Cervical Pain in hindi


Cervical Pain


Cervical Pain

दोस्तो आज हम बात करे गए cervical pain के बारे मे क्या होता है, क्या क्या प्रॉब्लम होती है और बी बहोत कुछ । इन दिनों कई ऐसी बीमारियाँ हैं जो कुछ साल पहले तक किसी बीमारी की श्रेणी में गिनी ही नहीं जाती थी, जो अब बड़ी तकलीफ बनकर खड़ी हो जाती हैं, जी हां जॉइंट पेन, बैक पेन, सर्वाइकल पेन जैसी शरीरिक तकलीफें ऐसी दर्दनाक होती हैं, जिसे देखने वाला समझ नहीं पाता और झेलने वाला इसके दर्द को बयान नहीं कर पाता। ये समस्याएं आम तो है पर सिर्फ उनके लिए जिनसे अब तक इसका पाला नहीं पड़ा पर जो इस दर्द के साथ जीते हैं उनके लिए हर एक पल काटना भारी हो जाता है। तो दोस्तों आइए आज हम इन्हीं बीमारियों में से एक सर्वाइकल पेन की बात करते हैं। 

यह समस्या हड्डियों से जुड़ी है, जिसके होने पर कंधों, गरदन आदि में भयानक दर्द होता है जिसे हम सर्वाइकल का दर्द कहते हैं। यह समस्या किसी को  भी हो सकती है। आज के दौर में अव्यवस्थित दिनचर्या और अनियमितताओं के कारण लगभग हर तीसरे व्यक्ति को सर्वाइकल की परेशानी सहनी पडती हैं। घंटों बैठे रहना, खराब पोश्चर, झुक कर बैठना और कई अन्य गलत आदतों की वजह से इस परेशानी का सामना बड़ी तादाद में लोगों को करना पड़ता है पर हमें अपनी आदतों या इससे बचने के उपाय नहीं मालूम होते इसलिए हम सभी को सर्वाइकल दर्द की वजह, लक्षण और इसके आसान उपचार की जानकारी होनी बहुत जरूरी है । तो आज ये ही सब जानकारी आप को मैं इस article के जरिए बताऊ गा । तो चलिए जानते है।

Kuch points mai aap ko ye article batuga jis se ye article aap ko ache se smaj aa jay ga

1, सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस: लक्षण और कारण

2, सर्वाइकल पेन का इलाज

3, सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के कारण, संकेत, लक्षण एवं उपचार

4, सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस

5, क्‍या आप देर तक गर्दन झुकाकर काम करते है हो सकता है सर्वाइकल

6, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस होने के पांच मुख्य लक्षण

7, भागते युग की समस्या- सरवाईकल स्पान्डयलोसिस

8, सर्वाइकल स्पोंडोलाइसिस... सावधानी ही है इसका उपचार

9, इनसे परहेज रखें 

10, गर्दन दर्द से हो सकती है ये गंभीर बीमारी, जानें लक्षण व कारण

11, कौन से लोग 'Cervical pain' के होते हैं जल्दी शिकार

12, महिलाओं को अधिक झेलनी पड़ती है सर्वाइकल (गर्दन का दर्द) की परेशानी

13, घर बैठे ठीक करें सर्वाइकल पैन

14, सर्वाइकल मैं चक्कर आना कारण, लक्षण और उपाय

15, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की रामबाण चिकित्सा

16, गर्दन दर्द यानि सर्वाइकल पेन से निजात पाने के लिए अपनाएं ये घरेलू नुस्खे

17, सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस (गर्दन दर्द) को योग द्वारा ठीक करने के उपाय

18, योगा के ये 4 आसन आपको दिला सकते हैं सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस से छुटकारा

19, सरल योग आसन जो गर्दन के दर्द से छुटकारा दिलाते है

To chalo dosto jante hai en sab topic k bare....




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सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस: लक्षण और कारण


Cervical Pain


लक्षण

गर्दन का दर्द जो कन्धों और भुजाओं तक फ़ैल जाता है।

गर्दन में जकड़न जो समय के साथ और बढ़ती है।

कन्धों, भुजाओं, और (अपवादस्वरूप) पैरों में झुनझुनी या असामान्य एहसास।

सिरदर्द, खासकर सिर के पिछले हिस्से में।

संतुलन की कमी और चलने में कठिनाई।

मूत्राशय या आंत पर नियंत्रण में कमी।

कारण

स्पोंडिलोसिस आयु सम्बन्धी अपक्षय है लेकिन यह किसी विशेष आयु वर्ग तक सीमित नहीं होता और किसी भी आयु के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है, हालाँकि, वृद्ध लोगों में संभावना ज्यादा होती है। किसी व्यक्ति को स्पोंडिलोसिस उत्पन्न करने के उत्तरदायी कारकों में:अधिक वजनी होना और व्यायाम ना करना।

कार्य गतिविधि

गर्दन में लगी कोई चोट (चाहे सालों पुरानी हो)

भूतकाल में रीढ़ की शल्यक्रिया हुई हो

जीन्स द्वारा

सर्वाइकल पेन का इलाज

 

इन दिनों कई ऐसी बीमारियाँ हैं जो कुछ साल पहले तक किसी बीमारी की श्रेणी में गिनी ही नहीं जाती थी, जो अब बड़ी तकलीफ बनकर खड़ी हो जाती हैं, जी हां जॉइंट पेन, बैक पेन, सर्वाइकल पेन जैसी शरीरिक तकलीफें ऐसी दर्दनाक होती हैं, जिसे देखने वाला समझ नहीं पाता और झेलने वाला इसके दर्द को बयान नहीं कर पाता। ये समस्याएं आम तो है पर सिर्फ उनके लिए जिनसे अब तक इसका पाला नहीं पड़ा पर जो इस दर्द के साथ जीते हैं उनके लिए हर एक पल काटना भारी हो जाता है। तो दोस्तों आइए आज हम इन्हीं बीमारियों में से एक सर्वाइकल पेन की बात करते हैं। 

यह समस्या हड्डियों से जुड़ी है, जिसके होने पर कंधों, गरदन आदि में भयानक दर्द होता है जिसे हम सर्वाइकल का दर्द कहते हैं। यह समस्या किसी को  भी हो सकती है। आज के दौर में अव्यवस्थित दिनचर्या और अनियमितताओं के कारण लगभग हर तीसरे व्यक्ति को सर्वाइकल की परेशानी सहनी पडती हैं। घंटों बैठे रहना, खराब पोश्चर, झुक कर बैठना और कई अन्य गलत आदतों की वजह से इस परेशानी का सामना बड़ी तादाद में लोगों को करना पड़ता है पर हमें अपनी आदतों या इससे बचने के उपाय नहीं मालूम होते इसलिए हम सभी को सर्वाइकल दर्द की वजह, लक्षण और इसके आसान घरेलू उपचार की जानकारी होनी बहुत जरूरी है । 

सर्वाइकल पेन के कारण

गलत पोजीशन में सोने से आपको सर्वाइकल पेन होने लगता है।ज्यादातर लोगों को भारी वजन को सिर पर उठाने से सर्वाइकल पेन होता है।गर्दन को बहुत देर तक झुकाये रखने से भी सर्वाइकल पेन हो सकता है।बहुत देर तक एक ही पोजीशन में बैठने से सर्वाइकल पेन शुरू हो जाता है।ऊंचे और बड़े तकिये का प्रयोग करने से सर्वाइकल पेन होता है।भारी वजन के हेलमेट डालकर बाइक राइडिंग करने से भी सर्वाइकल हो सकता है।गलत उठने, बैठने और सोने के तरीकों के कारण भी सर्वाइकल हो सकता है।

सर्वाइकल पेन के लक्षण

सिर का दर्दगर्दन को हिलाने पर गर्दन में से हड्डियों के टिडक्ने के जैसी आवाज़ का आना। हाथ, बाजू और उंगलियों में कमजोरी महसूस होना या उनका सुन्न हो जाना व्यक्ति को हाथ और पैरों में कमजोरी के कारण चलने में समस्या होना और अपना संतुलन खो देना गर्दन और कंधों पर अकड़न होना 

दोस्तों वैसे तो चिकित्सा विभाग के पास हर बीमारी का इलाज उपलब्ध होता है, पर अक्सर ये दवाएं हमें साइड इफ़ेक्ट के तौर पर दूसरी बीमारियों से मिलवा देती हैं और साथ ही जेब पर भी पड़ता है भारी, तो क्यों ना आप देशी घरेलू नुस्खों की आजमाइश करें जिसके सहारे हमारे बड़े बुजुर्ग डॉक्टर्स से हमेशा दूर रहकर भी हेल्दी रहा करते थे।

गर्दन में दर्द के घरेलू उपाय

1. सही ढंग से सोएं 


अक्सर मुलायम ऊंचे गद्दे और तकिए पर हम सोना पसंद करते हैं । पर यह सर्वाइकल पेन का कारण हो सकता है इसलिए सख्त गद्दे का ही हमेशा प्रयोग करें । ऊंची तकिया से दुश्मनी कर लें तो बेहतर है । अपना सिर जमीन के तल पर रखकर सोने की आदत डाल लें। या ज्यादा से ज्यादा पीठ को 15 डिग्री तक मोड़ने वाले तकिये का प्रयोग करें। पेट के बल ना सोएँ। ये गर्दन को फैलाता है। पीठ के बल या करवट लेकर सोएँ। इससे आपको दर्द से राहत पाने में मदद करेगा और जिन्हें नहीं है वह बचे रहेंगे।


2. गर्म और ठंडा सेख

दर्द कम करने के लिए गर्दन पर ठंडा या गर्म पदार्थ लेकर सिंकाई करें। किसी एक से ही करते रहने के मुकाबले बारी-बारी से गर्म और ठन्डे का प्रयोग करना फायदेमंद होगा ।


3. मसाज 

मसाज करवाना तो वैसे भी कई लोगों को पसंद होता है और यह तुरन्त रिलीफ पहुंचाता है पर सिर्फ बॉडी पेन में ही नहीं बल्कि सर्वाइकल पेन के दर्द से राहत के लिए आप मसाज का सहारा भी ले सकते है। 


4. खूब पानी पियें

हम यूँही नहीं कहते कि जल ही जीवन है । हमारे शरीर का अधिकतम वजन पानी की वजह से होता है क्योंकि शरीर में होने वाले अधिकांश कामो के लिए पानी बहुत महत्वपूर्ण पदार्थ है। साथ ही हमारे रीढ़ की हड्डी के जोड़ो के बीच में डिस्क और जॉइंट होते है उनमे अधिकतर हिस्सा पानी का बना होता है और ऐसे में शरीर में पानी की कमी होने से उनकी कार्यक्षमता में कमी हो जाती है इसलिए जितना हो सके ज्यादा से ज्यादा पानी पियें |


5. स्ट्रेस से बचें

आपको ये सुनकर थोडा अजीब लगेगा कि सर्वाइकल पेन की वजह स्ट्रेस यानी तनाव भी हो सकता है और यह कम से कम 60 फीसदी मामलों में देखा गया है इसलिए अगर आपको पेन है तो आपको इसपर और भी ध्यान देना चाहिए और तनाव को कम करने के लिए उपयोगी कदम उठाने चाहिए।


6. राइट डे शेड्यूल अपनाएं

एक अच्छी दिनचर्या आपके लिए चीजें आसान कर सकती हैं, इसलिए अपनी दिनचर्या में शारीरिक व्यायाम और सही भोजन को शामिल करें और अगर आप  मेहनत वाला काम करते हों तो बिना लापरवाही किए अपने शरीर को भरपुर आराम दें।


7. स्ट्रेच एक्सरसाइज की आदत डालें

अपने शरीर को कुछ छोटे छोटे एक्सरसाइज के साथ आप अपने दर्द से प्रभावित हिस्सों को आराम दे सकते है इनमे कुछ स्ट्रेच एक्सरसाइज भी शामिल है। स्ट्रेच एक्सरसाइज करने से शरीर एवं गर्दन की मास पेशियां खुल जाती है और सर्वाइकल पेन से राहत मिलने लगती है।



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जरूरी आदतें

दोस्तों सर्वाइकल पेन के कारण,लक्षण और इलाज जानने के साथ ही आपको कुछ आदतें छोड़नी और कुछ आदतें जरूरी तौर पर अपनी लाइफस्टाइल में शामिल करनी होंगी  जैसे किज्यादा वजन वाले सामान उठाने की आदत छोड़ दें

