Sugar {diabetes} k bare jane or kya kya hota hai es ka ilaj...


Sugar {diabetes} k bare jane or kya kya hota hai es ka ilaj...




आज कल की लाइफ मैं शुगर तो दोस्तो आम बीमारी हूँ गई है पर ये बीमारी पहले किस किस को ही होती थी आप सोच रहे हो गए पहले ये बीमारी किस किस को होती थी है दोस्तो आज कल की बिजी लाइफ मैं लोग अपने लाइफ स्टाइल पे तो बहोत दिहन दे ते है पर अपने ऊपर नही वो क्या खा रहे है किस से उन को नुकसान हो गा वो सब आज कल एक जगह बैठे-बैठे काम करने की वजह से आजकल छोटे-छोटे बच्चे भी डायबिटीज की चपेट में आ रहे हैं। अगर आप भी कई सालों से इस बीमारी के शिकंजे में जकड़े हुए हैं तो टेंशन छोड़ दोस्तो मैं आज इसी topic पर बात करु गा तो चलो दोस्तो जानते है कैसे अपनी शुगर का इलाज कर।

Kuch points mai aap ko ye article batuga jis se ye article aap ko ache se smaj aa jay ga...

1, शुगर के लक्षण

2, जानिए शुगर का लेवल कितना होना चाहिए

3, ऐसे करें शुगर का घरेलू इलाज

4,डायबिटीज है या नहीं चेक करिए

5, शुगर कम होने या बढ़ना के संकेत पता करे

6, शुगर की जानकारी ओर परहेज

7, शुगर लेवल 300 पार, तो तुरंत कराएं इलाज

8, शुगर से बचने के उपाय

9, डायबिटीज (Sugar) को जड़ से खत्म करने के लिए घरेलू उपाय

10, मधुमेह रोगियों के लिये डायट

11, मधुमेह गर्भवती महिलाओं के लिए टिप्‍स

12, शुगर मरीज को व्रत रखने व तोड़ने के वक़्त थोड़ी एहतियात बरतनी होगी।

13, शरीर में शुगर लेवल बढ़ने पर मिलते हैं  संकेत

14, शुगर के लक्षण और कारण

15, हाइपोग्लाइसीमिया क्या है, उपचार, कारण तथा शुगर लेवल कम होने पर बचाव के टिप्स।


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तो दोस्तो चलो जानते है ये 15 topics के बारे मे


शुगर के लक्षण..




हर बीमारी अपने साथ कई लक्षण लेकर आती है जो कि हमें संकेत देने लगते हैं कि हमारा शरीर स्वस्थ्य नहीं है। कई बार इन लक्षण को हम पहचान लेते हैं तो कई बार हम इन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन कई बार यही नज़रअंदाज़गी हमारे लिए घातक साबित होती है।

शुगर के भी कई लक्षण होते हैं जिनसे शुगर बढ़ने के संकेत मिलने लगते हैं। शरीर में नॉर्मल शुगर की मात्रा 70-110 होती है, जब भी ये मात्रा बढ़ जाती है उस वक्त हमें कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं।

आईये जानते हैं क्या है शुगर के ये लक्षण।
ये लक्षण हो सकते हैं शुगर का संकेत बहुत से लक्षण हैं जो हमें ये संकेत देने लगते हैं कि हमारे शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ गई है। कुछ ऐसे ही लक्षण हैं

1. चोट लगने पर जल्दी ठीक ना होना

2.चिड़चिड़ापन होना

3. नज़र में धुंधलापन होना

4. बहुत ज्यादा थकान होना

5. नॉर्मल से बहुत ज्यादा भूख लगना

6. वज़न ज्यादा कम होना भी शुगर का एक लक्षण हो सकता है

7. बहुत ज्यादा गुस्सा आना या फिर मूडी होना

8. नॉर्मल से बहुत ज्यादा प्यास

9.अचानक से बहुत ज्यादा कमज़ोरी महसूस होना

10. बार-बार बाथरूम जाना


जानिए शुगर का लेवल कितना होना चाहिए




हमारे रक्त में शुगर का लेवल कितना होना चाहिए यह जानना इसलिए महत्वपूर्ण है क्यूंकि शुगर की बीमारी भारत में तेजी से बढ़ रही है| ताजा आंकड़ों की बात करें तो भारत में हर पांचवें व्यक्ति को मधुमेह है| जब खून में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है तो मधुमेह की बीमारी का जन्म होता है|

 (शुगर के टेस्ट

 शुगर का लेवल)...


शुगर के टेस्ट 

हर इंसान को साल में एक बार मधुमेह का टेस्ट जरूर कराना चाहिए चाहे वह शुगर का रोगी हो या ना हो| इसकी मुख्य वजह यह है कि आजकल लोगों की जीवनशैली बहुत ज्यादा अनियमित होती जा रही है|

अगर समय रहते आपको मधुमेह का पता चल गया तो इसे तुंरत कंट्रोल करके आप बहुत सारी परेशानियों से बच सकते हैं| डॉक्टर डायबिटीज की पहचान के लिए कुछ टेस्ट करते हैं –
1. Normal Blood Fasting

2. PostPrandial

3. HBA1C


शुगर का लेवल 

जब कोई व्यक्ति शुगर की जांच कराने जाता है तो वह इस प्रकार रिपोर्ट का आंकलन कर सकता है 

Normal Blood Fasting (सुबह खाली पेट) – यह टेस्ट सुबह खाली पेट ही किया जाता है| इस टेस्ट से पता चलता है कि बिना कुछ खाये पिये आपके रक्त में ग्लूकोज की मात्रा कितनी है? यह शुगर का सबसे अहम टेस्ट भी होता है और इसी के आधार में डॉक्टर सुनिश्चित करते हैं कि आपको शुगर है या नहीं

Fasting Blood Test में आपका शुगर लेवल 70 से 110 मिलीग्राम होनी चाहिए

अगर आपका शुगर लेवल 110 से 125 के बीच है तो भी घबराने की बात नहीं है क्यूंकि यह अभी शुगर की शुरुआत है और इसे आपको गंभीरता से लेना चाहिए और तुंरत डॉक्टर से मिलकर डाइट प्लान बनायें| अगर 125 से ज्यादा शुगर लेवल है तो आपको दवाइयों का सेवन करना पड़ेगा| जब शुगर लेवल 200 मिलीग्राम से ऊपर चला जाता है तो आपके पेशाब में शुगर आने लगती है|

PostPrandial Test (खाने के 2 घंटे बाद) – यह टेस्ट खाना खाने के 2 घंटे बाद कराया जाता है| दरअसल हमारा खाना 2 घंटे में पूरी तरह पच जाने की स्थिति में आ जाता है और अब भोजन से ग्लूकोज का बनना शुरू हो जाता है| इस टेस्ट से पता चलता है कि खाना खाने के बाद आपका शुगर कहीं बहुत ज्यादा तो नहीं बढ़ रहा या आप जो खा रहे हैं वो बहुत ज्यादा शुगर तो नहीं बना रहा

PostPrandial Test में आपका शुगर लेवल 110 से 140 जे मध्य होना चाहिए|

अगर शुगर लेवल 140 से 170 तक आता है तो भी घबरायें नहीं बल्कि अपने खान-पान पर ध्यान दें क्यूंकि 170 तक शुगर लेवल आराम से कंट्रोल किया जा सकता है| अगर आपका शुगर लेवल 200 या 300 के पार है तो आपको दवाइयों का सेवन करना पड़ेगा| जब शुगर लेवल 400 मिलीग्राम से ऊपर जाने लगता है तो आपको बहुत ज्यादा थकान और कमजोरी का अहसास होना शुरू हो जाता है|
HBA1C Test – यह एक नया टेस्ट काफी प्रचलित हो रहा है| डॉक्टर आजकल HBA1C पर ज्यादा विश्वास कर रहे हैं| दरअसल Fasting और PostPrandial Test में आपके खाने-पीने के अनुसार रोजाना शुगर लेवल अलग-अलग हो सकता है इसलिए HBA1C टेस्ट ज्यादा अच्छा साबित हो रहा है|

HBA1C टेस्ट में पिछले 3 महीने के शुगर लेवल का रिकॉर्ड देखा जाता है इससे अंदाजा हो जाता है कि सामान्य रूप से आपका शुगर कितना रहता है|

HBA1C टेस्ट में शुगर लेवल निम्न प्रकार से देखा जाता है 
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HBA1CResult4 – 6 %Non Diabetic6 – 7 %Good in Control7 – 8 %Fair Control9 % >Poorशुगर लेवल 4 – 6 % का मतलब है कि आपको शुगर नहीं है अर्थात आप पूरी तरह स्वस्थ हैं|शुगर लेवल 6 – 7 % का मतलब है कि आपको शुगर है लेकिन आपकी शुगर बहुत अच्छा कण्ट्रोल में हैशुगर लेवल 7 – 8 % का मतलब है कि आपका शुगर लेवल बढ़ रहा है और ठीक ठाक कंट्रोल में हैजब शुगर लेवल 9 % से ऊपर हो तो समझिये आपकी शुगर लेवल बहुत बदतर स्थिति में है

HBA1C टेस्ट में जिन लोगों का शुगर लेवल 6 – 7 % आता है उन लोगों को PreDiabetic कहा जाता है अर्थात आप बिल्कुल किनारे पर आ चुके हैं और अभी शुगर बिल्कुल शुरुआती अवस्था में है जिसे आसानी से आप कण्ट्रोल कर सकते हैं|



ऐसे करें शुगर का घरेलू इलाज...



1. दालचीनी भी होती है फायदेमंददालचीनी शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में बहुत कारगर साबित होता है। रोज़ाना 1 कप गुनगुने पानी में 1 चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर पीने से शुगर को कंट्रोल करने में काफी मदद मिलती है।

2. मेंथी के दाने होते हैं फायदेमंदशुगर को कंट्रोल करने में मेथी बहुत ही फायदेमंद साबित होती है। इसके लिए मेथी के दानों को रातभर के लिए पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट इन बीज़ों को चबाकर खा लें।

3. आंवला भी है लाभकारीआंवले का जूस भी शुगर से बचाने में बहुत ही लाभकारी साबित होते हैं। इसके लिए 2-3 आंवले का बीज निकालकर उसका पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को एक कपड़े में डालकर उसका रस निचोड़ लें। इसमें 1 कप मिलाकर रोज़ाना इसका सेवन करें। आप चाहें तो करेले के रस में भी मिलाकर इसको पी सकते हैं।

4. एलोवेरा से मिलेगा आरामवैसे तो एलोवेरा बहुत सी चीज़ो के लिए लाभकारी होता है। शुगर से भी आराम दिलाने में एलोवेरा बहुत ही लाभकारी है। इसके लिए एलोवेरा के पत्तों को रातभर 1 गिलास पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट इस पानी को पी लें।

5. करेले से होगा शुगर का इलाजकरेला शुगर का इलाज करने में बहुत मदद करता है। रोज़ाना सुबह खाली पेट करेले का जूस पीने से शुगर की समस्या नहीं हो पाती है। इसके साथ ही करेले को अपने खाने में भी शामिल करें।


डायबिटीज है या नहीं चेक करिए....




डायबिटीज सेहत के लिए खराब है. शुगर लेवल ज्यादा होना भी अच्छा नहीं और कम होना भी बुरा है. डायबिटीज ना हो तो बहुत अच्छा है, पर अगर है तो जल्द से जल्द इसके बारे में पता लगना जरूरी है.

आपको हैरानी हो सकती है लेकिन क्या आपको मालूम है कि खान-पान के लक्षणों से ही अंदाज लगा सकते हैं डायबिटीज तो नहीं है. डायबिटीज बड़ी तेजी से देश में पैर पसार रही है. इसलिए इन लक्षणों की अनदेखी मत करिए, चुपके चुपके आने वाले इन लक्षणों की आहट समझिए.

