहजमी को आसान भाषा में अपच या खट्टी डकार आना भी कहते हैं। जब पेट में खाना पचाने वाले जूस का स्त्राव ठीक से नहीं होता जब खाना ठीक से पच नहीं पाता और खट्टी डकारें आने की समस्या हो जाती है। सामान्य तौर पर बदहजमी की समस्या मसालेदार या वसायुक्त खाना खाने से या फिर अपनी क्षमता से अधिक खाना खाने से होती है।

इसके होने के अन्य कारण हैं

 गेस्ट्रो-एसोफगेअल रिफ्लक्स डिजीज (GERD), इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम, चिंता याडिप्रेशन, मोटापा, अल्सर, पेट का संक्रमण, थाइरोइड बीमारी, धुम्रपान और कुछ मेडिसिन्स के साइड इफेक्ट्स के कारण।

बदहजमी के कुछ लक्षण हैं

 पेट की गैस, पेट फूलना, पेट का गुर्राना, पेट में दर्द होना, पेट के ऊपरी भाग या छाती में जलन होना, स्वाद एसिडिक होना और उल्टी आना।

आप अपने रसोई में मौजूद कुछ सामग्री के इस्तेमाल से आसानी बदहजमी के लक्षणों को ठीक कर सकते हैं। उदारहरण के तौर पर बदहजमी होने पर तुरंत थोडा सा पानी पी लें क्योंकि पानी पेट के pH को बढ़ाकर कुछ समय के लिए राहत प्रदान कर सकता है।

नीचे बदहजमी को ठीक करने के लिए 10 सबसे कारगर उपाय दिए जा रहे हैं –




1. एप्पल साइडर विनेगर

अशांत पेट को ठीक करने के लिए एप्पल साइडर विनेगर काफी फायदेमंद होता है। हालांकि एसिडिक प्राकृति का होने पर भी पेट पर इसका क्षारीय प्रभाव होता है जो अपच को ठीक करता है।

एक चम्मच रॉ एप्पल साइडर विनेगर को एक कप पानी में घोल लें।अब इसमें एक चम्मच शहद मिला दें।इस मिश्रण को दिन में दो से तीन बार बनाकर सेवन करें।

2. सौंफ के बीज

अत्यधिक मसालेदार और वसायुक्त भोजन के सेवन के कारण हुई बदहजमी को ठीक करने में सौंफ काफी फायदेमंद होती है। सौंफ में वोलेटाइल आयल होता है जो जी मचलने और पेट फूलने की समस्या को ठीक करता है।

सूखे सौंफ के बीजों को पीसकर छान लें। इस पाउडर को एक चम्मच लेकर पानी के साथ सेवन करें। इस नुस्खे को दिन में दो बार करें।आप सौंफ की चाय का भी सेवन कर सकते हैं। 2 चम्मच सौंफ के बीजों को एक कप गर्म पानी में डालकर चाय बनायें।आप सौंफ को चबाकर भी सेवन कर सकते हैं।

3. अदरक

अदरक पेट में पाचक रसों और एंजाइम के स्त्राव को बढ़ाता है। यह गुण अदरक को बदहजमी में काफी कारगर औषधि बनाता है, खासतौर पर तब जब यह अत्यधिक खाने की वजह से हुई हो।

बदहजमी से बचे रहने के लिए रोज खाना खाने के बाद अदरक के स्लाइस पर नमक छिड़ककर चबाकर खाएं। दो चम्मच अदरक के रस में एक चम्मच निम्बू का रस और एक चुटकी नमक मिलाएं। जब भी आपका पेट खराब हो तो इसे बिना पानी के सेवन करें।आप दो चम्मच अदरक के रस को एक चम्मच शहद और एक कप गर्म पानी में मिलाकर भी सेवन कर सकते हैं।अदरक को अपने खाने में मिलाकर खाने से भी बदहजमी नहीं होती।

4. खाने का सोडा

पेट में एसिड का लेवल हाई होने पर भी अक्सर बदहजमी हो जाती है। पेट में एसिड के इलाज के लिए खाने का सोडा सबसे सरल और कारगर उपाय है क्योंकि यह एक एंटासिड (अम्लत्वनाशक) की तरह काम करता है।

डेढ़ चम्मच खाने के सोडे को आधा गिलास पानी में घोल लें। अब इस पानी को पी लें। इससे पेट की एसिड बेअसर हो जायगी और अपच की समस्या से शांति मिलेगी।

5. अजवाइन


अजवाइन में पाचन बढ़ाने वाले और वातानुलोभक (गैस को कम करने वाले) गुण होते हैं, जो बदहजमी की समस्या, पेट फूलने की समस्या और दस्त की समस्या (डायरिया) को ठीक करने में मदद करते है।

अजवाइन और सूखे अदरक को पीसकर साथ में पीसकर पाउडर तैयार करें। अब इस पाउडर की एक चम्मच को एक कप गर्म पानी में मिला ले और ऊपर से थोडा सा काली मिर्च का पाउडर छिड़क लें। अब इस मिश्रण का सेवन करें। इस नुस्खे को दिन में दो बार अपनाएं।खाने के बाद डेढ़ चम्मच अजवाइन को पानी के साथ बिना चबाये गटकने से भी बदहजमी से राहत मिलती है।

6. हर्बल टी

भारी खाना खाने के बाद हर्बल टी के सेवन से अपच को कम करने में काफी मदद मिलती है। अपनी पसंदीदा हर्बल टी के बैग को एक कप गर्म पानी में पांच मिनट के लिए डालकर रखें। अब इसे गर्म अवस्था में ही सेवन करें।
विशेष रूप से पेपरमिंट टी और कैमोमाइल टी के इस्तेमाल से पेट को शांत करने में ज्यादा मदद मिलती है।

7. जीरा (Cumin)

जीरा को काफी लम्बे समय से पाचन, पेट फूलना, गैस, दस्त आदि समस्यायों में आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता आ रहा है। यह अग्नाशय एंजाइमों (pancreatic enzymes) के स्त्राव को बढ़ाकर पाचन टिक करता है।

एक चम्मच भुने हुए जीरे के पाउडर को एक गिलास पानी में घोलकर सेवन करें।यदि पेट भरी महसूस हो रहा हो तो एक-एक चौथाई भुने जीरे और काली मिर्च के पाउडर को एक गिलास छाछ में घोलकर पी लें। इसे दिन में दो-तीन बार सेवन करने से आपके पेट का भारीपन दूर हो जायगा।