वज्रासन, चक्रासन और मत्स्यासन के अलावा गर्दन को गोल गोल घुमाने का अभ्यास करेप्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठकर कम से कम 3 किलोमीटर तेज़ रफ्तार से पैदल चलेंअपने ऑफिस में ज्यादा देर तक एक ही पोजीशन में न बैठकर हर एक घंटे के बाद थोड़ी थोड़ी देर के लिए ब्रेक लेकर थोडा वाक करने की आदत डालें।अगर आप घरेलू महिला है तो ज्यादा देर न सोये और घरेलू कार्यों के बीच थोडा थोडा ब्रेक ले कर आराम करें।बैठ कर फर्श पर पोछा लगाने का शौख पालें इससे काफी आराम मिलेगा। ध्यान रहे यह शुरुआती तकलीफ के लिए बेहतर उपाय हैं लेकिन अगर तकलीफ से राहत ना मिले तो तुरन्त डॉक्टर से संपर्क करें।
  

सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के कारण, संकेत, लक्षण एवं उपचार


Cervical Pain


जब उपास्थियों (नरम हड्डी) और गर्दन की हड्डियों में घिसावट होती है तब सर्वाइकल की समस्या उठेगी। इसे गर्दन के अर्थराइटिस के नाम से भी जाना जाता है। यह प्राय: वृद्धावस्था में उठता है। सर्विकल स्पॉन्डलाइसिस के अन्य दूसरे नाम सर्वाइकल ऑस्टियोआर्थराइटिस, नेक आर्थराइटिस और क्रॉनिक नेक पेन के नाम से जाना जाता है।

सर्वाइकल स्पॉन्डलाइसिस गर्दन के जोड़ों में होने वाले अपक्षय से सम्बंधित है जो उम्र के बढ़ने के साथ बढ़ता है। 60 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों में यह पाया जाता है। इसके कारण अक्षमता या अशक्तता हो जाती है।

बच्चों और युवाओं की तुलना में बूढ़े लोगो में पानी की मात्रा कम होती है जो डिस्क को सूखा और बाद में कमजोर बनाता है। इस समस्या के कारण डिस्क के बीच की जगह गड़बड़ हो जाती है और डिस्क की ऊंचाई में कमी लाता है। ठीक इसी प्रकार गर्दन पर भी बढ़ते दबाव के कारण जोड़ों और या गर्दन का आर्थराइटस होगा।

घुटने के जोड़ की सुरक्षा करने वाली उपास्थियों का यदि क्षय हो जाता है तो हड्डियों में घर्षण होगा। उपास्थियों के कट जाने के बाद कशेरुका को बचाने के लिये हमारा शरीर इन जोड़ों पर नई हड्डियों को बना लेता है। यही बढ़ी हुई हड्डियां अक्सर समस्या खड़ी करती हैं।

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के कारण

सर्वाइकल स्पॉन्डलाइसिस के होने के खतरों की सूची में कई सारे कारक शामिल हैं। नीचे कुछ प्रमुख कारण बताये गये है

विषाक्त पदार्थो को निकालने और स्वस्थ बनाने के लिए

कोई गम्भीर चोट या सदमा गर्दन के दर्द को बढ़ा सकता है।धूम्रपान भी एक महत्तवपूर्ण कारक है।यह आनुवांशिक रूप से हो सकता है।निराशा और चिंता जैसी समस्याओं के कारण हो सकता है।अगर आप ऐसा कोई काम करते है जिसमे आपको गर्दन या सिर को बारबार घुमाना पड़ता हो।

सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के लक्षण।

कई बार गर्दन का दर्द हल्के से लेकर ज्यादा हो सकता है। ऐसा अक्सर ऊपर या नीचे अधिक बार देखने के कारण या गाड़ी चलाने, किताबें पढ़ने के कारण यह दर्द हो सकता है। पर्याप्त आराम और कुछ देर के लिये लेट जाना, काफी फायदेमंद होगा।गर्दन में दर्द और गर्दन में कड़ापन स्थिति को गम्भीर करने वाले मुख्य लक्षण है।सिर का दर्द, मुख्य रूप से पीछे का दर्द इसका लक्षण है।गर्दन को हिलाने पर प्राय:गर्दन में पिसने जैसी आवाज़ का आना।हाथ, भुजा और उंगलियों में कमजोरियां या सुन्नता।व्यक्ति को हाथ और पैरों में कमजोरी के कारण चलने में समस्या होना और अपना संतुलन खो देना।

गर्दन और कंधों पर अकड़न या अंगसंकोच होना।रात में या खड़े होने के बाद या बैठने के बाद,खांसते, छींकते या हंसते समय और कुछ दूर चलने के बाद या जब आप गर्दन को पीछे की तरफ मोड़ते हैं तो दर्द में वृद्धि हो जाना।

गर्दन के पीछे दर्द – गर्दन दर्द की पहचान करने के परीक्षण ।

गर्दन या मेरूदण्ड का एक्स-रे, आर्थराइटिस और दूसरे अन्य मेरूदण्ड में होने वाले को जांचने में किया जाता है।जब व्यक्ति को गर्दन या भुजा में अत्यधिक दर्द होता तो एमआरआई करवाना होगा। अगर आपको हाथ और भुजा में कमजोरी होती है तो भी एमआरआई करना होगा।गर्दन के पीछे दर्द, तंत्रिका जड़ की कार्यप्रणाली को पता लगाने के लिये ईएमजी, तंत्रिका चालन वेग परीक्षण कराना होगा।

गर्दन में दर्द का इलाज – गर्दन दर्द के उपाय ।

अस्वस्थ हृदय के लक्षण

गर्दन दर्द का उपचार, आपका डॉक्टर किसी फिज़ियोथेरेपिस्ट के पास जाने की सलाह दे सकता है। यह भौतिक उपचार आपके दर्द में कमी लायेगा।गर्दन दर्द का उपचार, आप किसी मसाज़ चिकित्सक से भी मिला सकते हैं जो एक्यूपंक्चर और कशेरुका को सही करने का जानकार हो। कुछ ही बार इसका प्रयोग आपको आराम पहुंचायेगा।गरदन का दर्द, ठण्डे और गर्म पैक से चिकित्सा दर्द में कमी लयेगा।स्पोंडलाइटिस के दर्द में कास्टर ऑइल थेरेपी भी मददगार होती है.दर्द में सर्विकल कॉलर की मदद से दर्द में नियंत्रण रखा जा सकता है.गर्दन के लिए एक्सरसाइज, जो किसी विशेषज्ञ की निगरानी में ही की जानी चाहिए.

सर्वाइकल पेन – गर्दन के दर्द का इलाज ।

सर्वाइकल पेन, पानी का ठण्डा पैकेट दर्द करने वाले क्षेत्र पर रखें।आपने तंत्रिका तंत्र को हमेशा नम रखें।गर्दन की नसों को मजबूत करने के लिये गर्दन का व्यायाम करें।अपनी गाड़ी को सड़क पर मिलने वाले गड्ढ़ों पर न चलायें। यह दर्द को बढ़ा देगा।गर्दन दर्द का इलाज, कम्प्यूटर पर अधिक देर तक न बैठें।अगर आपको हाथों और उंगलियों पर सुन्नता होती है तो तुरन्त चिकित्सक से मिलें।सर्वाइकल पेन, विटामिन बी और कैल्शियम से भरपूर आहार का सेवन करें।गर्दन दर्द का इलाज, पीठ के बल बिना तकिया के सोयें। पेट के बल न सोयें।

सर्वाइकल पेन से बचने के उपाय हिंदी में

विटामिन, मिनरल्स और ओमेगा 3 फैटी एसिड का प्रयोग आहार में आवश्यक रूप से करना चाहिए.शरीर में अम्ल बढ़ाने वाले भोजन का प्रयोग बिल्कुल बंद कर दें.खाने में छोटी मछली का प्रयोग फायदेमंद होता है.रोजाना 3 से 5 कच्ची लहसुन की कलियाँ खाने के साथ लें.

सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस

CERVICAL SPONDYLOSIS SYMPTOMS – TREATMENT

सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस एक तरह का पीठ के ऊपरी हिस्से, गर्दन के जोड़ों, कंधों, मांसपेशियों पर होने वाला असहनीय दर्द सुन्न-सूजन, नसों का दबना, झुनझुनाहट जैसे मिलते जुलते लक्षण हैं।

सर्वाइकल पैन अकसर सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस समस्या गलत जीवन शैली, दिनचर्या, शरीर अंगों का गलत क्रियाकलापों और आयु बढ़ने के साथ-साथ शरीर में कैल्शियम – आयरन – विटामिन बी कम्पलैक्स, मैग्नीशियम की कमी की वजह से गर्दन और रीढ़ हड्डी – स्पाइन पर सीधे दुष्प्रभाव करती है। जिससे व्यक्ति सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस से ग्रसित हो जाता है। सर्वाइकल दर्द आरम्भ गर्दन और स्पाइन के आसपास जौड़ नसों से ही आरम्भ होती है। समय पर इलाज नहीं होने पर धीरे-धीरे सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस के दुष्प्रभाव दर्द-सुन्न-सूजन / Cervical Vertebrae शरीर में फैलने लगते हैं। सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस लक्षण महसूस होने पर तुरन्त Cervical Test करवायें। सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस समस्या से बचने के लिए खास बातों जानना और उनपर अमल करना जरूरी हो जाता है।

सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस के बारे में विस्तार से इस प्रकार से है




सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस के लक्षण और प्रकार


1, गर्दन दर्द / Cervical Neck Pain

गलत तरीके से सोने से गर्दन नसें दब जाना, अचानक तीब्र झींक- खांसी आने से, गर्दन पर अतिरिक्त दवाब भार पड़ने से, खड़े और झुकते वक्त अचानक गर्दन मुड़ने से और पुरानी गर्दन चोट से सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस समस्या हो सकती है।

2, गला गर्दन जकड़न / Cervical Neck Spondylosis
अचानक उठते वक्त गर्दन मुड़ना, सुबह हड़बड़ाहट में उठते समय गर्दन कंधें जोड़ से खिसक जाना, मोबाईल, कम्प्यूटर, टीबी के आगे गर्दन झुकाकर, ज्यादा ऊपर कर व्यस्त रहने से गला गर्दन जकड़न सर्वाइकल की समस्या अकसर होती है।

3, सर्वाइकल सरदर्द / Cervical Headache
गर्दन के ठीक निचले हिस्से का तीब्र सर्वाइकल दर्द भी अकसर एक तरह से सरदर्द बन जाता है। कई बार सर्वाकल दर्द गर्दन से सिर तक फैल जाता है।

4, माइलोपैथी सर्वाइकल / Myelopathy Cervical
सर्वाइकल माइलोपैथी गर्दन से लेकर रीढ़ की हड्डी तक को प्रभावित कर देता है। जिसमें मांसपेशियां ऐठन-जकड़न, हाथ, पैरों, एड़ियों, शरीर में झुनझुननाहट (झुनझुनी) होने लगती है। माइलोपैथी सर्वाइकल नाजुक स्थिति में मांसपेशियों, पाचन तंत्र, शरीर जोड़ों को प्रभावित करता है। माइलोपैथी सर्वाइकल एक नाजुक स्थिति मानी जाती है।

5, रेडीकुलोपैथी सर्वाइकल / Radiculopathy Cervical
रेडीकुलोपैथी सर्वाइकल स्थिति में गर्दन दर्द के साथ हाथों की हथेली, पांवों के नीचे दर्द, सुन्न होना पाया जाता है। रेडीकुलोपैथी सर्वाइकल व्यक्ति को रात और सुबह के समय में ज्यादा महसूस होती है। कई बार व्यक्ति गहरी नींद से जाग उठता है

6, स्पाॅन्डिलाइटिस सर्वाइकल / Spondylolisthesis Cervical

गर्दन दर्द के साथ पीठ, कंधें, पसलियों, उगलियों में झनझनाहट होना एक तरह से स्पाॅन्डिलाइटिस सर्वाइकल का लक्षण है। धीरे-धीरे गर्दन से शरीर अंगों में ेचपदंस बवतक दर्द सुन्न समस्या फैलने लगती है। यह नाजुक स्थिति होती है। और स्पाॅन्डिलाइटिस सर्वाइकल में व्यक्ति शरीर अंगों में अचानक होने वाली बदलाव से काफी परेशान अनजान रहता है


7, सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस के कारण / Cervical Spondylosis Causesगर्दन मांसपेशियों में मोच आने से।
गर्दन नसों के दबने पर।

कठोर और ज्यादा ऊंचे तकिए का इस्तेमाल करना।

सोने की गलत पाॅजिशन से।

गर्दन जोड़ों की विकसित होने से।

शरीर में कैल्शियम, आयरन, विटामिन बी कम्पलैक्स, मैग्नीशियम की कमी होना।

भारी वस्तु उठाने से

गर्दन झुकाकर पढ़ने, मोबाईल, टीबी, कम्प्यूटर पर ज्यादा देर व्यस्त रहने से।

गर्दन हडिडयों में पुरानी चोट के कारण।




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8, सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस निवारण उपाय / Cervical Spondylosis Treatment

