तनाव- स्ट्रैस (Stress) se mukti in hindi


तनाव- स्ट्रैस (Stress) mukti in hindi



दोस्तो आज बात करेगे तनाव- स्ट्रैस (Stress) बारे मे दोस्तो आज कल की लाइफ मैं किस को तनाव- स्ट्रैस (Stress) नही है। सबको किसी न किसी चीज को ले के stress है। बचाओ को स्कूल और पढ़ाई का टेंशन है। ओर कई लोग को अपने फ्यूचर की टेंशन होती है कई लोगो job and business की टेंशन होता है मै मानता हूं टेंशन लेना जरूरी है पर कई बार लोग हद से ज्यादा टेंशन-तनाव- स्ट्रैस (Stress) ले लेते है आज ये आर्टिकल इस के ले ही लिख रहा हु इस  मैं हम जाने गए कोन कोन सी चीजें हमे टेंसशन-तनाव- स्ट्रैस (Stress) से बचाए गए ।


Kuch points mai aap ko ye article batuga jis se ye article aap ko ache se smaj aa jay ga

1, तनाव- स्ट्रैस (Stress)

2, मानसिक तनाव के कारण, लक्षण एवं बचने के बेस्ट उपाय।

3, शरीर को ऐसे नुकसान पहुंचाता है तनाव।

4, तनाव को रखें दूर

5, मानसिक तनाव कैसे करें दूर।

6, बच्चों में तनाव का कारण बन रहा है पढ़ाई का बोझ

7, बच्चों में तनाव का कारण बन रहा है पढ़ाई का बोझ

8, Tension को करना है दूर तो आपके काम आएंगे ये कमाल के10 टिप्स

9, डिप्रेशन दूर करने में मददगार हैं मोबाइल गेम!

10, तनाव से बचने के लिए दिल खोलकर हंसें

11, म्‍यूजिक दूर करे तनाव

12, म्‍यूजिक दूर करे तनाव

13, तनाव दूर करने में मददगार हैं पौधे

14, एक नहीं बल्कि कई प्रकार के होते हैं तनाव

15, तनाव, अवसाद और कई तरह की मानसिक परेशानियों को दूर करते हैं ये 8 सुपरफूड्स

16, स्ट्रेस से बचने के उपाय

17, स्ट्रैस के लिए बेहतरीन टिप्स

18, आयुर्वेदिक तरीको से करें अपने तनाव का उपचार

19, चिंता दूर करने के उपायों के बारे में जानें

20, अब तनाव को कहें बाय और खुशियों का करें वेलकम

  21, तनाव का मुकाबला करने की स्किल सीखें

22, तनाव दूर करने के आसान टिप्‍स

23, तनाव और गुस्से से बचने के नुस्खे

24, पारिवारिक तनाव को कैसे कम करें

25, 5 स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍यायें जो दे सकती हैं डिप्रेशन

26, तनाव से रहें दूर जिंदगी जिएं भरपूर

27, तनाव का प्रभाव: 10 तरीकों से पड़ सकता है तनाव का असर स्वास्थ पर

28, ज्यादा तनाव से नजर कमजोर होने का खतरा

29, तनाव और चिंता दूर करने के उपाय

तनाव- स्ट्रैस (Stress)


किसी बात से परेशान, आहत या दुखी होकर, व्यक्ति का मन से गहन उदास होना ही तनाव है। तनाव मन से संबंधित है। तनाव (Stress) एक तरह का द्वंद है जो संतुलन और सामंजस्य न बैठा पाने के कारण होता है। जो व्यक्ति तनाव से ग्रसित होता है उसका मन अशांत हो जाता है, भावनाएं स्थिर नहीं रह पातीं। सही और गलत का फैसला करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में संबंधित व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक दोनों ही स्थितियां दिन-प्रतिदिन खराब होती जाती हैं।
  

तनाव से होने वाली समस्याएं।

कभी तनाव (Tanav) लेने से व्यक्ति में किसी भी कार्य को बेहतर करने की लगन पैदा हो जाती है लेकिन स्थिति तब बिगड़ती है जब यह तनाव हावी होने लगता है। जब कोई भी व्यक्ति तनाव लेता है तो उसे कई प्रकार की समस्याओं से परेशान होना पड़ सकता है जैसे: 

उसका रक्तचाप बढ़ जाता है।सांसे सामान्य से तेज चलती हैं।पाचन शक्ति प्रभावित होती है।रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है।मांसपेशियां भी तनाव लेने लगती हैं।

मानसिक तनाव के कारण, लक्षण एवं बचने के बेस्ट उपाय।




आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में स्ट्रेस डिप्रेशन तनाव एक गंभीर बीमारी का रूप ले रही है। इंसान अपने काम या अपनी परेशानियों को इतना बड़ा बना लेता है उसे कई तरह की गंभीर बीमारियां होने लग जाती हैं। आए दिन हम अखबारों में पढ़ते हैंकई लोग अपने जीवन से दुखी होकर आत्महत्या का चुनाव कर लेते हैं। डिप्रेशन एक मानसिक समस्या है जिसमें कई लोग असामान्य हो जाते हैं और अपना मानसिक संतुलन खो बैठते हैं।

आज के समय में यह समस्या हर दूसरे व्यक्ति को होती है। परिवार को लेकर ऑफिस को लेकर यह छोटी-छोटी चीजों को लेकर व्यक्ति काफी कुछ सोचता है। छोटी-छोटी समस्याओं को इतनी बड़ी बना लेता है कि वह खुद उन समस्याओं में इतना गिर जाता है कि उसके लिए बाहर निकलना बड़ा मुश्किल हो जाता है।

आज इंसान अपनी लाइफ को अच्छा बनाने के लिए हर संभव प्रयास करता है चाहे वह स्टूडेंट हो चाहे वह बिजनेसमैन या पति पत्नी क्यों ना हो हम सब अपनी लाइफ को अच्छा बनाना चाहते हैं। कोई अपने रिलेशनशिप से संतुष्ट नहीं है कोई पिता अपने बच्चों के काम से संतुष्ट नहीं हैं। या कोई पत्नी अपने पति की गतिविधियों को लेकर संतुष्ट नहीं है। इस तरह की कई सारी परेशानियां आपने देखी होगी कहने का अर्थ यह है कि अधिकतर लोग अपनी लाइफ टेंशन में बिता रहे हैं। सारी सुख-सुविधाएं होने के बावजूद भी तनाव से घिरे रहते हैं। उन्हें कोई न कोई परेशानी जरूर होती है। और यह तनाव उन्हें कई रोगों से ग्रसित कर देता है।

डिप्रेशन इंसान के शरीर की वह स्थिति होती है जब जीवन में कोई बदलाव आ जाता है या उस बदलाव को मानसिक तौर पर वह सहन नहीं कर पाता। हमारा मस्तिष्क उस परिस्थिति में थक जाता है और हमें तनाव होने लगता है। हमारे शरीर और मनोवैज्ञानिक कार्यप्रणाली को खराब कर देती है हमारे कई हारमोंस परिवर्तन हो जाते हैं और हम डिप्रेशन में चले जाते हैं।

आइए जानते हैं दोस्तो तनाव के लक्षण के बारे में।

देखा जाए तो तनाव के कई सारे लक्षण हैं छोटे-छोटे लक्षण जो हमें दिखाई नहीं देते या हम उन्हें समझ नहीं पाते हैं। छोटे छोटे परिवर्तन के कारण हमारी लाइफ में कई बदलाव होते हैं।
हमें नींद नहीं आती है।

भोजन का न पचना।

ब्लड सरकुलेशन सही तरह से नहीं होता।

जन कम हो सकता है।

एकदम से ब्लड प्रेशर कम ज्यादा हो जाना।

बिना काम के थकान महसूस होना।

हमेशा उदास रहना, तेज सांस चलना।

हमेशा चिड़चिड़ा रहना।

बेवजह की बातों पर गुस्सा होना।

सिर दर्द को बीमार जैसा महसूस करना।

हमारा आत्मविश्वास कम होना।

बालों का झड़ना व शरीर पर कई तरह के परिवर्तन होते हैं।

इसके अलावा भी कई तरह के लक्षण हो सकते हैं जिन्हें हम नजरअंदाज कर देते हैं।

छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें आप तनाव से बचा सकते हैं।

सुबह जल्दी उठे: तनाव कम करने में सबसे सहायक है कि आप सुबह जल्दी उठे क्योंकि यह वह काम है जिससे आपके कई सारे काम बिगड़ सकते हैं। आपने देखा होगा कि देर तक सोने की आदत आपको कई मुश्किलों में डाल सकती है। देर से उठना देर से सारे काम करना या ऑफ़िस देर से पहुँचना जिसके कारण आपको कई तरह की परेशानियां हो सकती है। और यही काम आपको डिप्रेशन की ओर ले जाएगा आप देखेंगे कि देर तक सोने के कारण आप के कामकाज पर काफी प्रभाव पड़ता है। इसी के साथ आपको जल्दी सोने की आदत भी डालना चाहिए काम पर जल्दी निकले और टाइम मैनेजमेंट पर पूरी तरह से ध्यान दें एक छोटा सा समय आप में बड़ा बदलाव ला सकता है। और आपको तनाव से दूर रख सकता है।

बे-वजह किसी भी काम को ना टाले: हर बार आपने महसूस किया होगा कि आप कि दिनचर्या में होने वाले कामों को आप कुछ समय के लिए टाल देते हैं। जो ऐसा सोचते हैं कि आज नहीं कल कर लेंगे या कल नहीं परसों कर लेंगे तो ऐसा बिल्कुल ना करें जब जिस काम की आवश्यकता हो उस काम को तुरंत निपटा लें। इस तरह कोई भी काम बाकी नहीं रहेगा और आपको उस काम को करने की टेंशन नहीं होगी इस आदत को आपको अपने दिनचर्या में लाना होगा।

एक साथ काम करना बंद करें: कई बार हम सोचते हैं कि हम सारे काम कर सकते हैं कई लोगों को किसी दूसरे का काम पसंद नहीं आता वह उस काम को खुद करना पसंद करता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी ना करें जिसका जो काम है उसे वह काम करने दें अगर उसे नहीं आता है तो उसे सिखाए या उसे बताएं कि इस काम को किस तरह किया जाता है। अगर आप ही करने लग जाएंगे तो दूसरों की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। अगर घर में कोई बिजली का काम है तो उसे बिजली कर्मचारी को ही करने दे। और भी कई सारे काम होते हैं जो हम नहीं कर सकते हैं लेकिन हम करने की कोशिश करते हैं। जिससे कि वह काम और बिगड़ जाता है इसमें हमारा जान और माल का भी नुकसान हो सकता है तो सदैव ध्यान रखें कोई भी ऐसा काम जिसे हम नहीं कर सकते हैं उससे छेड़छाड़ ना करें।

अपने लिए समय निकालें: भागदौड़ भरी जिंदगी में आज किसी के पास भी समय नहीं है टेक्नोलॉजी के इस नए दौर में इंसान सब कुछ जल्दी पा लेना चाहता है। आजकल ज्यादा से ज्यादा युवा अपना समय सोशल मीडिया पर व्यस्त करते हैं। जिनसे उनकी सोचने समझने की शक्ति समाप्त होने लगती है वह अपने लिए टाइम नहीं निकाल पाते हैं। उन्हें क्या करना है या फ़्यूचर में क्या करना चाहते है वह सोच नहीं पाते हैं। अपना खास समय भी वह सोशल मीडिया पर निकाल देते हैं। जिनका उन्हें कोई उपयोग नहीं है अपना एक समय बनाएँ की उस समय हम सोशल मीडिया का उपयोग करेंगे।
अपना समय अपने परिवार और अपने दोस्तों के साथ बताएं उनसे मज़ाक मस्ती करें अगर आप शादीशुदा हैं और बच्चे हैं तो उनको समय दें अपने जीवन साथी के साथ समय व्यतीत करें

जो पसंद हो वह करें: हमें जो भी काम अच्छा लगता है हमारी जिसने भी रुचि है हमें वह करना चाहिए। चाहे वह डांस करना हो पेंटिंग बनाना हो म्यूजिक सुनना हो कविताएं लिखना हो जो भी आपको अच्छा लगे आप वह कर सकते हैं। अपना कीमती समय यहां लगा सकते हैं जो आपको तनाव मुक्त रहने के लिए काफी मदद करेगा साथ ही साथ मोटिवेशनल मूवी देखना स्विमिंग कर सकते हैं। या बायोग्राफी पढ़ना दूसरों के जीवन के बारे में पढ़ने से आपके विचारों में कई सारे परिवर्तन आएंगे। ऐसी कई सारी चीजें हैं जो आप कर सकते हैं।

नशे से दूर रहें: अधिकतर आपने देखा होगा कि युवा वर्ग सबसे ज्यादा नशे की चपेट में है सिगरेट शराब व कई प्रकार के नशे ने युवाओं को घेर रखा है चाहे खुशी का मौका हो या कोई गम में हो शराब का सेवन हर कोई करता है। वही डिप्रेशन के अगर बात की जाए हर दूसरा व्यक्ति शराब का सेवन करता है अगर आप भी डिप्रेशन में शराब पीते हैं तो सावधान हो जाएं यह गलती बिल्कुल ना करें किसी भी प्रकार का नशा आपके तनाव को और बढ़ा सकता है। और कई तरह की नई परेशानियों को बढ़ा सकता है इसके कई खतरनाक साइड इफेक्ट के कारण आपको काफी प्रॉब्लम झेलना पड़ सकती है।

आराम जरूरी: काम की भाग दौड़ में समय न मिलने के कारण आप मानसिक तौर पर काफी व्यस्त रह सकते हैं। जिसके चलते आपके शरीर पर कई प्रभाव हो सकते हैं काम के दौरान हर थोड़ी देर में आपको ब्रेक लेना चाहिए। यदि आपको काम करते हुए 2 घंटे से ज्यादा हो गए हैं तो बीच-बीच में कुछ मिनट का ब्रेक लेकर आराम जरूर करें। पानी पिए बाहर जाएं ताजी हवा में घुमे। किसी से बात करें नए लोगों से मिले अपने आप को रचनात्मक बनाएं।

प्लान करें: अपने हर जरूरी काम को व्यवस्थित तरीके से प्लान करें अगर आपको कहीं बाहर भी जाना हो तो उसका समय तारीख तय करें अगर कहीं किसी से मिलने भी जाना हो तो आप पहले से ही तैयारी कर ले ऐसा बहुत कम होता है कि आप को इमरजेंसी में जाना हो। तो जो भी आपके जरूरी काम है उसकी लिस्ट बना ले या आप की डायरी में उसे लिख लें इससे आपको आपके कामों के बारे में पूरी जानकारी भी रहेगी और आप पूरी तरह से सब कुछ प्लान भी कर सकते हैं। जिससे आपको किसी भी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

व्यायाम करें: अपने आप को फिट रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर कसरत करना बहुत लाभकारी है। आप देखेंगे कि आप की पूरी दिनचर्या एक छोटी सी कसरत या व्यायाम से कुछ हद तक ठीक हो सकती है अपने आप को फिट रखने के लिए आजकल हर कोई योगा करता है जिम जाता है। वह अपने आप को फिट रखने की कोशिश करता है यह आपके शरीर के लिए बहुत ही जरूरी है। अपने शरीर के साथ-साथ आप अपने मस्तिष्क को भी फिट रख सकते हैं।

क्या खाएं: भोजन हमारे लिए सबसे जरूरी है लेकिन हम हमारे भोजन का ध्यान बिल्कुल नहीं रखते हैं भोजन करने का एक निश्चित समय तय करें। अपने भोजन में हरी सब्जियां पोषक तत्व वाले पदार्थ दूध दही घी आदि का नियमित मात्रा में सेवन करें समय पर नाश्ता करें वह एक बार में बैठकर पूरी तरह से आराम से भोजन करें। आजकल देखा गया है कि भोजन करते समय भी लोग TV देखते हैं या पेपर पढ़ते हैं या फोन में व्यस्त रहते हैं ऐसा बिल्कुल ना करें। भोजन करते समय सिर्फ आपका ध्यान भोजन पर ही रहे तो आप ज्यादा अच्छी तरह से भोजन कर सकते हैं। एक समय में कई सारे कार्य ना करें बाहर की चीजों का सेवन ना करें ज्यादा मिर्च का चटपटा भोजन ना करें जो आपके पैट को खराब कर सकते हैं जितना हो सके उतना बाहर के खाने से बचें।

देर तक सोना: जैसा की हमने पहले भी बताया है कि आपको सुबह जल्दी उठना है अगर आप सुबह जल्दी उठना चाहते हैं तो आपको जल्दी सोना भी पड़ेगा देर रात तक जागने से आपकी नींद पूरी नहीं होगी और आप सुबह जल्दी नहीं उठ पाएंगे। तो ध्यान रहे सोने का भी एक निश्चित समय बनाएं सोशल मीडिया Facebook, WhatsApp या TV से दूर रहें एक सीमित मात्रा में इनका उपयोग करें देर रात तक जागने के कारण भी आपको स्ट्रेस की समस्या हो सकती है। कोशिश करें पूरी नींद लें गहरी नींद में सोए तथा अपने शरीर को आराम दे।

अपने आपको को पसंद के काम में व्यस्त रखें कोई ऐसा काम ना करें जिससे आपका तनाव बढ़े समय-समय पर डॉक्टर को दिखाते रहे हैं डॉक्टर से खुलकर बात करें उन्हें अपनी परेशानी बताएं।

शरीर को ऐसे नुकसान पहुंचाता है तनाव



क्या आपको पता है कि तनाव न सिर्फ आपके मस्तिष्क बल्कि शरीर की आंतरिक प्रणाली को भी नुकसान पहुंचाता है। 'द अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन' ने मानव शरीर की आंतरिक प्रणाली पर तनाव के प्रभावों के बारे में बताया है।

नर्वस सिस्टम 

जब हम शारीरिक या मानसिक रूप से बहुत अधिक तनाव लेते हैं तो शरीर अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल इससे निपटने में करता है जिसे फाइट या फ्लाइट रिस्पांस कहते हैं। इसमें नर्वस सिस्टम एडरनल ग्लैंड को एड्रेनालिन और कॉर्टिसोल छोड़ने के निर्देश देते हैं। इन हार्मोन्स की वजह से दिल की धड़कन बढ़ जाती है, बीपी बढ़ जाता है, पाचन क्रिया प्रभावित होती है और रक्त के प्रवाह में ग्लूकोज का स्तर तेजी से बढ़ता है।

