हेपेटाइटिस की बीमारी के बारे अछे से जाने।


Hepatitis full details।



दोस्तो आज हम बात करे गए Hepatitis के बारे जाने गे क्या होता है,ओर इस रोग की वजह से कु हो रही है हर साल13 लाख से ज्यादा लोगों की मौत , क्या है हेपेटाइटिस के लक्षण, उपचार, इलाज, दवा और कारण ये सब कुछ हम इस article मैं जाने गए। दोस्तो हेपेटाइटिस के दौरान लिवर में सूजन आ जाती है। यह आमतौर पर हेपेटाइटिस वायरस से फैलता है।इसके पांच प्रकार के वायरस होते हैं। गर्भवती महिला से शिशु को भी यह बीमारी हो सकती है। हेपेटाइटिस लिवर में सूजन का एक प्रकार है। यह परिस्थिति यहीं तक सीमित रह सकती है या फिर गंभीर रूप धरण कर फिब्रोसिस अथवा लिवर कैंसर तक का रूप ले सकती है। हेपेटाइटिस वायरस, हेपेटाइटिस होने का सबसे बड़ा कारण होता है। लेकिन इसके साथ ही अल्‍कोहल और कुछ विषैली दवायें तथा ऑटोइम्‍यून डिजीज के कारण भी यह बीमारी हो सकती है। तो चलिए दोस्तो जानते है।

Kuch points mai aap ko ye article batuga jis se ye article aap ko ache se smaj aa jay ga

1, हेपेटाइटिस क्‍या है

2, जाने क्या होता है हेपेटिटिस बी

3,हेपेटाइटिस ए और बी क्या है

4, हेपेटाईटिस बी क्या है ओर कितने लोग हेपेटाईटिस बी से संक्रमित हैं

5, Hepatitis B के लक्षण और बचाव

6, हेपेटाइटिस से बचाव

7, जानें किन कारणों से होता है हेपेटाइटिस-ए और कैसे करें उनका उपचार

8, विश्व हेपेटाइटिस दिवस

9, हेपेटाइटिस बी वायरस से जुड़े तथ्‍यों के बारे में जानें

10, हेपेटाइटिस 'बी' खतरनाक रोग
11, हेपेटाइटिस बी से जल्दी आराम पाना है तो ये घरेलू उपाय अपनाएं

12, हेपेटाइटिस बी (जिगर में सूजन): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज ओर योग और व्यायाम

13, हेपेटाइटिस बी के जांच, उपचार और रोकथाम

14, पीलिया या हेपेटाइटिस बी के इलाज के लिए घरेलू उपचार
15,  हिपैटाइटिस का इलाज होम्योपैथी

16, खून की सूखी बूंद में भी सात दिन तक जिंदा रहता है ये वायरस

17, योग और व्यायाम

हेपेटाइटिस क्‍या है




हेपेटाइटिस के दौरान लिवर में सूजन आ जाती है।यह आमतौर पर हेपेटाइटिस वायरस से फैलता है।इसके पांच प्रकार के वायरस होते हैं।गर्भवती महिला से शिशु को भी यह बीमारी हो सकती है।

हेपेटाइटिस लिवर में सूजन का एक प्रकार है। यह परिस्थिति यहीं तक सीमित रह सकती है या फिर गंभीर रूप धरण कर फिब्रोसिस अथवा लिवर कैंसर तक का रूप ले सकती है। हेपेटाइटिस वायरस, हेपेटाइटिस होने का सबसे बड़ा कारण होता है। लेकिन इसके साथ ही अल्‍कोहल और कुछ विषैली दवायें तथा ऑटोइम्‍यून डिजीज के कारण भी यह बीमारी हो सकती है।

कितने प्रकार का होता है हेपेटाइटिस

हेपेटाइटिस के पांच मुख्‍य वायरस होते हैं। ए, बी, सी, डी और ई। ये पांच वायरस बहुत खतरनाक होते हैं। ये बीमार तो करते ही हैं साथ ही इनके कारण बड़ी संख्‍या में मरीजों की मौत भी होती है। इतना ही नहीं यह वायरस फैलकर महामारी का रूप भी ले लेते हैं। हेपेटाइटिस बी और सी सैकड़ों-हजारों लोगों में गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। इतना ही नहीं दोनों मिलकर सिरोसिस और लीवर कैंसर के कारण बनते हैं।

कैसे फैलता है हेपेटाइटिस

हेपेटाइटिस ए और ई आमतौर पर दूषित पानी और भोजन के सेवन से होता है। हेपेटाइटिस बी, सी, और डी आमतौर पर संक्रमित व्‍यक्ति के मूत्र, रक्‍त अथवा अन्‍य द्रव्‍य पदार्थों के संपर्क में आने से होता है। संक्रमित रक्‍त अथवा रक्‍त उत्‍पाद, अथवा दूषित सुर्इ अथवा अन्‍य संक्रमित चिकित्‍सीय उत्‍पादों के प्रयोग से होता है। और हेपेटाइटिस बी संक्रमित मां से होने वाले बच्‍चे को फैलता है। परिजनों से बच्‍चे को भी यह बीमारी हो सकती है। इसके अलावा शारीरिक संसर्ग से भी हेपेटाइटिस बी का वायरस फैलता है।


क्‍या होते हैं लक्षण

तीव्र संक्रमण में बहुत सीमित अथवा न के बराबर लक्षण नजर आते हैं। इसमें पीलिया, गहरे रंग का पेशाब, अत्‍यधिक थकान, नौजिया, उल्‍टी और पेट में दर्द जैसी शिकायतें हो सकती हैं।

अगर आपको हेपेटाइटिस के कोई भी लक्षण नजर आयें या आपके घर में हेपेटाइटिस से पीडि़त कोई व्‍यक्ति है, तो आपको भी अपनी जांच करवा लेनी चाहिये। इससे आप बीमारी के फैलने से पहले ही उसे पकड़ लेंगे। इससे बीमारी का इलाज आसान हो जाता

जाने क्या होता है हेपेटिटिस बी

कई बिमारियां ऐसी होती हैं जो बदलते मौसम के साथ आती हैं। कई बार तो  बीमारियाँ आसानी से चली जाती हैं पर कई बार बात मरीज की जान पर बन आती है। अब जैसे बारिश के मौसम में ही गौर करें तो कई बीमारियां सिर उठाने लगती हैं और उन बिमारियों की तादाद में से एक बीमारी है हेपेटाइटिस बी। जो  की वायरस बी की वजह से होती है। 

लीवर में सूजन को ‘हेपेटाइटिस’ कहते हैं। लीवर में सूजन पैदा करने वाला खतरनाक वायरस है बी। इस वायरस के संक्रमण से होने वाले लीवर के रोग को हेपेटाइटिस बी के नाम से जाना जाता है। यह वायरस बी लीवर को बीमार बनाता है। शरीर में वायरस बी मौजूद है तो लीवर और उसके बीच लगातार जंग चलती रहती है। जरूरी नहीं की वायरस बी हमेशा खतरनाक ही साबित हो पर कभी कभी यह लिवर के लिए संकट का विषय बन जाता है।

टीका 

अगर आप इस वायरस की चपेट में नहीं आये हैं तो हमेशा इस बीमारी के प्रति निडर रहने के लिए आप  हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाएं। और यदि ग्रसित हैं तो फिर समझिए की लिवर पर संकट आ चूका है जिसके लिए टीका बेअसर है।

निष्क्रिय वायरस 

लीवर खून में बने जहरीले पदार्थ और शरीर से वायरस बी को भी निकाल बाहर करता है। और अगर ऐसा नहीं हो सका तो वायरस बी लीवर पर हमले के लिए तैयार रहता है है। इन्फेक्शन के बाद लीवर को वायरस बी से बचाव लीवर पर हमेशा निगरानी रखनी पड़ेगी। हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव पाए जाने के बाद भी दो स्थितियां बनती हैं। वायरस बी निष्क्रिय अवस्था में रह सकता है। इस स्थिति में रहते हुए वायरस लीवर का कुछ नहीं बिगाड़ता। वह शरीर को छोड़ कर बाहर भी जा सकता है, लेकिन वह सक्रिय भी हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि हेपेटाइटिस बी वायरस निष्क्रिय अवस्था में भी रहे तो हमें नियमित रूप से इसकी जांच कराते रहनी चाहिए।

एक्टिव वायरस 

दूसरी स्थिति है कि वायरस शरीर में सक्रिय स्थिति में हो तो यह खतरनाक है और दवा से इसका इलाज जरूरी है। सक्रिय हेपेटाइटिस वायरस का पुराना संक्रमण हो तो लीवर सिरसिस और कैंसर होने का खतरा मंडराता रहता है। शरीर में यह वायरस है तो साल भर में एक बार जांच करा लेने से यह पता चलता रहता है कि वायरस किस स्थिति में है।

आंकड़े

विश्व स्वास्थ्य संगठन के हालिया आंकड़े के मुताबिक पूरी दुनिया में 2 अरब लोग इस वायरस से प्रभावित हैं। हर साल इसकी वजह से 6 लाख लोगों की मौत हो जाती है। भारत में अभी हेपेटाइटिस बी से पीड़ित लोगों की संख्या 4 करोड़ के आसपास है। हेपेटाइटिस बी एचआईवी की बीमारी 100 गुना से भी ज्यादा संक्रामक है।

वायरस बी संक्रमण के लक्षण

हेपेटाइटिस बी से संक्रमित होने के तुरंत बाद आमतौर पर कोई लक्षण सामने नहीं आता। 

हेपेटाइटिस बी के शुरुआती लक्षण

•        भूख की कमी 

•        थकावट का एहसास होना,

•        हल्का बुखार आते रहना,

•        मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द होना, 

•        मितली और उल्टी,

•        त्वचा का पीला पड़ जाना 

•        पेशाब का रंग काला होने लगना 

अगर आपका शरीर इस संक्रमण से लड़ने में सफल हो जाता है तो ये लक्षण खत्म हो जाते हैं। जो लोग इस संक्रमण से मुक्त नहीं हो पाते, उनके संक्रमण को कहा जाता है क्रोनिक। ऐसे लोगों में लक्षण सामने नहीं भी आ सकते और संभव है कि वे इस बात से अनभिज्ञ रह जाएं कि उन्हें यह वायरस है। लंबे समय बाद उन्हें इस बात का पता तभी लगता है, जब उनका लीवर क्षतिग्रस्त होने लगता है और सिरसिस की स्थिति तक पहुंच जाता है।

संक्रमण के कारण 

हेपेटाइटिस बी के संक्रमण के कारण लगभग एचआईवी के जैसे ही हैं। 

•        खून के संपर्क में आने 

•        असुरक्षित यौन संबंध 

•        किसी बीमारी में खून का चढ़ाया जाना 

•        संक्रमित सूई, ड्रग्स लेने की आदत 

•        लंबे समय तक किडनी डायलिसिस होते रहना 

•        शरीर पर टैटू बनवाना या एक्यूपंक्चर की सुई 

•        मां का संक्रमित होना 

बचाव के उपाय 


संक्रमण से पूरी तरह बचाव के लिए पहले तो स्क्रीनिंग जरूरी है। एक साधारण खून की जांच से यह पता चल जाए कि आप इस संक्रमण से बचे हुए हैं तो कोई देरी किए बगैर टीका लगवाएं। ओने साथ ही  परिवार के हर सदस्य को टीका लगवा दें |

संक्रमण का क्या है इलाज

हेपेटाइटिस बी संक्रमण के पुराने मरीजों का इलाज वायरल रोधी दवाओं से किया जाता है। ये दवाएं खून में वायरस की मात्रा घटा सकती हैं या उन्हें हटा सकती हैं, जिससे लीवर सिरसिस या लीवर कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है।



हेपेटाइटिस ए और बी क्या है




हेपेटाइटिस की एक्यूट और क्रॉनिक दो अवस्थाएं होती हैं।हेपेटाइटिस का वायरस दूषित पानी से अधिक फैलता है।हेपेटाइटिस 'बी' को सीरम हेपेटाइटिस भी कहा जाता है।बचाव के लिए नवजात बच्चों को समय से टीका लगावाएं।
लिवर (यकृत) पर सूजन आने को हेपेटाइटिस कहते हैं। यह मुख्यतः दो प्रकार टाइप 'ए' और टाइप 'बी' का होता है। 

हेपेटाइटिस की बीमारी ज्यादातर एक वायरस के कारण होती है, लेकिन कभी-कभी यह बैक्टीरिया के संक्रमण अथवा दवाइयों के साइडइफेक्ट के कारण भी हो सकता है। वायरस के कारण होने वाले हेपेटाइटिस के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, इसलिए इसमें विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है।

हेपेटाइटिस की दो अवस्थाएं होती हैं, पहली, प्रारंभिक यानि की एक्यूट और दूसरी पुरानी अर्थात क्रॉनिक। हेपेटाइटिस की प्रारंभिक अवस्था शुरू के तीन महीनों तक रहती है। लेकिन यदि छः माहिनों तक इसका इलाज नहीं हो तो यह क्रॉनिक हेपेटाइटिस की रूप ले लेती है। शुरुआती दौर में यदि हेपेटाइटिस के साथ पीलिया हो जाए और इसका उपचार ठीक से न हो तो यह क्रॉनिक हेपेटाइटिस बी या सी का रूप ले लेती है। और यदि इसके बाद भी इसका उचित इलाज न हो तो यह लिवर सिरोसिस में परिवर्तित हो जाती है जिसके कारण पूरा लिवर खराब हो जाता है। इसके कारण लिवर का कैंसर भी हो सकता है।