1.प्यास लगना

जरूरत से ज्यादा प्यास लगने की अनदेखी मत कीजिए


2.बार बार पेशाब लगना

कोई ज्यादा पानी पीएगा तो उसे बार बार बॉथरूम तो जाना ही पड़ेगा. लेकिन अगर ये असामान्य तौर पर ज्यादा है तो ये ठीक नहीं हैं.

3.थकावट

बिना कोई कामधाम किए भी अगर थकावट का अहसास होता तो सतर्क हो जाइए. आलसी होना अलग बात है और थके थके रहना बिलकुल अलग है.

बिना कोई कामधाम किए भी अगर थकावट का अहसास होता तो सतर्क हो जाइए


4.खुजली

अनियंत्रित डायबिटीज से गुप्तअंगों के आसपास खुजली और जलन होने लगती है क्योंकि ज्यादा शुगर से इन्फैक्शन हो जाता है. हालांकि इसमें कोई नुकसान नहीं होता लेकिन अगर डायबिटीज होने पर इसका इलाज फौरन जरूरी है.
डायबिटीज से खुजली और जलन की परेशानी आ सकती है


5.आंखों में दिक्कत

ज्यादा शुगर की वजह से आंखों के लेंस में सूजन आ जाती है. जिससे दिखाई देने में दिक्कत होने लगती है. धुंधला दिखना भी लक्षण है. आंखें अगर सूख जाती हैं तो भी वो भी डायबिटीज की चेतावनी है. आंखों का टेस्ट कराना जरूरी है.
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6.घाव जल्दी ना भरना

चाकू, ब्लैड या किसी भी पैने सामान से दूर रहिए. अगर घाव जल्दी नहीं भर रहा है तो तुरंत डायबिटीज चेक कराना जरूरी है. डायबिटीज से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है.
चोट जल्दी ठीक नहीं हो रही मतलब डायबिटीज का खतरा


7. ज्यादा भूख लगना

भूख ज्यादा लगने की कई वजह हो सकती हैं, उनमें से एक डायबिटीज भी है. अगर जरूरत से ज्यादा भूख लग रही है तो उसपर ध्यान दीजिए.


8. वजन अचानक गिरना

जिस तरह वजन बढ़ना खतरनाक है उसी तरह वजन में अचानक कमी आना भी सेहत के लिए खतरनाक है. डायबिटीज में शरीर की मांसपेशियों का प्रोटीन टूटने लगता है. इसके साथ शरीर का अतिरिक्त ग्लूकोज निकालने के लिए किडनी को ज्यादा काम करना पड़ता है. ध्यान रखिए वजन में अचानक कमी चेतावनी है.


9. स्किन समस्याएं

डायबिटीज होने पर शरीर में खुजलाहट, काले निशान और दूसरे निशान पड़ते हैं. अगर शरीर में इस तरह के बदलाव हो रहे हैं तो उन पर फौरन ध्यान देने की जरूरत है.


10. इन लक्षणों पर भी ध्यान दीजिए

सुनाई देने में दिक्कत, हाथ, पैर या उंगलियों का सुन्न पड़ना, मसूढ़ों में खून आना, पिडंलियां अकड़ जाना. बार बार पसीना आना और बार बार पानी पीने के बावजूद मुंह सूखा लगना. जरूरी नहीं कि डायबिटीज में ये सभी लक्षण एकसाथ नजर आएं. लेकिन अगर इनमें से दो लक्षणों का अहसास भी अगर होता है तो इनकी अनदेखी मत कीजिए और फौरन डॉक्टर को दिखाइए.


शुगर कम होने या बढ़ना के संकेत पता करे....



शरीर को डायबिटीज से बचाए रखने के लिए शरीर के खून में शुगर की मात्र का सही मात्र में होना अति आवश्यक हो जाता हैं. इसके पहले कि आपके खून में शुगर की मात्रा बढ़े या घटे आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए. आप ठीक से इस बात की पहचान कर सके इसलिए हम आपको कुछ संकेत बता रहा हु।

रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ने पर यह संकेत दिखाई पड़ते हैं. 
वजन में कमी आना. आपको अधिक भूक लगती है और आप ज्यादा आहार लेते हैं. आपको अधिक प्यास लगती है और मुंह सूखने लगता हैं. बार-बार पेशाब लगना ख़ास कर रात के समय. हात और पैर में चीटिया चलने जैसा महसूस होना और बधिरता होना. जल्दी थकावट लगना. कमजोरी महसूस होना.
रक्त में शुगर कम होने पर यह संकेत दिखाई पड़ते हैं. 

सबसे पहले आपको बहुत भूक लगती है. (इस लक्षण को दुर्लक्षित न करे) बाद में पेट में जलन महसूस होती है. चक्कर आना. पसीना आना. धड़कन तेज होना. बोलने में कठिनाई होना. अंत में आपको बेहोशी महसूस होती हैं. आपको आप कहा है यह पता नहीं चलता है और आप बेहोश हो सकते हैं.



शुगर की जानकारी ओर परहेज




मधुमेह के प्रकार: 

Type 1 diabetes(Sugar) : यह तब होता है जब आपकी body insulin बनाना बंद कर देती है. ऐसे में मरीज को बाहर से इंसुलिन देनी पड़ती है . इसे  insulin-dependent diabetes mellitus, IDDM भी  कहते  हैंType 2 diabetes: यह तब होता है जब आपके cells produce हो रही इंसुलिन पर प्रतिक्रिया नहीं करते.  इसे non-insulin-dependent diabetes mellitus, NIDDM भी  कहते  हैंGestational diabetes:ये ऐसी महिलाओं को होता है जो गर्भवती हों और उन्हें पहले कभी diabetes ना हुआ हो.ऐसा pregnancy के दौरान खून में ग्लूकोज़ की मात्रा (blood sugar level) आवश्यकता से अधिक हो जाने के कारण होता h is when pregnant women, who have never had diabetes before, have a high blood glucose level during pregnancy. It may precede development of type 2 DM.


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sugar से सम्बंधित कुछ facts:

Type 2 Diabetes(Sugar)  से ग्रस्त लोग स्वस्थ्य लोगों की अपेक्षा 5 – 10 साल पहले मर जाते हैं.Type 2 Diabetes सबसे common form of Diabetes है.Diabetes किसी भी age group के लोगों को हो सकता है, बच्चों को भी.भारत में,इलाज ना करा पाने के कारण हर साल करीब 27000 बच्चे मधुमेह की वजह से मर जाते हैं.भारत में 5 में से 1 व्यक्ति diabetes से प्रभावित है.अगर इसे control ना किया जाये तो ये heart-attack,blindness, stroke (आघात), या kidney failure में result कर सकता है.स्वस्थ खा कर और physical activity  को बढ़ा कर टाइप २ मधुमेह को 80 % तक रोका जा सकता है.यह एक अनुवांशिक बिमारी है. यानि यदि परिवार में पहले किसी को ये बिमारी रही हो तो आपको भी हो सकती है.


Sugar हो जाने पर क्या करें

नियमित रूप से blood sugar की जांच कराते रहे.परहेज करना बहुत ही आवशयक है, असावधानी बाद में घातक हो सकती है. बाद में blindness, amputation या dialysis का सामना करने  से कहीं आसान होगा परहेज करना.दवाओं के सेवन को हलके में ना लें , और डॉक्टर के बताये हुए समय पर दावा अवश्य लें.स्वस्थ खाएं और active रहे. व्यायाम करके इस काफी हद तक control किया जा सकता है.संभव हो तो खाना खाने के लिए अपने जैसा ही साथी चुने, इससे अपने जीभ को control करना आसान होगा.पर्याप्त मात्रा में नीद लें.सुबह या शाम को टहलने की आदत डालें.


 sugar के  लक्षण (Symptoms)

अधिक प्यास या भूख लगनाअचानक वज़न का घट जानालगातार कमजोरी और थकावट महसूस करनाघाव भरने में ज्यादा वक़्त लगनाबार-बार पेशाब होनाचीजों का धुंधला नज़र आना त्वचा में संक्रमण होना और खुजली होना
sugar में किन खाने-पीने  की चीजों को avoid करें :
धूम्रपान,चीनी, मिठाई,ग्लूकोज, मुरब्बा, गुड़, आइसक्रीम, केक, पेस्ट्री, मीठा बिस्कुट,चॉकलेट, शीतल पेय, गाढ़ा दूध, क्रीम,तला हुआ भोजन,मक्खन, घी, और हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेल, सफेद आटा,जंक फूड,कुकीज़, डिब्बा बंद और संरक्षित खाद्य पदार्थ, इत्यादि.

sugar में किन खाने-पीने  की चीजों का सेवन कम करें :
नमक , मीट, मछली ,अंडा ,अल्कोहल, चाय,कॉफी, शहद , नारियल, अन्य नट, unsweetened जूस ,sea food ,इत्यादि.

sugar में किन खाने-पीने  की चीजों का सेवन करें :
खूब पानी पीएं ,अंगूर,अनार का रस, भारतीय ब्लैकबेरी, केला,सेब, अंजीर,  काली बेरी, कीवी फल, खट्टे,फल,ककड़ी, सलाद पत्ता, प्याज, लहसुन ,मूली,टमाटर, गाजर, पत्तियों, पालक शलजम, गोभी और  रंगीन सब्जियों, बिना शक्कर फलों के रस, कच्चा केला,कच्ची मूंगफली, टमाटर, केले,खरबूजे, सूखे मटर, आलू, सेब साइडर सिरका, स्किम्ड दूधपाउडर, गेहूं,दलिया, बादाम, मटर, अनाज,छोला, बंगाल चना , काला चना,दाल , मकई , सोया अंकुरित फलियां, रोटी,गेहूं की भूसी, whole grain bread,मट्ठा, दही, इत्यादि.


शुगर लेवल 300 पार, तो तुरंत कराएं इलाज...




