घुटनों मैं होता है दर्द तो ये article देखे



घुटनों का दर्द (Knee Pain) tips



दोस्तो क्या हाल है सब का दोस्तो आज हम बात करे गए Knee Pain (घुटनों का दर्द) के बारे नॉर्मली ये दर्द भड़ती उम्र के लोगो को होती है और घुटनों
के
दर्द की वजह से चलने मैं उठने-बैठने मैं बहोत दिकत होती है और ये दर्द बहोत प्रोब्लम देता है तो आज जाने गए कि कैसे छूटकर पाए घुटनों के दर्द से ।

Kuch points mai aap ko ye article batuga jis se ye article aap ko ache se smaj aa jay ga

1, घुटने की समस्या या दर्द के कारण

2,  घुटनों के दर्द के लिए 6 आयुर्वेदिक तेल

3, इन 3 कारणों से घुटनों में होता है दर्द, ऐसे पाएं छुटकारा

4, इन 6 वजहों के कारण जवानी में ही होने लगता हैं जोड़ों में दर्द।

5, घुटनों का दर्द कर रहा है परेशान तो तुरंत करें बस ये काम, मिलेगा आराम

6, घुटने का दर्द: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज

7, घुटनों के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज

8, घुटनों के दर्द से हैं परेशान, ऐसे पाएं राहत

9, घुटने के दर्द से छुटकारा दिलाएंगे ये दमदार घरेलू उपचार

10, घुटने के दर्द की दवा

11, घुटनों के दर्द को ना करें नजरअंदाज, है ये बड़ी बीमारी का संकेत

12, घुटनों के दर्द से छुटकारा दिलाएंगे ये 19 घरेलू उपाय

13, घुटने के दर्द का रामबाण इलाज है कैस्टर ऑयल, ऐसे करें इस्तेमाल

14, घुटने दर्द के 13 घरेलु उपचार

15, जोड़ों एवं घुटनों के दर्द से छुटकारा पाने के 7 आयुर्वेदिक उपाय

16, जोड़ों के दर्द का अचूक इलाज है यह तेल

17, मिनटों में गायब होगा जोड़ों का दर्द, यह है रामबाण इलाज।

18, घुटनों में सूजन को ठीक करने घरेलू उपाय करें

19, जोड़ों का दर्द होमियोपैथिक इलाज

20, घुटने के जोड़ के रोग का होम्योपैथिक इलाज

21, ये खाएं..कुछ आदतें बदलें, घुटने बदलवाने से बचेंगे

22, घुटने घिसने से बचाएगी पीआरपी थैरेपी

23, योग द्वारा जोड़ों के दर्द का उपचार

24, घुटनो के दर्द के लिए योग

घुटने की समस्या या दर्द के कारण



घुटने की समस्या या दर्द के कारण


घुटना हमारे शरीर का सबसे बड़ा और सबसे जटिल जोड़ है. ऐसा प्रायः देखा गया है की बढती हुई उम्र के साथ अक्सर लोग घुटने के दर्द से ग्रस्त हो जाते है. कभी कभी घुटने में दर्द के साथ सूजन भी रहती है. जब यह दर्द अधिक हो जाये तो छोटे मोटे रोज मर्रा के काम भी मुश्किल हो सकते हैं, जैसे की हल्का वजन उठाना, सीडियां चड़ना, या थोड़े दूर पैदल चलना. हो सकता है की पहले आपको सिर्फ एक ही पैर में दर्द हो, परन्तु थोड़े समय के बाद दोनों घुटनों में दर्द होने लगे.

घुटने में अनेक कारणों से दर्द हो सकता है

अगर सही समय में जांच हो जाये तो ये संभव है की उचित उपचार से या तो आप पूरी तरह दर्द से निजात पा सकते हैं, नहीं तो कम से कम रोग को आगे बढने से रोका तो जा ही सकता है. इस तरह की जांच कोई हड्डी रोग विशेषज्ञ ही सही तरह से कर सकता है. अगर आप ऐसे किसी भी दर्द से कुछ हफ़्तों या उससे भी अधिक अवधि से पीड़ित हों, तो बिना और समय गवाएं बिना एक अच्छे डॉक्टर से जांच अवश्य कराएं.

डॉक्टर से सलाह

अगर आप के आस-पास कोई अनुभवी डॉक्टर उपलब्ध है, तो आप डॉक्टर्स से सलाह ले सकते हैं. इसके लिए आपको अपनी समस्या के बारे में कुछ जानकारी देनी होगी और बहुत ही कम परामर्श फीस

1.      रुमेटोइड आर्थरिटिस – Rheumatoid Arthritis – Knee Pain

रुमेटोइड आर्थरिटिस जिसे संधिशोथ भी कहते हैं एक ऐसा रोग है जिसमें हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली खुद हमारे शरीर को नुक्सान पहुचाने लगती है | इस तरह यह रोग जोड़ों के ऊपर बनी एक झिल्ली जैसी परत (Synovium Tissue) को भी नुकसान पहुंचा सकता है. अक्सर यह रोग पहले छोटे जोड़ों को प्रभावित करता है, विशेष रूप से उँगलियाँ, हाथ, पैर की उंगलियों और अपने पैरों के जोड़. 

आगे चल कर बड़े जोड़ जैसे कलाई, कोहनी, कंधे, घुटने और कूल्हों भी ख़राब हो सकते हैं. घुटने का जोड़ ख़राब होने पर उसमें दर्द और सूजन होना जैसे लक्षण दिखने लगते हैं. संधिशोथ का उपचार अन्य तरह के आर्थराइटिस रोगों से अलग होता है, इसलिए यह जरुरी है की पहले जांच करवाई जाए की दर्द किसलिए हो रहा है


2.     ऑस्टियोआर्थराइटिस – Osteoarthritis – Knee Pain

ऑस्टियोआर्थराइटिस, गठिया का सबसे आम रूप है, जो दुनिया भर के लाखों लोगों को प्रभावित करता है। यह तब होता है जब हड्डियों के सिरों पर सुरक्षात्मक कार्टिलेज परत समय के साथ घिस जाती है. आगे चलकर यह रोग जोड़ों की हड्डियों को भी प्रभावती करता है. ऑस्टियोआर्थराइटिस एक ऐसा रोग है जिसे सही समय रहते उपचार के द्वारा नियंत्रित तो किया जा सकता है परन्तु पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है. ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण घुटने में दर्द और सूजन की समस्या आम है. यहाँ पर यह देखना आवश्यक है की रुमेटोइडआर्थरिटिस रोग की ही तरह लक्षण मिलते जुलते हैं, परन्तु रोग अलग है और उपचार भी अलग.

3.     बर्सितिस – Bursitis in Hindi

बर्सा श्लेष तरल पदार्थसे भरी एक पतली थैली होती है जो जोड़ों के विभिन्न ऊतकों के बीच घर्षण को कम करने में मदद करता है. हमारे घुटने के जोड़ में ऐसे लगभग 11 बरसा होते हैं. घुटने में तेज झटका, घुटने के बल गिरना, या लम्बे समय तक घुटने पर दबाव पड़ने से बरसा में इन्फेक्शन हो सकता है और उसमें सूजन आ जाती है. बर्सितिस का पूरी तरह से उपचार संभव है.

4.    नी कैप का उखड़ना – Knee Cap Dislocation in Hindi

नी केप या जिसे पटेल्ला हड्डी भी कहते हैं, हमारे घुटने के ऊपर एक छोटी से सुरक्षात्मक हड्डी होती है. कभी घुटने के बल गिरने पर या खेल के दौरान अचानक दिशा बदलने पर यह हड्डी अपने स्थान से हट सकती है. इससे घुटने में तेज दर्द, सूजन और घुटने को सीधा करने में दर्द होना जैसे लक्षण देखे जाते हैं. एक सामान्य व्यक्ति को पता नहीं हो सकता है की ऐसा दर्द नी केप के अपनी जगह से हटने के कारण हो रहा है या किसी और कारण से. इसलिए एक आर्थोपेडिकविशेषज्ञ की सलाह लेना जरुरी है. वैसे उखड गयी नी केप एक गंभीर स्थिति नहीं है और यह पांच से छह हफ़्तों में खुद ठीक हो जाती है.

5.    मिनिस्कस टियर – Meniscus Tear in Hindi – Knee Pain

हमारे घुटने में दो मिनिस्कस कार्टिलेज होते हैं. एक घुटने एक अन्दर की ओर और एक घुटने के जोड़ के बाहर की तरफ. यह हमारे घुटने को स्थिरता देते हैं और घुटने में होने वाली आर्टिकुलर कार्टिलेज पर पड़ने वाले दवाब को कम करते हैं. अगर मिनिस्कस कार्टिलेज में कोई चोट लग जाए तो घुटने का जोड़ अस्थिर हो जाता है और अधिक दवाब से दर्द और सूजन दोनों हो सकती है. इसके अलावा अगर इसका इलाज नहीं किया जाए तो बड़ा हुआ दवाब अन्य उतकों जैसे आर्टिकुलर कार्टिलेज को भी प्रभावित कर सकता है.

6.     टेन्डीनिटिस – Tendinitis in Hindi

यह टेंडन की सूजन के कारण होता है।टेंडन ऊतक हड्डी को पेशी से जोड़ता है। इस अवस्था में रोगी घुटने के सामने गंभीर दर्द महसूस करता है जिससे सीडियां चड़ना, घूमना और अन्य गतिविधियां में मुश्किल हो सकती है.

7.    ए सी एल (ACL)चोट – ACL injury in Hindi

ए सी एल (एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट) घुटने के सामान्य कार्य के लिए महत्वपूर्ण उतक है. अचानक घुटने के मुड़ने से, या खेल के दौरान चोट लगने पर ACL में खिचाव आ सकता है, या यह आंशिक अथवा पूरी तरह से फट सकता है. ACL की चोट लगने पर आपको घुटने में दर्द, सूजन के अलावा चलने में अस्थिरता का अहसास हो सकता है, जैसे की चलते चलते अचानक घुटने का स्लिप होना.

8.     रन्नर्स नी – Runners Knee in Hindi

Runners knee (रन्नर्स नी) दौड़ने वाले खिलाडियों में एक आम समस्या है. खास तौर पर उन खेलों में जिनमें खिलाडी को घुटना अक्सर मोड़ना पड़ता है, जैसे बाइकिंग, कूदना या दौड़ना. यह रोग घुटने में बार बार गिरने के कारण हो सकता है, घुटने के अधिक इस्तेमाल, या ऐसे व्यायाम जिनमें घुटने पर अधिक दवाब पड़ता है.

9.     अस्थि-भंग – Patellar Fracture in Hindi

घुटने की हड्डियां जैसे पटेला (नी कैप)खेल या वाहन दुर्घटनाओं या गिरनेके दौरान टूट सकती हैं. नी कैप का टूटना एक गंभीर ओर्थपेडीक चोट है, जिसके लिए शल्य चिकित्सा की आवश्यकता भी हो सकती हैं. जोड़ की हडियों में होने वाले फ्रैक्चर से बाद में अन्य रोग जैसे आर्थराइटिस होने का खतरा भी हो जाता है. एक व्यक्ति जिसकी हड्डियाँ ऑस्टियोपोरोसिस के कारण कमजोर हो गयी हों, उसमें एक साधारण से गिरने पर भी हड्डियाँ टूट सकती हैं.

10. बोन ट्यूमर – Bone Tumors in Hindi

जोड़ों में होने वाले दर्द और सूजन का एक कारण हड्डियों में होने वाला ट्यूमर भी हो सकता है. इस रोग से हड्डियाँ कमजोर होकर फ्रैक्चर भी हो सकती हैं. यह रोग एक प्रकार के कैंसर रोग से भी मिलता जुलता है जिसे ओस्टियोसार्कोमा कहा जाता है.

घुटने के पुराने दर्द के लक्षण

कब ये समझें की आपका घुटने का दर्द कभी कभार होने वाला साधारण दर्द नहीं परन्तु ऐसा दर्द है जिसके लिए आपको एक ओर्थपेडीक विशेषज्ञ को दिखना आवश्यक है?

1. आपके घुटने का दर्द कम ज्यादा हो सकता है, परतु रहता हमेशा है.

2. यह दर्द कभी दबा हुआ या कभी काफी तेज हो सकता है.

3. घुमने फिरने में तेज और चुभने वाला दर्द होता है.

4. साधारण चलने में भी कठिनाई का अहसास

5. घुटने में दर्द के साथ साथ सूजन का दिखना

उपचार के विकल्प

निदान घुटने के दर्द के कारणों पर निर्भर करता है. जैसे की ऊपर बताया गया है, घुटने का दर्द अनेक कारण से हो सकता हैं, और रोग के अनुसार इसका उपचार भी अलग अलग हो सकता है.

आपके आर्थोपेडिक चिकित्सक आपको रोग के अनुसार चिकित्सा का परामर्श दे सकते हैं, जैसे की

1. फिजियोथेरेपी
2. दवा
3. सर्जरी
4. इंजेक्शन


दर्द से तात्कालिक आराम के लिए कुछ सरल उपाय

अगर आप ये जाना चाहते हैं की क्या आपका घुटने का दर्द अपने आप ही ठीक हो सकता है, तो चिकित्सक को दिखने से पहले आप ये कुछ उपाय घर में ही प्रयोग कर सकते हैं.

1. घुटने को आराम दें और कोई भी ऐसा कार्य न करें जिससे घुटने पर दवाब बड़े.

2. अगर आपके घुटने में सूजन हो तो, हर 2-3 घंटे में 15 मिनट के लिए अपने घुटने पर बर्फ की पट्टी लगायें.

3. सूजन को कम करने के लिए आप एक पट्टी से अपने घुटने को बाँध सकते हैं.

4. सोते समय अपने घुटने के नीचे एक तकिया रखें जिससे आपके घुटने को आराम मिले.

5. दर्द और सूजन को कम करने के लिए चिकित्सक के परामर्श से साधारण (NSAID) या दर्द निवारक दवा ले सकते हैं.

 घुटनों के दर्द के लिए 6 आयुर्वेदिक तेल



आजकल जोड़ो के दर्द की समस्या काफी आम हो गयी है। पहले के समय में या फिर यूं कहे तो कुछ दिनों पहले तक भी ये समस्या बस उम्रदराज़ लोगो को ही होती थी। लेकिन बदलते पर्यावरण और फ़ैल रहे प्रदुषण से ये बीमारी आजकल हर उम्र के लोगो में फैलने लगी है। जोड़ो के दर्द में ऐसा होता क्या है कि वो इतनी ज़्यादा परेशानी पैदा करते है लोगो में ?