मांसपेशियां

तनाव के दौरान मांसपेशियों में खिंचाव होता है। कई बार इसकी वजह से सिरदर्द, माइग्रेन या मांसपेशियों व हड्डियों से जुड़े परिवर्तन होते हैं।

श्वास संबंधी

तनाव की स्थिति में सांस लेने में दिक्कत भी हो सकती है। कुछ लोगों को इस वजह से कई बार पैनिक अटैक आते हैं।

हृदय पर प्रभाव

कई बार थोड़ा सा भी तनाव हार्ट रेट को बढ़ा देता है और हृदय की मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं। ऐसे में हृदय द्वारा पंप किए गए रक्त को शरीर के दूसरे हिस्से में ले जाने वाली रक्त वाहिकाओं में अवरोध होता है। ऐसी स्थिति में दिल के दौरे की भी आशंका बढ़ जाती है। 

इंटोक्राइन सिस्टम

जब शरीर तनाव में होता है तो दिमाग हाइपोथैलॉमस से सिग्नल भेजता है जिससे एडरनल ग्लैंड कॉर्टिसोल बनाता है और एडरनल मॉड्यूला इपाइनरफाइन नामक तनाव के हार्मोन बनाता है। 

लिवर 

जब कॉर्टिसोल और इपाइनरफाइन निकलते हैं तो लिवर तेजी से बहुत अधिक मात्रा में ग्लूकोज बनाता है जिससे शरीर को ऊर्जा मिल सके। 

गैस्ट्रियोइंटेस्टाइनल सिस्टम 

तनाव की अवस्था का कई बार सीधा प्रभाव हमारी भूख पर भी पड़ता है। ऐसी स्थिति में हम बहुत अधिक या बहुत कम खाते हैं। कई बार अल्कोहल या तंबाकू का सेवन भी बहुत अधिक करते हैं।

पेट 

कई बार तनाव के दौरान पेट में हल्का दर्द, उमड़न आदि महसूस होता है। कई बार बहुत अधिक तनाव होने पर उल्टियां भी शुरू हो जाती हैं।

रिप्रोडक्टिव सिस्टम

पुरुषों में तनाव से टेस्टोस्टीरोन व वपीर्य का उत्पादन प्रभावित होता है। कई बार तो इससे नपुंसकता जैसी स्थिति भी आ जाती है। वहीं महिलाओं में तनाव से मेन्सुरेशन साइकिल पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जिसमें उन्हें बहुत अधिक दर्द या अनियमितता की समस्या होती है। 

इम्यून सिस्टम 

तनाव की स्थिति में हम शरीर की ऊर्जा का एक बहुत बड़ा भाग उससे निपटने में गंवा देते हैं। ऐसे में शरीर का इन्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है।

तनाव को रखें दूर

जिंदगी में तनाव होना एक सामान्य बात है।कोई नई जिम्मेदारी मिलने पर तनाव होता है।तनाव दूर करने के लिए दिनचर्या में बदलाव करें।सुबह उठकर गहरी सांस लें और छोड़ें।

रोजमर्रा की जिंदगी में तनाव होना एक सामान्य बात है। अकसर लोगों को छोटी-छोटी बातों से भी तनाव होता है और वे परेशान हो जाते हैं। मानसिक और शारीरिक रूप से तनाव कई दुष्प्रभाव डालता है।

तनाव को कभी भी अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए। कुछ लोग तनाव को आसानी से झेल लेते हैं, मगर कुछ तनाव सहन नहीं कर पाते और बढ़ते तनाव का प्रभाव उनकी मनोदशा, काम और यहां तक कि रिश्तों पर भी पड़ने लगता है। यदि आप चाहें तो अपनी दिनचर्या में कुछ आसान बदलाव और दृढ़ इच्छाशक्ति से तनाव को दूर रख सकते हैं। आज हम आपको तनाव से निजात दिलाने के तरीके सुझा रहे हैं। लेकिन सबसे पहले हम तनाव के कारणों के बारे में जानते हैं। 

तनाव के कारण

परीक्षा एंतर्क-वितर्क हो मवर्कतंग किए जाने पर अपने ग्रुप से बाहर होने पर आफिस के काम काज से शादी या बच्चे के जन्म पर ट्रैफिक में फंसने पर इंटरव्यू का बुलावा आने पर कोई नई जिम्मेदारी मिलने पर

तनाव के लक्षण

सिरदर्द और बीमार जैसा महसूस होनाठीक से पाचन न हो पानानींद और एकाग्र न हो पानाचिड़चिड़ापना और बेवजह गुस्सा आना

शारीरिक परेशानियां

थकान आत्मविश्वास में कमी अवसाद बालों का झड़ना और त्वचा पर झुर्रियां

ऐसे पाएं निजात

डांस, कला, ध्यान, फिशिंग, मित्रों के साथ घूमना, किताब पढ़ना, संगीत सुनना, कसरत आदि से तनाव को दूर किया जा सकता है।सुबह उठकर गहरी सांस लें और छोड़ें। यह प्रक्रिया कई बार दोहराएं। इससे तनाव दूर करने में आपको राहत मिलेगी।पोषाहार, आराम, कसरत, सकारात्मक विचारों वाली जीवनशैली अपनाएं। छोटे लक्ष्य बनाएं।

मानसिक तनाव कैसे करें दूर।



विशेषज्ञों के अनुसार डॉक्टर्स के पास जाने वाले 90 प्रतिशत मरीज तनाव से संबंधित रोगों के कारण आते हैं। जब हमारे शरीर या मन को किसी चुनौती का सामना करना पड़ता है तो हमारी चयापचय प्रक्रिया तेज हो जाती है, रक्तचाप, हृदय गति और नाड़ी की गति बढ़ जाती है और शरीर में खून का दौरा तेज होता है। शरीर में एड्रनलीन की मात्रा बढ़ जाती है। यह स्थिति अधिक देर बनी रहे तो कई शारीरिक व मानसिक समस्याएँ पैदा हो जाती हैं। 

तनाव रोधी भोजन : कुछ भोजन ऐसे हैं, जो हमारे शरीर को तनाव से लड़ने की शक्ति देते हैं। संतरे, दूध व सूखे मेवे में पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है, जो हमारे दिमाग को शक्ति प्रदान करती है। 

आलू में विटामिन 'बी' समूह के विटामिन काफी मात्रा में होते हैं, जो हमें चिंता और खराब मूड का मुकाबला करने में सहायता देते हैं। 
चावल, मछली, फलियाँ, और अनाज में विटामिन 'बी' होता है, जो दिमागी बीमारियों और अवसाद को दूर रखने में सहायक है। हरी पत्ते वाली सब्जियों, गेहूँ, सोयाबीन, मूँगफली, आम और केले में मैग्नीशियम की मात्रा अधिक होती है, जो हमारे शरीर को तनाव से लड़ने में सहायता देती है। 

विशेषज्ञों के अनुसार तनाव की स्थिति में थोड़ा-थोड़ा करके कई बार खाना तनाव को दूर भगाने में सहायक हो सकता है। इससे उन लोगों को भी सहायता मिल सकती है, जो तनाव की स्थिति में अतिरिक्त खाने के आदी हैं। थोड़ा-थोड़ा खाने से शरीर को शक्ति मिलती रहती है। 

मन में मत रखिए : आप किसी भी कारण से तनाव ग्रस्त हों, अपनी समस्या अपने पति, पत्नी या किसी निकट मित्र से खुलकर चर्चा करें। इस चर्चा से ही आपका आधा तनाव दूर हो जाता है। शेष समस्या खाने, हल्के व्यायाम और खुलकर सोने से दूर की जा सकती ह

कुछ समय अकेले बिताएँ : जिनके जीवन में अधिक तनाव रहता हो, उन्हें दिन में कुछ समय अकेले बिताने का प्रयास करना चाहिए। कुछ लोग अकेले सैर करना पसंद करते हैं। कुछ लोगों को अकेले पुस्तक पढ़ने से शांति मिलती है। कई बार अँधेरे कमरे में लेटना ही मन को शांत रखने के लिए काफी होता है, किंतु बहुत ज्यादा अकेले रहना भी ठीक नहीं, विशेषतः उन लोगों के लिए जो जल्दी हताश हो जाते हैं। सिर्फ कुछ निजी समय निकालें। 

एक और तरीका : कुर्सी पर आरामदेह मुद्रा में बैठ जाइए। आँखें बंद कीजिए और अपनी मांसपेशियों को ढीला छोड़ दीजिए। धीमी गति से साँस लेते रहें। मन ही मन कोई भी एक शब्द या मंत्र बार-बार दोहराते रहें। यदि आपका मन भटक जाए तो वापस उसी शब्द या मंत्र पर आ जाएँ। इसे दस से बीस मिनट तक करें।

बच्चों में तनाव का कारण बन रहा है पढ़ाई का बोझ



   मेरा आर्टिकल कई माँ-बाप ओर टीचर बी पड़ रहे हो गए मेरी एक छोटी सी विनती है आप सब से एक बार आप बच्चो से बी पूछो की वो क्या बनना चाहते है उनके क्या सपने है। मैं मानता हूं कि एक अछि लाइफ के लिए अछि job ओर शिक्षा जरूरी है पर उस जॉब का उस शिक्षा का क्या करे गए आप जो अपनी लाइफ को बोरिंग ओर बेकर ओर तनाव, टेंशन से बरी बनाना दे। अपने बच्चो से बात करे उनको वक्त दे। उनके साथ माँ- बाप ओर टीचर की तरह नही एक दोस्त की तराह बात करे वो आपसे कोई बी बात करते हुए ये ना सोचे कि ये तो मुजे मारे गए वो ये सोचे कि है ये मेरी help करे गए। फिर कबि बी आप को कोई तनाव दूर करने की advice नही चाहिए हो गि और कभी बी बच्चों में तनाव का कारण नही बने गा पढ़ाई का बोझ 

हमने जीवन को दौड़भाग भरा तो बनाया ही है, इस लाइफ स्टाइल में बच्चों को भी घसीट लिया है। पढ़ाई और अन्य क्षेत्रों में प्रतियोगिता इतनी बढ़ा दी है कि अब बच्चे इसके कारण तनाव की चपेट में आने लगे हैं। अध्ययनों में सामने आया है कि बस्ते के बोझ के साथ-साथ बच्चों के दिमाग पर स्ट्रेस इतना बढ़ गया है कि उनके मानसिक और शारीरिक विकास में तो बाधाएं आने लगी हैं उनके व्यवहार में भी बदलाव हो रहा है। एक रिपोर्ट...

परिदृश्

पढ़ाई के बोझ से परेशान छात्र दिल्ली से हरिद्वार पहुंच गए। पुलिस कर्मियों ने पूछ ताछ की तो तीनों किशोरों ने बताया कि उनका घर से भागने का कारण पढ़ाई का अत्‍याध‍िक बोझ और परीक्षा है। तीनों में से दो सातवीं और एक आठवीं में पढ़ता था।  

एक अजीब घटना में...एक छात्र ने परीक्षा पत्र में आत्महत्या का नोट लिख दिया कि वह अपनी पढ़ाई के दबाव का सामना नहीं कर पा रहा था। इंटरमीडिएट में पढऩे वाली एक लडक़ी ने इस लिए ट्रेन के आगे कूदने की कोशिश की क्योंकि वो गणित में फेल हो गई थी। घर के लोगों ने उसे डांटा था। ये कुछ घटनाएं हैं, जो छात्रों में तनाव के बढ़ते स्तर को दर्शाती हैं। दरअसल शिक्षा ही मनुष्य को सभ्य बनाती है। इसलिए हमारे देश में शुरू से ही शिक्षा को प्राथमिकता दी गई है। प्राचीन समय में शिक्षा प्रणाली सरल थी। इसके तनाव पूर्ण होने का भी कोई संकेत नही मिलता है। वर्तमान में शिक्षा को चुनौतीपूर्ण और प्रतिस्पद्धात्मिक बना दिया गया है। परिणाम को ज्यादा महत्व दिया जाता है। जिस कारण छात्रों पर अच्छा  प्रदर्शन और टॉप करने के लिए दबाव रहता है। इसे ‘शैक्षणिक तनाव’ के रूप में जाना जाता है।

स्वभाव पर पड़ रहा है असर

मनोचिकित्सक नियति धवन के अनुसार शैक्षणिक दबाव छात्र के अच्छे प्रदर्शन के लिए बाधक है। प्रत्येक व्यक्ति अलग है, कुछ छात्र शैक्षणिक तनाव का अच्छी तरह से सामना कर लेते हैं। लेकिन कुछ छात्र ऐसा नहीं कर पाते, जिसका असर उनके स्वभाव पर पड़ रहा है। वे माता-पिता के साथ उग्र होने लगते हैं। ऐसे केस अब सामने आने लगे हैं। ऐसे में वो अत्यधिक या कम खाने लगते हैं या जंक फूड खाने लगते हैं। असमर्थता को लेकर उदास छात्र तनाव से ग्रसित होने के साथ ही पढ़ाई भी बीच में छोड़ देते हैं। बदतर मामलों में, तनाव से प्रभावित छात्र आत्महत्या का विचार भी मन में लाने लगते हैं। आज अभिभावक और शिक्षक दोनों ही बच्चों को लेकर बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी हो गए हैं। स्कूल में अच्छे प्रदर्शन और पढ़ाई के तनाव के साथ-साथ घर में भी उन पर ऐसा ही दबाव रहता है। कई बार इस दबाव में बच्चे मानसिक तौर पर टूट जाते हैं। एक अनुमान के अनुसार सिर्फ दिल्ली में ही प्रतिमाह चार से ज्यादा बच्चे ऐसे तनाव के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। इसमें एक बड़ी वजह स्कूल और परिवार का दबाव भी है। 

भारी बस्ता भी तनाव का कारण

एसोचैम के एक सर्वे में यह भी सामने आया है कि पांच से १२ वर्ष उम्र वर्ग के बच्चों में भारी स्कूल बैग की वजह से पीठ दर्द और तनाव का खतरा ज्यादा होता है। 

डिजिटल पढ़ाई

स्कूली बस्ते का बोझ और बच्चों में तनाव कम करने के लिए अब सरकार भी प्रयासरत है। इसके लिए डिजिटल पढ़ाई का कंसेप्ट दिया गया है, जिसके तहत केन्द्रीय विद्यालय स्कूलों में छात्रों को टेबलेट दिए जा रहे हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेडकर ने एक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी। 

तनाव के कारण

खुद पैदा किया हुआ

माता-पिता, भाई-बहन और दोस्तों से दबाव

शिक्षकों से दबाव

परीक्षा से संबंधित

तनाव की पहचान

ध्यान केंद्रित न कर पाना

अक्सर स्कूल से कॉलेज से छुट्टी लेना

अनिद्रा, भ्रम, चिंता, डर

चिड़चिड़ापन, घबराहट



Tension को करना है दूर तो आपके काम आएंगे ये कमाल के 10 टिप्स



बिडी शेड्यूल और भागदौड़ भरी लाइफ के कारण आजकल कोई किसी न किसी चीज को लेकर परेशान है। ज्यादा सोचने, टेंशन लेने, तनाव, स्ट्रेस के कारण दिमाग पर बुरा असर पड़ता है, जिससे आप डिप्रैशन या माइग्रेन के शिकार भी हो सकते हैं। इतना ही स्ट्रेस या तनाव का असग आपके मूड़ पर भी पड़ता है और आप चिड़चिड़े और गुस्सैल हो जाते हैं। कुछ लोग स्ट्रेस होने पर शॉपिंग करते है या कुछ खा लेते हैं लेकिन हर कोई तो ऐसा नहीं कर सकता। ऐसे में क्यूं न कुछ ऐसे टिप्स अपनाएं जाए, जिससे आपका तनाव भी मिनटों में छूमंतर हो जाए और आपको कोई परेशानी भी न झेलनी पड़े। आज हम आपको कुछ ऐसे ही आसान से टिप्स देंगे, जिससे आपकी सारी टेंशन और स्ट्रेस मिनटों में दूर हो जाएगा।


1. मेडीटेशन

स्ट्रेस, तनाव, और टेंशन को दूर करने के लिए यह सबसे अच्छा उपाय है। इसे करने के लिए हमेशा शांत जगह चुने और वहां बैठकर ओउम् का जाप करें। आप चाहें तो कुछ पॉजिटिव भी सोच सकते हैं। रोजाना मेडीटेशन करने से आप न सिर्फ तनाव से दूर रहेंगे बल्कि यह आपको सेहतमंद भी रखेगा।

2. गहरी सांस लें

जब भी आपको तनाव, टेंशन या स्ट्रेस हो तो ब्रेक लेकर अपनी सांस पर ध्यान दें। अपनी आंखों को बंद करके एक हाथ को नाभी पर रखें और दूसरे हाथ से नाक के एक छिद्र को बंद कर लें। अब धीरे-धीरे सांस छोड़ें और दोबारा सांस लेकर उसे फिर धीरे-धीरे छोड़ दें। इससे आपका सारा स्ट्रेस गायब हो जाएगा।


3. अपने पर ध्‍यान देना

अपने स्ट्रेस को एक साइड रखकर सबसे पहले अपने आप से यह पूछें कि ऐसे परेशान होने से क्‍या होगा? इसके अलावा अपने व्यवहार पर भी ध्यान दें और अगर उसमें कोई कमी नजर आए तो उसे सुधारने की कोशिश करें। इसके अलावा आप अपने स्ट्रेस को दूर करने के लिए अपना पसंदीदा खाना भी खा सकते हैं। जब भी आप खुद को एंजॉय करते हैं तब अपने सेंस पर फोकस करें। तनाव अपने आप ही गायब हो जाएगा।


4. लोगों के साथ समय बिताना

अक्सर तनाव या स्ट्रेस होने पर आप अकेला रहना पसंद करते है लेकिन इससे आपकी समस्या और भी बढ़ सकती है। इसलिए लोगों से बातचीत करें। अपनी फैमिली और फ्रैंड्स के साथ समय बिताएं। ऐसा करने से आपको हल्‍का महसूस होगा और एक ताकत अंदर से आएगी जो आपको कुछ नया करने या सोचने की शक्ति प्रदान करेगा। इससे आपको अपनी समस्‍या का हल भी मिल सकता है।