डॉक्टरों का कहना है कि इंसुलिन के डोज के बाद भी अगर शुगर लेवल कंट्रोल में न रहे, तो ऐसे मरीज को खराब असर से बचने के लिए तुरंत इसे कंट्रोल में लाने के लिए इलाजकराना चाहिए। डॉक्टरों का मानना है कि कई बार अनकंट्रोल लेवल पर शुगर होने के बाद भी इंसान को लक्षण नहीं दिखता। कई बार अनकंट्रोल होने के बाद भी उन पर असर नहीं होता है, तो कई बार अचानक इसका असर होता है और यह असर बड़े लेवल पर होता है जो बॉडी के कई ऑगर्न्स को डैमेज भी कर देता है। इसलिए अगर किसी को भी ऐसा है तो उन्हें इसे हल्के में लेने के बजाए इसका इलाज कराना चाहिए। हालांकि डॉक्टरों का मानना है कि 250 से ऊपर शुगर लेवल के मरीज रोज अस्पताल आते हैं और उनका पूरा इलाज होता है। 
शुगर लेवल बढ़ने की वजहें 

1) लगातार काम करना

 2) दवाई या इंसुलिन का डोज़ पर्याप्त नहीं होना 

3) डाइट कंट्रोल में नहीं होना या एक्सर्साइज नहीं करना 

4) बॉडी में इन्फेक्शन की वजह से भी शुगर लेवल बढ़ जाता है चाहे इन्फेक्शन चेस्ट में हो, गले में, दांत में या यूरिन में

5) स्ट्रेस की वजह से भी शुगर लेवल अचानक 150 से 200 तक बढ़ जाता है 


अनकंट्रोल शुगर लेवल का ये हो सकता है नतीजा 


1, आंखों के रेटिना पर असर हो सकता है।

2, किडनी पर असर होता है और यूरिन में प्रोटीन आने लगता है। 

3,नसों पर भी इसका असर होता है। 

4,हार्ट पर भी विपरीत असर होता है। 

शुगर लेवल जितना ज्यादा होता है, इन्फेक्शन बढ़ने की संभावना उतनी ही बढ़ जाती है। 



शुगर से बचने के उपाय




डायबिटीज़ एक ऐसी बीमारी है जो अगर एक बार हो जाए तो उसे फिर जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता है। ये बीमारी आपको ना हो, इसके लिए आपको पहले से ही कुछ घरेलू अपना लेने चाहिए।

कहा जाता है कि बीमारी का इलाज करने से बेहतर है कि बीमारी को होने से ही रोक दिया जाए। आज के दौर में जो बीमारी सबसे तेज़ी से बढ़ रही है वो है डायबिटीज़। ये बीमारी ना सिर्फ बड़ों को अपना शिकार बना रही है, बल्कि बच्चे और युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। डायबिटीज़ एक ऐसी बीमारी है जो अगर एक बार हो जाए तो उसे फिर जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता है। ये बीमारी आपको ना हो, इसके लिए आपको पहले से ही कुछ घरेलू अपना लेने चाहिए।


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1. सदाबहार फूल डायबिटीज़ से बचाव में बहुत फायदा करता है। रोज़ाना सुबह खाली पेट सदाबहार के सात फूल पानी के साथ चबाकर पीने से डायबिटीज़ में आराम मिलता है।

2. नीम में बहुत से आयुर्वेदिक गुण मौजूद होते हैं। नीम के पत्ते भी शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में बहुत मदद करते हैं। रोज़ाना सुबह उठकर नीम के सात पत्ते खाली पेट चबाकर खाने से या पीसकर पानी के साथ लेने से शुगर कंट्रोल में रहता है।

3. रोज़ाना सुबह एक खीरा, एक करेला और एक टमाटर, तीनो का जूस मिलाकर खाली पेट पीने से शुगर के लेवल से आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है।

4. सहजन की पत्त‍ियां शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में बहुत ही कारगर साबित होती हैं। इसके लिए इसकी पत्त‍ियों को पीसकर निचोड़ ले और सुबह खाली पेट इसका सेवन करें।

5. करेला शुगर का इलाज करने में भी बहुत मदद करता है। रोज़ाना सुबह खाली पेट करेले का जूस पीने से शुगर की समस्या नहीं हो पाती है। इसके साथ ही करेले को अपने खाने में भी शामिल करें।

6. आंवला शुगर से बचाने में बहुत ही लाभकारी साबित होते हैं। इसके लिए 2-3 आंवले का बीज निकालकर उसका पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को एक कपड़े में डालकर उसका रस निचोड़ लें। इसमें 1 कप मिलाकर रोज़ाना इसका सेवन करें। आप चाहें तो करेले के रस में भी मिलाकर इसको पी सकते हैं।

7. तुलसी का आयुर्वेद में बहुत ही प्रमुख स्थान है। इसकी पत्तियों में एंटी-ऑक्सीडेंट मौजूद होता है जो कि पैंक्रियाटिक बीटा सेल्स को इंसुलिन के प्रति सक्रिय बनाता है। सुबह उठकर खाली पेट 2-3 तुलसी की पत्ती चबाने से या फिर तुलसी की पत्ती का रस पीने से शुगर लेवल कंट्रोल रहता है

8. ग्रीन टी हमारी सेहत के लिए बहुत ही हेल्दी होती है। शुगर के लेवल को भी कंट्रोल करने में ये बहुत ही कारगर है। इसमें पॉलीफिनॉल नाम का एंटी-ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में मौजूद होता है जो कि शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है।

9. रोज़ाना एलोवेरा जूस पीना शुगर से आराम दिलाने में कारगर माना गया है। इसके लिए एलोवेरा के पत्तों को रातभर 1 गिलास पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट इस पानी को पी लें।


10. जामुन डायबिटीज़ से भी लड़ने में मदद करता है। जामुन के पत्ते, बीज और बेर हर चीज़ शुगर का इलाज करने में इस्तमाल की जाती है। जामुन के सूखे बीजों को पीस लें और पानी के साथ दिन में 2 बार लें। इसके साथ ही आम के पत्ते भी शुगर का इलाज करने में बहुत ही लाभकारी साबित होते हैं।


डायबिटीज (Sugar) को जड़ से खत्म करने के लिए घरेलू उपाय




डायबिटीज का घरेलू नुस्खा

इसके लिए आपको कुछ हरे प्याज को धोकर पानी में भिगो दें। इसे साफ पानी में 24 घंटे तक भीगा रहने दें। इसके बाद इस पानी को छानकर पूरा दिन इसका सेवन करें। लगातार 7 दिनों तक इस पानी को पीने से आपकी डायबिटीज की समस्या जड़ से खत्म हो जाएगी। इसका सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टरी सलाह जरूर कर लीजिए। 


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शुगर बढ़ने से आप ऐसे देखेंगे तो आपको लगेगा की इससे क्या दिक्कत हैं, मेने शुगर खाई तो मेरे ग्लूकोस में शुगर की मात्रा बढ़ गई लेकिन उससे आपकी आंखें ख़राब हो सकती हैं, आपकी किडनी ख़राब हो सकती हैं, आपको हार्ट की प्रॉब्लम हो सकती हैं. इसीलिए शुगर और शुगर के कॉम्प्लीकेशन्स से बचना बहुत जरुरी है

शुगर होने के बाद अगर आप उसे नियंत्रित करने के लिए योग का सहारा लेते हैं तो यह आपके लिए दो तरह से रामबाण लाभ करेगा. योग का सहारा लेने से एक तो शुगर आपका ठीक होगी और शुगर के कम्प्लीकेशन से आप बचेंगे इसके साथ ही योग आपको अन्य आधुनिक बिमारियों से भी बचाये रखेगा, योग शुगर का रामबाण उपाय हैं आपको इसका सहारा अवश्य लेना चाहिए.शुगर को कम करने के लिए कपालभाति प्राणायाम, मंडूकासन और अनुल विलोम प्राणायाम यह तीनो ही करे. इसमें कपालभाति प्राणायाम रोजाना सुबह के समय शुगर के रोगियों को 15 मिनट तक करना चाहिए. इससे pancreas के beta cells reactivate होंगे, regenerate होंगे. और degenerate हुए pancreas के beta cells भी आधा-आधा घंटा कपालभाति करने से वापस से regenerate हो जाते हैं.यह बहुत ही बड़ी बात हैं और शुगर के कम्प्लीकेशन से बचने के लिए अनुम विलोम प्राणायाम करे यह रामबाण घरेलु उपाय होगा. यह शुगर के उपचार और कम्प्लीकेशन से बचने के लिए बेहद जरुरी हैं.  तो कपालभाति प्राणायाम 15 से 20 मिनट और अनुम विलोम प्राणायाम 10-15 मिनट अगर रोगी इतनी देर रोजाना दोनों प्रणायाम को करता हैं तो भी यह शुगर के रोगी के लिए पर्याप्त हैं. यह प्राकृतिक और आसान तरीके हैं शुगर कण्ट्रोल करने के उपाय प्राकृतिक व योगिक हैं.और मंडूकासन शुगर के रोगी को 4 से 5 बार तक करना चाहिए यह उनकी सेहत के लिए बहुत ही जरुरी हैं. मालगासना और योगमुद्रासन का अभ्यास व अन्य योगासन का अभ्यास भी मधुमेह, शुगर, डायबिटीज के रोगी के लिए बहुत लाभदायक होगा.शुगर की दवा का नाम बताएं :- शुगर की बीमारी में डॉक्टर द्वारा निम्न दवाइयां दी जाती है, glimepiride (Amaryl), glimepiride-pioglitazone (Duetact), glimeperide-rosiglitazone (Avandaryl)

शुगर के लिए मेथी का पानी 

शुगर के लिए मेथी का पानी भी बड़ा उपयोगी होता हैं, अंकुरित मेथी दाने भी आप इसमें ले सकते हैं.शुगर में जामुन का सेवन और जामुन की गुठली के पाउडर का सेवन भी डायबिटीज को कण्ट्रोल करने में रामबाण उपचार का काम करता हैं.जामुन की गुठली, गिलोय, चिरायता और कालमेघ का पाउडर इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर इनका चूर्ण बना लें और एक-एक चम्मच सुबह शाम खाये. गिलोय भी उपयुक्त है, चिरायता भी और अगर चिरायता न हो तो आप इसके बदले कालमेघ का इस्तेमाल कर सकते है यह भी उपयुत्क हैं. और जामुन की गुठली का पाउडर भी अगर शुगर के रोगी सुबह शाम एक-एक चम्मच खाये तो उनको इससे बहुत लाभ होगा.गिलोय को रात को भिगोकर के अथवा कालमेघ व चिरायता को रात को भिगोकर के उसका पानी सुबह पीते हैं तो इससे भी शुगर यानी डायबिटीज कण्ट्रोल होती हैं.शुगर में सिर्फ दो ग्राम कलोंजी खाने से 101% लाभ मिलता हैं, यह पैंक्रियास को उत्तेजित कर करता हैं जिससे भरपूर मात्रा में इन्सुलिन का निर्माण होता हैं.रोजाना 20 ताजा पत्ते बेल पत्र के दांतों से चबाकर खाने से सिर्फ एक महीने में ही हर तरह की शुगर दूर हो जाती हैं. एक महीने तक लगातार प्रयोग करे उसके बाद 30 दिन में 4 दिन लगातार इस प्रयोग को करते रहे ऐसा करने से भविष्य में फिर कभी शुगर नहीं होती. यह सबसे आसान और हजारों बार प्रयोग में लाया गया घरेलु उपाय  हैं.करेला का रस दोनों तरह की डायबिटीज में लाभदायक होता हैं इसके लिए रोजाना करेले का रस बनाकर के पिए इससे कुछ महीनो में ही मधुमेह का इलाज हो जायेगा. यह शुगर को कण्ट्रोल करता हैं, इसके अलावा आप 99 ग्राम करेले के रस में इतना ही पानी मिलाकर के दिन में तीन से चार बार तक सेवन कर सकते हैं.रोजाना 600 mg विटामीन C का सेवन करने से क्रोनिक डायबिटीज में भी आराम मिलता हैं 
इससे जल्द ही शुगर की बीमारी दूर हो जाती हैं. इसके लिए आप वह सभी फल खाये जिनमे विटामिन C भरपूर मात्रा में पाया जाता हो.Type II Diabetes ज्यादातर शरीर के अतिरिक्त वजन के कारण होती हैं इसलिए रोजाना पैदल चलना शुरू करे, मेहनती काम करे.रोजाना नियमित रूप से 100 ग्राम जामुन खाने से शुगर नियंत्रित होती हैं. यह आसान उपाय हैं, आप इसको कर के देख सकते हैं.ऐसा आहार ले जिसमे हाई फाइबर मिलता हो.कलौंजी और मेथीदाना दोनों को एक सामान मात्रा में लेकर के अच्छे से मिक्स कर के दरदरा पीस लें और एक डिब्बी में भर लें. अब रोजाना रात को सोते समय एक चम्मच यह कलोंजी और मेथीदाना का चूर्ण एक ग्लास पानी में मिला दें और फिर अगली सुबह इस चूर्ण को पानी में से निकालकर के चबा-चबा कर खा ले और इसके पानी को भी पि जाए. इस प्रयोग को तीन महीनो तक लगातार करने से 100% आराम मिलता हैं.शुगर का इलाज में बेलपत्र के पत्ते 250 ग्राम, मेथी का दाना 100 ग्राम, तेज पत्ता 100 ग्राम, जामुन की गुठली, 150 ग्राम यह सभी लेकर के इनका पाउडर बनाकर के मिक्स कर लें. इसके बाद एक डेढ़ चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम दोनों समय भोजन करने से एक घंटे पहले लें. इसके सेवन से दो से तीन महीनो में ही उपचार हो जाता हैं.