क्या है हेपेटाइटिस ए

‘हेपेटाइटिस ए’ एक विषाणु जनित रोग है। इसमें लिवरमें सूजन हो जाती है और ऐसा इस बीमारी के विषाणु के कारण होता है। इसे वायरल हेपेटाइटिस भी कहते हैं। जब लिवर रक्त से बिलीरूबिन को छान नहीं पाता है तो हेपेटाइटिस होता है। हालांकि हेपेटाइटिस के सभी रूपों में हेपेटाइटिस ए सबसे कम गंभीर है। यह संक्रामक रोग है यानी यह रोगी के संपर्क में आने वाले स्वस्थ व्यक्ति को भी अपना शिकार बना सकती है।
इसका वायरस दूषित पानी से सबसे ज्यादा फैलता है। हर साल भारत में जलजनित बीमारी पीलिया की चपेट में आने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक है। यह बीमारी दूषित खाने व जल के सेवन से होती है। जब नाली का गंदा पानी या किसी अन्य तरह से प्रदूषित हुआ जल सप्लाई के पाइप में मिल जाता है तो एक साथ बहुत से लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं। आमतौर पर यह बीमारी तीन से चार हफ्तों के परहेज और उपचार से ठीक हो जाती है लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिए यह बीमारी ज्यादा खतरनाक  होती है। ऐसे में मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा होता है


हेपेटाइटिस ए कैसे हो सकता है

•  हेपेटाइटिस ए संक्रमित व्यक्ति के रक्त के संपर्क में आने से फैल सकता है। उदाहरण के लिए, संक्रमित सुई के इस्तेमाल से।

•  सीपदार मछली खाने से भी यह बीमारी हो सकती है।
दूषित पानी पीने से भी इसका वायरस शरीर में चला जाता है।

हैपेटाइटिस ए के लक्षण

इसके लक्षण कुछ-कुछ पीलिया रोग जैसे ही होते हैं। इसके मुख्य लक्षण निम्न प्रकार के होते हैं-

•    बुखार।  
•    झुरझुरी आना।  
•    भूख न लगना।  
•    खाने को देख जी मिचलाना, उल्टी।  
•    बदन दर्द।
•    सिगरेट पीने वालों को तंबाकू से अरुचि।
•    जब रोग और बढ़ जाता है तो पैरों में सूजन बढ़ जाती है तथा जोड़ों में भी दर्द रहता है।
•    यदि रोग का निदान न हो पाए तो हेपेटाइटिस प्राणघातक हो सकता है। जिस किसी व्यक्ति को हेपेटाइटिस होता है और अगर जिगर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो वैसी हालात में रोगी कोमा में भी जा सकता है।

हैपेटाइटिस ए से बचाव

•    साफ सफाई का विशेष ख्याल रखें और हेपेटाइटिस ए का टीका जरूर लगवाएं।
•    अशुद्ध भोजन व पानी से दूर रहें।
•    शौच आदि से निवृत्त होकर हाथ अच्छी तरह से धोएं।
•    प्रभावित व्यक्ति के रक्त, फेसिस या शरीर के द्रव्यों के संपर्क में आने पर अच्छी तरह से अपने आपको साफ करें।
•    कपड़े बदलने से पहले और बाद में हाथ अच्छी तरह से धोये।
•    भोजन परोसने से पहले हाथ अच्छे से साफ करें।
•    हेपेटाइटिस ए से ग्रस्त लोगों के संपर्क में रहने वाले लोग इम्यून ग्लोब्युलिन जरूर लें।

क्या है हेपेटाइटिस बी

यह 'बी' टाइप के वायरस से होने वाली बीमारी है। इसे सीरम हेपेटाइटिस भी कहते हैं। यह रोग रक्त, थूक, पेशाब, वीर्य और योनि से होने वाले स्राव के माध्यम से होता है। ड्रग्स लेने के आदि लोगों में या उन्मुक्त यौन सम्बन्ध और अन्य शारीरिक निकट सम्बन्ध रखने वालों को भी यह रोग हो जाता है। 

विशेषकर अप्राकृतिक संभोग करने वालों में यह रोग महामारी की तरह फैलता है। इस दृष्टि से टाइप 'ए' के मुकाबले टाइप 'बी' ज्यादा भयावह होता है। इस टाइप का प्रभाव लीवर पर ऐसा पड़ता है कि अधिकांश रोगी 'सिरोसिस ऑफ लिवर' के शिकार हो जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक पूरी दुनिया में लगभग दो अरब लोग हेपेटाइटिस बी वायरस से संक्रमित हैं और तकरीबन 35 करोड़ से अधिक लोगों में क्रॉनिक (लंबे समय तक होने वाला) लिवर संक्रमण होता है, जिसकी मुख्य वजह शराब का सेवन है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अल्कोहल एब्यूस एंड एल्कोहलिज्म के एक अनुसंधान से पता चला कि 15 साल से कम उम्र में शराब का सेवन शुरू करने वाले युवाओं में 21 साल की उम्र में शराब पीना शुरू करने वाले किशोरों की तुलना में शराब के आदि होने की संभावना चार गुना तक अधिक होती है। और शराब पीने की इसी आदत के चलते उन्हें कुछ ही महीनों में हेपेटाइटिस बी का शिकार भी बनना पड़ता है।

हेपेटाइटिस बी लक्षण

•    त्वचा और आँखों का पीलापन।
•    गहरे रंग का मूत्र।
•    अत्यधिक थकान।
•    उल्टी और पेट दर्द। 

हेपेटाइटिस बी के बचाव


•    घाव होने पर उसे खुला न छोड़ें। यदि त्वचा कट फट जाए तो उस हिस्से को डिटॉल से साफ करें।
•    शराब ना पिएं।
•    किसी के साथ अपने टूथब्रश, रेजर, सुई, सिरिंज, नेल फाइल, कैंची या अन्य ऐसी वस्तुएं जो आपके खून के संपर्क में आती हो शेयर न करें।
•    नवजात बच्चों को टीका लगावाएं।

हेपेटाईटिस बी क्या है ओर कितने लोग हेपेटाईटिस बी से संक्रमित हैं

हेपेटाईटिस बी विश्व का सबसे अधिक सामान्य लीवर / यकृत का संक्रमण है। यह हेपेटाईटिस बी वाईरस (HBV) के कारण होता है, जो लीवर/यकृत पर हमला करते है और उसे क्षति पहुँचाता है। यह रक्त द्वारा, असुरक्षित यौन संबंध द्वारा, दूसरों के लिए उपयोग की गई सूई या एक ही सुई कई लोगों के लिए उपयोग में लाई जाए उस से और संक्रमित माता द्वारा नवजात शीशु में, गर्भावस्था के दौरान या प्रसूति के दौरान हस्तांतरितहोती है । अधिकांश वयस्क लोग जो इस रोग से संक्रमित होते हैं, किसी समस्या के बिना इस रोग से छुटकारा पा लेते हैं। किन्तु कुछ वयस्क लोग और नवजात शीशु एवं बच्चे इस वाईरस से मुक्त नहीं हो पाते और चिरकालिक/chronic  संक्रमण के शिकार होते हैं।
          एक अच्छे समाचार यह हैं कि इस रोग को रोकने के लिए और हेपेटाईटिस बी से संक्रमित व्यक्तियों के लिए सुरक्षित वेकसीन और नई चिकित्सा उपलब्ध है।

कितने लोग हेपेटाईटिस बी से संक्रमित हैं ?

विश्व में दो बीलीयन लोग (३ लोगों में से एक) को हेपेटाईटिस बी का संक्रमण है। २४० मीलीयन लोग चिरकालिक / Chronic संक्रमण से पीड़ित हैं (इसका अर्थ है वे वाईरस से मुक्त नहीं हो सकते)। अंदाज़न ७,००,००० लोग प्रतिवर्ष हेपेटाईटिस बी और इसकी जटिलता के कारण मरते हैं।

हेपेटाईटिस बी इतना ख़तरनाक क्यों है ?

हेपेटाईटिस बी ख़तरनाक है, क्योंकि यह एक “शांत संक्रमण” है, जो लोगों को उनकी जानकारी के बिना ही संक्रमित करता है। अधिकतर लोगों, को हेपेटाईटिस बी से संक्रमित होते हैं, वे इस संक्रमण से अंजान रहते हैं, और अनजाने में वाईरस दूसरे लोगों को ख़ून के द्वारा और शरीर के संक्रमित प्रवाही द्वारा फैलाते हैं।

          ऐसे लोग जो चिरकालिक/chronic संक्रमण ग्रस्त हैं, उन्हें पीछली आयु में गंभीर cirrhosis/सिरोसिस और / या लीवर केन्सर होने की संभावना रहती है। वाईरस कई वर्षों तक ख़ामोशी से अविरत रूप से लीवर/यकृत पर हमला करता रहता है, और मरीज़ को पता भी नहीं चलता।

तीव्र/acute हेपेटाईटिस बी क्या है ?

          तीव्र हेपेटाईटिस बी का संक्रमण छ माह तक रह सकता है (चाहे इसके लक्षण दिखाई दे या न दें) संक्रमण ग्रस्त लोग इस समय के दौरान वाईरस दूसरों को लगा सकते हैं। एक सादा रक्त परीक्षण, किसी को भी बता सकता है कि हेपेटाईटिस बी के वाईरस उसके रक्त में है या नहीं, या वे सफलतापूर्वक इस वाईरस से छुटकारा पा चुके हैं। आपके चिकित्सक जब आपको बताऐं कि अब आपके रक्त में हेपेटाईटिस बी के वाईरस नहीं हैं, तो दूसरों को इस संक्रमण की संभावना से बचाना महत्व रखता है।

          यह भी महत्व की बात है कि आपके यौन संबंधों के साथीदार और परिवार के सदस्य (या ऐसे लोग जो आपके परिवार में आपके समीप रहते हैं) का भी रक्त परीक्षण करवाऐं। यदि उन्हें संक्रमण नहीं है – और उन्हों ने हेपेटाईटिस बी का वेकसीन नहीं लिया है – तो उन्हें भी हेपेटाईटिस बी वेकसीन का कोर्स पूरा करना चाहिए।

तीव्र संक्रमण के लक्षणों में भूख नहीं लगना, जोड़ो और मांस पेशियों में दर्द, हलका बुख़ार और पेट में दर्द रहना है। हालांकि अधिकतर लोगों को लक्षण दिखाई नहीं देते, यह लक्षण संक्रमण के ६०-१५० दिन के बाद दिखाई देते हैं। कुछ लोगों को अधिक गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे कि जी मचलना, उल्टी, कमला (आँखों और त्वचा का पीला हो जाना) या फूला हुआ पेट, ऐसे चिह्न जिन के कारण चिकित्सक के पास जाना आवश्यक लगे।

          यदि तीव्र हेपेटाईटिस बी संक्रमण के लिए इलाज आवश्यक हो तो, व्यक्ति को अस्पताल में चिकित्सा के लिए दाख़िल किया जाता है, आराम और लक्षणों की चिकित्सा प्राथमिक लक्ष्य हैं। जान का जोखिम हो, ऐसी दुर्लभ, गंभीर स्थिति, ‘fulminant hepatitis’, एक नए तीव्र संक्रमण के साथ हो सकता है और उसका इलाज तुरंत, अति आवश्यक चिकित्सा से ही किया जा सकता है, क्योंकि इस रोग में व्यक्ति अचानक लीवर/यकृत के नाकाम / failure का शिकार हो सकता है।

          नए संक्रमण के दौरान अपने लीवर की सुरक्षा के लिए कुछ सादे उपाय यह हैं कि, शराब नहीं पीनी चाहिए, धुम्रपान बंद करें या कम करें, आरोग्य सभर खुराक लें, तेल वाले या चरबी वाले खाद्य पदार्थ न खाऐं और अपने चिकित्सक से अपनी दवाओं के बारे में बात करें, बाज़ार से लेने वाली दवाऐं, और दूसरे जो भी सवाल आप चिकित्सक से पूछना चाहें, पूछें। विटामीनों और लीवर हेल्थ सप्लीमेन्ट आपकी अधिक सहायता नहीं कर सकते, और आपके लीवर को अधिक नुकसान होने की संभावना रहती है।

          किसी भी रक्त की जाँच जो तीव्र संक्रमण में से अच्छा होने के लिए आवश्यक हों, उस के पहले अपने चिकित्सक से पहले परामर्श अवश्य करें।

जीर्ण/ हेपेटाईटिस बी क्या है ?