5. डांस करें

स्ट्रेस को दूर करने के लिए यह सबसे बेस्ट आइडिया है। इसे दूर करने के लिए अपने किसी फेवरेट गाने पर खुलकर डांस करें। ऐसा करने से आपका मूड फ्रेश हो जाएगा और आपको हल्का महसूस होगा। डांस करने से आपके शरीर में स्‍फूर्ति आ जाती है और थोड़ी देर के लिए मन से टेंशन दूर हो जाती है जिससे आप पॉजिटिव सोच पाते हैं। इसके साथ ही इससे शरीर में रक्‍त का संचार भी अच्‍छे से हो जाता है।


6. सही लाइफस्टाइल चुने

स्ट्रेस फ्री रहने के लिए सही लाइफस्टाइल चुनना भी बहुत जरूरी है। इसलिए अपनी दिनचर्या को सही बनाए और समय पर उठने से लेकर हैल्दी डाइट तक को अपनी रूटीन में शामिल करें। उठने के बाद योग और व्यायाम जरूर करें और पौष्टिक नाश्ता लेना न भूलें। भोजन में पौषक तत्वों को शामिल करे। यदि आपको इसमें परेशानी हो रही है तो किसी एक्सपर्ट या डाइटीशियन की हेल्प लें।


7. खुलकर हंसना

खुलकर हंसने से न सिर्फ आपका स्ट्रैस दूर होता है बल्कि यह आपकी सेहत के लिए भी अच्छा है। एक रिसर्च के अनुसार, खुलकर हंसने से तनाव दूर होता है। इससे कॉर्टिसोल लोअर होता है, जिससे दिमाग में एंडोमॉर्फिन कैमिकल रिलीज होते हैं। इससे आपका तनाव दूर होता है। इससे लिए आप कोई कॉमेडी शो देख सकते हैं या फिर अपने किसी हंसमुख दोस्त से बात कर सकते हैं।


8. गाने सुनें

रिसर्च के अनुसार, गाने सुनने से ब्‍लड़ प्रेशर कम, हार्ट रेट नॉर्मल और तनाव दूर हो जाता है। इसलिए जब भी आपको टेंशन हो अपने पसंदीदा गानें सुने लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि आप दुखी करने वाले गाने न सुने।

9. चलना शुरू कर दें

जब भी आपको स्ट्रेस फील हो तो आप दौड़ लगाए या चलना शुरू कर दें। इसके अलावा आप एक्सरसाइज या योगा भी कर सकते हैं। इससे तनाव में कमी आती है और आपका ब्रेन भी अच्‍छे कैमिकल को रिलीज करने लगता है। इससे आपके शरीर को स्ट्रेस से डील करने में मदद मिलती है।


10. ज्यादा न सोचे

जरूरत से ज्यादा सोचने रहने से दिमाग काम करना बंद कर देता है। इससे कई बार दिमागी और मानसिक परेशानी होने लगती हैं। जब भी आपको किसी बात की चिंता हो तो उसको अपने किसी दोस्त या परिवार वालों के साथ शेयर करे और जितना हो सके कम सोचें।

डिप्रेशन दूर करने में मददगार हैं मोबाइल गेम!



मोबाइल गेम खेलने से डिप्रेशन का इलाज अधिक कारगर हो सकता है।वैज्ञानिकों ने पाया कि अवसादग्रस्त लोगों पर मोबाइल गेम खेलने से बेहतर रिजल्ट आया।मन नही लग रहा है तो आप भी मोबाइल पर थोड़ी देर गेम खेल सकते हैं।

मोबाइल पर गेम खेलना ज्‍यादातर लोग बुरा मानते हैं। घर में बड़े-बुजुर्ग अक्‍सर बच्‍चों और युवाओं को गेम से दूरी बनाए रखने की सलाह देते हैं। उन्‍हें लगता है कि इससे बच्‍चों की आंखें खराब हो जाएगी और उनका किसी चीज में मन नही लगेगा। हालांकि बड़ों का ऐसा सोचना कहीं न कहीं सही भी है। किसी चीज के अत्‍यधिक प्रयोग से उसके हानिकारक प्रभाव भी पड़ते हैं। लेकिन आज हम आपको मोबाइल गेम के ऐसे फायदे के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जानने के बाद आप जरूर आश्‍चर्यचकित हो जाएगें। जी हां वैज्ञानिकों ने एक नये अध्ययन में दावा किया है कि मोबाइल गेम खेलने से डिप्रेशन का इलाज अधिक कारगर हो सकता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि अवसादग्रस्त लोगों पर मोबाइल गेम खेलने से बेहतर रिजल्ट दिखे।

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने शोध के दौरान डिप्रेशनग्रस्त बुजुर्गों का पंजीकरण उपचार प्रयोग के लिए किया। यहां किसी को मोबाइल या टेबलेट आधारित उपचार प्रौद्योगिकी (ईवीओ) उपलब्ध कराई गई और किसी को व्यक्ति आधारित उपचार तकनीक यानी प्रॉब्लम सॉल्विंग थेरेपी उपलब्ध कराई गई। ईवीओ परियोजना फोन और टेबलेट पर चलती है और इसका इस्तेमाल खातौर से मानसिक स्तर पर फोकस सुधारने के लिए किया जाता है। वैज्ञानिकों ने नतीजों में पाया कि जिस समूह ने ईवीओ का इस्तेमाल किया था, उनमें व्यवहारात्मक उपचार की तुलना में ध्यान केंद्रित करने जैसे कई विशिष्ट लाभ दिखाई दिए। उनके मूड में समान सुधार दिखा। जिसके बाद शोधकर्ता अवसाद के इलाज में मोबाइल गेम कारगर साबित हो सकते हैं।

तो अब देर किस बात की, अगर आप अवसादग्रस्‍त हैं और कहीं भी मन नही लग रहा है तो आप भी मोबाइल पर थोड़ी देर गेम खेल सकते हैं। इससे आपको अवसाद से राहत मिलेगी। हालांकि अगर आप काफी टाइम से समस्‍या से पीडि़त हैं तो डॉक्‍टर की सलाह जरूर लें।

तनाव से बचने के लिए दिल खोलकर हंसें

सुबह के समय आपको पार्क में कुछ लोग बिना किसी खास उद्देश्य के ठहाके लगाते दिख जाएंगे। दरअसल, यह तनाव भगाने का तरीका है जिसे  जिसे ‘लाफ्टर थेरेपी’ कहते है। ऐसे लोगों की तादाद लगातार बढ़ रही है जो अपने तनाव को दूर करने के लिए ‘लाफ्टर थेरेपी’ का सहारा ले रहे हैं।

चिकित्सकों के अनुसार, भारत में लाफ्टर थेरेपी का आगाज 195 के आस-पास में हुआ और इस कड़ी में देश में अब तक 7,000 से ज्यादा लाफ्टर क्लब और इसके एक हजार से ज्यादा सदस्य बन चुके हैं।

इसी दिशा में हर साल मई के पहले रविवार को ‘वर्ल्ड लाफ्टर डे’ मनाया जाता है।

‘लाफ्टर थेरेपी’ के तहत बिना किसी विशेष कारण के लगभग दो मिनट तक हंसने की क्रिया में लिप्त रहा जाता है, जबकि ‘लाफ्टर योगा थेरेपी’ नियमित अंतराल पर सामान्य श्वास व्यायाम और उत्तेजित हंसी का मिला-जुला रूप होता है।

‘दि डेल्ही लाफ्टर क्लब’ के अनुसार, इस थेरेपी को हाल के वर्षो में काफी लोकप्रियता मिली है।

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हंसी तत्काल राहत देती है और आपका अवसाद दूर हो जाता है। पुलिसिया जीवन में बहुत ज्यादा तनाव का सामना करना पड़ता है। मैं भी पिछले कुछ महीनों से ‘लाफ्टर योगा’ कर रहा हूं। वास्तव में मुझे बहुत सुख और शांति मिली है।’’

मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि जब कोई हंसता है तो मस्तिष्क के न्यूरो केमिकल्स सक्रिय होकर शरीर को बेहतर अहसास कराते हैं।
राष्ट्रीय मनोरोग चिकित्सा संस्थान के मनोचिकित्सक निखिल रहेजा कहते हैं, ‘‘मस्तिष्क का पूरा तंत्रिका तंत्र अनेक रसायन मुक्त करता है जो कि व्यक्ति के मिजाज, व्यवहार और शरीर को प्रभावित करता है।’’

फोर्टिस अस्पताल में हृदय संबंधी रोगों के चिकित्सक जेड.एस. मेहरावल ने बताया, ‘‘हंसी संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। मांसपेशियों को आराम और मानसिक स्वास्थ्य आदि के लिहाज से इसके अनेक सकारात्मक लाभ हैं।’’

म्‍यूजिक दूर करे तनाव



आजकल की लाइफस्टाइल में लोगों का तनावग्रस्त होना आम बात है। तनाव से राहत पाने के लिए योग, ध्‍यान और शॉपिंग से लेकर तमाम तरह के उपाय मौजूद है। लेकिन इसके साथ ही म्‍यूजिक के रूप में एक और कारगर और ‘मनोरंजक’ उपाय भी है।

लोग तनाव से बाहर आने के लिए म्यूजिक का सहारा लेते हैं। म्यूजिक आपका ध्यान तनाव से हटाकर दूसरी ओर ले जाता है। 

म्यूजिक सुनने से तनाव के साथ ही अन्य कई  विकारों से भी राहत मिलती है। जब संगीत सुन रहे होते हैं तो आप दुनिया भर की तमाम बातों को भूलकर उसमें खो जाते हैं इससे आपके दिमाग के साथ मन को भी शांति मिलती है। इतना ही नहीं म्यूजिक  अनिद्रा, ब्लड प्रेशर, अवसाद आदि में भी राहत प्रदान करता है। तनाव हमारे भीतर नकारात्‍मक विचारों को बढ़ाता है। म्‍यूजिक इन्‍हीं नकारात्‍मक विचारों को मिटाकर हमें आत्‍मविश्वास से लबरेज करता है। नतीजा- हम अच्‍छा महसूस करने लगते हैं।  आइए जानें म्यूजिक कैसे तनाव को कम करता है।

जब आपको नींद नहीं आ रही हो तो संगीत सुनिए। जब कभी आप लेटते हुए हल्‍का संगीत सुनते हैं तो यह दिमाग को रिलैक्‍स करता है। धीरे-धीरे अनिंद्रा दूर हो जाती है। ऐसा संगीत दिमाग को सुकुन पहुंचाता है और आप टेंशन फ्री हो जाते हैं। म्यूजिक सुनने से नर्वस सिस्टम ठीक रहता है साथ ही आपकी एकाग्रता भी बढ़ती है।

म्यूजिक से नकारात्मक विचारों पर काबू पाया जा सकता है।म्यूजिक से मनोरंजन के साथ साथ तनाव और कई मानसिक विकारों को भी दूर किया जा सकता है।म्यूजिक थेरेपी के जरिए लोग कई रोगों से मुक्ति पा सकते हैं। इस थेरेपी में संगीत के जरिए लोगों को तनाव मुक्त किया जाता है। शुरुआत में हो सकता है इसका फायदा नहीं दिखे लेकिन धीरे धीरे इसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिलता है।

भागदौड़ भरी जिदंगी में लोगों को कई प्रकार की मानसिक परेशानियों, तनाव और अन्य समस्याओं से जूझना पड़ता है और संगीत इन सबसे उबरने में उनकी मदद करता है।म्यूजिक थेरेपी के तहत व्यक्ति के स्वभाव, उसकी समस्या और आसपास की परिस्थितियों के मुताबिक संगीत सुना कर उसका इलाज किया जाता है।म्यूजिक थैरेपी से महिलाओं को काफी फायदा होता है क्योंकि उनको घर के साथ कार्यालय की जिम्मेदारी भी संभालनी होती है. 

काम का बोझ बढ़ता है तो उन पर तनाव हावी हो जाता है।  कई बार लोग इतने तनाव में होते हैं कि संगीत सुनने के दौरान वे रोने लगते हैं लेकिन बाद में वे हल्का महसूस करते हैं।  जब व्यक्ति में नकारात्मकता का स्तर बहुत बढ़ जाता है तो ऐसे में अकेले में जाकर रोना बहुत जरूरी होता है।

तनाव दूर करने में मददगार हैं पौधे



प्रकृति के करीब रहने वाले लोग तनाव से दूर रहते हैं। यह बात तो हम सभी जानते हैं, लेकिन अब पौधों और तनाव के बीच के सम्‍बन्‍धों पर एक और मुहर लग गयी है। एक ताजा सर्वे में इस बात की पुष्टि की गयी है कि बागवानी करना तनाव सहित कई मानसिक बीमारियों को दूर रखता है।

तनाव दूर भगाने के लिए अब आपको दवाओं और मनोवैज्ञानिकों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। बगीचे में पौधों की देखभाल कर आप आसानी से अपना तनाव दूर कर सकते हैं। 'गार्डनर्स वर्ल्‍ड मैगजीन' के नए सर्वे के मुताबिक बागवानी करने से मूड अच्‍छा होता है जिससे मानसिक बीमारियां दूर रहती हैं।

सर्वे में 90 फीसदी से ज्‍यादा प्रतिभागियों ने स्‍वीकार किया कि बागवानी करने से उनके बिगड़े हुए मूड में काफी सकारात्‍मक बदलाव आया है। वहीं 80 फीसदी लोगों का कहना है कि पौधों की देखभाल करने से उनके मन में जिंदगी के प्रति संतुष्टि बढ़ी है।

मैगजीन के संपादक लूसी हॉल ने बताया, 'हमें काफी समय से इस बात की जानकारी थी कि बागवानी करने से लोग खुशमिजाज बनते हैं। लेकिन इस सर्वे ने हमारे संशय को दूर कर दिया। पौधों को सींचने से लोगों में आशावादी भावना बढ़ती है। कभी-कभी खराब मौसम की वजह से पौधे मुरझा जाते हैं। लेकिन अच्‍छी तरह से देखभाल करने से वे फिर से जिंदा हो जाते हैं। इससे लोगों को लगता है कि मुश्किल हालातों में संयम बरतने से अच्‍छा वक्‍त दोबारा लौट आएगा। यह सोच उन्‍हें तनाव से उबरने में मदद करती है।'

यूनिवर्सिटी ऑफ एसेक्‍स के प्रोफेसर जूल्‍स प्रेटी कहते हैं, ' कई अध्‍ययनों में यह साबित हुआ कि हरी-भरी जगह के पास रहने से लोगों की शारीरिक और मानसिक सेहत दुरुस्‍त रहती है। इसलिए बगीचे में सैर करने वाले लोग जल्‍द बीमारियों की गिरफ्त में नहीं आते।' 

एक नहीं बल्कि कई प्रकार के होते हैं तनाव

अलग-अलग परिस्थितियों में तनाव के अलग-अलग प्रकार हो सकते हैं। सिचूएशनल स्ट्रेस या स्थितिगत तनाव तब होता है जब किसी ऐसी स्थिति में होते हैं जो कि आपके नियंत्रण के बाहर होती है तो समय से पहले काम पूरा करने का तनाव टाइम स्ट्रेस होता है।

तनाव के कई अलग-अलग प्रकार होते हैं। ऐसा नहीं है कि तनाव हर तरह से आपकी सेहत के लिये नकारात्मक होता है बल्कि कुछ स्थितियों में तनाव आपके लिये बेहतर और लाभकारी भी हो सकता है। तनाव आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य और आपके व्यवहार को प्रभावित कर सकता है। बहुत अधिक तनाव आप पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है। जीवन को पूरी तरह तनावमुक्त बनाना कठिन तो है लेकिन आप इससे बचने और इसे नियंत्रित करना सीख सकते हैं। इसके लिए ये जानना जरुरी है कि तनाव कितने प्रकार से होता है। 

तनाव के प्रकार:

 हर किसी इंसान को एक ही तरह का तनाव हो ऐसा जरुरी नहीं है। अगर आप ये जानेंगे कि तनाव कितने प्रकार के होते हैं और इनसे कैसे निकलना है तो आप इससे होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं। तनाव के चार मुख्य प्रकार होते हैं जो निम्नलिखित हैं:

टाइम स्ट्रेस:

जब आप समय को लेकर अधिक चिंतित रहते हैं या समय की कमी की वजह से परेशान होते हैं तो उस समय होने वाले तनाव को टाइम स्ट्रेस कहा जाता है। आपको उन कार्यों के बारे में चिंता होती है जो आपको समय के अंदर खत्म करने हैं और साथ ही आपको डर रहता है कि आप किसी महत्वपूर्ण चीज को पाने में नाकाम हो जाएंगे। इस दौरान आप निराश और दुखी महसूस करते हैं। टाइम स्ट्रेस के आम उदाहरणों में डेडलाइन्स के बारे में चिंतित होना या मीटिंग या ऑफिस के लिए समय से पहुंचने का दबाव आदि शामिल हो सकते हैं। 

एंटीसिपेट्री स्ट्रेस: 

एंटीसिपेट्री स्ट्रेस तब होता है जब आप भविष्य के बारे में अधिक सोचने लगते हैं। कभी-कभी इस तरह का तनाव किसी विशिष्ट घटना को लेकर हो सकता है जैसे आपको ऑफिस में कोई प्रजेंटेशन देनी है। हालांकि इस तरह का तनाव अस्पष्ट और अपरिभाषित होता है, जैसे भविष्य के बारे में भय की भावना या चिंता होना कि “कुछ गलत हो जाएगा”।

सिचुएशनल स्ट्रेस:

आपको सिचुएशनल स्ट्रेस या स्थितिगत तनाव तब होता है जब किसी ऐसी स्थिति में होते हैं जो कि आपके नियंत्रण के बाहर होती है। यह कोई आपातकाल की अवस्था हो सकती है। आमतौर पर, मतभेद की स्थिति, आपके समूह में आपकी छवि का खराब होना और प्रतिष्ठा में कमी होना आपके तनाव का कारण हो सकता है। अपने पद से बर्खास्त हो जाना या अपनी टीम के सामने कोई बड़ी गलती कर देना, ऐसी किसी घटना की वजह से इस तरह का तनाव हो सकता है।

एनकाउंटर स्ट्रेस: 

एनकाउंटर स्ट्रेस में आपके आसपास के लोग शमिल होते हैं। किसी विशिष्ट व्यक्ति या लोगों के समूह के साथ बातचीत करने के बारे में चिंता करने से आपको तनाव हो सकता है। यदि आप उन्हें पसंद नहीं करते हैं, या आपको लगता है कि वे अप्रत्याशित(unpredictable) लोग हैं तो उनसे बात करने से होने वाली असहजता की वजह से तनाव हो सकता है।