हमारे शरीर के बेहतर चलने फिरने के लिए जोड़ का काफी योगदान रहता है । मगर समय के साथ साथ जोड़ो के बीच में रहने वाला फ्लूइड सूखने लगता है और हड्डियों में घर्षण ज़्यादा होने लगता है जिस कारण से दर्द की समस्या उत्पन्न होती है।

इस बीमारी का इलाज रोज़ व्यायाम , बेहतर खानपान, अपने वजन पर नियंत्रण रखना और विटामिन डी , कैल्शियम के सप्पलीमेंट्स लेना है। मगर दर्द को रोकने के लिए कोई इलाज नहीं होता है। आयुर्वेद में हलाकि कुछ ऐसे तेलों का वर्णन है जिससे लोगो को जोड़ो में हो रहे दर्द से निजात मिलता है और धीरे धीरे फ्लूइड में भी बढ़ोतरी होती है।

 घुटनों के दर्द के लिए 6 आयुर्वेदिक तेल

1. धांवन्तराम तैलम

ये तेल कई प्रकार की जड़ीबूटी जैसे बालमूला , यवा , कोला और कुल्था के मिश्रण से बनता है । इसके रोज़ इस्तेमाल करने से शरीर में हो रहे अतिरिक्त वात से होने वाली बीमारी से निजात पाया जा सकता है। स्पोंडलाइटिस, रुमेटी, ओस्टियो- गठिया , न्यूरो मस्कुलर एवं सिरदर्द से निजात पाया जा सकता है।

2. कोट्टम चुकरी तैलम

यह तेल मुख्या रूप से जोड़ो में दर्द और सूजन से निजात दिलाने का काम करती है इनके साथ ही साइटिका के इलाज में भी काफी असरदार है। इस तेल में अदरक, वसंबु, लहसुन, दही, तिल का तेल, मोरिंगा, सरसों , इमली अदि का उपयोग होता है।

3. पैंडा तैलम

ये उन लोगो के लिए अत्यंत लाभकारी है जिनके शरीर में पित्त की मात्रा ज्यादा होती है। ये ठंडा तेल अगर रोज़ इस्तेमाल किया जाए तो जोड़ो में दर्द और सूजन भी कम होगा और घर्षण में भी कमी आएगी।

4. कपूर का तेल

इस तेल से रक्त संचार को सुधारा जाता है। किसी भी अंग में अगर दर्द है और इससे उसकी मालिश की जाए तो काफी सुधार मिलेगा। गठिया के रोगी को तो इसका रोज़ इस्तेमाल करना चाहिए।

5. अरंडी का तेल

अरंडी के तेल के और भी कई फायदे है । यइ भयंकर दर्द में भी रहत दिला सकता है तथा सूजन आदि से राहत दिलाता है। इसका सप्ताह में एक या दो बार इस्तमाल किया जा सकता है।


6. सरसों का  तेल + अजवाइन

सरसो के तेल में अजवाइन को हल्का गर्म करें फिर इससे मालिश करें। मांसपेशियों में जकड़न कम होगी और दर्द से निजात मिलेगा। नहाने से पहले अगर धूप में बैठकर इसे किया जाए तो और अधिक लाभ मिलता है।


  इन 3 कारणों से घुटनों में होता है दर्द, ऐसे पाएं छुटकारा

हर कदम के साथ हमारे जोड़ों पर कोई न कोई असर जरूर पड़ता हैउम्र अधिक होने तक हम काफी चल चुके होते हैंकई अन्‍य चीजें भी घुटने में दर्द के लिए जिम्‍मेदार हो सकती हैं

शरीर के किसी अन्‍य जोड़ की ही तरह हमारे घुटने भी लगातार गुरुत्‍वाकर्षण के विरुद्ध काम करते हैं। हर कदम के साथ हमारे जोड़ों पर कोई न कोई असर जरूर पड़ता है। उम्र अधिक होने तक हम काफी चल चुके होते हैं और इससे जोड़ों को अधिक नुकसान होने लगता है। इसके साथ ही इस बात का खयाल रखना भी जरूरी है कि उम्र के साथ-साथ कई अन्‍य चीजें भी घुटने में दर्द के लिए जिम्‍मेदार हो सकती हैं। जानते हैं कि अन्‍य संभावित कारण कौन से हैं।


1,

ऑस्टियोपो‍रोसिस

ऑस्टियोपो‍रोसिस अब केवल अधिक उम्र के लोगों की बीमारी नहीं रह गयी है। अमेरिका में 24 वर्ष की आयु के करीब 14 प्रतिशत लोगों को ऑस्टियोपो‍रोसिस की शिकायत है। इस प्रकार के अर्थराइटिस में घुटने की हड्डियों की रक्षा करने वाली कार्टिलेज टूट जाती है। इससे आपके घुटने में दर्द होने की आशंका और बढ़ जाती है। 65 वर्ष की आयु के बाद ऑस्टियोपो‍रोसिस से पीडि़त लोगों की तादाद 34 फीसदी हो जाती है। विशेषज्ञों ने पता लगाया है कि अधिक उम्र के अधिकतर लोगों में घुटने में दर्द की बड़ी वजह ऑस्टियोपो‍रोसिस होता है।


2,

मोटापा

मोटापा घुटने में दर्द की एक और बड़ी वजह है। शरीर का अधिक भार हमारे घुटनों को ही उठाना पड़ता है। अधिक वजन के कारण घुटनों पर जो अधिक भार पड़ता है उसके कारण जोड़ों को अधिक नुकसान होता है। अधिक उम्र के साथ यदि आपका वजन भी अधिक है तो इससे ऑस्टियोपो‍रोसिस होने का खतरा और बढ़ जाता है।

3,

मांसपेशियों में बदलाव

20 से 60 वर्ष की आयु के बीच हमारी मांसपेशियां 40 फीसदी तक सिकुड़ जाती हैं। इससे उनकी शक्ति में कमी आती है। जब हम चलते हैं या फिर अन्‍य शारीरिक गति‍विधियां करते हैं तो हमारे कूल्‍हों और टांगों की मांसपेशियों का कुछ भार उठा लेती हैं। लेकिन, उम्र के साथ उन मांसपेशियों में बदलाव हो जाता है। इसके कारण टांगों पर अधिक दबाव पड़ता है। और यही वजह है कि हमारे घुटनों में दर्द होने लगता है।

घुटनों के दर्द से ऐसे बचें

1- ऐसा नहीं है कि बढ़ती उम्र के साथ घुटनों को किसी प्रकार की परेशानी से बचाया नहीं जा सकता है। कुछ बातों का खयाल रखकर आप अपने घुटनों में होने वाले संभावित दर्द को कम कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने ऐसे कुछ उपाय सुझायें हैं जिन्‍हे अपनाकर आप घुटनों की तकलीफ को कम कर सकते हैं।

2- शोधकताओं ने पता लगाया है कि शारीरिक असक्रियता मोटापे से ग्रस्‍त लोगों को घुटने के ऑस्टियोपो‍रोसिस का खतरा बढ़ा देती है। केवल पांच फीसदी वजन कम करके ही घुटने के दर्द को कम किया जाता है। 

3- व्‍यायाम भी आपके घुटनों को मजबूत रखने में मदद करता है। स्‍ट्रेंथ ट्रेनिंग या पैदल चलना घुटने के अर्थराइटिस से ग्रस्‍त मरीजों के लिए मददगार साबित हो सकता है। घुटने में दर्द कम होने से प्रतिभागी आसानी से घूम फिर सकते हैं। साथ ही उन्‍हें अपने रोजमर्रा के काम करने में भी आसानी होती है। इससे आपको दवाओं जितना ही फायदा होता है। 

इन 6 वजहों के कारण जवानी में ही होने लगता हैं जोड़ों में दर्द।

मॉडर्न जमाने में लोग छोटी उम्र में ही कई बीमारियों का शिकार हो रहे हैं जैसे कि जोड़ों में दर्द। इसके पीछे का कारण है गलत लाइफस्टाइल और खानपान की आदतें। वहीं, आजकल के युवा अपने तरीके से जिंदगी जीना पसंद करते हैं। वे रोजाना कुछ एेसी गलतियां कर बैठते हैं जिसकी वजह से उन्हें समय से पहले ही जोड़ों में दर्द की परेशानी का सामना करना पड़ता है। आज हम आपको बताते हैं कि किन वजहों के कारण छोटी उम्र में ही जोड़ों में दर्द होता है।

1. एक्सरसाइज

आजकल यंगस्टर्स फिट रहने के लिए ऑनलाइन चैनेल्स का सहारा ले रहे हैं। परफैक्ट बॉडी पाने के लिए जुंबा और ऐरोबिक्स जैसी एक्सरसाइज करते है लेकिन बिना ट्रेंनर के ये एक्सरसाइज करने से भी जोड़ों में दर्द हो सकता है। एेसे में अगर आप ये एक्सरसाइज करना भी चाहते हैं तो एक बार अपने ट्रेेंनर की सलाह जरूर लें। 

2.  जिम में घंटो वर्कआउट करना 

अक्सर लोग जिम में वजन कम करने के लिए जरूरत से ज्यादा वर्कआउट करते हैं जिससे आपकी मांसपेशियों में दर्द हो सकता है। अगर आपको वर्कआउट करते समय जोड़ों में किसी भी तरह का दर्द महसूस होता हैं तो एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें क्योंकि यह दर्द आगे चलकर किसी गंभीर बीमारी को जन्म दे सकता है। 

3.  प्रोटीन सप्लीमेंट्स 

लड़के बॉडी बनाने के लिए कई तरह के प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेते हैं। कुछ सप्लीमेंट्स में स्टेरॉयड होता है जिससे नसें सिकुड़ जाती है, जिससे बोन टिशू डैमेज हो जाते है।  

4. भरपूर नींद न लेना 

कुछ लोग नाइट पार्टीज और काम की वजह से रात को लेट सोते हैं जिसकी वजह से उनकी नींद पूरी नहीं होती। जोड़ों में दर्द का कारण भरपूर नींद न लेना भी है। अपने मसल्स और जोड़ों को हैल्दी रखने के लिए 8 घंटे नींद जरूर लें। 

5.  ज्यादा देर तक बैठे रहना

ऑफिस में एक ही जगह पर लंबे समय तक बैठे रहने से शरीर को कई बीमारियां घेर लेती हैं। दरअसल, जब आप एक ही जगह पर ज्यादा देर तक बैठे रहते हैं तो शरीर में खून का संचार सही तरह से नहीं हो पाता, जिसकी वजह से जोड़ों में दर्द होने लगता है। एेसे में काम करते वक्त बीच-बीच में थोड़ा ब्रेक जरूर लें। इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होगा और जोड़ों के दर्द की परेशानी नहीं होगी। 

6. खानपान 

फास्ट फूड खाने और स्मोकिंग करने से जोड़ों पर बुरा असर पड़ता है। अपनी डाइट में विटामिन-डी और कैल्शियम युक्त आहार को शामिल करें। 


घुटनों का दर्द कर रहा है परेशान तो तुरंत करें बस ये काम, मिलेगा आराम



बदलती दिनचर्या के चलते घुटनों में दर्द की समस्या भी आज सामान्य हो गई है। कम उम्र के लोगों में भी इस समस्या को देखा सकता है। इसके पीछे शारीरिक क्रियाशीलता में कमी को भी जिम्मेदार माना गया है। साथ ही डाइट में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी भी घुटनों की समस्या को बढ़ा देते हैं। इसलिए भविष्य में घुटनों संबंधी किसी गंभीर रोग से बचना चाहते हैं तो आपको अभी से सतर्क होना होगा। शहर की हेल्थ एक्सपर्ट नेहा केडारे के अनुसार घुटनों की मसल्स को मजबूत बनाने के लिए नियमित एक्सरसाइज करने के साथ ही खूब पानी पीएं। कई बार डिहाइडे्रशन की वजह से भी मसल्स क्रैंप की समस्या हो जाती है।

1, फिजिकल एक्सरसाइज

नियमित एक्सरसाइज करने से ऑस्टिओपोरोसिस का खतरा कम किया जा सकता है, घुटनों में दर्द का यह सबसे सामान्य कारण है। कार्टिलेज टिश्यूज को स्वस्थ रखने के लिए फिजिकल एक्टिविटी सबसे महत्त्वपूर्ण है।

2, स्टेप अप एक्सरसाइज

घुटनों की समस्या को दूर करने के लिए स्टेप अप एक्सरसाइज को भी कारगर माना जाता है। इसे करते समय घुटनों को सीधा रखना चाहिए। एक मिनट तक लगातार स्टेप अप एक्सरसाइज करने से ही घुटनों को लाभ होगा। इस एक्सरसाइज को कार्डियो एक्सरसाइज का ही हिस्सा माना जाता है।

3, स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज

मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए स्टे्रंथनिंग एक्सरसाइज करें। इस तरह की एक्सरसाइज पहली बार किसी प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें। हैम्स्ट्रिंग स्ट्रेचिंग करने के लिए आप एक पैर आगे करें और दूसरे पैर के घुटने को इतना मोड़ें कि दबाव महसूस होने लगें। यह बहुत फायदेमंद है। आप ऐसी ही कुछ और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज भी कर सकते हैं।

4, घुटनों के लिए योग करें

योग करने से मांसपेशियों को आराम मिलने के साथ घुटने पर पडऩे वाले दबाव को भी कम किया जा सकता है। घुटनों का दर्द दूर करने के लिए कई तरह के योगासन किए जा सकते हैं। यदि आप नियमित सूर्य नमस्कार करते हैं तो इससे भी घुटनों की समस्या को कम किया जा सकता है। यह शरीर के लिए ज्यादा लाभकारी होता है।

5, वजन घटाएं

मोटापा या शरीर का वजन बढऩे से भी घुटनों में दर्द की समस्या हो सकती है। इस तरह का दर्द आगे चलकर आर्थराइटिस का कारण भी हो सकता है। इसलिए स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने के साथ ही संतुलित भोजन करें। भोजन में फैट की मात्रा कम रखें। सब्जियां, फल एवं फाइबर का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें। मांसाहारी भोजन से भी परहेज करें। हालांकि घुटनों का दर्द एवं आर्थराइटिस की समस्या को दूर करने के लिए कोई विशेष प्रकार की डाइट नहीं है।

  घुटने का दर्द: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज


परहेज और आहार

( लेने योग्य आहार )

घुटने के दर्द हेतु लिए जाने वाले आहार में आर्गेनिक फल, जंगली मछली, आर्गेनिक मेवे और गिरियाँ, नारियल का तेल, एक्स्ट्रा वर्जिन आयल, और ओमेगा-3 अंडे।

पालक में ढेर सारे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो आपको ओस्टियोआर्थराइटिस और घुटनों के दर्द से दूर रखता है।मसाले जैसे दालचीनी, धनिये के बीज और हल्दी में शक्तिशाली सूजन-रोधी गुण होते हैं।

अदरक अन्य प्रभावी मसाला है जो घुटने के दर्द को घटाता है।घुटने के दर्द में खासकर दो विटामिन, विटामिन डी और विटामिन सी, सहायक होते हैं।विटामिन सी से समृद्ध आहार जैसे संतरे, शिमला मिर्च, ग्रेपफ्रूट, स्ट्रॉबेरी एंड ब्रोकोली।

विटामिन डी सीधे सूर्य के प्रकाश से और विटामिन डी से समृद्ध आहारों जैसे वसायुक्त मछली, विटामिन डी की शक्ति से समृद्ध दूध, दही, संतरे का रस और दलिया।

बादाम, सूरजमुखी का तेल और बीज, सफ्लोवर तेल, हेज़लनट्स, मूंगफली और पालक विटामिन ई के स्रोत हैं। विटामिन ई अपने शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है

इनसे परहेज करें

पशुजन्य वसा और प्रोटीन।सब्जियाँ जैसे आलू, शिमला मिर्च, बैंगन लाल और हरी मिर्च।आपके भोजन में उपस्थित सोडियम और नमक सूजन को और पानी के धारण होने की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे घुटनों पर दबाव बढ़ता है और दर्द होने लगता है।

योग और व्यायाम

व्यायाम आपके जोड़ों को जकड़न से दूर करता है और गति को आसान करके और दर्द को कम करके आवश्यक सहयोग प्रदान करता है। वे व्यायाम जो घुटने के क्षेत्र को राहत देते है और मजबूती प्रदान करते हैं, उनमें हैं:

हेमस्ट्रिंग स्ट्रेचेसनी टू चेस्ट एक्सरसाइजेजक्वाड्रीसेप्स स्ट्रेचेस।फॉरवर्ड बेंडचेयर स्क्वेटकाफ रेजयोग

घुटने के दर्द को कम करने वाले योगासन हैं:

योद्धासनताड़ासनमकरासनवीरासन

घरेलू उपाय (उपचार)

आराम करें और दर्द बढ़ाने वाली गतिविधियां ना करें।
बर्फ और गर्म पैड्स लगाएँ जो दर्द और सूजन कम करने में सहायक होते हैं।

सूजन कम करने के लिए अपने घुटने को जितना हो सके उठाकर रखें।

घुटनों के नीचे या बीच में तकिया रखकर सोएँ।ठीक होते समय घुटने को ज्यादा हिलने-डुलने से बचाने के लिए ब्रेस पहनें।यदि आपका वजन अधिक है तो उसे कम करें।

ज्यादा लम्बे समय तक खड़े ना रहें। यदि खड़े होना ही हो तो मुलायम, गद्देदार जगह पर रहें। दोनों पैरों पर समान भार देकर खड़े रहें।

जब आप सोएँ तो करवट के समय घुटनों के बीच तकिया रख लें ताकि दर्द कम हो सके।सपाट जूते पहनें जो गद्देदार और सुविधाजनक हों।



घुटनों के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज



घुटनों की पीडा ( Knee Pain) :-

हमने कई बार अपने बड़े बुजर्गो को घुटनों के दर्द से तडपते हुए देखा है | दिन रात दवाई खाने से भी उन्हें कोई आराम नही मिलता है चलने फिरने में बहुत परेशानी होती है और साथ ही घुटनों को मोड़ने में, उठने – बैठने में भी दिक्कत आती है | कभी कभी उन्हें इतना ज्यादा दर्द होता की वो ठीक ढंग से सो भी नहीं पाते और उनके घुटनों में सुजन तक भी आ जाती है | उम्र के साथ हड्डियों की बीमारी बढती जाती है |

शरीर के जोड़ों में सूजन उत्पन्न होने पर गठिया होता है या कहे कि जब जोड़ों में उपास्थि (कोमल हड्डी) भंग हो जाती है। शरीर के जोड़ ऐसे स्थल होते हैं जहां दो या दो से अधिक हड्डियाँ एकदूसरे से मिलती हैं जैसे कि कूल्हे या घुटने। 

उपास्थि जोड़ों में गद्दे की तरह होती है जो दबाव से उनकी रक्षा करती है और क्रियाकलाप को सहज बनाती है। जब किसी जोड़ में उपास्थि भंग हो जाती है तो आपकी हड्डियाँ एक दूसरे के साथ रगड़ खातीं हैं, इससे दर्द, सूजन और ऐंठन उत्पन्न होती है।

सबसे सामान्य तरह का गठिया हड्डी का गठिया होता है। इस तरह के गठिया में, लंबे समय से उपयोग में लाए जाने अथवा व्यक्ति की उम्र बढ़ने की स्थिति में जोड़ घिस जाते हैं जोड़ पर चोट लग जाने से भी इस प्रकार का गठिया हो जाता है। हड्डी का गठिया अक्सर घुटनों, कूल्हों और हाथों में होता है। जोड़ों में दर्द और स्थूलता शुरू हो जाती है। समय-समय पर जोड़ों के आसपास के ऊतकों में तनाव होता है और उससे दर्द बढ़ता है।

गठिया क्या होता है?