8. धनिया (Coriander)

धनिया अपच को ठीक करने के लिए काफी कारगर खाद्य पदार्थ है क्योंकि यह पाचन एंजाइम के उत्पादन को बढ़ाता है और पेट को शांत रखता है।

एक चम्मच भुने हुए धनिया के बीजों के पाउडर को एक गिलास छाछ में घोलकर पियें। ऐसा दिन में दो बार करें।पेट में एसिडिटी को कम करने के लिए धनिया के हरे पौधे के पत्तियों का रस तैयार करें और इसे छाछ में डालकर सेवन करें।

9. तुलसी के पत्ते

तुलसी में वातानुलोभक गुण (carminative properties) होते हैं इसलिए यह अपच, एसिडिटी और गैस को ठीक करने के लिए काफी प्रभावी आयुर्वेदिक हर्ब हैं।
एक कप गर्म पानी में तुलसी की पत्तियों को डालकर चाय तैयार करें। पेट को शांत रखने के लिए इस चाय को दिन में तीन बार सेवन करें।6 तुलसी की पत्तियां, 3 बड़े चम्मच दही और एक-एक चौथाई सेंधा नमक और काली मिर्च को आपस में मिलाकर सेवन करें। इसे दिन में दो-तीन बार सेवन करें।

10. दालचीनी

दालचीनी पाचन प्रक्रिया को ठीक करने में मदद करती है और पेट की ऐंठन और सूजन से राहत प्रदान करती है।
एक गर्म पानी में आधा चम्मच दालचीनी डालकर चाय बनायें।इस चाय को गर्म अवस्था में ही चुस्की लेकर पियें।

बदहजमी के लिए नानी माँ के नुस्खे

हमारी देश में लोगो को खाने से बहुत प्यार है और वो खाते वक्त ये नहीं देखते या सोचते की इससे कौन कौन से रोग हो सकते है| खाना ना पचना, अपच हो जाना या पेट में लगातार गैस बनते रहने को बदहजमी के नाम से जाना जाता है| यह एक ऐसा रोग है जिस दौरान इन्सान को खट्टी डकारे आती है और पेट में जलन के साथ गैस बनती है| ना भूख लगती और ना ही खाना पचता| वैसे आजकल बाज़ार में इसे ठीक करने के लिए किस आते उत्पाद है लेकिन घरेलू इलाज सबसे बढिया है|

नीम्बू

नीम्बू पेट की समस्यायों में हमेशा से ही इस्तेमाल किया जाता रहा है| एक नीम्बू ले और इसे बीच से दो हिस्सों में काट ले| अब दोनों हिस्सों में काला नमक और काली मिर्च भर दे| अब इन्हें तवे पर गर्म करे और हल्का सा भूरा हो जाने के बाद इसे खाएं| ऐसा रोजाना करने से आपका पेट सही रहेगा और बदहजमी की समस्या ठीक होगी|

सही तरीके से पानी पियें

बदहजमी होने की सबसे बड़ी वजह है सही तरीके से पानी ना पीना| खाना खाने के बाड़ा लगातार कई ग्लास पानी पी लेने से अग्नाशय में मौजूद जठराग्नि बुझ जाती है और फिर खाना पचता नहीं बल्कि सड़ने लगता है और इससे ही बदहजमी और अपच की शिकायत होती है| इसीलिए हमेशा खाना खाने के एक घंटे बाद अधिक से अधिक पानी पियें ना की खाना खाने के तुरंत बाद|

अजवाइन

आपने देखा होगा की टीवी में बदहजमी के लिए आ रहे उत्पादों में अजवाइन मिलाई जाती है क्योकि इससे पेट की यह समस्या दूर हो जाती है| दो ग्राम अजवाइन का चूर्ण ले और इसमें एक चुटकी काला नमक मिलाएं और इन दोनों को एक ग्लास हलके गुनगुने पानी में मिलाएं और सेवन करे| ऐसा रोजाना करने से आपका पेट भी स्वस्थ रहेगा और आपको बदहजमी की समस्या में आराम मिलेगा|

लौंग

लगभग पांच लौंग ले और इसे दस ग्राम मिश्री में मिलाएं और दोनों का बह्दिया पाउडर बना ले| अब इसे एक ग्लास हलके गुनगुने पानी में मिलाएं और सेवन करे जिससे आपकी बदहजमी की समस्या दूर हो जायेगी|

पका पपीता


नाश्ते में पका पपीता खाने से बदहजमी की समस्या दूर होती है| दरअसल पपीता आंतो की बढिया सफाई करता है और यह बदहजमी के लिए रामबाण आहार है|

छाछ

एक ग्लास छाछ में एक चुटकी काला नमक और थोड़ी सी अजवाइन मिलाएं और रोजाना खाना कहते वक्त इसका सेवन करे| ऐसा करने से आपके शरीर में ठंडक भी रहेगी और आपकी बदहजमी की समस्या भी दूर होगी|

अदरक और सेंधा नमक

एक इंच अदरक का टुकड़ा ले और इसे पीस ले और इसमें एक चुटकी काला नमक मिलाएं और इसे खाना खाने के एक घंटे पूर्व खाएं| ऐसा करने से आपको बदहजमी की समस्या में राहत मिलेगी और आपका पाचन भी बेहतर होता चला जाएगा|

क्या करें जब हो जाए बदहजमी

एसिडिटी कहें, अपच कहें, बदहजमी कहें या कुछ और, एक बार हो जाए तो फिर कहीं चैन नहीं मिलता। यह कोई ऐसी गम्भीर समस्या नहीं है कि हम तुरंत डॉक्टर के पास भागें। इसलिए ज्यादातर लोग घर पर ही इसके ठीक होने को उचित समझते हैं। इसमें कुछ गलत भी नहीं है, लेकिन स्वयं यह ठीक होने में कुछ वक़्त ले सकती है और तब तक आपको उस अप्रिय फीलिंग को सहन करना पढ़ सकता है। यहाँ कुछ ऐसे तरीके बताए गए हैं जिन्हे आप घर पर ही अपनाकर इस समस्या से जल्द से जल्द छुटकारा पा सकते हैं। इनमें से कुछ उपाय हैं

स्वस्थ आदतें अपनायें

मसालेदार खाने से परहेज करें

ऐसा खाना बिलकुल त्याग दें जिनमें तेल, मिर्च और मसाले अधिक मात्रा में हों। ऐसे आहार आपकी एसिडिटी की समस्या को बड़ा सकते हैं और पेट में जलन का कारण भी बन सकते हैं। इसके बजाय हल्के फुल्के भोजन जैसे मूंग दाल की खिचड़ी, दलिया इत्यादि का सेवन करें।