सिकाई / Sikai, Foment, Stupe

सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस सूजन समस्या में गर्दन पर गर्म पानी 10-15 मिनट बाद सुबह-शाम  सिकाई करने से दर्द से आराम मिलता है।

एक लीटर पानी में 2 चम्मच नमक, लगभग 50 ग्राम अदरक बीरीक पीसकर उबालें। हल्का ठंड़ा होने पर पानी में सूती कपड़ा डुबों कर सिकाई करें। और सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस में दिन में 1 बार ठंड़े पानी से भी सिकाई करना फायदेमंद है।
गाय के घी से मालिश / Cervical Massage

सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस दर्द समस्या में दिन में 2 बार ग्रसित जोड़ों पर देशी घी से मालिश करना फायदेमंद है। गाय के घी सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस दर्द लुब्रिकेट करने में सहायक है।


9, खान-पान परहेज / Cervical Spondylosis Foods
सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस दर्द समस्या में खट्टा, नमकीन, तली भुली चीजें, जंकफूड, दालें, सूजी, चावल, आलू खाने से परहेज करें। फाइबर, कैल्शियम, आयरन युक्त हरी सब्जियां, आटा, कम मीठे फल डाईट में शामिल करना फायदेमंद है। तीखे मीठे रसेले फलों के सेवन से बचें।


करेला, अदरक और नीम फूल पेय / Home Remedies for Cervical Spondylosis

करेला रस, अदरक रस और नीम फूलों का रस सुबह-शाम 2-2 चम्मच सादे पानी के साथ सेवन करने से सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस दर्द समस्या से शीध्र आराम मिलता है।


10, सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस में एन्टी-इंफ्लेमेन्टरी / Cervical Spondylosis Relief

किंचन में खाना बनाने में अदरक, हल्दी, लहसुन, मेथी, अश्वगंधा, तुलसी पत्तों, पुदीना जैसे रिच एंटी इंफ्लेमेन्टरी खाद्यपदार्थ जरूर शामिल – इस्तेमाल करें।

11, औषधि मसाज / Cervical Spondylosis Oil Massage

सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस दर्द सूजन से आराम पाने के लिए जैतून तेल में लहसुन पकाकर ठंड़ा होने पर अच्छे से मालिश करें। और फिस आॅयल से भी दिन में 1-2 बार मसाज करें। सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस दर्द – सूजन – झनझनाहट समस्या ठीक करने में जैतून लहसुन तेल और मछली तेल अचूक मालिश अचूक औषधि रूप है।

सेब सिरका हलसुन रस / Apple Vinegar, Garlic 

5-6 चम्मच सेब सिरका में 3-4 लहसुन पीसकर गर्म करें। ठंड़ा होने पर ग्रसित जगहों पर मालिश करें। सेब सिरका हलसुन सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस सूजन, दर्द, झुनझुनाहट ठीक करने में सहायक है।


12, योगा, व्यायाम  / Yoga Exercises for Cervical Spondylosis

सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस दर्द से आराम के लिए ताड़ासन, पदमासन, सिद्धासन करना फायदेमंद है। सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस दर्द निवारण योगा-आसन नियमित करें। रोज सुबह शाम सैर करें। वजन पर नियंत्रण रखें।

13, शरीर मुद्रा पर ध्यान / Cervical Spondylosis Posture

गर्दन झुकाकर, गलत तरह से सोने, बैठने, अचानक गर्दन मुड़ाने से बचें। सोते समय आरामदायक कम ऊचें तकिए का इस्तेमाल करें। ऊचें तकिए इस्तेमाल से बचें।
तकिए का इस्तेमाल / Pillow for Cervical Spondylosis, Sleeping Postures

सोने समय आरामदायक और समान्तर तकिए का इस्तेमाल करें। ऊंचे और कठोर तकिए इस्तेमाल करने से बचें। सही पाॅजिशन में सायें। गलत तकिया, सोने के गलत तरीके भी एक तरह से सर्वाइकल स्पाॅडिलोसिस समस्या होती है


क्‍या आप देर तक गर्दन झुकाकर काम करते है हो सकता है सर्वाइकल


Cervical Pain


झुकाकर काम करने वालों को अधिक होता है 'सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस'। गर्दन में दर्द होना, दर्द के साथ चक्कर आना आदि हैं इसके प्रमुख लक्षण। गलत तरीके से बैठने की वजह से भी होता है 'सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस'।बचाव के लिए गर्दन के दर्द को अनदेखा ना करें और डॉक्‍टर की सलाह लें।
सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस एक ऐसी बीमारी है जो आम तौर पर गर्दन झुकाकर काम करने वालों को अधिक होती है। इस बीमारी की आशंका अधिकतर उन लोगों में होती है जो आफिस में कुर्सी पर बैठकर गर्दन झुकाकर कई घंटों तक लगातार काम करते रहते हैं। टेबल-कुर्सी पर बैठ कर काम करने वाले अधिकतर लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। चलिये विस्तार से जानते हैं इस रोग के कारण, लक्षण और निदान के बारे में।ऐसे ही ओर अछे articles के लिए जुड़े रहे ( https://normaladvices.blogspot.com ) से।


सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस अर्थात गर्दन का दर्द, गर्दन की सात हड्डियों को प्रभावित करता है। इससे गर्दन में दर्द रहता है और अकडऩ भी महसूस होती है। इसके कारण रीढ़  की गति सीमित हो जाती है और इन हड्डियों की नाडिय़ां जिस किसी भी स्थान से होकर जाती हैं वहां भी दर्द या झुनझुनाहट महसूस होने लगती है। पहले सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस का दर्द आयु के साथ बढ़ता था पर अब दिनचर्या में बदलाव के कारण यह दर्द कम उम्र के लोगों को भी प्रभावित करता है।


सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस के लक्षण

स्पांडिलाइसिस होने के कई लक्षण हो सकते हैं, जैसे गर्दन में दर्द होना, दर्द के साथ चक्कर आना, गर्दन में दर्द के साथ बाजू में दर्द होना तथा हाथों का सुन्न हो जाना। यहां तक गर्दन के आसपास की नसों में दर्द या सूजन भी फैल जाती है। इस रोग के शुरुआत में रोगी को पहले गर्दन में जकडऩ महसूस होती है जो बाद में दर्द का रूप ले लेती है। गर्दन के दर्द के बाद धीरे-धीरे कंधों, बांहों और हाथ की उंगलियों तक दर्द महसूस होने लगता है। गर्दन की सात हड्डियों में से किसी भी हड्डी में गैप बढऩे से या हड्डी के घिस जाने से इस दर्द को महसूस किया जा सकता है। गर्दन दर्द के और भी कारण हैं जैसे गर्दन की टी.बी., बोन ट्यूमर, कई बार गर्दन की हड्डियों में पैदा होने पर ही खराबी होना आदि। बचपन में इन समस्‍याओं का पता नहीं चलता बल्कि इसका पता बड़ी उम्र में आकर लगता है।


सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस के कारण 

एक ही मुद्रा में लंबे अर्से तक सर्वाइकल वर्टिब्रा के प्रयोग तथा व्यायाम न करने से दो कशेरुकाओं के बीच की खाली जगह घटने लगती है। इस स्पांडिलाइटिक चेंज कहते हैं। इससे गर्दन और उसके इर्द-गिर्द दर्द होने लगता है। समय पर इलाज न करने से स्नायुओं पर दबाव बढ़ जाता है जिससे हाथों में भी दर्द होने लगता है। गर्दन की हड्डियों को मांसपेशियों से जोड़ने वाले लिगामेंट में खिंचाव आ जाने से भी यह बीमारी हो सकती है।




बैठने का गलत तरीका

गर्दन का दर्द या स्पांडिलाइसिस की समस्‍या गलत तरीके से बैठने की वजह से होता है। सिर झुकाकर काम करने वाले लोगों या कम्प्यूटर पर काम करने वाले लोगों में सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस से ग्रस्त होने की संभावना अन्य लोगों से अधिक होती है।

चोट के कारण

खेलते समय या किसी अन्य कारण से रीढ़ की हड्डी में चोट लग जाने पर भी स्पांडिलाइसिस हो सकता है। इसके अतिरिक्त अधिक गर्दन झुका कर काम करने, भारी बोझ उठाने और अधिक ऊंचे तकिए पर सोने आदि से भी स्पांडिलाइसिस हो सकता है।

ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण

ऑस्टियोआर्थराइटिस जोड़ों का विकार है, इसमें हड्डियों को सपोर्ट करने वाले सुरक्षात्‍मक कार्टिलेज और कोमल ऊतकों का किसी कारणवश टूटना शुरू हो जाता है। इस समस्‍या के कारण भी व्‍यक्ति स्‍पॉडिलाइसिस से ग्रस्‍त हो सकता है।


क्रोनिक चोट के कारण

कई बार स्‍पॉडिलाइसिस की समस्‍या क्रोनिक चोट के कारण से भी हो सकती है। जैसे बाइक की सवारी करते हुए भारी हेलमेट पहनना, गर्दन की शिकायत या रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर या अव्यवस्था या चोट के कारण।


इन चीजों से बचें 

मोटे और डायबिटीज से पीडि़त लोगों में इस बीमारी की आशंका अधिक पाई जाती है। इस बीमारी से दूर रहने के लिए लोगों को अपने वजन पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। कई बार गर्दन में कोई चोट लगने से भी स्पांडिलाइटिस का दर्द उत्पन्न हो जाता है।



उपचार 

मुलायम सोफे पर बैठने और और मुलायम बिस्तर पर सोने के मोह को छोड़कर सख्त और चपटे बिस्तर पर सोएं। पतले तकिए का इस्तेमाल करें। अगर पूरे दिन झुककर काम करते हैं तो बीच-बीच में उठकर टहलना न भूलें। काम के बाद आफिस से घर पहुंचकर पांच मिनट के लिए व्यायाम अवश्य करें। समय निकालकर प्रात: बेला में व्यायाम करना काफी फायदेमंद होता है। मानसिक तनाव, बेचैनी चिंता आदि से बचें। बस में पिछली सीट पर बैठकर सफर न करें। दर्द अधिक होने पर अल्पकालीन अल्ट्रासोनिक थैरेपी की आवश्यकता पड़ती है, इसे घर पर भी आराम से लिया जा सकता है।


डेस्क जॉब करने वालों को एक घंटे के अंतराल में उठकर एक छोटा-सा चक्कर लगा लेना चाहिए अगर यह संभव न हो तो गर्दन के हल्के-फुल्के व्यायाम कर लें। लांग ड्राइविंग से बचें। अगर जरूरी हो तो थोड़ा बीच में आराम कर लें।लगातार न तो सिलाई मशीन पर काम करें, न ही टीवी अधिक समय तक लगातार देखें। बिस्तर पर बैठकर न पढ़ें। टेबल चेअर पर पढऩे वाले विद्यार्थी टेबल चेअर पर गर्दन और कमर सीधी रखें।


गर्दन के दर्द को अनदेखा कतई ना करें और डॉक्‍टर की सलाह के बिना किसी भी तरह की एक्‍सरसाइज या इलाज न करें। शरीर का पॉश्चर ठीक ना होने से रीढ़ की हड्डी का अलाइनमेंट बिगड़ने से कमर के निचले हिस्से और गर्दन में तेज दर्द होता है, इसलिए इसे ठीक रखें।

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस होने के पांच मुख्य लक्षण

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस बीमारी दिनों दिन अपने पैर पसारने लगी है। युवा भी बड़ी संख्या में इसकी चपेट में आने लगे हैं। ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें  शुरुआती अवस्था में गर्दन में अकड़न व दर्द महसूस होता है जो धीरे-धीरे बढ़ते हुए लगातार बना रहता है। यह दर्द गर्दन को हिलाने डुलाने, ऊपर नीचे लाने से बढ़ जाता है। पर कई बार लोग आम गर्दन दर्द और सर्वाइकल की समस्या में अंतर नहीं कर पाते।

अपोलो हॉस्पिटल के ओर्थोपेडिक्स के सीनियर कंसलटेंट डॉ समरजीत चक्रवर्ती कहते हैं कि ,कभी न कभी हम सभी की हड्डियों से कार्टिलेज कम होने लगता है। जबकि यह एक अनुवांशिक बीमारी भी है। मोटापा, गलत तरीके से बैठना, कमजोर मांसपेशियाँ, रीढ़ की हड्डी पर दवाब होने से इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाती है । सही समय पर इस बीमारी का पता चल जाए तो आप जल्द इससे छुटकारा पा सकते हैं। इसलिए हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे लक्षण जो सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस होने पर सामने आते हैं।