तनाव, अवसाद और कई तरह की मानसिक परेशानियों को दूर करते हैं ये 8 सुपरफूड्स



काम के बोझ और स्ट्रेस से खानपान भी प्रभावित होता है।स्ट्रेस फूड के सेवन से नियंत्रित किया जा सकता है तनाव।चॉकलेट, दही,मछली, चिकन आदि आहार होते है स्ट्रेस फूड।

आजकल की भागदौड़ भरी जीवनशैली और अस्वस्थ खानपान के कारण तनाव और अवसाद की समस्या लोगों में बहुत ज्यादा बढ़ गई है। एक शोध के मुताबिक विश्व में हर 10 में से 7 व्यक्ति तनाव और डिप्रेशन के शिकार हैं। दरअसल हमारे संसाधन सीमित हैं मगर विश्व की जनसंख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। इसीलिए हर क्षेत्र में एक कॉम्पटीशन है। इसी कॉम्पटीशन के दबाव के चलते लोग न ठीक से खा पाते हैं और न अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख पाते हैं। इसके अलावा जीवनशैली में बदलाव की वजह से लोग शौक में अस्वस्थ चीजें खाते रहते हैं जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है

काम के बढ़ते बोझ और स्ट्रेस से आपका खानपान भी प्रभावित होता है। क्योंकि जब आप लंच, ब्रेकफस्ट या फिर डिनर मिस कर जाती हैं तो जंक फूड ले लेती हैं। जंक फूड, बेकरी फूड, कप केक्स और शुगरी चीजें कुछ देर आपको राहत तो जरूर देते हैं, लेकिन कमर का साइज भी बढा देते हैं। इसी वजह से तनाव और अवसाद की समस्या होती है। अगर आप कुछ फूड्स को अपने आहार में शामिल कर लें, तो इससे आपका तनाव कम होगा और आप ज्यादा खुश रह पाएंगे।

चॉकलेट्स

हालांकि चॉकलेट हर कोई पसंद नहीं करता लेकिन यह स्ट्रेस दूर करने में मदद करती है। इसमें पाया जाने वाला फिनाइलेथाइलामाइन तत्व मस्तिष्क को आराम देता है। इसमें हाई फ्लेवेनॉल कंटेंट होने के कारण यह सौंदर्य बढाता है और त्वचा को हाइड्रेट भी रखता है। लेकिन सीमित मात्रा में खाना ही फायदेमंद है। 20 ग्राम चॉकलेट में 150 कैलरी होती है।

ओटमील

ओटमील में पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है, जिससे हमारा शरीर सेरोटिन प्रोड्यूस करता है। सेरोटिन मूड अच्छा करने का काम करता है और मन को शांति और आराम का एहसास कराता है। इसमें मौजूद फाइबर स्लिम फिट रखते हैं। साथ ही बिना कैलरी बढाए यह पेट भरने का काम करता है। केले के साथ इसे ब्रेकफस्ट में जरूर लें।

चिकन

एक शोध से पता चला है कि चिकन हर प्रकार के स्ट्रेस को कम करने में मदद करता है। यह एंटीइन्फ्लामेटरी होता है, जो सांस संबंधी समस्या, घबराहट, तनाव और थकान को दूर करता है। वजन भी नियंत्रित रखता है। खाने से पहले चिकेन सूप लेने से आपके खाने से मिलने वाली कैलरी कम हो जाती है। इस तरह आपका वजन बढने नहीं पाता।

मछली

हफ्ते में कुछ दिन सालमन मछली खाने से मन शांत रहता है। इसमें मौजूद आमेगा 3 फैटी एसिड तनाव से लडने की क्षमता बढाता है। यह त्वचा को नर्म-मुलायम बनाने में मदद करता है। इन्फ्लामेशन को दूर करता है। इस तरह त्वचा रूखी नहीं होने पाती।

ग्रीन टी

ग्रीन टी में थियानाइन एक प्रकार का अमीनो एसिड होता है जो शरीर और दिमाग दोनों को आराम देता है। ग्रीन टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट मेटाबॉलिज्म सिस्टम को दुरुस्त रखता है और त्वचा को धूप से होने वाले नुकसान से बचाता है। इसमें एक चम्मच शहद मिलाने से यह तरोताजा कर देती है।

अखरोट

अगर गुस्सा और लडाई-झगडे के मूड में हों, तो उस दौरान अखरोट खाने से आपका क्रोध भाग जाएगा। अखरोट में एल-आर्जिनाइन होता है, जो नाइट्रिक ऑक्साइड में बदल जाता है। नाइट्रिक ऑक्साइड रक्तवाहिनियों को रिलैक्स रखने में मदद करता है। रक्त संचार को बढाता है और त्वचा के कोश में पोषक तत्वों को पहुंचाता है, जिससे वह लंबे समय तक युवा रहती है। अखरोट में ओमेगा 3 एस और ओमेगा फैट पाया जाता है जो त्वचा को कांतिमय व सुंदर बनाने के लिए बेहद जरूरी होता है।

दही

एक कप सादा लो-फैट दही तकरीबन 450 मिली ग्राम कैल्शियम प्रदान करता है, जो महत्वपूर्ण ब्यूटी मिनरल्स का काम करता है। हड्डियों को मजबूत बनाता है। शोध से यह साबित हो चुका है कि अधिक कैल्शियम लेने से पीएमएस की आशंका कम हो जाती है। एक ग्लास लस्सी तनाव से तुरंत राहत देती है।

ब्ल्यू बेरी

अब जब भी आपका मन मीठा खाने का करे तो ब्ल्यूबेरी जरूर खाएं। इसमें पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो त्वचा में कोलेजन को बरकरार रखते हैं। इसमें मौजूद पोटेशियम ब्लड प्रेशर को संतुलित रखने में मदद करता है। यह आसानी से स्ट्रेस रिलीज करता है। तनाव और डिप्रेशन में इसे दही के साथ मिलाकर खाने से काफी राहत मिलती है।


स्ट्रेस से बचने के उपाय



तनाव से निपटने के लिए सकारात्मक सोच रखें।सच्चाई को स्वीकार करना सीखें।स्ट्रेस से बचने के लिए रात का पर्याप्त नींद लेनी चाहिए।हर रोज व्यायाम से स्ट्रेस से निपटने में मदद मिलती है।
स्ट्रैस या तनाव कोई ऐसी बीमारी नहीं है जिसका इलाज ना हो सके लेकिन ज़रूरत है समय रहते इसे पहचानने की और इससे बचाव के उपाय ढूंढने की। लाइफस्टाइल में थोड़ा सा बदलाव लाकर और उचित उपचार से इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है।
साइकोलॉजिस्ट एफेक्टिव स्ट्रैस मैनेजमेंट के लिए ए बी सी स्ट्रैटेजी का इस्तेमाल करते हैं। यह स्ट्रैटेजी इतनी आसान है कि एक आम इन्सान भी इसे एक सेल्फ हैल्प टूल के रूप में अपना कर अपने जीवन में ज़रूरी बदलाव ला सकता है।

A से अवेयरनेस

उन अंदरुनी  और बाह्य कारणों को जानें जिनसे आपका स्ट्रैस लेवल बढ़ता है। जब आप अत्यधिक तनाव महसूस करें तो तनाव के कारण को नोट कर लें और साथ ही उस तनाव से आप कैसे उबर पाये थे ये भी याद रखें।अपने विश्वासपात्र कलीग्स और दोस्तों से बात करें कि उनकी नज़र में आप कैसे इन्सान हैं। क्या आप बहुत ही क्रोधी स्वभाव वाले है और दूसरे आपको पसन्द नहीं करते। क्या आप अपने कलीग्स और सब आर्डिनेट्स से अच्छा बर्ताव करते हैं, उन्हें सम्मान देते हैं।अन्ततः खुद से हमेशा सच बोलें और खुद से पूछें कि आप जो कर रहे हैं और जिस तरह से कर रहे हैं क्या वो सही है।

B से बैलेन्स

किसी भी प्रकार का स्ट्रेस बुरा नहीं होता। बिना तनाव के हम किसी भी प्रकार से काम्पटीटिव नहीं हो पायेंगे। स्ट्रैस्ड होकर ही हम अपनी जीत को तौल सकते हैं और दूसरों की तुलना में खुद को आगे रखने की कोशिश करते हैं। लेकिन इसके अलावा पाज़िटिव और निगेटिव स्ट्रेस के बीच हमें बैलेंस बना कर रखना चाहिए।समय के अनुसार हमें फाइनेंशियल और फैमिली प्रेशर को भी समझना चाहिए। लेकिन ज़्यादा समय तक रहने वाला तनाव अगर आपको शारीरिक या मानसिक रूप से परेशान कर रहा है तो हमें समझना चाहिए और उसे कम करने की हर मुमकिन कोशिश करें। ना कहना भी सीखें क्योंकि कभी कभी ना कहना भी ज़रूरी हो जाता है।

C से कोपिंग और स्वयं पर नियंत्रण

किसी भी निगेटिव स्ट्रेस का मुकाबला करने के लिए अपने आप में या अपने वातावरण में बदलाव लाएं। आप स्ट्रेस मैनेजमेंट तकनीक अपना कर अपने बर्ताव,लाइफस्टाइल और व्यहवार में बदलाव ला सकते हैं। अगर आपमें स्थितियों को बदलने की शक्ति नहीं है तो आप अपने नज़रिये को बदल सकते हैं।


पाज़िटिव थिंकिंग की शक्ति

अपनी कमज़ोरियों पर ध्यान देने के बजाय अपने सामर्थ पर ध्यान दें। अपनी कमजो़रियां और सामर्थ की लिखित परीक्षा लें। अपनी अच्छी आदतों को पाज़िटिवली लेकर अपनी कमज़ोरियों को दूर करने की कोशिश करें। अपने आपको तनावमुक्त करने के मौके ढूंढें।तनावपूर्ण शेड्यूल के बाद भी अपने आप को तनावमुक्त करने के लिए कम से कम 20 मिनट का समय निकालें। टहलने जायें या अपने किसी दोस्त के साथ लंच करें।

सच को स्वीकार करें 

कभी कभी हमारे पास किसी स्थिति का मुकाबला करने की शक्ति नहीं होती। जैसे कि किसी बहुत अपने की मृत्यु हो जाना  ऐसी स्थिति में हमें इस दुख के आगे हार माननी पड़ती है।

ऐक्शन ओरियेंटेड

कुछ स्थितियों का मुकाबला करने के लिए हमारे पास स्थितियों का मुकाबला करने की शक्ति होना ज़रूरी होता है। ऐक्शन ओरियेंटेड अपरोच में स्ट्रेस को मैनेज करने के तरीके पर विचार किया जाता है। यह वो तकनीक होती है जिसकी मदद से तनावपूर्ण स्थितियों को बदलने की कोशिश की जाती है।

अपने अधिकारों को समझें और आक्रामक ना बनें

अपने अधिकारों को समझें लेकिन अपने विचारों को दूसरों पर ना थोपें। बाडी लैगवेज़ का ठीक से इस्तेमाल करें। दूसरों की परेशानियों में बहुत ज़्यादा दखलअंदाजी़ ना करें। अपने अधिकारों को समझ कर आप खुद को नियंत्रित भी कर सकते हैं।

आर्गनाइज़्ड रहें

अपने काम की एक लिस्ट बना लें और निर्धारित कर लें कि आपको कौन सा काम पहले और कौन सा काम बाद में करना है। अपने काम में रूचि ले और अपने काम करने की जगह को व्यवस्थित रखें।

टाइम मैनेजमेंट सीखें

किसी ज़िम्मेदारी से बचने के लिए टालमटोल ना करके सीधे ना कहना सीखें। हर दिन की तैयारी पहले से ही कर लें। डायरी लिखने की आदत बनायें या किसी करीबी दोस्त के संपंर्क में रहें।


खुद पर हंसने की कला सीखें

हंसने से स्ट्रेस लेवल कम हो जाता है और मांसपेशियों को आराम मिलता है। इससे फील गुड फैक्टर बढ़ता है और एन्डार्फिन हार्मोन्स की मात्रा बढ़ती है और इससे हम स्वस्थ फील करते है। आप चाहें तो अपने आसपास कोई लाफर क्लब जाइन कर सकते हैं।

डाइवर्जन और डिस्ट्रैक्शन

किसी परेशानी की स्थिति में ठीक से सोचें और कुछ समय के लिए उस परिस्थिति से दूर चले जायें। आप अपने आप मे 15 मिनट में आश्चर्यचकित बदलाव देखेंगे।धीरे धीरे सांस लेने की प्रैक्टिस करें जिससे कि आपकी मांस पेशियों को आराम मिल सके। बहुत अधिक गुस्सा आने पर 1 से 100 तक गिनती पढ़ें।

खान पान पर नियंत्रण

जब आप अत्यधिक तनाव में हो तो कम खायें या 15 मिनट बाद खायें। ऐसी स्थिति में धूम्रपान बिलकुल ना करें और ना ही शराब पीयें। बहुत ज़्यादा मात्रा में कैफीन और नमक ना लें।

रेगुलर एक्सर्साइज़

रेगुलर एक्सर्साइज़ करने से भी स्ट्रैस कम होता है। इससे हार्ट बीट नार्मल हो जाती है और ब्लड प्रेशर भी कम हो जाता है जिससे एन्डार्फिन हार्मोन रिलीज़ होता है और इम्यून सिस्टम मज़बूत बनता है और नींद भी अच्छी आती है।

नींद

साइनटिस्ट ऐसा मानते हैं कि 8 घंटों की नींद हमारे लिए ज़रूरी है ा खाने से पहले हैवी मील ना लें। सोने से पहले गरम पानी से नहाने या गरम दूध पीने से भी अच्छी नींद आती है।

लेज़र ऐक्टिविटी

कम से कम हफ्ते में एक बार पूरे परिवार के साथ खाना खायें इससे आपका तनाव कम होगा।

एल्टर्नेटिव मेडिसिन

आज जीवन में आराम का अनुभव करने के लिए बहुत सी थेरेपी हैं जैसे योगा ,मसाज थेरेपी, मेडिटेशन, अरोमाथेरेपी, हर्बलिज़म, रिफ्लेक्सालाजी , होमियोपैथी और हिप्नोसिस। पेट थेरेपी भी बहुत ही मानी हुई थेरेपी है। कुछ बिगड़ी हुई परिस्थितियों में मार्डन ड्रग , साइकोथेरेपी या काउन्सेलिंग भी उपयोगी है।


स्ट्रैस के लिए बेहतरीन टिप्स

सही प्रकार से काम न करना है तनाव का बढ़ा कारण। 

आसपास की चाजों का नियंत्रण करना सीखना जरूरी। 
नियमित व्‍यायाम और योग की मदद से होता है लाभ। 

पूरी नींद लेना तनाव दूर करने के लिए बहुत जरूरी है।
पिछले कुछ दशकों से व्यस्थ जीवन शैली के कारम ‘तनाव’ एक विकराल समस्या के रूप में सामने आया है। इन्फर्मेशन टेक्नोलॉजी की इस नयी सदी में व्यस्थता के कई नए कारण पैदा हुए हैं, दिस कारण तनाव का स्तर भी बढ़ा है। तनाव को दूर करने के लिए इसका प्रबंधन बेहद जरूरी है। इस लेख में जानें स्ट्रैस मैनेजमेंट के बेहतरीन टिप्स।

योजना बद्ध तरीके से करें काम

तनाव का बड़ा कारण सही प्रकार से काम नहीं करना होता है। इस बात का खयाल रखें कि आप अपनी ऊर्जा कैसे खर्च कर रहे हैं। समय का सही प्रबंधन कर काम को योजनाबद्ध तरीके से किया जा सकता है और इससे आप तनाव को भी कम कर सकते हैं। काम का दबाव कम होने से तनाव प्रबंधन में आसानी होगी।

आसपास का रखें ध्‍यान

अपने आसपास के वातावरण को अपने नियंत्रण में रखने की कोशिश करें। किसी भी माहौल को खुद पर हावी न होने दें। चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहें। इस बात का पता लगायें कि आपके आसपास ऐसा क्‍या है, जो आपको तनावग्रस्‍त बना रहा है। उससे निपटने के लिए नीति बनायें। इससे या तो आपको तनाव को कम करने में मदद मिलेगी और आप खुद के बारे में बेहतर महसूस करेंगे।

खुद से प्‍यार करें

अपने आप को प्‍यार करना सीखें। अपनी कमियों को सुधारने की कोशिश करें, ना कि उन्‍हें दिल से लगाकर बैठ जाएं। याद रखें, आप अपनी तरह के एकमात्र इनसान हैं। आपमें तमाम खूबियां हैं। अपनी उन खूबियों को पहचानिये और हर काम में अपना सर्वश्रेष्‍ठ देने का प्रयास करें। अगर अपेक्षित परिणाम न भी मिलें, तो भी किसी बात को दिल से न लगाएं। लगातार मेहनत करते रहें।

रोजमर्रा के काम से लें ब्रेक

रोजाना एक जैसा काम करते रहने से बोरियत होनी लाजमी है। और यही बोरियत एक दिन तनाव का रूप भी ले लेती है। जरूरी है कि आप अपने जीवन को एक ही ढर्रे पर न चलायें। काम के बीच से खुद को छुट्टी भी दें। अगर आप कोई अच्‍छा काम करते हैं, तो आपको चाहिए कि स्‍वयं को ईनाम दें। कहीं घूमने जाएं, शॉपिंग करें और दोस्‍तों के साथ वक्‍त बितायें। ऐसा करने से आपको मानसिक राहत और शांति मिलेगी, जो भविष्‍य में आपके लिए फायदेमंद साबित होगी।

व्‍यायाम दिलाये आराम

व्‍यायाम करते रहें। आपकी सेहत और उत्‍पादन क्षमता शरीर की ऑक्‍सीजन और भोजन को कोशिकाओं तक पहुंचाने की क्षमता पर निर्भर करती है। इसलिए अपने दिल और फेफड़ों की बेहतर सेहत के लिए नियमित व्‍यायाम करें। सप्‍ताह में कम से कम तीन बार 15 से 20 मिनट का व्‍यायाम जरूर करें। इसमें पैदल चलना, जॉंगिंग, साइक्लिंग, तैराकी और एरोबिक्‍स आदि व्‍यायाम शामिल किये जा सकते हैं।