शुगर कम कण्ट्रोल करने के उपाय और उपचार




डायबिटीज यानी शुगर के रोगियों के लिए जरुरी हैं की जो मीठे फल हैं वो न खाये, हां पपीता थोड़ा खा सकते हैं, सेब थोड़ी मात्रा में सकते हैं इसके साथ ही जामुन और अमरुद आदि फल भी शुगर में खा सकते हैं. जो खट्टे फल हैं उनको डायबिटीज में थोड़ी मात्रा में खा सकते हैं, ज्यादा मात्रा का परहेज ही करे. इसके अलावा मीठी शरबत से शुगर के रोगियों को परहेज करना चाहिए व शकर से बनी हर एक पदार्थ का सेवन कम से कम करना चाहिए.

और शुगर में भी जो हैं सीड्स पेट में जाकर एक दम से नहीं घुलता हैं जैसे आपने मुनक्का खाया, आपने खजूर खाया, अंजीर खाया वो धीरे-धीरे आपके शरीर में जाकर घुलता हैं इसलिए वह ज्यादा नुकसान नहीं करेगा. मेरा कहने का मतलब हैं की जो मीठा तुरंत आपके शरीर में जाकर घुल जाता हैं उसके सेवन से आपको बचना चाहिए ऐसे मीठे आहार बिलकुल भी नहीं खाना चाहिए.

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शुगर की बीमारी में दिव्य मधुनाशनी का सेवन कर सकते हैं, दो-दो गोली खाली पेट सुबह शाम लें. यह पतंजलि की शुगर की गोली आयुर्वेदिक दवा हैं. इसे आप पतंजलि के स्टोर्स से खरीद सकते हैं.शुगर का आयुर्वेदिक उपचार ऐसे करे – खीरा, करेला और टमाटर का जूस बनाकर के पिए. एक खीरा, एक करेला, एक टमाटर इन तीनो को जूस के मिक्सर में डालकर के इनका रस निकाले. एक कप या एक गिलास आप इसको सुबह शाम रोजाना पि सकते हैं. इसको और असरकारी बनाने के लिए आप इसमें सदाबहार के 7 फूल और निम् के 7 पत्ते भी मिला सकते हैं बाकी इनको बिना मिलाये भी आप खीरा, करेला और टमाटर का रस ले सकते हैं.


Acupressure Point For Sugar Treatment

शुगर को कण्ट्रोल करने के लिए Acupressure भी बहुत मदद करता हैं, यह बाए हाथ की हथेली में छोटी उंगली के निचे, यानी हाथ की आखिरी छोटी उंगली के निचे की हथेली को दबाने से भी बहुत लाभ होता हैं, ऐसा करने से pancreas activate होगा और इससे आप शुगर की बीमारी से बच सकेंगे, यह शुगर की बीमारी से बचने का उपाय सबसे सरल हैं आप इसे कभी भी कर सकते हैं.शुगर को कण्ट्रोल करने के लिए बहुत जरुरी हैं की आप कम से कम छह घंटे की नींद लें, क्योंकि एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए छह घंटे की नींद बहुत जरुरी होती हैं. अगर आप बाबा रामदेव द्वारा बताये गए कपालभाति और अनुम विलोम प्राणायाम करते हैं तो सिर्फ इनके सहारे ही आप शुगर को कण्ट्रोल कर सकते हैं.


चटनी को खाने से डायबिटीज जड़ से ठीक हो जाती है।

सामग्री 

लहसुन छिला हुआ- 25 ग्राम

फ्रेश अदरक - 50 ग्राम

ताजा पुदीना- 50 ग्राम

खट्टा अनारदाना- 50 ग्राम

इन सभी चाजों को पीसकर उसकी चटनी बनाकर एक बर्तन में रख लें। 

विधि-

इस चटनी को रोज तीन टाइम सुबह, शाम और रात को एक चम्मच खाएं। ऐसा करने से आपकी कितनी भी पुरानी शुगर होगी वो जड़ से ठीक हो जाएगी।  

नोट- वैसे तो इस चटनी का कोई साइड इफेक्ट्स नहीं है लेकिन आप समय समय पर अपनी शुगर टेस्ट करवाकर डॉक्टर से परामर्श भी लेते रहे।  

मधुमेह रोगियों के लिये
डायट



मधुमेह के रोगी का भोजन केवल पेट भरने के लिए ही नहीं होता, उसके शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा को संतुलित रखने में भी सहायक होता है। चूंकि यह रोग मनुष्य के साथ जीवन भर रहता है इसलिए जरूरी है कि वह अपने खानपान पर हमेशा ध्यान रखे। आमतौर मरीज ब्लडशुगर की नार्मल रिपोर्ट आते ही लापरवाह हो जाता है। मधुमेह के मरीज के मुंह में गया हर कौर उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसलिए जो भी खाएं सोच समझ कर खाएं।

अगर आप प्री-डायबिटिक या आपके घर में किसी को डायबिटीज की बीमारी है तो सावधान हो जयिये भले ही डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए आप संतुलित भोजन करे लेकिन भारतीयों के लिए डायबिटीज में कार्बोहाईड्रेट, फैट्स और प्रोटीन का रेश्यो 60:20:20 के अनुपात में होनी चाहिए।


मधुमेह के रोगियों के लिए 15 फ़ूड टिप्स


मेथी
एक चम्मच मेथी को पूरी रात 100 मिलीलीटर पानी में भिगो दे और फिर सुबह खाली पेट इस पानी को पिए इससे डायबिटीज कंट्रोल रहती है।


टमाटर का रस

हर सुबह खाली पेट टमाटर के रस में नमक और काली मिर्च मिलकर पिए


भिगोया बादाम
रोज़ 6 बादाम (रात भर पानी में भिगो कर) का सेवन भी मधुमेह पर नियंत्रण रखने में सहायक है।


भोजन की सूची जिसे आप घर या बहार भोजन करते वक्त ध्यान में रख सकते है


साबुत अनाज, जई, चना आटा, बाजरा और अन्य उच्च फाइबर खाद्य पदार्थ भोजन में शामिल किये जाने चाहिए। अगर आपको पास्ता या नूडल्स खाने का मान है तो इसे हमेश हरी सब्जी या अंकुरित सब्जी के साथ ही खाए।


दूध

दूध में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन अच्छी मात्रा में पाए जाते है, और यह ब्लड शुगर को भी कंट्रोल करता है। इस लिए रोज़ दो गिलास दूध जरुर पिए।


उच्च फाइबर वाली सब्जियाँ

उच्च फाइबर सब्जियाँ जैसे मटर, सेम, ब्रोकोली, पालक और पत्तेदार सब्जियां आपने आहार में शामिल करे। इसी तरह दाल और स्प्राउट्स भी एक स्वस्थ विकल्प है।


दाल

दाल आपके आहार के लिए बहुत जरुरी है क्यों की यह ब्लड ग्लूकोज लेवल पर काम असर डालता है, अन्य कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों की तुलना में। इसी प्रकार ब्लड शुगर लेवल को कम रखने में फाइबर बहुत मदद करता है इस लिए फाइबर युक्त सब्जियों को आपने भोजन में शामिल करे और स्वस्थ रहे है।


ओमेगा -3

ओमेगा -3 और मोनोसाचूरेटेड जैसे फैट्स का सेवन किया जाना चाहिए क्योंकी यह स्वास्थ के लिए अच्छा होता है। इन के लिए प्राकृतिक स्रोतों का तेल जैसे सन बीज का तेल, वसायुक्त मछली और बादाम के तेल का प्रयोग करना चाहिए। इन तेलों में कम कोलेस्ट्रॉल होता है और ट्रांस फैट भी नहीं होता है।


फाइबर वाले फल

पपीता, सेब, संतरा, नाशपाती और अमरूद जैसे फलों का सेवन करना चाहिए क्यों की इनमें अच्छी मात्रा में फाइबर पाया जाता है। और आम, केले, और अंगूर जैसे फलों का कम सेवन करना चाहिए क्यों की इनमें चीनी की मात्रा ज्यादा पाई जाती है।


छोटे-छोटे अंतराल में भोजन करें

एक बार में ज्यादा खाना खा लेने से शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। इस लिए छोटे-छोटे अंतराल में भोजन करे जिससे ना आपका एक दम से हाई ब्लड शुगर लेवल हो और न लो। इसके लिए पूरे दिन थोड़ा-थोड़ा आहार लेते रहे जैसे ढोकला, फल, हाई फाइबर कुकीज़, मक्खन दूध, दही, उपमा / पोहा आदि।


मिठाई से बचे

मधुमेह के रोगी को लो कार्बोहाइड्रेट, हाई फाइबर और जिन में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स हो ऐसा आहार खाना चाहिए और वसायुक्त खाद्य पदार्थों और मिठाई से बचना चाहिए। इसे साथ उन्हें दिन में 5 बार थोड़ा-थोड़ा भोजन करना चाहिए।


क्या करना चाहिए

आर्टफिशल स्वीट मधुमेह के लोगों के लिए केक और मिठाई में इस्तेमाल किया जा सकता है।

खूब पानी पिए

शराब का सेवन कम करें
क्या नॉन-वेज खाना चाहिए?

मांसाहारी आहार में सी-फ़ूड और चिकन खाना चाहिए और लाल मांस(रेड मीट) से बचना चाहिए क्यों की इसमें उच्च मात्रा में सैचरैटड फैट पाया जाता है। इसके अलावा, हाई कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को एग योक और लाल मांस से बचना चाहिए।

मधुमेह के रोगियों के आहार में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा शामिल होना चाहिए। जिससे एक संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करने से आपका स्वास्थ भी अच्छा रहेगा। व भोजन में विकल्प ज्यादा मिल सकते हैं जिससे आपका भोजन वैरायटी वाला हो सकता है ।


डाइट चार्ट 2

शुगर एक बार होने के बाद जीवनभर रहता है। इसे कंट्रोल करने के लिए नियमित दिनचर्या और पोषण युक्त आहार की जरूरत होती है। शुगर होने का कारण असंयमित खानपान, मानसिक तनाव, मोटापा, व्यायाम की कमी आदि है। जिसके कारण दिन-प्रतिदिन इसके मरीजों की संख्या बढ़ रही है। ब्लड शुगर के मरीजों के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है संतुलित और नियमित भोजन। योग्य डाइट चार्ट अपनाकर डायबिटीज के मरीज न सिर्फ अपनी शुगर नियंत्रण में रख सकते है बल्कि उनकी दवा और इन्सुलिन का डोज़ भी कम हो सकता हैं।

डायबिटिक को अपने आहार में कुल कैलोरी का 40 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेटयुक्त पदार्थों से, 40 प्रतिशत वसायुक्त पदार्थों से व 20 प्रतिशत प्रोटीनयुक्त पदार्थों से लेना चाहिए। यदि शुगर मरीज का वजन ज्यादा है तो उसे कुल कैलोरी का 60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट से, 20 प्रतिशत फैट से व 20 प्रतिशत प्रोटीन से लेना चाहिए।

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आइए हम जानते हैं डायबिटीज के रोगी आइडियल डाइट चार्ट किस प्रकार होनी चाहिए और साथ ही कुछ खास हिदायतें किसी पर्टिकुलर स्थिति पर डायबिटीज को कंट्रोल करने के निर्देश।