          जिस व्यक्ति को छ माह से अधिक समय के लिए हेपेटाईटिस बी वाईरस हो, (उनके रक्त की प्रथम जाँच के बाद) उनको जीर्ण /chronic हेपेटाईटिस बी होने का निदान किया जाता है। इसका अर्थ है उनकी रोग प्रतिकारक शक्ति इस ओग को सम्पूर्ण रूपसे नाबूद नहीं कर सकती है, और संक्रमण अब भी उनके रक्त में और लीवर में मौजूद है|

जीर्ण / chronic हेपेटाईटिस बी होने का कारण का, आयु के साथ सीधा संबंध है, जब पहली बार हेपेटाईटिस बी वाईरस का शिकार होता है|

९०% संक्रमण वाले नवजात शीशु और बच्चों को जीर्ण/chronic हेपेटाईटिस बी संक्रमण होने की संभावना रहती है।५०% संक्रमित बच्चों (१-५ वर्ष की आयु के) को जीर्ण/chronic हेपेटाईटिस बी संक्रमण होने की संभावना रहती है।५-१०% संक्रमित वयस्कों को जीर्ण/chronic हेपेटाईटिस बी संक्रमण होने की संभावना रहती है (उन में से ९०% लोग पुनः स्वास्थ्य प्राप्त कर लेते हैं।)

यदि आपको पता चले कि आपको जीर्ण/chronic हेपेटाईटिस बी है तो आपको बहुत हताशा होगी / क्योंकि अधिकतर लोगों को इस रोग के लक्षण दिखाई नहीं देते, और हेपेटाईटिस बी वाईरस उनके शरीर में प्रवेश करने के कई दशकों के बाद, उन्हें इसका पता चलता है, कि उन्हें हेपेटाईटिस बी का संक्रमण है। उन्हें आश्चर्य और आघात लगता है। शुभ समाचार यह है कि अधिकतर लोग जिन्हें जीर्ण/ chronic हेपेटाईटिस बी है वे लंबे समय तक तंदुरस्त जीवन गुज़ार सकते हैं।

अधिकतर गर्भवती महिलाएं नहीं जानती कि उन्हें हेपेटाईटिस बी का संक्रमण है और अनजाने में वे यह वाईरस अपने नवजात शीशुओं को उनके जन्म के समय हस्तांतरण करती हैं। नवजात शीशुओं को जीर्ण/chronic हेपेटाईटिस बी का संक्रमण होने का ख़तरा इतना अधिक रहता है कि, WHOऔर US के Disease Control and Prevention ने सिफारिश की है कि सभी नवजात शिशुओं को उनके जन्म के १२-२४ घंटों के अंदर ही हेपेटाईटिस बी की प्रथम ख़ुराक दी जाए।

ऐसी दवाइयाँ / थेरपीज़ मोजूद हैं, जो हेपेटाईटिस बी वाईरस को नियंत्रित करती हैं, और उन्हें रोकती हैं, जिससे लीवर / यकृत को अधिक नुकसान न हो / और कुछ आशा स्पद दवाइयों पर संशोधन चल रहा है, जो निकट के भविष्य में इस रोग को बिलकुल अच्छा कर दे / जीर्ण हेपेटाईटिस बी के साथ जी रहे लोगों में लीवर की गंभीर बीमारी होने का या लीवर केन्सर होने की अधिक संभावना रहती है, इसकी तुलना में जिन्हें हेपेटाईटिस बी का संक्रमण नहीं है, या उन्हें जीर्ण/chronic हेपेटाईटिस बी नहीं है, उन्हें ऐसा कोई ख़तरा नहीं रहता / फिर भी कई ऐसी सादी क्रियाएं हैं, जिनसे उनका जोखिम कम होने में सहायता मिलती है।

लीवर के विशेषज्ञ के पास या ऐसे चिकित्सक के पास जिसे हेपेटाईटिस बी के बारे में जानकारी हो, उनसे हर छह माह से अपना चेकअप करवाएं (या कम से कम वर्ष में एक बार जाँच अवश्य करवाएं) जिससे वे आपके लीवर के आरोग्य की देखभाल कर सकें।अपने चिकित्सक से बात करें कि क्या आपका जीर्ण हेपेटाईटिस बी संक्रमण, लीवर की गंभीर बीमारी या लीवर के केन्सर को रोकने में सहायक हो सकता है।आपकी नियमित मुलाकात के समय आपका चिकित्सक आपके लीवर की जाँच करें, इसका आप ध्यान रखें, क्योंकि बीमारी की जितनी जल्द जानकारी मिले, उतने इलाज के अधिक विकल्प उपलब्ध होते हैं, और आपको लंबा आयुष्य मिलता है।शराब और धूम्रपान को आप बंद करें या कम करें, क्योंकि इन दोनों के कारण लीवर को बहुत तनाव झेलना पड़ता है। तंदुरुस्त भोजन करें, जिसमें अधिकतर सबज़ियां हों, क्योंकि तले हुए चीकने खुराक आपके लीवर पर बोझ हैं।

क्या हेपेटाईटिस बी का इलाज हो सकता है ?

अधिकतर वयस्क लोग, गंभीर संक्रमण से बिना किसी इलाज के ठीक हो जाते हैं।  

जो वयस्क, बच्चे और नवजात शिशु जिनको जीर्ण / chronic हेपेटाईटिस बी का संक्रमण होता है, उनके लिए वर्तमान समय में तो कोई इलाज उपलब्ध नहीं। परंतु अच्छे समाचार यह हैं कि, ऐसे इलाज उपलब्ध हैं, जिनसे लीवर की बीमारी की गति वाईरस की प्रगति को धीमा कर, धीमी की जा सकती है। जो हेपेटाईटिस बी के वाईरस कम संख्या में पैदा होंगे तो, लीवर को कम नुकसान होगा। कभी कभी इन दवाइयों से वाईरस को खत्म भी किया जा सकता है, हालांकि सामान्य तौर पर ऐसा नहीं होता।

नये संशोधनों से, जीर्ण / chronic हेपेटाईटिस बी को संपूर्ण तौर पर मिटाने का इलाज नजदीक के भविष्य में मील जायेगा ऐसी आशा है। हमारी Drug Watch की मुलाकात लें, जहाँ पर अन्य आशास्पद दवाइयों की सूची मिलेगी, जिन पर संशोधन हो रहा है।




Hepatitis B के लक्षण और बचाव




हेपेटाइटिस बी यह एक Viral संक्रामक रोग है जो की हेपेटाइटिस B virus के कारण फैलता हैं। सामान्य भाषा में इस रोग को लोग Jaundice या पीलिया भी कहते हैं। हेपेटाइटिस B से पीड़ित कई मरीजों को लंबे समय तक कोई तकलीफ न होने के कारण इसका पता भी नहीं चलता हैं। हेपेटाइटिस B के संक्रमण के कारण हरवर्ष लिवर (Liver) ख़राब हो जाने के कारण 4 हजार से 5 हजार लोगों की मृत्यु हो जाती हैं। विश्व में लिवर कैंसर के 60% मामले हेपेटाइटिस B के कारण होते हैं।

भारत में हर वर्ष लाखों लोगो को हेपेटाइटिस B का संक्रमण होता हैं। इनमे से ज्यादातर लोगों में यह संक्रमण कुछ समय के लिए होता है और फिर ठीक हो जाता हैं।

इसे तीव्र (Acute) हेपेटाइटिस B कहा जाता हैं। कुछ लोगो में यह संक्रमण लंबे समय तक रहता है जिसे जीर्ण (Chronic) हेपेटाइटिस B कहा जाता हैं।

हेपेटाइटिस B के कारण, लक्षण और निदान संबंधी अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :

हेपेटाइटिस B का कारण

हेपेटाइटिस B यह एक Viral रोग है जो की हेपेटाइटिस B नामक virus से फैलता हैं। यह संक्रमित व्यक्ति के रक्त (Blood) और शारीरिक तरल पदार्थ (Body Fluids) के संपर्क में आने से फैलता हैं।

हेपेटाइटिस B के फैलने की अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :

हेपेटाइटिस B से संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध।

हेपेटाइटिस B से संक्रमित सुई / ब्लेड / उपकरण का इस्तेमाल करना।

निर्जंतुक (sterilized) न किये हुए उपकरणों से Tattoo या कान छिदवाना।

दाढ़ी की ब्लेड या टूथब्रश जैसा व्यक्तिगत सामान संक्रमित व्यक्ति के साथ इस्तेमाल करना।

गर्भावस्था में प्रसव (delivery) के समय संक्रमित माता से शिशु को हेपेटाइटिस B हो सकता हैं।

Blood Transfusion या Organ Transplant करते समय ठीक से जांच न किये जाने पर हेपेटाइटिस B फ़ैल सकता हैं।

ध्यान रहे की गले मिलना, हाथ मिलाना, खांसी या छींकने से हेपेटाइटिस B नहीं होता हैं।

हेपेटाइटिस B के लक्षण

हेपेटाइटिस B के अधिकतर मरीजों में काफी समय तक कोई लक्षण नजर न आने के कारण उन्हें पता भी नहीं रहता है की वह इस रोग से पीड़ित हैं। हेपेटाइटिस B के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं :

भूख कम लगना

चमड़ी और आँख का रंग पिला होना

पेशाब का रंग पिला / लाल होना

कमजोरी

सिरदर्द

बुखार

पेटदर्द

जी मचलाना

उलटी

खुजली

जीर्ण हेपेटाइटिस B से पीड़ित ज्यादातर रोगियों में इनमे से कोई लक्षण नहीं होता हैं।

हेपेटाइटिस B का निदान

हेपेटाइटिस B से पीड़ित ज्यादातर मरीजों में कोई लक्षण नजर न आने के कारण हेपेटाइटिस B का निदान कभी-कभी किसी अन्य कारण से किये हुए रक्त जांच में पता चलता हैं। कभी किसी ऑपरेशन के समय या गर्भावस्था के समय किये हुए जांच में हेपेटाइटिस B का पता चल जाता हैं।

हेपेटाइटिस B का निदान करने के लिए, पीड़ित में हेपेटाइटिस B के लक्षण नजर आने पर डॉक्टर निचे दिए जुए जांच करते हैं :

रक्त जांच (Blood Test) - हेपेटाइटिस B का निदान करने के लिए डॉक्टर HBsAg रक्त जांच किया जाता हैं। इस रक्त जांच से पीड़ित को Hepatitis B है या नहीं यह पता चलता है और अगर है तो यह संक्रमण ताजा है (IgM) या लंबे समय (IgG) से हैं यह भी जानकारी प्राप्त होती हैं।

Liver Biopsy - अगर डॉक्टर को हेपेटाइटिस B के कारण लिवर ख़राब होने की आशंका होती है तो लिवर की स्तिथि जानने के लिए लिवर biopsy की जाती हैं।

HBeAg - Hepatitis B की तीव्रता जांचने के लिए यह जांच की जाती हैं।

Liver Function Test : हेपेटाइटिस B के कारण लिवर पर क्या असर हुआ है यह जानने के लिए यह जांच की जाती हैं।

Ultrasound Scan - हेपेटाइटिस B के कारण लिवर की स्तिथि कैसी है यह जानने के लिए डॉक्टर पेट की सोनोग्राफी करने की सलाह देते हैं।

Polymerase Chain Reaction (PCR) Test - हेपेटाइटिस B के वायरस का रक्त में Viral load जानने के लिए और उपचार निर्धारित करने के लिए यह जांच की जाती हैं।

हेपेटाइटिस B का निदान हो जाने पर इस वायरल संक्रामक रोग से लिवर को बचाने के लिए और अपने कारण यह रोग किसी ओर को न फैले यह सावधानी बरतना जरुरी हैं।

हेपेटाइटिस से बचाव




विश्व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के मुताबिक हर साल लाखों लोग हेपेटाइटिस से संक्रमित होते हैं।डब्लूएचओ के अनुसार इस बीमारी के मरीजों की संख्‍या सितंबर में अक्‍सर बढ़ जाती है।यह बीमारी मुख्‍य तौर पर संक्रमित रक्‍त के माध्‍यम से शरीर में फैलती है।देखा जाता है कि आमतौर पर लोग सही समय पर इंजेक्‍शन लगवाना भूल जाते हैं।

विश्व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के मुताबिक हर साल लाखों लोग हेपेटाइटिस से संक्रमित होते हैं और करीब 14 लाख (1.4 मिलियन) लोग दुनिया भर में इस बीमारी के चलते अपनी जान गवांते हैं। 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस है। तो, आइए जानते हैं इस बीमारी की गंभीरता और इसके इलाज के बारे में। यह एक गंभीर बीमारी है। और इससे जुड़े आंकड़े ही इसके प्रति सजगता फैलाने के लिए काफी होनी चाहिए। 

लेकिन, इस गंभीर और खतरनाक बीमारी को लेकर समाज में जागरुकता बेहद कम है। एशिया हॉस्पिटल के कंसल्‍टेंट, इंटरनल मेडिसन, डॉक्‍टर सतीश कौल के मुताबिक '' विश्व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के मुताबिक, मध्‍य पूर्व एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले लोगों में दो से पांच फीसदी लोग हेपेटाइटिस से पीडि़त हैं। हम सभी को सरकार की ओर से एड्स और पोलियो के लिए चलाए जाने वाले अभियानों के बारे में तो याद होगा, लेकिन हेपेटाइटिस को लेकर जागरुकता फैलाने में न तो सरकार की ओर से कोई पहल हुई है और न ही निजी क्षेत्र ही इसमें कोई रुचि दिखा रहा है। हालांकि, हेपेटाइटिस बी, एड्स से भी अधिक खतरनाक है, लेकिन लोग इस बीमारी को लेकर सचेत नहीं हैं।'' 