गठिया एक लंबे समय तक चलने वाली जोड़ों की स्थिति होती है जिससे आमतौर पर शरीर के भार को वहन करने वाले जोड़ जैसे घुटने, कूल्हे, रीढ़ की हड्डी तथा पैर प्रभावित होते हैं। इसके कारण जोड़ों में काफी अधिक दर्द, अकड़न होती है और जोड़ों की गतिविधि सीमित हो जाती है। समय के साथ साथ गठिया बदतर होता चला जाता है। यदि इसका उपचार नहीं किया जाता है, तो घुटनों के गठिया से व्यक्ति का जीवन काफी अधिक प्रभावित हो सकता है। गठिया से पीडि़त व्यक्ति अपनी रोजमर्रा की गतिविधियां करने में समर्थ नहीं हो पाते और यहां तक कि चलने-फिरने जैसा सरल काम भी मुश्किल लगता है। इस प्रकार के मामलों में, क्षतिग्रस्त घुटने को बदलने के लिए डॉक्टर सर्जरी कराने के लिए कह सकता है।

क्यों होता है गठिया

अनहेल्दी फूड, एक्सरसाइज की कमी और बढ़ते वजन की वजह से घुटनों का दर्द भारत जैसे देशों में एक बड़ी समस्या का रूप लेता जा रहा है। 40-45 की उम्र में ही घुटनों में दिक्कतें आने लगी हैं। सर्वेक्षण कहते हैं कि दुनिया में करीब 40 प्रतिशत लोग घुटनों में दर्द से परेशान हैं। इनमें से लगभग 70 प्रतिशत आर्थराइटिस जैसी बीमारियों से भी जूझ रहे हैं। इनमें से 80 फीसदी अपने घुटनों को आसानी से मोड़ तक नहीं सकते। घुटनों की खराबी के शिकार 25 फीसदी लोग अपने रोजमर्रा के कामों को भी आसानी से नहीं कर पाते हैं। 

भारत में यह समस्या काफी गंभीर है। घुटनों का दर्द काफी हद तक लाइफ स्टाइल की देन है। यदि लाइफ स्टाइल और खानपान को हेल्दी नहीं बनाया तो यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है। घुटने पूरे शरीर का बोझ सहन करते हैं। इन्हें बचाने का तरीका हेल्दी लाइफ स्टाइल, एक्सरसाइज और हैल्दी खानपान है। खाने में कैल्शियम वाला भोजन सही मात्रा में लें, सब्जियाँ जरूर खायें, फैट और चीनी से परहेज करें और मोटापे का पास भी न फटकने दें।


क्या वजन कम करने से (घुटनों के दर्द) गठिया में लाभ मिलता है?

घुटनो के गठिया से पीडि़त व्यक्ति के लिए निर्धारित वजन से अधिक वजन होना या मोटापा घुटनों के जोड़ों के लिए हानिकारक हो सकता है। अतिरिक्त वजन से जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, मांसपेशियों तथा उसके आसपास की कण्डराओं (टेन्डन्स) में खिंचाव होता है तथा इसके कार्टिलेज में टूट-फूट द्वारा यह स्थिति तेजी से बदतर होती चली जाती है। इसके अलावा, इससे दर्द बढ़ता है जिसके कारण प्रभावित व्यक्ति एक सक्रिय तथा स्वतंत्र जीवन जीने में असमर्थ हो जाता है।

यह देखा गया है कि मोटे लोगों में वजन बढ़ने के साथ साथ जोड़ों (विशेष रूपसे वजन को वहन करने वाले जोड़) का गठिया विकसित करने का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि मोटे लोगों को या तो अपने वजन को नियंत्रित करने अथवा उसे कम करने केलिए उचित कदम उठाने चाहिए।

गठिया से पीडि़त मोटापे/अधिक वजन से पीडि़त लोगों में वजन में 1 पाउंड (0.45 किलोग्राम) की कमी से, घुटने पर पड़ने वाले वजन में 4 गुणा कमी होती है। इस प्रकार वजन में कमी करने से जोड़ पर खिंचाव को कम करने, पीड़ा को हरने तथा गठिया की स्थिति के आगे बढ़ने में देरी करने में सहायता मिलती है।

घुटनों के दर्द के कई कारण हो सकते है  ( Cause of Knee Pain )

अधिक वजन होना

कब्ज होना

खाना जल्दी-जल्दी खाने की आदत

फास्ट-फ़ूड का अधिक सेवन

तली हुई चीजें खाना

कम मात्रा में पानी पीना

शरीर में कैल्सियम की कमी होना।

घुटनो में दर्द  के बचाव के कुछ आसान तरीके । (Home treatment for knee pain)

खाने के एक ग्रास को कम से कम 32 बार चबाकर खाएं। इस साधरण से प्रतीत होने वाले प्रयोग से कुछ ही दिनों में घुटनों में साइनोबियल फ्रलूड बनने लग जाती है।पूरे दिन भर में कम से कम 12 गिलास तक पानी अवश्य पिए। ध्यान दीजिए, कम मात्रा में पानी पीने से भी घुटनों में दर्द बढ़ जाता है।भोजन के साथ अंकुरित मेथी का सेवन करें।बीस ग्राम ग्वारपाठे अर्थात् एलोवेरा के ताजा गूदे को खूब चबा-चबाकर खाएं साथ में 1-2 काली मिर्च एवं थोड़ा सा काला नमक तथा ऊपर से पानी पी लें। यह प्रयेाग खाली पेट करें। इस प्रयोग के द्वारा घुटनों में यदि साइनोबियल फ्रलूड भी कम हो गई हो तो बनने लग जाती है।चार कच्ची-भिंडी सवेरे पानी के साथ खाएं। दिन भर में तीन अखरोट अवश्य खाएं। इससे भी साइनोबियल फ्रलूड बनने लगती है। अनुभूत प्रयोग है।एक्यूप्रेशर-रिंग को दिन में तीन बार, तीन मिनट तक अनामिका एवं मध्यमा अंगुलि में एक्यूप्रेशर करें।प्रतिदिन कम से कम 2-3 किलोमीटर तक पैदल चलें।दिन में दस मिनट आंखें बंद कर, लेटकर घुटने के दर्द का ध्यान करें। नियमित रूप से अनुलोम-विलोम एवं कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास करें। अनुलोम-विलोम धीरे-धीरे एवं कम से कम सौ बार अवश्य करें। इससे लाभ जल्दी होने लगता है।

हल्दी चुने का लेप (Lime and turmeric paste)

हल्दी और चुना दर्द को दूर करने में अधिक लाभदायक साबित होते है ।हल्दी और चुना को मिलकर सरसो के तेल में थोड़ी देर तक गरम करे फिर उस लेप को घुटने में लगाकर रखे ।कुछ समय बाद दर्द मेा आराम मिलेगाइस प्रक्रिया को दिन मेा दो बार करे ।


हल्दी वाला दूध (Turmeric Milk) :-

एक ग्लास दूध में एक चम्मच हल्दी के पावडर को मिलाकर सुबह शाम काम से काम दो बार पीए

यह एक प्राकृतिक दर्द निवारक का काम करता है


नेचुरल ट्रीटमेंट ( Natural treatment):-


विटामिन डी (vitamin D )का सबसे अच्छा स्रोत सूरज से उत्पन धुप ( sun light) है , जिससे आपको नेचुरल विटामिन डी (vitamin D ) मिलती है  जो हड्डी (bones)के लिए अधिक लाभदायक है


आयुर्वेद के अनुसार में बनाई गयी औषधियां ( Natural Medicine made in Ayurveda)


अमृता सत्व,गोदंती भस्म,प्रवाल पिष्टी,स्वर्ण माक्षिक भस्म,महावत विध्वंसन रस,वृहद वातचितामणि रस,एकांगवीर रस,महायोगराज गुग्गुल,चंद्रप्रभावटी,पुनर्नवा मंडुर
इत्यादि औषधियों का सेवन  आयुर्वेदिक डॉक्टर  के परामर्श से करे। औषधियों के सेवन से  बिना किसी साइडइपैफक्ट के अधिक लाभ मिलता है।


दर्द के दौरान क्या न खाये। (Donot eat during Pain)


अचार,चाय तथा रात के समय हलका व सुपाच्य आहार लें।रात के समय चना, भिंडी, अरबी, आलू, खीरा, मूली, दही राजमा इत्यादि का सेवन भूलकर भी नहीं करें


   घुटनों के दर्द से हैं परेशान, ऐसे पाएं राहत



वर्किंग प्लेस पर काम के चक्कर में जब लोगों को ना सिर्फ खाना भूल जाते हैं बल्कि अपने शरीर पर ध्यान देना भी भूल जाते हैं। दिनों-दिन बढ़ते प्रेशर के कारण ऑफिस में सुबह जाना और फिर अपनी डेस्क पर बैठे-बैठे ही नाश्ता, चाय, लंच सबकुछ निपटा लेना, ताकि देर रात तक काम ना करना पड़े। दिन भर एक जगह बैठे रहने से एक वक्त के बाद मन चिड़चिड़ा हो जाता है। मन का परेशान होना लाजिमी है, लेकिन आपके घुटनों का क्या। पैरों को एक ही पोजिशन में पूरे दिन रखने से आपके घुटनों पर इसका क्या असर पड़ेगा कभी सोचा है। 

कहीं ऐसा ना हो आज के काम के चक्कर में आप अपने घुटनों के दर्द को नजरअंदाज करते रहे और बुढ़ापे में उठने के लायक ही ना रहें। माना काम जरूरी है लेकिन काम के बीच में हम 2 मिनट का वक्त तो अपने घुटनों के लिए निकाल ही सकते हैं। जी हां, ऑफिस के काम के बीच सिर्फ दो मिनट देकर आप अपने घुटनों के दर्द को ना सिर्फ खत्म कर सकते हैं बल्कि यह दोबारा ना हो इसका इलाज बिना दवाई के कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं कि कैसे घुटनों के दर्द से निजात पाया जाए।

ऐसे मिलेगी घुटनों के दर्द से राहत
जोड़ों को दर्द से बचाव के लिए आप रोजाना गुनगुने पानी से नहाइए। 

जहां तक हो सके फास्ट फूड से तौबा करिए, क्योंकि फास्ट फूड हमारी बॉडी में कॉलेस्ट्रोल लेवल को बढ़ाते हैं। कॉलेस्ट्रोल लेवल बढ़ने के कारण हमारी बॉडी के ज्वाइंट्स पर इसका बुरा असर पड़ता है।

दिन में कम से कम एक बार 15 मिनट तक गर्म पानी में पैर डालें। गर्म पानी में पैर रखते वक्त इस बात का ध्यान रखिए की 5। इस दौरान आपके पैरों पर हवा ना लगे।

ऑफिस में लंच ब्रेक के बाद महज 5 मिनट अपनी डेस्क के आस-पास ही सही पर टहलिए।

काम करते वक्त एक पोजिशन में बैठने की बजाय, पैरों को बीच-बीच में हिलाइए।

ऑफिस में काम करते वक्त पैरों को स्ट्रैच कीजिए। पैरों को स्ट्रैच करने से नसें खिंचती है, जिसके कारण घुटनों में होने वाले दर्द से राहत मिलती है।

पैदल चलना भी है जरूरी

ऑफिस के बाद अगर संभव हो तो गाड़ी में पूरा सफर तय करने की बजाय कुछ दूर पैदल चलें. पैैदल चलने से ना सिर्फ आपके घुटनों को दर्द से राहत मिलती है बल्कि आपके पैरों को तलवा भी आराम महसूस करता है। देखा जाए तो पैर का सीधा कनेक्शन हमारे दिमाग से हैं। अगर घुटनों में दर्द रहेगा तो दिमाग का ध्यान सिर्फ उसी पर रहेगा। इसलिए जरूरी है कि पहले अपनी देखभाल की जाए ताकि दिमाग ऑफिस में पूरी तरह से लग सके। 

घुटने के दर्द से छुटकारा दिलाएंगे ये दमदार घरेलू उपचार

आजकल घुटनों में दर्द (Knee Pain) की समस्या बहुत आम हैं. वे दिन बीत गए, जब यह समस्या सिर्फ़ उम्रदराज़ लोगों को होती थी. आजकल कम उम्र के लोग भी इसके शिकार हो जाते हैं. अगर आपके घुटने में दर्द होता है तो नीचे दिए गए उपाय ( Natural Home Remedies For Knee Pain) आपके काफ़ी हद तक राहत दिला सकते हैं.

.  रोज़ सुबह खाली पेट एक चम्मच मेथी पाउडर में एक ग्राम कलौंजी मिलाकर गुनगुने पानी के साथ लें. दोपहर और रात में खाना खाने के बाद आधा-आधा चम्मच लेने से जोड़ मजबूत होंगे और किसी प्रकार का दर्द नहीं होगा.

.  कपड़े को गर्म पानी में भिगोकर बनाए पैड से सिंकाई करने से घुटने के दर्द में आराम मिलता है.

.  खाने में दालचीनी, जीरा, अदरक और हल्दी का इस्तेमाल ज़्यादा से ज़्यादा करें. गर्म तासीर वाले इन पदार्थों के सेवन से घुटनों की सूजन और दर्द कम होता है.

.  मेथी दाना, सौंठ और हल्दी बराबर मात्रा में मिला कर तवे या कढ़ाई में भून कर पीस लें. यह पाउडर रोज़ाना एक चम्मच सुबह-शाम खाना खाने के बाद गर्म पानी के साथ लें.

.  सुबह ख़ाली पेट लहसुन की एक कली दही के साथ खाएं.

.  हल्दी पाउडर, गुड़, मेथी दाना पाउडर और पानी सामान मात्रा में मिलाएं. थोड़ा गर्म करके इनका लेप रात को घुटनों पर लगाएं और पट्टी बांधकर लेटें.

.  अलसी के दानों के साथ दो अखरोट की गिरी सेवन करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है.

.  बराबर मात्रा में नीम और अरंडी के तेल को हल्का गर्म करके सुबह-शाम जोड़ों पर मालिश करें.

.   50 ग्राम लहसुन, 25 ग्राम अजवायन और10 ग्राम लौंग 200 ग्राम सरसों के तेल में पकाएं. ठंडा होने पर कांच की बोतल में छान कर रख लें. इस तेल से घुटनों या जोड़ों की मालिश करें.

.    गेहूं के दाने के आकार का चूना दही या दूध में घोलकर दिन में एक बार खाएं। इसे 90 दिन तक लेने से कैल्शियम की कमी दूर होगी.


एक्सरसाइज़ 

व्यायाम जोड़ों को जकड़न से दूर करता है और गति को आसान करके और दर्द को कम करके आवश्यक सहयोग प्रदान करता है.

इन बातों का रखें ख़्याल

.  सूजन कम करने के लिए अपने घुटने को जितना हो सके उठाकर रखें. घुटनों के नीचे या बीच में तकिया रखकर सोएँ.

. ठीक होते समय घुटने को ज्यादा हिलने-डुलने से बचाने के लिए ब्रेस पहनें. यदि आपका वज़न अधिक है तो उसे कम करें.

. ज़्यादा लम्बे समय तक खड़े न रहें. यदि खड़े होना ही हो तो मुलायम, गद्देदार जगह पर रहें. दोनों पैरों पर समान भार देकर खड़े रहें.

. जब आप सोएँ तो करवट के समय घुटनों के बीच तकिया रख लें ताकि दर्द कम हो सके.

. सपाट जूते पहनें जो गद्देदार और सुविधाजनक हों.