सुबह 6 बजे - एक ग्लास पानी में आधा चम्मच मेथी पावडर डालकर पीजिए।

सुबह 7 बजे - एक कप शुगर फ्री चाय, साथ में 1-2  हलके शक्कर वाली बिस्कुट ले सकते हैं।नाश्ता / ब्रेकफास्ट - साथ आधी कटोरी अंकुरित अनाज और एक गिलास बिना क्रीम वाला दूध।

सुबह 10 बजे के बाद - एक छोटा फल या फिर नींबू पानी।

दोपहर 1 बजे यानी लंच - मिक्स आटे की 2 रोटी, एक कटोरी चावल, एक कटोरी दाल, एक कटोरी दही, आधी कटोरी सोया या पनीर की सब्जी, आधी कटोरी हरी सब्जी और साथ में एक प्लेट सलाद।

शाम 4 बजे - बिना शक्कर या शुगर फ्री के साथ एक कप चाय और बिना चीनी वाला बिस्किटया टोस्ट या 1 सेब।

शाम 6 बजे - एक कप सूप पिएँडिनर - दो रोटियां, एक कटोरी चावल (ब्राउन राइस हफ्ते में 2 बार) और एक कटोरी दाल, आधी कटोरी हरी सब्जी और एक प्लेट सलाद।
बिना क्रीम और चीनी के एक गिलास दूध पिएँ। ऐसा करने से अचानक रात में शुगर कम होने का खतरा नहीं होता। एक खास हिदायत मधुमेह के मरीजों को उपवास करने से बचना चाहिए। इसके अलावा भोजन के बीच लंबा गैप भी नही करना चाहिए और रात के डिनर में हल्का भोजन करना चाहिए। इसके अलावा नियमित रूप से योगा और व्यायाम करने से भी ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है। रोजाना इस डाइट चार्ट को फॉलो करने के साथ ही बताई गई कुछ एक चीजें और इस्तेमाल करें।


दरारा पिसा हुआ मैथीदाना एक या आधा चम्मच खाना खाने के 15-20 मिनट पहले लेने से शुगर कंट्रोल में रहती है और इससे और भी कई अंगों को फायदा होता है। 
रोटी के आटे को बिना चोकर निकाले यूज़ में लाएं हर चाहें तो इसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इसमें सोयाबीन मिला लें।
घी और तेल का दिनभर में कम से कम इस्तेमाल करें। सभी सब्जियों को कम से कम तेल का प्रयोग करके नॉनस्टिक कुकवेयर में पकाएं। हरी पत्तेदार सब्जियां ज्यादा से ज्यादा खाएं।

शुगर रोगी को खाने से लगभग 1 घंटा पहले अच्छी स्पीड पैदल चलना चाहिए और साथ ही व्यायाम और योगा भी करें। सही समय पर इंसुलिन व दवाइयां लेते रहें।
नियमित रूप से चिकित्सक के पास जांच कराएं।
इसके साथ शुगर के मरीज को प्रोटीन अच्छी मात्रा में व उच्च गुणवत्ता वाला लेना चाहिए।

इसके लिए दूध, दही, पनीर, अंडा, मछली, सोयाबीन आदि का सेवन ज्यादा करना चाहिए। इंसुलिन ले रहे डायबिटिक व्यक्ति एवं गोलियां ले रहे डायबिटिक व्यक्ति को खाना सही समय पर लेना चाहिए। ऐसा न करने पर हायपोग्लाइसीमिया हो सकता है। इसके कारण कमजोरी, अत्यधिक भूख लगना, पसीना आना, नजर से धुंधला या डबल दिखना, हृदयगति तेज होना, झटके आना एवं गंभीर स्थिति होने पर कोमा में जाने जैसी विपत्ति का भी सामना करना पड़ सकता है। डायबिटिक व्यक्ति को हमेशा अपने साथ कोई मीठी चीज जैसे ग्लूकोज, शक्कर, चॉकलेट, मीठे बिस्किट रखना चाहिए। यदि हायपोग्लाइसीमिया के लक्षण दिखें तो तुरंत इनका सेवन करना चाहिए। एक सामान्य डायबिटिक व्यक्ति को ध्यान रखना चाहिए कि वे थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ खाते रहें। दो या ढाई घंटे में कुछ खाएं। एक समय पर बहुत सारा खाना न खाएं।डायबिटीज के मरीज हमेशा डबल टोन्ड दूध का प्रयोग करें। कम कैलोरीयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें जैसे - छिलके वाला भुना चना, परमल, अंकुरित अनाज, सूप, सलाद आदि का ज्यादा सेवन करें। दही और छाछ का सेवन करने से ग्लूकोज का स्तर कम होता है और डायबिटीज नियंत्रण में रहता है।

जो आप को अच्छा लगे वो डाइट आप ले सकते है पर कोई बी डाइट हो उसे लेने से पहले डॉक्टर की साल ले।


अखरोट बचाता है डायबिटीज़ के खतरे से

लगभग 34 हजार लोगों के ऊपर किए गए अध्‍ययन में यह दावा किया गया है| कि एंटीऑक्‍सीडेंट से भरपूर अखरोट को रोजाना खाने से टाइप-2 डायबिटीज़ के होने का खतरा लगभग आधा रह जाता है| जबकि अखरोट नहीं खाने वालों में इसका खतरा दोगुना होता है| अध्‍ययन के परिणाम देखने से यह पता चलता है कि रोजाना 3 टेबल स्‍पून अखरोट खाने से डायबिटीज़ होने की आशंका 47 फीसद तक कम हो जाती है| यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया के शोधकर्ताओं ने यह अध्‍ययन किया है| उन्‍होंने बताया, ‘डायबिटीज़ और अखरोट की खपत में एक महत्‍वपूर्ण संबंध देखने को मिलता है| अखरोट पर हुए अन्‍य शोध यह भी बताते हैं कि अखरोट खाने से आपको दिल से संबंधित बीमारियों की आशंका भी घट जाती है|’शोधकर्ताओं ने 18 से 85 वर्ष के 34121 लोगों पर अपना अध्‍ययन किया| इनकी रोजाना की डाइट में अखरोट की मात्रा बढ़ाई गई और फिर इनमें डायबिटीज़ होने की आशंका के बारे में अध्‍ययन किया गया| जो लोग अखरोट रोजाना खा रहे थे, उनमें नहीं खाने वालों की तुलना में डायबिटीज़ के कम लक्षण देखने को मिले|अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड, पॉलिसैचुरेटिड फैट और अल्‍फा लाइनोलेनिक एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है| इसके अलावा इसमें प्रोटीन और फाइबर की भी अधिकता होती है| इससे पहले के अध्‍ययन में भी बताया गया है कि रोजानन कम से कम आधा कप अखरोट का सेवन करने से पाचन दुरुस्‍त रहता है| साथ ही दिल और दिमाग से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी कम होता है|

मधुमेह गर्भवती महिलाओं के लिए टिप्‍स




अगर आप डायबटीज से पीडि़त है तो आपके लिए गर्भावस्‍था अधिक चुनौतीपूर्ण और जटिल हो जाएगी। डायबटीज की बीमारी होने पर गर्भावस्‍था के दौरान, शरीर में ब्‍लड़ ग्‍लूकोज का नियंत्रित होना सबसे महत्‍वपूर्ण होता है। गर्भावधि मधुमेह, न सिर्फ आपके स्‍वास्‍थ्‍य पर असर डालता है बल्कि आपके अजन्‍मे बच्‍चे के विकास पर भी प्रभाव डालता है। गर्भावस्‍था के दौरान शरीर में ब्‍लड़ ग्‍लूकोज को सामान्‍य रखना काफी मुश्किल होता है, लेकिन अगर बॉडी में इसकी मात्रा नियंत्रित नहीं होगी तो गर्भपात, समय से पहले बच्‍चे का जन्‍म, जन्‍म में दिक्‍कत या अन्‍य समस्‍याएं आ सकती है और मां - बच्‍चे पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

गर्भावस्‍था के दौरान महिलाओं को समय - समय पर अपने स्‍वास्‍थ्‍य का परीक्षण करवाते रहना चाहिए और डायबटीज भी चेक करवाना चाहिए। गर्भावस्‍था के शुरूआती चरण में अगर महिला को डायबटीज होती है तो बच्‍चे को सबसे ज्‍यादा खतरा होता है। ब्‍लड़ सुगर बढ़ने से बच्‍चे के शरीर के अंगों के निर्माण में दिक्‍कत होती है। यहां कुछ टिप्‍स बताएं जा रहे है जो डायबटीक प्रेग्‍नेंट महिला को स्‍वस्‍थ बनाएं रखने में सहायक होते है : -

ब्‍लड़ सुगर कंट्रोल रखना :

गर्भावस्‍था के दौरान शरीर में ब्‍लड़ सुगर को कंट्रोल में रखना आवश्‍यक होता है। इसके लिए आपको नियमित परीक्षण करवाकर डॉक्‍टर से सम्‍पर्क करना होगा और डॉक्‍टर के द्वारा बताएं जाने वाली सभी दवाओं और एक्‍सरसाइज व परहेज को फॉलो करना चाहिए।

व्‍यायाम करना :

प्रेग्‍नेंसी के दौरान व्‍यायाम करने से लाभ मिलता है। मधुमेह से ग्रसित गर्भवती महिला को एक्‍सरसाइज जरूर करना चाहिए, इससे बॉडी, हेल्‍दी रहती है। घर के बाहर थोड़ी देर के लिए टहलें और छोटे - छोटे स्‍टेप वाली एक्‍सरसाइज करें।


नियमित रूप से मेडीकल टेस्‍ट करवाना :

अगर आप पहले से डायबटीक है तो प्रेग्‍नेंसी के दौरान हर महीने अपनी सुगर जांच अवश्‍य करवाएं। इसके अलावा, अपने डॉक्‍टर से सम्‍पर्क करती रहें ताकि कोई दिक्‍कत न हो। डॉक्‍टर की सभी सलाह को गंभीरता से लें।


स्‍वस्‍थ जीवनशैली :

एक डायबटीक प्रेग्‍नेंट वूमन को अपनी लाइफस्‍टाइल को सबसे पहले सुधारना चाहिए। उसे सुबह समय से उठकर योगा और ध्‍यान लगाना चाहिए, थोड़ी देर टहलना चाहिए, प्रॉपर और हेल्‍दी ब्रेकफास्‍ट करना चाहिए। प्रेग्‍नेंसी के दौरान अच्‍छा सोचना चाहिए। इससे बच्‍चे का शरीर में विकास अच्‍छी तरह होता है और सुगर की बीमारी का बच्‍चे की परिपक्‍वता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।


फास्‍ट फूड न खाना :

गर्भवती महिला को संतुलित भोजन करना चाहिए ताकि बच्‍चा और मां दोनो स्‍वस्‍थ रहें। ऐसे भोजन कतई न खाएं, जिनमें सुगर या स्‍टार्च की मात्रा ज्‍यादा हो। डायबटीज मरीज को हमेशा जंक फूड से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।


स्‍वस्‍थ भोजन :

डायबटीक प्रेग्‍नेंट महिलाओं को किसी डायटीशियन से फूड चार्ट बनवा लेना चाहिए और उसी हिसाब से भोजन करना चाहिए। ऐसा करने से उनके शरीर में सभी आवश्‍यक पोषक तत्‍व पहुंचेगें। फूड चार्ट के हिसाब से खाने पर परहेज भी बना रहेगा।ऐसे ही ओर अछे articles के लिए जुड़े रहे ( normaladvices.blogspot.com ) से।

योगा :