डॉक्‍टर एसके ठाकुर के पास हर महीने लगभग 10 से 12 हेपेटाइटिस के मरीज आते हैं। रॉकलैंड हॉस्पिटल में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एचओडी डॉक्‍टर एमपी शर्मा कहते हैं, '' इस बीमारी के मरीजों की संख्‍या सितंबर में अक्‍सर बढ़ जाती है क्‍योंकि वायरस के अण्‍डे की प्रक्रिया चार से छह हफ्ते चलती है। तो अगर कोई मरीज आज इस रोग से प्रभावित हुआ है, तो इसके लक्षण एक महीने या इसके बाद ही नजर आएंगे।''


हेपेटाइटिस क्‍या है

हेपेटाइटिस लिवर में जलन और संक्रमण होना है, जो इसके पांच वायरस के जरिए होती है। इस वायरस को हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई कहा जाता है।

हेपेटाइटिस ए

दवाओं के जरिए हेपेटाइटिस का इलाज आसानी से हो सकता है। डॉक्‍टर सतीश कौल का कहना है कि दूषित भोजन और जल इस बीमारी के सबसे प्रमुख कारण हैं। तो इस बीमारी से बचने का सबसे आसान तरीका यही है कि अपने भोजन में जरूरी सावधानी बरती जाए। खुला भोजन खाने से बचें। लिवर में सूजन, भूख कम लगना, नौजिया, उल्‍टी और बुखार हेपेटाइटिस ए के प्रमुख लक्षण हैं।

हेपेटाइटिस बी

विश्व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के मुताबिक दुनिया के हर तीसरे इनसान को हेपेटाइटिस बी ने प्रभावित किया है। डॉक्‍टर सतीश कौल इस वायरस के खतरनाक प्रभावों की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि यह वायरस दशकों तक पकड़ में नहीं आता। और चुपचाप भीतर ही भीतर अपना काम करता रहता है। यह वायरस जब तक पकड़ में आता है, तब तक कई बार काफी देर हो जाती है। यह वायरस लिवर को काफी हद तक क्षतिग्रस्‍त कर चुका होता है। यह वायरस संक्रमित खून, सेल्विया, असुरक्षित यौन संबंध और संक्रमित मां से शिशु में प्रवेश करता है। शेव करने के दौरान कट जाना बेहद सामान्‍य बात है, तो इसलिए आपके लिए अच्‍छा यही है कि अपना रेजर किसी के साथ साझा न करें। क्‍योंकि रक्‍त भले ही सूख जाए, लेकिन उसमें वायरस सात दिनों तक जिंदा रह सकता है।''

हेपेटाइटिस सी

यह जानलेवा वायरस बीस साल तक पकड़ में नहीं आता। और इससे फिबरोसिस (तंतुमयता), क्रॉनिक सिरोसिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। इस बीमारी से लिवर बुरी तरह प्रभ‍ावित होता है। यह बीमारी मुख्‍य तौर पर संक्रमित रक्‍त के माध्‍यम से फैलती है। असु‍रक्षित सुइयां और अन्‍य संचारित माध्‍यमों से यह बीमारी फैल सकती है।     

हेपेटाइटिस डी

आइएलबीएस बसंत कुंज के सीनियर फिजीशियन डॉक्‍टर रमन कुमार कहते हैं कि हेपेटाइटिस डी का फिलहाल कोई इलाज मौजूद नहीं है। हेपेटाइटिस डी से बचने का सबसे आसान तरीका यही है कि आप हेपेटाइटिस बी का टीका लगवा लें क्‍योंकि जिन लोगों को हेपेटाइटिस बी होता है उन्‍हें ही यह बीमारी होने की आशंका रहती है।

हेपेटाइटिस ई

इस बीमारी का वायरस मुंह के जरिये प्रवेश कर सकता है। हेपेटाइटिस ई से संक्रमित पानी पीने से यह वायरस किसी व्‍यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकता है। डॉक्‍टर कुमार के मुताबिक, '' हेपेटाइटिस ए और ई का इलाज सम्‍भव है और यह खतरनाक स्‍तर तक नहीं पहुंचतीं।

दवाएं

हेपेटाइटिस वायरस से बचने का सबसे अच्‍छा तरीका यही है कि बीमारी होने से पहले ही वैक्‍सीनेटेड हुआ जाए। लेकिन, दुर्भाग्‍य की बात यह है कि हेपेटाइटिस सी और ई के लिए कोई दवा उपलब्‍ध नहीं है। हेपेटाइटिस ए की दवा एक वर्ष से ऊपर का कोई भी व्‍यक्ति ले सकता है। 
पुष्‍पवती सिंघानिया रिसर्च इंस्‍टीट्यूट के डॉक्‍टर चंदन केदावत का कहते हैं, ' हेपेटाइटिस ए में दो वैक्‍सीन दी जाती हैं। दूसरी वैक्‍सीन पहली वैक्‍सीन दिए जाने के छह महीने बाद ही दी जाती है।''  बच्‍चों को यह दवा देने से वे 14 से 20 वर्ष तक इस बीमारी से दूर रहते हैं, वहीं वयस्‍कों पर इस वैक्‍सीन का असर 25 वर्षों तक रहता है। डॉक्‍टर सतीश कौल बताते हैं, '' हेपेटाइटिस बी के लिए नवजात शिशुओं और वयस्‍कों दोनों को वैक्‍सीन दी जाती है। इस कोर्स में तीन इंजेक्‍शन लगाए जाते हैं, नवजात शिशुओं को पैदा होने के 72 घंटे के भीतर यह इंजेक्‍शन लग जाना चाहिए। और इसके बाद तीन इंजेक्‍शन शून्‍य, एक वर्ष की उम्र में और फिर छह वर्ष की उम्र में लगाये जा सकते हैं। यह वैक्‍सीन किसी इनसान को 25 वर्षों तक इस बीमारी से बचाकर रखता है।''  

जो दवा हेपेटाइटिस बी के इलाज में इस्‍तेमाल होती है वही हेपेटाइटिस डी के लिए भी प्रयोग में लायी जा सकती है। आमतौर पर लोग सही समय पर इंजेक्‍शन लगवाना भूल जाते हैं। लेकिन, ऐसा करना सेहत के साथ खिलवाड़ करना होगा। तो वैक्‍सीन लगवाने का सही समय याद रखें।

जानें किन कारणों से होता है हेपेटाइटिस-ए और कैसे करें उनका उपचार




हेपेटाइटिस ए हेपेटाइटिस नामक वायरस से फैलने वाली बीमारी है। इसमें लीवर में सूजन के साथ फाइब्रोसिस को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है।

हेपेटाइटिस ए एक खतरनाक यौन संक्रामक बीमारी है। हेपेटाइटिस ए हेपेटाइटिस नामक वायरस से फैलता है और इसमें लिवर में सूजन आ जाती है। हेपेटाइटिस ए पांच प्रकार के होते हैं-ए, बी, सी, डी और ई।

हेपेटाइटिस ए के लक्षण छोटे बच्चों में बहुत कम दिखते हैं। किशोरों और वयस्कों में इसके गंभीर लक्षण होते हैं जिनमें 70% से अधिक मामलों में पीलिया पाया जाता है। अगर हेपेटाइटिस ए बहुत तेजी से आपके शरीर में फैल रहा हो तो यह आपके फाइब्रोसिस को नुकसान पहुंचा सकता है। यह बीमारी दूषित खाने और पानी के सेवन से भी होती है।

हेपेटाइटिस-ए का कारण:

हेपेटाइटिस-ए वायरस (एचएवी) एक ऐसा संक्रमण है जो मल में पाया जाता है। व्यक्ति जब कुछ ऐसी चीजे खाता या पीता है जो मल के सम्पर्क में आई हो तो इस प्रक्रिया को “ओरल फिकल” ट्रांसमिशन कहते हैं। आइए जानते हैं किन कारणों से यह वायरस ट्रांसफर होता है।

हेपेटाइटिस-ए से ग्रस्त व्यक्ति शौचालय के प्रयोग के बाद अपने हाथों को अच्छे से ना धोये और उसी हाथ से भोजन बनाए, तो दूसरे इंसान को हेपेटाइटिस ए होने का खतरा हो सकता है।

अधिक मात्रा में एल्कोहल पीना आपके मेटाबोलिज्म पर प्रभाव डालता है जिसके कारण यह शरीर के दूसरे भागों को भी हानि पहुंचाता है इसलिए अत्यधिक मात्रा में एल्कोहल का सेवन करने से हेपेटाइटिस ए होने का खतरा बढ़ जाता है।ओरल और ऐनल सेक्स करने से आपके शरीर में वायरस जाते हैं जिससे हेपेटाइटिस ए होने की संभावना बढ़ जाती है।दूषित पानी पीने से।कटाई के दौरान दूषित फल और अन्य पदार्थ के खाने से। 

हेपेटाइटिस-ए के लक्षण:

हेपेटाइटिस ए के लक्षण बहुत ही नॉर्मल होते हैं जिसके कारण लोगों को इसके बारे में पता नहीं चल पाता है।
 पेट में परेशानी महसूस करना। बिना किसी मेहनत के भी थकान होना। भूख ना लगना और अचानक से वजन घटने लगना। पेट के दाएं हिस्से जहां लीवर होता है अत्यधिक दर्द होना। बुखार होना और गले की मांसपेशियों में दर्द रहना। शरीर पर चकते आ जाना या जोड़ों में दर्द होना। स्किन और आंखों के सफेद हिस्से में पीलापन आ जाना। गहरे रंग का मूत्र और पीला मल आना।

हेपेटाइटिस-ए से क्या-क्या परेशानियां होती हैं:

*कुछ लोगों को हेपेटाइटिस ए के एक रीलैपसिंग

(relapsing)प्रकार का अनुभव हो सकता है।

*अन्य हेपेटाइटिस वायरस की तुलना में हेपेटाइटिस ए से पीड़ित इंसान ज्यादा समय तक बीमार नहीं रहता है।

*बहुत दुर्लभ मामलों में, लीवर की विफलता और मौत हो सकती है।

हेपेटाइटिस-ए का टेस्ट और निदान कैसे करते हैं:

लगभग सारे हेपेटाइटिस के लक्षण एक जैसे ही होते हैं और सिर्फ ब्लड टेस्ट करने से आप इनका पता लगा सकते हैं। अगर आपके लीवर में अधिक सूजन हो जाए तो आपको जल्द-से-जल्द खून की जांच करा लेनी चाहिए। एंटीबॉडी आपको बताते हैं कि आपके शरीर के अंदर हेपेटाइटिस ए का वायरस है।

हेपेटाइटिस-ए का इलाज कैसे करें:

अपनी गतिविधि को कम करें और जितना हो सके आराम करें।अच्छा और स्वस्थ खाना खाएं।अधिक मात्रा में तरल पदार्थ पीएं।शराब और नशीली दवाओं से बचें।अगर खुजली हो तो उसका उपाय खोजें।

विश्व हेपेटाइटिस दिवस

28 जुलाई को वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे यानी विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है।हेपेटाइटिस के कारण लिवर में सूजन आ जाती है।हेपेटाइटिस का प्रमुख कारण वायरस का संक्रमण (इंफेक्शन) है।

हेपेटाइटिस एक खतरनाक और जानलेवा बीमारी है। हेपेटाइटिस बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 28 जुलाई को वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे यानी विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। हेपेटाइटिस के कारण लिवर प्रभावित होता है। आमतौर पर इस रोग के कारण लिवर में सूजन आ जाती है। आइए आपको बताते हैं हेपेटाइटिस, इससे बचाव और इलाज के बारे में जरूरी बातें। इस रोग के चलते लिवर की कार्यप्रणाली गड़ बड़ा जाती है।

हेपेटाइटिस का कारण 

हेपेटाइटिस के कुछ सामान्य कारण इस  प्रकार हैं-
वायरस का संक्रमण: इसे वायरल हेपेटाइटिस कहते हैं। हेपेटाइटिस होने का प्रमुख कारण वायरस का संक्रमण (इंफेक्शन) है। चार ऐसे प्रमुख वायरस हैं, जो लिवर को नुकसान पहुंचाते हैं- हेपेटाइटिस ए, बी, सी और ई। ये वायरस दूषित खाद्य व पेय पदार्र्थों के जरिए शरीर में पहुंचते हैं। इस प्रकार के हेपेटाइटिस के मामले गर्मी और बरसात के मौसम में ज्यादा सामने आते हैं, क्योंकि इन मौसमों में पानी काफी प्रदूषित हो जाता है।

अल्कोहल लेना: शराब के अत्यधिक सेवन से भी यह रोग संभव है, जिसे अल्कोहलिक हेपेटाइटिस कहते हैं।

नुकसानदायक दवाएं: कुछ दवाएं लिवर को नुकसान पहुंचाती हैं। इस कारण भी हेपेटाइटिस संभव है।

हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई से बचाव
कुछ भी खाने से पहले हाथों को जीवाणुनाशक साबुन या फिर हैंड सैनिटाइजर से साफ करना चाहिए।व्यक्तिगत व सार्वजनिक स्थलों पर स्वच्छता रखनी चाहिए।अस्वच्छ व अस्वास्थ्यकर पानी न पिएं।सड़कों पर लगे असुरक्षित फूड स्टालों के खाद्य पदार्र्थों से परहेज कर हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई वायरस से बचाव किया जा सकता है।