शांत रहें

जब कभी भी तनाव का अहसास हो, तो गहरी सांस लें और मस्तिष्‍क में सकारात्‍मक विचार लायें। ऐसा करके आप तनाव को थोड़ा कम कर सकते हैं। इसके साथ ही आप ध्‍यान और योग का सहारा भी ले सकते हैं। प्रोग्रेसिव रिलेक्‍सेशन, व्‍यायाम, संगती सुनना और दोस्‍तों तथा परिजनों से बात करना भी तनाव को दूर करने में मदद कर सकता है।

आराम करते रहें

पूरी नींद लें, तनाव दूर करने के लिए यह बहुत जरूरी है। रात को सात से आठ घंटे की नींद आपको सुबह ताजा उठाती है और आप दिन भर खुद को बेहतर महसूस करते हैं। आपके मस्तिष्‍क की भी सीमायें हैं, उन्‍हें पहचानें और उस पर अत्‍यधिक दबाव न डालें। मस्तिष्‍क को आराम की जरूरत होती है और यह आराम मिलना चाहिए। आराम के दौरान ही वह सूचनाओं और जानकारियों को एकत्रित और फिल्‍टर करता है। हर घंटे में दस मिनट के ब्रेक को नियम बना लें। इस दौरान अपनी आंखों और मन को शांत रखें।

अपने बारे में जागरुक रहें

तनाव के लक्षण जैसे अनिद्रा, सिरदर्द, चिंता, पेट खराब रहना, एकाग्रता में कमी, सर्दी/फ्लू और अत्‍यधिक थकान आदि को पहचानें। ये लक्षण नजर आते ही फौरन तनाव को दूर करने के प्रयास शुरू कर दें। याद रखें यदि इन समस्‍याओं पर समय रहते ध्‍यान न दिया जाए, तो ये आगे चलकर और गंभीर बीमारियों जैसे अल्‍सर, उच्‍च रक्‍तचाप और हृदय रोग तक का कारण बन सकते हैं।

उचित पोषण

संतुलित आहार लें। उच्‍च कैलोरी युक्‍त भोजन से दूर रहें। ऐसा आहार जिसमें वसा और शर्करा की मात्रा काफी अधिक हो, वह आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है। तनाव को दूर करने के लिए दवाओं और अल्‍कोहल का सेवन न करें। कैफीन युक्‍त पदार्थ जैसे चाय और कॉफी आपकी नींद और थकान तो दूर करती हैं, लेकिन साथ ही ये कुछ लोगों की एकाग्रता में कमी का कारण भी बनती हैं। याद रखें 20 मिनट की सैर किसी भी अन्‍य दवा के मुकाबले अधिक शांतिदायक साबित होती है।


आयुर्वेदिक तरीको से करें अपने तनाव का उपचार



तनाव से जुड़ी प्रतिक्रिया आपको चुनौतियों का सामना करने में सहायता करती है।लेकिन खुद को संकट से घिरा पाते हैं या आपका मानसिक सुंतलन बिगड़ जाता है।अपने माथे पर नीम का पाउडर लगाने से भी आपको लाभ मिल सकता है।दोपहर में खाने के साथ मीठे  लस्सी में गुलकंद डालकर पीने से भी लाभ मिलता है।

तनाव आपके शरीर में उत्पन हुई एक सामान्य प्रतिक्रिया होती है जब  आप अपने आपको किसी संकट से घिरा पाते हैं या आपका मानसिक सुंतलन बिगड़ जाता है। तनाव से जुड़ी प्रतिक्रिया आपको चुनौतियों का सामना करने में सहायता करती है। पर एक सीमा के बाद, यही तनाव कोई भी सहायता करना बंद कर देता है और आपके स्वास्थ्य, आपके मूड, आपकी उत्पादकता, आपके संबंधों और आपके जीवन की गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर करता है।
  
आयुर्वेद में तनाव के कई स्वरुप होते हैं जैसे कि मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक तनाव; और अलग अलग तरह के तनाव में अलग अलग तरह के उपचार की ज़रुरत पडती है। आयुर्वेद के हिसाब से मानसिक तनाव मस्तिष्क का ज़रुरत से ज़्यादा उपयोग,  या दुरूपयोग करने से होता है। मसलन अगर आप अधिक समय तक मानसिक कार्य करते हैं या कई घंटों तक कंप्यूटर पर काम करते हैं तो आपकी मानसिक गतिविधियाँ, ऊर्जा, और दिमाग से जुड़े प्राण-वात तत्वों में असुंतलन पैदा होता है। और प्राण-वात के असुंतलन का पहला लक्षण होता है तनाव को संभालने में असर्मथता। जैसे जैसे तनाव बढ़ता है वैसे वैसे धी, धृति, और स्मृति जैसी मानसिक प्रक्रिया  में बदलाव  उत्पन  होता है, या ग्रहणशीलता, अवरोधन, सकारात्मक सोच, उत्साह और रात की नींद पर भी असर पड़ता है।  

तनाव के लक्षण

संज्ञानात्मक लक्षण

स्मरणशक्ति की समस्या।एकाग्रता की कमी।परखने में गलती।नकारात्मक पहलू देखना।अनवरत चिंता।

भावनात्मक लक्षण

मूड बदलना।चिडचिडापन या गुस्सा।बेचैनी, विश्राम न कर पाना।पराजित महसूस करना।अकेलेपन और अलगाव का एहसास।डिप्रेशन या नाराजगी।

शारीरिक लक्षण

दर्द और पीड़ा।दस्त या कब्ज़ियत।मतली या चक्कर।यौन रूचि  में कमी।बार बार सर्दी ज़ुकाम का होना।अपचन और गड़गड़ाहट।हृदयगति में तेज़ी। 

स्वाभाव से जुड़े लक्षण

कम या ज़्यादा खाना या सोना।अपने आपको दूसरों से अलग थलग रखना।कोई भी ज़िम्मेदारी लेने से बचना।विश्राम के लिए मदिरापान, धूम्रपान या नशीली दवाओं का सेवन करना।तनाव के लिए  घरेलू और आयुर्वेदिक चिकित्साअपने आहार में गर्म दूध के साथ पांच बादामों का समावेश करें ।  आप दिन में  2 या 3  बार दूध  या शहद के साथ 1 ग्राम काली मिर्च का सेवन भी कर सकते हैं।अपने माथे पर नीम का पाउडर लगाने से भी आपको लाभ मिल सकता है।दूध या पानी  के साथ सूखी अदरक का लेप बना लें और अपने माथे पर लगायें।एक छोटे तौलिये को ठंडे पानी में डुबोकर निचोड़ लें और कुछ समय के लिए अपने माथे पर रखें।क्षीरबाला तेल, धन्वन्तरी तेल या नारियल के तेल से पूरे शरीर की मालिश करवाने से भी तनाव कम होने में लाभ मिलता है। सोने से पहले दूध में गुलकंद मिलाकर पीने से भी लाभ मिलता है।दोपहर में खाने के साथ मीठे  लस्सी में गुलकंद डालकर पीने से भी लाभ मिलता है।एक अँधेरे कमरे में  लेटने से या करीबन आधा घंटा सोने से भी तानव में कमी आ सकती है।पान के पत्तों में पीड़ानाशक और ठंडक पहुँचाने वाले गुण होते हैं।  इन्हें ग्रसित जगह पर रखने से काफी लाभ मिलता है।  अश्वगंधा, ब्राह्मी, अदरक, हाइपरआइसिन जैसी आयुर्वेदिक औषधियां भी तनाव कम करने में लाभदायक सिद्ध होती हैं।कुछ खान पान जैसे कि बादाम, नारियल, और सेब जैसे मीठे और रसीले फल, लस्सी, घी, ताज़ी चीज़ और पनीर भी तनाव की अवस्था को ठीक करने में मदद करते हैं।    

क्या करें क्या न करें

नकारात्मक सोच का त्याग करें।मदिरापान और नशीले पदार्थों का सेवन न करें क्योंकि दोनों ही आपकी डिप्रेशन को बढ़ा सकते हैं।जब आप डिप्रेशन में हों तो कोई भी  बड़ा फैसला लेने का प्रयास न करें।अपने आपको निरुत्साह न होने दें।कम से कम आठ घंटे की नींद तो ज़रूर लें।रात को दस बजे से पहले सोने का प्रयास करें।

तनाव हममे से अधिकतर  लोगों की ज़िन्दगी का हिस्सा बन चुका है, और अगर इसे ठीक तरह से संभाला नहीं जाये तो हृदय रोग, पेप्टिक अल्सर, और कैंसर होने की संभावना बन सकती है।


 चिंता दूर करने के उपायों के बारे में जानें



चिंता की समस्या होने पर उसे कागज पर लिखें।चिंता बांटने में नहीं है कोई बुराई।जब ज्यादा सताए चिंता तो गहरी लंबी सांस लें।अपने डेली रुटीन से एक बेक लें।

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में चिंता होना आम बात है लेकिन जब यही चिंता इस कदर बढ़ जाए कि आपकी सेहत को नुकसान पहुंचाने लगे तो इसे हल्के में लेना ठीक नहीं है। चिंता कई प्रकार की हो सकती है। यह कभी काम को लेकर हो सकती है तो कभी जॉब को लेकर तो कभी किसी अन्य बात की। 

चिंता लेना आसान है लेकिन उससे पार पाना बहुत मुश्किल है। अक्सर चिंता पर काबू पाने के बारे में जानकारी ना होने से लोग अवसादग्रस्त हो जाते हैं। लोगों से मिलना, उनसे बात करना सब छोड़ देते हैं जो कि गलत है। आइए जानें चिंता को खत्म करने के उपायों के बारे में। 

लंबी और गहरी सांस लें

आपको भले ही एहसास न हो, लेकिन चिंता की अवस्था में आपकी हार्ट बीट बढ़ जाती है। सांस ऊपर-नीचे होने लगती है। इसलिए जब भी आप पर चिंता या परेशानी का हमला हो, आप अपनी श्वसन प्रक्रिया को नियंत्रित कर लें। इस क्रम में आप दस बार लंबी सांस लें और छोड़ें। बस आपकी हार्ट बीट नॉर्मल हो जाएगी और आप टेंशन फ्री हो जाएंगे।

समस्या के बारे में लिखें

अगर आप वाकई चिंता का प्रबंधन करना चाहते हैं, तो चिंता की वजह को जानने का प्रयास करें। इसके बाद इसे कागज पर लिख लें। फिर सोचें कि इस समस्या का क्या हल हो सकता है? यदि संभव हो, तो उस पर तुरंत अमल करना शुरू कर दें।

खुली हवा में जाएं

जब आप बहुत ज्यादा चिंताग्रस्त हो जाएं तो खुद को थोड़ी देर खुली हवा में ले जाएं। इससे आपके दिमाग को शांति और सुकून मिलेगा जो आपकी चिंता को कम करने का काम करेगा।

वातावरण बदलें

कई बार आप ऐसे लोगों के आसपास रहते हैं जो नकारात्मक विचारों से भरे होते हैं। ऐसे लोगों हमेशा दूसरों को नुकसान पहुंचाने के बारे में ही सोचते रहते हैं । अगर आप ऐसे लोगों का साथ छोड़ देंगे और खुद में सकारात्मक विचार पैदा करेंगे तो काफी हद तक आप चिंतामुक्त हो सकते हैं। 

चिंता बांटने में नहीं है बुराई

अगर आप अकेले अपनी समस्या से लड़ पाने में असमर्थ हो रहे हैं, तो अपनी परेशानी को किसी के साथ बांट सकते हैं। यदि सामने वाला आपका सच्चा हमदर्द हो, तो बेझिझक उसे अपनी परेशानी बताकर सुकून महसूस कर सकते हैं।

खुद पर ध्यान देना ना भूलें

यदि हम चिंता से घिरे हों, तो इस दौरान खुद का ख्याल भी नहीं रख पाते, जिससे हमारी लाइफ स्टाइल बिगड़ जाती है और समस्या घटने के बजाए और बढ़ जाती है। लिहाजा ऐसे वक्त में खुद की केयर करना ठीक रहेगा। ठीक ढंग से डाइट लेना और अच्छी नींद सोना, आपको दूसरी तकलीफों से बचाकर रखेगा। कहने का तात्पर्य है कि एंग्जाइटी में केयरलेस न हो जाएं, बल्कि केयरफुल बने रहें।

डेली रुटीन से ब्रेक लें

कई बार ऐसा होता है कि आपका डेली रुटीन ही आपकी चिंता का कारण बन जाता है, इसलिए इसमें भी थोड़ा परिवर्तन आपको लाभ दे सकता है, बशर्ते आपके आवश्यक कार्यो पर इसका कोई प्रभाव न पड़े।

मन पसंद  काम करें

आप अपनी हॉबी को भी चिंता दूर करने का विकल्प बना सकते हैं। बुक रीडिंग, खेलना, संगीत सुनना आदि का शौक हो, तो आप कुछ ही देर में चिंता से मुक्त हो जाएंगे। या फिर आप अपने घर में लोगों से बातचीत भी कर सकते हैं। दरअसल बातें करने से आपके दिमाग से चिंतित होने की वजह दूर हो जाएगी और आपका ध्यान नई बातों या योजनाओं पर जाएगा, जिससे आपको राहत मिलेगी।

अब तनाव को कहें बाय और खुशियों का करें वेलकम

घर की ईएमआई, बच्चों की पढ़ाई, नौकरी और बॉस का तनाव। ऐसी ही कई चुनौंतियां और परेशानियां हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्‍सा बन चुकी हैं। जिंदगी जिम्मेदारियों के बोझ से ओवर लोड सी हो गयी है ना। न ठीक से खा पाना और न सो पाना। तो भला तनाव क्यों न हो।


आप इस भाग दौड़ भरी दिनचर्या में भी तनाव मुक्त रह सकते हैं, जरूरत है तो बस काम और दिनचर्या के ठीक प्रबंधन और कुछ ताव मुक्ती के तरीकों को अपनाने की। आइये इस लेख के माध्यम से हम आपको कुछ ऐसी युक्तियों के बारे में बताते हैं जिनसे आपका जीवन का तनाव छू-मंतर हो जाएगा।

भागदौड़ भरी जिंदगी में मनुष्य कई अनचाहे तनाव के भंवर में फंस के रह जाता है। और सुख-सुविधा के साधन जुटाते जुटाते जीवन से सुख, शांति, स्वास्थ्य और आराम को ही गवां बैठता है। और विड़म्बना तो देखिए, चीजें पा कर भी वह अशांत मन के कारण उनका सुख नहीं उठा पाता। शांति के बिना सुख कहां।

हमारी चाहतें तो बहुत हैं लेकिन जब वे पूरी नहीं होतीं या उनको पूरा करने में आ रही चुनौतियों और समस्याओं के कारण तनाव होने लगता है। प्रत्येक व्यक्ति की तनाव की वजह अलग होती है, तो उससे छुटकारा पाने के लिए तरीके भी अलग ही होगें। जिस को जो तरीका भाए, उसे वो अपनाना चाहिए। निचे ऐसे ही तनाव मुक्ति के कुछ कारगर तरीके दिये गये हैं, जिन्हें अपना कर आप अपने जीवन के तनाव को बाय और खुशियों को वैलकम कह सकते हैं। 

संगीत करता है तनाव मुक्त 

संगीत सिर्फ मनोरंजन नहीं है। संगीत को तो ईश्‍वर तक पहुंचने का जरिया माना जाता है। संगीत, चिकित्सा पद्धति और आध्यात्मिक साधना सब कुछ एक साथ है। तनाव मुक्त होने के लिए रोजाना आधे से एक घंटे तक अपनी पसंद का कोई अच्छा सा संगीत अवश्य सुनें। लेकिन ध्यान रहे संगीत ऐसा हो जो आपके दिमाग को शांत करे ऐसा ना हो कि उसे सुन कर दिमाग और अशांत हो जाए।

योग और ध्‍यान दिलाए आराम

योग, मन की शांति प्रदान करने के लिए भारत ही नहीं पूरे विश्व में विख्यात है। इसलिए योग को अपनाइए। योग को अपनाकर आप कई मानसिक व शारीरिक समस्‍याओं को हल कर सकते हैं। वहीं ध्‍यान भी ऐसा ही एक जरिया है जो आपको मानसिक रूप से शांति प्रदान करता है। ध्यान से मानसिक तनाव को दूर करना सबसे बेहतर उपाय है। एकांत में बैठ कर थोडी़ देर ध्यान लगाएं, इससे आपका मन शांत होगा और नई स्फूर्ति का संचार होगा।


बड़े काम है व्‍यायाम 

आपको नियमित व्यायाम भी करना चाहिए। रोज की भाग दौड़ से शरीर कमजोर होने लगता है ऐसे में रोज वयायाम सरतने से आपका शरीर चुस्त व तरोताजा बना रहता है, और मन भी शांत रहता है। सामान्य व्यायाम में उठक-बैठक, घूमना, दौडऩा, रस्सी कूदना, दंड लगना आदि आते हैं।


मिलते-मिलाते रहिए 

भागदौड़ भरी दिनचर्या के चलते हम अक्सर परिवार और मित्रों के साथ के लिये भी वक्त नहीं निकाल पाते। होना यह चाहिये कि प्रतिदिन, भले ही थोड़े समय के लिए ही सही पर अपने प्रियजनों के लिये वक्त अवश्य निकालना चाहिये। अपनों के साथ अपने सुख-दु:ख बांटने से तनाव काफी हद तक कम होता है। और मनोबल भी बढ़ा रहता है।


मनोरंजन करें 

जब कभी समय मिले तो कोई सकारात्मक विषयों पर बनी फिल्मी देखें। स्वस्थ मनोरंजन करना भी तनाव को घटाने का अच्छा विकल्प है। इसके अलावा आप अपनी रुची की  किसी अच्छी पुस्तक को पढ़ सकते हैं। बरसात के मौसम में आप बारिश की बूंदों का मजा लेते हुए, अपनी पसंदीदा किताब पढ़ सकते हैं। अपना पसंदीदा काम करके आपको राहत मिलेगी। आप फिल्म या टीवी पर अपना कोई फेवरिट प्रोग्रैम देख सकते हैं। अगर आप पेंटिंग के शौकीन हैं, तो पेंटिंग करें। कोई इनडोर या आउटडोर खेल भी खेल सकते हैं।