घुटने के दर्द की दवा



 घुटनों के दर्द की समस्या आजकल आम होती जा रही है कई बार ऐसा भी होता है कि किसी कारणवश चोट लग जाने से या बढ़ती हुई उम्र के कारण या फिर व्रद्धावस्था में हड्डियों के कमजोर हो जाने से अक्सर घुटनों में दर्द होने लगता है. इस पोस्ट में हम आपको घुटनों कादर्द से राहत दिलाने के लिए कुछ घरेलू नुस्खे बता रहे हैं जिनका उपयोग करने पर लगभग 7 दिन में ही आपको घुटनों के दर्द से राहत मिल जाएगी.

अक्सर घुटनों में दर्द होना आम बात नही है. और यदि आप भी अपने घुटनों में होने वाले दर्द से परेशान है. आपको बैठने उठने में समस्या आती है. सीडियां चढ़ते-उतरते घुटनों में दर्द होता है तो परेशान न हो आपके लिए घुटनों का दर्द ख़त्म करने वाला इलाज है. घुटनों का दर्द का इलाज बेहद सरल और असरदार है. यदि आप इन उपायों को आजमतें है तो आपको घुटने के दर्द से राहत मिलेगी.

घुटनों के दर्द का इलाज – Knee Pain Treatment

यदि आपके घुटनों में लगातार या थोड़ा-थोड़ा दर्द या तेज दर्द बना रहता है तो यहां दिए गए घरेलू नुस्खे आजमाएं और आपको 7 से लेकर 15 दिन के अंदर-अंदर इन घरेलू नुस्खों से पूरा पूरा आराम मिल जाएगा और फिर कभी आपके घुटने दर्द नहीं करेंगे. घुटनों के लिए दर्द निवारक दवा बनाने के लिए आप नीचे दिए गए कुछ नुस्खे आजमाएं.

माना जाता है कि बूढ़े होने पर हड्डियों में दर्द होना शुरू हो जाता है. लेकिन ऐसा नही है. घुटनों में दर्द होने के कई कारण है. 

जैसे
 गलत तरीके ज्यादा वजन उठाना अपने घुटनों को घंटों तक मोड़ कर बैठनाघुटने में पुरानी चोट को नज़रंदाज़व्यायाम करने से पहले बॉडी को स्ट्रेच और बॉडी वार्मअप न करनागलत खान-पान और रहन-सहन

ये सभी घुटनों में होने वाले दर्द का कारण बन सकता है. इसे कुछ बातों का ध्यान रखें. ज्यादातर शरीर में होने वालें दर्द का कारण उपरोक्त ही है. इसलिए इन्हें दोहराहे नही. ये आपके के लिए काफी खतरनाक हो सकता है.

दर्द निवारक हल्दी का पेस्ट

किसी चोट का दर्द हो या घुटने का दर्द आप इस दर्द निवारक हल्दी के पेस्ट को बनाकर अपनी चोट के स्थान पर या घुटनों के दर्द के स्थान पर लगाइए इससे बहुत जल्दी आराम मिलता है. दर्द निवारक हल्दी का पेस्ट कैसे बनाएं इसके लिए आप सबसे पहले एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर लें और एक चम्मच पिसी हुई चीनी और इसमें आप बूरा या शहद मिला लें, और एक चुटकी चूना मिला दें और थोड़ा सा पानी डाल कर इसका पेस्ट जैसा बना लें.

हल्दी चूना पेस्ट

इस लेप को बनाने के बाद अपने चम्मच के स्थान पर यार जो घुटना का दर्द करता है उस स्थान पर स्लिप को लगा ले और ऊपर से किराए बैंडेज या कोई पुराना सूती कपड़ा बांध दें और इसको रातभर लगा रहने दें और सुबह सादा पानी से इसको धो ले इस तरह से लगभग 1 सप्ताह से लेकर 2 सप्ताह तक ऐसा करने से इसको लगाने से आपके घुटने की सूजन मांसपेशियों में खिंचाव अंदरुनी रूप से होने वाले दर्द में बहुत जल्दी आराम मिलता है और यह पृष्ठ आप के दर्द को जड़ से खत्म कर देता है.

दर्द के आराम दिलाये सौंठ का लेप

सौंठ से बनी दर्द निवारक दवा सौंठ भी एक बहुत अच्छा दर्द निवारक दवा के रूप में फायदेमंद साबित हो सकता है, सौंठ से दर्दनिवारक दवा बनाने के लिए एक आप एक छोटा चम्मच सौंठ का पाउडर व थोड़ा आवश्यकतानुसार तिल का तेल इन दोनों को मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट जैसा बना ले.

घुटनों में सूजन का इलाज

दर्द या मोच के स्थान पर या चोट के दर्द में आप इस दर्द निवारक सौंठ के पेस्ट को हल्के हल्के प्रभावित स्थान पर लगाएं और इसको 3 घंटे तक लगा रहने दें इसके बाद इसे पानी से धो लें. ऐसा करने से सप्ताह में आपको घुटने के दर्द में पूरा आराम मिल जाता है और अगर मांसपेशियों में भी खिंचाव महसूस होता है तो वह भी जाता रहता है.

खजूर से घुटने में दर्द का इलाज

सर्दियों के मौसम में रोजाना 5-6 खजूर खाना बहुत ही लाभदायक होता है, खजूर का सेवन आप इस तरह भी कर सकते हैं रात के समय 6-7 खजूर पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट इन खजूर को खा ले और साथ ही वह पानी भी पी ले जिनको जिसमें आपने रात में खजूर भिगोए थे. यह घुटनों के दर्द के अलावा आपके जोड़ों के दर्द में भी आराम दिलाता है.

घुटने की लिगामेंट में चोट का कारगर इलाज

आपके घर में मौजूद कुछ दवाओं के द्वारा भी आप अपने घुटने का दर्द को दूर कर सकते है. इसके आपको आधा कप सरसों का तेल लेना है फिर उसमे कुछ लहसुन की कच्ची कालिया छिल कर दाल देनी है. फिर इस सरसों के तेल को धीमी आंच पर गर्म करना है.  और तब तक इसे गर्म करना जब तक की लहसुन की कालिया पक न जाये. फिर इस तेल के मिश्रण को ठंडा होने के लिए छोड़ दें. ठंडा होने पर इसे अपने घुटनों में हल्के हाथों से मालिश करें. इस उपाय को यदि आप 1 से लेकर २ दिन इसे करें आपका घुटने का दर्द पूरी तरह से गायब हो जायेगा.

नारियल का तेल है बेहतर 

नारियल के तेल के बड़े फायदे है नारियल का तेल केवल आपके बालों को ही मजबूत नही बनाता बल्कि ये आपके शरीर के कई हिस्सों को मजबूत बनाने में मदद करता है. आप यदि नारियल के तेल से अपने शरीर की मशाज़ करते है तो आपको शरीर में होने अकडन से निजात मिलेगी. और आप नारियल के भीतर मौजूद गिरी को खाते है तो भी ये आपके लिए फायदेमंद ही है क्योंकि ये सीधे आपके पेट पर असर करती है. और ये आपके घुटने का दर्द दूर करने में मदद करेगा.

सर्जरी के बिना घुटने बंध चोट उपचार

अखरोट के सेवन से आपको काफी फायेदा होगा. अखरोट जितना सख्त होता है उसे फायदे उठने ही मुलायम होते है. यदि आप रोजाना 2 से 3 अखरोट खाते है तो आपके लिए काफी फयदेमद रहेगा.  अखरोट खाने का तरीका बेहद आसान है आपको रात में अखरोट को भिगो कर रखना है फिर सुबह खाली पेट सेवन करना है ताकि आपकी पचाने की शक्ति पर असर न पड़े. ऐसा करने से आपके घुटने का दर्द खत्म होगा साथ ही आपकी हड्डिया भी मजबूत हो जायेंगी.

हल्दी का मिश्रण घुटने का दर्द मिटाए 

उम्र के साथ साथ शरीर की कार्यशक्ति कम हो जाती है. और बृद होने पर जोड़ो में दर्द होने लगता है. और कमर और घुटने में दर्द होना आम बात हो जाती है. लेकिन कभी कभी ये दर्द असहनीय हो जाता है. घुटने का दर्द मिटाना चाहते है तो हल्दी के आयुर्वेदिक लेप का इस्तेमाल करें इस लेप को बनाने के लिए आपको एक चम्मच हल्दी लीजिये.

घुटने के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज

फिर इसमें शक्कर या शहद के घोल में इसे मिला दीजिये. और इस मिश्रण में चूना (जो पान में इस्तेमाल होता है) अपनी आवश्यकतानुसार मिला लें. और इस मिश्रण को अच्छी तरह से फेंटे. जब ये पेस्ट बनकर तैयार हो जाये तो इस पेस्ट या लेप को अपने घुटनों में लगायें. कुछ ही देर में आपको घुटने का दर्द छूमंतर हो जायगा.

यदि आपका वजन बढ़ा हुआ है तो आपको चलने में तकलीफ होना या फिर घुटनों में दर्द होना स्वाभाविक है. इसलिए सबसे पहले अपने वजन को कम कीजिये ताकि आपकी बॉडी फिट रहे है आपको अन्य बीमारियाँ न लगे. अपने शरीर को मजबूत बनायें सही नियमों के साथ व्यायाम करें. स्पोर्ट एक्टिविटीज में हिस्सा है और कुछ न कुछ करते रहे इससे आपके शरीर का तनाव और खिचाव कम होगा. और घुटनों के दर्द में आराम मिलेगा.





घुटनों के दर्द को ना करें नजरअंदाज, है ये बड़ी बीमारी का संकेत

जिस तरह से महिलाएं पूरे परिवार का ख्याल रखती है, ठीक वैसे ही घर की महिलाओं की सेहत का ध्यान रखना परिवार के अन्य सदस्यों की जिम्मेदारी है। अब जब हम हेल्‍थ की बात कर ही रहे है तो महिलाओं में घुटनों का दर्द उभर कर सबसे ऊपर आता है और समस्या यह है कि महिलाएं अपने घुटनों के दर्द या ओस्टियोअर्थराइटिस का इलाज खुद ही घरेलू नुस्खों से करती रहती है। इसी वजह से अंततः उनका दर्द इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि सर्जरी कराना ही अंतिम विकल्प रह जाता है। 

तो आइये इस वर्ल्ड अर्थराइटिस डे के मौके पर अर्थराइटिस और इसकी नई तकनीकों के बारे में जानते है ताकि महिलाओं को अपंगता भरी जिंदगी न बितानी पड़ें।

1, अर्थराइटिस को कैसे पहचानें

साधारण शब्दों में समझे तो हमारे घुटने मुख्य रूप से दो हड्डियों के जोड़ से बने होते है और इन दोनों हड्डियों के बीच सुगमता लाने के लिए कार्टिलेज होता है जिससे घुटने आसानी से मुड़ पाते है और हम दिन-भर आसानी से काम कर पाते है। कई बार दुर्घटना, चोट, कसरत न करने, सारा दिन बैठे रहने, बीमारी, खाने पीने का ध्यान न रखने और मोटापे के कारण उम्र से पहले या उम्र बीतने के साथ कार्टिलेज घिसने लगता है या क्षतिग्रस्त होने लगता है। अगर समय पर जीवनशैली में बदलाव न करें तो यह कार्टिलेज इतना ज्यादा क्षतिग्रस्त हो जाता है कि घुटनों में अकड़न, सूजन और बहुत ज्यादा दर्द रहता है। दर्द से परेशान मरीज़ कई बार तो अपने बिस्तर तक से नहीं उठ पाते।

2, लाइफस्‍टाइल में बदलाव है जरूरी

वैसे तो कार्टिलेज के क्षतिग्रस्त के होने पर उसे दोबारा रिजनरेट नहीं किया जा सकता लेकिन आप अपनी जीवनशैली में बदलाव करके उसकी गति को रोक सकते है या धीमा कर सकते है। काफी मामलों में देखा गया है कि लोगों ने अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करके अर्थराइटिस पर सफलता पाई है। सबसे जरूरी महत्वपूर्ण है कि महिलाओं को लगातार ऊंची हील के जूतों को पहनने से बचना चाहिए। साथ ही अपने वज़न पर नियंत्रण रखना जरूरी है, इसके लिए नियमित रूप से एक्‍सरसाइज करें।

3, कितनी तरह का होता है अर्थराइटिस?

ओस्टियो अर्थराइटिस : इसमें आमतौर पर कार्टिलेज क्षतिग्रस्त होने लगता है। यह आमतौर पर 55 साल की उम्र के बाद होता है किंतु अगर समस्या पहले से हो तो युवा अवस्था में भी लोग इस बीमारी से ग्रस्त हो जाते है।

रूमेटॉयड अर्थराइटिस : यह ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें इम्यून सिस्टम शरीर के खिलाफ काम करने लगता है। ब्लड टेस्ट नेगेटिव होने के बावजूद रूमेटॉयड अर्थराइटिस का आमतौर पर 35-55 साल की उम्र में होने का चांस ज्यादा होता है।

सोरायसिस अर्थराइटिस : इसमें सोरायसिस की वजह से घुटनों के जोड़ों को अर्थराइटिस होने का रिस्क रहता है।

4, क्‍या है उपचार?

डॉक्टर अर्थराइटिस की स्टेज जानने के लिए नॉर्मल ब्‍लड टेस्‍ट, एक्स रे, यूरिक एसिड जैसे टेस्ट का सहारा लेते है। अगर सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाएं तो इलाज में काफी कम समय लगता है और रोगी जल्द ही बेहतर होने लगते है। 

कोलम्बिया एशिया अस्पताल के ओर्थोपेडिक सर्जन, डॉक्‍टर विभोर सिंघल के अनुसार, ''लोग खासतौर से महिलाएं गंभीर स्टेज में ही डॉक्टर से सलाह लेती है जिससे उनकी समस्या का इलाज केवल टोटल नी रिप्लेसमेंट (टी के आर) ही बचता है। टी के आर की नई तकनीकों में कंप्यूटर की मदद से घुटने का अलाइनमेंट किया जाता है जिससे सर्जरी में ग़लती होने का चांस नहीं रहता। इसके अलावा नए इंप्लाट के बेहतरीन डिजाइन की वजह से मरीज़ को घुटने की गतिशीलता बिल्कुल प्राकृतिक घुटने की तरह महसूस होती है।'' टी के आर की मदद से अब सर्जरी में एक घंटे से भी कम समय लगता है और 24 घंटे से भी कम समय में रोगी को चलने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। तो इस वर्ल्ड अर्थराइटिस डे के अवसर पर अर्थराइटिस से जुडे इलाज की जानकारी ज्यादा से ज्यादा तक पहुंचाएं और डॉक्टर से सही समय पर सही उपचार कराने की सलाह दें ताकि रोगी बेहतर जिंदगी बिता सके।

घुटनों के दर्द से छुटकारा दिलाएंगे ये 19 घरेलू उपाय



आपको स्वस्थ रहने के लिए सबसे जरूरी जो चीज होती है वो होती है आपकी हड्डियां। अगर आपकी हड्डियां मजबूत है तो आपकतो काम करने में कोई दिक्कत नहीं होती है। लेकिन अगर इसमें कोई खराबी है तो आपका उठना बैठना तक दुश्वार हो जाता है। मानव शरीर में पैर जितने ही महत्त्वपूर्ण हैं, उतने ही उनके बीच में बने घुटने।

उन्हीं से पैरों को मुड़ने की क्षमता मिलती है। आज कल बहोत से लोग घुटनो के दर्द से परेशान है और इस दर्द की वजह से चलना फिरना एक कठिन कार्य बन जाता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते है जैसे के आर्थराइटिस, बुढ़ापा आदि। अगर आप अपने खाने में इन 3 मे से एक भी चीज अपना लें तो घुटने के दर्द से छुटकारा पा सकते हैं।

आज हम आपको ऐसी चीजों के बारे में बताएंगे जिनको खाने से आपके घुटनों का दर्द गायब हो जाएगा और आपको एक स्वस्थ जीवन मिलेगा।

अदरक

अदरक एक ऐसी औषधि है जो आपके घुटनों के दरद में रामबाण का काम करती है। इसके प्रयोग से आपके घुटने का दर्द बिल्कुल सही हो जाएगा। इसको इस्तेमाल करने के लिए आप चाय के साथ इसका सेवन कर सकते हैं या इसका रस भी पी सकते है। इसका सेवन आप शहद के साथ कर सकते है।

नींबू

आपने गर्मियों में अक्सर लोगों को खाना खाने के बाद नींबू पीते हुए देखा होगा। नींबू एक बहुत अच्छी औषधि है इसके प्रयोग से आपका पेट तो ठीक रहता ही है साथ ही इसके नियमित सेवन से आपके घुटनों का दर्द भी खत्म हो जाता है। इसके घुटनों में लगाने से भी आराम मिलता है।