हेपेटाइटिस ए से बचाव के लिए टीका(वैक्सीन) भी उपलब्ध है। इस वैक्सीन को लगाने के बाद आप ताउम्र हेपेटाइटिस ए से सुरक्षित रह सकते हैं। हेपेटाइटिस ई की वैक्सीन के विकास का कार्य जारी है, जिसके भविष्य में उपलब्ध होने की संभावना है।

हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी से बचाव

इन दोनों प्रकार के हेपेटाइटिस को पैदा करने वाले वायरस दूषित इंजेक्शनों के लगने, सर्जरी से संबंधित अस्वच्छ उपकरणों, नीडल्स, और रेजरों के इस्तेमाल के जरिये हेपेटाइटिस से ग्रस्त व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं। जांच किए बगैर रक्त के चढ़ाने से भी कोई व्यक्ति हेपेटाइटिस बी और सी से संक्रमित हो सकता है। नवजात शिशु की मां से भी हेपेटाइटिस बी का वायरस शिशु को संक्रमित कर सकता है, बशर्ते कि बच्चे की मां हेपेटाइटिस बी से ग्रस्त हो। बच्चे को टीका लगाकर इस रोग की रोकथाम की जा सकती है। 

एड्स के वायरस की तरह हेपेटाइटिस बी और सी असुरक्षित शारीरिक संबंध स्थापित करने से भी हो सकता है। फिलहाल हेपेटाइटिस सी की वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इसलिए हेपेटाइटिस सी की रोकथाम डिस्पोजेबल नीडल और र्सिंरज का इस्तेमाल कर की जा सकती है। रक्त और इससे संबंधित तत्वों को स्वैच्छिक रक्तदान करने वाले लोगों से ही लें।                   
हेपेटाइटिस का इलाज

हेपेटाइटिस से ग्रस्त अनेक मरीजों का इलाज घर पर किया जा सकता है। घर में रोगी को उच्च प्रोटीनयुक्त आहार दिया जाता है। वह विश्राम करता है और उसे विटामिंस युक्त आहार या सप्लीमेंट दिया जाता है। वहीं जिन मरीजों को उल्टियां होती हैं और जिनके शरीर  में आसामान्य रूप से रक्त का थक्का (एब्नॉर्मल क्लॉटिंग) जमने की समस्या है, तो  ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होती है। हेपेटाइटिस ए व ई और अल्कोहलिक हेपेटाइटिस के लिए कोई विशिष्ट दवाएं फिलहाल उपलब्ध नहीं हैं। सिर्फ मरीज के लक्षणों के अनुसार इलाज किया जाता है।

हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी का इलाज

बेशक अब ऐसी कई कारगर दवाएं उपलब्ध हैं, जो हेपेटाइटिस बी और सी वायरस के इलाज में अच्छे नतीजे दे रही हैं। एक वक्त था, जब इस प्रकार के हेपेटाइटिस का कारगर इलाज उपलब्ध नहीं था। हेपेटाइटिस बी के लिए मुंह से ली जाने वाली एंटी वायरल दवाएं उपलब्ध हैं। इन दवाओं को डॉक्टर की निगरानी में पीड़ित व्यक्ति को लेना चाहिए। 

वायरल को नष्ट करने और लिवर के नुकसान को रोकने में ये दवाएं कारगर हैं। ये दवाएं भारत में उपलब्ध हैं। जो मरीज पुरानी या क्रॉनिक हेपेटाइटिस बी से ग्रस्त हैं, उन्हें ही इलाज कराने की जरूरत पड़ती है। वहीं जो मरीज तीव्र या एक्यूट हेपेटाइटिस से पीड़ित हैं, वे अपने शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र के सशक्त होने पर हेपेटाइटिस बी के वायरस को परास्त कर देते हैं। जरूरत पड़ने पर अनेक मरीजों को एंटीवायरल दवाएं कई सालों तक लेनी पड़ सकती हैं। हेपेटाइटिस सी के लिए कई नई कारगर एंटी वायरल दवाएं उपलब्ध हैं। ये दवाएं हेपेटाइटिस सी के वायरस को खत्म कर देती है।

हेपेटाइटिस के लक्षण 

सभी प्रकार की हेपेटाइटिस के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं...
भूख न लगना, कम खाना या जी मिचलाना।उल्टी होना।अनेक मामलों में पीलिया होना या  बुखार आना।रोग की गंभीर स्थिति में पैरों में सूजन होना और पेट में तरल पदार्थ का संचित होना।रोग की अत्यंत गंभीर स्थिति में कुछ रोगियों के मुंह या नाक से खून की उल्टी हो सकती है।

हेपेटाइटिस की जांचें 

हेपेटाइटिस की डायग्नोसिस लिवर फाइब्रोस्कैन, लिवर की बॉयोप्सी, लिवर फंक्शन टेस्ट और अल्ट्रासाउंड आदि से की जाती है।

कुछ दवाओं से नुकसान

टीबी, दिमाग में दौरा (ब्रेन फिट्स) के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं और कुछ दर्द निवारक(पेनकिलर्स) लिवर को नुकसान पहुंचाते हैं, अगर इन दवाओं की रोगी के संदर्भ में डॉक्टर द्वारा समुचित मॉनीर्टंरग न की गई हो।

अल्कोहलिक हेपेटाइटिस

शराब का बढ़ता सेवन या अत्यधिक मात्रा में काफी दिनों तक शराब पीने से अल्कोहलिक हेपेटाइटिस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे हेपेटाइटिस की पूरी तरह रोकथाम के लिए शराब से परहेज करें। अल्कोहल लिवर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है और इस बात का पता व्यक्ति को तब चलता है, जब जिंदगी को खतरे में डालने वाली बीमारी उसे जकड़ चुकी होती है।

हेपेटाइटिस बी वायरस से जुड़े तथ्‍यों के बारे में जानें




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हेपेटाइटिस बी वायरस

हेपेटाइटिस बी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने, संक्रमित सूई, ब्लेड, उपकरण का इस्तेमाल करने, या फिर संक्रमित सूई के प्रयोग से फैलता है। यह संक्रमित मां से उसके गर्भ में पल रहे बच्‍चे को भी हो सकता है। इसके अलवा ब्लड ट्रांसफ्यूजन या ऑर्गन ट्रांसप्लांट करते समय ठीक से जांच न करने पर भी हेपेटाइटिस बी होता है। लेकिन एक बात हमेशा ध्यान में रखें कि गले मिलने से, हाथ मिलाने से, खांसी या छींकने से हेपेटाइटिस बी नहीं होता है। माना जाता है कि यह वायरस एचआईवी वायरस से 50 से 100 गुना अधिक संक्रमित होता है। इसके कारण मरीज की मौत भी हो सकती है। इससे जुड़े तथ्‍यों के बारे में यहां जानें।

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60% लीवर कैंसर का कारण

हेपेटाइटिस बी एक वायरल संक्रामक रोग है जो हेपेटाइटिस बी वायरस के कारण फैलता है। कई बार हेपेटाइटिस बी से जुड़ी बीमारी में ज्यादा तकलीफ नहीं है जिस कारण लंबे समय तक इस बीमारी का पता नहीं चलता। इस कारण हर साल कई लोग इस बीमारी के कारण मर जाते हैं। हेपेटाइटिस बी के वायरस के कारण लीवर भी खराब हो जाती है जिससे हर साल 4 हजार से 5 हजार लोगों की मृत्यु हो जाती हैं। विश्व में लीवर कैंसर के 60% मामले हपेटाइटिस के कारण होते हैं।

3
30-45 सकेंड में लेता है जान

दुनिया के दो-तिहाई व्यक्ति इसके हो जाने के बाद भी अनजान रहते हैं कि उन्हें या संक्रमण हो चुका है। अब यह एचबीवी इंफेक्शन में बदलता जा रहा है जो कि दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है। दवाई लेने के बावजूद भी यह हर 30-45 सकेंड में एक व्यक्ति की जान ले रहा है।

4
एचआईवी से अधिक संक्रामक

यह वायरस एचआईवी की तुलना में अधिक प्रचलित औऱ संक्रमित रोग है। इससे दुनिया में सबसे ज्यादा एशिया महाद्वीप प्रभावित है। यह एचआईवी से सौ गुना अधिक संक्रामक है। एशिया में अधिकतर वायरस संक्रमित मौतें इसी वायरस से होती हैँ।

5
टीका अब तक तैयार नहीं

यह वायरस 180 लाख लोगों को अब तक संक्रमित कर चुका है जिसका इलाज वैज्ञानिकों के पास स्थायी तौर पर अब तक नहीं है। इस वायरस से लड़ने के लिए अब तक कोई टीका तैयार दुनिया के वैज्ञानिक नहीं कर पाए हैं। अब तक दुनिया में 530 मीलियन लोग इस वायरस की चपेट में आ गए हैं।

6
ब्लड टेस्ट से होती है जांच

हेपेटाइटिस बी का निदान करने के लिए डॉक्टर एचबीएसएजी (HBsAg) रक्त जांच करते हैं। इस रक्त जांच से पीड़ित को हेपेटाइटिस बी है या नहीं यह पता चलता है। साथ ही अगर संक्रमण ताजा है (IgM) या लंबे समय (IgG) से है यह भी जानकारी इस टेस्‍ट के जरिए प्राप्त होती है।



हेपेटाइटिस 'बी' खतरनाक रोग

हेपेटाइटिस 'बी' से पीलिया ना हो इस हेतु इस रोग के प्रति जनचेतना जगाना जरूरी है। इस रोग में रोगी को चारों ओर हर वस्तु पीली नजर आती है। रोगी भी पीले रंग से पोत दिया गया हो ऐसा लगता है। वह कमजोर हो जाता है। यह हेपेटाइटिस 'बी' का गहरा पीलिया है जिसे कई लोग जहरीला पीलिया भी कहते हैं। 

हेपेटाइटिस बी एक डीएनए वायरस का संक्रामक रोग है, जो एक-दूसरे के शारीरिक संपर्क और रक्त से फैलता है। विश्व में 40 करोड़ लोग इस रोग के अलाक्षणिक संवाहक हैं। भारत में 4.5 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी के वायरस को अपने शरीर में लिए हुए हैं। संक्रामक रोगों में हेपेटाइटिस बी मौत का तीसरा प्रमुख कारण है। 

कैसे फैलता है 

हेपेटाइटिस बी कोई दूषित जल और विष्ठा से नहीं फैलता है, वरन्‌ सघन शारीरिक संपर्क, रक्त से, शरीर के विभिन्ना स्रावों जैसे वीर्य, योनि स्राव, मूत्र, माताओं द्वारा बच्चों को स्तनपान कराने इत्यादि से फैलता है। साथ ही भूलवश इंजेक्शन लगाते वक्त सुई का चुभ जाना, एक ही हाइपोडर्मिक नीडल से विसंक्रमित तौर पर कई लोगों को इंजेक्शन लगाते रहना, टैटू बनवाना, नाक-कान को छिदवाना, रेजर ब्लड का सामूहिक उपयोग, दूसरे का टूथब्रश इस्तेमाल करना, असुरक्षित रक्तदान करना आदि भी इसका कारण बनता है। 

कैसे पता लगाया जाए 

करोड़ों लोग अलाक्षणिक रूप से इस रोग के संवाहक हैं, जो बाद में हेपेटाइटिस के दुष्परिणामों को भुगतते हैं। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति को हेपेटाइटिस होने या न होने हेतु एचबीएसजी टेस्ट या ऑस्ट्रेलिया एन्टीजन टेस्ट की रक्त जाँच करा लेनी चाहिए। 


पीलिया

हेपेटाइटिस बी शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि लीवर को प्रभावित करती है। लीवर एक अनोखा जैविक कारखाना है। इसमें एक हजार से ज्यादा एन्जाइम होते हैं। यह शरीर की चयापचय प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। अनगिनत लीवर कोशिकाओं से बनती है, जिन्हें हेपेटोसाइट कहते हैं। 

यही हेपेटोसाइट हेपेटाइटिस बी वायरस से संक्रमित हो जाते हैं तथा निष्क्रिय हो जाते हैं जिससे लीवर में बनने वाला पित्त बिलीरूबीन निष्क्रिय न होकर सीधे ही रक्त में बहने लगता है। शरीर में इसकी मात्रा बढ़ जाने से कई शारीरिक विषमताएँ पैदा हो जाती हैं। लीवर सूज जाता है, मूत्र पीला आने लगता है, आँखें, चमड़ी, जीभ सभी पीली पड़ जाती हैं। 

यही पीलिया रोग है। प्रारंभिक लक्षणों में हल्का बुखार, भूख न लगना, जी मचलाना, उल्टी होते रहना, अत्यधिक कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन, जोड़ों में दर्द प्रमुख है। धीरे-धीरे गहरा पीलिया हो जाता है जो कई दिनों, महीनों तक रह सकता है। कई लोग गंभीर स्थिति में पहुँच जाते हैं तथा लीवर के काम न करने पर एक्युट लीवर फेलियर से मौत के ग्रास हो जाते हैं। ठीक होने के बाद भी हेपेटाइटिस के दीर्घकालिक दुष्परिणाम तलवार की तरह लटके रहते हैं जिनमें सिरोसिस ऑफ लीवर, जलोदर तथा प्राइमरी लीवर कैंसर प्रमुख हैं। 