गर्दन में दर्द

लम्बे समय तक खड़े रहने या बैठे रहने पर,रात में सोते समय,छींकते,खांसते या हंसते समय,या फिर गर्दन को इधर उधर घुमाते समय गर्दन में दर्द होना इसका मुख्य लक्षण है। कई लोगों में यह दर्द लगातार बना रहता है जबकि कुछ लोगों में अचानक से तेज दर्द उठता है।

गले में जकड़न 

रात को सोकर सुबह उठने पर अक्सर हमारे गले में जकड़न हो जाती है कभी – कभी तो यह बहुत ही कष्टदायी होता है। आपको गर्दन घुमाने पर कुछ घिसने की आवाजें भी आ सकती हैं,और आपको गर्दन घुमाने या झुकाने में बहुत दिक्कत का सामना भी करना पड सकता है ।



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सरदर्द 

इस अवस्था में यह दर्द अक्सर गर्दन के पिछले हिस्से से शुरू होकर धीरे धीरे सिर के अगले हिस्से तक बढ़ता है।

सर्वाइकल माइलोपैथी (Cervical myelopathy )

यह अवस्था गंभीर रूप से सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस होने में पायी जाती है जो की स्पाइनल स्टेनोसिस ( रीड की हड्डी के संकुचित ) के कारण होती है। यह मांसपेशियों में समन्वय की कमी, मांसपेशियों में ऐठन, चलने में दिक्कत या हाथ-पैर और एड़ियों में झुनझुनी के रूप में होता है कुछ गंभीर मामलों में,इंसान अपने मूत्र और मल विसर्जन पर नियंत्रण खो बैठता है।

सर्वाइकल रेडीकुलोपैथी (Cervical radiculopathy)

हाँथ के नीचे वाले हिस्से में तेज दर्द होना सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस का मुख्य लक्षण है। कभी कभी एक हाथ या दोनों हाथ ही सुन्न हो जाते हैं या उनमे बहुत कमजोरी आ जाती है ।

भागते युग की समस्या- सरवाईकल स्पान्डयलोसिस

इधर के कुछ सालों मे अगर हम गौर करें तो सरवाईकल स्पान्डयलोसिस के रोगियों मे बेतहाशा वृद्दि हुयी है। ओ पी डी मे आने वाले रोगियों मे जहाँ इक्का-दुक्का ही रोगी इस रोग के नजर आते थे वहीं अब काफ़ी बडी संख्या इसकी नजर आती है। आयु, वर्ग विशेष से भी अब इसका लेना-देना न रहा। 15 वर्ष की आयु से बढती हुयी उभ्र के लोगों मे यह समस्या आम देखी जा सकती है। इस लेख मे मेरुदंड की संरचना ,इस मशीनी समस्या के कारण, लक्षण और महत्वूर्ण जाँचे, , फ़िजयोथिरेपी और एकयूप्रेशर की उपयोगिता और होम्योपैथिक औषधियों की भूमिका पर एक नजर देखेगें। जहाँ यह लेख आम होम्योपैथिक चिकित्सक की याददाश्त को रिफ़्रेश करेगा वहीं आम लोगों को भी इस समस्या और इससे उत्पन्न होने वाले लक्षणों से बचने के बारे मे भी उपयोगी जानकारी देगा।

मेरुदण्ड की संरचना:

यह एक सम्पूर्ण मेरुदंड की संरचना है ,मेरुदण्ड के पाँच हिस्से हैं-

1-सर्वाईकल (Cervical)

2-थोरॅसिक (Thoracic)

3-लम्बर (Lumbar)

4-सैकरम (Sacrum)

5-कौसिक्स (coccyx)

सर्वाईकल स्पाईन मेरुदण्ड की पाँच वर्टीबरी से मिल कर बनी होती है। C1-C7 जहाँ C सरवईकल का सूचक है। C1 सिर के पृष्ठ भाग के और C7 स्पाइन के थोरेसिक हिस्से से सटी रहती है।

लक्षण और कारण

रोग के लक्षण कोई आवशयक नहीं कि सिर्फ़ गर्दन की दर्द और जकडन को ही लेकर आयें। विभिन्न रोगियों मे अलग -2 तरह के लक्षण देखे जाते हैं:

गर्दन की दर्द और जकडन, गर्दन स्थिर रहना, बहुत कम या न घूमना।चक्कर आना ।कन्धे का दर्द, कन्धे की जकडन और बाँह की नस का दर्द । ऊगलियों और हथेलियों का सुन्नपन  गर्दन की दर्द के प्रमुख कारण:वजह अनेक लेकिन सार एक, अनियमित और अनियंत्रित लाइफ़ स्टाईल। वजह आप स्वंय खोजें:टेढे-मेढे होकर सोना, हमेशा लचक्दार बिछौनों पर सोना, आरामदेह सोफ़ों तथा गद्देदार कुर्सी पर घटो बैठे रहना, सोते समय ऊँचा सिरहाना (तकिया) रखना, लेट कर टी वी देखना ।गलत ढंग से वाहन चलानाबहुत झुक कर बैठ कर पढना, लेटकर पढना ।घटों भर सिलाई, बुनाई, व कशीदा करने वाले लोगों।गलत ढंग से और शारीरिक शक्ति से अधिक बोझ उठानाव्यायाम न करना और चिंताग्रस्त जीवन जीना।संतुलित भोजन न लेना, भोजन मे विटामिन डी की कमी रहना, अधिक मात्रा मे चीनी और मीठाईयाँ खाना।गठिया से पीडित रोगीघंटों कम्पयूटर के सामने बैठना और ब्लागिगं करना

महत्वपूर्ण जाँचे:

X-raysComputed TomographyMagnetic Resonance ImagingMyelogram/CTDiscography

अधिकतर रोगियों मे X-rays ही हकीकत बयान कर देते हैं। सरवाईकल डिस्क मे आने वाली आम समस्यायें नीचे दिये चित्र से स्पष्ट हो जाती हैं। इनमें अधिकतर रोगियों मे interverteberal disc spaces का कम हो जाना और osteophyte का बनना मुख्य है। देखें नीचे आकृति नं0 2

रोग निवारण के लिये प्रचलित उपचार तरीके:

मुसीबत मोल लेने से परहेज बेहतर:

मुसीबत न आये इसलिये यह आवशयक है कि उन मुसीबतों को बुलावा न दिया जाय । पीठ की दर्द के लिये भी यही सावधानियाँ काम आयेगीं। इसलिये निम्म बातों का ध्यान रखें और जीवन सुचारु रुप से जियें:

जब भी कुर्सी या सोफ़े पर बैठें तो पीठ को सीधी रखें तथा घुटने नितम्बों से ऊँचे होने चाहिये।चलते समय शरीर सीधी अवस्था मे होना चाहिये।गाडी चलाते समय अपनी पीठ को सीधी रखें।कोमल, फ़ोम के गद्दो पर लेटना छोडकर तख्त का प्रयोग करें ।घर का काम करते समय पीठ को सीधी रखें। गर्दन की सिकाई

1-Cervical diathermy

2-Ultrasound radiations

3-Hot fomentatations

तीव्र दर्द के हालात मे गर्म पानी मे नमक डाल कर सिकाई करें। यह क्रम दिन मे कम 3-4 बार अवश्य करें। दर्द को जल्द आराम देने मे यह काफ़ी लाभदायक है।

तकिये (pillow) की बनावट

सिरहाने को लेकर लोगों मे अलग- 2 तरह की भ्रान्तियॉ हैं। सरवाईकल स्प्पान्डयलोसिस से पीडित व्यक्ति या तो तकिया लगाना ही बन्द कर देता है या फ़िर अन्य सहारे का प्रयोग करने लगता है जैसे तौलिये को मोड कर सिर के नीचे रखना। लेकिन यह सब प्रयोग अन्तः उसके लिये नुकसान ही पैदा करते हैं। नीचे दी गयी आकृति न 3 के अनुसार तकिया बनवायें जो बाजार मे बिक रहे सिरहाने की तुलना मे सुविधाजनक रहता है।

Cervical Collar ( सरवाइकल कौलर) और Cervical Traction ( सरवाइकल ट्रेक्शन )

सरवाईकल स्प्पान्डयलोसिस के हर रोगी मे कौलर और ट्रेक्शन की आवशयकता नही पडती , लेकिन आजकल इसका प्रयोग कई जगह बेवजह भी होता रहता है। लेकिन रोगी के रोग की वजह के अनुसार इसका महत्व भी है।



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जाडे आते ही सरवाईकल स्प्पान्डयलोसिस के रोगियों की समस्यायें बढनी शुरु हो जाती हैं, बाजार मे मिलने वाले कालर के अपेक्षा आम प्रयोग होने वाले मफ़लर को गले मे circular way मे इस तरह बाधें कि गर्दन का घुमाव नीचे की तरफ़ अधिक न हो। देखने मे भी यह अट-पटा नहीं लगता और गर्दन की माँसपेशियों को ठंडक से भी बचाव अच्छी तरह से कर लेता है।

एकयूप्रेशर (Acupressure)

बहुत से चिकित्सक संभवत: एकयूप्रेशर की उपयोगिता से सहमत नहीं रहते हैं, लेकिन सरवाईकल स्प्पान्डयलोसिस के कई रोगियों मे मैने इस पद्दति को बखूबी आजमाया है , भले ही यह कारणों को दूर करने मे सक्षम न हो लेकिन दर्द की तीव्रता को यह काफ़ी जल्द आराम दे देती है। सरवाईकल स्प्पान्डयलोसिस मे प्रयुक्त होने वाले व्यायामों के चित्र यहाँ दिये हैं, जिन एक्यूप्रेशर व्यायामों को मै अक्सर प्रयोग कराता हूँ उनके चित्र नीचे दिये हैं।

सरवाईकल स्प्पान्डयलोसिस मे फ़िजयोथिरेपी की भूमिका:

सरवाईकल व्यायाम दर्द की तीव्रता को घटाते हैं ही साथ मे अकडे हुये जोडों और माँसपेशियों को भी सही करते हैं ।
मूलत: दो प्रकार के व्यायामों पर सरवाईकल स्प्पान्डयलोसिस मे जोर रहता है:

1-Range of motion exercises

2-Isometric exercises

3-Range of motion exercises

नीचे दी हुयी आकृति motion exercises को स्पष्ट कर रही है:

अपने सिर को दायें तरफ़ कन्धे तक झुकायें , थोडा रूकें और तत्पश्चात मध्य मे लायें। यही क्रम बायें तरफ़ भी करें।

अपनी ठुड्डी ( chin) को सीने की तरफ़ झुकायें, रुकें,तत्पश्चात सिर को पीछे ले जायें।अपने सिर को बायें तरफ़ के कान की तरफ़ मोडें, रुकें और तत्पश्चात मध्य मे लायें। यही क्रम बायें तरफ़ भी करें।Isometric exercises
Isometric exercises को करते समय साँस को रोके नहीं। हर व्यायाम को 5-6 बार तक करें और इसके बाद शरीर को ढीला छोड दें।

अपने माथे को हथेलियों पर दबाब दे और सर को अपनी जगह से हिलने न दें।अपनी हथेलियों का दबाब सिर के बायें तरफ़ दे और सिर को हिलने न दें। यही क्रम दायें तरफ़ भी करें।अपनी दोनों हथेलियों का दबाब सिर के पीछे दें और सिर को स्थिर रखें।अपनी हथेलियों का दबाब माथे पर दें और सिर को स्थिर रखें।

फ़िजयोथिरेपी व्यायामों को करते समय यह बात हमेशा ध्यान रखें कि अगर किसी भी समय ऐसा लगे कि दर्द का वेग बढ रहा है तो व्यायाम कदापि न करें। “दर्द नहीं तो व्यायाम करने से क्या लाभ” का फ़न्डा न अपनायें। सरवाईकल व्यायामों को कम से कम दिन मे दो बार अवशय करें ।

एक सपाट बिस्तर या फ़र्श पर बिना तकिये के पीठ के बल लेट जाएँ. फिर अपनी गर्दन को जितना संभव हो सके उतना धीरे धीरे ऊपर उठाते जाएँ. ध्यान रहे, पीठ का हिस्सा न उठे. गहरी से गहरी सांस भीतर खींचें. फिर उतने ही धीरे धीरे गर्दन नीचे करते जाएँ. सांस धीरे धीरे छोड़ें और पूरी ताकत से अंदर फेफड़े की हवा बाहर फेंकें. यह व्यायाम कम से कम एक दर्जन बार, सुबह-शाम करें. इस व्यायाम से आपके गर्दन की मांसपेशियों को ताकत मिलती है तथा इसके परिणाम आपको पंद्रह दिवस के भीतर मिलने लगेंगे. नियमित व्यायाम से गर्दन दर्द से पीछा छुड़ाया जा सकता है.