मस्टर्ड ऑयल

सरसों के तेल का उपयोग करने के लिए इसको आप लहसुन की कला के साथ मिलाएं और इसको अपने घुटनों में गर्म करके लगाएं। नियमित तरीके से ऐसा करने पर आपके घुटनों का दर्द ठीक हो जाएगा। ये एक असरदार नुस्खा है।

साइडर सिरका

आपको बता दें की ये सिरका आपके पैर और घुटनों के साथ साथ कई तरह के दर्द के लिए रामबाण है। इसके प्रयोह से आपके घुटनों के दर्द में आराम मिल जाएगा। इसको लगाने के लिए आप इसका प्रयोग घुटनों में अप्लाई करके कर सकते है।

सेंधा नमस

घुटनों के दर्द में सेंधा नमक बुत ज्यादा असरदार होता है। इसको पानी में मिलाकर दर्द वाली जगह पर लगाने से आपको आराम मिल जाएगा। ये एक घरेलू और असरदार नुस्खा है। इसका प्रयोग जरूर करें।

हल्दी

हल्दी घुटने के दर्द को दूर करने के लिए एक प्रभावी और प्राकृतिक उपचार है। हल्दी में मौजूद कुरक्यूमिन एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है और दर्द कम करने में मदद करता है।

ओमेगा 3 फैटी एसिड

इन फैटी एसिड से शरीर में शक्ति के साथ साथ कई तरह की बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी होती है। इसके लिए आपको बादाम, साबूत आनाज और दूध जैसा चीजों का सेवन कर सकते है। इनके रोजाना सेवन से आपके घुटनों का दर्द खत्म हो जाएगा।

कैल्शियम रिच फूड्स

कैल्शियम रिच फूड्स को खाने से आपके शरीर को कैल्शियम मिलता है औॅर आपका शरीर भी स्वस्थ रहता है। आपको बता दें कि शरीर में कैल्शियम की कमी से ही हड्डियों में दर्द होता है। इसलिए आप कैल्शियम से भरपूर चीजों का सेवन करें।

पाइनएप्पल

आपको बता दें कि पाइनएप्पल जितना खाने में अच्छा होता है उसके लाभ भी उसी की तरह अच्छे होते है। अगर आपको जोड़ों का दर्द रहता है तो आपको पाइनएप्पल खाना चाहिए। आप चाहे तो इसके रस का सेवन भी कर सकते है।

पपाया सीड्स

पपीते के बीज बहुत उपयोगी होते है। इसके लिए आप इनको पीसकर इसको इसको तेल में लगाकर अपने पैरों पर लगा सकते है ऐसा करने आपके घुटनों के दर्द में आराम मिल जाएगा।

गाजर

गाजर एक जड़ होती है जो कि हमारे शरीर को पैष्टिक चीजें देती है। अगर आपके घुटनों का दर्द है तो आपको गाजर का सेवन करना चाहिए। इसको खाने आपके शरीर में शक्ति मिलती है और आपको घुटनों के दर्द से राहत मिलती है।

मेथी के बीज

अगर आपको घुटनों का दर्द रहता है तो आपको मेथी के बीजों के पीसकर तेल में मिलकार हल्की गुनगुना करके लगाना है। ऐसा करने से आपके घुटनों में दर्द से आराम मिलेगा।

प्याज

अगर आपको घुटनों के दर्द से राहत पानी है तो आपको प्याज का भी इस्तेमाल करना चाहिए। आप चाहें तो प्याज खा भी सकते है और पीसकर अपने घुटनों में लगा भी सकते है। ऐसा करने से आपको घुटनों में आराम मिल जाएगा।

नारियल का तेल

आपको बता दें कि पैर में मोच आने पर भी आप कोकनट का तेल लगा सकते है। आप चाहे तो घुटनों के दर्द के लिए भी इसका प्रयोग कर सकते है। ऐसा करने से आपको घुटनों के दर्द में आराम मिल जाएगी।

लाल मिर्च

लाल मिर्च के इस्तेमाल से घुटनों के दर्द में भी राहत मिलती है, इसमें मौजूद केपसाइसिन दर्द निवारक की तरह काम करता है। इसका उपयोग करें और अपने घुटनों के दर्द से राहत पाएं।

ठंडा सेक

घुटनों के दर्द से राहत के लिए ठंडा सेक दिया जा सकता है। यह सबसे आसान और प्रभावी तरीकों में से एक है। घुटनों को ठंडा सेक देने से यह रक्त वाहिकाओं को कसता है जिससे रक्त प्रवाह कम होता है और सूजन भी घटती है।

एक्सरसाइज

अगर आप एक्सरसाइज करने के शौकीन है तो आपको ये समस्या कभी नहीं होगी। यदि आप नहीं करते है और आप घुटनों की समस्याओं से परेशान है तो आपको एक्सरसाइज करनी चाहिए। ऐसा करने से आपके घटने मजबूत हो जाएगें।

योगा

आपको योगा करना बहुत लाभदायक है। यदि आप बिना किसी दवा के सही होना चाहते है तो आपको योगा करना चाहिए। ऐसा करने से आपको घुटनों के दर्द में आराम मिल जाएगा।

दाल चीनी और अनानास

आपको बता जें कि आप दालचीनी और अनानास को आपस में पीसकर मिला लें और इसको नियमित अपने घुटनों में लगाएं। इसके करने से आपके घुटने ठीक होने लगेगें।


घुटने के दर्द का रामबाण इलाज है कैस्टर ऑयल, ऐसे करें इस्तेमाल

घुटने का दर्द आज के समय की सबसे जटिल समस्या बनती जा रही है, यह ना केवल बुजुर्गों को बल्कि इस समस्या से अब जवान युवा भी परेशान रहने लगे है। इसका सबसे बड़ा कारण है शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना, जिससे हड्डियां कमजोर होती है और ये समस्या पनपने लगती है, पर क्या आप जानती हैं कि आपका ये दर्द चाहे पुराना हो या नया, इसके लिए आपको किसी डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है? घुटने के दर्द का सही उपचार आप घर बैठे भी कर सकती हैं। इसके लिए आपको ना तो किसी प्रकार की महंगी दवाइयों की आवश्यकता है और ना ही महंगे इलाज के लिए बाहर जाने की, बस इस तरह की स्थिति में आप घरेलू उपचार की शरण ले सकती है। कैस्टर ऑयल आज के समय में घुटनों के दर्द से छुटकारा पाने का सबसे प्रभावी उपचार माने जाने लगा है। यह तेल किसी भी पुरानी घुटने की चोट और गठिया से पीड़ित लोगों के लिए एक खास उपचार के रूप में सामने आया है। इसके इस्तेमाल से आज के समय में कई लाख लोगों को फायदा हुआ है तभी तो लोग इसका इस्तेमाल ज्यादा कर रहें हैं।

यदि आप भी अपने घुटनों के दर्द के इलाज के लिए इस तेल की गुणवत्ता के बारे में जानना चाहती है तो हमारे आर्टिकल को जरूर पढ़ें…


घुटनों के दर्द के इलाज के लिए कैस्टर ऑयल किस तरह से प्रभावी है।

इसमें कोई शक नहीं है कि अरंडी का तेल (कैस्टर ऑयल) घुटनों के दर्द के लिए रामबाण इलाज साबित हुआ है। इसका उपयोग करने के लिए आप नहाने से पहले अरंडी के तेल को गर्म करके इससे अपने शरीर पर लगाते हुए धीरे-धीरे मालिश करें। इसका उपयोग करने के लिए आप इसका एक पैक भी तैयार कर सकती हैं। यदि आप इस तेल के पैक को घर पर ही बनाना चाहती हैं तो जानें कि कैसे तैयार करें ये प्राकृतिक पैक…

कैसे बनाए कैस्टर ऑयल पैक

घर पर अरंडी(कैस्टर) के तेल का पैक बनाना काफी आसान है। इस पैक को बनाने के लिए आपको इन चीजों की आवश्यकता होगी।

 100% शुद्ध अरंडी का तेल हीटिंग पैड या गर्म पानी की बोतल प्लास्टिक की चादर या सिलोफन चादर कपड़े के तीन छोटे-छोटे टुकड़े एक पुराना तौलिया

केस्टर ऑयल पैक का उपयोग करने का तरीका।

 एक साफ कपड़े को गर्म पानी में डालकर भिगों दें। इस पर कैस्टर ऑयल की कुछ बूंदें डालें और इसमें तेल इतना ना डालें कि कपड़े से टपकने लगें। अब इसे दर्द वालें स्थान पर घुटने पर रखें और सिलोफन की मदद से उस स्थान को कपड़े से पूरी तरह से कवर करके बांध लें, यदि आपके पास सिलोफन नहीं है, तो आप पुराने तौलिए का भी उपयोग कर सकती हैं। इसके बाद जिस जगह पर ज्यादा दर्द हो रहा है उस जगह पर गर्म पानी की बोतल से 6-7 घंटे तक सिकाई करते रहें।

 घुटनों के दर्द में कैस्टर ऑयल से बना पैक काफी लंबे समय तक दर्द से राहत प्रदान करने का काम करता है। इसका उपयोग करते रहने से आप इस दर्द से हमेशा हमेशा के लिए छुटकारा पा सकती हैं।

कैस्टर ऑयल कैसे घुटने के दर्द को कम करने में मदद करता है।

कैस्टर ऑयल का उपयोग करने से यह हमारे शरीर के अंदर प्राकृतिक रूप से लिम्फोसाइटों की संख्या बढ़ाने का काम करता है। लिम्फोसाइट कोशिकाओं के बीच में पाया जाने वाला टी सेल शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है। कैस्टर ऑयल की मालिश से 24 घंटों में ही टी-कोशिकाओं की संख्या असानी से बढ़ जाती है।

टी-कोशिकाओं जो शरीर के रोगों से लड़ने में सहायक होती है। यह एक प्रकार की श्वेत रूधिर कणिका है जो वायरस, बैक्टीरिया, कवक को मारकर कैंसर की कोशिकाओं के बढ़ने से रोकती है। टी-कोशिकाओं शरीर में लगने वाली चोटों को भी दूर करने का काम करती है। इसके अलावा शरीर पुराने दर्द को भी ठीक करने का काम करती हैं।

कैस्टर ऑयल गठिया के रोग को दूर करने का एक ऐसा लोशन है, जो काफी कम समय में इस दर्द से राहत प्रदान करने में सक्षम है और इसका असर काफी लंबे समय तक बना रहता है। इस तेल को आप विभिन्न फार्मेसियों के साथ मेडिकल स्टोर से ऑनलाइन भी मंगवा सकती हैं। केपिसियन नाम का तरल पदार्थ अरंडी के तेल के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है, जो घुटनों के दर्द के इलाज का सबसे प्रभावी उपचार माना जाता है। कैप्साइसिन में पाई जानें वाली गर्माहट से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। इसका उपयोग हीटिंग प्रभाव लिए किया जा सकता है। castiva लोशन दो तरह के होते है, जो हिटिंग देने के साथ-साथ गर्माहट भी देते है। ठंडे castiva लोशन में मिथाइल सैलिसिलेट या मेन्थॉल पाया जाता है जो ठंडाक देने का काम करता है, ठंडा लोशन वार्मिंग लोशन की तुलना में ज्यादा महंगा होता हैं।


घुटने दर्द के 13 घरेलु उपचार



स्त्री या पुरुष घुटनों पर हाथ रखकर उठता है तो समझ लेना चाहिए कि वह वृद्ध हो चला है और उसके घुटनों में दर्द बनने लगा है| ऐसी अवस्था में घुटनों के दर्द से बचने के लिए उचित उपचार तथा आहार-विहार का पालन करना चाहिए|


घुटने दर्द के 13 घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं:

1. नमक और पानी

पानी में जरा-सा नमक डालकर गरम कर लें| फिर उस पानी में कपड़ा भिगोकर लगभग 10 मिनट तक नित्य सेंकाई करें|


2. अदरक, सोंठ, कालीमिर्च, बायबिड़ंग, सेंधा नमक और शहद

अदरक या सोंठ, कालीमिर्च, बायबिड़ंग तथा सेंधा नमक – सबको बराबर की मात्र में कूट-पीसकर चूर्ण बना लें| इस चूर्ण की 4 ग्राम की मात्रा शहद के साथ मिलाकर चाटें|

3. आलू

घुटनों पर कच्चे आलुओं को पीसकर उनका लेप लगाएं|

4. खीरा और लहसुन

भोजन में खीरा तथा लहसुन का सेवन नित्य दो माह तक करने से घुटनों का दर्द जाता रहता है|

5. नारियल

नारियल की कच्ची गिरी पीसकर घुटनों पर लगाएं तथा चबा-चबाकर उन्हें खाएं भी|

6. मेथी और पानी

मेथी का पूर्ण एक चम्मच प्रतिदिन सुबह के समय गरम पानी के साथ सेवन करें|

7. सरसों, अजवायन, लहसुन, अफीम और खसखस

सरसों के तेल में दो चम्मच अजवायन, चार पूती लहसुन, दो रत्ती अफीम तथा एक चम्मच खसखस डालकर लौटा लें| फिर इस तेल को छानकर घुटनों पर मालिश करें|

8. सोंठ और एरण्ड का तेल

सोंठ का काढ़ा बनाकर उसमें एक चम्मच एरण्ड का तेल मिलाकर रोज सेवन करें|

9. अखरोट

सुबह खली पेट 10 ग्राम अखरोट की गिरी का सेवन करें|

10. लौकी

लौकी उबालकर उसके पानी से घुटनों को तर करें|

11. नीम और चंदन

नीम की छाल को पीसकर चंदन की तरह घुटनों पर लगाएं|

12. गुड़

10 ग्राम गुग्गुल को गुड़ में मिलाकर सेवन करें|

13. पानी

बच का चूर्ण आधा चम्मच प्रतिदिन गरम पानी के साथ लें|


घुटने दर्द में क्या खाएं क्या नहीं


घुटने के दर्द में केवल ठंडी तथा वायु बनाने वाली चीजों का उपयोग वर्जित है| फलों तथा हरी तरकारियों का सेवन अधिक करें| मट्ठा, चाट, पकौड़े, मछली, मांस, मुर्गा, अंडा, धूम्रपान आदि का सेवन बिलकुल न करें| घुटनों को मोड़कर नहीं बैठना चाहिए| पेट को साफ रखें तथा कब्ज न बनने दें| दूध के साथ ईसबगोल की भूसी का प्रयोग करें| शरीर को अधिक थकने वाले कार्य न करें| प्रतिदिन सुबह-शाम टहलने के लिए अवश्य जाएं|

घुटने दर्द का कारण

यह रोग घुटनों की हड्डियों में चिकनाई घट जाने के कारण हो जाता है| वृद्धावस्था में हड्डियों में खुश्की दौड़ने लगती है और शरीर में फॅास्फोरस नामक तत्त्व की कमी हो जाती है| इसके अलावा पौष्टिक भोजन का अभाव, मानसिक तनाव व अशान्ति, शरीर में खून की कमी, भय, शंका, क्रोध आदि के कारण भी यह रोग होता है|

घुटने दर्द की पहचान

घुटने का दर्द बाएं, दाएं या दोनों घुटनों में हो सकता है| रोगी को बैठने के पश्चात् उठकर खड़े होने में काफी तकलीफ होती है| हवा चलने, ठंड लगने, ठंडी चीजें खाने, जाड़ा, गरमी, बरसात आदि के मौसम में यह रोग बढ़ जाता है| घुटने शक्त हो जाते हैं| उनमें चटखन होती है| कभी-कभी घुटनों में सूजन भी आ जाती है|

जोड़ों एवं घुटनों के दर्द से छुटकारा पाने के 7 आयुर्वेदिक उपाय

जोड़ों एवं घुटनों के दर्द के आयुर्वेदिक व घरेलू उपाय
जोड़ यानी joints शरीर के ऐसे हिस्से होते हैं जहाँ दो या दो से ज्यादा हड्डियाँ मिलती हैं जैसे घुटने, कमर, गर्दन, कंधे आदि।

जॉइंट पेन के यूँ तो अनेक कारण हो सकते हैं लेकिन इसके प्रमुख कारण हैं-

उम्र बढ़ना,जोड़ो के कार्टिलेज घिस जाना,joints में चिकनाई की कमी,कैल्शियम  एवं अन्य खनिज तत्वों की कमी,गठिया आदि

सर्दियाँ आते ही जोड़ों और घुटने के दर्द की समस्या बढ़ जाती है, जिसे अक्सर लोग दर्द की गोली खाकर पीछा छुड़ाने का प्रयास करते हैं, लेकिन वे भूल जाते हैं कि दर्द की गोली के Liver, Kidney और पेट पर कितने side effect होते हैं।