उपचार 

इस रोक का कोई ठोस उपचार आज तक नहीं आया है। मात्र आराम और पथ्य में परिवर्तन, लीवर को आराम, ग्लूकोजयुक्त द्रव जो रेडिमेड ऊर्जा के स्रोत हैं, विटामिन इत्यादि से लाक्षणिक उपचार ही संभव है। 

कैसे बचें 

हेपेटाइटिस बी से पीलिया न हो, इस हेतु इस रोग के प्रति जनचेतना जगाना जरूरी है। इसका बचाव ही इसका उपचार है। अतः आजकल उपलब्ध अत्यधिक प्रभावी रिकोम्बीटेंट वेक्सीन अपने चिकित्सक की देखरेख में लगवाना चाहिए।

हेपेटाइटिस बी से जल्दी आराम पाना है तो ये घरेलू उपाय अपनाएं

हेपेटाइटिस बी लीवर में होने वाला एक रोग है जो हेपेटाइटिस बी वायरस के कारण फैलता है। यह एक घातक बीमारी है जिसका लंबे समय तक पता नहीं चल पाता है।

यह संक्रमित व्यक्ति के खून के संपर्क में आने से फैलता है। लंबे समय तक इस बीमारी का पता न चलने पर सिरोसिस या लीवर कैंसर के कारण व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
हेपेटाइटिस बी आज एक ग्लोबल हेल्थ प्रॉब्लम बन चुका है और दुनियाभर में करीब 257 मिलियन लोग इस बीमारी की चपेट में हैं।

यह बीमारी असुरक्षित यौन संबंध बनाने, संक्रमित मां से उसके गर्भ में पल रहे बच्चे में, संक्रमित सूई, रेजर और दूषित खून से संक्रमित उपकरण से टैटू बनवाने से फैलती है। इसके कुछ सामान्य लक्षण माइल्ड फ्लू, सिर दर्द, हल्का पेट दर्द, जी मिचलाना, भूख न लगना, शरीर में दर्द और थकान आदि हैं।
वर्ल्ड हेपेटाइटिस दिवस के मौके पर हम आपको कुछ ऐसे घरेलू उपचार के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे अपनाकर इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।

आंवला –

आंवले में एंटी वायरल गुण पाया जाता है। हेपेटाइटिस बी से छुटकारा पाने के लिए आप आमले के रस में शहद मिलाकर दिन में कई बार इसका सेवन करें। इसके अलावा आंवले के रस को पानी में मिलाकर इसका सेवन करें या सूखे आमला पावडर में गुड़ मिलाकर एक महीने तक दिन में दो बार खाएं।

अदरक:

अदरक की चाय नियमित पीने से हेपेटाइसिस बी से निजात पाया जा सकता है। खाना खाने के बाद अदरक के रस का सेवन करने से जल्दी फायदा होता है।

लहसुन:

लहसुन में मेटाबोलाइट्स और अमीनो एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो हेपेटाइटिस बी के वायरस को तेजी से खत्म करने में मदद करता है। कच्चे लहसुन की कलियां चबाने से लीवर की बीमारी से छुटकारा मिलती है।

चुकंदर-

इसमें पर्याप्त मात्रा में आयरन, पोटैशियम, फॉलिक एसिड, मैग्नीशियम, कैल्शियम और कॉपर के अलावा विटामिन ए, बी और सी पाया जाता है। ये सभी मिनरल्स लीवर में डैमेज सेल्स को दोबारा जोड़कर सूजन और दर्द से राहत दिलाते हैं। दो गिलास चुकंदर का जूस रोजाना पीने से पीलिया में जल्दी आराम मिलता है।

ऑलिव लीफ:

ऑलिव लीफ में फाइटोकेमिकल नाम का एक कंपाउंड पाया जाता है जिसे ओलेरोपिन कहते हैं जिसमें मजबूत एंटी वायरल और एंटी फंगल गुण मौजूद होते हैं। एक कप पानी में एक चम्मच सूखे ऑलिव लीफ को दस मिनट तक उबालें और फिर इसे छानकर दिन में तीन बार पीएं। ऑलिव लीफ की जगह बाजार में उपलब्ध ऑलिव लीफ के 500 एमजी कैप्सूल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। आप इसे नजदीकी मेडिकल स्टोर से या ऑनलाइन भी मंगा सकते हैं।

मुलेठी-

मुलेठी में एंटी वायरल और एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो हेपेटाइटिस बी के वायरस को खत्म कर देता है। पीलिया से बचने के लिए मुलेठी के टुकड़े को दिन में दो से दिन बार चबाएं। आप चाहे तो इसका काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं।

हल्दी:

हल्दी हिपैटो-प्रोटेक्टिव एजेंट की तरह काम करती है और इसमें मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट लीवर से जुड़ी कई तरह की बीमारियों से हमें बचाती है। खाना पकाते समय हल्दी का ज्यादा इस्तेमाल करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है।

नीम:

नीम में मौजूद एंटी वायरल गुण लीवर में उत्पन्न होने वाले विषाक्त पदार्थों को नष्ट कर देता है। नीम के पत्तियों को अच्छी तरह से धोकर इसका रस निकालें और लगभग 30 एमएल रस में 15 एमएल शहद मिलाकर एक हफ्ते तक रोज सुबह खाली पेट चाटें।

नींबू:

नीबू पानी का सेवन करने से उल्टी और भूख न लगने की समस्या दूर हो जाती है। पपीते के बीज के रस में नीबू मिलाकर सेवन करें। अंगूर के रस में ऑलिव ऑयल और नीबू का रस मिलाकर पिएं इससे लाभ होगा।

डेंडिलियन :

लीवर में सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है। थोड़े से पानी में डेंडिलियन की सूखी या ताजी पत्तियों या फूलों को दस मिनट तक उबालें और इसे छानकर पीएं।

हेपेटाइटिस बी (जिगर में सूजन): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज ओर योग और व्यायाम




परहेज और आहार

लेने योग्य आहारहेपेटाइटिस बी ग्रस्त लोगों को स्वस्थ रखने वाले आहार (जैसे कि फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज) खाना चाहिए

वसा का उपयोग सीमित करना चाहिए, उचित वजन बनाए रखना चाहिए।

वसामुक्त या कम वसा युक्त आहार।
विटामिन, खनिज, और इलेक्ट्रोलाइट युक्त आहार।

सादे या होल ग्रेन ब्रेड और दलिया, सब्जी और सलाद, फल, कम वसा युक्त दूध और डेरी उत्पाद (पनीर, दही आदि), लीन मीट, मछली और पोल्ट्री उत्पाद, अंडे, मेवे, फलियाँ (फलियाँ, दालें आदि)।

इनसे परहेज करेंमलाई युक्त दूध, दही, क्रीम, क्रीम युक्त पनीर और वसायुक्त पनीर।

उच्च वसा मात्रा से युक्त बिस्कुट्स, केक्स, पाई, आदि।

चॉकलेट

एक सप्ताह में तीन से अधिक अंडे नहीं लें
वसायुक्त, तले हुए माँस के आहार, वसायुक्त मछली, खाल सहित मुर्गा, सभी प्रकार का प्रोसेस्ड मीट और सॉसेज, वसायुक्त ग्रेवी, तेल में रखी मछली।

मेवे, पीनट बटर, नट स्प्रैड्स।

आलू की चिप्स, मक्खन या सफ़ेद/पनीर के सॉस से तड़का लगी सब्जियाँ।

वसायुक्त या मसालेदार स्नैक्स।

शराब

योग और व्यायाम

योगमत्स्यासन 

बद्ध पद्मासन

मकरासन 

सर्वांगासन 

घरेलू उपाय (उपचार)

अधिक मेहनत वाले व्यायामों न करें।

उचित (स्वच्छ) आहार लें।

शराब और ड्रग से दूर रहें।

शऱीर में पानी की कमी (dehydration) से बचें।

यदि आप सोचते हैं कि आप हेपेटाइटिस बी वायरस से संपर्क में आ गए हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

हेपेटाइटिस बी के जांच, उपचार और रोकथाम

हेपेटाइटिस बी यकृत संक्रमण से सम्बंधित रोग है। यह तब फैलता है जब लोग उस व्यक्ति के रक्त, खुले घावों, या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आते हैं जिनके पास हेपेटाइटिस बी वायरस होता है। इस लेख में आप जानेंगे हेपेटाइटिस बी के लक्षण, कारण, प्रकार, निदान, उपचार और रोकथाम के उपाय के बारे में।

यह बीमारी ज्यादातर लंबे समय तक नहीं टिकती हैं। शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र इस रोग को कुछ महीनों के भीतर पूरी तरह से ठीक कर देता है। अच्छी बात तो यह है कि हेपेटाइटिस बी वाले ज्यादातर वयस्क पूरी तरह ठीक हो जाते हैं, भले ही उनके लक्षण गंभीर क्यों ना हों।

हेपेटाइटिस बी क्या है

हेपेटाइटिस बी रोग, हेपेटाइटिस बी वायरस (HBV) के कारण होने वाला एक गंभीर यकृत संक्रमण रोग है। हेपेटाइटिस बी वायरस (HBV) पांच प्रकार के वायरल हेपेटाइटिस के वायरस में से एक प्रमुख प्रकार का वायरस है। इसके आलावा अन्य हेपेटाइटिस ए, सी, डी, और ई भी होते हैं। प्रत्येक हेपेटाइटिस में अलग-अलग प्रकार के वायरस पाए जाते है।

कुछ लोगों के लिए हेपेटाइटिस बी संक्रमण क्रोनिक (chronic) होता है, इसका अर्थ यह कि यह छह महीने से अधिक समय तक रहता है। क्रोनिक हेपेटाइटिस बी से यकृत की विफलता, यकृत कैंसर या लिवर सिरोसिस (cirrhosis) विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। क्रोनिक हेपेटाइटिस बी बहुत धीरे-धीरे विकसित होने वाला संक्रमण है। तथा इसके लक्षण थोड़े से गंभीर होने पर ही दिखाई देते है। अगर इसका इलाज समय पर नहीं किया जाता है तो यह घातक हो सकता है। क्रोनिक हेपेटाइटिस बी संक्रमण शिशुओं और बच्चों को अधिक प्रभावित करता है।

टीका हेपेटाइटिस बी को रोकने में सहायक हो सकता है, लेकिन यदि हालात बहुत गंभीर हैं तो इसका कोई इलाज नहीं है। यदि आप संक्रमित हैं, तो वायरस को दूसरों तक फैलाने से रोकने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।

हेपेटाइटिस बी के लक्षण

हेपेटाइटिस बी का इलाज समय पर न किया जाये तो इसके लक्षण सामान्य से गंभीर तक हो सकते हैं।   इस रोग के लक्षण आमतौर पर संक्रमित होने के लगभग एक से चार महीने बाद दिखाई देते हैं। तीव्र (acute) हेपेटाइटिस बी के लक्षणों को दो सप्ताह की संक्रमण अवस्था के बाद देखा जा सकता है। हेपेटाइटिस बी के संकेत और लक्षणों में निम्न कारक शामिल हो सकते हैं 

जैसे-
पेट में दर्द होना या पेट की परेशानीडार्क या गाढ़ा मूत्रबुखार आनाजोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होनाभूख में कमी आनाजी मिचलाना और उल्टी होनाकमजोरी और थकान महसूस होनाआपकी त्वचा का पीला होना (पीलिया)
हेपेटाइटिस बी के किसी भी लक्षण को अनदेखा ना करें। तीव्र (acute) हेपेटाइटिस बी के लक्षण 60 साल से अधिक उम्र के लोगों में बहुत जोखिम दायक हो सकते हैं। यदि आप हेपेटाइटिस बी से  संक्रमित हैं तो डॉक्टर को तुरंत दिखायें।

हेपेटाइटिस बी के कारण

Hepatitis B : हेपेटाइटिस बी संक्रमण हेपेटाइटिस बी वायरस (Hepatitis B virus) के कारण होता है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में रक्त से, वीर्य (semen) या अन्य शरीर के तरल पदार्थ के माध्यम से फैल सकता है। यह छींकने या खांसने से नहीं फैलता है।

HBV या हेपेटाइटिस बी वायरस निम्न तरीकों से फैल सकता है

यौन संबंध से (Sexual contact) – किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से हेपेटाइटिस बी फैल सकता है। यह वायरस व्यक्ति के खून, लार, वीर्य या योनि स्राव के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है।

सुइयों का साझा करने से (Sharing of needles) – HBV या हेपेटाइटिस बी संक्रमित रक्त से दूषित सुइयां और सिरिंज भी इसके संक्रमण का कारण है। अंतःशिरा दवा सामग्री का साझा भी हेपेटाइटिस बी के जोखिम को बढ़ा देता है।

मां से बच्चे को (Mother to child) – HBV से संक्रमित गर्भवती महिलाओं के अजन्मे बच्चे को जन्म के दौरान वायरस फैलने का खतरा बहुत अधिक होता हैं। अतः नवजात शिशु को संक्रमित होने से बचने के लिए टीका लगाया जा सकता है।