खाने के बीच में पानी पीना या कोई अन्य पदार्थ लेना टालें

कुछ लोगों की आदत होती है वो खाने के बीच में 1 से 2 गिलास पानी पी जाते हैं, वहीँ कुछ लोग खाने के साथ या तुरंत बाद चाय, कॉफी या सोडा पीना पसंद करते हैं जो बिलकुल गलत है। खाना खाने के तुरंत बाद आपके डायजेशन सिस्टम में खाना पचाने के लिए कुछ ख़ास एंजाइम निकलते हैं और तुरंत या साथ में पानी या अन्य कोई लिक्विड लेने से यह एंजाइम उस तरल में घुल कर पतले हो जाते हैं जिससे खाना या तो पचता ही नहीं है या कठिनाई से पचता है। इसलिए कहा गया है कि खाने के लगभग 30 मिनिट बाद पानी और कुछ तरल लेना चाहिए।

धीरे और खूब चबाकर खाय

अगर आप जल्दी में खाना खा रहे हैं, या यह आपकी आदत में है तो इस आदत को तुरंत बदल दें। खाते समय बात करना भी आपकी बदहज़मी का कारण हो सकता है क्योंकि बात करते हुए आप अक्सर बड़े कौर बगैर ठीक चबाये निगलते हैं जो आपकी इस समस्या को बढ़ा सकता है। इसीलिए आराम से धीरे धीरे एक निवाले को कम से कम 32 बार चबाकर खायें और चबाते वक़्त बात न करें | अगर आप वजन कम करने की कोशिश में हैं वहां यह आदत खूब कारगर है।

खाने और सोने के बीच में कम से कम 2 घंटे का अंतर रखें

खाना खाने के बाद लगभग एक घंटा हलकी चहलकदमी करें। कोई भारी एक्टिविटी न करें। कुछ देर के लिए वज्रासन में बैठें।  यही एक ऐसा आसान है जो खाने के बाद किया जा सकता है और खाने को पचने में सहायक है। सोने जाने से कम से कम 2 घंटे पहले खाना खा लें |

कुछ घरेलू उपाय

पिपरमिंट या पुदीना का सेवन

पुदीना बदहज़मी से तुरंत राहत देता है। इसलिए इस स्थिति में पुदीना की पत्तियों को पानी में उबाल कर उनका सेवन इस समस्या से छुटकारा देता है। यह कैप्सूल या ग्रीन टी के रूप में मार्केट में आसानी से उपलब्ध हैं। इसे आप कैप्सूल या लिक्विड, दोनों में से किसी भी रूप में ले सकते हैं। यह सीने में जलन और बदहजमी के कारण होने वाली बेचैनी में तुरंत राहत देता है। इसे पीने के 1 से 2 टैब्लेट्स पानी साथ और अगर लिक्विड है तो कम से कम 1 चम्मच आधे कप पानी में मिलाकर पियें।

हर्बल चाय या काढ़ा पियें

पिपरमिंट, अदरक और दालचीनी पेट की समस्यायों के लिए बहुत कारगर होती हैं | आप इन्हें दुकान से खरीदे हुए टी बैग के रूप में या फिर सूखे रूप को पानी में उबाल कर भी सेवन कर सकते हैं | बिना चीनी डाले थोड़ा स्वाद बढ़ाने के लिए शहद या नीम्बू भी डाल सकते हैं | बाजार में उपलब्ध कैमोमाइल टी भी आप इस समस्या से निजात पाने के लिए पी सकते हैं।

प्रो-बायोटिक्स का सेवन अधिक करें

दही प्रोबायोटिक्स का सबसे उम्दा स्त्रोत माना जाता है। यह वो बैक्टीरिया होते हैं जो आपके हाजमे को ठीक रखने में मददगार होते हैं। पेट में इनकी कमी आपके खाने को सही से नहीं पचने देती और आपको बदहजमी महसूस होने लगती है | बदहज़मी होने पर केले के साथ दही का सेवन करें, आराम होगा। फर्मेन्टेड फ़ूड जैसे इडली और आयल फ्री डोसा भी इसके अच्छे स्त्रोत माने जाते हैं।

एप्पल साइडर विनेगर पीयें

हालाँकि एप्पल साइडर विनेगर की प्रकृति एसिडिक होती है लेकिन भर भी इसके PH बैलेंसिंग गुण बदहजमी में राहत दिलाते हैं। यह सीने में जलन और एसिडिटी से भी राहत देता है। इसे लेने के लिए 2 से 3 चम्मच एप्पल साइडर विनेगर को 1 गिलास पानी में मिलायें और भोजन से पहले लें।

बेकिंग सोडा का उपयोग करें

बदहजमी होने की स्थिति में बेकिंग सोडा से तैयार सॉल्युशन पीने से आपको बहुत हद तक आराम मिलता है। यह सॉल्युशन आपके पेंक्रियाज में स्थित तरल का PH लेवल फिर से नॉर्मल करता है जिससे एसिडिटी से राहत मिलती है। इसे इस्तेमाल करने के लिए 1 गिलास पानी में 1/2 चम्मच बेकिंग सोडा डालें और पी जायें, आपको आराम मिलेगा। दिन में अधिकतम 2 बार पियें।

बदहज़मी में अजवाइन का सेवन

अगर आपको अक्सर बदहज़मी की शिकायत रहती हो और आपका हाज़मा ठीक न रहता हो तो अजवाइन को सेंक कर उसमें थोड़ा सा काला नमक मिलाकर किसी एयरटाइट कंटेनर में रख लें और खाने के बाद दोनों टाइम एक एक चम्मच अच्छी तरह चबा चबा कर खायें।

सौंफ का सेवन करें


सौंफ, सदियों से अपच या बदहज़मी की समस्या में उपयोग होती आ रही है। इसलिए खाने के बाद इसका नियमित सेवन करने की आदत डालें। अगर बदहज़मी की शिकायत बहुत बढ़ गई हो तो लगभग 1 चम्मच सौंफ 1 गिलास पानी में उबालें और उसमे थोड़ा सा अदरक किस कर डालें। 5 मिनिट के लिए उबालें। इसके बाद इसे चाय की तरह पियें।