होम्योपैथी चिकित्सा (Homeopathic Treatment)





जहाँ बाकी चिकित्सा पद्धतियाँ विशेष कर एलोपैथी चिकित्सा पद्धति सिर्फ़ दर्दनाशक औषधियों तक ही सीमित रहती हैं, वहीं होम्योपैथी रोग के मूलकारण और उससे उत्पन्न होनी वाली समस्यायों को दूर करने मे सक्षम है। एक होम्योपैथिक चिकित्सक को सरवाईकल रोगों मे न सिर्फ़ औषधि के चयन बल्कि रोग को management करने के तरीको के बारे मे भी अच्छी तरह जानना चाहिये। आप का दृष्टिकोण समय के साथ चले , इसी मे इस पद्दति की सफ़लता निहित होगी।

सबसे पहले लेते हैं सरवाईकल रोग की थेरापियूटिक्स (therapeuctics) सेक्शन की , उसके बाद रिपरटारजेशन (repertorisation) की।

थेरापियूटिक्स (therapeuctics)

सरवाईकल रोगों के औषधि चयन करते समय रोग के कारणों पर अपनी नजरें जमायें रखें। विस्तार मे reference के लिये Samuel Lilientheal की

Therapeuctics को देखें।

Intervertebreal spaces के कम हो जाने और osteophyte के बन जाने पर –hekla lava, calc fl, phosगर्दन की अकडन दर्द के सथ–actae racemosa, rhus tox, cocculus indNeurological लक्षणों के साथ, हाथ और ऊँगलियों का सुन्नपन्न–
Kalmia,Parrirera brava,दर्द का वेग एक या दोनो हाथों मे जाना—kalmia,nuxचक्कर के साथ—conium,cocculus indन सहन करने योग्य पीडा–gaultheria,stellaria media,colchichum

रिपरटारजेशन (repertorisation) 

यह हमेशा ध्यान रखें कि किसी रोग की थेरापियूटिक्स (therapeuctics) हमेशा चिकित्सक को सीमित दायरे मे रख देती है। अगर समय का अभाव न हो तो सरवाईकल रोगों मे भी रिपरटारजेशन का साहारा लेने मे कोताही न बरतें।

सर्वाइकल स्पोंडोलाइसिस... सावधानी ही है इसका उपचार



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कंधे या गर्दन के आसपास दर्द लंबे समय तक रहे तो इलाज में लापरवाही न बरतें...

शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग सिर को गर्दन न केवल सहारा देेती है बल्कि अपने लचीलेपन के कारण उसको इधर-उधर घुमाने में मदद भी करती है। रीढ़ की हड्डी के 32 वर्टिब्रा या कशेरुकाओं में से पहले सात वर्टिब्रा को सर्वाइकल वर्टिब्रा के नाम से जाना जाता है। इन्हीं कशेरुकाओं के बीच से एक प्रकार की नसों का समूह गुजरता है और उसके द्वारा दिमाग का संदेश पूरे शरीर के अंगों को पहुंचाया जाता है। इसे स्पाइनल कोर्ड के नाम से जाना जाता है। इसी से शरीर की गतियां संचालित होती हैं। ग्रीक सभ्यता के अनुसार संपूर्ण पृथ्वी का भार एटलस नामक देवता उठाता है। उसी तरह सिर का भार उठाने के कारण प्रथम मनके को एटलस नाम दिया गया है। एटलस व एक्सिज प्रथम दो ऐसे मनके हैं जो सिर के भार को झेलने के साथ-साथ गर्दन की कई गतिविधियों के संचालन में भी अहम योगदान देते हैं। 


वर्टिब्रा में बदलाव

उम्र के बढऩे के साथ-साथ शरीर के बाकी अंगों की तरह ये वर्टिब्रा वियर एवं टियर के कारण घिसते जाते हैं।  सर्वाइकल क्षेत्र में जब ये वर्टिब्रा प्रभावित होते हैं तो उससे उत्पन्न होने वाली अवस्था को सर्वाइकल स्पोंडोलाइसिस के नाम से जाना जाता है। वर्टिब्रा घिसने पर उनके बीच में जो कुशन होते हैं वो भी घिस जाते हैं। हड्डियां कमजोर होकर नुकीली हो जाती हैं। 


क्यों होता है दर्द 

काम का अधिक तनाव, मोटापा, बढ़ती उम्र या उठने-बैठने का गलत तरीका सर्वाइकल स्पोंडोलाइसिस के रूप में सामने आता है। पहले यह समस्या 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को ही होती थी लेकिन अब खराब दिनचर्या के कारण कम उम्र के लोग भी इस रोग की गिरफ्त में आने लगे हैं। आयु के प्रभाव से ही जब डिस्क में कोई क्रेक आ जाए या फिर बाहर की ओर उभार आए तो उस वजह से भी रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है जिससे इस प्रकार के लक्षण उत्पन्न होते हैं। उम्र बढऩे के साथ-साथ गर्दन की अस्थियों को जोडऩे वाले लिगामेंट कड़े हो जाते हैं, जिससे गर्दन की गतिशीलता में रुकावट आती है और दर्द बढऩे लगता है।


दर्द कब ज्यादा बढ़ता है

अधिक देर खड़े होने, ज्यादा बैठे रहना, रात के समय छींकने, जोर से हंसने, खांसने, अधिक चलने या फिर गर्दन  को पीछे की ओर घुमाने पर दर्द बढ़ जाता है।


ऐसे पहचानें रोग को

गर्दन का दर्द या उसकी जकडऩ, सिरदर्द  के साथ चक्कर आना, कंधे में दर्द व गर्दन को दाएं-बाएं घुमाने में दर्द का बढऩा सर्वाइकल स्पोंडोलाइसिस के लक्षण हैं। इस दर्द के कारण रोगी को न केवल उठने- बैठने बल्कि चलने-फिरने में भी दिक्कत होती है। हाथ, पांव, टांगें-बाजू आदि सुन्न  होना और गर्दन से ज्यादा काम लेने पर दर्द अधिक बढ़ जाता है। इस रोग में  सिरदर्द गर्दन से शुरू होकर सिर के ऊपर तक जाता है। 

उपचार

इस रोग में आयुर्वेद विशेषज्ञ वातकुलांतक रस, समीरपन्नग रस, महारास्नाादि  क्वाथ, बलारिष्ट, निर्गुण्डी तेल, बला  तेल, महायोगराज गुग्गुल आदि औषधियों का प्रयोग मरीज के लक्षणों के अनुसार करते हैं।

आयुर्वेद में उल्लेख

आयुर्वेदिक ग्रंथों में ऐसे रोगों का वर्णन नहीं मिलता क्योंकि उस काल में मशीनी गतिविधियां नहीं थीं। आयुर्वेद के ग्रंथों में वात दोष के कारण उत्पन्न ग्रीवास्तम्भ नामक रोग का उल्लेख अवश्य मिलता है। मुंह के लकवे की स्थिति में भी गर्दन में जकड़ाहट व शरीर में मांस की कमी होने से गर्दन का सूख जाना बताया गया है।

परेशानी में क्या करें

समतल बिस्तर का प्रयोग करें। सिर को दाएंं से बाएं व बाएं से दाएं गोलाकार रूप में घुमाने से इस रोग में लाभ मिलता है। सीधे खड़े होकर दोनों कंधों को सामने से पीछे की ओर गोलाकार घुमाने से लाभ होता है। प्राणायाम व ध्यान लगाने से तनाव कम होता है। पद्मासन, भुजंगासन, पवनमुक्तासन, शवासन का प्रयोग श्रेष्ठ फलदायी है। नाक में दो-दो बूंद गाय का घी डालना उपयोगी होता है। अस्थि रोगों को दूर करने में गिलोय, नागरमोथा का प्रयोग करें। चरक संहिता के अनुसार इस रोग में शिलाजीत व दूध के साथ गुग्गल फायदेमंद होता है। केवल दूध को डाइट में शामिल करते हुए च्यवनप्राश खाने से भी लाभ होता है। 

इनसे परहेज रखें 

1,धुम्रपान न करें। 

2, चाय और कैफीन का सेवन कम करें।  

3, गर्दन को ज्यादा देर तक झुकाकर न बैठें।  

4, लेटकर टीवी न देखें। 

5, लगातार कंप्यूटर पर न बैठें. अगर ऐसा करना ज़रूरी है तो गर्दन को थोड़ी थोड़ी देर में इधर उधर घुमाते रहे। 

6, ऊंचे तकिये का प्रयोग न करें। 



गर्दन दर्द से हो सकती है ये गंभीर बीमारी, जानें लक्षण व कारण




 गर्दन में होने वाले दर्द को आमतौर पर लोग नजरअंदाज करते हैं, लेकिन कई बार यह दर्द बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। गर्दन में दर्द किसी भी उम्र के महिला -पुरुष और बच्चों को हो सकता है। लाइफ स्टाइल के कारण पिछले कुछ सालों में सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के रोगियों में बेतहाशा वृद्धि हुई है।    

क्या है सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस 

गर्दन का दर्द जो सर्वाइकल को प्रभावित करता है, वह सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस कहलाता है। यह गर्दन के निचले हिस्से, दोनों कंधों, कॉलर बोन तक पहुंच जाता है। इससे गर्दन घुमाने में परेशानी होती है और कमज़ोर मासपेशियों के कारण, हाथों को उठाना भी मुश्किल होता है।  


क्यों होता है सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस  

-कई बार जोड़ों (कंधों के जोड़ ) और गर्दन के जोड़ों में दर्द स्पोंडिलोसिस अनुवांशिक भी होता है, लेकिन अधिकतर मामलों में ऐसा नहीं होता।  

-स्पोंडिलोसिस होने के और भी कई कारण हैं जैसे कि उम्र का बढ़ना और ऑस्टियोपोरेसिस का होना.

-कैल्शियम और विटामिन डी की कमी के कारण हड्डियों का कमज़ोर हो जाना।  

-सोते समय ऊंचा तकिया रखना, लेटकर पढना, टीवी देखना और घंटों कंप्यूटर के सामने बैठना। 

-घंटों भर सिलाई बुनाई करना। 

-गलत ढंग से और शारीरिक शक्ति से अधिक बोझ उठाना।  

-गठिया से पीड़ित रोगी।  

-लंबे समय तक ड्राइविंग करना। 

-कई गंभीर चोट या फ्रेक्चर के बाद हड्डियों में क्षय की स्थिति होने लगती है। 

-धुम्रपान भी एक महत्वपूर्ण कारण है। 

लक्षण व परेशानियां 

-कई बार गर्दन का दर्द हलके से लेकर ज्यादा हो सकता है।  

-गर्दन में दर्द और गर्दन का अकड़ना, स्थिति को गंभीर करने वाले मुख्य लक्षण हैं। 

-सर में पीछे की ओर दर्द का होना। 

-गर्दन को घुमाने पर गर्दन में पिसने की आवाज़ आना। 

-चक्कर आना।  

-कंधों में दर्द और जकड़न पैदा होना।   

-हाथों में सुन्नपन होना।  

-दर्द दोनों हाथों की उंगलियों में जाना, जिसे हम सर्वाइकल रेडीकुलोपैथी कहते हैं। यह नस के दबने की वजह से होता है। 

-गर्दन में सूजन आ जाती है।  

-सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस की समस्या सिर्फ जोड़ और गर्दन के दर्द तक ही सीमित नहीं रहती, समस्या गंभीर होने पर बुखार, थकान, उलटी होना, चक्कर आना, भूक की कमी जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। 

अगर आप और आपके किसी संबंधी को ये परेशानियां हैं तो तुरंत अपने नज़दीकी फिज़ियोथीरेपिस्ट से मिलें और सलाह लें



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क्या करें


-बैठते समय गर्दन को सीधा रखें।  

-गाड़ी चलाते समय पीठ को सीधा रखें।  

- गद्दे की बजाय तख्त पर सोये।    

-नर्म व कम ऊंचाई वाले तकिये का प्रयोग करें। 

-पौष्टिक भोजन खाएं, खासकर ऐसा भोजन जो विटामिन डी और कैल्शियम से भरपूर हो। 

-गर्दन की सिकाई. तीव्र दर्द होने पर गरम पानी में नमक डालकर सिकाई करें। दिन में कम से कम तीन से चार बार करें. दर्द को जल्दी आराम देने में काफी लाभदायक है।  


इनसे परहेज रखें 

-धुम्रपान न करें। 

-चाय और कैफीन का सेवन कम करें।  

-गर्दन को ज्यादा देर तक झुकाकर न बैठें।  

-लेटकर टीवी न देखें। 

-लगातार कंप्यूटर पर न बैठें. अगर ऐसा करना ज़रूरी है तो गर्दन को थोड़ी थोड़ी देर में इधर उधर घुमाते रहे। 