पर्याप्त नींद और पोषण लें

तनाव मुक्त रहने के लिए स्वस्थ शरीर और शांत मन की ही जरूरत होती है। पूरी नींद और पौष्टिक आहार लिये बिना आप तनाव मुक्त नहीं रह सकते। इसलिए शरीर की जरूरत के अनुसार नींद व पोषक तत्व लें, न कम न ज्यादा। अच्छी तरह से खाएं दीर्घकालिक ऊर्जा (बजाय बहुत अधिक चीनी या कैफीन के) के लिए फल, सब्जियों, प्रोटीन और साबुत अनाज चुनें। व्यायाम करें ताकि शरीर में हर कोशिका में ऑक्सीजन पहुंचे  और मस्तिष्क और शरीर को अच्छे से काम कर सकें।  

सकारात्मक सोच रखें

दिमाग को शांत व स्वस्थ रखने के लिए एक सकारात्मक सोच रखना बहुत जरूरी है। जब भी कोई नकारात्मक सोच या विचार आए तो जीवन के खुशी भरे पलों को याद करे। की दोस्त व साथी सकारत्मक सोच वाले बनानेके कोशिश करें। अपने आप को सकारात्मक कल्पना करनें के लिए आजाद करें। जीवन की हर छोटा बड़ी खुशी को जीयें और अपने प्रीयजनों के साथ बांटें।

तनाव का मुकाबला करने की स्किल सीखें



आज तनाव होना लाजमी है, लेकिन इससे भागने की बजाय इसका मुकाबला करें।तनाव से जितना बचने की कोशिश करेंगे उतनी ही मानसिक पीड़ा होगी।अपने किसी प्रिय मित्र या किसी पारिवारिक सदस्य से अपनी बातें शेयर करें।अपने आपको हर रोज़ ऐसे कामों में लगायें जिन्हें आप इन्जाय कर सकें।

भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव होना लाजमी है। ऐसे में इससे भागने की बजाय इसका मुकाबला करने की कोशिश कीजिए। अगर आप तनाव से जितना बचने की कोशिश करेंगे उतनी ही मानसिक पीड़ा होगी। कई प्रकार की मानसिक बीमारियां आपको अपना शिकार बना लेंगी। आइए हम आपको तनाव से बचने के कुछ टिप्‍स के बारे में बताते हैं।

(तनाव से लड़ने के कुछ टिप्स)

अपनी सोच पर ध्यान दें 

ध्यान रखें जहां निगेटिव और फियरफुल सोच से तनाव और परेशानी बढ़ जाती है वहीं बुरी से बुरी परिस्थिति में भी पाज़िटिव सोचने से तनाव कम होता है।

कल्पना करना सीखें

ऐसी कल्पना करें कि आप जीवन में क्या चाहते हैं।

रोज़ व्यायाम करें

शारीरिक श्रम करने से हमारे शरीर से बिना कारण की चिन्ता खत्म हो जाती है और शरीर ठीक प्रकार से काम करता है ा व्यायाम करने से हमें चिन्ता से भी राहत मिलती है।

आराम करना सीखें

हर दिन कुछ समय आराम करें, इससे हमें बुरी स्थितियों का सामना करने की ताकत मिलती है ा आराम करना भी एक स्किल है। ऐसी किताबें पढ़ें जिससे आपका आत्मबल बढ़े । अपना मनपसंद गाना सुनें ।

तनाव के बारे में बात करें

अपने किसी प्रिय मित्र या किसी पारिवारिक सदस्य से अपनी बातें शेयर करें। ऐसा करने से तनाव कम होता है।

अपने रोज़मर्रा के काम को प्लान कर लें 

हर दिन का प्लान करने से आप अपने समय का मूल्यांकन कर सकेंगे और तनाव से बच सकेंगे। ऐसा करके आप अपने काम के साथ साथ मनोरंजन का भी समय निकाल सकते हैं । आप अपने परिवार या मित्रों के लिए भी समय निकाल पायेंगे और अपने काम को भी ठीक प्रकार से कर सकेंगे ।

यथार्थवादी गोल बनायें

वो लोग जो अपनी क्षमता से कहीं ज़्यादा की इच्छा करते हैं वो अकसर निराशा के शिकार को जाते हैं ा इसलिए अपनी क्षमता को देखते हुए अपने गोल बनायें ।

अपना मनोरंजन भी करें 

हर रोज़ अपने मनोरंजन के लिए थोड़ा समय भी निकालें। अपने आपको हर रोज़ ऐसे कामों में लगायें जिन्हें आप इन्जाय कर सकें ।तनाव दूर करने का सबसे आसान तरीका है मनोरंजन ।

फीज़िशियन भी आपको तनाव से बचा सकते हैं और स्वस्थ्य रह कर भी तनाव से बचा जा सकता है। इसलिए हेल्थ चेक अप कराते रहें। सबसे जरूरी बात कि नियमित व्यायाम, योग व ध्यान करें। साथ ही ताज़ा व पौष्टिक भोजन करें। इससे भी तनाव दूर रहता है।

 तनाव दूर करने के आसान टिप्‍स

वर्तमान के दौर में तनाव है आम समस्‍या।दूर रखने के लिए कुछ बातों रखें खयाल।तनाव में हो तो रो लें और बातचीत करें।अपने लिए समय निकालें और खुश रहें।

आज के दौर में प्रत्येक व्यक्ति के पास अतिरिक्त कार्य है और कार्य को समय पर पूरा करने का प्रेशर भी। काम समय पर पूरा न हो पाने पर मानसिक तनाव होना सामान्य बात है। व्यक्ति तनाव में घर जाता है और फिर घर की परेशानी से और तनावग्रस्त हो जाता है। तनाव जीवन का नाश करता है, इससे दूर ही रहें तो अच्छा है। तनाव दूर करने के लिए कुछ आसान उपाय हम आपको बता रहे हैं, आप उन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल करें।


रोना न भूलें

जब भी आप भावनात्मक दबाव या दुख में होते हैं तो अक्सर आंखें नम हो जाती हैं परंतु अधिकतर हम खुद को रोने से रोक लेते हैं। लेकिन अगली बार जब भी आप अत्यधिक भावुक या गहरा तनाव महसूस करें और रोने का मन करे तो खुद को न रोकें। ऐसा होने पर खुद को बुजदिल न समझें बल्कि यह जान लें कि रोने से शरीर तुरंत तनावमुक्त हो सकता है। इस कुदरती उपाय का हमेशा प्रयोग करें।

बातचीत करें

अपनी समस्याओं के संबंध में बात करना भी तनाव दूर करने का उत्तम जरिया है। हममें से अधिकतर लोग खुद तक ही सीमित रहते हैं। अंदर ही अंदर घुटते रहने से और भी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। आज के बाद जब भी आपको किसी बात को लेकर घुटन महसूस हो तो उसके बारे में खुल कर बात करें।

अपने लिए समय निकालें

यह बेहद महत्वपूर्ण है कि आप व्यस्तता के बावजूद अपनी जरूरतों और देखभाल के लिए भी कुछ समय निकालें। अपने आप से अच्छा व्यवहार करें और कभी-कभार खुद को ‘पैम्पर’ भी करें। आराम करने के लिए भी पर्याप्त समय बचा कर रखें।

न करना सीखें

कई लोग हैं जिन्हें इंकार करने में खासी मुसीबत होती है। जब भी कोई किसी काम के लिए आग्रह करता है तो वे इंकार नहीं कर पाते चाहे वे खुद कितने भी व्यस्त क्यों न हों। इंकार करना भी पड़ जाए तो वे खुद को अपराधी महसूस करने लगते हैं लेकिन याद रखें कि सही समय पर सही इंसान को ‘हां’ और ‘न’ कहना बहुत महत्वपूर्ण है।

मदद मांगें

जब भी आपको खुद पर काम का जरूरत से ज्यादा बोझ महसूस हो तो सहायता मांगने से बिल्कुल न झिझकें। याद रखें कि मांगने से ही आपको मदद मिल सकती है। अपनी क्षमता से अधिक काम आप वैसे भी नहीं कर सकते हैं, जिससे आपका प्रदर्शन भी खराब होगा और काम का भी नुक्सान होगा। एक साथ क्षमता से ज्यादा काम भी हाथ में न लें।

खुश रहें

कभी-कभार अपनी आंखें बंद करके बीते हुए दौर की किसी खुशनुमा घटना को याद करें जिस पर आपको गर्व हो या उसके बारे में सोचकर आपको खुशी मिलती हो। विस्तार से उस दौर को  याद करें ताकि आपका तनाव दूर हो और आपका मूड भी अच्छा हो जाए। उस अनुभव को एक बार मन ही मन में जीने की कोशिश करें। तनाव दूर करने का यह एक उत्तम उपाय है।


तनाव और गुस्से से बचने के नुस्खे



आधुनिक जीवनशैली जीते हुए हम व्यस्तता के चलते न तो अपने आप को समय दे पाते हैं न ही अपने परिवार को। भागदौड़ भरी जिंदगी में हम आए दिन तनाव और गुस्से से घिरे रहते हैं। जिससे हम न सिर्फ अपनी सेहत खराब करते हैं बल्कि कम उम्र में ही बीमारियां हमें घेर लेती हैं। आइए जानें आखिर तनाव और गुस्से को दूर करने के कौन-कौन से नुस्खे अपनाए जा सकते हैं।

अपने आसपास के माहौल को शांत और खुशहाल बनाते हुए अधिक से अधिक तनावमुक्त रहने की कोशिश करें, ऐसा करके आप तनाव और गुस्से से कोसों दूर रहेंगे।गुस्सा आने पर तुरंत प्रतिक्रिया न देते हुए लंबी-लंबी सांसे लें और उल्टी गिनती गिनना आरंभ करें। इससे आपका मन भी शांत होगा और आप गुस्से पर भी काबू पा सकेंगे।

अपनी सोच को सकारात्ममक रखें और सकारात्म‍क बातें करें यानी आशावादी बनें।गुस्सा आने पर गुस्सा आने के कारण के बारे में सोचें और अपना ध्यान कहीं और लगाने की कोशिश करें।व्यर्थ में किसी की चुगली करने या किसी की बातों में आने से पहले अपने मन की सुनें। इससे आप किसी के प्रति अपने मन में द्वेष नहीं पालेंगे और आपका मन भी शांत रहेगा।तनाव होने पर कुछ समय के लिए आंखे बंद कर लें और प्रणायाम करने की कोशिश करें।संभव हो तो गुस्सा और तनाव दूर करने के लिए कोई दवाई न लेकर अपने मन को मजबूत बनाएं और गुस्सा न करने का प्रण लें।अपनी नींद पूरी करें क्योंकि कई बार नींद पूरी न होने से भी चिड़चिड़ा पन होता है जिससे तनाव बढ़ना और गुस्सा आना जायज है।कोई काम सोच समझ कर करें और किसी को भी कुछ भी बोलने से पहले दो बार सोंचे, कहीं आप किसी का गलत तो नहीं करने जा रहें।अधिक गुस्सा आने या तनाव महसूस होने पर संगीत सुनें। कहते हैं संगीत से मन और दिमाग दोनों शांत होते हैं।अपने परिवार, साथी, दोस्तों और कलीग्स के साथ अच्छा संबंध बनाए रखें। इससे आपके आसपास का माहौल हमेशा खुशहाल रहेगा।गुस्सा आने पर बहुत अधिक न खाएं बल्कि काम से कुछ देर का आराम लेकर गपशप करें या फिर आप कोई गेम भी खेल सकते हैं।

इन टिप्स को अपनाकर आप निश्चित तौर पर तनाव और गुस्से से दूर रह सकेंगे और दिनभर तरोताजा भी महसूस करेंगे।

 पारिवारिक तनाव को कैसे कम करें

परिवार की जिम्मेदारियां और घरेलू कलह फैमिली स्ट्रैस का कारण हो सकते हैं। आप परिवार को छोड़ तो नहीं सकते लेकिन इसे कम करने के लिए आप कई उपाय अपना सकते हैं।

तनाव एक ऐसी मानसिक परेशानी है जिससे आजकल हर कोई पीड़ित है। दफ्तर से लेकर घर तक हर किसी को किसी ना किसी तरह का तनाव होता है। ऑफिस के तनाव को कम कर सकते हैं क्योंकि ऑफिस का दबाव काम को कम करके संभाला जा सकता है लेकिन पारिवारिक तनाव एक ऐसी परेशानी है जिसको संभालना हर किसी के लिए काफी मुश्किल होता है। लोग अपने काम के तनाव को घर आकर अपनों का साथ पाकर कम कर सकते हैं लेकिन परिवार की वजह से पैदा हुआ तनाव व्यक्ति को मानसिक रुप से बीमार बना देता है। आइए जानते हैं किन उपायों की मदद से आप पारिवारिक तनाव को कम कर सकते हैं।

क्या होता है फैमिली स्ट्रेस : फैमिली स्ट्रेस परिवार में लड़ाई-झगड़े और अनबन के कारण पैदा होने वाला तनाव है जो कि अक्सर शादी के बाद होता है। भारतीय समाज में लोग परिवार के विस्तार के लिए शादी करते हैं। हालांकि शादी के बाद कई सारी परेशानियां व्यक्ति के सामने आ खड़ी होती हैं जिनमें नई जिम्मेदारियों का दबाव, अपनों को खुश रखने का दबाव, बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी, ससुराल वालों के साथ रिश्ते निभाने आदि का तनाव। हर तनाव का सामना आपको अपना काम संभालने के साथ ही करना पड़ता है। इससे आपके दिमाग पर दोगुना दबाव आ जाता है और यह फैमिली स्ट्रेस आपको धीरे-धीरे डिप्रेशन की तरफ ले जाता है।

फैमिली स्ट्रेस को कम करने के लिए आप ये उपाय अपना सकते हैं:

1. याद रखें कि आप अकेले नहीं है जो यह परेशानी झेल रहे हैं। हर कोई इस परेशानी से गुजरता है। आप परिवार को अकेला नहीं छोड़ सकते इसलिए इन चीजों के सकारात्मक पहलू को देखें। ऐसा रास्ता खोजने का प्रयास करें जो आपको खुश रखें और तनाव मुक्त रखें।

2. परिजनों से बात करके उनको उन सभी चीजों के बारे में बताएं जिससे आपको तनाव होता है। आपके परिवार के साथ परेशानी को साझा करके आप पाएंगें कि आपका तनाव खुद ही कम हो गया और हो सकता है कि इससे सारे झगड़े भी सुलझ जाएं।

3. बेकार की जिम्मेदारियों के बोझ से परेशान ना हो। खुद भी ख्याल रखें। जिम्मेदारियां उतनी ही लें जितना आप संभाल सकें।

4. अगर आपके परिवार का कोई सदस्य आपसे ज्यादा सफल बनता है तो इसे स्वीकार करें, ना कि इस चीज से ईर्ष्या करें।

5. परिवार और काम के तनाव को अलग-अलग करने का प्रयास करें। आप ऑफिस फिर भी बदल सकते हैं लेकिन परिवार नहीं। इसलिए ऑफिस का तनाव और गुस्सा परिवार के लोगों पर निकालने से बचें।

5 स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍यायें जो दे सकती हैं डिप्रेशन



गंभीर मानसिक रोग है डिप्रेशन।हृदय रोग के बाद हो सकता है डिप्रेशन।डायबिटीज और डिप्रेशन का मेल है खतरनाक।चिकित्‍सीय सहायता से दूर कर सकते हैं डिप्रेशन।

अकेलेपन को अकसर अवसाद से जोड़ कर देखा जाता है। लेकिन, यह जानना भी जरूरी है किे डिप्रेशन एक रोग है, जो आपको काफी नुकसान पहुंचाता है। यह व्‍यक्ति को उदासी और निराशा के गर्त में धकेल देता है। डिप्रेशन से निपटने के लिए आपको विशेषज्ञ सहायता की जरूरत होती है। मनो‍चिकित्‍सक आपकी मा‍नसिक स्थिति को समझकर ही अवसाद का इलाज करता है। कई बार डिप्रेशन कई अन्‍य बीमारियों का भी कारण बन सकता है।

हृदय रोग

आजकल युवा भी डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। यह देखा गया है कि इस उम्र में‍ डिप्रेशन का शिकार होने वाले युवाओं को आगे चलकर हृदय रोग होने का खतरा अधिक होता है। हालांकि कुछ शोध में यह बात भी सामने आयी है कि दिल का दौरा और हृदय संबंधी अन्‍य रोग भी डिप्रेशन के अन्‍य कारणों में शामिल हो सकते हैं। 

शोध में यह बात सामने आयी है कि हृदयाघात होने वाले 70 फीसदी व्‍यक्ति एक वर्ष तक अवसाद से पीड़ित रहे।वास्‍तव में कई मामलों में तो अवसाद का असर इतना गहरा रहा कि कुछ लोग अपनी सामान्‍य दिनचर्या में लौट ही नहीं पाए। अवसाद के कारण लोग जीवन का आनंद लेना ही भूल गए। इसके कारण उनकी सेक्‍सुअल क्षमता और अन्‍य चीजों पर भी बुरा असर पड़ा। सही इलाज और चिकित्‍सा देखभाल के बिना हृदयाघात से उबर रहे लोगों में यह अवसाद गहरा बैठ जाता है। 

पार्किंसन डिजीज

यह बात सामने आयी है कि पार्किंसन से पीडि़त 30 से 40 फीसदी लोगों में बीमारी की दूसरी स्‍टेज पर अवसाद के गहरे लक्षण देखे गए। डिप्रेशन उन लोगों में अधिक सामान्‍य था जो ब्राडिकिन्‍सिया और गेट इन्‍स्‍टेबिलिटी से पीडि़त थे।

मल्‍टीपल स्‍लेरोसिस

डिप्रेशन मल्‍टीपल स्‍लेरोसिस के मरीजों में भी काफी सामान्‍य होता है। मल्‍टीपल स्‍लेरोसिस के मरीजों में अगर अवसाद लंबे समय तक बना रहे तो यह उनमें आत्‍महत्‍या की प्रवृत्ति को भी बढ़ा सकता है। अगर मरीज सही समय पर चिकित्‍सीय सहायता ले ले तो  मल्‍टीपल स्‍लेरोसिस में डिप्रेशन का इलाज पूरी तरह संभव है।