बदहजमी और खट्टी डकार की छुट्टी करेंगे ये कमाल के नुस्खे




भोजन करने के बाद डकार आना एक आम समस्या है। मगर खट्टी डकार आने पर कई बार दूसरो के सामने भी शर्मिंदा होना पड़ता है। बार-बार डकार आने की समस्या को बर्पिंग भी कहा जाता है, जोकि पाचन क्रिया में गड़बड़ी, पेट दर्द, गैस के कारण हो जाती है। इसके अलावा डाइजेशन के लिए जरूरी एंजाइम्स कम पड़ जाते है तो भी यह समस्या हो जाती है। आज हम आपको खट्टी डकार आने के कुछ कारण और घरेलू उपाय बताएंगे, जिनकी मदद से आप इस समस्या से कुछ मिनटों में ही छुटकारा पा सकते हैं।


खट्टी डकार आने के कारण

ओवरइटिंग

पेट में इंफेक्शन

बदहजमी के कारण

समय पर न खाना

सिगरेट या शराब का सेवन

टेंशन के कारण

ज्यादा मसालेदार भोजन का सेवन

खट्टी डकार के घरेलू उपाय

1. पानी पीना

अगर आपको भोजन के बार तुरंत खट्टी डकार आने लगती है तो थोड़ा-थोड़ा पानी पीएं। इससे आपको तुरंत आराम मिल जाएगा।


2. इलायची

खट्टी डकार से राहत पाने के लिए दिन में 3-4 बार इलायची या इसकी चाय का सेवन करें। इससे आपकी खट्टी डकार आने की समस्या दूर हो जाएगी।

3. सौंफ

अगर आपको बार-बार खाली पेट डकार आ रही है तो सौंफ का सेवन करें। इससे बार-बार डकार आने की परेशानी मिनटों में दूर हो जाएगी।


4. नींबू का रस

दिन में 2 बार नींबू के रस का सेवन भी खट्टी डकार से निजात दिलाने में मदद करता है। इसके अलावा आप खट्टी डकार को दूर करने के लिए ठंडे दूध का सेवन भी कर सकते हैं।


5. हरा धनिया

बार-बार डकार आने पर कच्चे हरे धनिया को अच्छी तरह चबाकर खाएं। इससे डकार आना जल्दी बंद हो जाएगी।

6. लौंग

मुंह में एक लौंग का टुकड़ा रखकर चूसें। कुछ देर तक इसे चूसने के बाद आपको खट्टी डकारों से राहत मिल जाएगी।


7. हिंग्वाष्टक चूर्ण

पेट से जुड़ी किसी भी समस्या को दूर करने के लिए हिंग्वाष्टक चूर्ण बहुत फायदेमंद है। खाने के बाद जरा से चूर्ण को पानी में मिला कर पी ले। इससे गैस, एसिडिटी, कब्ज और खट्टी डकारों की समस्या पूरी तरह खत्म हो जाएगी।

इन बातों का भी रखें ध्यान

खाना हमेशा चबाकर खाएं

मसालेदार भोजन का सेवन न करें

चुइंग गम न चबाएं

धूम्रपान और शराब से दूर रहें

खाना खाने के बाद थोड़ी देर हवा में जरूर टहलें

कार्बोनेटेड ड्रिंक्स का सेवन न करें

अपच या बदहजमी (डिस्पेप्सिया)

डिस्पेप्सिया (Dyspepsia) अपच आपके पेट में असुविधा और दर्द से संबंधित लक्षण होते है। यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें रोगी के पेट में दर्द आता और जाता रहता है। लेकिन यह दर्द आमतौर पर ज्‍यादा समय के लिए बना रहता है।

डिस्पेप्सिया को हम और आप सामान्‍य रूप से अपच के नाम से जानते हैं। यह एक बीमारी नहीं है, अपच उन लक्षणों को दर्शाता है जिनमें अक्‍सर पेट की सूजन, असुविधा, मतली और डकार (burping) आदि शामिल हैं।

अधिकांश मामलों में अपच खाने या पीने से संबंधित होता है। यह संक्रमण से या कुछ दवाओं के उपयोग के कारण भी हो सकता है। अपच किसी भी उम्र के पुरुष और महिलाओं को हो सकता है। यह विशेष रूप से बच्‍चों को उनके गलत खान-पान की आदतों के कारण भी हो सकता है।

डिस्पेप्सिया (अपच) क्‍या है

यह एक विशिष्‍ट स्थिति के बजाय लक्षणों का समूह है। अपच से ग्रसित अधिकतर लोग पेट या छाती में दर्द और बेचैनी महसूस करते हैं। यह आमतौर पर खाना खाने या कुछ भी पीने के तुरंत बाद होता है। ऐसी स्थिति में एक व्‍यक्ति बिना ज्‍यादा खाए ही पूर्ण या असहज महसूस करता है। अपच लगभग हर किसी के साथ होता है जो खाने की आदतों या कमजोर पाचन के कारण हो सकता है। ऐसी स्थिति में व्‍यक्ति द्वारा भोजन करने के बाद पेट भारी लगना, पेट या अन्‍नप्रणाली (esophagus) में जलन महसूस करना, पेट में अत्‍यधिक गैस या मरोड़ का अनुभव करना जैसे लक्षण दिखते हैं। आप अपच के इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें यदि आपको ऐसे लक्षण महसूस होते हैं तो आप डॉक्‍टर से संपर्क कर सकते हैं।

अपच (बदहजमी) होने के कारण

किसी भी व्‍यक्ति की जीवनशैली (lifestyle) और खाने वाले खाद्य पदार्थों के कारण डिस्पेप्सिया होता है। यह किसी संक्रमण या अन्‍य पाचन स्थितियों खराबी से भी संबंधित हो सकता है। आमतौर पर लक्षण पेट के एसिड से श्‍लेष्‍म झिल्‍ली (mucosa) के संपर्क में आने से होता है। पेट में उपस्थित एसिड श्‍लेष्‍म झिल्‍ली को तोड़ देते हैं जिससे जलन और सूजन होती है।

बार बार अपच होने के अधिकांश मामले निम्‍न कारणों से हो सकते हैं-

गैर-अल्‍सर डिस्‍पेप्सिया

  इसे कभी-कभी कार्यात्‍मक डिस्‍पेप्सिया भी कहा जाता है, इसका मतलब यह है कि इसके लक्षणों के लिए ज्ञात कारण नहीं है।