योगा और मेडीटेशन से बॉडी को रिलैक्‍स रखने में सहायता मिलती है। इससे दिल और दिमाग शांत रहते है और हारमोन्‍स भी संतुलित रहते है। प्रेग्‍नेंसी के दौरान डायबटीज होने पर आप योगा क्‍लास ज्‍वाइन कर लें और ट्रेनर के गाइडेंस में योगा करें।


रिलैक्‍स :

प्रेग्‍नेंसी के दौरान होने वाली डायबटीज समस्‍या से परेशान न हों, पूरा आराम लें। रिलैक्‍स रहें और भरपूर नींद लें। किसी प्रकार का तनाव न लें और अच्‍छे कामों में समय बिताएं।


सभी रिकॉर्डस रखना :

प्रेग्‍नेंसी के दौरान सभी हेल्‍थ टिप्‍स को फॉलो करें। समय - समय पर करवाएं गए टेस्‍ट की सारी रिर्पोट को फाइल में लगा लें, इससे डिलीवरी के दौरान डॉक्‍टर को आपका केस समझने में दिक्‍कत नहीं होगी।


मेडीकल सलाह को गंभीरता से लेना :

अगर आपको डायबटीज है तो डॉक्‍टर की हर सलाह मानें। प्रेग्‍नेंसी के दौरान कोई रिस्‍क न लें, पूरा परहेज करें और समय पर दवाईयों का सेवन करें। खुद से किसी प्रकार की कोई भी दवा न खाएं, ऐसा करना आपके और बच्‍चे, दोनों के लिए घातक है।

शुगर मरीज को व्रत रखने व तोड़ने के वक़्त थोड़ी एहतियात बरतनी होगी।




हमारे देश में व्रत का अपना अलग ही महत्‍व है फिर चाहे वह शिवरात्रि हो या नवरात्रे। लोग पूरी श्रृद्धा और आस्‍था के साथ अराधना करते हैं। यूं तो व्रत के कई फायदे हैं, लेकिन अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो आपको थोड़ी एहतियात बरतनी होगी। क्‍योंकि डायबिटीज रोगी के व्रत रखने से उसके ब्लड शुगर लेवल में तेजी से परिवर्तन होने लगता है जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ सकती है। इसलिए यह जानना बेहद जरूरी है कि अगर व्रत के दौरान आपका ब्लड शुगर लेवल अचानक कम हो जाए या बढ़ जाए तो उस स्थिति में आपको क्या करना चाहिए। आइए आपकी इस परेशानी का हल हम आपको बताते हैं।

शुगर लेवल का अचानक से बढ़ना

कई बार हम मीठे से व्रत तोड़ते हैं। ऐसा करने से ब्‍लड शुगर लेवल अचानक से बढ़ जाता है। हालांकि यह बहुत ज्यादा नहीं बढ़ता है लेकिन फिर भी अगर ऐसा हो तो डॉक्टर खासतौर पर कुछ ऐसे दवाइयां देते हैं जो व्रत खोलने से पहले आपको खानी चाहिए। इन दवाइयों को खाने से ब्लड ग्लूकोज लेवल नियंत्रित रहता है। लेकिन समस्‍या यह कि आपको पता कैसे चले कि यह लक्षण शुगल लेवल के कम होने के हैं तो हम आपको बता दें कि अगर आप थका हुआ महसूस कर रहे हैं और बार-बार यूरीन आ रहा है तो समझ लीजिए कि आपका ब्लड शुगर लेवल बढ़ रहा है। अगर आप इन्सुलिन लेते हैं तो व्रत खोलते समय इसे ले सकते हैं।

डायबिटीज से ग्रस्‍त लोगों को अपना इलाज स्‍वयं से नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे उनकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। अगर आपकी उम्र ज्‍यादा है और व्रत के दौरान आपका शुगर लेवल तेजी से गिरता है या फिर आपको किडनी से जुड़ी बीमारी है तो आपको व्रत रखने से बचना चाहिए। लेकिन अगर आपको सिर्फ डायबिटीज है तो कुछ सावधानियां बरतते हुए आप व्रत रख सकते हैं। लेकिन व्रत रखने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें।


शुगर लेवल का अचानक से कम होना

अगर आप डायबिटीज से ग्रस्‍त हैं और आपका डायबिटीज का इलाज चल रहा है तो ऐसे में व्रत रखने से पहले डॉक्टर से बातचीत जरूर करें। ऐसा इसलिए क्योंकि डॉक्टर डाइट की मात्रा के हिसाब से आपकी दवाइयों की मात्रा बदल देते हैं। खासतौर पर ऐसे व्रत के दौरान जब आप लंबे समय तक कुछ नही खाते तो ब्लड शुगर लेवल काफी कम हो जाता है। 
अगर व्रत के दौरान ब्लड शुगर का स्‍तर सामान्‍य से बहुत ज्यादा कम हो जाए तो सबसे पहले घर में मौजूद कोई मीठी चीज या फिर एक दो चम्मच चीनी खाएं। इसका असर तुरंत होता है और आपको आराम मिलेगा। एक चम्मच चीनी का असर सिर्फ 25-30 मिनट तक ही होता है इसलिए अगर मीठा खाने के बाद भी कोई सुधार नहीं हो रहा है तो अगले व्रत ना रखें। अगर ब्लड ग्लूकोज लेवल इतना कम हो जाए कि आप खुद से कुछ कर पाने की स्थिति में ना रहे तो ऐसे में अपने किसी परिचित से कहें कि वे आपको मीठी चीज खिलाएं और तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जायें। 

दोस्तो मेरी तो ये ही सलाह है कि अगर आप शुगर के मरीज है तो व्रत मत ही रखे।


शरीर में शुगर लेवल बढ़ने पर मिलते हैं ये संकेत




दोस्तो शरीर में शुगर लेवल का बढ़ना या कम होना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। शुगर लेवल अनकंट्रोल होने पर शरीर के कई ऑगर्न्स डैमेज भी हो सकते है। इसलिए शरीर में शुगर लेवल का सही होना बहुत जरूरी होता है। वैसे तो ज्यादातर यह परेशानी लगातार काम और स्ट्रेस हो सकता है। मार्किट में मिलने वाली कई चीजों में भी बहुत ज्यादा मात्रा में शुगर पाई जाती है, जिसे आप रोजाना लेते है। इसके अलावा घर पर बने भोजन में भी कम से कम 12 चम्मच चीनी की मात्रा होती है, जो सेहत के लिए खतरनाक है। कुछ लोगों को इसकी जानकारी और लक्षण न पता होने के कारण वो इस इसके प्रति सतर्क नहीं हो पाते लेकिन कुछ साधारण संकेतों से पता लगाया जा सकता है कि आप बहुत अधिक मात्रा में शुगर ले रहें है।


शरीर में शुगर का स्तर 70 से 110 मिलीग्राम होना चाहिए। शुगर लेवल 110 से 125 तक होने पर भी घबराने की बात नहीं है लेकिन लेवल इससे ज्यादा बढ़ने पर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप इसके लक्षणों को जानकर शुगर लेवल कंट्रोल करें। तो चलिए जानते है शरीर में शुगर लेवल बढ़ने पर क्या-क्या संकेत मिलते है।

शुगर लेवल बढ़ने के संकेत

1. त्वचा में झुर्रियां
समय से पहले चेहरे पर झुर्रियों का पड़ना शुगर लेवल बढ़ने का संकेत होता है। इसके साथ-साथ चेहरे पर दाग-धब्बे, मुंहासे और लाल धब्बे पड़ने लगते है।


2. लो एनर्जी
शरीर में शुगर बढ़ने पर आपकी ऊर्जा कम हो जाती है। दरअसल शुगर शरीर की सारी ऊर्जा को सोख लेती है, जिससे आपको थकान महसूस होने लगती है। इससे आप थोड़ी दूर चलने या कोई भी काम करके थक जाते है।

3. सूजन
शरीर में शुगर बढ़ने पर बैक्टीरिया पनपने लगते है। इसके कारण खाना खाने के बाद पेट में दर्द, गैस, पेट का फूलना और पेट में सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।


4. बार-बार बीमार पड़ना
खून में शुगर लेवल ज्यादा हो जाने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। जिससे बार-बार बीमार पढ़ना या चोट का कई दिनों तक ठीक न होना और ज्यादा यूरिन आना की प्रॉब्लम हो जाती है।


5. वजन बढ़ना
शरीर शुगर को ऊर्जा में बदल नहीं पाता, जिसके कारण पेट या कमर के आसापस चर्बी इकट्ठी हो जाती है। इसकी के कारण शरीर में मोटापा बढ़ने लगता है।

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6. कमजोर इम्यून सिस्टम
इम्यून सिस्टम का 70% हिस्सा शरीर से बैक्टीरिया को निकालने का काम करता है लेकिन शुगर की मात्रा ज्यादा होने पर यह ठीक से काम नहीं करता। इसी के कारण आपको कब्ज और छोटी-मोटी पेट संबंधित समस्याएं होती रहती है।


7. अनिद्रा
भोजन में शुगर की मात्रा ज्यादा होने पर आपको ठीक से नींद नहीं आती है। इसके अलावा रोजाना अधिक मात्रा में शुगर का सेवन अनिद्रा की समस्या भी पैदा कर सकता है।


शुगर के लक्षण और कारण




1, शुगर के लक्षण और कारण
शुगर एक ऐसी पुरानी बीमारी है जिसमें असामान्य रूप से रक्त में शर्करा (ग्लूकोज) का उच्च स्तर हो जाता है। जब पैक्रियास द्वारा उत्पादित इंसुलिन रक्त में ग्लूकोज को कम करता है तो इंसुलिन का शरीर में संतुलन बिगड़ हो जाता है और शरीर इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता। ये शरीर में शुगर (मधुमेह) का कारण बनता है।


2, शुगर दो प्रकार के होते हैं:
टाइप 1 मधुमेह टाइप 2 मधुमेह टाइप 1 मधुमेह के लक्षण शरीर में एक सप्ताह के अंदर दिखने लगते है लेकिन टाइप 2 मधुमेह के लक्षण अक्सर धीरे-धीरे कई वर्षों के दौरान विकसित होते हैं।


3, शुगर के लक्षणों में शामिल हैं -
•शरीर में बार-बार संक्रमण होना •जी मिचलाना, •उल्टी और मतली •धुंधली दृष्टि •भूख ज्यादा लगना या बिलकुल न लगना •निर्जलीकरण •वजन घटना या कम होना •अधिक थकान का महसूस होना •शुष्क मुंह


4, शुगर के लक्षणों में शामिल हैं -
•किसी घाव का धीमी गति से भरना •त्वचा पर अचानक खुजली होना •शरीर में संक्रमण के लिए संवेदनशीलता में वृद्धि •अधिक प्यास लगना •बार-बार पेशाब आना •पैर या हाथों में सुन्नता या झुनझुनी •शरीर में कमज़ोरी आना


5, शुगर के आम कारण
शुगर के आम कारणों से भी शुगर का ज्ञात होता है। इसके कारण हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग होते है। मधुमेह के कारण जेनेटिक, पारिवारिक, स्वास्थ्य संबंधी और पर्यावरणीय कारकों के आधार पर अलग-अलग होते हैं। शुगर का कोई निश्चित कारण नहीं है। हर व्यक्ति के लिए इसके प्रकार और कारण भिन्न होते हैं।


6, टाइप 1 शुगर के कारण
•प्रतिरक्षा प्रणाली में कमी आना •संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर का कमज़ोर होना •शरीर में पैंक्रियास द्वारा इंसुलिन का कम उत्पादन •वायरल या जीवाणु संक्रमण •भोजन के भीतर रसायनिक विष •अज्ञात घटक जिससे ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया होती है


7, टाइप 2 शुगर के कारण
•अस्त-व्यस्त जीवन शैली •अधिक वजन, मोटापा •शारीरिक निष्क्रियता