-ऊंचे तकिये का प्रयोग न करें। 

फिज़ियोथेरेपी  

फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टर तन्वी चौहान के मुताबिक सर्वाइकल व्यायाम दर्द की तीव्रता को कम करते हैं और साथ साथ अकड़े हुए जोड़ों और मासपेशियों को भी ठीक करते हैं। 

हालांकि फिज़ियोथेरेपी व्यायाम को करते समय यह बात हमेशा ध्यान रखें की अगर किसी भी समय ऐसा लगे की दर्द बढ़ रहा है तो व्यायाम कदापि न करें। सर्वाइकल व्यायाम को कम से कम दो बार अवश्य करें। 

व्यायाम

इसके लिए कुछ खास किस्म के एक्सरसाइज आप कर सकते हैं।   

1. रेंज ऑफ़ मोशन एक्सरसाइज 

-अपने सिर को दाएं तरफ कंधे तक झुकाएं। थोडा रुकें और फिर मध्य में लायें। यह क्रम बाएं तरफ भी करें।  

-अपनी ठुड्डी को नीचे की तरफ झुकाएं, रुकें और फिर सिर को पीछे ले जायें। 

-अपने सिर को बाएं तरफ के कान की तरफ मोडें, रुकें और फिर मध्य में लायें। यह क्रम दाएं तरफ भी करें।

 2. इसोमेट्रिक एक्सरसाइज

इस एक्सरसाइज को करते समय सांस को रोकें नहीं। हर व्यायाम को पांच से छह बार तक करें और शरीर को ढीला छोडें। 

-अपने माथे से हथेलियों पर दबाव दें और सिर को अपनी जगह से हिलने न दें।  

-अपनी हतेलियों का दबाव सिर के बाएं तरफ दें और सर को हिलने न दें. यही क्रम दाएं तरफ भी करें। अपनी हतेलियों का दबाव सिर  के पीछे दें और सिर को स्थिर रखें।  

कौन से लोग 'Cervical pain' के होते हैं जल्दी शिकार




अक्सर लोग समय रहते छोटी-मोटी परेशानियों को अनदेखा कर देते हैं और जब यह कंट्रोल से बाहर चली जाती हैं तो इसके लिए कई तरह के उपचारों का सहारा लेते हैं। मोटापा, माइग्रेन, डायबिटीज और सर्वाइकल जैसी परेशानियां भी ऐसी हैं जिन्हें अगर आप समय रहते कंट्रोल में नहीं करते तो आगे चलकर यह आपको सेहत से जुड़ी बहुत सारी दिक्कतें दे सकती है।

सर्वाइकल की परेशानी भी आजकल आम सुनने को मिल रही है। इसके तेजी से बढऩे का कारण लोगों को बदलता लाइफस्टाइल है। घंटों एक ही जगह पर बैठकर काम करने या नजर और गर्दन को एक ही जगह पर टिकाए रखने वाले लोगों को यह परेशानी आम ही हो जाती है। गर्दन में दर्द की समस्?या सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस कहा जाता है।

महिलाओं को अधिक झेलनी पड़ती है सर्वाइकल (गर्दन का दर्द) की परेशानी

ऑफिस में काम करते समय कई बार लोगों को गर्दन के दर्द की शिकायत रहती है। इसके चलते वे ढंग से काम करना तो दूर स्ट्रेस फील करते हैं। महिलाओं और पुरुषों दोनों को ही दर्द के अलग-अलग अनुभव होते हैं।

इसी पर रोशनी डालते हुए अमेरिका के शोधार्थियों ने पता लगाया कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में गर्दन दर्द का अधिक सामना करना पड़ता है। यह दर्द सर्वाइकल डिजेनरेटिव डिस्क रोग के कारण होता है और पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह समस्या 1.38 फीसदी अधिक होने की संभावना होती है।

सर्वाइकल डिजेनरेटिव डिस्क बीमारी गर्दन के दर्द का एक आम कारण है। इसमें गर्दन में खिंचाव, जलन, झुनझुनी और गर्दन सख्त रहती है। सिर और गर्दन को मूव करने में काफी तेज दर्द महसूस होता है। इस शोध में लोयोला यूनिवर्सिटी शिकागो स्ट्रिच स्कूल ऑफ मेडिसिन के भारतीय मूल के शोधार्थी राघवेंद्र और जोसेफ होल्टमैन ने करीब 3,337 मरीजों पर अध्ययन किया, जो इस समय गर्दन के दर्द का इलाज करा रहे हैं।

शोधार्थियों ने बताया कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में दर्द का फैलाव थोड़ा अधिक होता है। यह शोध ‘अमेरिकन अकादमी ऑफ पेन मेडिसिन इन पाल्म स्प्रिंग्स’ की एन्वल कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत किया गया है।

घर बैठे ठीक करें सर्वाइकल पैन

 अव्यवस्थित दिनचर्या और अनियमितताओं के कारण लगभग हर तीसरे व्यक्ति को सर्वाईकल की परेशानी झेलनी पडती हैं. घंटों बैठे रहना, खराब पोश्चर, झुक कर बैठना आदि इसके कई कारण हो सकते हैं. 

 सर्वाइकल हमारे सिर के साथ गर्दन से प्रारम्भ होती हैं. शुरू में तो लोगो को इसके बारे में पता ही नहीं चलता हैं की हमें क्या हुआ हैं. वे हमेशा सिर दर्द,गर्दन में दर्द,कंधे में दर्द और एक या दोनो हाथो में दर्द होने की शिकायत करते हैं. कई बार इस बिमारी के अधिक बढ जाने से चक्कर आने लगते हैं रोगी सारी रात सो नहीं पाता. आंखो में दर्द और कम दिखाई देने की भी शिकायत शुरू हो जाती है.

 रात-बे-रात उठते सर्वाइकल पैन को कम करने के लिए घर बैठे अपना उपचार, अपने आप करने की आसान विधि बता रहे हैं.


 आप को बस इतना करना है...

 -आप अपने उल्टे हाथ के अंगूठे को पिछले भाग की प्रथम पोर से दुसरे पोर तक अपने सीधे हाथ के अंगूठे से दबाये और जहां दबाने से अधिक दर्द हो उसे दिन मे 2-4 बार या 1-1 घन्टे पर दबाते रहे. 

-आप देखेंगे धीरे-2 आपके दर्द में कमी आनी शुरू हो जाएगी. बस आप लगातार तब तक वहां प्रेशर देते रहें जब तक आपके गर्दन में दर्द पूरी तरह से खत्म न हो जाये. या जिनको बहुत पुराना हैं तो कुछ अधिक समय तक किया जा सकता हैं.


 यह एक हानि रहित उपचार हैं. जिसका कोई साईड ईफैक्ट नहीं हैं.

 सर्वाइकल मैं चक्कर आना कारण, लक्षण और उपाय

चक्‍कर आने की बीमारी या सिर घूमना के कारण ओर निवारण

चक्कर आना-एक ऐसी बीमारी है, जिसके दौरान व्यक्ति को सब कुछ घूमता हुआ दिखाई देता है.कुछ देर बैठे रहने के बाद जैसे ही हम उठते हैं, तब हमारी आंखों के सामने अंधेरा सा होने लगता है.

चक्कर आने के कारण –

ऐसा लगता है जैसे कि चारो ओर की चीजें तेजी से घूम रही हैं। यह स्थिति तब आती है जब मस्तिष्क में रक्त की पूर्ति की कमी हो जाती है.चक्कर आने की यह परेशानी सभी उम्र के लोगों को हो सकती है. चक्कर आने के अनेक कारण होते हैं 

जैसे मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह ना होना तथा ट्यूमर होना, गर्दन में या सिर दर्द होना, सर्वाइकल स्पॉन्डोलाइटिस, गर्दन में अधिक जोर से कॉलर या टाई बाँधना, रात को अधिक ऊँचे तकियों पर सोना, एक ही करवट में रोज सोने के कारण, देर रात तक टीवी देखना, हाई या लो बी पी, पेट में कोल्हाईटिस होना, पतले दस्त होना, गर्दन झुकाकर ड्राइंग, पेंटिंग, कढ़ाई आदि काम करना, उपवास अधिक करना, भोजन समय पर न लेना जैसे कई कारणों से चक्कर आते हैं.



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चक्कर आने के प्रमुख कारण

बिनाइन पैरोक्जिमल पोजीशनल वर्टाइगो(बी पी पी वी) – चक्कर आने का एक प्रमुख कारण बी पी पी वी है. इसके कारण अचानक सिर घूमने लगता है तथा एक ही दिशा में सिर घूमता है. इस प्रकार का ‘वर्टिगो’ अधिक गम्भीर नहीं होता तथा इसका इलाज आसानी से हो जाता है.


एकाउस्टिक न्यूरोमा – यह एक प्रकार का नर्व टिश्यू का ‘ट्यूमर’ होता है, जिसके कारण चक्कर जैसी समस्याएं होने लगती हैं. इसमें चक्कर आने के साथ-साथ एकतरफा कान में आवाज शुरू हो जाती है तथा सुनाई भी कम देने लगता है.
माइग्रेन – माइग्रेन होने पर भी चककर आने लगते हैं. माइग्रेन होने पर सिर में अधिक दर्द होने लगता है जिसके उपरांत चक्कर आने लगता है.


डायबिटीज – डायबिटीज होने पर धमनियां कठोर होने लगती हैं. जिसके कारण मस्तिष्क को रक्त आपूर्ति में बाधा होती है. इस कारण व्यक्ति को चक्कर भी आ सकता है.
शरीर में खून की कमी (एनीमिया) – एनीमिया होने पर व्यक्ति के शरीर का खून कम होने लगता है जिसके कारण उसे चक्कर आने लगता है.

चक्कर की समस्या को दूर करने के घरेलू उपाय
तुलसी के रस में चीनी मिलाकर सेवन करने से या तुलसी के पत्तों में शहद मिलाकर चाटने से चक्कर की समस्या कम होने लगती है.चक्कर आने पर दस ग्राम धनिया पाउडर तथा दस ग्राम आंवले का पाउडर लें. अब इसमें एक गिलास पानी डालकर भीगा दें. सुबह अच्छी तरह मिलाकर पी लें. इससे चक्कर आने बंद हो जाते है.चक्कर आने पर आधा गिलास पानी में दो लौंग डालकर इसे उबाल लें और उस पानी को पिएं. इस पानी को पीने से फायदा होता है।चक्कर आने पर 10 ग्राम आंवला, 3 ग्राम काली मिर्च और 10 ग्राम बताशे को एक साथ पीस लें। लगभग 15 दिनों तक प्रतिदिन इसका सेवन करें चक्कर आना कम हो जायेगा.दोपहर के खाने के 2 घंटे पहले और शाम के नाश्ते में फलों का जूस पीने से चक्कर आने बंद हो जाएंगे.नारियल का पानी प्रतिदिन पीने से भी चक्कर आने कम हो जाते हैं.चाय व कॉफ़ी का सेवन कम करना चाहिए.20 ग्राम मुनक्का को घी में सेंककर इसमें सेंधा नमक डालकर खाने से चक्कर आने कम हो जाते हैं.खरबूजे के बीजों को पीसकर इन्हें घी में भुन लें। अब इसकी थोड़ी मात्रा सुबह शाम लें, इससे चक्कर आने की समस्या कम होने लगती है.अधिक मात्रा में पानी पिएं. पानी पीने से हमारे शरीर की अनेक बीमारिया कम होती है.