डुओडेनल और पेट अल्‍सर

:  यह ऐसी स्थिति होती है जब आपकी आंत अल्‍सर से क्षतिग्रस्‍त हो जाती हैं।

डुओडेनम या पेट की सूजन

: इस स्थिति में अल्‍सर हल्‍का या अधिक गंभीर हो सकता है

एसिड रिफ्लक्‍स, ओसोफैगिटिस और गोर्ट

:  एसिड रिफ्लक्‍स तब होता है जब कुछ एसिड पेट से एसोफैगस में रिफ्लक्‍स हो जाता है।

हिट्स हार्निया

: यह तब होता है जब पेट का ऊपरी भाग डायाफ्राम में एक दोष के माध्‍यम से निचले छाती मे धक्‍का देता है।

अपच के अन्‍य सामान्‍य कारणों में शामिल हैं :

बहुत ज्‍यादा खानाफैटी, चिकनाई या मसालेदार भोजन खानाबहुत अधिक शराब, कैफीन या धूम्रपान का सेवन करना कुछ दवाएं,

जैसे कि एंटीबायोटिक्‍स और गैर-स्‍टेरॉड एंटी-इंफ्लामेटरी दवाओं का सेवन करनाअग्‍नाशयशोथ या पैनक्रियाज की सूजनमोटापा, घबराहटबहुत अधिक चॉकलेट या सोडा का सेवनसंक्रमण विशेष रूप से हेलिकोबैक्‍टर पिलोरी बैक्‍टीरिया के साथ

जब एक डॉक्‍टर को अपच का कारण नहीं मिल पाता है, तो व्‍यक्ति में कार्यात्मक अपच (functional dyspepsia) हो सकता है। लक्षणों की व्‍याख्‍या करने के लिए यह किसी भी संरचनात्‍म या चयापचय रोग के बिना अपच का एक प्रकार होता है। यह पेट की अ‍सुविधा के कारण हो सकता है जो इसे सामान्‍य तरीके से भोजन को स्‍वीकार करने और पचाने से रोकता है।

बदहजमी (अपच) होने के लक्षण

डिस्‍पेप्सिया के कुछ लक्षण होते हैं जिनके होने पर या पेट मे किसी प्रकार का दर्द होने पर आप अपने डॉक्‍टर से संपर्क कर सकते हैं। अपचन के कुछ आम लक्षण इस प्रकार हैं :

जी मिचलाना डकार दर्द पेट में दर्द होना

हल्‍के अपच  को शायद ही कभी जांच की आवश्‍यकता होती है, यह विशेष चिंता का विषय नहीं होना चाहिए। लेकिन यदि 2 सप्‍ताह से अधिक समय तक अपच की शिकायत हो तो आपको डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए।

यदि दर्द गंभीर है और निम्‍न में से कोई भी लक्षण दिखें तो 

आपको तुरंत ही उपचार की आवश्‍यकता होती है :
वजन कम होना या भूख न लगना उल्‍टी भोजन को निगलने में दिक्‍कत होनामल का रंग काला होनाशारीरिक परिश्रम के दौरान सीने में दर्द होनासॉंस लेने में तकलीफ होनाअधिक मात्रा में पसीना आनाछाती का दर्द जो जबड़ो, हाथ या गर्दन में फैलता है।

डिस्पेप्सिया (बदहजमी) का निदान

जो लोग नियमित अपच या गंभीर पेट दर्द का अनुभव करते हैं उन्‍हें प्राथमिक उपचार की आवश्‍यकता होती है। एक डॉक्‍टर आपसे अपच के लक्षणों के बारे में पूछेगा। वह आपके पिछले इलाज और पारिवारिक इतिहास के बारे में भी पता लगाएंगे और जरूरत पड़ने पर आपकी छाती और पेट (chest and stomach) की जांच करेंगें। यह पेेट के विभिन्‍न क्षेत्रों में दबाव डाल कर पता करेंगे कि कोई संवेदनशील (sensitive) कारण तो नहीं है।

अगर डॉक्‍टर को आंतरिक कारणों पर संदेह होता है तो वे आंतरिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं की पहचान के लिए निम्‍नलिखित निदान परीक्षणों (diagnostic tests) का उपयोग कर सकते हैं

अपच की जांच के तरीके – Apach Ki Janch

खून की जांच (Blood test) : अगर डिस्पेप्सिया वाले व्‍यक्ति को एनीमिया के लक्षण भी होते हैं तो डॉक्‍टर उन्‍हें रक्‍त परिक्षण के लिए कह सकता है।

एंडोस्‍कोपी (Endoscopy) : जिन लोगों का पहले अपच से संबंधित किसी भी प्रकार का उपचार नहीं किया गया है या पिछले उपचारों का कोई रिकार्ड नहीं है उन्‍हें ऊपरी गैस्‍ट्रोइंटेस्‍टाइनल (upper gastrointestinal) ट्रैक्‍ट के परिक्षण के लिए कहा जा सकता है। इसके लिए एक कैमरे के साथ एक पतली ट्यूब मुंह और पेट में डाली जाती है। यह श्‍लेष्‍म की स्‍पष्‍ट फोटो देता है। कैंसर के परीक्षण के लिए डॉक्‍टर इस प्रक्रिया के दौरान बायोप्‍सी (biopsy) भी कर सकते हैं।

एच. पाईलोरी संक्रमण के लिए टेस्‍ट (Tests for H. Pylori infection): इनमें यूरिया सांस परिक्षण, मल एंटीजन परीक्षण और रक्‍त परिक्षण शामिल हो सकता है। एक एंडोस्‍कोपी एच. पिलोरी (H. Pylori) के साथ-साथ मौजूद किसी भी पेप्टिक अल्‍सर की पहचान भी कर सकता है।

लिवर फंक्‍शन टेस्‍ट (Liver function test) : यदि डॉक्‍टर यकृत में पित्‍त नलिकाओं (bile ducts) में संदेह करता है तो वे यह जांचने के लिए रक्‍त परीक्षण की सलाह दे सकते हैं, यह जानने के लिए कि यकृत कैसे काम कर र‍हा है।

ऐक्‍स–रे (X-ray) : डॉक्‍टर डिस्पेप्सिया के निदान के लिए अन्‍नप्रणाली (esophagus), पेट और छोटी आंत के एक्‍स-रे भी ले सकता है।