8, शुगर के अन्य कारण
•इंसुलिन प्रतिरोध: शुगर आम तौर पर इंसुलिन प्रतिरोध से शुरू होता है। ये ऐसी स्थिति होती है जिसमें मांसपेशियों, यकृत और वसा कोशिकाओं में इंसुलिन अच्छी तरह से प्रयोग नहीं हो पाता है।


9, इंसुलिन प्रतिरोध:
ग्लूकोज कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए आपके शरीर को अधिक इंसुलिन की आवश्यकता होती है लेकिन पैंक्रियास पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है और शरीर में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है।


10, जीन और परिवार में शुगर का इतिहास:
टाइप 1 डायबिटीज के रूप में कुछ जीन शरीर में टाइप 2 मधुमेह विकसित करने की अधिक संभावना रखते सकते हैं। यह रोग परिवार में किसी सदस्य, जैसे माता-पिता को होने पर बच्चों में हो सकता है।


11, आनुवंशिक उत्परिवर्तन
शुगर का एक कारण जीन में उत्परिवर्तन या परिवर्तन होता है। इन परिवर्तनों को आमतौर पर परिवारों के माध्यम से पारित किया जाता है लेकिन कभी-कभी जीन उत्परिवर्तन अपने आप ही होता है। इनमें से अधिकांश जीन म्यूटेशन से मधुमेह का कारण होता है जिससे इंसुलिन कम हो सकता है। मधुमेहका ये सबसे आम प्रकार नवजात मधुमेह और युवाओं में शुरू होता है।


12, हार्मोनल परिवर्तन
कुछ हार्मोनल बीमारियों से शरीर में बहुत अधिक हार्मोन उत्पन्न होने लगता है जो कभी-कभी इंसुलिन प्रतिरोध और मधुमेह का कारण बनता है।


13, दवाईयो का असर
कभी-कभी कुछ दवाइयां बीटा कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती हैं जिससे इंसुलिन के उत्पादन में बाधा आ सकती हैं।


14, इसमें शामिल है
नियासिन, विटामिन बी 3 का एक प्रकार, कुछ प्रकार की मूत्रवर्धक दवाइयां, मानव इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) के उपचार के लिए दवाएं, पेंटामाइडेन, एक प्रकार की निमोनिया के इलाज के लिए इस्तेमाल दवा, ग्लूकोकार्टिकोआड्स-दवाइयां जो सूजन संबंधी बीमारियों का इलाज करती हैं जैसे कि संधिशोथ, अस्थमा, ल्यूपस और अल्सरेटिव कोलाइटिस आदि।ऐसे ही ओर अछे articles के लिए जुड़े रहे ( normaladvices.blogspot.com ) से।


तो हम ने जाना कि क्या होते है शुगर के लक्षण और कारण तो चलो आगे चल ते है next topic पर


हाइपोग्लाइसीमिया क्या है, उपचार, कारण तथा शुगर लेवल कम होने पर बचाव के टिप्स



डायबिटीज के साथ जीवन में दो समस्याएं कभी भी आ सकती हैं। पहली जिसमें ब्लड शुगर अचानक कम हो जाती है; और दूसरी, जिसमें रोग के प्रति ढील बरतने से शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। इन दोनों कठिन स्थितियों के लक्षणों को ठीक-ठीक पहचानना और उनके प्रति सजग रहना हर रोगी और उसके परिवारजनों के बहुत जरुरी है। 

हाइपोग्लाइसीमिया, हाइपरग्लाइसीमिया और मधुमेह संबंधी बेहोशी उस स्टेज को कहते हैं जब खून में ग्लूकोज़ की मात्रा सामान्य से घट जाती है या शुगर लेवल कम हो जाता है। वैसे तो हाइपोग्लाइसीमिया के कई कारण होते हैं, परंतु मधुमेह के मरीजो में इसके होने के प्रमुख कारण, लक्षण, प्राथमिक इलाज और शुगर कम होने पर क्या करे? ये जानकारी एक मधुमेही को जरुर होनी चाहिए | साथ ही लो शुगर के इलाज पूरी जानकारी देने का प्रयास भी करेंगे |


लो शुगर से मधुमेह में होने वाली बेहोशी 

डायबिटीज में बेहोशी की दो अवस्था में होती है। पहली अवस्था में खून में ग्लूकोस सामान्य से बहुत बढ़ जाती है और रोगी बेहोश हो जाता है। इसे (Hyperglycaemic Coma) कहते हैं | दूसरे प्रकार की अवस्था में रक्त में शर्करा (ग्लूकोस) सामान्य से बहुत घट जाती है जिससे रोगी बेहोश हो जाता है। इसे ‘हाइपोग्लाइसीमिक (Hypoglycaemic Coma) कहते हैं |जब खून में शुगर की मात्रा 70 मिली ग्राम से कम हो जाती है तो हाइपोग्लाइसेमिया और 50 मिली ग्राम से भी कम है तो ये सीवियर हाइपोग्लाइसीमिया माना जाता है |स्वस्थ शरीर 60 mg/dl की ब्लड शुगर भी आसानी से सह लेता है। लेकिन डायबिटीज में शरीर बढ़ी हुई ब्लड शुगर का इतना आदी हो जाता है कि ब्लड शुगर का थोड़ा भी कम होना उसे सहन नहीं होता। ब्लड शुगर की यह सीमा हर किसी में थोड़ी अलग-अलग होती है और उसे किसी निश्चित आँकड़े में नहीं बाँधा जा सकता, लेकिन डायबिटीज में ब्लड शुगर के 60 या 70 mg/dl पर पहुँचने से पहले ही खतरे की घंटी बज जाती है।


शुगर लेवल कम होने (हाइपोग्लाइसीमिया ) के मुख्य कारण

हाइपोग्लाइसीमिया : शुगर लेवल कम होने के लक्षण, कारण, बचाव के उपाय

इंसुलिन या दवाई लेने के बाद भोजन न कर पाना।हाइपोग्लाइसीमिया इंसुलिन लेने वाले मरीजों में अधिक होता है, पर कभी-कभी डायबिटीज-रोधी गोलियाँ लेने वाले मरीज भी इस इमरजेंसी में फँस जाते हैं।व्रत-उपवास से भी यह परेशानी जन्म ले सकती है। साधारण इंसुलिन लेने वालों में अधिक इंसुलिन लेने से दो-तीन घंटों के बाद ही ब्लड शुगर घटने (हाइपोग्लाइसीमिया) के लक्षण प्रकट हो जाते हैं। जैसे ही लक्षण दिखें, वैसे ही ग्लूकोज ले लेने से खतरा टाला जा सकता है। लंबे समय तक असर करने वाली इंसुलिन जैसे अल्ट्रालेंटे और पी.जेड.आई. इंसुलिन के साथ ढील बरतना अधिक खतरनाक होता है। उनका असर कई घंटों तक बना रहता है।मधुमेह के मरीज का कभी भी अपने मन से दवा लेने और छोड़ने की आदत भी हाइपोग्लाइसीमिया का एक कारण है |शुगर कम होने के कारणों में इंसुलिन या दवाई की मात्रा जरुरत से अधिक ले लेने पर या भूलवश दो बार ले लेना।आवश्यकता से अधिक शारीरिक श्रम या कसरत, डायबिटिक बच्चों में अधिक खेलने से होने वाली थकान |अत्यधिक शराब का सेवन करने और खाना नहीं खा पाने पर भी हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता हैइंसुलिन को त्वचा के नीचे (सबक्सूटेनियस) लगाने के बजाय नस में (इन्ट्रावीनस) लगा देने पर।रोजाना व्यायाम कम करने से डायबिटिक को इंसुलिन की ज्यादा जरूरत पड़ने लगती है | जो समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ती जाती है जो हाइपरग्लासीमिया को जन्म देती हैं 
|‘थायरोक्सीन’ नामक हार्मोन अपने स्वभाव से इंसुलिन विरोधी होता है। इसलिए थायरोक्सीन की मात्रा बढ़ने पर हाइपरग्लासीमिया हो जाता है |कुछ डायबिटिक स्त्रियों में हाइपोग्लाइसीमिया गर्भावस्था में बन सकती है।खान-पान संबंधी नियमों का पालन न करने पर भी हाइपरग्लासीमिया या बेहोशी हो जाती है।ग्लूकोज़ घटने पर शरीर में फैट और प्रोटीन की टूट-फूट होने लगती है | वसा (फैट) के विकारों से शरीर में कीटोनी पदार्थ बनने लगते हैं, जो दिमाग को प्रभावित करके बेहोशी का कारण बनते हैं |सल्फोनिलयूरिया वर्ग की डायबिटीज की दवाओं जैसे, ग्लाइबेनक्लेमाइड (डायोनिल), ग्लाइपीजाइड (ग्लाइनेज), ग्लाइक्लाजाइड (डायमाइक्रोन), ग्लाइमेपेराइड (ग्लिमर), टॉलब्यूटामाइड (रस्टीनॉन) और क्लोरप्रोपामाइड (डायबिनीज) के साथ भी ब्लड शुगर घटने की आशंका काफी होती है।

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हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षणों पर एक नजर डालते हैं


शुगर लेवल कम होने के लक्षण :

ज्यादातर लोगों को खून में ग्लूकोज़ की मात्रा बहुत कम हो जाने पर इसकी चेतावनी देने वाले लक्षण नजर आते हैं। शुगर कम होने के लक्षण इस प्रकार होते हैं :-

चक्कर आना या सिर घूमनाज्यादा भूख महसूस होनासिर में दर्द होनापहले से ज्यादा पसीना आनापैरों में लड़खड़ाहटरंग पीला होना दिल की धड़कन तेज होनाशुगर कम होने पर स्पष्ट रूप से सोच न पाना या सोचने की शक्ति में कमी हो सकती हैं |बोलने में कठिनाई का अनुभव, सिरदर्द |हाथ-पैरों में कंपन |जल्दी गुस्सा आना अजीब सा व्यवहार करना |आँखों से धुंधला दिखाई देना ।दिल की धड़कन तेज हो जाती है।शरीर में कंपन | शरीर का ठंडा पड़ जाना |उँगलियों में झुनझुनी महसूस होना |शुगर कम होने पर चलने में लड़खड़ाहट या परेशानी होने लगती हैं |शुगर कम होने पर सुस्ती और जरुरत से ज्यादा थकावट महसूस होना |आंख के सामने अंधेरा छा जाना |एक की बजाय चीजें दो-दो दिखाई देना |और अंत में बेहोशी व मिर्गी जैसा दौरा पड़नाबेहोशी छाने से पहले मरीज के चेहरे पर थकान दिखाई पड़ने लगती है। त्वचा शुष्क हो जाती है और चेहरा लाल हो जाता हैं ।लो शुगर इफेक्ट्स के अन्य लक्षणों में प्यास बढ़ जाती है, और अधिक पानी पीने पर उल्टियां होने लगती हैं।शुगर कम होने पर धीरे-धीरे घबराहट बढ़ने लगती है और नींद भी आने लगती है जो आखिरकार बेहोशी में बदल जाती है।हाइपोग्लाइसीमिया होने पर शुरू में नाड़ी भी तेज होती है, पर बाद में धीमी पड़ जाती है। ब्लड प्रेशर गिरने लगता है, साँस की गति बढ़ती है और बाद में रूकावट पैदा हो जाती है।नाक में फलों जैसी गंध आने लगती है जो कीटोनी पदाथों द्वारा उत्पन्न होती है। समय पर इलाज न मिलने पर मरीज की हालात और भी खराब हो सकती हैं |