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की रामबाण चिकित्सा




आजकल हम सभी कम्प्यूटर का व्यापक उपयोग करते हैं। यह बात केवल बैंकों, सरकारी कार्यालयों या निजी कार्यालयों में कार्य करने वालों के लिए ही नहीं बल्कि हर किसी के लिए सत्य है, क्योंकि आजकल घर-घर में डेस्कटौप और लैपटौप कम्प्यूटर हो गये हैं। कम्प्यूटर पर काम करने के लिए हमें अपना सिर झुकाना पड़ता है, क्योंकि कीबोर्ड हमारी आँखों से नीचे होता है। कई लोग सिर के साथ अपना कंधा भी झुका लेते हैं। इस गलत स्थिति में अधिक दिनों तक कार्य करने से उनके कंधों, गर्दन और पीठ के कई हिस्सों में दर्द होने लगता है और सिर को आसानी से किसी भी तरफ झुकाने में कष्ट होता है। इसी को सर्वाइकल स्पौंडिलाइटिस कहा जाता है।

ऐलोपैथी में इसका कोई इलाज नहीं है। दर्द से क्षणिक आराम के लिए वे दर्दनाशक गोलियाँ दे देते हैं, जिनसे कुछ समय तो आराम मिलता है, लेकिन आगे चलकर वे बहुत हानिकारक सिद्ध होती हैं और उनका प्रभाव भी खत्म हो जाता है।

दूसरे इलाज के रूप में डाक्टर लोग एक मोटा सा पट्टा गर्दन के चारों ओर लपेट देते हैं, जिससे सिर नीचे झुकाना असम्भव हो जाता है। लम्बे समय तक यह पट्टा लगाये रखने पर रोगी को थोड़ा आराम मिल जाता है, लेकिन कुछ समय बाद समस्या फिर पहले जैसी हो जाती है, क्योंकि अपनी मजबूरियों के कारण वे कम्प्यूटर का प्रयोग करना बन्द नहीं कर सकते।
लेकिन योग चिकित्सा में इसका एक रामबाण इलाज है। 

स्वामी देवमूर्ति जी, स्वामी धीरेन्द्र ब्रह्मचारी और स्वामी रामदेव जी ने इसके लिए कुछ ऐसे सूक्ष्म व्यायाम बताये हैं जिनको करने से इस समस्या से स्थायी रूप से मुक्ति मिल सकती है और रोगी सामान्य हो सकता है। इन व्यायामों को मैं संक्षेप में नीचे लिख रहा हूँ। इनका लाभ मैंने स्वयं अपनी सर्वाइकल स्पौंडिलाइटिस की समस्या को दूर करने में उठाया है और अन्य कई लोगों को भी लाभ पहुँचाया है। इन्हीं व्यायामों के कारण मैं दिन-रात कम्प्यूटर पर कार्य करने में समर्थ हूँ और कई दर्जन पुस्तकें लिख पाया हूँ।

व्यायाम इस प्रकार हैं-

ग्रीवा-

(1) किसी भी आसन में सीधे बैठकर या खड़े होकर गर्दन को धीरे-धीरे बायीं ओर जितना हो सके उतना ले जाइए। गर्दन में थोड़ा तनाव आना चाहिए। इस स्थिति में एक सेकेंड रुक कर वापस सामने ले आइए। अब गर्दन को दायीं ओर जितना हो सके उतना ले जाइए और फिर वापस लाइए। यही क्रिया 10-10 बार कीजिए। यह क्रिया करते समय कंधे बिल्कुल नहीं घूमने चाहिए।

(2) यही क्रिया ऊपर और नीचे 10-10 बार कीजिए।

(3) यही क्रिया अगल-बगल 10-10 बार कीजिए। इसमें गर्दन घूमेगी नहीं, केवल बायें या दायें झुकेगी। गर्दन को बगल में झुकाते हुए कानों को कंधे से छुआने का प्रयास कीजिए। अभ्यास के बाद इसमें सफलता मिलेगी। तब तक जितना हो सके उतना झुकाइए।

(4) गर्दन को झुकाए रखकर चारों ओर घुमाइए- 5 बार सीधे और 5 बार उल्टे। अन्त में, एक-दो मिनट गर्दन की चारों ओर हल्के-हल्के मालिश कीजिए।

कंधे-

(1) सीधे खड़े हो जाइए। बायें हाथ की मुट्ठी बाँधकर हाथों को गोलाई में 10 बार धीरे-धीरे घुमाइए। घुमाते समय झटका मत दीजिए और कोहनी पर से हाथ बिल्कुल मत मुड़ने दीजिए। अब 10 बार विपरीत दिशा में घुमाइए।

(2) यही क्रिया दायें हाथ से 10-10 बार कीजिए।

(3) अन्त में दोनों हाथों को इसी प्रकार एक साथ दोनों दिशाओं में 10-10 बार घुमाइए।

कंधों के विशेष व्यायाम-

(1) वज्रासन में बैठ जाइए। दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़कर सारी उँगलियों को मिलाकर कंधों पर रख लीजिए। अब हाथों को गोलाई में धीरे-धीरे घुमाइए। ऐसा 10 बार कीजिए।

(2) यही क्रिया हाथों को उल्टा घुमाते हुए 10 बार कीजिए।

(3) वज्रासन में ही हाथों को दायें-बायें तान लीजिए और कोहनियों से मोड़कर उँगलियों को मिलाकर कंधों पर रख लीजिए। कोहनी तक हाथ दायें-बायें उठे और तने रहेंगे। अब सिर को सामने की ओर सीधा रखते हुए केवल धड़ को दायें-बायें पेंडुलम की तरह झुलाइए। ध्यान रखिये कि केवल धड़ दायें-बायें घूमेगा, सिर अपनी जगह स्थिर रहेगा और सामने देखते रहेंगे। ऐसा 20 से 25 बार तक कीजिए।

इन सभी व्यायामों को एक बार पूरा करने में मुश्किल से 10 मिनट लगते हैं। इनको दिन में 3-4 बार नियमित रूप से करने पर स्पोंडिलाइटिस और सर्वाइकल का कष्ट केवल 5-7 दिन में अवश्य ही समाप्त हो जाता है। सोते समय तकिया न लगायें तो जल्दी लाभ मिलेगा।

गर्दन दर्द यानि सर्वाइकल पेन से निजात पाने के लिए अपनाएं ये घरेलू नुस्खे



सर्वाइकल पेन से आजकल छोटे बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं।इग्नोर करने से गर्दन के बाद ये दर्द कमर और पैरों तक पहुंच जाता है।घरेलू नुस्खों से सर्वाइकल पेन में राहत मिल सकती है।

हमारी लाइफस्टाइल से लेकर बॉडी पोश्चर तक सबकुछ हमारे शरीर को प्रभावित करता है। आजकल की जीवनशैली में ऑफिस से लेकर घर तक, ज्यादातर लोग दिनभर कुर्सी पर बैठे रहते हैं। कुछ लोगों का कुर्सी और सोफे पर बैठने का तरीका भी अजीब होता है। ये छोटी-छोटी आदतें कई बार गंभीर रोगों को बुलावा दे देती हैं, जिसका हमें पता भी नहीं चलता। दिन भर बैठे रहने से, कुर्सी या सोफे पर आड़े-टेढ़े बैठने से, सीधा न चलने से और कम शारीरिक मेहनत की वजह से कई बार हमारी कमर, गर्दन और रीढ़ की हड्डियां प्रभावित होती हैं और इनमें दर्द शुरू हो जाता है। ऐसा ही एक पेन है सर्वाइकल पेन यानि गर्दन का दर्द, जिससे आजकल बुजुर्गों के साथ-साथ छोटे बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं। गर्दन से शुरू हुआ ये दर्द इग्नोर करते रहने से या दर्द की सामान्य दवाओं के सहारे टाल देने से धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। गर्दन के बाद ये दर्द कमर और पैरों तक पहुंच जाता है। दर्द ज्यादा हो तो डॉक्टर की सलाह जरूरी है। इसके अलावा कुछ घरेलू नुस्खों से भी सर्वाइकल पेन में राहत मिलती है।

हल्दी

हल्दी में कई औषधीय तत्व होते हैं। ये एक नैचुरल पेन किलर है और ये सूजन को भी कम करती है। हल्दी ब्लड सर्कुलेशन को तेज करती है इसलिए इसके सेवन से दर्द में राहत मिलती है और इससे गर्दन की अकड़ भी कम होती है। अगर आपको सर्वाइकल पेन है तो एक ग्लास दूध में एक चम्मच हल्दी डालकर उबाल लें। इसके बाद इसे ठंडा करके इसमें एक चम्मच शहद मिला लें। इसे रोज दिन में दो बार पीने से गर्दन के साथ-साथ शरीर के किसी भी दर्द में राहत मिलती है।

तिल

तिल काफी पौष्टिक होता है। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, कॉपर, जिंक, फॉस्फोरस, विटामिन डी और विटामिन के पाया जाता है इसलिए हड्डियों के साथ-साथ तिल पूरे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। सर्वाइकल पेन से निजात पाने के लिए तिल के तेल को गुनगुना करके इससे रोज दिन में दो बार मालिश करें। तिल का सेवन करने से भी इस दर्द में लाभ मिलता है। इसके लिए भुने हुए तिल को गुड़ की चाशनी में मिलाकर लड्डू बनाकर खाएं। इसके अलावा आप भुने हुए तिल को गर्म दूध में डालकर रोज पी सकते हैं।

लहसुन

लहसुन के औषधीय गुणों के कारण ये दर्द, सूजन और जलन को कम करता है। सर्वाइकल पेन में भी लहसुन के इस्तेमाल से राहत मिल सकती है। इसके लिए सरसों, तिल या अरंडी के तेल में लहसुन की तीन चार कलियों को काटकर डाल दें और भून लें। भुनने के बाद इस तेल से लहसुन निकालकर खा सकते हैं। लहसुन के साथ पके इस तेल से दर्द वाली जगह पर मालिश करने से दर्द में राहत मिलती है। इसके अलावा सुबह खाली पेट लहसुन की दो कली गुनगने पानी के साथ खाएंगे तो आपको सर्वाइकल पेन नहीं होगा, पेट साफ रहेगा और मोटापा तेजी से घटेगा।

गर्दन की सिंकाई

दर्द से तुरंत राहत पाने का सबसे अच्छा तरीका प्रभावित जगह की सिंकाई करना है। गर्दन में दर्द की वजह से कई बार सूजन भी आ जाती है। ऐसे में एक लीटर पानी में आधा चम्मच नमक मिलाकर उबाल लें। गुनगुना हो जाने पर इस पानी को बोतल में भरकर प्रभावित जगह पर सिंकाई करें या इस पानी में तौलिया भिगाकर तौलिये से ही सिंकाई करें। इससे गर्दन का दर्द, जलन और सूजन चला जाएगा

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस (गर्दन दर्द) को योग द्वारा ठीक करने के उपाय

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस ऐसी शरीरिक बीमारी है जो गर्दन की हड्डियों के बीच में होने वाली घिसाई से उत्पन्न होती है। इस अवस्था में हड्डी व उपास्थि के बीच विकार आने से गर्दन में बहुत अधिक दर्द उत्पन्न होता है और दिन-प्रतिदिन की क्रियाएँ करने में भी बाधा आती है। सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस की समस्या अधिकांश, 50-60 के उम्र के लोगो में देखी जाती है 

क्योंकि हड्डियों के घिसने की समस्या उम्र के साथ बढ़ती है। अमेरिकन अकादमी ऑफ़ ओर्थपेडीक सर्जन्स के अनुसार, 64% लोग जो सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस की समस्या से जूझ रहे हैं जो 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोग है। यह समस्या काफी युवाओं में भी देखी जा रही है उनकी आधुनिक जीवन शैली के कारण।

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के कारण

बढ़ती उम्र के साथ-साथ, सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस की समस्या के उत्पन्न होने के और भी कारण हो सकते हैं। गलत अवस्था में काफी देर तक बैठे रहना, काम के कारण गर्दन पर अधिक तनाव आना, गर्दन व रीढ़ की हड्डी में चोट लगना, स्लिप-डिस्क और मोटापा भी इसके कुछ कारण हैं। यदि पूरे परिवार में स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या है तो नई पीढ़ी में भी यह समस्या हो सकती है।

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के लक्षण

गर्दन में बहुत अधिक दर्द इस बीमारी का सबसे मुख्य लक्षण है। इसके अलावा कंधो में दर्द, गर्दन में दर्द और सिरदर्द भी कुछ लक्षणों में से है।

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के लिए योगाभ्यास


सरवाइकल स्पोंडिलोसिस के लिए योग एक प्राकृतिक उपाय है। इस प्राचीन ज्ञान का निरंतर अभ्यास आपको लचीला शरीर, शांत मन और जीवन के प्रति एक सकारात्मक नजरिया प्रदान कर सकते हैं। श्री श्री योग प्रशिक्षक के दिशा-निर्देश में आप अपने जीवन को एक सही दिशा में अग्रसर कर सकते हैं। एक दर्द-रहित जीवन जीने के लिए निमंलिखित योगासन को अपने जीवन का हिस्सा बनाए।

भुजंगासन (Bhujangasana)
अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana)
धनुरासन (Dhanurasana)
मार्जरीआसन (Marjariasana)
सेतु बंधासन (Setu Bandhasana)
मत्स्यासन (Matsyasana)

1
भुजंगासन (Bhujangasana)

यह आसन छाती के हिस्से को फैलता है और रीढ़ की हड्डी को मज़बूत करता है। साटिका के दर्द में भी यह आसन लाभदायक है।

2
अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana)
यह आसन गर्दन व कन्धों के हिस्से में खिचाँव पैदा करता है और रीढ़ की हड्डी को ऊर्जा प्रदान करता है।

3
धनुरासन (Dhanurasana)

यह आसन गर्दन में खिंचाव पैदा करता है और गर्दन के हिस्से को सक्रिय करता है।

4
मार्जरीआसन (Marjariasana)
पीठ के दर्द को कम करता है।

5
सेतु बंधासन (Setu Bandhasana)
गर्दन और रीढ़ की हड्डी में खिंचाव लाता है। सर में रक्त प्रवाह बढ़ाता है जिससे सर दर्द में राहत मिलती है।