इस स्थिति में Ayurved के कई natural एवं घरेलू उपाय घुटनों के दर्द (knee pain), कमर दर्द (lower back pain), arthritis आदि में बहुत फायदेमंद होते हैं और आज इस article में हम आपको ऐसे ही जोड़ों के दर्द में बेहद कारगर 7 घरेलू उपाय बताएँगे-

1.अश्वगंधा एवं सोंठ पाउडर (Indian ginseng and ginger powder) :

इसके लिये 40 ग्राम नागौरी अश्वगंध पाउडर, 20 ग्राम सोंठ चूरण तथा 40 ग्राम की मात्रा में खाण्ड पाउडर लें। तीनों को मिक्स कर लें । Joint pain एवं घुटनों के दर्द में इस चूर्ण को 3-3 ग्राम मात्रा में सुबह शाम गर्म दूध के साथ लेने से जोडों के दर्द में और सूजन में बहुत अच्छा आराम मिलता है।


2. मेथी दाना (Fenugreek seed powder) :

मेथी दाना का joints पर असर दर्द की गोली की तरह  Analgesic एवं anti inflammatory होता है। इसके लिये दाना मेथी का पाउडर आधा से एक चम्मच सुबह शाम खाने के बाद गर्म पानी से लें। दर्द में आराम मिलेगा।

3.लहसुन का दूध (Garlic Milk) :

इसके लिये 250 ग्राम दूध में 2-3 कली लहसुन की छील व कूट कर डाल दें। दूध को उबालें। सर्दियों में रात के समय इस दूध को पीने से जोड़ों की जकड़ाहट दूर होती है और दर्द एवं सूजन में आराम मिलता है। आयुर्वेद के अनुसार लहसुन वायु का नाश करता हैं जो की जोडों के दर्द का मुख्य कारण माना गया है।

4.हल्दी का दूध (Turmeric Milk) :

हल्दी भी जोड़ों के दर्द व सूजन में बहुत गुणकारी होती हैं। इसके लिये 250 ग्राम दूध में चौथाई चम्मच हल्दी पाउडर डाल कर पीने से कुछ ही दिन में आपको बहुत आराम मिलता है।

5.रासनादि क्वाथ एवं एरंड तेल (Castor oil) :

रासनादि क्वाथ एवं castor oil joint pain के लिये बहुत प्रसिद्ध दवा है। इसके लिये एक चम्मच रासनादि क्वाथ जो कि सूखा ही मार्केट में मिलता है को 200 ml पानी में डालकर उबालें। 50 ml पानी शेष रहने पर नीचे उतार कर छान लें। अब इस पानी में 20 ml मात्रा में castrol oil मिलायें। रात में गर्म गर्म पीयें। इससे जोड़ो के दर्द, सूजन, जकडाहट का नाश होता है, कब्ज दूर होती है, पेट में हल्का पन आता हैं, गैस खतम होती है और शरीर मे हल्कापन आता है।

6.मसाज एवं सेक:

Ayurved में जड़ी-बूटियों से बने तेल से मालिश करने के बहुत से फायदे बताये गये हैं इससे जोड़ो में चिकनाई आती है, जकड़ाहट दूर होती है, दर्द व सूजन में आराम मिलता है।
इसके लिये 250 ग्राम सरसों के तेल को कढ़ाई में डाल कर गर्म करने के लिये गैस पर रखें। इसमें 8-10 कली लहसुन की छील कर डाल दें।

गर्म तेल में एक एक चम्मच अजवायन, दानामेथी, सौंठ पाउडर भी डाल दें। जब सारा मसाला पक जाये तो पकने पर नीचे उतार लें ठन्डा होने पर किसी काँच की शीशी में डाल कर रख लें। सर्दियों में सुबह-सुबह की गुनगुनी धूप में इस तेल से घुटनों की मालिश करें या जिस भी joint में दर्द हो वहाँ मालिश करें।

इससे जकड़ाहट, दर्द एवं सूजन में बहुत आराम मिलता है आप चाहें तो मार्केट से महानारायण तेल या पीडांतक तेल बना बनाया भी ले सकते हैं। जिसमें अनेक जड़ी बूटियां डली हुई होती हैं। मालिस के बाद गर्म पानी की बोतल से सेक भी सकते हैं।

7. Exercise करें:

Physiotherapist की राय से exercise करें या योगा शिक्षक से सीख कर  yoga नियमित रूप से करें। इससे joints एक्टिव रहते हैं, joints की stiffness दूर होती है, pain में आराम मिलता है।


जोड़ों के दर्द का अचूक इलाज है यह तेल



बाजार में सैकडों दर्द निवारक तेल बिक रहे हैं और किस तेल का कितना असर है कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं ऐसे में परेशान होने की जरूरत नहीं, आप खुद ही घर पर बैठकर एक अच्छा दर्द निवारक तेल तैयार कर सकते हैं। आदिवासियों के ज्ञान पर आधारित इस नुस्खे के क्लिनिकल प्रमाण भी चौंकाने वाले हैं।
काली उडद (करीब 10 ग्राम)

बारीक पीसा हुआ अदरक (4 ग्राम)

और पिसा हुआ कर्पूर (2 ग्राम) को खाने के तेल (50 मिली) में 5 मिनिट तक गर्म किया जाए और इसे छानकर तेल अलग कर लिया जाए। 

जब तेल गुनगुना हो जाए तो इस तेल से दर्द वाले हिस्सों या जोड़ों की मालिश, जल्द ही दर्द में तेजी से आराम मिलता है, ऐसा दिन में 2 से 3 बार किया जाना चाहिए। यह तेल आर्थरायटिस जैसे दर्दकारक रोगों में भी गजब काम करता है। 


मिनटों में गायब होगा जोड़ों का दर्द, यह है रामबाण इलाज

सर्दियों में जोड़ों के दर्द की समस्या आम सुनने को मिलती हैं। खासकर बढ़ती उम्र के लोगों में यह परेशानी ज्यादा सुनने को मिलती है। जोड़ों का दर्द शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। यह दर्द घुटनों, कोहनियों, गर्दन, बाजूओं और कूल्हों पर हो सकता है।  लंबे समय तक किसी एक जगह पर ही बैठे रहने, सफर करने से घुटनें अकड़ जाते हैं और दर्द करने लगते हैं। इसी को जोड़ों का दर्द कहते हैं। अगर सही समय पर इसका इलाज ना किया जाए तो यह गठिया का रूप भी ले सकता है। जोड़ दर्द होने की वजह  गलत खान पान ही है। हड्डियों में मिनरल्स की कमी और बढ़ती उम्र भी इसकी एक वजह से हो सकती है। 


जोड़ दर्द होने के लक्षण

- खड़े होने, चलने और हिलने जुलने समय दर्द

- सूजन और  अकड़न

-चलते समय जोड़ों पर अटकन लगना

- सुबह के समय जोड़ों का अकड़ाव होना


दर्द का आयुर्वेदिक इलाज़

जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए आपको बहुत सारे मसाजर, तेल आदि मार्कीट में मिल जाएंगे लेकिन पैसे की खूब बर्बादी करने के बाद भी जोड़ों के दर्द से राहत नहीं मिलती। इसकी जगह पर अगर आप कुछ घरेलू नुस्खे अपनाएंगे तो इस दर्द से आपको जल्द राहत मिलेंगी। इन नुस्खों को अपने चिकित्सक की परामर्श के बिना ना अपनाएं।


सामग्रीः


- 10ग्राम- काली उड़द दाल 

- 4  ग्राम -अदरक  (पिसा हुआ)

- 2 ग्राम -कपूर (पिसा हुआ)

- 50 मि.ली.- सरसों का तेल 


विधिः काली साबुत उड़द दाल, अदरक, कपूर को सरसों के तेल में 5 मिनट तक गर्म करें फिर तीनों चीजों को छानकर तेल से बाहर निकाल लें। इस गुनगुने तेल से जोड़ों की मसाज करें। जल्द ही जोड़ों के दर्द से राहत मिलेगी। ऐसा दिन में 2 से 3 बार करें। 

इसके अलावा आप इन नुस्खों को भी अपना सकते हैं।


- अमरूद की 4-5 कोमल पत्तियों को पीसकर उसमें थोड़ा सा काला नमक मिलाकर रोजाना खाएं। इससे दर्द से राहत मिलेगी।

- काली मिर्च को तिल के तेल में जलने तक गर्म करें और ठंडा होने पर उसी तेल से जोड़ों की मालिश करें।

-गाजर को पीसकर इसमें थोड़ा सा नींबू का रस मिलाकर रोजाना सेवन करें।

- दर्द वाले स्थान पर अरंडी का तेल लगाकर, उबाले हुए बेल के पत्तों को गर्म गर्म बांधे इससे भी तुरंत राहत मिलेगी। 

-2 चम्मच बड़े शहद और 1 छोटा चम्मच दालचीनी पाऊडर सुबह शाम एक गिलास गुनगुने पानी  से लें।

-सुबह के समय सूर्य नमस्कार और प्राणायाम करने से भी जोड़ों के दर्द से छुटकारा मिलता है।

- 1 चम्मच मेथी के बीच रातभर पानी में भिगोकर रखें। सुबह पानी निकाल दें और मेथी के बीजों को अच्छे से चबाकर खाएं। 

-गठिए के रोगी 4-6 लीटर पानी पीने की आदत डाल लें। इससे मूत्रद्धार के जरिए यूरिक एसिड बाहर निकलता रहेंगा। 

ध्यान रखेंः कोई भी नुस्खा अपनाने से पहले डॉक्टरी सलाह अवश्य लें।


घुटनों में सूजन को ठीक करने घरेलू उपाय करें


घुटने के दर्द में व्यक्ति का चलना फिरना कठिन हो जाता है। इसे ठीक करने के लिए व्यायाम के साथ ही कुछ घरेलू उपाय भी करने चाहिये। घुटने के दर्द और सूजन में गठिया, जोड़ों का दर्द, घुटने की चोट, टेंडिनाइटिस या कार्टिलेज टीयर जैसे रोग शामिल है। घूटने में सूजन के इलाज के बारे में जानते हैं।

आइस पैक इस्तेमाल करें

घुटने में सूजन को कम करने के लिए आइस थेरिपी एक प्रभावी उपाय है। आइस प्रभावित घुटनों में रक्त वाहिकाओं को कसता है और तरल पदार्थ को लीक होने से रोकता है। डॉक्टर 20 मिनट के लिए घुटने पर आइस पैक लगाने की सलाह देते हैं। इसके अलावा, 20 मिनट से अधिक समय के लिए घुटने पर बर्फ नहीं छोड़ा जाना चाहिए क्योंकि बर्फ में नस और त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है, जो घुटने के चारों ओर है।

मछली का तेल रहेगा लाभप्रद

कई अध्ययनों से पता चला है कि मछली और मछली के तेल जोड़ों में दर्द और रयूमेटाइड आर्थराइटिस की कठोरता को कम करता है। अध्ययन से पता चलता है कि मछली में पाए जाने वाले ओमेगा-3 फैटी एसिड न केवल उन रसायनों को अवरुद्ध कर सकते हैं जो पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस में सूजन का कारण बन सकते हैं, बल्कि आपके कार्टिलेज के लिए भी सही रहते हैं।

विटामिन सी वाले फल

घुटने के सबसे अच्छे फलों में विटामिन सी वाले फल शामिल हैं, जैसे किवी, नारंगी, आम, अंगूर और पपीता। शोधकर्ताओं का मानना है कि इन फलों में विटामिन सी होता है, जो घुटने के संयुक्त और सहायक ढांचे को बचाता है।

घुटने पुरे शरीर का भार झेलते है, इसलिए नियमित व्यायाम कर घुटनों को मजबूत बनाना जरूरी है। रोजाना व्यायाम कुछ लोगों में घुटने के दर्द को कम करता है। गठिया से ग्रस्त लोगों के लिए, पैर को स्थिर रखने या दर्द से बचने के लिए व्यायाम आवश्यक है। इसके अलावा अधिक वजन होने से समस्या भी बढ़ सकती है, इसलिए वजन प्रबंधन महत्वपूर्ण है।

अदरक का करें उपयोग

अदरक कई रूपों में उपलब्ध है। अदरक दुनिया भर में सबसे प्राचीन मसालों में से एक है। इस मसाले का उपयोग कई व्यंजनों में उपयोग किया जाता है। अगर इसके स्वास्थ्य लाभ की बात की जाए तो हड्डी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, इम्यून सिस्टम या प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने, भूख बढ़ाने, विभिन्न प्रकार के कैंसर को रोकने, श्वसन की स्थिति में सुधार करने, पाचन में सहायता करने, गठिया के लक्षणों को खत्म करने की क्षमता इसमें शामिल है। अध्ययन में पाया गया कि अदरक घूटने के दर्द को कम करने में मदद करता है।
इस बात का ध्यान दीजिए कि कोई भी घरेलू उपाय अपनाने से पहले चाहे वह डायट्री सप्लीमेंट हो या फिर वैकल्पिक थेरिपी अपने डॉक्टर से जरूर राय लें।

इन पदार्थ का सेवन कम करें

चीनी

घुटनों में सूजन को कम करने के लिए चीनी के सेवन की मात्रा घटानी चाहिए। वास्तव में यह आपकी प्रतिरोधी क्षमता को कमजोर बनाती है जिससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी घटती है। चीनी के कारण शरीर में सूजन भी बढ़ता है, इसलिए इसका कम सेवन करना ही समझदारी है। पेस्ट्री, चॉकलेट बार, सोडा, यहां तक कि फलों के रस जिसमें चीनी होता है उसका सेवन बिलकुल ही बंद कर देना चाहिए।

कई अध्ययनों से पता चला है कि सेचुरेटेड फैट शरीर में सूजन को बढ़ाता है, जो न केवल हृदय रोग के लिए नुकसानदेह है बल्कि गठिया के सूजन को भी बदतर बना सकता है। ऐसे में वासायुक्त पदार्थों का सेवन न करें। इसके अलावा ट्रांस फैट जैसे फास्ट फूड और अन्य तली हुई उत्पादों, प्रोसेस्ड स्नैक फूड, फ्रोजन ब्रेकफास्ट प्रोडक्ट, कुकीज, डोनट्स और क्रैकर आदि आहारों का सेवन भी कम कर देना चाहिए।

जोड़ों का दर्द होमियोपैथिक इलाज

जोड़ों की कड़ी लचीली हड्डी में कुछ अज्ञात कारणों से ऊतकों के निष्क्रिय होने की प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है, जिसके कारण जोड़ों की साइनोवियल झिल्ली में सूजन आ जाती है। यह लगातार बढ़ती जाती है, जिस कारण जोड़ों की सामान्य संरचना छिन्न-भिन्न हो जाती है और एक्स-रे कराए जाने पर जोड़ों की संरचना में विषमता पाई जाती है।

यदि जोड़ों के भीतर पाये जाने वाले ‘साइनोवियल द्रव्य’ की सूक्ष्मदर्शी द्वारा जांच करवाई जाए, तो उसमें ‘मोनोसोडियम यूरेट’ नामक रसायन के कण पाए जाते हैं, जो जोड़ों पर जमा होने लगते हैं और सामान्य क्रियाओं में बाधक बनते हैं। इस अवस्था को गठिया कहते हैं। इसकी शुरुआत प्राय: हाथों एवं पैरों की उंगलियों के जोड़ों से होती है। दुनिया के लगभग सभी देशों में यह बीमारी पाई जाती है। लगभग 2.5% आबादी इस रोग से पीड़ित है। वैसे तो यह बचपन से नब्बे साल तक कभी भी प्रारम्भ हो सकता है, किन्तु40 से 60 वर्ष की उम्र में अधिक होता है। यह स्त्रियों में अधिक होता है।


आरथ्राइटिस : इसके होने के दो कारण हैं

1.अज्ञात 2.मानसिक तनाव(सम्भावित)।

जोड़ों का दर्द के लक्षण

1. जोड़ों में दर्द एवं अकड़ाव रहता है।

2. जोड़ों में सूजन आ जाती है।

3. जोड़ों को चलाना-फिराना मुश्किल हो जाता है।

4. हाथों की पकड़ने की ताकत (ग्रिप) क्षीण हो जाती है।

5. जोड़ों के साथ ही मांसपेशियों में कमजोरी आने लगती है।

6. लेटने के बाद उठने पर जोड़ों में जकड़न महसूस होती है।

7. सुबह उठने पर लगभग आधे घटे तक जकड़न बनी रहती है।

8. इसकी शुरुआत कभी-कभी अचानक होती है। यह प्राय: धीरे-धीरे प्रारम्भ होता है।

गाउट (वात रोग या गठिया) : इसमें उपापचय संबंधी (मुख्यत: ट्यूरी उपापचय संबंधी) गड़बड़ियां शरीर में होने लगती हैं। उसकी वजह से खून में अधिक यूरिक अम्ल पहुंचने लगता है और यूरेट क्रिस्टल ऊतकों में जमा होने लगते हैं। यहां से यही क्रिस्टल जोड़ों में जमा होने लगते हैं (हड्डी पर), जिससे हड्डियों में सूजन आ जाती है।