ब्लड शुगर घटने (हाइपोग्लाइसीमिया) का असर व्यवहार पर भी पड़ सकता है। अच्छा-भला आदमी अपने स्वभाव के विपरीत अचानक लड़ाई-झगड़े और गाली गलौज पर उतर सकता है। अच्छे-बुरे की समझ गुम हो जाती है। कोई-कोई रोगी तो हिंसक तक हो उठता है। कुछ रोगी खासकर बच्चे अचानक ही बिल्कुल सुस्त हो जाते हैं। अब भी सुध न ली जाए तो बेहोशी छा जाती है, दौरे पड़ सकते हैं और व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है। यह स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है।


हाइपोग्लाइसीमिया से बचाव और प्राथमिक चिकित्सा

शुगर लेवल कम होने पर क्या करे – सबसे पहले यह जानना बहुत जरुरी होता है की ग्लूकोस कम होने से परेशानी है या ज्यादा होने से क्योंकि दोनों के लक्षण लगभग समान ही होते हैं | इसलिए यह सुनिश्चित करना बेहद जरुरी होता है की शुगर लेवल कम है या ज्यादा ताकि उसी के अनुसार जल्दी से उपचार के सही कदम उठाने शुरू किये जाएँ | यदि आपको ऐसी समस्या का सामना बार-बार करना पड़ता है तो, सबसे पहले आप हमेशा अपने साथ शुगर जांचने की मशीन जरुर रखें, आजकल बाजार में कई Portable Glucometer मौजूद है जो उपयोग करने में तथा साथ रखने में भी सुविधाजनक होते है |आपके पास हमेशा खाने-पीने की कोई मीठी चीज होनी चाहिए, जिसे आप हाइपोग्लाइसीमिया होने पर इमरजेंसी में इसका इस्तेमाल कर सकें।हाइपोग्लाइसीमिया से बचाव के लिए अधिक भारी काम या अचानक अधिक व्यायाम ना करें | इंसुलिन मुंह से नहीं लें। खाली पेट व्यायाम नहीं करें और उपवास या व्रत ना करें |अपनी दिनचर्या ठीक रखनी चाहिए | एक निर्धारित समय पर ही खाए-पियें और दवा लें |घाव को खुला नहीं छोड़ें।


हाइपोग्लाइसीमिया के उपचार और हाइपोग्लाइसीमिया की सावधानियां

याद रहे, जो लोग इंसुलिन के इंजेक्शन लगाते हैं अथवा मधुमेह संबंधी अन्य दवाइयां खाते हैं उन्हीं लोगों में प्राय: ‘हाइपोग्लाइसीमिक कोमा” होता है। इसलिए इंसुलिन लगाने वाले रोगी को चाहिए कि वे हमेशा अपने साथ ग्लूकोज़ रखे-ताकि चक्कर आते ही ग्लूकोज़ खाने से बेहोशी रुक सके।अगर आपको ठीक से पता न हो कि यह हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण ही है तो आपको अपने खून का परीक्षण करके उसमें ग्लूकोज़ की मात्रा को टेस्ट चाहिए।कभी-कभी हाइपोग्लाइसीमिया होने पर आपके खून का अपने आप टेस्ट करना मुश्किल हो जाता है। यह काम आपके आसपास मौजूद लोग ही कर सकते है |यदि मरीज होश में हो तो उसे ग्लूकोज़ का शरबत पिलाएं।यह भी ध्यान रखें कि बेहोशी की हालत में उसके मुँह में बिल्कुल कुछ न डालें। जबरदस्ती मुँह में पानी उड़ेलने की कोशिश बिल्कुल न करें इससे मरीज का दम घुंट सकता है। डॉक्टर नसों के रास्ते ग्लूकोज़ देकर स्थिति को सँभालने की कोशिश करता है। ऐसे में ग्लूकागोन हार्मोन का इंजेक्शन लगाकर भी मरीज की जान बचाई जा सकती है। ग्लूकागोन इंसुलिन के बिल्कुल विपरीत काम करता है और ब्लड शुगर बढ़ा देता है। |हाइपोग्लाइसीमिया से बेहोश होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। किसी से ग्लूकोज़ के इंजेक्शन इन्ट्रावीनस लगवाएं।


इंजेक्शन : तरीका, सावधानी, साइड इफ़ेक्ट

हाइपोग्लाइसीमिया का ध्यान रखने के लिए और शुगर बढ़ाने के उपाय के लिए आपके पास ऐसी मीठी वस्तु अवश्य हमेशा होनी चाहिए, जो आपके खून में जल्दी पहुंच सके जैसे कि फलों के रस का एक गिलास, टॉफी या ग्लूकोज की गोलियां।डायबिटीज रोगियों के लिए 1200 तथा 1800 कैलोरी का डाइट चार्ट इसके बाद रोगी को एक सैंडविच या बिस्कुट या फिर अनाज या फल का टुकड़ा खाने को दें।

हाइपोग्लाइसीमिया का इलाज न किए जाने पर आप बेहोश हो सकते हैं। उसके बाद आपका शरीर खून में जमा अपने ग्लूकोज़ के भंडार का प्रयोग करेगा ।



शुगर कम होने पर क्या करे

शुगर कम होने पर मरीज को तुरंत हॉस्पिटल में दिखाया जाना चाहिए और डॉक्टर को बताना चाहिए कि ये मधुमेह से पीड़ित है और हाइपोग्लाइसीमिया (शुगर कम होने) से बेहोश हो गये है।

हाइपोग्लाइसीमिया से बचने के कुछ अन्य सुझाव इस प्रकार हैं 

शुगर कम होने पर यह बेहोशी धीरे धीरे आती है, इसलिए जैसे ही लक्षण दिखाई पड़ते हैं, फर्स्ट ऐड लेने के बाद डॉक्टर के पास जाना चाहिए ।शुगर के रोगी को थोड़ी -थोड़ी मात्रा में दिन में कई बार हल्का खाना लेना चाहिए |

सभी मधुमेह के रोगियों को हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षणों और इसके जाँच की विधि सीखनी चाहिए।कोशिश यही होनी चाहिए कि हाइपोग्लाइसीमिया जीवन में कभी न आए। थोड़ा सा अनुशासन रखने से ही स्थिति सँभली रह सकती है। चाहे कितने ही व्यस्त हों, भोजन समय से करें। यह छोटी सी सावधानी हाइपोग्लाइसीमिया से बचा सकती है। इंसुलिन या डायबिटीज-रोधी गोलियाँ लेने में भी भूल-चूक माफ नहीं होती है और एक साथ बहुत मेहनत-मशक्कत और वर्क-आउट करने से भी ब्लड शुगर घट सकती है।कभी भी इस असमंजस में न फंसे कि शायद ऐसे ही कुछ परेशानी हो रही है। यदि गलती भी हो गई और थोड़ी देर के लिए ब्लड शुगर बढ़ भी गई तो कोई मुश्किल नहीं होने वाली; पर कहीं ब्लड शुगर कम हुई तो देर होने से जान खतरे में पड़ सकती है।जिनको बार-बार हाइपोग्लाइसीमिया होता हो तो ऐसे मरीजों को अकेले घर से बाहर जाने नहीं देना चाहिए और उनको वाहन भी अकेले नहीं चलाना चाहिए |अपने परिवार के सदस्यों, संगी-साथियों और मित्रों को यह बताकर रखें कि कभी उन्हें आपके व्यवहार में बेतुकापन दिखे, तो गलत न समझें |हाइपोग्लाइसीमिया के रेगुलर मरीजों की जेब में एक पहचान पत्र रखना चाहिए। इस पर उनका नाम, पता, टेलीफोन नंबर, डॉक्टर का नाम, रोग और दवा की जानकारी दी जानी चाहिए ताकि घर के बाहर समस्या पैदा होने पर जल्द ही इलाज शुरू किया जा सके।

हाइपोग्लाइसीमिया में आपके पास में कोई न हो तो आपातकालीन नंबर जैसे एम्बुलेंस, पुलिस को भी फोन करके मदद मांग सकते है हालांकि यह काम उनके कार्यक्षेत्र में नहीं आता है। पास में कोई डॉक्टर हो, तो उसे भी फोन कर सकते हैं। यह ध्यान रखें कि देर तक ब्लड शुगर कम बनी रहने से दिमाग की कोशिकाओं का हमेशा के लिए नुकसान हो सकता है, जिसकी फिर भरपाई मुश्किल होती है।Benedict’s Qualitative Reagent से मूत्र परीक्षण (Urine Test) आसान है। यदि इस परीक्षण में गुलाब या लाल रंग दिखाई पड़े तो समझ लेना चाहिए कि बेहोशी निकट है, इसलिए जल्दी इलाज पर ध्यान देने की आवश्यकता हो जाती है।इसके अलावा यदि पेशाब में कीटोनी पदार्थ पाए जाएं तो बेहोशी की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए ऐसी अवस्था में इलाज पर ध्यान देना चाहिए।समुचित ध्यान देने और इन सब जानकारियों से मधुमेह संबंधी बेहोशी हाइपोग्लाइसीमिया से बचा जा सकता है। इससे बचाव आसान है। इसलिए समय-समय पर पेशाब की जाँच करते रहना चाहिए। हाइपोग्लाइसीमिया को हल्के में बिलकुल नहीं लेना चाहिए इसका तुरंत उपचार करवाना चाहिए।

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डायबिटिक कीटो-एसिडोसिस के लक्षण

अधिक प्यास लगना बार-बार पेशाब आना बहुत कमजोरी महसूस होनासुस्ती छाना पेशियों में दर्द होना सिर में दर्द होनाभूख न लगना जी कच्चा होना और उल्टियाँ होनापेट में दर्द होना, साँस फूलना

उपचार–  कीटो-एसिडोसिस का उपचार अस्पताल या नर्सिंग होम में चौबीसों घंटे भर्ती होकर ही किया जा सकता है। स्थिति की पुष्टि के लिए पहले मूत्र और रक्त की जाँच की जाती है, और फिर तेजी से इलाज शुरू कर दिया जाता है। पूरी कोशिश होती है कि शरीर की बिगड़ी हुई जैव रासायनिकी को जल्द-से-जल्द सुधार लिया जाए, रक्त-अम्लता का स्तर फिर से सामान्य बनाया जाए और शरीर में आई पानी की कमी दूर की जाए। शरीर के किसी अंग में इंफेक्शन हो, तो उसे दूर करने के लिए भी उपयुक्त ऐंटिबायोटिक दवा दी जाती हैं। ब्लड शुगर पर नियंत्रण पाने के लिए इंसुलिन तथा शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट की कमी पूरी करने के लिए उनका घोल शिरा से चढ़ाया जाता है। शुरू के 24 घंटे ठीक-ठाक बीत जाएँ तो मरीज के बचने की आशा बढ़ती जाती है। लेकिन उसे पूरी तरह सुधरने में काफी समय लगता है।


Hyperglycaemic Coma होने का कारण

जो Diabetic अपनी बीमारी पर पूरी तरह ध्यान नहीं देते या इलाज से जुडी सावधानियां नहीं बरतते हैं उनमें एकदम से ब्लड ग्लूकोस बढ़ जाने से ‘हाइपरग्लासीमिक कोमा’ (Hyperglycaemic Coma) की शिकायत हो जाती है। उनके ब्लड में ग्लूकोस की मात्रा सामान्य सीमाओं को पार कर जाती है और बेहोशी का कारण बन जाती है।




तो दोस्तो आज जाना कि कैसे हम ( Apni Sugar ko Control or rok sakte hai ) ओर अपनी अपनी लाइफ को ठीक रख सकते है दोस्तो आप इन सब advices को आपनी लाइफ मैं जरूर Try करे और ऐसे ही ओर अछे articles के लिए जुड़े रहे ( https://normaladvices.blogspot.com/?m=1 ) से।



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