हेपेटाइटिस बी होने पर डॉक्टर को कब दिखाएँ

यदि किसी व्यक्ति को लगता है कि वह हेपेटाइटिस बी के संपर्क में आ चुका हैं, तो उसे तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यदि संक्रमित व्यक्ति, वायरस के संपर्क में आने के 24 घंटों के भीतर इलाज प्राप्त करता है तो हेपेटाइटिस बी के जोखिम को बहुत जल्दी कम किया जा सकता है।
अगर आपको लगता है कि आप हेपेटाइटिस बी के लक्षणों का शिकार हैं, तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।

हेपेटाइटिस बी के प्रकार

हेपेटाइटिस बी का संक्रमण या तो तीव्र हेपेटाइटिस बी या लंबे समय तक चलने वाला हेपेटाइटिस बी (Acute hepatitis B vs. Chronic hepatitis B) के रूप में हो सकता है।
तीव्र हेपेटाइटिस बी (Acute hepatitis B in hindi)
यह संक्रमण छह महीने से भी कम समय तक अपना प्रभाव रखता है। मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर से तीव्र (Acute) हेपेटाइटिस बी को नष्ट करने में सक्षम हो सकती है, 
और मरीज कुछ महीनों में ही पूरी तरह से ठीक हो सकता।


क्रोनिक हेपेटाइटिस बी (chronic hepatitis B in hindi)

इस संक्रमण का छह महीने या उससे अधिक समय तक प्रभाव रहता है। यह बहुत देर तक ठहरता है क्योंकि प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण से लड़ में सक्षम नहीं होती है। क्रोनिक हेपेटाइटिस बी संक्रमण जीवनभर, सिरोसिस और यकृत कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के रूप में रह सकता है।

हेपेटाइटिस बी का निदान – Hepatitis B Diagnosis in Hindi

डॉक्टर संक्रमित व्यक्ति की जांच कर यकृत (liver) की क्षति के कारणों का पता लगाता है, जैसे पीले रंग की त्वचा या पेट दर्द। हेपेटाइटिस बी की जटिलताओं का निदान करने के लिए डॉक्टर द्वारा निम्न परीक्षण किए जा सकते हैं:


रक्त परीक्षण टेस्ट हेपेटाइटिस बी  – Hepatitis B Test Blood Test in Hindi

रक्त परीक्षण के आधार पर शरीर में हेपेटाइटिस बी वायरस के लक्षणों का पता लगाया जा सकता है और साथ ही साथ कि यह टेस्ट तीव्र (Acute) या पुरानी (chronic) हेपेटाइटिस बी की जानकारी डॉक्टर को प्रदान कर सकता है। एक साधारण रक्त परीक्षण से यह भी निर्धारित किया जा सकता है कि संक्रमण की स्थिति से निपटने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली सक्षम है या नहीं।

हेपेटाइटिस बी को स्क्रीन करने के लिए, डॉक्टर रक्त परीक्षण की एक श्रृंखला तैयार करता है।



हेपेटाइटिस बी सतह एंटीजन परीक्षण – Hepatitis B Surface Antigen Test in Hindi

इस परीक्षण से यह पता चलता है कि आप संक्रमण की चपेट में हैं या नहीं। यदि परिणाम सकारात्मक (positive)है, तब इसका मतलब है कि आपके पास हैपेटाइटिस बी है और वायरस फैल सकता है। और यदि परिणाम नकारात्मक (negative) हैं, तो इसका मतलब है कि वर्तमान में हेपेटाइटिस बी नहीं है। यह परीक्षण क्रोनिक और तीव्र (Acute) संक्रमण के बीच अंतर स्पष्ट नहीं कर पाता है।

कोर एंटीजन परीक्षण हेपेटाइटिस बी – Hepatitis B Core Antigen Test In Hindi

वर्तमान में हेपेटाइटिस बी से संक्रमित होने की स्थिति का पता लगाने के लिए हेपेटाइटिस बी कोर एंटीजन परीक्षण किया जाता है। सकारात्मक (Positive) परिणाम का यह बताते है कि मरीज को तीव्र या क्रोनिक हेपेटाइटिस बी है।

हेपेटाइटिस बी सतह एंटीबॉडी परीक्षण – Hepatitis B Surface Antibody Test in hindi

एचबीवी के प्रतिरक्षा की जांच के लिए हेपेटाइटिस बी सतह एंटीबॉडी परीक्षण प्रयोग में लाया जाता है। इसके सकारात्मक परीक्षण यह जानकारी देते है कि हेपेटाइटिस बी रोग से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली सक्षम है।

लिवर अल्ट्रासाउंड टेस्ट हेपेटाइटिस बी – Liver Ultrasound Test Hepatitis B in Hindi

एक विशेष अल्ट्रासाउंड जिसे transient elastography (क्षणिक इलास्टोग्राफी) के नाम से जाना जाता है, यकृत की क्षति का पता लगाने के लिए उपयोग में लाया जाता है।

लीवर बायोप्सी टेस्ट हेपेटाइटिस बी – Hepatitis B test lever biopsy in Hindi

यकृत क्षति का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर यकृत बायोप्सी (Liver biopsy) का सहारा ले सकता है। इस परीक्षण में यकृत के ऊतक का एक छोटा नमूना लेने के लिए डॉक्टर त्वचा के माध्यम से यकृत में एक पतली सुई डालता है और प्रयोगशाला विश्लेषण के लिए ऊतक का नमूना ले लेता है।

हेपेटाइटिस बी के उपचार

यदि किसी व्यक्ति को ऐसा लगता है की वह पिछले 24 घंटों में हेपेटाइटिस बी के संपर्क में आ चुका है, तो उस व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। हेपेटाइटिस बी टीका और HBV इम्यूनोग्लोबुलिन (एंटीबॉडी) का इंजेक्शन प्राप्त करके संक्रमित होने से बचा जा सकता है। अतः टीकाकरण ही इससे बचने का सबसे आसान तरीका है।

हेपेटाइटिस बी के उपचार के लिए निम्न विकल्प होते हैं

तीव्र (Acute) हेपेटाइटिस बी के लिए प्रायः उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। क्योंकि ज्यादातर लोग अपने आप पर इस गंभीर संक्रमण से ठीक हो जाते है। आराम और हाइड्रेशन (पर्याप्त पानी पीकर) इसके इलाज में मदद करते हैं।पुराने (chronic) हेपेटाइटिस बी के इलाज के लिए एंटीवायरल दवाओं का उपयोग किया जाता है। इससे हेपेटाइटिस बी वायरस से लड़ने के लिए शरीर को मदद मिलती है।हेपेटाइटिस बी के प्रभाव से यदि यकृत गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाता है तो यकृत प्रत्यारोपण के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। यकृत प्रत्यारोपण से तात्पर्य है क्षतिग्रस्त यकृत को, दाता यकृत के साथ बदल देना।

हेपेटाइटिस बी की जटिलताएं

क्रोनिक हेपेटाइटिस बी से पीड़ित लोग गुर्दे की बीमारी या रक्त वाहिकाओं में सूजन, जैसी जटिल समस्याओं का सामना कर सकते हैं। क्रोनिक हेपेटाइटिस बी होने की जटिलताओं में शामिल हैं:

हेपेटाइटिस डी संक्रमणयकृत स्कार्फिंग (सिरोसिस)लीवर फेलियरयकृत कैंसरकुछ गंभीर मामलों में मौत भी हो सकती हैहेपेटाइटिस डी संक्रमण केवल हेपेटाइटिस बी वाले लोगों में हो सकता है।

हेपेटाइटिस बी से बचाव

Hepatitis B : हेपेटाइटिस बी संक्रमण को रोकने के लिए सबसे अच्छा और आसान तरीका टीकाकरण है। हेपेटाइटिस बी के टीके आमतौर पर छह महीने में तीन या चार इंजेक्शन के रूप में दिए जाते है। हैं। टीका से हेपेटाइटिस बी को संक्रमित होने से रोका जा सकता है। निम्नलिखित समूह वर्गों के लिए हेपेटाइटिस बी टीका की सिफारिश की जाती है।

नवजात शिशु को।किसी भी बच्चे और किशोरावस्था वाले को, जिन्हें जन्म में टीका नहीं किया गया था।वे लोग जो हेपेटाइटिस बी वाले संक्रमित व्यक्ति के साथ रहते हैं।स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता, आपातकालीन श्रमिक और अन्य लोग जो संक्रमित रक्त से संपर्क में आते हैं।कोई भी व्यक्ति जिसके पास यौन संक्रमित संक्रमणहै, जिसमें एचआईवी भी शामिल है।यौन संक्रमित वयस्क जिनका संक्रमण के लिए इलाज किया जा रहा है।वे लोग जो अवैध ड्रग्स इंजेक्ट करते हैं या सुई और सिरिंज साझा करते हैं।यकृत रोग से पीड़ित लोग।हेपेटाइटिस बी रोग से पीड़ित व्यक्ति के यौन साथी को।हेपेटाइटिस बी वाले परिवार के सदस्य को।एचआईवी पॉजिटिव व्यक्तियों को।

हेपेटाइटिस बी की रोकथाम और संक्रमण के जोखिम को कम करने के अन्य तरीके भी हैं :

यौन संबंधियों से हमेशा हेपेटाइटिस बी परीक्षण कराने के लिए पूछना चाहिए।गुदा, योनि या मौखिक सेक्स होने पर कंडोम या dental dam का प्रयोग करना चाहिए।यदि आप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यात्रा करने के दौरान यह सुनिश्चित कर लें कि गंतव्य स्थान में हेपेटाइटिस बी की उच्च घटनाएं हैं या नहीं। और यदि है तो टीकाकरण कराना सुनिश्चित कर लें।

हेपेटाइटिस बी में क्या खाएं – Diet

हेपेटाइटिस बी से यकृत को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना बहुत जरूरी होता है। “हेपेटाइटिस वाले व्यक्ति को स्वस्थ, संतुलित आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अतः एक अच्छे आहार के रूप में 

निम्न सामग्री उपयोग में ला सकते है:

फल और सब्जियों का सेवन करें।पूरे अनाज जैसे ओट्स (oats), ब्राउन चावल, जौ और किनोआ (Quinoa) को अपने आहार में सामिल करें।लीन प्रोटीन (Lean protein) जैसे मछली, त्वचा रहित चिकन, अंडे का सफेद भाग, और फलियां  (beans) का सेवन करना लाभदायक होता है।कम वसा या गैर वसा वाले डेयरी उत्पाद को अपनाएं।नट्स, एवोकैडो, और जैतून का तेल जैसे स्वस्थ वसा का उपयोग करें।

हेपेटाइटिस बी में परहेज  – Food to Avoid

हेपेटाइटिस बी से छुटकारा पाने के लिए नीचे दिए गए पदार्थों से सेवन से बचना चाहिए जैसे:मक्खन, खट्टा क्रीम, और अन्य उच्च वसायुक्त डेयरी खाद्य पदार्थ, मांस, आदि।तला हुआ भोजन में पाए जाने वाले संतृप्त वसा के सेवन से बचें।मीठा खाना, केक, सोडा, और पैक किए गए और बेक्ड (baked) सामान का सेवन ना करें।भोजन के साथ भारी मात्रा में नमक के सेवन से बचें।शराब का सेवन ना करें।


पीलिया या हेपेटाइटिस बी के इलाज के लिए घरेलू उपचार




1
पीलिया या हेपेटाइटिस का घरेलू इलाज

पीलिया या हेपेटाइटिस एक आम यकृत विकार हैं, जोकि कई असामान्य चिकित्सा कारणों की वजह से से हो सकते हैं। पीलिया होने पर किसी व्यक्ति को सिर दर्द, लो-ग्रेड बुखार, मतली और उल्टी, भूख कम लगना, त्वचा में खुजली और थकान आदि लक्षण होते हैं। त्वचा और आंखों का सफेद भाग पीला पड़ जाता है। इसमें मल पीला और मूत्र गाड़ा हो जाता है। हालांकि ऐसे में कुछ घरेलू उपचार आपकी काफी मदद कर सकते हैं। तो चलिये जानें पीलिया या हेपेटाइटिस बी के इलाज के लिए कुछ घरेलू उपचार।  

2
मूली का रस व पत्ते

मूली के हरे पत्ते पीलिया में लाभदायक होते है। यही नहीं मूली के रस में भी इतनी ताकत होती है कि यह खून और लीवर से अत्‍यधिक बिलिरूबीन को निकाल सके। पीलिया या हेपेटाइटिस में रोगी को दिन में 2 से 3 गिलास मूली का रस जरुर पीना चाहिये। या फिर इसके पत्ते पीसकर उनका रस निकालकर व छानकर पीएं। 

3
टमाटर का रस

टमाटर का रस पीलिया में बेहद लाभदायक होता है। इसमें विटामिन सी पाया जाता है, जिस वजह से यह लाइकोपीन (एक प्रभावशाली एंटीऑक्‍सीडेंट) में रिच होता है। इसके रस में थोड़ा नमक और काली मिर्च मिलाकर पीयें।

4
आंवला

आवंले में भी विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। कमालकी बात तो यह है कि, आप आमले को कच्‍चा या फिर सुखा कर खा सकते हैं। इसके अलावा जूस के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है।