गठिया का लक्षण

1. यह आनुवंशिक रोग है (10% रोगियों में)।

2. 30-40 वर्ष की उम्र के बाद में यह रोग शुरू होता है।

3. इसकी शुरुआत अव्यवस्थित होती है और चोट लगने, बुखार, व्रत रखने, ऑपरेशन के बाद अथवा खान-पान की गड़बड़ियों के कारण कभी भी यह रोग प्रारम्भ हो सकता है और बहुत तेजी से विकसित होता है।

4. कलाई, कुहनी, घुटना एवं एंकिल (पैर को टांग से जोड़ने वाला जोड़) एवं हाथ-पैरों की उंगलियों के जोड़ों में इसकी शुरुआत होती है।

5. स्नायु एवं मांसपेशियां (संबंधित जोड़ों की) भी प्रभावित होने लगती हैं।

6. शुरुआत किसी एक जोड़ से (प्राय: पैर के अंगूठे अथवा एंकिल जोड़ से) होती है और शीघ्र ही अन्य जोड़ों में भी बीमारी के लक्षण परिलक्षित होने लगते हैं।

7. 101 से 103 डिग्री फारेनहाइट तक बुखार रहता है।

8. प्रभावित जोड़ में सूजन आ जाती है और दर्द रहने लगता है।

9. छूने मात्र से ही तीव्र-दर्द रहने लगता है। कभी-कभी तो मरीज प्रभावित जोड़ बिस्तर के कपड़ों तक से छू जाने पर दर्द महसूस करता है।

10. घुटने आदि जोड़ों में द्रव्य इकट्ठा होने लगता है।

11. पुरानी गठियाजनित जोड़ों में अकड़ाव, दर्द, सूजन, जोड़ों को घुमाना-फिराना मुश्किल हो जाता है।

12. साइनोवियल झिल्ली मोटी हो जाती है।

गठिया का रोकथाम एवं बचाव

(गठिया एवं जोड़ों की सूजन, दोनों ही स्थितियों में) –

1. रोग की अवस्था में (तीव्रता में) बिस्तर पर आराम आवश्यक है।

2. गठिया रोग होने पर प्यूरीनयुक्त भोजन,जैसे ग्रंथियुक्त विशेष प्रकार का मांस नहीं खाना चाहिए।

3. वजन कम नहीं होने देना चाहिए।

4. पानी अधिक से अधिक पीना चाहिए, ताकि गुर्दो में पथरी न बने।

5. अलग से सूक्ष्म मात्रा में सोडियम बाईकार्बोनेट लेना, गुर्दो में पथरी की सम्भावना को रोकता है, किन्तु अधिक मात्रा में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि अधिकता होने पर (सोडियम की) उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी विकार आदि उत्पन्न हो सकते हैं।

6. शारीरिक चोटों से जोड़ों को बचाना चाहिए, अन्यथा सूजन और बढ़ जाएगी।

7. जोड़ों के व्यायाम (फिजियो थेरेपी) मांसपेशियों, स्नायुओं एवं जोड़ों की ताकत बढ़ाने एवं इनके सही संचालन में अत्यंत मददगार होते हैं।

गठिया रोग के होमियोपैथिक उपचार

ग्वाएकमः रुमेटिक दर्द, कंधों में, बांहों में, हाथों में, गर्दन में दर्द, अकड़ाहट, गठिया का तीव्र दर्द, जोड़ों को चलाने में असमर्थ, एंकिल (पैर को टांग से जोड़ने वाला जोड़) में दर्द, पैर में दर्द, चल पाने में असमर्थ, पैरों को मोड़कर बैठने पर दर्द, सूजन, अकड़ाहट, प्रभावित पैरों में गर्मी महसूस होना, जरा-सा चलने-घूमने से, गर्मी से, ठंडे मौसम में, जरा-सा छूने पर भी परेशानी महसूस होना, जोड़ों की सूजन की प्रारम्भिक अवस्था, सारे शरीर से बदबू आना, सेब खाने की प्रबल इच्छा आदि लक्षण मिलने पर 3 शक्ति में कुछ दिन खिलाने पर अवश्य ही लाभ मिलता है।

ब्रायोनिया

: धुटनों में अकड़न, दर्द, गर्मी एवं पैरों में सूजन, जोड़ों में सूजन, गर्मी और लाली महसूस होना, खिंचाव एवं इस प्रकार का दर्द, जैसे किसी ने जोड़ों को तोड़ दिया हो,जरा सा चलने-फिरने पर भयंकर दर्द, दबाने पर हर जगह दर्द महसूस होना, गर्दन में अकड़ाहट, कमर में दर्द, बाएं हाथ और पैर को बार-बार हिलाने की आदत, अधिक प्यास, दर्द वाली तरफ करवट करके लेटने पर आराम, गर्मी में परेशानी, ठंडी वस्तुओं की इच्छा आदि लक्षण मिलने पर 30 शक्ति की दवा उपयोगी रहती है।

कॉल्चिकम : जोड़ों में तीव्र दर्द, हाथों में, कलाई में सुई जैसी चुभन, हाथों की उंगलियों के अग्रभाग में चेतनाशून्यता, जांघों में पीड़ा, पैर कमजोर, पतले, लड़खड़ाना, शाम को एवं गर्मी में परेशानी बढ़ना, जोड़ों में कठोरता, हलका बुखार,जोड़ों की सूजन रात में अधिक, पैर के अंगूठे की सूजन, एड़ी में वात रोग का असर, छूना तथा घुमाना सम्भव नहीं, उंगलियों के नाखूनों में सनसनाहट, जोड़ों में जलीय शोथ, सूजन एवं पैरों और टांगों में ठंडी, खाने की खुशबू से जी मिचलाना, आगे की तरफ झुककर बैठने पर आराम आदि लक्षण मिलने पर 12 × एवं 30 शक्ति में दवा लेनी चाहिए। साथ ही ‘बेंजोइक एसिड’ 6 × शक्ति में लेनी चाहिए।

रसटॉक्स : जोड़ों में दर्द, सूजन, स्नायुओं में, मांसपेशियों में दर्द, कमर एवं गर्दन में दर्द, पैरों में कठोरता, पक्षाघात जैसी स्थितैि, ठंड-ताजा हवा बर्दाश्त नहीं हो पाती, हाथों एवं उंगलियों में चीटियों के चलने एवं आराम करने पर लेटने पर परेशानी बढ़ना एवं लगातार घूमते रहने पर परेशानी कम महसूस होने पर 30 शक्ति में लेनी चाहिए।

लीथियम कार्ब: दीर्घ स्थायी जोड़ों की सूजन व गठिया हृदय रोग के साथ-साथ बनी रहती है, जोड़ों मेंगांठे बन जाती हैं, सारे शरीर में टीस बनी रहती है, हाथ-पैरों के जोड़ों में कड़ापन आ जाता है, गर्म पानी से धोने पर एवं चलते-फिरते रहने पर थोड़ा आराम मिलता है, दाईं तरफ लेटने पर एवं सुबह के समय परेशानी तीव्रतम होती है, तो 3x शक्ति में नियमित औषधि सेवन से आशातीत लाभ मिलता है।

फारमिकारुफा : जोड़ों का दर्द, कड़े एवं न खुलने वाले जोड़, पैरों की कमजोरी, जोड़ों की सूजन व गठिया अचानक शुरू होती है, मध्य रात्रि के बाद एवं रगड़ने से कुछ आराम मिलता है, त्वचा लाल रहती है और खुजलाने से आराम मिलता है। इसे 6 × शक्ति में लें।

फारमिक एसिडः फिलाडेल्फिया के हैनीमैन कॉलेज की हेरिंग रिसर्च लेबोरेटरी के डा. सिलवेस्ट्रोविक्ज ने उक्त औषधि पर काफी काम किया है और आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए। गठिया एवं जोड़ों की सूजने के बिगड़े रोगी, जिनके जोड़ों में गांठ पड़ चुकी हों, त्वचा पर अकौता बनने लगे, मांसपेशियों में अपरिवर्तनीय परिवर्तन होने लगे, गुर्दे भी ठीक काम न कर पा रहे हों, पेशाब में यूरिक अम्ल की मात्रा काफी बढ़ी हो, यानी कुल मिलाकर लाइलाज हो चुके ऐसे रोगियों के लिए उक्त औषधि 6× शक्ति में अंधेरे में रोशनी की किरण का काम करती है।

यदि जोड़ों का दर्द नीचे से ऊपर की तरफ चले, तो ‘लीडम’ नामक औषधि 30 शक्ति में एवं यदि दर्द ऊपर से नीचे की तरफ चले, तो ‘काल्मिया लेटिफोलिया’ औषधि 30 शक्ति में, दिन में तीन बार तीन-चार दिन खाने पर आशातीत लाभ मिलता है। दोनों ही औषधियों में प्राय: पैरों के जोड़ों से ही दर्द शुरू होता है।

बेंजोइक एसिड : यदि चलने पर जोड़ों में टूटन महसूस हो तो कालचिकम औषधि के बाद यह दवा उपयुक्त रहती है। 30 शक्ति में प्रयोग करें इस दवा के रोगी के पेशाब में दुर्गध आती है व पेशाब की जांच में यूरिक एसिड भी मिलता है।

घुटने के जोड़ के रोग का होम्योपैथिक इलाज



यदि अस्थियों में किसी प्रकार की विकृति हो जाए, वह टेढ़े-मेढ़े पड़ जाएं, रोगी की यक्ष्मा की प्रकृति हो, पसीना अधिक आए, रोगी चल-फिर न सके, घुटने जवाब दे जाएं, हड्डियां कड़कने लगें, हड्डी में नासूर आदि हो जाए, तब निम्न औषधियों से उपचार करें।

कार्बोवेज 30 — रात्रि में बढ़ जाने वाला घुटनों का ठंडापन, कूल्हे तथा घुटनों की हड्डियों में खींच पड़ना, जलन होना, कूल्हे की हड्डी के जोड़ जांघ तथा घुटने की हड्डी में अकड़न हो।

कोक्कुलस इंडीकस 3, 30 — घुटने की हड्डी का कड़कना, कमजोरी के कारण घुटनों का जवाब दे देना तथा घुटनों की सूजन में इस औषधि का प्रयोग किया जा सकता है, लाभ होगा।

डायोस्कोरिया 3, 6 — घुटनों में तीव्र पीड़ा, कमजोरी, हड्डी का कड़कना, लंगड़ापन।।

कैल्केरिया आर्स 3 — पैरों में इतनी कमजोरी की रोगी चलने में लंगड़ाने लगता है, मानो पैरों को घसीट रहा हो। बाएं घुटने के स्नायु में अत्यधिक पीड़ा, इस अवस्था में यह उपयोगी है।

कॉस्टिकम 30, 200 — वात-व्याधि की तीव्र पीड़ा हो, चलते हुए घुटने कड़कड़ाते हों, छोटे जोड़ों में बेहद दर्द हो, तब इस औषधि का प्रयोग करें।

ऐग्नस कैस्टस 6 — जोड़ों का ठंडापन तथा घुटनों के जोड़ों में गठिया हो, तब यह औषधि दें।

बारबेरिस वलगैरिस (मूल-अर्क) 6 — देर तक बैठे रहने के बाद उठने पर घुटनों का काम न करना, घुटनों में बेहद दुखन और दर्द हो, चलते हुए घुटनों का जवाब दे देना में यह उपयोगी है।

रस-टॉक्स 30 — घुटनों में ऐसा प्रतीत होना मानों पेशियां छोटी पड़ गई हैं, इस कारण चलने में खींच पड़ती है। नींद से उठने पर घुटनों में अकड़न के साथ दर्द होता है, तब यह औषधि दें।

ब्रायोनिया 30, 200 — घुटने सूजकर लाल हो जाएं, चलने-फिरने में बेहद दर्द हो; घुटनों में अकड़न और दर्द हो, चलते हुए रोगी लड़खड़ा जाए, घुटनों से लेकर पिंडलियों तक दर्द फैल जाए।

फास्फोरस 30 — इस औषधि का कूल्हे तथा घुटने की हड्डी के जोड़ पर काफी प्रभाव है। हड्डियों के रोगों को दूर करने के कारण इसे यक्ष्मा-प्रकृति के रोगियों के कूल्हे की हड्डी के जोड़ के क्षय-रोग में भी दिया जाता है। साइलीशिया से लाभ न होने पर यह औषधि दी जाती है।

बेनजोइंक एसिड 6 — घुटना सूज जाए, दर्द की अधिकता हो, घुटने की हड्डी कड़कड़ करे, विशेषकर दाएं घुटने की हड्डी। इस औषधि में रोगी के मूत्र में बहुत बुरी गंध आती है, तब इसे दें।

ऐनाकार्डियम 30, 200 — रोगी को लगता है कि घुटने जवाब दे देंगे, वह कठिनता से चल पाता है, उसे प्रतीत होता है कि घुटने किसी पट्टी द्वारा कस कर बंधे हुए हैं। इस औषधि का रीढ़, पीठ तथा हाथ-पैरों पर विशेष प्रभाव है। रोगी को महसूस होता है कि शरीर पट्टी से बंधा है, शरीर के किसी अंग को कस कर जकड़ा हुआ है। इसका कारण रीढ़ की कमजोरी है। घुटने सूज जाते हैं और रोगी को प्रतीत होता है कि घुटने की हड्डी में घाव हो गया है जो दर्द करता है। इस प्रकार के लक्षणों में यह औषधि बहुत लाभदायक सिद्ध होती है।

साइलीशिया 30 — कूल्हे या घुटने के जोड़ की हड्डी के रोग में यदि फिश्चुला (नासूर) हो जाए, रोगी यक्ष्मा की प्रकृति का हो, तब इस औषधि से उपचार कराना पड़ता है। इस औषधि का अस्थि-विकृति, उनके टेढ़े-मेढेपन पर विशेष प्रभाव है। जब बच्चों की हड्डियां विशेषकर रीढ़ की हड्डी टेढ़ी पड़ जाती है, तब इस औषधि का प्रयोग किया जाता है। रीढ़ के मोहरों के क्षय में भी यही औषधि उपयोगी है। औषधि का निश्चय करते हुए औषधि की प्रकृति पर भी ध्यान देना आवश्यक है। बच्चे की ग्रंथियां सूज या पक जाने में भी यह अत्यंत उपयोगी है।

ये खाएं..कुछ आदतें बदलें, घुटने बदलवाने से बचेंगे

ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ कहते हैं कि यदि किसी को आर्थराइटिस की गंभीर समस्या है तो घुटने रिप्लेसमेंट करवाना सही विकल्प है, लेकिन प्रारंभिक अवस्था में इसे कसरत और डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं से आराम पाया जा सकता है। घुटनों व कूल्हों के दर्द का सबसे पहला उपचार है पेन किलर जो पूरी तरह से सही नहीं है क्योंकि ये घुटने का दर्द कम तो करते हैं लेकिन लिवर व किडनी को भी नुकसान पहुंचाते हैं। यदि दवाएं लेने व कसरत के दौरान, चलते समय दर्द या पैरों में टेड़ापन महसूस हो तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

खानपान का ध्यान रखें 

आमतौर पर 20 वर्ष की आयु के बाद से घुटनों का घिसना व दोबारा बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। लेकिन 40 साल के बाद हड्डी बनने की तुलना में घिसती ज्यादा है। खानपान और जीवनशैली में बदलाव कर हड्डियों को मजबूत रखा जा सकता है। विटामिन-डी, कैल्शियम और प्रोटीन युक्तचीजों को भोजन में शामिल करें। 30-40 साल की उम्र के बाद आलती-पालती मारकर बैठना व सीढिय़ों पर उतरने-चढऩे की बजाय पैदल चलना ज्यादा उचित होता है। अपने आहार में गहरे हरे रंग की पत्‍तेदार स‍ब्जियां, ब्रॉक्‍ली, डेयरी प्रोडक्‍ट शामिल करें क्‍योंकि यह विटामिन डी का अच्‍छा विकल्‍प होती हैं और हड्डियों के लिये कमाल कर सकती हैं। लहसुन और प्‍याज सल्‍फर के अच्‍छे स्रोत हैं। कॉफी और चाय का सेवन कम कर के दूध पिएं। जड़ी बूटियां खाएं। जौ घास, अल्‍फाअल्‍फा, धनिया और रोज हिप्‍स आदि कुछ ऐसी जड़ी बूटियां हैं, जो हड्डी मजबूत करती हैं। 