डायबिटीज

डायबिटीज के मरीजों, फिर चाहे वह टाइप-1 डायबिटीज हो या टाइप-2, को डिप्रेशन होने का खतरा बहुत अधिक होता है। वे जीवन में कभी न कभी इस मानसिक रोग से जरूर पीडि़त होते हैं। वास्‍तव में डायबिटीज के मरीज पर अपनी जीवनशैली व्‍यवस्थित रखने का गहरा दबाव होता है। इसका असर उसकी मानसिक सेहत पर भी पड़ता है। कई बार डायबिटीज आपके संपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य पर भी विपरीत असर डालती है, जिससे डिप्रेशन हो सकता है। लेकिन, अच्‍छी बात यह है कि डायबिटीज और डिप्रेशन का इलाज ए‍क साथ किया जा सकता है। डिप्रेशन और डायबिटीज अगर लंबे समय तक एक साथ बने रहें, तो यह न केवल आपकी सेहत प‍र विपरीत असर डालते हैं, बल्कि इससे कई अन्‍य बीमारियां भी हो सकती हैं।

स्‍ट्रोक

एक अनुमान के अनुसार स्‍ट्रोक के बाद करीब एक तिहाई मरीजों में डिप्रेशन की शिकायत देखी गयी। ऐसे मरीजों में गुस्‍सा, चिड़चिड़ापन, गुस्‍सा और निराशा के भाव देखे गए। नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ न्‍यूरोलॉजिकल डिस्‍ऑर्डर एंड स्‍ट्रोक के अनुसार, स्‍ट्रोक के बाद डिप्रेशन निराशा के रूप में परिलक्षित होता है। इस निराशात्‍मक व्‍यवहार का प्रभाव जीवन पर पड़ता है। स्‍ट्रोक के बाद डिप्रेशन कई बार रिकवरी की प्रक्रिया को भी धीमा कर देता है।

खुद को डिप्रेशन से बचाने के लिए जरूरी है कि आप अपनी सेहत का भी खास खयाल रखें और खासकर ऊपर दी गई बीमारियों के दौरान ज्यादा सावधान रहें।

तनाव से रहें दूर जिंदगी जिएं भरपूर

करियर, परिवार की जिम्मेदारियां, काम का बोझ, वक्त की कमी, रिश्तों के बीच बढ़ती दूरियां, अकेलापन और महत्वाकांक्षाएं.. इतने सारे दबाव दिमाग पर होंगे तो तनाव चरम पर होगा ही। तो क्यों न ऐसे उपाय अपनाएं, जिनसे इस तनाव को खुद से दूर रखा जा सके। शमीम खान का आलेख

आज हमने अपने जीवन में तनाव के अनेक कारण पैदा कर लिए हैं, यही वजह है कि दिन-ब-दिन तनाव बढ़ता ही जा रहा है। डॉंक्टरों का मानना है कि ऐसे 90 प्रतिशत मरीज तो अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए खुद ही जिम्मेदार होते हैं।

क्या होता है तनाव

जब मस्तिष्क को पूरा आराम नहीं मिल पाता और उस पर हमेशा एक दबाव बना रहता है तो समझिए तनाव ने आपको अपनी चपेट में ले लिया है। तनाव को बीसवीं सदी के सिंड्रोम की संज्ञा दी जाती है। चिकित्सकीय भाषा में तनाव यानी शरीर के होमियोस्टेसिस में गड़बड़ी। यह वह अवस्था है, जो किसी व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक कार्यप्रणाली को गड़बड़ा देती है। तनाव के कारण शरीर में कई हार्मोनों का स्तर बढ़ता जाता है, जिनमें एड्रीनलीन और कार्टिसोल प्रमुख हैं। लगातार तनाव की स्थिति अवसाद में बदल जाती है।

बेहद नुकसान देह है यह तनाव

कैलाश हॉस्पिटल के सीनियर फिजिशियन डॉ. ए.के. शुक्ला कहते हैं, ‘तनाव के कारण शरीर में कई हार्मोनों का स्तर बढ़ जाता है, जिनमें एड्रीनलीन और कार्टिसोल प्रमुख हैं। इनकी वजह से दिल का तेजी से धड़कना, पाचन क्रिया का मंद पड़ जाना, रक्त का प्रवाह प्रभावित होना, नर्वस सिस्टम की कार्यप्रणाली गड़बड़ा जाना और प्रतिरोधक तंत्र का कमजोर होना जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं।’
अगर तनाव की स्थिति लगातार बनी रहती है तो इसका असर धीरे-धीरे बाहरी रूप से भी दिखाई देने लगता है। इस कारण आपको डिप्रेशन, डायबिटीज, बालों का झड़ना, हृदय रोग, मोटापा, अल्सर, सेक्सुअल डिसफंक्शन की समस्याएं हो सकती हैं।

क्या है स्ट्रेस ईटिंग

पायनियर न्यूट्रिशन एंड वेलनेस की न्यूट्रिशनिस्ट शिखा श्रीवास्तव कहती हैं, ‘कई बार जब कोई व्यक्ति अत्यधिक तनाव में होता है तो उसे खाने की तीव्र इच्छा होती है। यह स्ट्रेस ईटिंग उन लोगों में ज्यादा होती है, जो जल्दी से जल्दी तनाव से बाहर आना चाहते हैं। यह आदत बहुत नुकसानदेह है, क्योंकि अत्यधिक तनाव के समय बिना सोचे-समझें खाने से थोड़ी देर के लिए शरीर को ऊर्जा मिल जाती है, लेकिन शरीर पर इसके हानिकारक प्रभाव होते हैं। इसलिए जरूरी है कि तनाव के समय ओवर ईटिंग से बचा जाए।’

केला खाएं तनाव दूर भगाएं

पोटेशियम एक मिनरल है, जो हार्टबीट को सामान्य रखने में मदद करता है, ऑक्सीजन को मस्तिष्क तक पहुंचाता है और शरीर में पानी के संतुलन को भी नियमित बनाए रखता है। जब हम मानसिक तनाव की स्थिति में होते हैं तो हमारा मेटाबॉलिक रेट बढ़ने लगता है, जिसके कारण शरीर में पोटेशियम का स्तर गिरने लगता है, इसे फिर से संतुलित करने के लिए हाई पोटेशियमयुक्त पदार्थों का सेवन जरूरी हो जाता है।

ऐसे पदार्थों की गिनती में केला सबसे आगे आता है, इसलिए केले का सेवन स्नैक्स की तरह करके इस तनाव पर भी नियंत्रण पा सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं मैक्रोन्यूट्रिएंट्स

कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा मैक्रोन्युट्रिएंट्स कहलाते हैं। ये शरीर के लिए ऊर्जा के मुख्य स्त्रोत हैं तथा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत जरूरी भी। वसा की इमेज बहुत खराब है, लेकिन सच तो यह है कि मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर की कार्यप्रणाली के लिए यह अत्यंत आवश्यक है। मस्तिष्क में चौबीसों घंटे सेरेटोनिन, डोपामाइन, नोरेपिनेफरीन का निर्माण होता रहता है। इसके लिए भी वसा का सेवन करना जरूरी है।

प्रोटीन हमारी त्वचा, अंगों, मांसपेशियों, हार्मोन, एंजाइम और इम्यून तंत्र के लिए आवश्यक है, लेकिन हालिया शोधों से पता चला है कि प्रोटीन से मस्तिष्क को अमीनो एसिड ट्रिपटोफान मिलता है, जो मूड भी ठीक करता है। प्रोटीन मस्तिष्क के रसायनों डोपामाइन और नोरेपिनेफरीन के लिए भी जरूरी है, जो अलर्टनेस और कॉन्सन्ट्रेशन बढ़ाते हैं। कार्बोहाइड्रेट सेरिटोनिन के लिए जरूरी है, जो दिमाग को शांत रखता है। इसलिए बिना सोचे समझे डाइटिंग न करें, क्योंकि यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसान देह है।

इन बातों का ध्यान रखें

हर समस्या का कोई न कोई समाधान होता है। अगर उस समस्या का तुरंत कोई समाधान न निकले तो दोस्तों और परिवार के सदस्यों की मदद लें।

किसी भी समस्या का यह समाधान नहीं है कि आप बिना सोचे-समझे ढेर सारा भोजन खा लें।

दुनिया आपके हिसाब से नहीं बदलेगी।

तनाव में हर चीज काफी मुश्किल और बड़ी लगती है। नकारात्मक चीजें सभी के साथ होती हैं, सिर्फ आपके साथ नहीं, इसलिए तनाव में भी सामान्य और सकारात्मक रहने की कोशिश करें।

स्ट्रेस ईटिंग एक भावनात्मक समस्या है। इससे बचने के लिए सबसे बेहतर उपाय यह है कि किसी अच्छी स्वास्थ्यवर्धक आदत से इसे बदल लें।

तनाव से कैसे निपटें

अपनी समस्याओं का तनाव लेने के बजाए उनका हल ढूंढ़ें।

एक्सरसाइज करें। यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। यह तनाव भी कम करती है।

न कहना सीखें। अगर आप कोई काम अच्छी तरह नहीं कर सकते या वह आपकी जिम्मेदारी नहीं है तो स्पष्ट रूप से न कहें।

अगर आप ऐसे पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं, जिनमें कैफीन की मात्रा अधिक होती है, जैसे कॉफी, तो उनका सेवन कम करें। 

संतुलित और पोषक भोजन करें।

अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं।

तनाव का कारण पता लगाएं और उसे दूर करने का प्रयास करें।

योगा करें। यह तनाव पैदा करने वाले हार्मोन कार्टिसोल के स्तर को कम करता है।

6 ले 8 घंटे की गहरी नींद लें।

हमेशा सकारात्मक सोचें।

अगर तनाव की स्थिति अधिक समय तक बनी रहे तो डॉक्टर से संपर्क करें। 

तनाव से कैसे बचें

एक ही तरीका सभी लोगों पर या सभी स्थितियों में कारगर नहीं हो सकता। तनाव से बचने के कईं स्वस्थ तरीके हैं, पर यह सभी बदलाव चाहते हैं। या तो आप परिस्थितियों को बदल लें या उनको देखने का अपना नजरिया बदल लें।

धूम्रपान, शराब का अधिक सेवन, कंप्यूटर या टीवी के सामने घंटों बैठे रहने, दोस्तों व परिवार से दूरी बनाने, रिलैक्स होने के लिए गोलियों व दवाइयों का सेवन करने, ज्यादा सोने, खुद को काम में डुबो देने और बहुत अधिक या कम खाने की आदत न बनाएं।

तनाव के 

तनाव के कारणों को हम किसी दायरे में नहीं बांध सकते। वैसे मोटे तौर पर तनाव के ये मुख्य कारण है:

पारिवारिक समस्याएं

आर्थिक समस्याएं

बीमारी

समय की कमी

वैवाहिक और प्रेम संबंधों की असफलता

क्या होता है तनाव की स्थिति में

यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को काफी प्रभावित करता है। इसके लक्षण हैं-
दिल का तेजी से धड़कना

पाचन क्रिया का मंद पड़ जाना

रक्त का प्रवाह प्रभावित होना

तंत्रिका तंत्र की कोर्यप्रणाली गड़बड़ा जाना

इम्यून सिस्टम का कमजोर पड़ जाना  

ब्लड प्रेशर बढ़ जाना

सांसें तेजी से चलने लगना

मांसपेशियां कड़ी हो जाना

नींद उड़ जाना

उदासी और थकान बढ़ जाना 

वजन बढ़ना
  


तनाव का प्रभाव: 10 तरीकों से पड़ सकता है तनाव का असर स्वास्थ पर



चिंता या तनाव हमारे जीवन का ही एक हिस्सा है। तनाव कई कारणों से हो सकता है जैसे- परीक्षा, इंटरव्यू, आर्थिक स्थिति, भवानात्मक आदि। लेकिन जब यह तनाव अत्यधिक होने लगता है और हमारी प्रतिदिन के कार्यों पर प्रभाव डालने लगता है तब यह हमारे स्वास्थ को भी प्रभावित करता है।

तनाव का प्रभाव इन 10 तरीकों से पड़ सकता है हमारे स्वास्थ पर:

1. खाने की इच्छा (Food Cravings):

जब हम तनाव में होते हैं तो हमारे शरीर में एक हॉरमोन स्रावित होता है जिसकी वजह से मीठा खाने की इच्छा बढ़ती है। मीठा या कार्ब खाने से शरीर में सीरोटोनिन का उत्पादन होता है जिससे मानसिक शांति का अनुभव होता है। इसी कारण से जब लोग तनाव में होते हैं तो ज़रूरत से अधिक खाने लगते हैं।

2. नींद (Sleep):

तनाव की वजह से अच्छी नींद नहीं आती। नींद न आने से थकान, सुस्ती और खराब मनोदशा रहती है।

3. वज़न बढ़ता है (Weight Gain):

तनाव की वजह से कोर्टिसोल नाम का हॉरमोन स्रावित होता जिससे खाने की इच्छा बढ़ती है। जब आप अधिक खाने लगते हैं तो वज़न बढ्ने लगता है और अन्य स्वास्थ समस्याएँ भी होने लगती हैं।

4. बाल झड़ना (Hair Loss):

तनाव का असर बालों के स्वास्थ पर भी पड़ता है और तनाव की वजह से बहुत से लोगों के बाल अधिक गिरते हैं।

5. पाचन (Digestion):

तनाव आपके पाचन को भी प्रभावित करता है। तनाव की वजह से पेट दर्द, जलन और दस्त हो सकते हैं। और अगर आपको पहले से पेट की कोई परेशानी है तो आपकी तकलीफ बढ़ भी सकती है। तनाव की वजह से इरिटेबल बावल सिंड्रोम भी हो सकता है।

6. यौन इच्छा (Libido):

तनाव की वजह से यौन इच्छा भी कम हो जाती है। इसका असर आपके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ पर पड़ता है। इससे रिश्तों में भी परेशानियाँ आने लगती हैं।

7. स्मरण-शक्ति (Memory):

अत्यधिक तनाव का प्रभाव हमारे मस्तिष्क पर पड़ता जिसकी वजह से स्मरण-शक्ति या याददाश्त कमजोर होने लगती हैं और इंसान भूलने लगता है।

8. कमर दर्द (Back Pain):

तनाव की वजह से मांसपेशियों में कसाव आता है जिसकी वजह से शारीरिक दर्द बढ़ जाता है। ऐसे में अगर आप देर तक बैठ के काम करते हैं तो कमर दर्द की परेशानी होने लगती है।

9. त्वचा स्वास्थ (Skin Problems):

तनाव की वजह से त्वचा में भी बदलाव आने लगते हैं। कुछ त्वचा संबंधी बीमारियाँ तनाव की वजह से गंभीर हो जाती हैं जैसे सोरीएसिस, एक्ज़िमा, पिंपल आदि। तनाव भी परोक्ष रूप से त्वचा को प्रभावित करता है क्योंकि इससे आपको अच्छी नींद नहीं आती है, अस्वास्थ्यकर भोजन खाते हैं और कम पानी पीते हैं यह सब आपकी त्वचा को थका हुआ, शुष्क और अस्वास्थ्यकर बनाता है।

10. सिर दर्द (Headaches):

तनाव के समय, जब कोर्टिसोल शरीर की ‘लड़ाई-या-उड़ान’ प्रतिक्रिया को ट्रिगर करता है और जब घटना खत्म हो जाती है, तो इसका स्तर कम हो जाता है। कोर्टिसोल का उतार-चढ़ाव सिरदर्द को ट्रिगर कर सकता है, विशेष रूप से माइग्रेन को।

ज्यादा तनाव से नजर कमजोर होने का खतरा



जर्मनी में मैग्डेबर्ग की ओटो वॉन गुरिके यूनिवर्सिटी में हुए एक ताजा अध्ययन में यह पता चला है कि निरंतर तनाव और कोर्टिसोल के बढ़े हुए स्तर से ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम में असंतुलन के कारण आंखों के साथ ही मस्तिष्कपर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

 शोध दल ने यह भी पाया कि इंट्राऑक्यूलर प्रेशर में वृद्धि, एंडोथेलियल डिसफंक्शन (फ्लैमर सिंड्रोम) और सूजन तनाव के कुछ ऐसे नतीजे हैं जिससे और नुकसान होता है। पुराने तनाव से एक लंबे समय तक भावनात्मक दबाव का सामना करना पड़ता है, जिसमें व्यक्ति को लगता है कि उसके पास बहुत कम या कोई नियंत्रण नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति तनाव होने पर अलग-अलग तरीके से प्रतिक्रिया करता है। 

तनाव होने पर शरीर में हॉर्मोन का स्तर बढ़ता है 

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल ने कहा, ‘शरीर की तनाव-प्रतिक्रिया प्रणाली आमतौर पर आत्म-सीमित होती है। खतरे या तनाव के तहत, माना जाता है कि शरीर के हॉर्मोन का स्तर बढ़ता है और अनुमानित खतरा बीत जाने के बाद सामान्य हो जाता है, जैसे एड्रेनलाइन और कोर्टिसोल के स्तर गिरते हैं, दिल की धड़कन की दर और रक्तचाप बेसलाइन स्तर पर वापस आते हैं, और अन्य सिस्टम अपनी नियमित गतिविधियों को फिर से शुरू करते हैं। हालांकि, निरंतर तनाव की स्थिति में, व्यक्ति लगातार हमले जैसी स्थिति महसूस करता है और शरीर की लड़ाई प्रतिक्रिया चालू रहती है। तनाव-प्रतिक्रिया प्रणाली की दीर्घकालिक सक्रियता और बाद में कोर्टिसोल व अन्य तनाव हॉर्मोन के लिए ओवर एक्सपोजर, शरीर में लगभग सभी प्रक्रियाओं को बाधित कर सकता है। इस प्रकार व्यक्ति विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं में घिर जाता है।’तनाव से स्वास्थ्य पर होने वाले कुछ प्रभावों में चिंता, अवसाद, पाचन समस्याएं, हृदय रोग, अनिद्रा, वजन बढ़ाना और ध्यान केंद्रित करने की समस्याएं शामिल हैं। 

तनाव दूर करने के सुझाव 

-कैफीन, शराब, और निकोटीन का सेवन कम करें। कैफीन और निकोटीन उत्तेजक होने से व्यक्ति में तनाव का स्तर बढ़ाते हैं। 

- दिन में कम से कम 30 मिनट के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें। यह न केवल आपको फिट रखेगा, बल्कि तनाव को भी कम करेगा। 

- स्वस्थ भोजन और आहार, जैसे कि फल, सब्जियां और मल्टी-ग्रेन अनाज का सेवन करें। फलों और सब्जियों में उपलब्ध ऐंटिऑक्सिडेंट शरीर में मुक्त कणों के उत्पादन को रोकने के लिए आवश्यक हैं। 