5
नींबू या पाइनएप्‍पल का जूस

नींबू के रस को पानी में निचोड़ कर पीने से पेट साफ होता है। इसे रोज खाली पेट सुबह पीना पीलिया में सही होता है। इसके अवाला पाइनएप्‍पल भी लाभदायक होता है। पाइनएप्‍पल अंदर से पेट के सिस्‍टम को साफ रखता है।

6
नीम

नीम में कई प्रकार के वायरल विरोधी घटक पाए जाते हैं, जिस वजह से यह हेपेटाइटिस के इलाज में उपयोगी होता है। यह जिगर में उत्पन्न विषाक्त पदार्थों को नष्ट करने में भी सक्षण होता है। इसकी पत्तयों के सर में शहद मिलाकर सुबह-सुबह पियें। 

7
अर्जुन की छाल

अर्जुन के पेड़ की छाल, दिल और मूत्र प्रणाली को अच्छा बनाने के लिए जानी जाती है। हालांकि, इसमें मौजूद एल्कलॉइड जिगर में कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन को विनियमित करने की क्षमता भी रखता है। और यह गुण इसे हैपेटाइटिस के खिलाफ एक मूल्यवान दवा बनाता है। 

8
हल्दी

देश के कुछ भागों में, लोगों को यह ग़लतफ़हमी है कि, क्योंकि हल्दी का रंग पीला होता है, पीलिया के रोगी को इसाक सेवन नहीं करना चाहिए। हालांकि यह एक कमाल का एंटी-इन्फ्लेमेट्री, एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-माइक्रोबियल प्रभाव वाली तथा बढ़े हुए यकृत नलिकाओं को हटाने वाली होती है। हल्दी हैपेटाइटिस के खिलाफ सबसे प्रभावी उपायों में से एक है। 

हिपैटाइटिस का इलाज होम्योपैथी

साधारण यकृतशोथ (हिपैटाइटिस) सामान्यतः संक्रमित पानी, भोजन और पेय से होता है। इसके संक्रमण से लेकर रोग के लक्षण प्रकट होने तक में 20 से 40 दिन का समय लग जाता है।

(हिपैटाइटिस-बी : Hepatitis B)

ड्रग्स के आदती लोगों में तथा संक्रमित रक्ताधान से यह रोग हो जाया करता है। संक्रमण से लेकर रोग के लक्षण प्रकट होने तक में 1 से 6 महीने का समय लग जाता है।

एलोपैथी : बी-कॉम्पलेक्स, लिव-52, आराम और सुपाच्य भोजन। एलोपैथी में वस्तुतः इस रोग का कोई उपचार नहीं है, केवल प्रकृति अपना कार्य करती है। उग्र यकृतीय विफलता के कारण कुछ केसेज़ प्राणघातक हो जाते हैं।

होम्योपैथी : मैंने हिपैटाइटिस-ए के अनेक मध्यम केसेज़ का होम्योपैथिक उपचार किया है जिनमें बिलिरूबिन का स्तर 18 एम.जी. था।

1. चिकित्सा प्रारंभ करते हुए सल्फर 200 प्रातःकाल केवल एक बार। दूसरे दिन से ब्रायोनिया 30, चायना 6 और चेलीडोनियम 30, चक्रिक रूप से।


2. तीव्र केसेज़ में मैं चियोनैंथस Q + कार्डूअस एम. Q (1 : 1) 5-8 बूंद प्रति 2-4 घंटे पर। कुनीन और शराब के कारण उत्पन्न पीलिया में यह उपचार लाभकारी है।

3. कैंसर की अन्तिम अवस्था में तीव्र पीलिया, लंबी बीमारी, मुखशोथ के साथ मुखव्रण, उदरोर्ध प्रदेश में स्पर्शकातरता और रोगभ्रम के लक्षणों में हाइड्रास्टिस 30 और चियोनैन्थस Qपर्यायक्रम से बहुत लाभदायक है।

4. सद्योजात (न्यू बोर्न) शिशु की पीलिया : सद्योजात (एक माह के अंदर के) और उसके उपर के शिशुओं जिनकी माता को गर्म-गरिष्ठ भोजन और सूखा मेवा खिलाया गया है – मैं पोडोफायलम और पल्साटिला 6 पर्यायक्रम से देता हूँ।

खून की सूखी बूंद में भी सात दिन तक जिंदा रहता है ये वायरस




क्या आपको अक्सर पेट में दर्द, बुखार की शिकायत रहती है...तो जरा संभल जाएं! क्योंकि राजधानी समेत पूरे मध्यप्रदेश में हेपेटाइटिस के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। पूरे देश में मध्यप्रदेश हेपेटाइटिस के मामलों में नंबर दो पर है। जानें क्या है हेपेटाइटिस? इसके लक्षण जान कर तुरंत करें डॉक्टर से संपर्क...

ये फैक्ट जानकर हैरान रह जाएंगे आप

* मध्यप्रदेश में हेपेटाइटिस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 12,938 है।

* इतनी बड़ी संख्या ने हेपेटाइटिस सें संक्रमित मरीजों की सबसे ज्यादा संख्या के मामले में देश के टॉप टू स्टेट्स में शामिल कर दिया है। 

* इस मामले में बिहार पहले नंबर है, जबकि तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश का नाम है।

* वर्ष 2013 में प्रदेश में हेपेटाइटिस मरीजों की संख्या जहां 16141 थी, वहीं 2014 में यह 14055 थी। वहीं इस बार भी संख्या कुछ कम होकर 12,938 पर पहुंच गई है। 

* एमपी गवर्नमेंट की ओर से जारी रिपोर्ट बताती है कि राज्य में हर साल 3000 मामले हेपेटाइटिस बी के सामने आते हैं। 

* जबकि 500 मामले हेपेटाइटिस बी की स्टेज से आगे की गंभीर स्टेज यानी हेपेटाइटिस सी के आते हैं।

नजर नहीं आते लक्षण

* हेपेटाटिस वायरस सीधे लीवर पर अटैक करता है। यही कारण है कि शुरुआत होने के बावजूद इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं। कुछ सामान्य लक्षणों को जानकर यदि सतर्कता बरती जाए, तो पीडि़त को सही समय पर उचित इलाज मिल पाता है। 

* यदि कोई इस बीमारी से पीडि़त है, तो संक्रमित होने के करीब 10-20 साल के बीच लिवर डैमेज होने के बाद ही लक्षण नजर आते हैं, लेकिन तब तक स्थिति बेहद गंभीर हो जाती है और इस स्थिति में लीवर ट्रांसप्लाट के अलावा और कोई उपाय नहीं रह जाता। ऐसे में मरीज की जान पर खतरा बना रहता है।

ये ब्लड टेस्ट जरूरी

हेपेटाइटिस की जांच के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट की सलाह देते हैं। सामान्य जांच के लिए डॉक्टर एचबी टेस्ट की सलाह देते हैं। यदि इस टेस्ट में वायरस डिटेक्ट होता है, तो आपको लीवर सोनोग्राफी के साथ ही एचपीडीएनए टेस्ट जरूरी हो जाता है। 
चूंकी हेपेटाइटिस का वायरस सीधे लीवर पर अटैक करता है, इसलिए यह जानना जरूरी हो जाता है कि वायरस ने आपके लीवर को कितना नुकसान पहुंचाया है। वहीं एचपीडीएनए टेस्ट यह बताता है कि आपके ब्लड की एक बूंद में वायरस की संख्या कितनी है। इस काउंटिंग के आधार पर ही आपका ट्रीटमेंट शुरू किया जाता है।

तो बनता है लीवर कैंसर

हेपेटाइटिस वायरस लीवर को धीरे-धीरे डैमेज करता है। इसलिए इससे होने वाली प्रॉब्लम्स नजर ही नहीं आती। सामान्य लक्षणों में अक्सर पेट दर्द, बुखार, उल्टी जैसे लक्षण नजर आते हैं। लेकिन जब तक शरीर में पीलापन, आंखों में पीलापन नजर आता है, पेशाब का रंग काला होने लगता है, तब तक स्थिति लीवर कैंसर की स्टेज तक पहुंच चुकी होती है। इस स्थिति में डॉक्टर के पास लीवर ट्रांसप्लांट ही अंतिम ऑप्शन रहता है।

नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक...

नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक लोग हेपेटाइटिस वैक्सीनेशन को लेकर ज्यादा जागरूक नहीं है। यदि लोग जागरूक रहें तो परिवार का हर सदस्य इस वायरस से सुरक्षित रहेगा, तो देशभर में इसके मामलों में कमी लाई जा सकेगी।

एनएफएचएस की सर्वे रिपोर्ट कहती है...

* 12-23 महीने के 56.3 फीसदी शिशु ही हेपेटाइटिस बी की वेक्सीन ले पाते हैं।

* शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 64.3 तो ग्रामीण क्षेत्रों में 53.4 फीसदी ही है।

* भोपाल में 57.2 फीसदी ही इस वेक्सीनेशन का लाभ ले रहे हैं।

जरूर लगवाएं वैक्सीन

केंद्र और राज्य सरकारें हेपेटाइटिस जैसे गंभीर रोगों से निपटने के लिए काफी प्रयास कर रही हैं। समय-समय पर आयोजित कार्यशालाओं और जागरुकता अभियान के साथ ही वैक्सीनेशन जैसे प्रोजेक्ट शुरू कर इस पर नियंत्रण की कोशिश की जा रही है। लोग इसे लेकर गंभीर हों और यदि वैक्सीनेशन नहीं करवाया है, तो डॉक्टर की सलाह से आज और अभी ही करवाएं।

'फाइब्रोस्केन' टेस्ट के बाद यहां तुरंत मिलेगी रिपोर्ट

हमीदिया अस्पताल में 28 जुलाई को वल्र्ड हेपेटाइटिस डे के अवसर पर पिछले साल एक लेटेस्ट डायग्नोस्टिक फेसेलिटी शुरू की गई थी। इस व्यवस्था के तहत 'फाइब्रोस्केन' टेस्ट किया जाता है। यह ऐसा टेस्ट है, जो फाइब्रोसिस या फेटी लिवर का पता लगाएगा। इस टेस्ट के लिए अल्ट्रासाउंड का प्रयोग किया जाता है, ताकि जल्द रिजल्ट मिल सकें। यह नॉन इन्वेसिव तो है ही, वहीं आसानी से होने वाले इस टेस्ट की रिपोर्ट भी तुरंत दे दी जाती है, ताकि रोगी का सही समय पर और उचित इलाज शुरू किया जा सके।

लाइफ स्टाइल में लाने होंगे थोड़े बदलाव

हेपेटाइटिस से पीडि़त व्यक्ति को इलाज के साथ ही लाइफस्टाइल में भी कुछ बदलाव करने होते हैं। ताकि उसकी सेहत सुधर सके और वह किसी अन्य को संक्रमित न कर सके। हेपेटाइटिस का वायरस ब्लड के संपर्क में आने से फैलता है, आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्लड की सूखी बूंद में भी यह वायरस सात दिन तक जिंदा रहता है। इसलिए चोट लगने या कटने, छिलने पर निकले ब्लड का निस्तारण करने में सावधानी बरतें। अपनी दैनिक जरूरतों की चीजों को अलग रखें। सुरक्षित यौन संबंध रखें। यौन संबंध से भी यह रोग फैलता है।

कहते हैं एक्सपर्ट

डॉ. के मुताबिक हेपेटाइटिस वायरस बेहद खतरनाक है, लेकिन समय पर पहचान और उपचार इस वायरस को खत्म कर देते हैं। इसके संक्रमण के कारण..

* बच्चों में इम्यून सिस्टम कमजोर होना।

* असुरक्षित ब्लड ट्रांसफ्यूजन।

* सबसे बड़ा कारण लोगों में जागरुकता की कमी है।

* संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध के कारण।

लक्षण

आमतौर पर मरीजों में इसके लक्षण नजर ही नहीं आते। पर कुछ मामलों में 90 दिन के औसत के भीतर ही लक्षण नजर आने लगते हैं। इन लक्षणों में...

* अक्सर बुखार आना।

* भूख में कमी।

* कमजोरी महसूस होना, थकान।

* पेट में दर्द।

* जोड़ों में दर्द।

* उल्टी।

* यूरीन का रंग काला होना।

* हीमोग्लोबिन की कमी के कारण शरीर का रंग पीला होना।

* आंखों और नाखूनों का रंग पीला होना।

* हालांकि ये लक्षण कई हफ्तों या फिर 6 महीने में भी नजर आ सकते हैं।

* ज्यादातर लोगों में इसके लक्षण जब तक सामने आते हैं, तब तक स्थिति बहुत बिगड़ चुकी होती है।

योग और व्यायाम

योगमत्स्यासन 

बद्ध पद्मासन

मकरासन 

सर्वांगासन 




तो दोस्तो आज जाना कि कैसे हम ( Apni Hepatitis ki problem se nijat pa sakte hai ) ओर अपनी लाइफ को खुश रख सकते है दोस्तो आप इन सब advices को आपनी लाइफ मैं जरूर Try करे और ऐसे ही ओर अछे articles के लिए जुड़े रहे ( https://normaladvices.blogspot.com ) से।

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