पेट संबंधि अल्‍ट्रासाउंड (Abdominal ultrasound) : उच्‍च आवृत्ति बाली ध्‍वनीतरंगों के माध्‍यम से पेट के अंदर की क्रिया, पेट के अंदर के अंगों और रक्‍त प्रवाह की जांच की जाती है। इसके लिए पेट पर एक जेल लगाया जाता है और एक हाथ से डिवाइस को पेट की त्‍वचा पर चलाया जाता है।

पेट संबंधि सीटी स्‍कैन (Abdominal CT scan) :सीटी स्‍कैन पेट के अंदर की 3 डी छवि बनाने का एक तरीका है जो अंदर की वास्‍तविक स्थिति का पता लगाने में मदद करती है।

अपच के घरेलू उपाय और उपचार

अपच के लिए दवा ही एक मात्र उपचार नहीं है। आप पाचन और जीवनशैली में सुधार करके अपच के लक्षणों को दूर कर सकते हैं। अपच को दूर करने के कुछ घरेलू उपाय इस प्रकार हैं :

थोड़ा-थोड़ा भोजन करें, एक साथ अधिक मात्रा में भोजन न करें।मसालेदार, फैटी (spicy, fatty) खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें जो आपके लिए एसिड रिफ्लेक्स का कारण बन सकते हैं।धीमे खाएं और सोने के तुरंत पहले भोजन न करें।धूम्रपान और शराब आदि का सेवन न करें।आप अपने अतिरिक्‍त वजन को कम कर सकते हैं।कॉफी, शीतल पेय और अल्‍कोहल का सेवन कम मात्रा में करें।अच्छी स्थिति में पर्याप्‍त मात्रा में आराम करें।योग या विश्राम चिकित्‍सा के माध्‍यम से तनाव को कम करें।

अपच (बदहजमी) में जटिलताएं

कभी कभी अपच एक गंभीर समस्‍या का संकेत हो सकता है – उदाहरण के लिए पेट में अल्‍सर , या शायद ही कभी अपच कैंसर का कारण हो सकता है। यदि आप अपच से ग्रसित है तो आप अपने डॉक्‍टर से बात करें। यह विशेष रूप से महत्‍वपूर्ण है यदि निम्‍न में से कोई एक स्थिति आपकी है :
आपकी उम्र 50 साल से अधिक है।बिना किसी प्रयास के आपका वजन कम हो रहा हो।आपको भोजन निगलने (swallowing) में परेशानी हो रही हो।आपको अधिक मात्रा में उल्‍टी (vomiting) हो रही हो।यदि आप लगातार काले मल का उत्‍सर्जन कर रहें हैं।

अपच (बदहजमी) में क्या खाना चाहिए

पाचन क्रिया को स्‍वस्‍थ्‍य बनाए रखने के लिए उच्‍च फाइबर युक्‍त भोजन करना एक अच्‍छा तरीका होता है। इससे आंतों को साफ रखनेऔर क्‍लीनर प्रक्रिया को बनाए रखने में मदद मिलती है।

बदहजमी के दौरान अधिक मात्रा में फाइबर युक्‍त फल, सूखे मेवे, फलियां और साबूत अनाज (wholegrain) का सेवन करना चाहिए जो डिस्पेप्सिया को दूर करने के प्रभावी तरीके माने जाते हैं।

मसालेदार या चिकना (spicy or greasy ) भोजन को छोड़कर संतुलित भोजन करना ज्‍यादा लाभकारी होता है। भोजन के साथ तरल पदार्थों का भी सेवन करना जरूरी होता है, क्‍योंकि यह भोजन को पाचन तंत्र (digestive tract) में स्‍थानांतरित करने में मदद करता है।

अपच के दौरान दिन में लगभग चार या पांच बार थोड़ी थोड़ी मात्रा में भोजन करना चाहिए जो आपके पाचन तंत्र के सही तरीके से काम करने में मदद करते हैं।

बदहजमी ठीक करने में कारगर है पुदीना

पुदीना का इस्तेमाल न सिर्फ औषधि के रूप में किया जाता है वरन् खाने में फ्लेवर लाने के लिए भी किया जाता है। प्राचीन काल से पुदीना बदहजमी संबंधी किसी भी समस्या के उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है।

पुदीना का इस्तेमाल न सिर्फ औषधि के रूप में किया जाता है वरन् खाने में फ्लेवर लाने के लिए भी किया जाता है। प्राचीन काल से पुदीना बदहजमी संबंधी किसी भी समस्या के उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। 

शायद आप सोच रहे होंगे कि पुदीने में ऐसा क्या है जो हाजमा को बेहतर बनाने में इतना मदद करता है। पुदिना में फाइटोन्यूट्रिएन्ट्स और एन्टीऑक्सिडेंट होता है जो खाना को डाइजेस्ट करने में सहायता करता है। इस हर्ब में मेन्थॉल रहता है जो डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में बाइल सॉल्ट और एसिड के निष्कासन को एक्टिव करता है। 

बदहजमी के कारण पेट में जो गैस बनने लगता है उसको ये पेट के मांसपेशियों को शांत करके निकालने में पुरी तरह से सहायता करता है। मेन्थॉल के कारण जो मांसपेशियों का संचालन अच्छी तरह से होने के कारण बदहजमी के लक्षणों के दूर करके बैचनी में चैन दिलाता है।

पुदीना बदहजमी के कारण पेट में दर्द, गैस, एसिडिटी जैसे लक्षणों से मिनटों में आराम दिलाता है। 

गैस और बदहजमी के 6 अचूक उपाय




गैस समस्या है. समस्या उन लोगों के लिये जिन्हें यह झेलना पड़ता है. इससे ग्रसित लोगों की ज़िंदगी में दूसरी समस्यायें बौनी लगने लगती है. कभी-कभार पीड़ित व्यक्ति को ऐसा लगता है जैसे गैसे उसके शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में फैलती है. फैलने के साथ ही यह पीड़ितों को एक चुभन का एहसास दिलाती रहती है. यह चुभन उन्हें बहुत सताती है और फौरी राहत से पहले कष्टदायी पीड़ा का एहसास कराती है.

इस दौरान उनकी बेचैनी बढ़ती ही जाती है. अपनी बेचैनी से निजात पाने के लिये वो कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं. कई पीड़ित फौरन गैस की गोली का सेवन कर लेते हैं. हालांकि, गैस की गोली इसका स्थायी ईलाज नहीं है. जानिये, गैस और इसके एक स्रोत बदहजमी को दूर करने के कुछ उपायों के बारे में-

1, समय पर भोजन

अक्सर लोग सुबह के नाश्ते को तवज्जो नहीं देते. ऐसा मानने वाले लोगों के वर्ग में सामान्य रूप से कॉलेज जाने वाले किशोरों, नौकरी करने वाले लोगों और गृहिणियाँ आती हैं. हालांकि, यह मात्र एक धारणा है. दरअसल, लोगों की यह आदत गैस की समस्या बढ़ाने के उत्प्रेरक के रूप में काम करता है. 