6
मत्स्यासन (Matsyasana)

पीठ को मजबूत बनाता है और गले एवं गर्दन में खिंचावट लाता है।

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस को बिना सर्जरी के ठीक किया जा सकता है। उचित चिकित्सा, नियमित योग अभ्यास और अच्छी देखभाल से यह बीमारी ठीक हो सकती है। 

फिजियोथैरेपी और पैन किलर भी चिकित्सा में लाभदायक साबित होते है। इसके इलावा खुद के बैठने के ढंग को सुधरने से भी गर्दन के दर्द से राहत मिलती है।

ऐसे कार्यों से बचे जो गर्दन पर दबाव डालते हो।भारी चीज़ों को न उठाएँ।काम के बीच छोटे ब्रेक ले जिससे गर्दन को आराम मिले।अपनी कैल्शियम की दैनिक ज़रूरत को पूरा करे।पानी पीने में कमी न रखे।फल और हरी सब्जियों का सेवन करे।हर रोज़ व्यायाम करे पर पूरी सावधानी के साथ।


ध्यान दे- अपनी दवाई में कोई भी बदलाव करने से पहले अपने चिकित्सक का सुझाव ज़रूर लें।



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योगा के ये 4 आसन आपको दिला सकते हैं सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस से छुटकारा

भुजंगासन- रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ रखने के लिए यह आसन एक कारगर उपाय है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक शरीर की रीढ़ का लचीला होना बेहद जरूरी है। ऐसा नहीं होने पर कमर में दर्द बढ़ने का खतरा बना रहता है। यह आसन रीढ़, गर्दन और कंधों की अकड़न को कम करने में मदद करता है जिससे सर्वाइकल की बीमारी से निजात पाई जा सकती है।

मकरासन- सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के ट्रीटमेंट के लिए यह भी एक बेहतरीन आसन है। इससे हमारी रीढ़ की हड्डी अपने कुदरती आकार में बनी रहती है और यह रीढ़ की नसों के लिए भी काफी फायदेमंद एक्सरसाइस है जिससे गर्दन और कंधों का दर्द दूर होता है।

मार्जरासन- यह आसन आपकी रीढ़ की हड्डी को फ्लेक्सिबल रखने के साथ-साथ उसे एक तरह का मसाज भी देता है। यह गर्दन, कमर और रीढ़ को स्वस्थ रखने का एक बेहद उपयोगी आसन हैं।

अर्ध नौकासन- गर्दन, कमर और कंधों का दर्द दूर करने के अलावा यह आसन आपको कई और तरीकों से लाभ देता है। यह आसन खराब पाचन शक्ति, कॉन्सटिपेशन को भी दूर करने में मदद करता है।

सरल योग आसन जो गर्दन के दर्द से छुटकारा दिलाते है

अब वह दिन नहीं रहे जब "थोड़ा ही बहुत है" का मुद्दा जीवन जीने के लिए उपयुक्त माना जाता था। आज हमें सब कुछ औरों से बेहतर चाहिये। बेहतर घर, बेहतर तनख्वाह, बेहतर अंक और यहाँ तक की बेहतर दुनिया। यह बेहतर होने की होड़ और संघर्ष हम सब को पागल कर रही है। आप कह सकते हैं की यह एक क्रमागत उन्नति है। परंतु जिस गति से हम उन्नति हासिल करना चाहते हैं वह हमारे स्वास्थ पर एक प्रतिकूल असर डाल रहा है - मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक तौर पर।

हमारी इच्छाओं ने आवश्यकताओं का रूप ले लिया है और इन की पूर्ति करने के लिए काम के प्रति प्रतिबध्दता अनिवार्य है। इसी यथाक्रम में हम स्वयं को ज़रूरत से ज़्यादा तनावग्रस्त कर लेते हैं व शरीर को एक कारखाने में परिवर्तित कर देते हैं। इस के बाद शरीर की टूट-फूट शुरू हो जाती है। एक अति सामान्य रोग जो हम सभी को प्रभावित करता है, वह है गर्दन का दर्द।

गर्दन का दर्द जिसे चिकित्सा शब्दावली में ‘सर्विकालजिया’ कहते हैं ज़्यादातर, लंबे अंतराल तक निरंतर एक ही मुद्रा में बैठे रहने, या पूरी रात ठीक से न सोने और कम व्यायाम करने के कारण उठता है। जब गर्दन के दर्द (gardan ke dard) के कारण ही सरल हैं, तो उस का ईलाज क्यों नहीं?

गर्दन के दर्द से छुटकारा पाने के लिए हम आपके समक्ष 7 सरल तरीके (योग आसन) प्रस्तुत करते हैं जो करने में भी आसान हैं और आप के दैनिक व्यस्त कार्यक्रम में बाधा भी नहीं पहुँचाएंगे। योग के विषय में सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है क़ि इस का अस्तित्व पाँच हज़ार से भी ज़्यादा सालों से पुराना है और यह अभी भी सुदृड रूप से चल रहा है।

गर्दन में दर्द के लिए योग आसान

बाल आसन या शिशु आसन |Shishuasana | Child poseनटराज आसन या रिक्लाइनिंग ट्विस्ट्स |Natrajasanaबीतिलीआसन या गौ (काउ) मुद्रा |Cow poseमार्जरिआसन या कैट (बिल्ली) मुद्रा |Marjaryasanaविपरीत कर्णी आसन या दीवार के सहारे पैर उपर करने की मुद्रा | Viparita Karani Asanaउत्थिता त्रिकोण आसन या एक्सटेंडेड ट्राइऐंगल मुद्रा |


1
बाल आसन या शिशु आसन

फर्श पर घुटने के बल बैठ जाएँ। अपनी पिंडलियों को ज़मीन पर इस तरह रख दें कि दोनों पंजे आपस में मिले हों।एड़ीयों के भार बैठ जायें। अपने हाथों को शरीर के दोनों ओर ज़मीन पर रख दें। एक लंबी गहरी श्वास छोड़ें और कमर को झुकाते हुए अपने धड़ को अपनी दोनों जंघाओं के बीच ले आएँ। अब धीरे से अपने सर को ज़मीन पर रख दें। उतनी ही चेष्ठा करें जितना सरलता से संभव हो सके, अपने आप अधिक ज़ोरदार प्रयास न करें। अपनी हथेलियों को अपने धड़ के दोनों तरफ ज़मीन पर रखे रहें। इसी आसन में जितनी देर संभव हो, विश्राम में रहें। और फिर धीरे से एक श्वास लेते हुए अपने शरीर को धीरे-धीरे उपर उठाते हुए सीधे हो जाएँ। अपनी हथेलियों को आकाश की ओर मुंह करके जंघा पर रखें जैसे ईश्वर को समर्पण कर रहे हैं। इस आसन से केवल गर्दन और पीठ के दर्द से ही आराम नहीं मिलता है, अपितु मन भी शांत हो जाता है. यह आसन कूल्हों, जांघों और पिंडलियों को लचीला बनाकर आपको एक शिशु की सी ताज़गी महसूस कराता है।


2
नटराज आसन

अपनी पीठ को सीधे रखते हुए ज़मीन पर लेट जाएँ। धीरे से अपने सीधे पैर को उठा कर बाएँ पैर के उपर ले आएँ। बायां पैर सीधा ही रखें। ध्यान रहे कि दाहिना पैर ज़मीन पर एक सीधा कोण बनाए। अपने दोनों हाथों को शरीर के दाहिने और बाएँ तरफ फैला कर रखें। चेहरे को दाहिनी तरफ मोड़ लें। कुछ गहरी लंबी श्वास लें और छोड़ें और इसी मुद्रा में तीस सेकंड्स तक स्थिर रहें।बाएँ पैर से इसी आसन की पुनरावृति करें। यह आपकी मांसपेशियों को तो लचीला बनाती ही है साथ ही आपको पूर्णता और आनंद का अहसास कराती है। यह शिव के नृत्य की मुद्रा है। शिव तत्व को अपने भीतर व चारों ओर महसूस करो।



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3
बीतिलीआसन या गौ (काउ) मुद्रा

अपनी पिंडलीयों को ज़मीन पर रखें और बाकी शरीर को टेबल टॉप मुद्रा में रखें, यानि की अपनी जांघों, धड़ और हाथों की सहायता से एक मेज़ का रूप धारण करें। अपने घुटने और कूल्हों को एक ही लाइन में रखें। अपनी कमर, कोहनियों तथा कंधों को भी एक लाइन में ज़मीन से सटा कर रखें। आपका धड़ ज़मीन के समानांतर हो। इस मुद्रा में रहते हुए सांस भरें और अपने पेट को ज़मीन की तरफ अंदर खींचें। अब अपने सिर को उपर की तरफ उठाएँ। इसी मुद्रा में थोड़ी देर तक रहें और फिर मार्जरिआसन में (जो नीचे दिया गया है) आ जाएँ।


4

मार्जरिआसन या बिल्ली मुद्रा

बारी बारी से सांस छोड़ें और अपनी रीढ़ की हड्डी को कूबड़ की तरह गोल करते हुए अपने सिर को नीचे ले जाएँ। धीरे से अपने थोडी को अपनी गर्दन से लगा दें। इन दोनो मुद्राओं (गौ मुद्रा और कैट मुद्रा) को श्वास लेते हुए और छोड़ते हुए, बारी बारी से करें। इसको करने से आपकी मेरुदण्ड और पेट की एक हल्की सी मालिश होगी वो भी बिना पैसे खर्च किए। साथ ही आपको गर्दन के दर्द से छुटकारा (Neck pain relief) भी मिल जाएगा।


5
विपरीत कर्णी आसन

यह सरल है। बस अपनी पीठ के बल लेट जाएँ और अपने टाँगों को दीवार का सहारा देते हुए पैरों को छत की ओर उठा लें। अपनी बाहों को फैला कर शरीर के दोनों तरफ ज़मीन पर रख दें और अपनी हथेलियों को आकाश की तरफ मोड़ कर खुली रखें। दूसरी मुद्रा में जाने से पहले इसी मुद्रा में कम से कम पंद्रह की गिनती करें और गहरी लंबी श्वास लें और छोड़ें। यह योग आसन आपकी गर्दन के पिछले हिस्से को सहजता से मालिश देता है, हल्के-फुल्के पीठ दर्द से आराम देता है और थकान को दूर कर पैरों की जकड़न/ऐंठन को दूर करता है।

6
त्रिकोण आसन


सर्वप्रथम सीधे खड़े हो जाएँ। अब अपने पैरों को जितना फैला सकें, फैला दें। अपनी पीठ को सीधे रखते हुए अपनी दोनों बाहों को बगल में फैला कर रखें। एक श्वास भरें और धीरे से अपने दाहिनी ओर झुक जाएँ। आप का दाहिना हाथ आप के घुटनों को स्पर्श करे और बायां हाथ उपर की दिशा में हो। इस मुद्रा में रहते हुए अपने बाएँ हाथ की तरफ देखते रहें। इसी मुद्रा में जब तक रह सकें, रहें। याद रखें कि आप अपनी क्षमता के अनुसार ही यह आसन करें। योग (Yog) का उद्देश्य आपको दर्द से मुक्ति दिलाना है, दर्द देना नहीं।

7
शव आसन


वाह! यह सब से आसान आसन है। इस को करने के लिए आपको कुछ भी नहीं करना है। इस में शरीर को ज़मीन पर स्थिर अवस्था में रखना है। ज़मीन पर सीधे लेट जायें, हाथों को शरीर के दोनों ओर रख लें और पैरों को थोड़ा सा खोल दें। हाथों को शरीर के दोनों तरफ रख कर हथेलियों को आकाश की तरफ खोल दें। यह आसन सब आसनों के अंत में किया जाता है और सबसे सरल आसन है। मांसपेशियों तथा खुद को गहरा विश्राम देने के लिए शरीर को इस स्थिति में 5 मिनट तक विश्राम दें।

हम आशा करते हैं कि आप की गर्दन का दर्द चला गया होगा इन सरल योग आसनों को करने के उपरांत और आप एक तनावमुक्त खुशहाल जीवन जी रहे होंगे। तब तक खुशी से इन योग आसन का आनद लें। ओर जुड़े रहे हमारे page से ।



तो दोस्तो आज जाना कि कैसे हम ( Apni Cervical Pain se chutkara pa sakte hai ) ओर अपनी लाइफ को खुश रख सकते है दोस्तो आप इन सब advices को आपनी लाइफ मैं जरूर Try करे और अपने दोस्तों और family member को बी share करे और ऐसे ही ओर अछे articles के लिए जुड़े रहे ( https://normaladvices.blogspot.com ) से।

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