सावधानी से चलें

चलने-फिरने में हम सावधानी बरतें तो दुर्घटना से बच सकते हैं तथा पैरों और घुटनों को भी फिट रख सकते हैं। 30 मिनट रेगुलर वॉक से मोटापे व डायबिटीज का खतरा घटता है। 65 किलो वजन का व्यक्ति 6.5 किमी प्रति घंटे की गति से चले या दौड़े तो एक घंटे में 362 कैलोरी बर्न कर सकता है।  
वॉक करने से डायबिटीज, ऑस्टियोपोरोसिस, तनाव में भी लाभ होता है। वॉकिंग नैचुरल कसरत है जो हृदय रोगों से बचाता है और हड्डियों को मजबूत कर मोटापे को घटाता है। इनके लिए जरूरी है कि आराम से व सही पोश्चर में चलें। 

कुछ नियमों को भी मानें

चलते समय हमारी आंख, दिमाग और पैरों का संतुलन नहीं गड़बड़ाना चाहिए।

स्थिर कदमों से चलें। अपना सिर ऊंचा रखें। रीढ़ की हड्डी सीधी रखें। हाथों को 90 डिग्री पर झुकाकर आगे-पीछे हिलाएं।

सीढिय़ों पर चढ़ते समय किसी से आगे निकलना हो या क्रॉस करना हो तो दिशा बदल लें।


स्मूथ व साफ जगह पर भी दौडऩा हो तो पहले बॉडी वॉर्मअप जरूर करें।

फिसलन व उबड़-खाबड़ सड़क पर न दौड़ें।

घुटने, एडिय़ों में दर्द या दुर्घटना का प्रमुख कारण है अनफिट व अनकंफर्टेबल शूज। ऊंची एड़ी वाले फूटवियर्स बॉडी का संतुलन खराब करने के साथ-साथ दबाव व तनाव भी पैदा करते हैं।

लूज कपड़े पहनकर दौडऩा भी ठीक नहीं होता है। इनसे गिरने का डर बना रहता है। 

चलते समय किसी की नकल न करें। अपनी चाल से चलें और क्षमता अनुसार अपनी गति को बढ़ाते रहें।

घुटने घिसने से बचाएगी पीआरपी थैरेपी

यह इलाज किसी भी आयुवर्ग के मरीजों के लिए फायदेमंद है। जब मरीज के घुटने घिसने ही लगे हों या ऑस्टिओआर्थराइटिस का शुरुआती चरण हो, तब ये थैरेपी ज़्यादा असरदार होती है। इसलिए जल्दी जागरूक होकर जोड़ प्रत्यारोपण जैसी जटिल सर्जरी से बच सकते हैं। 

कैसे फायदे मंद है।

पीआरपीइंजेक्शन सिंथेटिक नहीं जैविक है। इसको OPD प्रोसीजर की तरह विशेष माइक्रो-नीडल से घुटनों में लगाने के बाद मरीज घर जाकर रोजमर्रा का काम शुरू कर सकता है। तीन से छह सप्ताह में इस थैरेपी का असर आना शुरू हो जाता है। इससे मरीज के घुटनों के दर्द , सूजन और अकड़न में रिलीफ मिलता है। रिसर्च के मुताबिक, घुटनों के दर्द में 60 से 80 परसेंट तक फायदा होता है। हालांकि, यह घुटनों की बीमारी पर काफी हद तक निर्भर करता है। इस थैरेपी का खर्चा नी-रिप्लेसमेंट के दसवें हिस्से से भी कम है। इसका दो से तीन साल तक असर रहता है। दुबारा भी लगाया जा सकता है। इसके साइड इफ़ेक्ट नहीं होते। अभी तक पीआरपी इंजेक्शन का ज्यादा उपयोग स्किन डिजीज , बाल उगाने, स्पोर्ट्स इंजरी में मांसपेशियों के खिंचाव एवं टेंडन या लिगामेंट इंजरी के उपचार में किया जाता रहा है।.... 


दो से तीन साल तक असर, नहीं होते साइड इफेक्ट‌्स 
उम्र बढ़नेके साथ घुटनों का घिसना शुरू हो जाता है और लगातार दर्द होने लगता है, लेकिन इस बीमारी का एकमात्र इलाज सर्जरी ही नहीं है। पीआरपी थैरेपी की मदद से भी काफी फायदा मिलता है। 

क्या है पीआरपी थैरेपी

पीआरपीयानी प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा थेरेपी में मशीन के जरिए पेशेंट के ब्लड से प्लाज्मा को अलग करके एक ट्यूब में इकट्ठा करते हैं। इसमें प्लेटलेट्स की संख्या मरीज के ब्लड की तुलना में 6 से 10 गुना तक ज्यादा होती है। इन प्लेटलेट्स युक्त प्लाज्मा में कई ग्रोथ फैक्टर मौजूद होते हैं, जिनमें कार्टिलेज और सेल्स का फिर ने निर्माण करने की क्षमता होती है। घुटनों में पीआरपी को इंजेक्ट करने के बाद ये कार्टिलेज को दुबारा बनाने में मदद करता है। 


योग द्वारा जोड़ों के दर्द का उपचार

अपने दैनिक जीवन के सामान्य कामकाज को निपटाते वक्त क्या आपके घुटनों, कन्धों या कलाई में दर्द होता है? क्या आप इन जोड़ों के दर्द (jodo ka dard) के कारण अपने अपनी इच्छानुसार जीवन जीने के आनंद से वंचित है? क्या आप दिन में कई कई बार दर्द निवारक दवाओं के सेवन से परेशान है?

अगर इन प्रश्नों का उत्तर “हाँ” है, तो निश्चित रूप से आप इस दर्द से अत्यंत दुखी है और इससे मुक्त होना चाहते हैं। बढती उम्र के साथ जोड़ों के दर्द होने की सम्भावनाये बढ़ने लगती है। शरीर में हड्डियों का कमजोर होना, उचित व्यायाम और भोजन में आवश्यक पोषक तत्वों के अभाव से जोड़ों के रोग प्रकट होने लगते है व बढ़ने लगते है। हालाँकि दवाओं के उपयोग से इस दर्द से सामयिक लाभ मिलता है पर इसका प्रामाणिक वैकल्पिक उपचार योग में उपलब्ध है जिसके अभ्यास से दर्द मुक्ति में शीघ्र लाभ होता है। योग एक प्राचीन भारतीय तकनीक है जो दर्द को जड़ से उखाड़कर शरीर को रोगमुक्त करती है। योग शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार कर मन को विश्रांति प्रदान करता है।

जोड़ों के उपचार व उन्हें शक्तिशाली बनाने के लिए निम्न योगासन उपयोगी है:

वीर-भद्रासन | Veerbhadrasana (Warrior pose)

धनुरासन | Dhanurasana (Bow pose)

त्रिकोणासन | Trikonasana (Triangle pose)

सेतु-बंध आसन | Setu Bandhasana (Bridge pose)

मकर अधोमुख श्वानासन | Makara Adho Mukha Svanasana (Dolphin Plank pose)

उस्ट्रासन | Ustrasana (Camel pose)

वीर-भद्रासन

यह आसन घुटनों को सुदृढ़ बनाता है तथा जकड़े हुए कन्धों को सक्रिय करने में सहायक है। यह कन्धों से तनाव मिटा कर शरीर को संतुलन प्रदान करता है।

धनुरासन

धनुरासन बंध कंधो को खोलता है। यह पीठ को लचीला बनाता है। तथा शरीर से तनाव व जड़ता को दूर करता है।

सेतु-बंध आसन

यह आसन घुटनों की मांसपेशियों को मजबूत करता है तथा ऑस्टियोपोरोसिस (अस्थि सुषिरता) रोग में भी लाभकारी है। यह मस्तिष्क को शांत करता है। रोगी को चिन्ता से मुक्त कर शरीर के तनाव को कम करता है।

त्रिकोणासन


त्रिकोणासन हमारी टांगों, घुटनों व टखनों को मजबूत करने में लाभकारी है। यह सायटिका व कमर-दर्द में भी राहत प्रदान करता है। यह घुटनों की नस, कमर, जंघा की संधि व नितम्ब में खिंचाव उत्पन्न कर उनको गतिशीलता प्रदान करता है।

उस्ट्रासन

यह कंधो व पीठ को मजबूती प्रदान करने वाला एक प्रभावशाली आसन है। यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाए रखने में मदद करता है। शारीरिक मुद्रा में सुधार होता है तथा कमर के अधोभाग का दर्द को घटता है।

मकर अधोमुख श्वानासन

यह आसन कंधो व घुटने की नसों में खिंचाव पैदा करता है। यह कलाई, भुजाओ व टांगों को मजबूत करता है, कमर दर्द में लाभकारी है तथा शारीरिक जड़ता को समाप्त करता है। यह आसन औस्टोपोरोसिस रोग से बचाव में भी सहायक है।

आवश्यक सावधानियां:


योगासन से जोड़ों का दर्द बढे नहीं, इसके लिए अभ्यास के दौरान शरीर को सहारा देने वाली वस्तुओं, तकियों व अन्य उपकरणों की सहायता लें। अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न दें। अगर दर्द बढ़ जाता है तो तुरंत योगाभ्यास बंद कर दें व चिकित्सक से परामर्श करें।

स्वास्थ्य प्रद आहार:

जोड़ तकनीक रूप से शरीर में उपस्थित हड्डियों के संधि स्थल है जिनकी सहायता शरीर के विभिन्न अंगो का मुड़ना, घूमना, झुकना, विसर्पण करना आदि क्रियाएँ संपन्न होती है। इन संधियों को स्वस्थ व मजबूत बनाये रखना इतना कठिन नहीं है जैसा हम समझते है। इसके लिए हमें सबसे पहले अपने आहार में सुधार करना होगा। विशेषज्ञों के अनुसार जलन व उतेजना पैदा करने वाले भोजन जैसे चीनी व ग्लूटेन प्रधान भोज्य पदार्थों का सेवन कम से कम करना चाहिए| हरी व पतेदार सब्जियां व फल लाभकारी होते है। अपनी जीवन चर्या में आयुर्वेद को अपनाकर भी हम इसकी पीड़ा कम कर सकते हैं।

योग, स्वस्थ जीवन के लिए एक प्राकृतिक व दोष रहित पद्धति है। इसके नियमित अभ्यास से व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रूप से तन्दुरस्त रहता है। यह शरीर को ओजवान बनाता है और जीवन में गुणात्मक सुधार लाता है। योग का प्रभाव शनै: होता है अत: इसे हड़बड़ी में छोड़े नहीं। नियम पूर्वक अपने शरीर को योग का उपहार दीजिये और सभी प्रकार की पीडाओं से सदैव के लिए मुक्ति पाइए।
योग शरीर व मन को स्वास्थ्य सम्बन्धी अनेक लाभ प्रदान करता है। फिर भी यह दवा व अन्य उपचार विधियों का विकल्प नहीं है| यह आवश्यक है कि किसी कुशल प्रशिक्षक के निर्देशन में ही इसका अभ्यास किया जाये।

पीड़ा मुक्त रहने के कुछ खास नुस्ख़े:


हर एक घंटे बाद अपनी टेबल से उठें व कुछ क्षण के लिए अपने शरीर का खिंचाव करे ।बैठे हुए व खड़े रहते समय शरीर को सही मुद्रा में रखें। शरीर सीधा व संतुलित हो आगे या पीछे की ओर झुका हुआ न हो ।अपने जोड़ों पर अधिक जोर न दें।स्वस्थ आहार लें।व्ययाम द्वारा अपनी मांसपेशियों को सशक्त रखें।

घुटनो के दर्द के लिए योग



हम सभी जानते है ,घुटने के दर्द दुनिया भर के बच्चो को और  वयस्कों में पाया जाता है ,जो एक आम बीमारी है। असल में घुटने की बीमारी उम्र के साथ बढ़ती है।घुटने के दर्द में हम दवा से पहले के स्तर में घरेलु उपचार का उपयोग करते है ,लेकिन कभी कभी आपको चलने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है इस रूप में परामर्श चिकित्सक आवश्यक होगा।

जोड़ो के पुराने दर्द के इलाज के लिए योग बहुत विशेष रूप से लाभदाई है। घुटने के दर्द के लिये सकारात्मक परिणाम के लिए दिए गए आसन क्रमशः करना जरुरी है। घुटने के लिए विशेष रूप से जो आसन दिए गए  है, जैसे के ताड़ासन(Tadasana),मकरासन (Makrasana),वीरासन(Veerasana),त्रिकोणासन (Trikonasana).


ताड़ासन(Tadasana)

विधिः

पूर्ववत् खड़े होकर दोनों हाथो को पाश्वभाग से दीर्घ श्वास भरते हुए ऊपर उठाए। जैसे जैसे हाथ ऊपर उठे वैसे वैसे ही पैर की एड़िया भी उठी रहनी चाहिए। शरीर का भार पंजो पर रहेगा एवं शरीर ऊपर की ओर पूरी तराह से तना होगा।

लाभ 

यह आसन घुटनो के स्नायु को मजबूत करता है ,यह आसान कद वृद्धि के लिए सर्वोत्तम है। इससे समस्त शरीर के स्नायु ओ को सक्रीय एवं विकसित करता है।

मकरासन(Makrasana)

विधिः

पेट के बल लेट जाइए। दोनों हाथ को कोहनियों को मिलाकर स्टैंड  बनाते हुए हथेलियों को ठोडी के निचे लगाइए। छाती को ऊपर उठाइए। कोहनियों एवं पैरों को मिलाकर रखें।
अब श्वास भरते हुए पैरो को क्रमशः पहले एक-एक तथा बाद में दोनों पैरों को एक साथ मोड़ना है। मोड़ते समय पैरो को एड़ियां नितम्ब से स्पेर्श करें। श्वास बाहर निकालते हुए पैरों को सीधा करें। इस प्रकार से ये आसान २०-२५ बार करें।
लाभ:

1.     स्लिपडिस्क(SLEEPDISC) एवं सियाटिका(SIYATIKA)  दर्द मैं विशेष उपयोगी है।

2.     अस्थमा(Asthma) व् फेफड़े(Lung) सम्बन्धी किसी भी विकार तथा घुटनों(knee) के दर्द के लिए लाभकारी है।

वीरासन(Veerasana)

विधिः 

1.      समतल भूमि पर नरम आसन बिछाकर वज्रासन की स्थिति में बैठ जाएं।

2.     अब दोनों पैरो को थोड़ा फैलायें और हिप्स को भी भूमि पर टीकाकार सीधे में रखे।

3.     अब दोनों हाथों को  घुटनो पर सीधा तानकर रखें।

4.     कंधो को आराम की मुद्रा में रखे और तनकर बैठे। सिर को सीधा रखें और सामने की और देखे।


लाभ:

जंघा और पावं शक्तिशाली बनते है। शरीर का भारीपन दूर होता है। वीरासन योग में जंघाओं,घुटनो,पैरों एवं कोहनियो को आराम मिलता है। शरीर को सुडोल बनायें रखने के लिए ये योग उपयोगी है।

त्रिकोणासन(TRIKONASANA)

विधिः 

1.     दोनों पैरो के बीच में लगभग डेढ़ फुट का अन्तर रखते हुए सीधे खड़े हो जाएँ। दोनों हाथ कंधो के समानान्तर पाश्व भाग मे खुले हुए हों।

2.     श्वास अन्दर भरते हुए बाएं हाथ को सामने से लेते हुए बाएं पंजे के पास भूमि पर टिका दें अथवा पंजे को एड़ी का पास लगायें तथा दाएं हाथ को ऊपर की तरफ उठाकर गर्दन को दाए ओर घुमाते हुए दाए हाथ को देखें ,फिर श्वास छोड़ते हुए पूर्व स्थिति में आकर इस तरह अभ्यास को बार बार करें।
लाभ:    घुटनो को आराम मिलता है और कटी प्रदेश लचीला बनता है। पाश्वा भाग की चर्बी को कम करता है। छाती का विकास होता है।



तो दोस्तो आज जाना कि कैसे हम ( Apni घुटनों का दर्द (Knee Pain) se nijat pa sakte hai ) ओर अपनी लाइफ को खुश रख सकते है दोस्तो आप इन सब advices को आपनी लाइफ मैं जरूर Try करे और ऐसे ही ओर अछे articles के लिए जुड़े रहे ( https://normaladvices.blogspot.com ) से।


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