2, शहद व नींबू

बदहजमी या इससे उपजी गैस से परेशान लोगों को रोजाना सुबह देसी शहद में नींबू रस मिलाकर चटाने से लाभ मिलता है. 

3, अजवायन युक्त पानी

भोजन के बाद सादे पानी के स्थान पर अजवायन युक्त उबले पानी का प्रयोग करें. इससे गैस व बदहजमी से राहत मिलेगी.

4, भोजन से पहले

गैस, बदहजमी से राहत मिल सकती है अगर करीब 10 ग्राम घी में भुने लहसुन और जीरा को भोजन से पहले खाया जाए.

5, लौंग पानी

रोजाना लौंग का उबला पानी पियें. लौंग पानी के सेवन से गैस की समस्या दूर हो सकती है.

6, अदरक

अदरक बदहजमी को दूर करता है. यह उस समय ज्यादा कारगर सिद्ध होता है जब ज्यादा भोजन लेकर आप बदहजमी के शिकार होते हैं. बदहजमी को दूर करने के लिए दो चम्मच अदरक का जूस, एक चम्मच नींबू का जूस, चूटकी भर काला नमक लेकर इन सभी को मिक्स करके पानी के साथ लें. आराम मिलेगा.   



पतंजलि की दवा : गैस, कब्ज, बदहजमी, एसिडिटी के लिए




पतंजलि की दवा

पतंजलि गैस की दवा – वायु की विगुणता से पेट में अपाचन से अन्न रस का संचय होना तथा विगुणित वायु से अवरुद्ध होकर पुरीष (मल) का न निकल पाना तथा उद्गार एवं अधोवात का न निकल पाना ही आनाह कहलाता है।

दिव्य सर्वकल्प क्वाथ – 200 ग्रामदिव्य कायाकल्प क्वाथ – 100 ग्राम

दोनों औषधियों को मिलाकर 1 चम्मच (लगभग 5-7 ग्राम) की मात्रा में लेकर 400 मिली पानी में पकाएं और 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रात:, सायं खाली पेट पिएं।

दिव्य उदरामृत वटी – 40 ग्रामदिव्य आरोग्वर्धिनी वटी – 40 ग्राम

2–2 गोली प्रात: व सायं भोजन के बाद गुनगुने जल से सेवन करें।

पतंजलि गैसहर चूर्ण – 100 ग्राम

आधा चम्मच प्रात: एवं सायं भोजन से आधा घण्टा पहले गुनगुने जल से सेवन करें। नोट-10 मिली एलोवेरा जूस, 5 मिली आंवला जूस तथा 5 मिली गोधन अर्क में तीनों के बराबर गुनगुना जल मिलाकर प्रात:काल सेवन करने से शीघ्र लाभ होता है। गैस की समस्या का समाधान के लिए अन्य आसान घरेलू नुस्खे जानने के लिए पढ़े – पेट की गैस की रामबाण दवा तथा अचूक आयुर्वेदिक इलाज |

कब्ज के उपचार के लिए उपलब्ध पतंजलि की दवा .
दिव्य अभयारिष्ट – 450

4 चम्मच औषध में 4 चम्मच गुनगुना पानी मिलाकर प्रात: एवं सायं भोजन के बाद सेवन करें।

दिव्य उदरकल्प या दिव्य चूर्ण – 100 ग्राम
1 चम्मच चूर्ण को रात्रि में सोने से पूर्व गुनगुने जल के साथ सेवन करें।

दिव्य चित्रकादि वटी – 40 ग्रामदिव्य आरोग्यवर्धिनी वटी – 4O ग्राम

2-2 गोली दिन में दो बार प्रात: नाश्ते एवं सायं-भोजन के बाद प्रयोग करें। नोट-मधुमेह के रोगी उदरकल्प चूर्ण का प्रयोग न करें। दिव्य चूर्ण, दिव्य हरीतकी चूर्ण या दिव्य त्रिफला चूर्ण का प्रयोग वे कर सकते हैं। कब्ज होने के कारण जानने के लिए पढ़ें यह लेख – कब्ज: कारण लक्षण और मिटाने के सरल उपचार |

अम्लपित्त के लिए उपलब्ध पतंजलि की दवा.

दिव्य मुलेठी क्वाथ – 300 ग्राम

1 चम्मच औषध को 400 मिली पानी में पकाएं और 100 मिली शेष रहने पर उसे छानकर प्रात:, सायं खाली पेट पिएं।

दिव्य अविष्पत्तिकर चूर्ण – 100 ग्राम

आधा चम्मच प्रात: एवं सायं भोजन से आधा घण्टे पहले ताजे जल से सेवन करें।

रोग की जीर्णावस्था में

दिव्य अविष्पत्तिकर चूर्ण – 100 ग्रामदिव्य कामदुधा रस – 20 ग्रामदिव्य मुक्ताशुक्ति – 10 ग्राम

इन तीनों औषधियों को मिलाकर आधा-आधा चम्मच प्रात: एवं सायं भोजन से आधा घण्टे पहले ताजे जल से सेवन करें।

दिव्य हरीतकी चूर्ण – 100 ग्राम

एक चम्मच रात को सोने से पहले गुनगुने जल से लें। नोट -विबन्ध होने पर दिव्य चूर्ण या उदरकल्प चूर्ण को  1 चम्मच की मात्रा में गुनगुने जल के साथ सेवन करें। घरेलू नुस्खे जानने के लिए पढ़ें 

अजीर्ण और अपच, बदहजमी के उपचार के लिए 

उपलब्ध पतंजलि की दवा

खाए हुए भोजन का पूर्णतया ना पचना अजीर्ण कहलाता है। इसका कारण जठराग्नि की मंदता है। इसकी चिकित्सा अरुचि और अग्निमांद्य की भांति है।

तक्र में भुना जीरा एवं काला नमक मिलाकर सेवन करने से सभी प्रकार का उदररोग ठीक होता है।

अल्सर ग्रहणी रोग के लिए उपलब्ध पतंजलि की दवा :