- अच्छी तरह से गहरी नींद लें। हर दिन कम से कम 7 से 8 घंटे सोएं। नींद की कमी तनाव को बढ़ा सकती है। 

- अपना समय अच्छे से मैनेज करें और फालतू काम दूसरों को भी बांटें। सिस्टम को फिर से जीवंत करने के लिए कभी-कभी ब्रेक लेना महत्वपूर्ण है। आपके सिर पर ज्यादा लोड होने से बहुत अधिक तनाव होने की संभावना है। 

   तनाव और चिंता दूर करने के उपाय

चिंता एवं तनाव ने हर तरफ अपना साम्राज्य कायम कर लिया है। मैं तो उस वक्त दंग रह गई जब किंडरगार्टेन में पढ़ने वाली एक छोटी सी बच्ची ने बताया कि वह अगले दिन होने वाली अपनी परीक्षा की वजह से तनाव में है। हमारी जिंदगी में भागदौड़ इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि आज हम छोटी से छोटी समस्या की वजह से तनावग्रस्त हो जाते हैं। आजकल हर गतिविधि को जल्दी से जल्दी पूरा करने की जद्दोजहद लगी रहती है जिसकी वजह से हमारा जीवन प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो रहा है और तनाव एवं चिंता की समस्या इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि हम छोटी-से-छोटी असफलता की वजह से टूट जाते हैं।

तनाव एवं चिंता दूर करने के उपाय

हम यहां तनाव एवं चिंता के बेहतर प्रबंधन के लिए कुछ प्रभावी सुझाव प्रस्तुत कर रहे हैं:

तनाव एवं चिंता आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है
तनाव एवं चिंता का हमारे शरीर, मन और भावनाओं पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। हालांकि किसी भी गतिविधि में बेहतर प्रदर्शन के लिए कुछ हद तक तनाव का होना आवश्यक है, लेकिन तनाव एवं चिंता जैसे ही इस जरूरी स्तर से उपर बढ़ने लगता है तो इनका प्रतिकूल प्रभाव हमारे उपर दृषिटगोचर होना शुरू हो जाता है। लंबे समय तक चिंतित एवं तनावग्रस्त रहने से हमारा स्वास्थ्य खराब होने लगता है।

यही वजह है कि आजकल होने वाली ज्यादातर बीमारियों को मनोदैहिक बीमारियों की संज्ञा दी जाने लगी है। दूसरे शब्दों में कहें तो आजकल स्वास्थ्यविद, लोगों की शारीरिक बीमारियों को मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक एवं मानसिक स्तर से जोड़ कर भी देख रहे हैं और जो लोग इस तथ्य को जानते हैं वे तनाव एवं चिंता से दूर रहने में ही बुद्धिमानी समझते हैं।

तनाव सिर्फ एक मानसिक स्थिति है

असल में तनाव और कुछ नहीं सिर्फ एक मानसिक स्थिति है जो हमारे मन द्वारा बुने गए घटनाक्रमों की वजह से पैदा होता है। मन पर पड़ने वाले अनुचित दबाव की वजह से ही तनाव, चिंता एवं घबराहट की स्थितियां बनती है। किसी विशेष स्थिति का सामना करने की अगर हमने पहले से तैयारी ना कर रखी हो तो भी हमें तनाव का सामना करना पड़ता है। किसी समस्या विशेष से जुड़े हमारे पिछले अनुभवों की वजह से भी तनाव पैदा होता है।

अगर हम किसी विशेष समस्या की वजह से पहले कभी तनावग्रस्त हुए थे तो वैसी ही समस्या दोबारा पैदा होने पर हम फिर से तनावग्रस्त हो जाते हैं। धीरे-धीरे तनावग्रस्त एवं चिंतित रहना हमारी आदत बन जाती है। इस प्रकार हमारे जीवन में तनाव ग्रस्त रहने के विभिन कारण हैं और ये कारण व्यक्ति-विशेष के अनुरूप एवं समय के साथ बदलते रहते हैं।

चलिए हम यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि यदि हम तनाव के शिकार हैं तो तनाव को दूर रखने के लिए हम क्या-क्या कर सकते हैं। जैसा कि हम जानते हैं तनाव एक मानसिक स्थिति है तो मन को तनाव मुक्त कैसे करें इस विषय पर ध्यान केंद्रित किए जाने की आवश्यकता है।

अपने तनाव के कारणों का पता लगाईए

एक बार जब आप यह पता लगाने में कामयाब हो जाते हैं कि आपके तनाव का क्या कारण है तो आप अपने तनाव को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं। तनाव की वजह कोई विशेष घटना या कोई व्यक्ति विशेष भी हो सकता है। अपने तनाव का समाधान ढ़ूढ़ने के लिए आपको अभिनव तरीके अपनाने होंगे, क्योंकि यदि आप यह पता लगाने में कामयाब हो जाएं कि आपके तनाव का क्या कारण है तो आप अपने अभिनव तरीकों से इस समस्या का समाधान निकाल सकते हैं। हो सकता है कि सिर्फ कुछ छोटे-छोटे कदम उठाने से ही आप तनावमुक्त हो जाएं।

नजरअंदाज करना सीखें

कुछ चीजों से हमारा भावनात्मक जुड़ाव इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि हम उनको लेकर तनावग्रस्त हो जाते है। आपको यह याद रखना चाहिए कि आप हमेशा सही हों ऐसा जरूरी नहीं है। हर व्यक्ति को अपना अलग नजरिया रखने का हक है और इस वजह से किसी भी व्यक्ति से उसके नजरिए को लेकर बहस करने की कोई जरूरत नहीं है।

सिर्फ इतना ही समझिए कि वह व्यक्ति अपने पक्षपातपूर्ण विचारों की वजह से किसी खास परिस्थिति को अपने अलग नजरिए से देख रहा है और आपका नजरिया कुछ अलग है। सिर्फ इतना सोचते ही आप तनाव की स्थिति से बहुत आसानी से बाहर निकल सकते हैं। किसी खास उद्देश्य को प्राप्त करने के कई अलग-अलग रास्ते हो सकते हैं और इसलिए अपने सोचे हुए रास्ते के अलावा अन्य सभी रास्तों पर भी विचार करें और सबसे उचित समाधान ढ़ूंढ़ने का प्रयास करें।

जो भी है बस अभी है

कोई भी स्थिति हमेशा एक जैसी नहीं रहती। जो आज यहां हैं वो कल कहीं और हो सकता है और इसलिए अपने आपको तनावग्रस्त करने से बचें। तनावग्रस्त होने के बजाए समस्याओं में भी अवसरों की तलाश करें। आपके अंदर कठिन से कठिन परिस्थितियों को अनुकूल बनाने की कला विकसित हो जाने का लाभ आपको भविष्य में मिलेगा।

याद रखिए आपके तनाव का असर तो आपके उपर बिल्कुल होगा लेकिन जिन स्थितियों की वजह से आप तनावग्रस्त हुए हैं वो स्थिति समय के साथ खुद ही बदल जाएगी। एक अल्पकालिक स्थिति भी आपको अनावश्यक रूप से तनाव दे सकती है जिसका आपके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा।

आशावादी बनिए

अक्सर हम इस वजह से तनावग्रस्त रहते हैं क्योंकि हमारे मन में सबसे बुरा होने का अंदेशा होता है, हालांकि कोई बुरी परिस्थिति और बुरी हो जाए ऐसा वाकई में होता नहीं है। ये भी तो हो सकता है कि भविष्य में कुछ भी बुरा ना हो। जीवन के बारे में यह कहा जाता है कि हर जीवन की एक आत्म भविष्यवाणी होती है और इसलिए अच्छा सोचिए। अच्छा सोचेंगे तो आपके साथ अच्छा ही होगा।

खुद के बाहर देखने के साथ ही अपने चारो तरफ कीदुनिया को भी देखिए

जब आप हर वक्त अपने जीवन और उससे जुड़े मुद्दों एवं परेशानियों पर अपना ध्यान केंद्रित किए रहेंगे तो आप निश्चित रूप से तनावग्रस्त ही रहेंगे। इसलिए अपनी समस्याओं के जंजाल से बाहर निकलकर अपने चारो तरफ की दुनिया को भी देखिए। दूसरे मनुष्यों एवं जीवन के विभिन्न रूपों का भी अवलोकन करें। अगर आप अपनी स्थिति को लेकर विलाप करते रहेंगे तो आपकी समस्याएं और विकराल रूप धारण कर लेंगी।

इसलिए यह जरूरी है कि आप अपनी समस्याओं से अपना ध्यान हटाकर दूसरों की परेशानियों को देखें और उनकी समस्याओं का समाधान निकालने का प्रयास करें। दूसरों के जीवन की समस्याओं का समाधान करने के प्रयास आपको समय के साथ अधिक उदार बनाएंगे और आप अपने जीवन को दूसरों को खुशी देने में सपर्पित कर पाएंगे। आखिरकर आप जैसा कार्य करते हैं एवं जैसे विचारों का संचार करते हैं वैसे ही उनके परिणाम आपको वापिस मिलते हैं

क्रोध ना करें

क्रोध आपका सबसे बड़ा दुश्मन है। क्रोध या गुस्सा कभी भी आसानी से फट पड़ता है और यदि क्रोध उग्र रूप धारण कर ले तो इसकी आग शांत करना मुश्किल हो जाता है। हमें यह याद रखना चाहिए कि क्रोध चले जाने के बाद अपनी बेवकूफी पर पछताने से कोई फायदा नहीं होता। कहते हैं यदि दूध फैल जाए तो उसके लिए रोने से क्या फायदा। गिरा दूध क्या वापिस पहले जैसा हो सकता है? कई अचानक होने वाली स्वास्थ्य समस्या का कारण भी क्रोध ही है और क्रोध की वजह से कई दीर्घकालिक बीमारियां भी हमें हो सकती है।
अपने आप से या दूसरे पर किया जा रहा क्रोध नकारात्मक परिणाम ही देता है, क्योंकि क्रोध से रिश्तों में तनाव बढ़ जाता है और कई बार तो रिश्ते टूट भी जाते हैं। क्रोध से दूर रहने के लिए दिमाग को शांत रखिए और समस्या के समाधान तलाशिए। कोई भी परिस्थिति ऐसी नहीं होती जिसे सुधारा नहीं जा सकता। जीवन में मतभेदों एवं स्थितियों का विश्लेषण करें एवं आपका जीवन जैसी परिस्थितियां या विशेषताएं प्रदान करता है उनको स्वीकार करें।

दूसरों की गलतियों को भूलें एवं क्षमा करें

तनाव को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका दूसरों की गलतियों को भूलना एवं उन्हें क्षमा करना है। यह कार्य आसान तो नहीं है लेकिन आप कोशिश तो कर ही सकते हैं। ऐसा करने से आपके गुस्से में निश्चित रूप से कमी आएगी अन्यथा क्रोध बढ़ाने वाली भावनाओं से तो केवल आपका तनाव ही बढ़ेगा, इसलिए इनसे बचें।

मैत्रीपूर्ण एवं सौहार्दपूर्ण बनें

क्रोधी या असंतोषी बनने के बजाय, मैत्रीपूर्ण एवं सौहार्दपूर्ण बनिये। हालांकि ये कहना तो आसान है लेकिन करना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन कम से कम आप प्रयास तो कर ही सकते हैं। यह आपके तनाव एवं चिंता दोनो को ही अद्भुत रूप से कम करेंगे। जब आपके परिवार में, कार्यालय में या आपके पड़ोस में कोई हठी व्यक्ति हो तो उससे निपटने में आपको अनावश्यक रूप से तनावग्रस्त होना पड़ सकता है।

ऐसी स्थिति में आपको क्या करना चाहिए? इस तरह के तनाव को दूर करने का सिर्फ एक ही तरीका है कि हम अपनी भावनाओं एवं मानसिक स्थितियों को नियंत्रण में रखें न की उन व्यक्तियों की शिकायत करते रहें या दुनिया को कोसें। जरा मुस्कुराईए। मुस्कुराने के लिए पैसे खर्चने की जरूरत नहीं होती। यह अनुभव सिद्ध है कि सिर्फ एक मुस्कान द्वारा आप आसानी से अपने प्रतिद्वंदी को धराशायी या अपने विरोधी को काबू में कर सकते हैं।

अपनी चिंताओं और परेशानियों को हंसी में उड़ा दें

भारी-से-भारी विपरीत परिस्थिति में भी मुस्कुराना अत्यंत प्रभावी है। मुस्कुराने से आपकी परेशानियां एवं मुसीबतें आसानी से दूर हो जाती हैं। इन्हें हंसी में उड़ा दें और उसके बाद आप जिस किसी परिस्थिति से गुजर रहे हैं वह कम पीड़ादायक महसूस होगा।

धीरज के साथ शांत रहना सीखें

शांत रहने के कई तरीके हैं। निर्णय लें की आप शांत रहेंगे। इस विषय में सिर्फ आप ही निर्णय ले सकते हैं। किसी भी समस्या का समाधान तब तक नहीं किया जा सकता जबतक आप उसका उपाय शांत मन से नहीं निकालते। बिना शांत मन के आप समस्या को दूर नहीं कर सकते और इसलिए आपको शांत रहना चाहिए और शांत रहने के लिए आपको विभिन्न तरीके ढ़ूढ़ने होंगे।

थोड़ी देर के लिए ही सही अपना मोबाइल / स्मार्ट फोन बंद कर दें। हर वक्त अपने फोन के स्क्रीन पर देखते रहने के जूनून से बचिए।अपने लिए कोई-ना-कोई शौक पालिए। यह डाक टिकट इकट्ठा करना, फोटोग्राफी, चित्रकला, संगीत, ट्रैकिंग, खाना बनाना या और भी कुछ हो सकता है।किसी खेल में संलग्न होईए या टहलने के लिए जाया करें। खेलने एवं टहलने से शारीरिक व्यायाम होता है और इन गतिविधियों से आपका स्वास्थ्य भी सुधरता है और साथ ही आपके शरीर में स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले कई हार्मोन भी विकसित होते हैं। इसलिए आप निश्चित रूप से इनमें से किसी एक गतिविधि का चुनाव जरूर करें।तनाव को खत्म करना सीखिए। अपने परिवार के साथ छुट्टी मनाने के लिए जाएं। ऐसा करने पर आपको अपने परिवार के सदस्यों की उन छोटी-छोटी गतिविधियां जिनकी वजह से आपका जीवन आसानी से चल रहा है उन्हें समझने में सहायता मिलेगी। बिना गौर किए इनके योगदानों को समझना आपके लिए मुश्किल है। अपने जीवनसाथी के साथ अच्छा वक्त बिताने के लिए भी छुट्टी मनाना एक बेहतरीन तरीका है। साथ ही छुट्टियों के दौरान आप अपने परिवार के साथ आनंद मनाना सीखते हैं।

एक मानसिक छुट्टी लेना भी आवश्यक है

आपके मस्तिष्क में उमड़ रहे विचारों की लगातार भीड़ आपके मन को अशांत कर देते हैं। अपका दिमाग बेशक सोचने के लिए ही बना है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आप उसमें विचारों को बेतरतीब रूप से लगातार ठूंसते रहें। जबतक आप जगे रहते हैं सोच-समझ कर ही अपने मन में विचारों को आने दें। कुछ वक्त शांत रहने कि लिए एवं मस्तिष्क को बेहतर विश्राम देने के लिए भी निकालें। इस कार्य के लिए किसी विशेषज्ञ से सीखकर ध्यान लगाने एवं विश्रांति के तकनीकों का प्रयोग किया जा सकता है।

चिंता एवं तनाव का असर अंततः आपके मन पर ही होता है। आपको किसी परिस्थिति से उपजे कठिनाइयों को महसूस करने एवं उनकी चिंता करने के बजाए यह सोचना चाहिए की आप इन समस्याओं से सफलतापूर्वक निपटने वाले हैं। सिर्फ चिंता करते रहने से हमारा मस्तिष्क बेकार हो जाता है।

इसी तरह अपने ऊपर दया करते रहने की प्रवृत्ति भी नकारात्मकता पैदा करती है। इसलिए ऐसा करने से बचें। आपकी स्थिति इतनी बुरी भी नहीं बल्कि कई खुशियां तो आपके अंदर ही हैं। आप उन खुशियों का पता लगाएं एवं उन्हें बढ़ानें का प्रयास करें। आप अपने लिए एक बेहतर सकारात्मक दुनिया का निर्माण कर सकते है।

इसी तरह, आत्म दया में लिप्त होने से नकारात्मकता उत्पन्न होती है। इससे दूर रहने की कोशिश करें। आपकी स्थिति इतनी बुरी नहीं है। आपके पास खुश रहने के लिए बहुत कारण है। इस बात का ध्यान रखे और इस पर टिके रहे। आप खुद के लिए एक अच्छी सकारात्मक दुनिया बना सकते हैं।

कई छोटी-छोटी चीजें हमें तनाव से दूर रखने या तनाव को संभालने में हमारी मदद कर सकती हैं। हो सकता है उन्हें एकदम से अमल में लाना आपको मुश्किल लगे लेकिन थोड़ी कोशिश करने से आप ऐसा करने में कामयाब हो सकते हैं और ये आपके लिए काफी फयदेमंद साबित होगें। तो, इसलिए अपने मन को हल्का करने एवं उसमें प्रसन्नता का संचार करने का प्रयास अवश्य करें।




दोस्तो ये कुछ खास lines
तनाव भारी जब ज़िन्दगी हो जाती है सूखे पेड की तरह खुशिया बी पतो की तरह गिर जाती है। जीने का कोई सहारा नही होता ये दिल बी फिर बचपन की तरह प्यार नही होता। वो प्यारे पल बी भूल जाते है अपने दोस्तों और अपनों को गलती से ही सही पर कुछ दर्द दे जाते है ये दिल बी कामजोर हो जाता है फिर एक दिन ये बी रुक जाता है। जिन्दगी एक बार मिलती है हस के बितालो ये tenstion ओर तनाव,स्ट्रेस को खुशीओ से मिटालो ये ज़िन्दगी बी प्यारी लगेगी ये दुनिया बी दिल की तरह नियारी लगेगी।

तो दोस्तो आज जाना कि कैसे हम ( Apni tension,तनाव or strees ko dur kar sakte hai ) ओर अपनी लाइफ को खुश रख सकते है दोस्तो आप इन सब advices को आपनी लाइफ मैं जरूर Try करे और ऐसे ही ओर अछे articles के लिए जुड़े रहे ( https://normaladvices.blogspot.com ) से।

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