जठराग्नि के मंद होने पर वातादि दोषों के प्रकोप होने से विकृत हुई ग्रहणी अन्न का पाचन ठीक से नहीं कर पाती है। फलत: आहार को बिना पचे रूप में ही शरीर से बाहर निकाल देती है।

दिव्य बिल्वादि चूर्ण – 100 ग्रामदिव्य गंगाधर चूर्ण 5O ग्रामदिव्य शंखभस्म – 10 ग्रामदिव्य कपर्दक भस्म – 10 ग्राम
सभी औषधियों को मिलाकर 1-1 चम्मच प्रात: नाश्ते से पहले, दोपहर-भोजन से पहले एवं रात्रि-भोजन से पहले जल के साथ सेवन करें।

दिव्य कुटजारिष्ट – 450 मिली

4 चम्मच औषध में 4 चम्मच गुनगुना पानी मिलाकर प्रात: एवं सायं भोजन के बाद सेवन करें। नोट-तक्र में अजवायन तथा सैंधव लवण मिलाकर सेवन करने से विशेष लाभ होता है। गुनगुने पानी का सेवन करें।

अरुचि तथा अग्निमोद्य के उपचार के लिए उपलब्ध पतंजलि की दवा | 

दिव्य सर्वकल्प क्वाथ – 3OO ग्रामदिव्य मुलेठी क्वाथ 100 ग्राम

दोनों औषधियों को मिलाकर 1 चम्मच (लगभग 5–7 ग्राम) की मात्रा में लेकर 400 मिली पानी में पकाएं और 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रात: सायं खाली पेट पिएं।

दिव्य चित्रकादि वटी – 40 ग्रामदिव्य उदरामृत वटी – 40 ग्राम

2–2 गोली दिन में तीन बार प्रात: नाश्ते व दोपहर-भोजन एवं सायं-भोजन के बाद प्रयोग करें।

दिव्य हिंग्वाष्टक चूर्ण – 100 ग्राम

आधा चम्मच प्रात: एवं सायं भोजन से आधा घण्टे पहले गुनगुने जल या भोजन के प्रथम ग्रास के साथ प्रयोग करें।

दिव्य पुनर्नवारिष्ट – 450 मिलीदिव्य कुमार्यासव – 450 मिली

4 चम्मच औषध में 4 चम्मच पानी मिलाकर प्रात: एवं सायं भोजन के बाद सेवन करें।

पर्पष्टी कल्प संग्रहणी के लिए उपलब्ध पतंजलि की दवा :


दिव्य पंचामृत पर्पटी – 10 ग्रामभुना हुआ जीरा चूर्ण – 30 ग्रामदिव्य मुक्ता शुक्ति – 5 ग्रामदिव्य मुक्ता पिष्टी – 5 ग्राम
सभी औषधियों को मिलाकर 60 पुड़िया बनाएं प्रात: एवं सायं भोजन से आधा घण्टा पहले जल/शहद/मलाई से सेवन करें।

सेवन विधि–

प्रथम दिन- 1 पुड़िया प्रात: एवं सायंदूसरे दिन 2 पुड़ियातीसरे दिन 3 पुड़ियाइस तरह प्रतिदिन 1-1 पुड़िया बढ़ाते जाएं।पांचवें दिन पाँच पुड़िया का सेवन करने के बादछठवें दिन से 1-1 पुड़िया घटाते हुए फिर से 1 पुडिया पर वापस आ जाएं।

छर्दि रोग की चिकित्सा के लिए उपलब्ध पतंजलि की दवा :

मुंह से कफ एवं पित्त मिश्रित अन्न का (उल्टी के रूप में) बाहर निकलना छर्दि कहलाता |

दिव्य अविष्पत्तिकर चूर्ण – 100 ग्रामदिव्य मुक्ताशुक्ति – 10 ग्रामदिव्य कहरवापिष्टी – 5 ग्रामदिव्य प्रवाल पंचामृत – 5 ग्राम
सभी औषधियों को मिलाकर आधा-आधा चम्मच भोजन से पहले जल के साथ सेवन करें।

दिव्य चित्रकादि वटी –  40 ग्राम इसकी 2-2 गोली दिन में 3-4 बार चूसें।

धनिया – 50 ग्रामग्राम मिश्री – 50 ग्राम

दोनों को मिलाकर 1 चम्मच प्रात: व सायं जल के साथ सेवन करें। नोट- 2 बड़ी इलायची को 1 गिलास पानी में पकाएं जब आधा गिलास शेष रह जाय तो उसे छानकर और थोड़ा सैंधव लवण मिलाकर 3 से 4 चम्मच प्रत्येक 2 घण्टे के अन्तराल पर पिलाएं तुरन्त लाभ होता है।

अन्नद्रवश्शूल एवं परिणामशूल के लिए उपलब्ध पतंजलि की दवा /

दिव्य मुलेठी क्वाथ – 200 ग्रामसौफ – 100 ग्राम
दोनों औषधियों को मिलाकर 1 चम्मच (लगभग 5-7 ग्राम) की मात्रा में लेकर 400 मिली पानी में पकाएं और 100 मिली शेष रहने पर छानकर प्रात:, सायं खाली पेट पिएं।

दिव्य अविष्पत्तिकर चूर्ण – 100 ग्रामधनिया चूर्ण – 50 ग्रामदिव्य शंख भस्म – 10 ग्रामदिव्य कामदुधा रस – 10 ग्रामदिव्य मुक्ता शुक्ति- 10 ग्रामगुग्म दिव्य मुक्ता पिष्टी- 4 ग्राम
सभी औषधियों को मिलाकर 1 चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार शीतल जल से भोजन के बाद सेवन करें।
नोट-कब्ज की स्थिति रहने पर उदरकल्प चूर्ण या हरीतकी चूर्ण या त्रिफला चूर्ण में ईसबगोल की भूसी मिलाकर रात्रि में सोने से पहले 1 चम्मच की मात्रा में गुनगुने जल से सेवन करें | पेट के रोग जैसे -कब्ज, अपच, एसीडिटी, गैस, डायरिया का घरेलू इलाज 





तो दोस्तो आज जाना कि कैसे हम ( Apni बदहज़मी (Gastric Problem) ki problem se nijat pa sakte hai ) ओर अपनी लाइफ को खुश रख सकते है दोस्तो आप इन सब advices को आपनी लाइफ मैं जरूर Try करे और ऐसे ही ओर अछे articles के लिए जुड़े रहे ( https://normaladvices.blogspot.com ) से।

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